सद्भावना की शक्ति ने बैरभाव और वादविवाद को जड़ से उखाड़ा : मुख्यमंत्री

4000 वनवासियों ने किया उपवास का तप

डांग जिले में 575 करोड़ के विकास कार्यों की घोषणा

अहमदाबाद, मंगलवार: मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को डांग जिले के वनवासियों के बीच आह्वा में सद्भावना मिशन के अंतर्गत जिला अभियान के उपवास तप का दसवां पड़ाव संपन्न करते हुए कहा कि, सद्भावना मिशन की शक्ति ने भूतकाल में कांग्रेस की ओर से रोपे गए बैरभाव और वादविवाद को जड़ से उखाड़ दिया है। उन्होंने कहा कि हमें सद्भावना की शक्ति को और भी ताकतवर बनाना है, राजनीतिक दांवपेच में समय बर्बाद नहीं करना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि, गुजरात की जनता का धन केन्द्र की तिजोरी में रखा है, जिस पर कोई भी अपना दावा नहीं कर सकता। यदि केन्द्र की कांग्रेस सल्तनत गुजरात को बदनाम करने के लिए इन पैसों पर अपना हक जताती है तो वह समझ ले कि यह पैसा तो जनता का पैसा है। गुजरात ने भारत के विकास के लिए बहुत कुछ दिया है।

समग्र गुजरात के 26 जिलों और 7 महानगरों सहित कुल 33 उपवास की तपस्या के जरिए सद्भावना मिशन का अभियान चला रहे श्री मोदी ने मंगलवार को आह्वा-डांग में सद्भावना मिशन की शक्ति का दर्शन किया। दिन के दौरान मुख्यमंत्री से मिलकर उन्हें शुभकामना देने के लिए हजारों वनवासी परिवारों का सैलाब उमड़ पड़ा था। डांग जिले के गांव-गांव से स्वैच्छिक उपवास के लिए पहुंचे करीब 4000 वनवासियों ने तप किया। इस मौके पर पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र से भी सैकड़ों परिवार वनबंधु के विकास में अग्रसर गुजरात में सद्भावना के रंग में रंगकर इस अभियान से जुड़े। वनवासी परिवारों की नारी-मातृ शक्ति ने श्री मोदी को परंपरागत पोषाक की संस्कृति में मिलकर शुभकामनाएं दी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि, एक ही तहसील वाले गुजरात के सबसे छोटे और वनवासी जिले डांग में विराट मानवशक्ति का उमडऩा यह साबित करता है कि विकास का मंत्र अब घर-घर का विषय बन गया है। उन्होंने कहा कि, पिछले दस वर्षों में सद्भावना और एकता ने गुजरात में विकास को ऐसी गति दी है कि अब आम आदमी भी विकास के विषय में ही विचार करने लगा है। उन्होंने कहा कि छह करोड़ गुजरातियों का परिवार ही मेरा कुटुंब है। उन्होंने गुजरात को बदनाम करने वालों को चेतावनी देते हुए कहा कि वे अच्छी तरह यह जान लें कि सद्भावना ही गुजरात की रग-रग में समायी हुई है।

श्री मोदी ने कहा कि दिल्ली के शासकों की वोट बैंक की राजनीति ने हिन्दुस्तान के कोने-कोने में निराशा का माहौल बना दिया है, लेकिन गुजरात ने विकास की मंजिल तय कर देश को हताशा के माहौल से बाहर निकलने का विश्वास दिलाया है। उन्होंने कहा कि गुजरात यानी विकास और विकास यानी गुजरात के सूत्र की सफलता के पीछे सद्भावना, एकता, भाईचारा और शांति की शक्ति है

