उपस्थित सभी वरिष्ठ महानुभाव,
मैं आईडीएफसी बैंक को बधाई देता हूं कि 18 साल की यात्रा कोई बहुत बड़ी नहीं होती, लेकिन 18 साल की इस छोटी सी यात्रा में भी भारत के नक्श्ो पर अपनी एक जगह बनाई है। लेकिन अब तक जो उन्होंने जगह बनाई थी वो ईंट, चूना, माटी, पत्थर, तार इसी के द्वारा बनाई थी। कभी रोड बनाएं कभी बिल्डिंग बनाएं, कभी port बनाए लेकिन अब वो जीवन निर्माण की दिशा में कदम रख रहे हैं। और मैं मानता हूं कि 18 साल में जो चुनौतियां आपको मिली हैं, अब शायद ज्यादा चुनौतियां आपके सामने हैं। क्योंकि वो एक limited clientele होता है और आपको अपनी गाड़ी को आगे बढ़ाना होता है। और कुछ चीजें उसमें assured होती हैं, पहले से पता होता है कि भई इस Project का क्या होगा, क्या refund होगा, क्या revenue होगा, बैंक की क्या स्थिति रहेगी। ये वो क्षेत्र नहीं है। और इसलिए एक इंजीनियर का काम सरल होता है, लेकिन एक शिक्षक का काम बड़ा भारी होता है क्योंकि शिक्षक को जीवन तैयार करना होता है, इंजीनियर को इमारत बनानी होती है। IDFC अब तक जो काम करती थी अब उसको शिक्षक का रोल भी अदा करना होगा और इसलिए मुझे लगता है कि आने वाले दिनों में ये चुनौतियों के बावजूद भी, एक सही दिशा में कदम होगा।
ये बैंक का मूल उद्देश्य तो गांव में जाना है और मैं मानता हूं ये देश का दुर्भाग्य है कि देश को नियम बनाना पड़ा कि 25% जब तक आप बैंक में गांव नहीं खोलते हैं आपको permission नहीं मिलेगी। मैं मानता हूं ये नियम बनाने की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए थी, लेकिन पड़ी। क्योंकि हम लोगों ने कभी भी हमारे ग्रामीण जीवन के potential को समझा नहीं और urban life, governments, government machinery, वहां पर इन कारोबार को चलाने के लिए बहुत अवसर होता है और इसलिए एक प्रकार से बैंक को चलाना, बैंक का growth continue करना ये ज्यादा challenging work नहीं है और इस तरफ ध्यान नहीं गया। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में ये ध्यान में आया है और हर किसी की नजर गई है कि भारत में ग्रामीण जीवन भी एक बहुत बड़ा growth centre बना है। आपको मालूम होगा जब telecom industry आई और उनको जब भी spectrum दिया जाता था और गांव की बात कहते थे तो आगे-पीछे, आगे-पीछे होते थे। या तो किसी को sub-contract दे देते थे और अपनी गाड़ी चला लेते थे। लेकिन जब गांव में गए तो उनके लिए surprise था कि telecom के growth का शहरी percentage से ग्रामीण percentage ज्यादा ऊंचा था। Spread भी ज्यादा था, गति भी तेज थी। और इस अर्थ में उनके लिए वो.. अच्छा! गांव के व्यक्ति का communication ज्यादातर अन्य शहरों से होता है, इसलिए Income का level भी ज्यादा था। शहर का गांव, शहर में ही शहर में करता था, लेकिन उनका Income level….लेकिन ये बातें उनको ध्यान आईं, बाद में जाने के बाद। मैं समझता हूं बैंकिग sector के लिए भी अब ये अनुभव आने वाला है। बहुत तेजी से ग्रामीण अर्थव्यवस्था भारत के जीवन को एक ताकत दे रही है। बड़ा बदलाव आ रहा है।
एक बात और भी है, जैसे अरुण जी ने बड़ा विस्तार से बताया कि अब, अब banking जीवन बदल चुका है, अब वो mobile banking ही चलने वाला है। premises-less, paper-less, ये ही बैंक की पहचान होने वाली है। न जिसमें कोई premises होगा और न ही कोई paper होगा। और उसके बाद भी बैंक चलेगी, लोगों को पैसे मिलेंगे, लोगों का कारेाबार चलेगा। और धीरे-धीरे हमारे देश में ये स्थिति आने वाली है कि currency भी, शायद आज जो currency print करने का खर्चा होता है, वो भी धीरे-धीरे-धीरे-धीरे कम होता जाएगा क्योंकि ये कारोबार इस प्रकार से बढ़ने वाला है। और हमने भी देश को उस दिशा में ले जाना है। और जैसे-जैसे हम technology के सहारे banking करेंगे, जब हम paper-less bank की व्यवस्था करेंगे, currency-less कारोबार चलाएंगे तो काले धन की संभावनाएं धीरे-धीरे-धीरे जीरो की तरफ चली जाएंगी। और इसलिए इस सारी व्यवस्था का उपयोग एक उस दायरे में होने वाला है जो देश की मूलभूत कुछ बाते हैं जिसको address करने वाला है। IDFC उसकी beginning कर रहा है। मध्यप्रदेश से उनका प्रारंभ हो रहा है, वो भी उस इलाके, जो एक प्रकार से आदिवासी क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, नर्मदा के तट के साथ जुड़े हुए हैं, वहां से इस काम का आंरभ हो रहा है। ये भी आवश्यक है।
