भारत-जर्मनी आर्थिक संबंध में अपार क्षमता है: प्रधानमंत्री मोदी
वैश्विक मंदी के समय में भारत निवेश के लिए एक बेहतरीन स्थान: प्रधानमंत्री मोदी
भारत व्यापार और उद्योग के लिए अनुकूल परिस्थितियों के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध: प्रधानमंत्री
हमने उद्योग और बुनियादी सुविधाओं के लिए मंजूरी प्रक्रिया को तेज़ किया है: प्रधानमंत्री
हमने संसद में जीएसटी विधेयक पेश किया है; हम 2016 में इसे लागू करने की उम्मीद कर रहे हैं: प्रधानमंत्री
हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हमारी कर व्यवस्था पारदर्शी और आशानुरूप हो: प्रधानमंत्री
पंद्रह महीनों में हमने विश्व में भारत की साख को सफलतापूर्वक मज़बूत किया है: प्रधानमंत्री मोदी
जीडीपी की विकास दर 7% से ऊपर है, एफडीआई इनफ्लो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 40% तक ज़्यादा है: प्रधानमंत्री
विश्व बैंक, आईएमएफ, ओईसीडी ने आने वाले वर्षों में तेज़ी से विकास की भविष्यवाणी की, मूडीज ने भारत की रेटिंग सकारात्मक बताई है: मोदी
निवेश लाने के भारत की अपनी यूएनसीटीएडी रैंकिंग में सुधार, भारत अब 9वें पायदान पर: प्रधानमंत्री
भारत सभी नवीन अन्वेषकों और उद्यमियों के बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध: प्रधानमंत्री
भारत एक ऐसे मुकाम पर है जहाँ प्रौद्योगिकी हमारे 1.25 अरब नागरिकों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए विकसित की जा रही है: प्रधानमंत्री

महामहिम डॉ. एंजेला मर्केल!

बेंगलुरु में आपका साथ पाकर मुझे अत्‍यधिक प्रसन्‍नता हो रही है। इस भारत-जर्मनी सम्‍मेलन में आपका स्‍वागत है। मैं अप्रैल में हनोवर शहर और हनोवर मैसे की अपनी यात्रा को सप्रेम याद कर रहा हूं।

15 राज्‍यों, अनेक सीईओ और भारत से सैंकड़ों कंपनियों ने इसमें हिस्‍सा लिया था। हनोवर मैसे का अनुभव हमारी परिकल्‍पना और निर्माण की रणनीति को आकार देने में एक लंबा रास्‍ता तय करेगा। यह इस समय विशेष रूप से महत्‍वपूर्ण है क्‍योंकि हम भारत को वैश्विक निर्माण केंद्र बनाने के मार्ग पर अग्रसर हैं।

डॉ. मर्केल एवं मित्रों!

भारत और जर्मनी की आर्थिक साझेदारी में असीम संभावनाएं हैं। भारत में निवेश करने वाले देशों में जर्मनी 7वें पायदान पर है। भारत में पहले से ही करीब 600 भारत-जर्मन संयुक्‍त उपक्रम चल रहे हैं। हालांकि, अभी तक हमारी आर्थिक साझेदारी हमारी पूरी क्षमता से नीचे है। हम विशेषकर उन क्षेत्रों में विकास करना चाहते हैं, जहां जर्मनी मजबूत है। हम इसके लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाने की खातिर कड़ी मेहनत कर रहे हैं।

मित्रों ! वैश्विक मंदी के समय में, भारत निवेश के लिए संभावनाओं वाले क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करता है। हम भाग्यशाली हैं कि हम सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। वैश्विक आर्थिक गतिविधियों पर जारी हाल के डाटा में इस बात की पुष्टि हुई है। हालांकि, हम संतुष्ट होकर नहीं बैठ सकते। हम इन विश्लेषणों को वास्‍तवकिता में बदलने की खातिर हरसंभव प्रयास करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

