श्री नरेंद्र मोदी ने श्यामजी कृष्ण वर्मा को हमेशा अपने आदर्शों में से एक माना और वह चाहते हैं कि उनकी विरासत करोड़ो भारतीयों के मन और मस्तिष्क जीवित रहे। 2015 में, ब्रिटेन की यात्रा के दौरान इनर टेम्पल में श्री नरेंद्र मोदी को श्यामजी कृष्ण वर्मा से जुड़े प्रमाणपत्र दिये गए थे। श्यामजी कृष्ण वर्मा एक सच्चे देशभक्त थे जिन्होंने भारत और विदेश दोनों जगहों के राष्ट्रवादियों प्रेरित किया।

श्यामजी कृष्ण वर्मा एक सच्चे देशभक्त थे जिन्होंने भारत और विदेश दोनों जगहों के राष्ट्रवादियों प्रेरित किया।

उनकी अस्थियां वापिस लाई गईं :

श्यामजी कृष्ण वर्मा का स्वर्गवास 1930 में इस स्वप्न के साथ हुआ था कि उनकी अस्थियां स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद अपनी मातृभूमि पर वापिस लाई जाएं। भारत को 1947 में आजादी मिली, पर तत्कालीन सरकार ने उस व्यक्ति के आखिरी सपने को पूरा करने के लिए कुछ नहीं किया, जिसने अपना जीवन भारत माता की सेवा में समर्पित कर दिया था।
 
अगस्त 2003 में, वह नरेन्द्र मोदी थे जो बतौर गुजरात के मुख्यमंत्री व्यक्तिगत रूप से स्विट्जरलैंड गए तथा खुद श्री श्यामजी कृष्ण वर्मा तथा उनकी पत्नी की अस्थियों को वापस लेकर आए। इस कदम का लोगों द्वारा तथा खास तौर पर युवाओं द्वारा सराहा गया, जो श्री श्यामजी कृष्ण वर्मा को अपने प्रेरणा स्रोत के रूप में देखते हैं।

क्रांति तीर्थ: श्यामजी कृष्ण वर्मा को अमर कर देना 

श्री मोदी ने एक ऐसी जगह की कल्पना की जहां पर श्री श्याम जी कृष्ण वर्मा की स्मृतियों को जीवन दिया जा सके, ताकि इस देश के लोग उस महान क्रांतिकारी के बारे में जान सकें और उससे प्रेरित हो सकें। इसी कारण से क्रांति तीर्थ की सोच ने जन्म लिया। 
 
मुख्यमंत्री ने 4 अक्टूबर, 2009 को इस स्मारक की नींव रखी और 13 दिसंबर, 2010 को राष्ट्र को समर्पित किया। श्री श्यामजी कृष्ण वर्मा के जीवन के विभिन्न पहलुओं को जीवित करता हुआ क्रांति तीर्थ, हमारे स्वतंत्रता संग्राम के वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित करने वाले कई स्मारकों का केंद्र स्थान है। इंडिया हाउस, जो कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक विशेष स्थान रखता है, इसे क्रांति तीर्थ में पुर्ननिर्मित किया गया है।

देशभक्ति के प्रतीक तथा बहुतों के लिए प्रेरणा

श्री श्यामजी कृष्ण वर्मा देशभक्ति के प्रतीक थे तथा भारत माता के प्रति उनका समर्पण किसी भी सीमा रेखा का मोहताज नहीं था। उनके आदर्शों ने उन्हें एक प्रेरणा का स्रोत बना दिया तथा उन्होंने कई क्रांतिकारियों में राष्ट्रभक्ति की अलख जगाई। उनसे अत्याधिक प्रभावित होने वालों में श्री वीर सावरकर, श्री मदनलाल ढिंगरा तथा लाला हरदयाल थे।

अंग्रेजों की सेवा कभी मत करो

श्री श्यामजी कृष्ण वर्मा के बारे में एक किस्सा बताते हुए श्री मोदी ने कहा कि वह वो थे जिन्होंने बहुत लोगों की मदद की, पर उनकी पूर्व शर्त रहती थी कि - आप अंग्रेजों की सेवा नहीं करोगे..! भारत से मीलों दूर होने के बावजूद, भारत माता के लिए उनका जुनून और भक्ति उनकी अंतिम सांस तक मुकम्मल रही।

भारतीय स्वतंत्रा संग्राम का सही इतिहास प्रस्तुत करें : श्री मोदी

कई बार, श्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम की सच्ची तस्वीर प्रस्तुत करने की आवश्यकता की बात की है। यह विरूपण हुआ है क्योंकि हममें से कुछ अभी भी अंग्रेज मानसिकता के शिकार हैं, जबकि कुछ के लिए ये देश जमीन के एक टुकड़े से ज्यादा कुछ भी नहीं है। उसी प्रकार, उन्होंने इतिहास को मात्र एक ही परिवार के त्याग और बलिदान के चश्में से आगे देखने की आवश्यकता पर जोर दिया है। आज जब हम आजादी की हवा में सांस ले रहे हैं, तब हमें श्यामजी कृष्ण वर्मा जैसे लोगों को नहीं भूलना चाहिए, जिन्होंने अपनी पूरी जिदंगी उस भारत को बनाने में लगा दी, जहां लोग अपना सिर उठा कर चल सके तथा किसी भी प्रकार के अन्याय और विदेशी अधीनता के लिए कोई जगह नहीं हो..!

श्री नरेंद्र मोदी ने श्यामजी कृष्ण वर्मा के मरणोपरान्त उनके पुनःस्थापन का प्रमाणपत्र बार को सौंपा

नवम्बर 2015 में ब्रिटेन यात्रा के दौरान श्री नरेंद्र मोदी को श्यामजी कृष्ण वर्मा के पुनःस्थापन का प्रमाणपत्र लंदन के इनर टेम्पल में सौंपा गया।

दिसम्बर 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी श्यामजी कृष्ण वर्मा के पुनःस्थापन का प्रमाणपत्र बार को और उसके बाद गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को सौंप दिया। पुनःस्थापन की प्रकिया लंदन स्थित इनर टेम्पल सोसाइटी द्वारा किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लंदन यात्रा के दौरान उस वक्त ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरून की उपस्थिति में प्रधानमंत्री को प्रमाणपत्र सौंपा गया था।

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प्रधानमंत्री 24 नवंबर को 'ओडिशा पर्व 2024' में हिस्सा लेंगे
November 24, 2024

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 24 नवंबर को शाम करीब 5:30 बजे नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 'ओडिशा पर्व 2024' कार्यक्रम में भाग लेंगे। इस अवसर पर वह उपस्थित जनसमूह को भी संबोधित करेंगे।

ओडिशा पर्व नई दिल्ली में ओडिया समाज फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक प्रमुख कार्यक्रम है। इसके माध्यम से, वह ओडिया विरासत के संरक्षण और प्रचार की दिशा में बहुमूल्य सहयोग प्रदान करने में लगे हुए हैं। परंपरा को जारी रखते हुए इस वर्ष ओडिशा पर्व का आयोजन 22 से 24 नवंबर तक किया जा रहा है। यह ओडिशा की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करते हुए रंग-बिरंगे सांस्कृतिक रूपों को प्रदर्शित करेगा और राज्य के जीवंत सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक लोकाचार को प्रदर्शित करेगा। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख पेशेवरों एवं जाने-माने विशेषज्ञों के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय सेमिनार या सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।