आज सारा विश्व आर्थिक दृष्टि से भारत के प्रति एक बड़े संतोष की नजर से देख रहा है, सिर्फ आशा की नजर से नहीं, एक संतोष की नजर से। और उसको लगता है कि पूरे विश्व में इतना turmoil आ रहा है लेकिन एक भारत है जो स्थिर खड़ा रह पाया है और global economy में भी किसी राष्ट्र का स्थिर economy को handle करना ये भी अपने-आप में विश्व में संतुलन बनाने के लिए बहुत बड़ी भूमिका अदा करता है। और वो भूमिका भारत ने इस पूरे वैश्विक संकट के समय अदा की है। इतने बड़े तूफान के बीच भारत अपने आप को बना पाया है। और बना पाया है तो आगे बढ़ने की संभावना भी उसमें बहुत ज्यादा है।
विश्व भारत के संबंध में ये अनुमान लगाता है कि भारत का potential इतना अपरम्पार है अभी तक आप tap नहीं कर पाए। लोग ये नहीं करते हैं कि भई आप कैसे आगे बढ़ोगे, आप कुछ टिक पाओगे के नहीं पाओगे, बचोगे कि नहीं बचोगे, ये चर्चा नहीं। चर्चा ये है, अरे भाई इतना मौका है, आप, आप ठंडे क्यों ? ये सवाल पूछा जा रहा है। यानी सारे विश्व को लग रहा है कि आज विश्व के आर्थिक जीवन में सबसे अगर कोई potential area है जहां growth story है तो वो हिंदुस्तान में है। और हमने भी देखा है World Bank हो, IMF हो, बाकी जितनी Rating Agencies हों, सबने कहा है कि भारत आज दुनिया की, बड़े देशों की सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली कम्पनी है। अगर ये ताकत हमारे पास है, तो हमारा काम है कि हम foundation को भी मजबूत करें और vertical भी जाएं। Horizontal and vertical, दोनों तरफ हमें आगे बढ़ना पड़ेगा और Horizontal जाने के लिए ये ग्रामीण जीवन में हम कैसे प्रवेश ? हमारा व्याप कैसे बढ़ाएं? उसी प्रकार से हम नए-नए क्षेत्रों को कैसे चुनें? अगर हम priority sector देखें, priority sector को पैसे देना, ये सरकार के कुछ नियम हैं, जाते हैं लेकिन मान लीजिए कहा गया कि भाई agriculture sector को पैसा देना है, लेकिन एक fertilizer कारखाने को दे दिया, माना जाएगा agriculture sector और हिसाब ठीक हो जाएगा तो agriculture sector को दे दिया। इससे हमें बाहर आना है। हम एक सामान्य agriculturist को या गांव को ध्यान में रख करके या दो, चार, दस गांव के बीच में cold storage कैसे बनें? Warehousing की व्यवस्था कैसे हो? उसमें banking कैसे? हम value addition में कैसे मदद कर सकते? हम सिर्फ agriculture sector को पकड़ें, आज मैं समझता हूं कि इतनी संभावनाएं पड़ी हुई हैं, हिन्दुस्तान का किसान आज दुनिया के साथ अपने-आप में तालमेल करने की कोशिश कर रहा है। आपने देखा होगा, कि एक महिला अपना नम्बर अंग्रेजी में बता रही थी, Mobile Number अंग्रेजी में बता रही थी। अब ये कोई जरूरी नहीं है कि उन्होंने किसी स्कूल में जा करके पढ़ा होगा। लेकिन अब धीरे-धीरे करके सब चीजें समाज, जीवन में सहज हिस्सा बन रही हैं। ये इस ताकत को पहचानना, यही तो सबसे बड़ी खूबी है। हम इसको अगर ताकत मानते हुए, हां ये बदलाव है क्योंकि मेरा तो ये अनुभव है।
मैंने एक बार कहीं वर्णन भी किया था, में गुजरात में जब मुख्यमंत्री था तो एक बहुत ही पिछड़ा तहसील है हमारे यहां, धर्मपुर के पास, बलसाड़ जिले में, tribal belt है। अब मेरा मुख्यमंत्री रहते हुए वहां कभी कार्यक्रम नहीं हुआ था तो मैंने आग्रह किया, मैंने कहा मुझे वहां जाना है। न एक दिन कोई कार्यक्रम नहीं होगा तो ऐसे ही जा करके एक पेड़ लगा करके वहां से वापिस आऊंगा। तो फिर एक chilling centre के उद्घाटन के लिए कार्यक्रम बन गया। अब chilling centre क्या 50 लाख का होता है, छोटा सा क्या होता है, जो दूध लोग देने आते हैं, उसको, ट्रक आने तक उसको संभालते हैं। इतना ही होता है। मैंने कहा मैं उसके लिए जाऊंगा। फिर वहां करनी थी तो जगह नहीं थी, क्योंकि जंगल है तो कोई जगह नहीं थी, तो एक स्कूल थी दूर, दो-ढाई किलोमीटर, स्कूल में function था। लेकिन इस कार्यक्रम के लिए उन्होंने 50 करीब आदिवासी महिलाओं को बुलाया था। दूध भरने वाली जो महिलाएं होती हैं, 50 को बुलाया था। जहां chilling centre था, वहां। सब वहां तो अलग था माहौल। मैं हैरान था जब chilling center में उद्घाटन वगैरह हुआ, ये महिलाएं सारी मोबाइल से फोटो निकालती थी। आदिवासी महिलाएं फोन से फोटो निकालती थी। मुझे जरा surprise हुआ। मैं उनके पास गया। मैंने कहा ये फोटो निकाल कर क्या करोगे? उन्होंने जो जवाब दिया वो और आश्चर्यजनक था। उन्होंने कहा, हम इसको download करवा देंगे। अब ये download शब्द उनको मालूम था। download कैसे होता है, कहां होता है, ये पता था। इसका मतलब ये हुआ कि हम कहां तक पहुंचे। इसको हम किस प्रकार से आने वाले दिनों में हमारी growth story का हिस्सा कैसे बनाए और उस दिशा में हम कैसे काम करे?