एक बहुत ही खुली और वैश्विक सोच के साथ, हमने भारत को व्यापार करने की एक आसान जगह बनाने के लिए पिछले पंद्रह महीने में आक्रामक तरीके से काम किया है। हम व्यापार और उद्योग के लिए अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण करने को प्रतिबद्ध हैं क्योंकि हम मानते हैं कि ये आम भारतीय नागरिकों के जीवन में सुधार लाने के लिए आवश्यक है।

विश्व बैंक समूह की मदद से किए गए एक ताजा अध्ययन से कारोबार के लिए सुगम माहौल बनाने की हमारी राज्य सरकारों की तीव्र इच्छा प्रदर्शित हुई है। वे सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद की सच्ची भावना के साथ इस दिशा में संघीय सरकार के साथ-साथ आगे बढ़ रही हैं। वास्तव में राज्य सरकारें अब एक स्वस्थ स्पर्धा के दौर में प्रवेश कर रही हैं। वे यह सुनिश्चित करना चाहती हैं कि एक पारदर्शी, उम्मीद के मुताबिक और उपयोगकर्ता के अनुकूल नियामक तंत्र को जल्दी से प्रतिस्थापित किया जाए।

मित्रों ! आज भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने युवाओं को लाभकारी तरीके से रोजगार मुहैया कराना है। इस चुनौती से पार पाने के लिए हमें निर्माण क्षेत्र को तेजी से आगे बढ़ाने की जरूरत है, जो कई दशकों से भारत के सकल घरेलू उत्पाद के 16 प्रतिशत पर ठहर गया है। लघु एवं मध्यम अवधि में इसे 25 प्रतिशत के करीब पहुंचाना होगा। इसी को ध्यान में रखते हुए हमने ‘मेक इन इंडिया’ की शुरुआत की है।

इसमें कामयाबी हासिल करने के लिए हमने कारोबार के लिए सुगम माहौल बनाने के लिए विभिन्‍न उपायों के त्‍वरित क्रियान्‍वयन के अलावा उद्योग एवं बुनियादी ढांचे (इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर) से जुड़ी मंजूरी प्रक्रिया को फास्‍ट ट्रैक कर दिया है। पिछले 15 महीनों के दौरान स्‍पेक्ट्रम और महत्‍वूपर्ण प्राकृतिक संसाधनों जैसे कोयले, लौह अयस्‍क और अन्‍य खनिजों की पारदर्शी नीलामी और आवंटन से निवेशकों के लिए समान अवसर सृजित हुए हैं।

हम इस बात से अवगत हैं कि हमारे घरेलू वित्तीय संसाधन हमारी जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्‍त नहीं हैं। अत: विदेशी निवेश का प्रवाह बढ़ाने के लिए हमने एफडीआई (प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश) व्‍यवस्‍था को उदार बनाते हुए रेलवे में 100 फीसदी एफडीआई की इजाजत दे दी है और रक्षा एवं बीमा क्षेत्रों में एफडीआई सीमा बढ़ाकर 49 फीसदी कर दी है। हमने निर्माण एवं चिकित्‍सा उपकरणों के लिए भी एफडीआई नीति को बेहतर बना दिया है। हमने एफडीआई से जुड़े अनेक नीतिगत मुद्दों को तर्कसम्‍मत बना दिया है। एफपीआई और अन्‍य निवेशकों के लिए समग्र क्षेत्र वाली सीमा की अवधारणा शुरू करना भी इनमें शामिल है।

हम अत्‍या‍धुनिक भौतिक एवं सामाजिक ढांचे का निर्माण करने को उत्‍सुक हैं। हमारे वित्तीय संसाधनों के प्रबंधन में खुद के द्वारा लागू किये अनुशासन के जरिये हम बुनियादी ढांचागत क्षेत्रों के लिए और ज्‍यादा संसाधनों का आवंटन करने में समर्थ रहे हैं। इसके अलावा, हम एक भारत निवेश एवं इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर कोष बना रहे हैं। हमने अपने संसाधनों से इस कोष में 20,000 करोड़ रुपये (तकरीबन 2.7 अरब यूरो) के सालाना प्रवाह का लक्ष्‍य रखा है। हम परिसम्‍पत्ति प्रबंधन के लिए प्रोफेशनल लोगों की एक टीम बना रहे हैं।

