श्री नरेन्द्र मोदी को भारत के 15वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लिए हुए मात्र एक महीना ही हुआ है, और सत्ता के गलियारों का मूलमंत्र “कानूनों से कार्रवाई” की ओर तथा “समितियों से प्रतिबद्धता” की ओर परिवर्तित हो चुका है।
मंत्रीगण पहले की तुलना में कहीं अधिक प्रेरित हैं।वे नियंत्रक स्थिति में मौजूद एक प्रेरणादायक कप्तान के साथ एक टीम के रूप में अपना योगदान देने के लिए कहीं अधिक प्रतिबद्ध हैं।
अपने दफ्तर में प्रधानमंत्री का पहला महीना इस बात का प्रमाण है कि उनका सरोकार कार्यों के पूर्ण होने से है तथा उन्होंने दृढ़ता के साथ परिस्थितियों को अपने नियंत्रण में ले रखा है। महत्वपूर्ण बात यह है कि नरेन्द्र मोदी का प्रयास है कि इस पूरी प्रणाली में बदलाव लाया जाए ताकि जड़ता से पीछा छुड़ाया जा सके।
दक्षता की परंपरा
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी“न्यूनतम सरकार,अधिकतम प्रशासन” में दृढ़ विश्वास रखते हैं तथा इसका पालन करते हैं। उन्होंने एकांगी मंत्रालय इकाइयों को एक समग्र मंत्रालय में परिवर्तित करने की अनोखी पहल की है ताकि विभिन्न विभागों में अधिक सामंजस्य लाया जा सके तथा प्रक्रिया में तेज़ी लाकर उन्हें और अधिक प्रभावशाली बनाया जा सके। नरेन्द्र मोदी का लक्ष्य अंततः एकीकरण तथा नवाचार के माध्यम से स्मार्ट प्रशासन को प्राप्त करना है। प्रधानमंत्री स्वयं सूर्य की पहली किरण के साथ ही उठ जाते हैं तथा देर रात्रि तक कार्यरत रहते हैं। यह जीवंतता और सकारात्मकता सरकार की विभिन्न परतों तक फैल गई है तथा अधिकारी वर्ग भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का प्रयास कर रहा है। फ़ाइलों को निपटाने की तात्कालिकता स्पष्ट दिखाई पड़ती है।
काले धन की खोज में
शपथ लेने के अगले ही दिन, नरेन्द्र मोदी सरकार ने विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की घोषणा कर दी। यह निर्णय प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही ले लिया गया। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों से एसआईटी के साथ आवश्यक जानकारी साझा करने के लिए कहा गया है।
यह पिछली सरकारों द्वारा काले धन को वापस लाने के लिए कोई ठोस कदम उठाने में अपने पैर खींच लिए जाने से बिलकुल विपरीत है। यह नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार द्वारा काले धन को वापस लाने को प्राथमिकता दिए जाने को स्पष्ट करता है।
प्रशासन में बदलाव
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी कैबिनेट की बैठक में अच्छे प्रशासन के लिए एक 10-सूत्रीय खाका पेश किया जिसके द्वारा नौकरशाही को निडर बनाते हुए सशक्त करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है। उनके कमान सम्हालते ही यह स्पष्ट हो गया कि केंद्र में उनका मन्त्र कार्यों को पूर्ण करना तथा उनका कार्यान्वयन होगा। प्रारंभ में प्रधानमंत्री ने सभी सचिवों से व्यक्तिगत रूप से भेंट करके शासन के एजेंडे की रूपरेखा बताई, उनसे विचार और सुझाव प्राप्त किये तथा विकास की यात्रा में उन्हें भागीदार बनाया। यह बैठक कितनी सार्थक थी, नीचे दिया गया ट्वीट उसका एक उदाहरण है:
1st time in my career free, frank & fearless interaction with d PM of d country. Highly motivating! Gr8 flow of ideas! — Amitabh Kant (@amitabhk87) June 4, 2014टीम इंडिया का सुदृढ़ीकरण