उसी प्रकार से हमारे नौजवान। उनको पढ़ाई के लिए सरलता से Bank loan की व्यवस्था क्यों न हो? मेरा मत है ये women self-help groups....Women self-help group को पैसा मिलता है, अगर उनको बुधवार को पैसा जमा करवाना है 100 रुपए तो मंगल को आकर के दे जाते हैं कि लीजिए साहब मेरा पैसा कल पता नहीं कहीं और खर्च हो जाएगा। ये sensitivity है हमारे यहां, ग्रामीण जीवन में। इसका जितना लाभ लेना चाहिए हमने लिया नहीं और साहूकारों ने इस पर अपनी पकड़ा जमा दी और उसने हमारी economy को भी बहुत बड़ा नुकसान किया है। तो हमने एक विश्वास पैदा करना है, एक गारंटी पैदा करनी है। मैं समझता हूं ये जो प्रयास है, वो प्रयास उस परिणामों को जरूर अवश्य फल देगा।
Banking sector में हमारी ये कोशिश रही है कि bank nationalize हुई। तब तो बताया गया था कि भई गरीबों के लिए हुआ, लेकिन हमने जो देखा कि वो बहुत सीमित रहा। जैसे मध्यम वर्ग के परिवारों तक family doctor होता है, वैसे उच्च परिवारों का एक Banker होता है। बड़े ऊंचे घरानों का और बीमार भी होंगे लेकिन अगर Banker ने कहीं lunch-dinner रखा है तो जरूर जाएंगे क्योंकि उनको पता है कि भई इसका उनका कारोबार कितना महत्वपूर्ण है। ये अच्छा है, बुरा है लेकिन है। मैं समझता हूं कि अब हमारे यहां Neo-Middle Class कहो या मध्यम वर्ग कहो, ये एक बहुत बड़ी ताकत होती है। हम उनकी तरफ ध्यान केन्द्रित करके, ऐसी व्यवस्थाओं को कैसे विकसित करें। मान लीजिए आप, आपके सामने दो proposal है। एक है कि कोई भवन बनाना है, सरकारी दफ्तर बनाना है और दूसरी proposal है कि इसने प्राइवेट में कहा है कि मैं यहां एक कॉलेज खड़ा करना चाहता हूं, एक Higher-Secondary School चालू करना चाहता हूं, मुझे बैंक से पैसा चाहिए। अगर मैं बैंक में हूं तो मैं पहली priority उस स्कूल वाले को दूंगा। क्योंकि मुझे मालूम है कि वहां स्कूल बनता है तो फिर ऐसे 50 दफ्तर बनाने की ताकत उनसे अपने आप आ जाने वाली है। इसलिए हमारे investment की priority क्या बने? पैसे देने की priority क्या बने? ये अगर हमने chain शुरू की जिसके multiple हमें benefit हो। अगर ये होगा तो मैं मानता हूं कि बहुत ही लाभ होगा।
हमने जो financial inclusion का जो मिशन उठाया है। अब जैसे अरुण जी बता रहे थे कि प्रधानमंत्री की जो हमने योजना बनाई जिसमें हमने मध्यम वर्ग, गरीब, धोबी हो, नाई हो, दूध बेचने वाला हो, अखबार बेचने वाला हो उसको मुद्रा योजना के तहत finance कैसे हो। इस देश में करीब 6 करोड़ लोग ऐसे हैं, इस प्रकार के काम में और उनका average कर्ज 17 हजार रुपए है। कोई ज्यादा नहीं है, लेकिन वे ये पैसे साहूकार से लेते हैं, बहुत ब्याज देते हैं और वो अपना विकास-विस्तार नहीं कर पाते हैं। मुद्रा योजना के तहत हमारी कोशिश है कि ऐसे लोगों को इस ब्याज के चक्कर से मुक्ति दिलाना और उनको financial help liberally करना। हमने 50 हजार, 5 लाख, 10 लाख तक की, उसकी व्यवस्थाएं की, 50 लाख तक की की। अभी तो मैं समझता हूं मुश्किल से 100 दिन हुए होंगे इस योजना को launch किए। अब तक 61 लाख clients and करीब 35 thousand crore rupees, ये वहां गया है। 35 हजार करोड़ रुपया बाजार के अंदर नीचे जाना मतलब economy को कितनी बड़ी ताकत देता है वो। 35 हजार करोड़ किसी एक शहर में डालने से उतना change नहीं आता है जितना कि हजारों गांवों के अंदर 35 हजार करोड़ रुपया जाता है, तो economy में एक vibrancy आना शुरू हो जाता है, नीचे से शुरू हो जाता है और ये आने वाले दिनों में देखेंगे और हमारी कोशिश यही है कि हम उसको आगे बढ़ाना चाहते हैं।
हमारे देश में Banking sector के संबंध में पचासों प्रकार के सवालिया निशान उठे हैं। Appointment से लेकर के, governance से लेकर के, पैसे देने के संबंध में पचासों प्रकार के सवालिया निशान लगे हैं। हमने आने के बाद एक दिन round-table conference किया, चिंतन शिविर की, सभी बैंक के लोगों के साथ detail में चर्चा की। उनकी समस्याएं क्या हैं, सरकार से अपेक्षाएं क्या हैं, कानूनी मुसीबतें क्या हैं। सारी चीजों की विस्तार से चर्चा की। RBI भी मौजूद था, मैं भी था, अरुण जी भी थे, काफी विस्तार से चर्चा की और उसमें से जो बातें आईं उस बातों को हमने लागू करने का प्रयास किया है। हमने एक सप्तसूत्री योजना बनाई है, जिस योजना का मैं समझता हूं कि हमारे देश में ऐसी चीजों की चर्चा बहुत कम होती है। लेकिन इसका बहुत बड़ा निर्णय है और A B C D E F G, ये सप्तसूत्री मेरा कार्यक्रम है। ये सप्तसूत्री कार्यक्रम बैंकों के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव लाने वाला है।
एक है हमारा A – Appointments. बैंकों में उच्च पदों पर नियुक्तियों में सुधार लाने का हमने फैसला किया है और इसलिए हमने 1969 के बाद nationalised bank में private sector के लोगों को भी लिया है, वरना nationalised bank से लोग private में चले जाते थे। पहली बार ये reverse trend शुरू हुआ है, जिसमें efficiency को हमने महत्व दिया है।
B – B for Bank, Board, Bureau. ये B3 पहली बार हम इस देश में लाए हैं कि बैंकों में जो भी नियुक्तियां हुईं उसका selection top rank के लिए, ये board करेगा। Politically मुझे ये पसंद आया, उसको मैं एक director बना दू और वो वहां बैठ जाए और फिर बाद में जब loan देनी हो तो वाया उसी से आ जाए proposal और फिर पता चले भई ये तो PM का आदमी बोल रहा है, देना ही पड़ेगा। ये डूबने के पीछे कारण यही है और इसलिए हमने कहा है कि ये कतई हम नहीं करेंगे, सारे professional लोगों को हम इस काम में लगाएंगे।