मुख्यमंत्री ने कहा कि अन्य राज्यों की तरह हम विकास के लिए व्याकुल नहीं है क्योंकि हमने एकता की ताकत को विकास में पिरोया है। सांप्रदायिक उन्माद और जातिवाद का जहर फैलाकर जिन्होंने हिन्दुस्तान के विकास को अवरोधित किया है उन्हें गुजरात ने समाज की एकता के जरिए माकूल जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि इस सद्भावना की शक्ति को हमें और भी सामथ्र्यवान बनाना है। राजनीतिक दांवपेच में समय बर्बाद नहीं करना है। सबका साथ-सबका विकास ही हमारी सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति है। श्री मोदी ने बताया कि, किस तरह आजादी के बाद की सरकारों ने 40-40 वर्षों तक आदिवासियों को सहायता के टुकड़े डालकर उन्हें देनदारी के बोझ तले दबा दिया है। समाज जीवन को तहस-नहस करने में इन शासकों ने कुछ भी बाकि नहीं रखा। जबकि इस सरकार ने आदिवासी और गरीब के हक की पाई-पाई हाथों-हाथ दी है। उन्होंने कहा कि, लाखों आदिवासी बहनों को सखी मंडलों से जोडक़र आर्थिक प्रवृत्तियों के जरिए उनकी आय सुनिश्चित की है।

आदिवासी बच्चों को उच्च शिक्षा प्रदान कर डॉक्टर, इंजीनियर बनने का अवसर उपलब्ध कराया है। उन्होंने कहा कि 2001 में आदिवासी तहसीलों में विज्ञान संकाय की स्कूल ही नहीं थी। हमनें दस वर्ष में सभी तहसीलों में विज्ञान संकाय की स्कूलें शुरू की हैं। डांग में बही विकास कार्यों की गंगा : सद्भावना मिशन का जन कल्याणकारी समापन करते हुए मुख्यमंत्री श्री मोदी ने वनाच्छादित डांग जिले के विकास और आदिवासियों के कल्याण के लिए 575 करोड़ रुपये के विकास कार्यों की घोषणा की। उन्होंने कहा कि डांग जिले का विकास मेरा सपना है। श्री मोदी ने कहा कि, भूतकाल के विकास कार्यों की कुल जमा रकम से दस गुनी ज्यादा राशि एक ही दिन में घोषित की है। टुकड़ों में नहीं बल्कि सर्वांगी विकास ही हमारा लक्ष्य है।

मुख्यमंत्री की ओर से घोषित किए गए विकास कार्यों के तहत जंगल इलाके के पुराने मार्गों का 185 करोड़ के खर्च से नवीनीकरण, आह्वा सहित तीन जगहों पर 32 करोड़ के खर्च से जलापूर्ति योजनाएं, शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए 100 करोड़ के खर्च से पुरानी आश्रम स्कूलों का एकलव्य मॉडल निवासी स्कूलों में रूपान्तरण, 11 करोड़ के खर्च से माध्यमिक स्कूलों के भवनों का निर्माण, डांग के दंडकारण्य को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित करने के लिए 30 करोड़ और सापुतारा पर्वतीय केन्द्र के पर्यटन में नए आकर्षणों का समावेश करने के लिए 77 करोड़, सरोवर के जरिए पर्यटन विकास के लिए 11 करोड़, 450 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई के लिए 5 करोड़ के खर्च से 7 नये चेकडैम, गौण वन उत्पाद द्वारा और मिशन मंगलम् के तहत सखी मंडलों की आर्थिक प्रवृत्ति के लिए 14 करोड़ और 14 नई लिफ्ट इरिगेशन योजनाओं के जरिए सिंचाई की सुविधाओं में बढ़ोतरी के लिए 4 करोड़ रुपये के कार्य शामिल हैं। डांग के सद्भावना मिशन को सफल और असरदार बनाने के लिए उन्होंने नागरिकों और जिला प्रशासन को अभिनंदन दिया।

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November 22, 2024

गुटेन आबेन्ड

स्टटगार्ड की न्यूज 9 ग्लोबल समिट में आए सभी साथियों को मेरा नमस्कार!

मिनिस्टर विन्फ़्रीड, कैबिनेट में मेरे सहयोगी ज्योतिरादित्य सिंधिया और इस समिट में शामिल हो रहे देवियों और सज्जनों!

