2024 के चुनावों ने भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भारतीय राजनीतिक इतिहास में जगह पक्की कर दी है। बीजेपी को 240 सीटें और उसके सहयोगियों को 49 सीटें मिलने के साथ, मोदी का लगातार तीसरा कार्यकाल सिर्फ़ एक जनादेश नहीं है, बल्कि एक आंदोलन का उदाहरण है; विकास के लिए एक आंदोलन, भारत के उत्थान के लिए एक आंदोलन। यह जीत बीजेपी के गवर्नेंस मॉडल और पीएम मोदी द्वारा जनता के साथ बनाए गए स्थायी जुड़ाव का प्रमाण है, यह विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों में बीजेपी और एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) की उल्लेखनीय सफलता है जिसने 2024 के बाद पीएम मोदी के प्रभाव को कम करने की कांग्रेस की कोशिशों को ध्वस्त कर दिया है।
निर्णायक मोड़: 2014 में मोदी का उदय
2014 के लोकसभा चुनावों ने बीजेपी को विपक्ष से सत्ता में प्रमुख पार्टी बनने की दिशा में अग्रसर किया। श्री मोदी के नेतृत्व ने भाजपा को एक सुसंगत और निरंतर अभिनव राजनीतिक शक्ति में बदल दिया। सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास के उनके मंत्र ने मतदाताओं को समावेशी विकास का दर्शन दिया। वास्तव में, भारतीय गणतंत्र के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि किसी नेता ने न केवल अपनी पार्टी को लगातार तीन बार जीत दिलाई, बल्कि ऐसा करते हुए हर चुनाव में वोटों में वृद्धि की। 2014 में 17 करोड़ से अधिक वोटों से, पार्टी 2019 में लगभग 23 करोड़ और 2024 में ऐतिहासिक 23.5 करोड़ तक पहुंच गई। जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली कांग्रेस से तुलना करें तो उनके लगातार चुनाव के बाद कांग्रेस के वोटों में 60 लाख से अधिक की गिरावट आई। यह वृद्धि एक ऐसे नेता के प्रभाव को रेखांकित करती है जिसने न केवल देश को प्रेरित किया है बल्कि उसमें जोश भरा है।
ग्रामीण भारत के हृदयस्थल से लेकर शहरी केंद्रों तक, प्रधानमंत्री मोदी का 2047 तक विकसित भारत बनाने का विजन, जब भारत अंग्रेजों से अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी मनाएगा, हर जगह गूंज रहा है। छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में, भाजपा सभी सीटें जीतने में सफल रही, और ओडिशा, गुजरात और छत्तीसगढ़ में, भाजपा केवल एक सीट से 100% के आंकड़े से चूक गई।
कांग्रेस को यह याद रखना उचित होगा कि 2014, 2019 और 2024 में उसने जो कुल सीटें जीतीं, वे 2024 में बीजेपी द्वारा जीती गई सीटों की संख्या से भी कम हैं – एक ऐसा जनादेश जिसे कांग्रेस ने अपनी ‘ग्रैंड-ओल्ड' पार्टी की वापसी का प्रतीक बताया है।
एंटी-इनकंबेंसी को मात देते हुए कई राज्यों में रिकॉर्ड तोड़े
ऐसे देश में जहां एंटी-इनकंबेंसी, परंपरागत रूप से चुनावी नैरेटिव पर हावी रही है, पीएम मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने भागीदारी के नियमों को फिर से परिभाषित किया है। हरियाणा, अरुणाचल प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में सत्ता बरकरार रखने की पार्टी की क्षमता इस बदलाव का उदाहरण है। हरियाणा में, 2009 में 4 सीटों से 2024 में अभूतपूर्व 48 सीटों तक भाजपा की यात्रा दर्शाती है कि कैसे गवर्नेंस और डेवलपमेंट पर लगातार ध्यान केंद्रित करके राजनीतिक ऊब को दूर किया जा सकता है। पार्टी की अपील जाट-बहुल क्षेत्रों और शहरी केंद्रों तक फैली हुई है, जिससे हर चुनाव में इसका वोट शेयर बढ़ता जा रहा है।
इस बीच, अरुणाचल प्रदेश में, भाजपा के गवर्नेंस मॉडल ने 60 विधानसभा सीटों में से 46 सीटों के साथ जोरदार तीसरा कार्यकाल हासिल किया। वोट शेयर 54% को पार कर गया, जो इसकी जन-केंद्रित नीतियों का एक शानदार समर्थन है। महाराष्ट्र में, 288 सीटों में से 235 सीटों के साथ महायुति गठबंधन की जीत भाजपा की गठबंधन रणनीति और राज्य भर के मतदाताओं के साथ इसकी प्रतिध्वनि का प्रमाण है। शहरी गढ़ों से लेकर ग्रामीण गढ़ों तक, मोदी के नेतृत्व और गठबंधन की एकजुट दृष्टि ने मतदाताओं का भरोसा जीता।
नई जमीन पर कदम: ओडिशा और आंध्र प्रदेश
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एनडीए ने क्षेत्रीय दलों के गढ़ों में सेंध लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जैसा कि ओडिशा और आंध्र प्रदेश में उल्लेखनीय जीत से पता चलता है। ओडिशा में, भाजपा ने न केवल बीजद के 24 साल के शासन को समाप्त किया, बल्कि पहली बार सरकार भी बनाई, जिसमें 147 विधानसभा सीटों में से 78 और 21 लोकसभा सीटों में से 20 पर कब्जा किया। यह जीत जमीनी स्तर पर लामबंदी और अंतिम छोर तक विकास पर ध्यान केंद्रित करने से प्रेरित थी, जो पीएम मोदी के समावेशी प्रगति के दृष्टिकोण को दर्शाता है।