हमने रेल, सड़क और सिंचाई क्षेत्रों से जुड़ी परियोजनाओं के लिए कर मुक्‍त इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर बांडों की व्‍यवस्‍था की तरफ भी कदम बढ़ाया है।

नियामक एवं कराधान से जुड़े ऐसे अनेक मुद्दे थे, जो विदेशी निवेशकों की भावनाओं को प्रभावित कर रहे थे। हमने लम्‍बे समय से चली आ रही निवेशकों की चिंताओं को दूर करने के लिए अनेक निर्णायक कदम उठाये हैं।

इनमें से कुछ उदाहरण आपके सामने हैं:

·        हमने सुरक्षा एवं पर्यावरण क्‍लीयरेंस समेत नियामकीय मंजूरी में तेजी सुनिश्चित की है।

·        हमने समस्‍त क्षेत्रों में औद्योगिक लाइसेंसों की वैधता अवधि बढ़ा दी है।

·        हमने अनेक रक्षा वस्‍तुओं को लाइसेंस मुक्‍त कर दिया है और अंतिम उपयोग प्रमाण-पत्र जैसी अनेक पाबंदियों में ढील दे दी है।

·        हमने रक्षा से जुड़े औद्योगिक लाइसेंसों की वैधता अवधि को 3 साल से बढा़कर 18 साल तक कर दिया है।

·        हमने यह स्‍पष्‍ट कर दिया है कि हम पिछली तारीख से कर नहीं लगायेंगे और एफपीआई पर न्‍यूनतम वैकल्पिक कर लगाने की तरफ अपने कदम नहीं बढ़ाकर अपनी इस प्रतिबद्धता की पुष्टि कर दी है।

·        हमने वैकल्पिक निवेश फंडों से जुड़े नियमों को अधिसूचित कर इस तरह के फंडों में विदेशी निवेश की इजाजत दे दी है।

·        हमने अचल संपत्ति निवेश ट्रस्‍टों के लिए पूंजीगत लाभ से जुड़ी कर व्‍यवस्‍था को तर्कसंगत बना दिया है।

·        हमने स्‍थायी प्रतिष्‍ठानों से जुड़े मानकों को संशोधित कर दिया है।

·        हमने जनरल एंटी-अवॉयडेंस रूल्स के क्रियान्‍वयन को दो साल टालने का भी निर्णय लिया है।

·        हमने संसद में जीएसटी विधेयक पेश किया है; हम वर्ष 2016 में इसके लागू होने की आशा कर रहे हैं।

·        हम नई दिवालियापन संहिता पर काम कर रहे हैं; कंपनी कानून ‍ट्रि‍ब्‍यूनल का जल्‍द ही गठन किया जाना है।

हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हमारी कर व्‍यवस्‍था पारदर्शी और पूर्वानुमान के मुताबिक हो। हम इस बात को लेकर भी काफी गंभीर हैं कि वास्‍तविक निवेशकों और ईमानदार करदाताओं को कर मामलों में त्‍वरित एवं निष्‍पक्ष निर्णय सुलभ हो।

हमारे विभिन्‍न कदमों के परिणामस्‍वरूप निजी निवेश से जुड़ी धारणाओं के साथ-साथ विदेशी निवेश का प्रवाह सकारात्‍मक हो गया है। हमारी जीडीपी वृद्धि दर 7 फीसदी से भी ज्‍यादा है पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले एफडीआई के प्रवाह में 40 फीसदी का इजाफा हुआ है।

