आज प्रधानमंत्री जन धन योजना को शुरू हुए एक दशक हो गया है। मेरे लिए, यह पहल सिर्फ़ एक नीति से कहीं ज़्यादा थी - यह एक ऐसे भारत के निर्माण का प्रयास था जहाँ हर नागरिक, चाहे उसकी आर्थिक पृष्ठभूमि कुछ भी हो, औपचारिक बैंकिंग तंत्र तक पहुँच सके

आप में से कई लोग, खास तौर पर युवा, सोच रहे होंगे- यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है? आखिरकार, इस युग में, बैंक खाता होना बहुत ही बुनियादी बात होगी और इसे सामान्य बात भी माना जाएगा। हालाँकि, जब हमने 2014 में सत्ता संभाली, तो स्थिति बहुत अलग थी। आज़ादी के लगभग 65 साल हो चुके थे, लेकिन हमारे लगभग आधे परिवारों के लिए बैंकिंग तक पहुँच एक दूर का सपना था। उनकी दुनिया ऐसी थी जहाँ बचत घर पर रखी जाती थी, जिसके खोने और चोरी होने का खतरा रहता था। ऋण तक पहुँच अक्सर शोषक ऋणदाताओं की दया पर निर्भर थी। वित्तीय सुरक्षा की अनुपस्थिति ने बहुत से सपनों को रोक दिया।

यह समस्या और भी विडम्बनापूर्ण हो जाती है, क्योंकि साढ़े चार दशक पहले, तत्कालीन (कांग्रेस) सरकार ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया था और वह भी गरीबों के नाम पर! फिर भी, गरीबों को बैंकिंग तक पहुंच कभी नहीं मिली

मुझे याद है कि जब जन धन योजना शुरू की गई थी, तो इसे लेकर भी काफी संशय था। कुछ लोगों ने पूछा था- क्या वाकई इतनी बड़ी संख्या में लोगों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ना संभव हो पाएगा? क्या इस प्रयास से कोई ठोस बदलाव आएगा? हां। चुनौती का पैमाना बहुत बड़ा था, लेकिन भारत के लोगों का दृढ़ संकल्प भी उतना ही बड़ा था कि वे इसे हकीकत बना सकें

जन धन योजना की सफलता के दो पहलू हैं। एक पहलू है आंकड़े:

आज 53 करोड़ से अधिक ऐसे लोगों के पास बैंक खाते हैं, जिन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि वे बैंक में प्रवेश करेंगे।

इन खातों में 2.3 लाख करोड़ रुपये से अधिक जमा राशि है।

65% से अधिक खाते ग्रामीण या अर्ध-शहरी क्षेत्रों में हैं, जिससे वित्तीय समावेशन की प्रक्रिया महानगरों से बाहर पहुंच गयी है।

लगभग 39 लाख करोड़ रुपये का डायरेक्ट ट्रांसफर हुआ है।

लेकिन, दूसरा हिस्सा प्रभावशाली आंकड़ों से कहीं आगे जाता है।

जहां तक महिला सशक्तिकरण का सवाल है, जन धन योजना बेहद परिवर्तनकारी साबित हुई है। लगभग 30 करोड़ महिलाओं को बैंकिंग प्रणाली में लाया गया है।

इसी तरह, इस योजना के लाभ और बैंक खाते के माध्यम से मिलने वाले अन्य लाभों ने करोड़ों अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग परिवारों पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। इन योजनाओं ने मध्य और नए मध्यवर्गीय परिवारों को भी लाभ पहुँचाया है। अगर जन धन योजना, मुद्रा योजना या सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ—जैसे प्रधान मंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना, प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना और अटल पेंशन योजना—न होतीं, तो इनका प्रभाव इतना बड़ा नहीं होता।

जनधन भी, JAM ट्रिनिटी - जनधन, आधार और मोबाइल का एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन गया। इस ट्रिनिटी का महत्वपूर्ण योगदान यह था कि इससे बिचौलियों और दलालों की समस्या को समाप्त किया गया, जो दशकों से सार्वजनिक लूट में फल-फूल रहे थे। यह ट्रिनिटी ही है जिसने भारत में, खास तौर पर पिछले दशक के मध्य और बाद के वर्षों में, एक शानदार डिजिटल भुगतान क्रांति सुनिश्चित की। वही तत्व जो जनधन जैसी योजना की प्रासंगिकता पर संदेह करते थे, वे फिर से हमारे जैसे देश में डिजिटल भुगतान की आवश्यकता का मज़ाक उड़ा रहे थे।लेकिन, एक बार फिर, उन्होंने हमारे लोगों के सामूहिक संकल्प को कम करके आंका। भारत की डिजिटल भुगतान की सफलता की कहानी दुनिया भर में प्रसिद्ध है। दुनिया में 40% से अधिक रियल टाइम डिजिटल भुगतान भारत में होते हैं!