इसी तरह, आंध्र प्रदेश में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन ने 175 विधानसभा सीटों में से 164 सीटें हासिल करके शानदार जीत हासिल की। विकास संबंधी चिंताओं को दूर करने की गठबंधन की क्षमता ने पूरे राज्य के मतदाताओं को प्रभावित किया। चुनाव में महिला मतदाताओं की संख्या में उछाल देखा गया, जो नारी शक्ति वंदन अधिनियम जैसी नीतियों के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने के प्रधानमंत्री मोदी के प्रयासों का प्रतिबिंब है।
निर्णायक अंतर पैदा करने वाला मोदी का जादू
भाजपा की संगठनात्मक ताकत चुनावी सफलता में महत्वपूर्ण कारक है, लेकिन मतदाताओं के साथ प्रधानमंत्री मोदी का बेजोड़ जुड़ाव निर्णायक तत्व बना हुआ है। वादे पूरे करने वाले नेता के रूप में मोदी की छवि ट्रांसफॉर्मेटिव गवर्नेंस का पर्याय बन गई है। पीएम उज्ज्वला योजना, स्वच्छ भारत अभियान और जल जीवन मिशन जैसे कार्यक्रमों ने न केवल लोगों के जीवन में सुधार किया है, बल्कि मोदी के नेतृत्व में एक स्थायी विश्वास भी पैदा किया है।
नारी शक्ति वंदन अधिनियम, विधायिकाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण सुनिश्चित करता है, जो लैंगिक समानता के प्रति मोदी की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। 2024 में, महिला मतदाता लगभग आधे मतदाताओं का हिस्सा थीं, जो देशभर में बीजेपी के मजबूत प्रदर्शन में झलकता है। इसके अतिरिक्त, भाजपा के डबल इंजन वाले गवर्नेंस मॉडल के तहत राज्यों में - जहाँ केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर काम करती हैं - तेजी से विकास हुआ है।
भविष्य की दिशा: आधुनिक लोकतंत्र के लिए चुनावी सुधार
हमारी चुनावी प्रक्रिया केवल नेताओं को चुनने का एक साधन नहीं है, बल्कि सामूहिक निर्णय लेने का उत्सव है जो एक अरब से अधिक लोगों की आकांक्षाओं को दर्शाता है। इस प्रक्रिया की पवित्रता को बनाए रखने के लिए, यह सुनिश्चित करना अनिवार्य है कि चुनाव कुशल, पारदर्शी और समावेशी हों, जिससे राष्ट्र के लोकतांत्रिक ताने-बाने को मजबूती मिले। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा लोकतांत्रिक प्रक्रिया को मजबूत करने के दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ रही है। "एक राष्ट्र, एक चुनाव" प्रस्ताव राज्य और राष्ट्रीय चुनावों को एक साथ करने की दिशा में एक साहसिक कदम है, जिसका उद्देश्य लागत कम करना, गवर्नेंस को सुव्यवस्थित करना और व्यवधानों को कम करना है। 4.5 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित बचत के साथ, यह पहल संसाधनों के अनुकूलन और दक्षता बढ़ाने के लिए भाजपा की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
कांग्रेस, जो हमेशा EVMs में विसंगतियों का हवाला देती है, यह भूल जाती है कि बीजेपी और NDA सरकार में ही, ऑथेंटिकेशन के दूसरे स्तर VVPAT को पूरी तरह से चुनावी प्रक्रिया में शामिल किया गया था। ये सुधार उस दृष्टिकोण का प्रतीक हैं, जहां चुनावी प्रक्रियाएं केवल एक लक्ष्य प्राप्ति का साधन नहीं, बल्कि भारत की जीवंत लोकतंत्र का प्रतीक हैं।
भारत के साथ अटूट संबंध
जैसे-जैसे प्रधानमंत्री के प्रभाव के कम होते जाने के कांग्रेस के नैरेटिव भाजपा की चुनावी उपलब्धियों के बोझ तले दबते जा रहे हैं, यह स्पष्ट हो रहा है कि भारतीय राजनीति में प्रधानमंत्री मोदी का नेतृत्व बेजोड़ है।
भाजपा और एनडीए अब 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सरकार में हैं। अगर हम पिछले एक साल पर ही नज़र डालें तो एनडीए हर क्षेत्र में जीत हासिल करने में कामयाब रहा है, चाहे वह उत्तर में हरियाणा हो, पश्चिम में महाराष्ट्र हो, पूर्व में ओडिशा हो, दक्षिण में आंध्र प्रदेश हो और पूर्वोत्तर में अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम हो।
बीजेपी का पीएम मोदी के नेतृत्व में मजबूत गढ़ों को बनाए रखने से लेकर नए क्षेत्रों में प्रवेश तक का उभार; परिवर्तन, विश्वास और विजय की कहानी है। उनके मतदाताओं के साथ अडिग संबंध और विजन को एक्शन में बदलने की क्षमता यह सुनिश्चित करती है कि बीजेपी की गति हर बार, हर साल, बिना रुकावट के बनी रहे।
इसलिए, ये चुनाव न केवल श्री मोदी के नेतृत्व का प्रमाण हैं, बल्कि निष्पक्ष रूप से कहें तो, एक उज्जवल एवं अधिक समृद्ध भविष्य के लिए भारत की सामूहिक आकांक्षाओं का उत्सव हैं।