C – Capitalization. पिछले कुछ वर्षों में दिए गए loans में bad loans हैं। उसके कारण संकट आया है। अब रोते-बैठने का कोई अर्थ नहीं है इसलिए हमने करीब आने वाले कुछ वर्षों में 70 हजार करोड़ रुपया बैंक के अंदर डालकर के ये bad loans के कारण जो संकट है, उसमें से हम बाहर लाने का कार्यक्रम कर रहे हैं।
D – De-stress of assets. कुछ क्षेत्रों में जहां ये समस्या गंभीर है, हमने import duties बढ़ाने का domestic producer को सहारा दिया है। आपने देखा होगा हमने Steel में अभी किया। ताकि जिसके कारण Steel जो बैंक के साथ Steel उद्योग पैसा लेता था, उसको एक ताकत मिले। तो हमने De-stress के लिए कई कदम उठाने की दिशा में काम किया है।
6 है -नए debt recovery tribunal. जिसमें हम bad loans recovery इन सारे कामों को मैंने कहा है जैसे Power sector. हम बहुत तेज गति से निर्णय पर जा रहे हैं। Power sector जो NPA की समस्या से जुड़ा हुआ है उसको कैसे handle करना है।
E – Empower. Empower का मेरा सीधा-सीधा मतलब था, जब मैं पुणे में गया था इस मीटिंग में तब मैंने कहा था, Zero interferes. आपको political leadership और establishment से कभी फोन नहीं आएगा कि इसके loan का क्या करना है लेना, देना और आज तक इतने महीने हो गए, एक भी जगह से खबर नहीं आई है कि ऐसा कोई pressure है। purely, professionally चलाइए और बाहर लाइए। तो इस प्रकार से बैंकों को Empower करने की दिशा में हमने काम किया है।
F – Framework for accountability. बैंकों का performance monitor करने के लिए key performance indicator हमने set किए हैं ताकि हमें regularly पता चले कि भई कहां जा रहे हैं, किस दिशा में जा रहे हैं। कितना जा रहे हैं, वो नहीं। कितना तो संतोष कभी-कभी दे देता है, लेकिन कहां और कैसे और कितने समय में। उस दिशा में indicators को हमने बल दिया है।
और last है G – Governance. हमारे banking sectorमें governance को बल देना है। हमने technology पर जाना है, transparency को लाना है। cyber crime की सबसे ज्यादा संभावनाएं banking sector, financial world में हैं या तो data चोरी करने की। ये दो ही सबसे बड़े क्षेत्र हैं और इसलिए हमको assure करना होगा हमारे governance को।
तो ऐसी सप्तसूत्री हमारी योजना के द्वारा इन seven pillars पर पूरा banking sector को ताकत कैसे मिले। सरकार ने इतने महत्वपूर्ण initiative लिए हैं। मुझे विश्वास है कि आने वाले दिनों में भारत जिस तेज गति से आगे बढ़ रहा है बैंक कंधे से कंधा मिलाकर के उसके साथ चलेगा। कुछ क्षेत्रों में बैंक दो कदम आगे होगा और मैं समझता हूं कि ये ताकत ultimately भारत के जो निर्धारित लक्ष्य हैं और जिन माध्यमों से हैं, उन सबको मिलकर के हम पूरा कर सकते हैं।
आने वाले दिनों में IDFC को मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं वो इस क्षेत्र में बहुत-बहुत प्रगति करें। बहुत-बहुत धन्यवाद।
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार | 2025 बस अब तो आ ही गया है, दरवाजे पर दस्तक दे ही रहा है | 2025 में 26 जनवरी को हमारे संविधान को लागू हुए 75 वर्ष होने जा रहे हैं | हम सभी के लिए बहुत गौरव की बात है | हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें जो संविधान सौंपा है वो समय की हर कसौटी पर खरा उतरा है | संविधान हमारे लिए guiding light है, हमारा मार्गदर्शक है | ये भारत का संविधान ही है जिसकी वजह से मैं आज यहाँ हूँ, आपसे बात कर पा रहा हूँ | इस साल 26 नवंबर को संविधान दिवस से एक साल तक चलने वाली कई activities शुरू हुई हैं | देश के नागरिकों को संविधान की विरासत से जोड़ने के लिए constitution75.com नाम से एक खास website भी बनाई गई है | इसमें आप संविधान की प्रस्तावना पढ़कर अपना video upload कर सकते हैं | अलग-अलग भाषाओं में संविधान पढ़ सकते हैं, संविधान के बारे में प्रश्न भी पूछ सकते हैं | ‘मन की बात’ के श्रोताओं से, स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से, कॉलेज में जाने वाले युवाओं से, मेरा आग्रह है, इस website पर जरूर जाकर देखें, इसका हिस्सा बनें |
साथियो,
अगले महीने 13 तारीख से प्रयागराज में महाकुंभ भी होने जा रहा है | इस समय वहां संगम तट पर जबरदस्त तैयारियाँ चल रही हैं | मुझे याद है, अभी कुछ दिन पहले जब मैं प्रयागराज गया था तो हेलिकॉप्टर से पूरा कुम्भ क्षेत्र देखकर दिल प्रसन्न हो गया था | इतना विशाल! इतना सुंदर! इतनी भव्यता!
साथियो,
महाकुंभ की विशेषता केवल इसकी विशालता में ही नहीं है | कुंभ की विशेषता इसकी विविधता में भी है | इस आयोजन में करोड़ों लोग एक साथ एकत्रित होते हैं | लाखों संत, हजारों परम्पराएँ, सैकड़ों संप्रदाय, अनेकों अखाड़े, हर कोई इस आयोजन का हिस्सा बनता है | कहीं कोई भेदभाव नहीं दिखता है, कोई बड़ा नहीं होता है, कोई छोटा नहीं होता है | अनेकता में एकता का ऐसा दृश्य विश्व में कहीं और देखने को नहीं मिलेगा | इसलिए हमारा कुंभ एकता का महाकुंभ भी होता है | इस बार का महाकुंभ भी एकता के महाकुंभ के मंत्र को सशक्त करेगा | मैं आप सबसे कहूँगा, जब हम कुंभ में शामिल हों, तो एकता के इस संकल्प को अपने साथ लेकर वापस आयें | हम समाज में विभाजन और विद्वेष के भाव को नष्ट करने का संकल्प भी लें | अगर कम शब्दों में मुझे कहना है तो मैं कहूँगा...