राज्य सरकारों को महत्व न दिए जाने के प्रतिमानों से पलायन करते हुए, वर्तमान सरकार सहकारी संघवाद पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रही है। पहले दिन से ही प्रधानमंत्री का विशेष ध्यान संघीय ढांचों को सुदृढ़ करने के लिए केंद्र के साथ ही राज्यों को लेकर चलना है। प्रधानमंत्री ने विभिन्न राज्यों के विकास के लिए राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भरोसा दिलाया है। उनसे मुलाकात करने वाले कुछ मुख्यमंत्रियों के ट्वीट निम्नलिखत हैं:
Called on @PMOIndia this evening. Discussed the situation in the state inc tourism, the economy, electricity & employment avenues. 1/2 — Omar Abdullah (@abdullah_omar) June 20, 2014
Briefed @narendramodi about the security situation & the assessment for the next few months inc the prep's for Amarnath Ji yatra. @PMOIndia — Omar Abdullah (@abdullah_omar) June 20, 2014
It was good to hear PM @narendramodi say India can only develop if its states develop, & that he'll cooperate pic.twitter.com/5S0Lf9eBda — Baijayant Jay Panda (@PandaJay) June 2, 2014
Discussed on centre's support for seemandhra's development. Got a positive nod from @pmoindia & @narendramodi. — N Chandrababu Naidu (@ncbn) May 30, 2014
सक्रिय निर्णय राजग सरकार का एक उल्लेखनीय पहलू उनकी सक्रिय निर्णय लेने की क्षमता है, जिसके कारण संकट की स्थिति को सँभालने के साथ ही तीव्र प्रतिक्रियाओं से निपटा जा सकता है। एक कमजोर मानसून की आशंका के बीच सरकार ने त्वरित रूप से स्थिति की समीक्षा करते हुए कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए समग्र योजना बनाई।
सक्रिय प्रशासन की यह विशेषता मुद्रास्फीति का मुकाबला करने के लिए भी दिखाई दे रही थी। जब कुछ वस्तुओं की कीमत में वृद्धि होना प्रारंभ हुई तो सरकार ने त्वरित कार्यवाई की। सरकार वस्तुओं की कीमतों की निगरानी के साथ तेजी से हरकत में आ गई तथा न्यूनतम निर्यात मूल्य लागू किया गया तथा अन्य कई कदम उठाये गए। केन्द्र ने राज्य सरकारों को सलाह दी कि फलों एवं सब्जियों को कृषि उत्पाद विपणन समिति अधिनियम से हटाया जाए, ताकि किसान उपभोक्ताओं को सीधे ही अपने उत्पाद बेच सके, और सड़ने वाली वस्तुओं को मंडियों या बिचौलियों के माध्यम के बिना ही बेचा जा सके।
अनावश्यक संरचनाओं की समाप्ति
नरेन्द्र मोदी ने मंत्रियों को सशक्त बनाने और मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओएम) व मंत्रियों के समूह (जीओएम) को हटाकर एक साहसिक कदम उठाया है। इस कदम के द्वारा त्वरित निर्णय की क्षमता तथा प्रणाली में अधिक से अधिक उत्तरदायित्व आ पायेगा। उनका यह मंत्र न्यूनतम सरकार और अधिकतम प्रशासन की दिशा में है।”
नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने अपने पहले 30 दिनों में ही, भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए किए कदम उठाए, केंद्र का कार्यकुशल कार्यकलाप तथा लक्ष्यों को प्राप्त करना सुनिश्चित किया, अनावश्यक संरचनाओं की समाप्ति व मुद्रास्फीति से निपटने की तैयारी शुरू की। यदि वे देश को एक महीने में जाग्रत कर सकते हैं, तो हम इस बात का भरोसा कर सकते हैं कि वे अगले 60 महीनों में राष्ट्र की दशा को बदल डालेंगे।
और अगर चीजें इसी रफ़्तार से चलती रहीं, तो वृद्धि और विकास के एक दूर का सपना नहीं रह जाएगा, बल्कि मात्र कुछ समय की बात रह जाएगी!