Indo-German Partnership में आज एक नया अध्याय जुड़ रहा है। भारत के टीवी-9 ने फ़ाउ एफ बे Stuttgart, और BADEN-WÜRTTEMBERG के साथ जर्मनी में ये समिट आयोजित की है। मुझे खुशी है कि भारत का एक मीडिया समूह आज के इनफार्मेशन युग में जर्मनी और जर्मन लोगों के साथ कनेक्ट करने का प्रयास कर रहा है। इससे भारत के लोगों को भी जर्मनी और जर्मनी के लोगों को समझने का एक प्लेटफार्म मिलेगा। मुझे इस बात की भी खुशी है की न्यूज़-9 इंग्लिश न्यूज़ चैनल भी लॉन्च किया जा रहा है।

साथियों,

इस समिट की थीम India-Germany: A Roadmap for Sustainable Growth है। और ये थीम भी दोनों ही देशों की Responsible Partnership की प्रतीक है। बीते दो दिनों में आप सभी ने Economic Issues के साथ-साथ Sports और Entertainment से जुड़े मुद्दों पर भी बहुत सकारात्मक बातचीत की है।

साथियों,

यूरोप…Geo Political Relations और Trade and Investment…दोनों के लिहाज से भारत के लिए एक Important Strategic Region है। और Germany हमारे Most Important Partners में से एक है। 2024 में Indo-German Strategic Partnership के 25 साल पूरे हुए हैं। और ये वर्ष, इस पार्टनरशिप के लिए ऐतिहासिक है, विशेष रहा है। पिछले महीने ही चांसलर शोल्ज़ अपनी तीसरी भारत यात्रा पर थे। 12 वर्षों बाद दिल्ली में Asia-Pacific Conference of the German Businesses का आयोजन हुआ। इसमें जर्मनी ने फोकस ऑन इंडिया डॉक्यूमेंट रिलीज़ किया। यही नहीं, स्किल्ड लेबर स्ट्रेटेजी फॉर इंडिया उसे भी रिलीज़ किया गया। जर्मनी द्वारा निकाली गई ये पहली कंट्री स्पेसिफिक स्ट्रेटेजी है।

साथियों,

भारत-जर्मनी Strategic Partnership को भले ही 25 वर्ष हुए हों, लेकिन हमारा आत्मीय रिश्ता शताब्दियों पुराना है। यूरोप की पहली Sanskrit Grammer ये Books को बनाने वाले शख्स एक जर्मन थे। दो German Merchants के कारण जर्मनी यूरोप का पहला ऐसा देश बना, जहां तमिल और तेलुगू में किताबें छपीं। आज जर्मनी में करीब 3 लाख भारतीय लोग रहते हैं। भारत के 50 हजार छात्र German Universities में पढ़ते हैं, और ये यहां पढ़ने वाले Foreign Students का सबसे बड़ा समूह भी है। भारत-जर्मनी रिश्तों का एक और पहलू भारत में नजर आता है। आज भारत में 1800 से ज्यादा जर्मन कंपनियां काम कर रही हैं। इन कंपनियों ने पिछले 3-4 साल में 15 बिलियन डॉलर का निवेश भी किया है। दोनों देशों के बीच आज करीब 34 बिलियन डॉलर्स का Bilateral Trade होता है। मुझे विश्वास है, आने वाले सालों में ये ट्रेड औऱ भी ज्यादा बढ़ेगा। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि बीते कुछ सालों में भारत और जर्मनी की आपसी Partnership लगातार सशक्त हुई है।