विश्‍व बैंक, आईएमएफ और ओईसीडी समेत अनेक अंतर्राष्‍ट्रीय वित्तीय संस्‍थान तो आने वाले वर्षों में इससे भी ज्‍यादा जीडीपी वृद्धि दर रहने की उम्‍मीद जता रहे हैं। मूडीज ने भारत की रेटिंग को बढ़ाकर सकारात्‍मक कर दिया है।

भारत निवेश आकर्षित करने के मामले में अपनी अंकटाड रैंकिंग को बेहतर करने में कामयाब रहा है। भारत पहले इसमें 15वें पायदान पर था, जबकि अब वह 9वें स्‍थान पर है। यही नहीं, भारत लगातार पांच वर्षों तक गिरावट का रुख दर्शाने के बाद विश्‍व आर्थिक फोरम के वैश्विक प्रतिस्‍पर्धा सूचकांक में भी 16 पायदान ऊपर चढ़ने में कामयाब रहा है। इसी तरह वर्ष 2015 की प्रथम छमाही में नये निवेश के लिहाज से शीर्ष वैश्विक स्‍थलों की रैंकिंग में भारत को पहला स्‍थान प्राप्‍त हुआ है। अमेरिका की पत्रिका ‘फॉरेन पॉलिसी’ ने एफडीआई के लिहाज से सर्वाधिक आकर्षक देशों की सूची में भारत को सबसे ऊपर रखा है।

इस तरह महज 15 महीनों में ही हमने वैश्विक खिलाडि़यों की नजरों में भारत की विश्‍वसनीयता सफलतापूर्वक बहाल कर दी है।

मैंने सदा ही यह कहा है कि बिजनेस करना सरकार का काम नहीं है। यही कारण है कि हम या तो पीपीपी के जरिये या किसी और तरह से उन क्षेत्रों में निजी निवेश को बढ़ावा दे रहे हैं, जहां पहले केवल सरकार ही निवेश किया करती थी। हम सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों में अपनी हिस्‍सेदारी भी बेच रहे हैं, ताकि बाजार में अनुशासन कायम किया जा सके।

मित्रों, मैं इस बात को लेकर आपको आश्‍वस्‍त करना चाहता हूं कि भारत समस्‍त अन्वेषकों और उद्यमियों के बौद्धिक संपदा अधिकारों के संरक्षण के प्रति कटिबद्ध है। हमने आईपी (बौद्धिक संपदा) के संचालन में पारदर्शिता और ऑनलाइन प्रोसेसिंग के लिए अनेक कदम उठाये हैं। एक व्‍यापक राष्‍ट्रीय आईपीआर नीति को अंतिम रूप दिया जा रहा है। पिछले सप्‍ताह मैंने खुद ही इस स्थिति का जायजा लिया था। मैं यह कह सकता हूं कि यह एक प्रगतिशील नीति होगी।

मित्रों! हम अपने सपनों को साकार करने के लिए आपकी सक्रिय भागीदारी चाहते हैं। इस लक्ष्‍य को पाने के लिए हमारे द्वारा त्‍वरित ढंग से दर्शाई जा रही प्रतिबद्धता से जर्मन कंपनियों के लिए अनेक अवसर सृजित हुए हैं। ये अवसर पांच करोड़ घरों के निर्माण से लेकर 100 स्‍मार्ट सिटी बनाने, हमारे रेल नेटवर्क एवं स्‍टेशनों के आधुनिकीकरण से लेकर नवीन रेल कॉरिडोर की स्‍थापना और 175 जीडब्‍ल्‍यू अक्षय ऊर्जा के उत्‍पादन से लेकर पारेषण एवं वितरण नेटवर्कों, राष्‍ट्रीय राजमार्गों, पुलों और मेट्रो रेल के निर्माण के रूप में उपलब्‍ध हैं। सृजन एवं उत्‍पादन की इतनी व्‍यापक गुंजाइश किसी और देश में नहीं होगी। यही नहीं, इस धरा पर कोई और ऐसा स्‍थान नहीं है जहां इतने बड़े पैमाने पर खपत की गुंजाइश नजर आती हो।