महाकुंभ का संदेश, एक हो पूरा देश |
महाकुंभ का संदेश, एक हो पूरा देश |
और अगर दूसरे तरीके से कहना है तो मैं कहूँगा...
गंगा की अविरल धारा, न बँटे समाज हमारा ||
गंगा की अविरल धारा, न बँटे समाज हमारा ||
साथियो,
इस बार प्रयागराज में देश और दुनिया के श्रद्धालु digital महाकुंभ के भी साक्षी बनेंगे | Digital Navigation की मदद से आपको अलग-अलग घाट, मंदिर, साधुओं के अखाड़ों तक पहुँचने का रास्ता मिलेगा | यही navigation system आपको parking तक पहुँचने में भी मदद करेगा | पहली बार कुंभ आयोजन में AI chatbot का प्रयोग होगा | AI chatbot के माध्यम से 11 भारतीय भाषाओं में कुंभ से जुड़ी हर तरह की जानकारी हासिल की जा सकेगी | इस chatbot से कोई भी text type करके या बोलकर किसी भी तरह की मदद मांग सकता है | पूरा मेला क्षेत्र को AI-Powered cameras से cover किया जा रहा है | कुंभ में अगर कोई अपने परिचित से बिछड़ जाएगा तो इन कैमरों से उन्हें खोजने में भी मदद मिलेगी | श्रद्धालुओं को digital lost & found center की सुविधा भी मिलेगी | श्रद्धालुओं को मोबाईल पर government-approved tour packages, ठहरने की जगह और homestay के बारे में भी जानकारी दी जाएगी | आप भी महाकुंभ में जाएँ तो इन सुविधाओं का लाभ उठाएँ और हाँ #एकता का महाकुंभ के साथ अपनी selfie जरूर uplaod करिएगा |
साथियो,
‘मन की बात’ यानि MKB में अब बात KTB की, जो बड़े बुजुर्ग हैं, उनमें से, बहुत से लोगों को KTB के बारे में पता नहीं होगा | लेकिन जरा बच्चों से पूछिए KTB उनके बीच बहुत ही superhit है | KTB यानि कृष, तृष और बाल्टीबॉय | आपको शायद पता होगा बच्चों की पसंदीदा animation series और उसका नाम है KTB – भारत हैं हम और अब इसका दूसरा season भी आ गया है | ये तीन animation character हमें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उन नायक-नायिकाओं के बारे में बताते हैं जिनकी ज्यादा चर्चा नहीं होती | हाल ही में इसका season-2 बड़े ही खास अंदाज में International Film Festival of India, Goa में launch हुआ | सबसे शानदार बात ये है कि ये series न सिर्फ भारत की कई भाषाओं में बल्कि विदेशी भाषाओं में भी प्रसारित होती है | इसे दूरदर्शन के साथ-साथ अन्य OTT platform पर भी देखा जा सकता है |
साथियो,
हमारी animation फिल्मों की, regular फिल्मों की, टीवी serials की, popularity दिखाती है कि भारत की creative industry में कितनी क्षमता है | यह industry न सिर्फ देश की प्रगति में बड़ा योगदान दे रही है, बल्कि, हमारी economy को भी नई ऊंचाइयों पर ले जा रही है | हमारी Film & Entertainment industry बहुत विशाल है | देश की कितनी ही भाषाओं में फिल्में बनती हैं, creative content बनता है | मैं अपनी film और entertainment industry को इसलिए भी बधाई देता हूँ, क्योंकि उसने ‘एक भारत – श्रेष्ठ भारत’ के भाव को सशक्त किया है |
साथियो,
वर्ष 2024 में हम फिल्म जगत की कई महान हस्तियों की 100वीं जयंती मना रहे हैं | इन विभूतियों ने भारतीय सिनेमा को विश्व-स्तर पर पहचान दिलाई | राज कपूर जी ने फिल्मों के माध्यम से दुनिया को भारत की soft power से परिचित कराया | रफ़ी साहब की आवाज में वो जादू था जो हर दिल को छू लेता था | उनकी आवाज अद्भुत थी | भक्ति गीत हों या romantic songs, दर्द भरे गाने हों, हर emotion को उन्होंने अपनी आवाज से जीवंत कर दिया | एक कलाकार के रूप में उनकी महानता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आज भी युवा-पीढ़ी उनके गानों को उतनी ही शिद्दत से सुनती है - यही तो है timeless art की पहचान | अक्किनेनी नागेश्वर राव गारू ने तेलुगु सिनेमा को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है | उनकी फिल्मों ने भारतीय परंपराओं और मूल्यों को बखूबी प्रस्तुत किया | तपन सिन्हा जी की फिल्मों ने समाज को एक नई दृष्टि दी | उनकी फिल्मों में सामाजिक चेतना और राष्ट्रीय एकता का संदेश रहता था | हमारी पूरी film industry के लिए इन हस्तियों का जीवन प्रेरणा जैसा है |
साथियो,
मैं आपको एक और खुशखबरी देना चाहता हूँ | भारत की creative talent को दुनिया के सामने रखने का एक बहुत बड़ा अवसर आ रहा है | अगले साल हमारे देश में पहली बार World Audio Visual Entertainment Summit यानि WAVES summit का आयोजन होने वाला है | आप सभी ने दावोस के बारे में सुन होगा जहां दुनिया के अर्थजगत के महारथी जुटते हैं | उसी तरह WAVES summit में दुनिया-भर के media और entertainment industry के दिग्गज, creative world के लोग भारत आएंगे | यह summit भारत को global content creation का hub बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है | मुझे यह बताते हुए गर्व हो रहा है कि इस summit की तैयारी में हमारे देश के young creators भी पूरे जोश से जुड़ रहे हैं | जब हम 5 trillion dollar economy की ओर बढ़ रहे हैं, तब हमारी creator economy एक नई energy ला रही है | मैं भारत की पूरी entertainment और creative industry से आग्रह करूंगा – चाहे आप young creator हों या established artist, Bollywood से जुड़े हों, या regional cinema से, TV industry के professional हों, या animation के expert, gaming से जुड़े हों या entertainment technology के innovator, आप सभी WAVES summit का हिस्सा बनें |