बैंक खाते ने सरकार की लगभग सभी प्रमुख योजनाओं में आसान और डायरेक्ट ट्रांसफर सुनिश्चित किया है, चाहे वह आयुष्मान भारत हो, किसानों के लिए पीएम-किसान हो, स्ट्रीट वेंडर्स के लिए पीएम स्वनिधि हो या दूसरी अन्य योजनाएं। मुझे 2020 और 2021 के वर्ष भी याद आ रहे हैं, जब COVID-19 महामारी अपने चरम पर थी। अगर बैंकिंग समावेशन नहीं होता, तो सब्सिडी इच्छित लाभार्थियों तक नहीं पहुँच पाती।

इस योजना से लाभान्वित होने वाले लोगों की जीवन यात्रा बहुत ही मार्मिक और प्रेरणादायक है। प्रधानमंत्री जन धन योजना सम्मान, सशक्तिकरण और राष्ट्र के आर्थिक जीवन में भागीदारी के अवसर का प्रतीक है। इस योजना द्वारा रखी गई नींव मजबूत है, लेकिन हमें और भी अधिक काम करना है! हम विकसित भारत के निर्माण के लिए इस सफलता पर काम करना जारी रखेंगे।

आज, इस योजना के प्रत्येक लाभार्थी को बधाई देने और उन अनगिनत बैंकिंग कर्मचारियों के प्रयासों की सराहना करने का भी अवसर है, जिन्होंने वित्तीय समावेशन को अपना मिशन बनाया और अपने साथी भारतीयों के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित किया!

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रण उत्सव: एक अद्भुत अनुभव
December 21, 2024

सफेद रण बुला रहा है!

एक अविस्मरणीय अनुभव आपका इंतजार कर रहा है!

आइए, संस्कृति, इतिहास और लुभावनी सुंदरता के अनूठे मिश्रण में खो जाइए!

भारत के पश्चिमी छोर पर स्थित कच्छ, एक मनमोहक स्थान है और समृद्ध विरासत का प्रतीक है। कच्छ में प्रसिद्ध सफेद रण है, जो एक विशाल नमक का रेगिस्तान है और चाँदनी में चमकता है, जिससे अलौकिक अनुभव मिलता है। यह अपनी समृद्ध कला और शिल्प के लिए भी समान रूप से प्रसिद्ध है।

और, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह सबसे अधिक मेहमाननवाज़ लोगों का घर है, जो अपनी जड़ों पर गर्व करते हैं और दुनिया के साथ जुड़ने के लिए उत्सुक हैं।

प्रत्येक वर्ष, कच्छ के स्नेही लोग प्रतिष्ठित रण उत्सव के लिए अपने दरवाजे खोलते हैं - जो इस क्षेत्र की विशिष्टता, लुभावनी सुंदरता और चिरस्थायी भावना का चार महीने तक चलने वाला जीवंत उत्सव है।

इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आप सभी डायनमिक, मेहनती पेशेवरों और आपके परिवारों को कच्छ आने और रण उत्सव का आनंद लेने के लिए अपना व्यक्तिगत निमंत्रण दे रहा हूँ। इस वर्ष का रण उत्सव, जो 1 दिसंबर 2024 को शुरू हुआ है, 28 फरवरी 2025 तक चलेगा, जिसमें रण उत्सव में टेंट सिटी मार्च 2025 तक खुली रहेगी।

मैं आप सभी को आश्वस्त करता हूँ कि रण उत्सव एक यादगार अनुभव होगा।

टेंट सिटी, सफेद रण की खूबसूरत पृष्ठभूमि में आरामदायक ठहरने की सुविधा प्रदान करती है। जो लोग रिलैक्स करना चाहते हैं, उनके लिए यह सही जगह है।

और, जो लोग इतिहास और संस्कृति के नए पहलुओं की खोज करना चाहते हैं, उनके लिए भी यहाँ बहुत कुछ करने को है। रण उत्सव की गतिविधियों के अलावा, आप ये भी कर सकते हैं:

UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट (सिंधु घाटी सभ्यता से संबंधित) धोलावीरा की यात्रा के साथ अपने प्राचीन अतीत से जुड़ें।

विजय विलास पैलेस, काला डूंगर घूम कर प्रकृति से जुड़ें।

सफेद नमक के मैदानों से घिरी ‘रोड टू हेवन’ भारत की सबसे खूबसूरत सड़क है। यह लगभग 30 किलोमीटर लंबी है और खावड़ा को धोलावीरा से जोड़ती है।