साथियों,

आज भारत दुनिया की fastest-growing large economy है। दुनिया का हर देश, विकास के लिए भारत के साथ साझेदारी करना चाहता है। जर्मनी का Focus on India डॉक्यूमेंट भी इसका बहुत बड़ा उदाहरण है। इस डॉक्यूमेंट से पता चलता है कि कैसे आज पूरी दुनिया भारत की Strategic Importance को Acknowledge कर रही है। दुनिया की सोच में आए इस परिवर्तन के पीछे भारत में पिछले 10 साल से चल रहे Reform, Perform, Transform के मंत्र की बड़ी भूमिका रही है। भारत ने हर क्षेत्र, हर सेक्टर में नई पॉलिसीज बनाईं। 21वीं सदी में तेज ग्रोथ के लिए खुद को तैयार किया। हमने रेड टेप खत्म करके Ease of Doing Business में सुधार किया। भारत ने तीस हजार से ज्यादा कॉम्प्लायेंस खत्म किए, भारत ने बैंकों को मजबूत किया, ताकि विकास के लिए Timely और Affordable Capital मिल जाए। हमने जीएसटी की Efficient व्यवस्था लाकर Complicated Tax System को बदला, सरल किया। हमने देश में Progressive और Stable Policy Making Environment बनाया, ताकि हमारे बिजनेस आगे बढ़ सकें। आज भारत में एक ऐसी मजबूत नींव तैयार हुई है, जिस पर विकसित भारत की भव्य इमारत का निर्माण होगा। और जर्मनी इसमें भारत का एक भरोसेमंद पार्टनर रहेगा।

साथियों,

जर्मनी की विकास यात्रा में मैन्यूफैक्चरिंग औऱ इंजीनियरिंग का बहुत महत्व रहा है। भारत भी आज दुनिया का बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने की तरफ आगे बढ़ रहा है। Make in India से जुड़ने वाले Manufacturers को भारत आज production-linked incentives देता है। और मुझे आपको ये बताते हुए खुशी है कि हमारे Manufacturing Landscape में एक बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है। आज मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग में भारत दुनिया के अग्रणी देशों में से एक है। आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा टू-व्हीलर मैन्युफैक्चरर है। दूसरा सबसे बड़ा स्टील एंड सीमेंट मैन्युफैक्चरर है, और चौथा सबसे बड़ा फोर व्हीलर मैन्युफैक्चरर है। भारत की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री भी बहुत जल्द दुनिया में अपना परचम लहराने वाली है। ये इसलिए हुआ, क्योंकि बीते कुछ सालों में हमारी सरकार ने Infrastructure Improvement, Logistics Cost Reduction, Ease of Doing Business और Stable Governance के लिए लगातार पॉलिसीज बनाई हैं, नए निर्णय लिए हैं। किसी भी देश के तेज विकास के लिए जरूरी है कि हम Physical, Social और Digital Infrastructure पर Investment बढ़ाएं। भारत में इन तीनों Fronts पर Infrastructure Creation का काम बहुत तेजी से हो रहा है। Digital Technology पर हमारे Investment और Innovation का प्रभाव आज दुनिया देख रही है। भारत दुनिया के सबसे अनोखे Digital Public Infrastructure वाला देश है।

साथियों,

आज भारत में बहुत सारी German Companies हैं। मैं इन कंपनियों को निवेश और बढ़ाने के लिए आमंत्रित करता हूं। बहुत सारी जर्मन कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने अब तक भारत में अपना बेस नहीं बनाया है। मैं उन्हें भी भारत आने का आमंत्रण देता हूं। और जैसा कि मैंने दिल्ली की Asia Pacific Conference of German companies में भी कहा था, भारत की प्रगति के साथ जुड़ने का- यही समय है, सही समय है। India का Dynamism..Germany के Precision से मिले...Germany की Engineering, India की Innovation से जुड़े, ये हम सभी का प्रयास होना चाहिए। दुनिया की एक Ancient Civilization के रूप में हमने हमेशा से विश्व भर से आए लोगों का स्वागत किया है, उन्हें अपने देश का हिस्सा बनाया है। मैं आपको दुनिया के समृद्ध भविष्य के निर्माण में सहयोगी बनने के लिए आमंत्रित करता हूँ।

Thank you.

दान्के !