मेरे प्यारे देशवासियो,
आप सभी जानते हैं कि भारतीय संस्कृति का प्रकाश आज कैसे दुनिया के कोने-कोने में फैल रहा है | आज मैं आपको तीन महाद्वीपों से ऐसे प्रयासों के बारे में बताऊंगा, जो हमारी सांस्कृतिक विरासत के वैश्विक विस्तार की गवाह है | ये सभी एक दूसरे से मिलों दूर हैं | लेकिन भारत को जानने और हमारी संस्कृति से सीखने की उनकी ललक एक जैसी है |
साथियो,
Paintings का संसार जितना रंगों से भरा होता है, उतना ही खूबसूरत होता है | आप में से जो लोग टीवी के माध्यम से ‘मन की बात’ से जुड़े हैं, वे अभी कुछ paintings टीवी पर देख भी सकते हैं | इन Paintings में हमारे देवी-देवता, नृत्य की कलाएं और महान विभूतियों को देखकर आपको बहुत अच्छा लगेगा | इनमें आपको भारत में पाए जाने वाले जीव-जंतुओं से लेकर और भी बहुत कुछ देखने को मिलेगा | इनमें ताजमहल की एक शानदार Painting भी शामिल है, जिसे 13 साल की एक बच्ची ने बनाया है | आपको ये जानकार हैरानी होगी इस दिव्यांग बच्ची ने अपने मुहँ से इस panting को तैयार किया है | सबसे दिलचस्प बात यह है कि इन Painting को बनाने वाले भारत के नहीं, बल्कि Egypt के students हैं, वहाँ के विद्यार्थी हैं | कुछ ही हफ्ते पहले Egypt के करीब 23 हजार students ने एक painting प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था | वहाँ उन्हें भारत की संस्कृति और दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंधों को बताने वाली paintings तैयार करनी थी | मैं इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले सभी युवाओं की सराहना करता हूँ | उनकी creativity की जितनी भी प्रशंसा की जाए वो कम है |
साथियो,
दक्षिण अमेरिका का एक देश है पराग्वे | वहाँ रहने वाले भारतीयों की संख्या एक हजार से ज्यादा नहीं होगी | पराग्वे में एक अद्भुत प्रयास हो रहा है | वहाँ भारतीय दूतावास में एरीका ह्युबर free आयुर्वेद consultation देती हैं | आयुर्वेद की सलाह लेने के लिए आज उनके पास स्थानीय लोग भी बड़ी संख्या में पहुँच रहे हैं | एरीका ह्युबर ने भले ही engineering की पढ़ाई की हो, लेकिन उनका मन तो आयुर्वेद में ही बसता है | उन्होंने आयुर्वेद से जुड़े Courses किए थे और समय के साथ वे इसमें पारंगत होती चली गई |
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ये हमारे लिए बहुत गर्व की बात है कि दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल है और हर हिन्दुस्तानी को इसका गर्व है | दुनियाभर के देशों में इसे सीखने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है | पिछले महीने के आखिर में फ़िजी में भारत सरकार के सहयोग से Tamil Teaching Programme शुरू हुआ | बीते 80 वर्षों में यह पहला अवसर है, जब फ़िजी में तमिल के Trained Teachers इस भाषा को सिखा रहे हैं | मुझे ये जानकार अच्छा लगा कि आज फ़िजी के students तमिल भाषा और संस्कृति को सीखने में काफी दिलचस्पी ले रहे हैं |
साथियो,
ये बातें, ये घटनाएं, सिर्फ सफलता की कहानियाँ नहीं है | ये हमारी सांस्कृतिक विरासत की भी गाथाएं हैं | ये उदाहरण हमें गर्व से भर देते हैं | Art से आयुर्वेद तक और Language से लेकर Music तक, भारत में इतना कुछ है, जो दुनिया में छा रहा है |
साथियो,
सर्दी के इस मौसम में देश-भर से खेल और fitness को लेकर कई activities हो रही हैं | मुझे खुशी है कि लोग fitness को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना रहे हैं | कश्मीर में Skiing से लेकर गुजरात में पतंगबाजी तक, हर तरफ, खेल का उत्साह देखने को मिल रहा है | #SundayOnCycle और #CyclingTuesday जैसे अभियानों से Cycling को बढ़ावा मिल रहा है |
साथियो,
अब मैं आपको एक ऐसी अनोखी बात बताना चाहता हूँ जो हमारे देश में आ रहे बदलाव और युवा साथियों के जोश और जज्बे का प्रतीक है | क्या आप जानते हैं कि हमारे बस्तर में एक अनूठा Olympic शुरू हुआ है! जी हाँ, पहली बार हुए बस्तर Olympic से बस्तर में एक नई क्रांति जन्म ले रही है | मेरे लिए ये बहुत ही खुशी की बात है कि बस्तर Olympic का सपना साकार हुआ है | आपको भी ये जानकार अच्छा लगेगा कि यह उस क्षेत्र में हो रहा है, जो कभी माओवादी हिंसा का गवाह रहा है | बस्तर Olympic का शुभंकर है – ‘वन भैंसा’ और ‘पहाड़ी मैना’ | इसमें बस्तर की समृद्ध संस्कृति की झलक दिखती है | इस बस्तर खेल महाकुंभ का मूल मंत्र है –
‘करसाय ता बस्तर बरसाए ता बस्तर’
यानि ‘खेलेगा बस्तर – जीतेगा बस्तर’ |