लखपत किला देखकर हमारी गौरवशाली संस्कृति से जुड़ें।

माता नो मढ़ आशापुरा मंदिर में प्रार्थना करके अपनी आध्यात्मिक जड़ों से जुड़ें।

श्यामजी कृष्ण वर्मा स्मारक, क्रांति तीर्थ पर श्रद्धांजलि अर्पित करके हमारे स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ें।

और, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप कच्छी हस्तशिल्प की विशेष दुनिया में जा सकते हैं, जहां प्रत्येक उत्पाद अनूठा है और कच्छ के लोगों की प्रतिभा का प्रतीक है।

कुछ समय पहले, मुझे स्मृति वन का उद्घाटन करने का अवसर मिला; 26 जनवरी 2001 के भूकंप में हम जिन लोगों को खो चुके हैं, यह उनकी याद में एक स्मारक है। यह आधिकारिक तौर पर दुनिया का सबसे खूबसूरत म्यूजियम है, जिसने UNESCO में प्रिक्स वर्सेल्स 2024 वर्ल्ड टाइटल - इंटीरियर्स जीता है! यह भारत का एकमात्र म्यूजियम भी है जिसने यह उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। यह इस बात की याद दिलाता है कि कैसे ह्यूमन स्पिरिट सबसे चुनौतीपूर्ण वातावरण में भी अनुकूलन, पनपने और बढ़ने में सक्षम है।

तब और अब, एक तुलनात्मक झलक:

करीब बीस साल पहले, अगर आपको कच्छ में आमंत्रित किया जाता, तो आपको लगता कि कोई आपके साथ मज़ाक कर रहा है। आखिरकार, भारत के सबसे बड़े जिलों में से एक होने के बावजूद, कच्छ को बड़े पैमाने पर नजरअंदाज किया गया और उसके हाल पर छोड़ दिया गया। कच्छ की एक तरफ रेगिस्तान है और दूसरी तरफ पाकिस्तान।

कच्छ ने 1999 में सुपरसाइक्लोन और 2001 में भीषण भूकंप देखा। सूखे की समस्या लगातार बनी रही।

सभी ने कच्छ का खत्म मान लिया था।

लेकिन उन्हें कच्छ के लोगों के दृढ़ संकल्प का अनुमान नहीं था।

कच्छ के लोगों ने दिखा दिया कि वे किस मिट्टी के बने हैं, और 21वीं सदी की शुरुआत में उन्होंने एक ऐसा बदलाव शुरू किया जो इतिहास में अद्वितीय है।

हमने मिलकर कच्छ के सर्वांगीण विकास पर काम किया। हमने आपदाओं से निपटने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया और साथ ही, हमने आजीविका के ऐसे साधनों के निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित किया जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि कच्छ के युवाओं को काम की तलाश में अपने घरों से बाहर न जाना पड़े।

21वीं सदी के पहले दशक के अंत तक, लगातार सूखे के लिए जानी जाने वाली भूमि; खेतीबाड़ी के लिए जानी जाने लगी। आम सहित कच्छ के फल विदेशी बाजारों में पहुँच गए। कच्छ के किसानों ने ड्रिप सिंचाई और अन्य तकनीकों में महारत हासिल कर ली, जिससे पानी की हर बूंद की बचत हुई और साथ ही अधिकतम उत्पादकता भी सुनिश्चित हुई।

गुजरात सरकार के इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट पर जोर ने जिले में निवेश सुनिश्चित किया। हमने कच्छ के समुद्रतट का भी उपयोग किया, ताकि इस क्षेत्र को समुद्री व्यापार केंद्र के रूप में फिर से महत्वपूर्ण बनाया जा सके।

वर्ष 2005 में कच्छ की छुपी हुई पर्यटन क्षमता का लाभ उठाने के लिए रण उत्सव की शुरुआत की गई। यह अब एक जीवंत पर्यटन केंद्र बन गया है। रण उत्सव को कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं।

धोरडो गाँव, जो हर साल रण उत्सव का आयोजन करता है, को यूनाइटेड नेशंस वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गेनाइजेशन (UNWTO) द्वारा 2023 का बेस्ट टूरिज्म विलेज चुना गया। यह गाँव अपनी सांस्कृतिक धरोहर, टिकाऊ पर्यटन और ग्रामीण विकास के लिए जाना जाता है।

इसलिए, मुझे उम्मीद है कि जल्द ही मैं आपसे कच्छ में मिलूंगा! अपने अनुभव सोशल मीडिया पर भी साझा करें, ताकि दूसरों को भी कच्छ आने के लिए प्रेरित किया जा सके।

मैं इस अवसर पर आपको 2025 की शुभकामनाएं देता हूं और आशा करता हूं कि आने वाला वर्ष आपके और आपके परिवारों के लिए सफलता, समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य लेकर आए!