हम डिजिटल इंडिया और कुशल भारत जैसे अभियानों के जरिये इस व्‍यापक संभावना को मूर्त रूप देने की कोशिश कर रहे हैं। इस ऊर्जा का पूर्ण रूप से दोहन करने के लिए हमने स्‍टार्ट अप इंडिया अभियान शुरू किया है।

इस यात्रा में हमारा सक्रिय भागीदार बनने के लिए मैं नेसकॉम का धन्‍यवाद करता हूं। हाल ही में, हमने सिलिकॉन वैली के पारिस्थितिकी तंत्र के साथ अपने युवाओं का तारतम्‍य स्‍थापित कर इस ऊर्जा को प्रज्वलित करने की कोशिश की है। भारत, वास्तव में, एक बड़ी आईटी क्रांति की दहलीज पर है। हम ऐसी अच्‍छी स्थिति में पहुंच गये हैं जिसमें हमारे 125 करोड़ नागरिकों की आकांक्षाओं को पूरा करने में प्रौद्योगिकी की बड़ी अहम भूमिका होगी। इन कदमों से आधुनिक प्रौद्योगिकी और मानव संसाधनों में निवेश के अतिरिक्‍त अवसर प्राप्‍त होंगे।

मित्रों! हमारा देश युवाओं का है और आने वाले अनेक वर्षों में भी यही स्थिति बरकरार रहेगी। भारत में विशाल घरेलू बाजार मौजूद है। एक दशक पहले की स्थिति के ठीक विपरीत अब भारत के प्रतिभाशाली युवा महज ज्‍यादा तनख्‍वाह वाली नौकरियों के पीछे नहीं भाग रहे हैं। इसके बजाय इन युवाओं ने अब जोखिम उठाना शुरू कर दिया है और वे उद्यमी बनने को तरजीह दे रहे हैं। हमने हाल के महीनों में स्‍टार्ट-अप की संख्‍या में जबरदस्‍त इजाफा देखा है। इनमें से कुछ स्‍टार्ट-अप ने स्‍थापित वैश्विक खिलाडि़यों को चुनौती देना शुरू कर दिया है।

अपने संबोधन के समापन में मैं इस बात को लेकर आपको आश्‍वस्‍त करता हूं कि हम आपके विचारों, नवाचार और उद्यमों का स्‍वागत करेंगे। मैंने हनोवर में कहा था और आज भी मैं फिर से यह कह रहा हूं कि हम अपनी नीतियों और प्रक्रियाओं में आवश्‍यक संशोधन करने की भी तैयारी में है। मैं यह कह सकता हूं कि भारत इससे पहले बाहरी प्रौद्योगिकी, प्रतिभाओं और निवेश को समाहित करने के लिए इस हद तक कभी भी तैयार नहीं था।

हमारा यह मानना है कि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को तेज विकास के पथ पर ले जाने के लिए समस्‍त आवश्‍यक परिस्थितियां आज मौजूद हैं। मैं बडी़ उत्‍सुकता से आपके साथ काम करने की आशा कर रहा हूं।

बेंगलूरु में यह संबोधन देते हुए मैं इस बात का अवश्‍य जिक्र करना चाहूंगा कि भारत के सॉफ्टवेयर ही पूरी दुनिया में हार्डवेयर को गति प्रदान करेंगे। भारत की प्रतिभा ही प्रौद्योगिकी में पारंगत साबित होगी और भारत के बाजार ही विनिर्माण क्षेत्र को प्रेरित करेंगे।

अत: भारत में व्‍यवसाय करना फायदे का सौदा साबित होगा। ‘मेक इन इंडिया’ के लिहाज से तो यहां व्‍यवसाय करना और भी ज्‍यादा फायदेमंद साबित होगा।

आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!