पहली ही बार में बस्तर Olympic में 7 जिलों के एक लाख 65 हजार खिलाड़ियों ने भाग लिया है | यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं है – यह हमारे युवाओं के संकल्प की गौरव-गाथा है | Athletics, तीरंदाजी, Badminton, Football, Hockey, Weightlifting, Karate, कबड्डी, खो-खो और Volleyball – हर खेल में हमारे युवाओं ने अपनी प्रतिभा का परचम लहराया है | कारी कश्यप जी की कहानी मुझे बहुत प्रेरित करती है | एक छोटे से गांव से आने वाली कारी जी ने तीरंदाजी में रजत पदक जीता है | वे कहती हैं – “बस्तर Olympic ने हमें सिर्फ खेल का मैदान ही नहीं, जीवन में आगे बढ़ने का अवसर दिया है” | सुकमा की पायल कवासी जी की बात भी कम प्रेरणादायक नहीं है | Javelin Throw में स्वर्ण पदक जीतने वाली पायल जी कहती हैं – “अनुशासन और कड़ी मेहनत से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है” | सुकमा के दोरनापाल के पुनेम सन्ना जी की कहानी तो नए भारत की प्रेरक कथा है | एक समय नक्सली प्रभाव में आए पुनेम जी आज wheelchair पर दौड़कर मेडल जीत रहे हैं | उनका साहस और हौसला हर किसी के लिए प्रेरणा है | कोडागांव के तीरंदाज रंजू सोरी जी को ‘बस्तर youth icon’ चुना गया है | उनका मानना है – बस्तर Olympic दूरदराज के युवाओं को राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाने का अवसर दे रहा है |
साथियो,
बस्तर Olympic केवल एक खेल आयोजन नहीं है I यह एक ऐसा मंच है जहां विकास और खेल का संगम हो रहा है I जहां हमारे युवा अपनी प्रतिभा को निखार रहे हैं और एक नए भारत का निर्माण कर रहे हैं I मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ :
अपने क्षेत्र में ऐसे खेल आयोजनों को प्रोत्साहित करें
#खेलेगा भारत – जीतेगा भारत के साथ अपने क्षेत्र की खेल प्रतिभाओं की कहानियां साझा करें
स्थानीय खेल प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का अवसर दें
याद रखिए, खेल से, न केवल शारीरिक विकास होता है, बल्कि ये Sportsman spirit से समाज को जोड़ने का भी एक सशक्त माध्यम है I तो खूब खेलिए-खूब खिलिए |
मेरे प्यारे देशवासियो,
भारत की दो बड़ी उपलब्धियां आज विश्व का ध्यान आकर्षित कर रही हैं I इन्हें सुनकर आपको भी गर्व महसूस होगा I ये दोनों सफलताएं स्वास्थ्य के क्षेत्र में मिली हैं I पहली उपलब्धि मिली है – मलेरिया से लड़ाई में | मलेरिया की बीमारी चार हजार वर्षों से मानवता के लिए एक बड़ी चुनौती रही है I आजादी के समय भी यह हमारी सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक थी I एक महीने से लेकर पांच साल तक के बच्चों की जान लेने वाली सभी संक्रामक बीमारियों में मलेरिया का तीसरा स्थान है I आज, मैं संतोष से कह सकता हूँ कि देशवासियों ने मिलकर इस चुनौती का दृढ़ता से मुकाबला किया है I विश्व स्वास्थ्य संगठन – WHO की रिपोर्ट कहती है – “भारत में 2015 से 2023 के बीच मलेरिया के मामलों और इससे होने वाली मौतों में 80 प्रतिशत की कमी आई है” I यह कोई छोटी उपलब्धि नहीं है I सबसे सुखद बात यह है, यह सफलता जन-जन की भागीदारी से मिली है I भारत के कोने-कोने से, हर जिले से हर कोई इस अभियान का हिस्सा बना है I असम में जोरहाट के चाय बागानों में मलेरिया चार साल पहले तक लोगों की चिंता की एक बड़ी वजह बना हुआ था I लेकिन जब इसके उन्मूलन के लिए चाय बागान में रहने वाले एकजुट हुए, तो इसमें काफी हद तक सफलता मिलने लगी I अपने इस प्रयास में उन्होनें Technology के साथ-साथ Social media का भी भरपूर इस्तेमाल किया है I इसी तरह हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले ने मलेरिया पर नियंत्रण के लिए बड़ा अच्छा model पेश किया I यहां मलेरिया की monitoring के लिए जनभागीदारी काफी सफल रही है I नुक्कड़ नाटक और रेडियो के जरिए ऐसे संदेशों पर जोर दिया गया, जिससे मच्छरों की breeding कम करने में काफी मदद मिली है I देश-भर में ऐसे प्रयासों से ही हम मलेरिया के खिलाफ जंग को और तेजी से आगे बढ़ा पाए है I
साथियो,
अपनी जागरूकता और संकल्प शक्ति से हम क्या कुछ हासिल कर सकते हैं, इसका दूसरा उदाहरण है cancer से लड़ाई I दुनिया के मशहूर Medical Journal Lancet की study वाकई बहुत उम्मीद बढ़ाने वाली है I इस Journal के मुताबिक अब भारत में समय पर cancer का इलाज शुरू होने की संभावना काफी बढ़ गई है I समय पर इलाज का मतलब है – cancer मरीज का treatment 30 दिनों के भीतर ही शुरू हो जाना और इसमें बड़ी भूमिका निभाई है – ‘आयुष्मान भारत योजना’ ने | इस योजना की वजह से cancer के 90 प्रतिशत मरीज, समय पर अपना इलाज शुरू करा पाए हैं | ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि पहले पैसे के अभाव में गरीब मरीज cancer की जांच में, उसके इलाज से कतराते थे I अब ‘आयुष्मान भारत योजना’ उनके लिए बड़ा संबल बनी है I अब वो आगे बढ़कर अपना इलाज कराने के लिए आ रहे हैं I ‘आयुष्मान भारत योजना’ ने cancer के इलाज में आने वाली पैसों की परेशानी को काफी हद तक कम किया है I अच्छा ये भी है, कि आज समय पर, cancer के इलाज को लेकर, लोग, पहले से कहीं अधिक जागरूक हुए हैं I यह उपलब्धि जितनी हमारे Healthcare system की है, डॉक्टरों, नर्सों और Technical staff की है, उतनी ही, आप, सभी मेरे नागरिक भाई-बहनों की भी है I सबके प्रयास से cancer को हारने का संकल्प और मजबूत हुआ है I इस सफलता का credit उन सभी को जाता है, जिन्होनें जागरूकता फैलाने में अपना अहम योगदान दिया है I
Cancer से मुकाबले के लिए एक ही मंत्र है - Awareness, Action और Assurance. Awareness यानि cancer और इसके लक्षणों के प्रति जागरूकता, Action यानि समय पर जांच और इलाज, Assurance यानि मरीजों के लिए हर मदद उपलब्ध होने का विश्वास I आईए, हम सब मिलकर cancer के खिलाफ इस लड़ाई को तेजी से आगे ले जाएं और ज्यादा-से-ज्यादा मरीजों की मदद करें I
मेरे प्यारे देशवासियो,
आज मैं आपको ओडिशा के कालाहांडी के एक ऐसे प्रयास की बात बताना चाहता हूँ, जो कम पानी और कम संसाधनों के बावजूद सफलता की नई गाथा लिख रहा है | ये है कालाहांडी की ‘सब्जी क्रांति’ | जहां, कभी किसान, पलायन करने को मजबूर थे, वहीं आज, कालाहांडी का गोलामुंडा ब्लॉक एक vegetable hub बन गया है | यह परिवर्तन कैसे आया? इसकी शुरुआत सिर्फ 10 किसानों के एक छोटे से समूह से हुई | इस समूह ने मिलकर एक FPO - ‘किसान उत्पाद संघ’ की स्थापना की, खेती में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया, और आज उनका ये FPO करोड़ों का कारोबार कर रहा है | आज 200 से अधिक किसान इस FPO से जुड़े हैं, जिनमें 45 महिला किसान भी हैं | ये लोग मिलकर 200 एकड़ में टमाटर की खेती कर रहे हैं, 150 एकड़ में करेले का उत्पादन कर रहे हैं | अब इस FPO का सालाना turnover भी बढ़कर डेढ़ करोड़ से ज्यादा हो गया है | आज कालाहांडी की सब्जियां, न केवल ओडिशा के विभिन्न जिलों में, बल्कि, दूसरे राज्यों में भी पहुँच रही हैं, और वहाँ का किसान, अब, आलू और प्याज की खेती की नई तकनीकें सीख रहा है |
साथियो,
कालाहांडी की यह सफलता हमें सिखाती है कि संकल्प शक्ति और सामूहिक प्रयास से क्या नहीं किया जा सकता | मैं आप सभी से आग्रह करता हूँ :-
अपने क्षेत्र में FPO को प्रोत्साहित करें
किसान उत्पादक संगठनों से जुड़ें और उन्हें मजबूत बनाएं |
याद रखिए – छोटी शुरुआत से भी बड़े परिवर्तन संभव हैं | हमें, बस, दृढ़ संकल्प और टीम भावना की जरूरत है |
साथियो,
आज की ‘मन की बात’ में हमने सुना, कि कैसे हमारा भारत, विविधता में एकता के साथ आगे बढ़ रहा है | चाहे वो खेल का मैदान हो या विज्ञान का क्षेत्र, स्वास्थ हो या शिक्षा – हर क्षेत्र में भारत नई ऊंचाइयों को छू रहा है | हमने एक परिवार की तरह मिलकर हर चुनौती का सामना किया और नई सफलताएं हासिल की | 2014 से शुरू हुए ‘मन की बात’ के 116 episodes में मैंने देखा है कि ‘मन की बात’ देश की सामूहिक शक्ति का एक जीवंत दस्तावेज़ बन गया है | आप सभी ने इस कार्यक्रम को अपनाया, अपना बनाया | हर महीने आपने अपने विचारों और प्रयासों को साझा किया | कभी किसी young innovator के idea ने प्रभावित किया, तो कभी किसी बेटी की achievement ने गौरवान्वित किया | ये आप सभी की भागीदारी है जो देश के कोने-कोने से positive energy को एक साथ लाती है | ‘मन की बात’ इसी positive energy के amplification का मंच बन गया है, और अब, 2025 दस्तक दे रहा है | आने वाले साल में ‘मन की बात’ के माध्यम से हम और भी inspiring प्रयासों को साझा करेगें | मुझे विश्वास है कि देशवासियों की positive सोच और innovation की भावना से भारत नई ऊंचाइयों को छूएगा | आप अपने आस-पास के unique प्रयासों को #Mannkibaat के साथ share करते रहिए | मैं जानता हूँ कि अगले साल की हर ‘मन की बात’ में हमारे पास एक दूसरे से साझा करने के लिए बहुत कुछ होगा | आप सभी को 2025 की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं | स्वस्थ रहें, खुश रहें, Fit India Movement में आप भी जुड़ जाइए, खुद को भी fit रखिए | जीवन में प्रगति करते रहें |
बहुत-बहुत धन्यवाद |
The Constitution is our guiding light: PM @narendramodi #MannKiBaat pic.twitter.com/w4IZwfSXa2
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The Mahakumbh's specialty lies not just in its vastness but also in its diversity.#MannKiBaat pic.twitter.com/uhiLxSTORd
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Kids' favourite KTB - Krish, Trish and Baltiboy is back with Season 2. It celebrates the unsung heroes of India's freedom struggle.#MannKiBaat pic.twitter.com/LaJNd0Zmqf
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In 2024, we celebrate the 100th birth anniversary of many great film personalities.#MannKiBaat pic.twitter.com/Gj5Zre11FB
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WAVES Summit is a key step in making India a hub for global content creation.#MannKiBaat pic.twitter.com/VNWSaS125c
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The radiance of Indian culture is spreading across the world.#MannKiBaat pic.twitter.com/Oznb4pMJ48
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Bastar Olympics showcases the spirit of youth and their talent.#MannKiBaat pic.twitter.com/uIAHq226MU
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Powered by the collective effort of people, India has made remarkable progress in the fight against malaria.#MannKiBaat pic.twitter.com/SJHymYvsgV
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Ayushman Bharat Yojana has greatly reduced financial burdens in cancer treatment.#MannKiBaat pic.twitter.com/VvUOiMBZzv
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Odisha's Kalahandi has become a vegetable hub. Farmers formed an FPO and embraced modern farming methods.#MannKiBaat pic.twitter.com/cRnq7FdBzS
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