प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नेपाल के प्रधानमंत्री माननीय शेर बहादुर देउबा के निमंत्रण पर 16 मई, 2022 को बुद्ध पूर्णिमा के शुभ अवसर पर नेपाल के लुंबिनी की आधिकारिक यात्रा की। प्रधानमंत्री के रूप में, श्री नरेन्द्र मोदी की यह नेपाल की पांचवीं और लुंबिनी की पहली यात्रा थी।

प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेपाल पहुंचने पर प्रधानमंत्री देउबा, उनकी पत्नी डॉ. आरजू राणा देउबा, गृह मंत्री श्री बाल कृष्ण खंड, विदेश मंत्री डॉ. नारायण खड़का, भौतिक अवसंरचना एवं परिवहन मंत्री सुश्री रेणु कुमारी यादव, ऊर्जा, जल संसाधन एवं सिंचाई मंत्री सुश्री पम्फा भुसल, संस्कृति, नागरिक उड्डयन एवं पर्यटन मंत्री श्री प्रेम बहादुर आले, शिक्षा मंत्री श्री देवेंद्र पौडेल, विधि, न्याय एवं संसदीय कार्य मंत्री श्री गोविंदा प्रसाद शर्मा और लुंबिनी प्रांत के मुख्यमंत्री श्री कुल प्रसाद के.सी. ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।

वहां पहुंचने के बाद, दोनों प्रधानमंत्रियों ने मायादेवी मंदिर का दौरा किया। इस मंदिर के भीतर भगवान बुद्ध का जन्म स्थान है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस मंदिर में बौद्ध रीति-रिवाजों के अनुसार आयोजित प्रार्थना में भाग लिया और प्रसाद चढ़ाया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने दीये जलाए और ऐतिहासिक अशोक स्तंभ का दौरा किया जिसपर लुंबिनी के भगवान बुद्ध के जन्मस्थान होने से संबंधित पहला पुरालेख अंकित है। दोनों नेताओं ने उस पवित्र बोधिवृक्ष को भी सींचा, जिसे 2014 में नेपाल की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री श्री मोदी द्वारा उपहार के रूप में लाया गया था।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने प्रधानमंत्री श्री देउबा के साथ नई दिल्ली के अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ (आईबीसी) से संबंधित लुंबिनी स्थित एक भूखंड पर भारत अंतरराष्ट्रीय बौद्ध संस्कृति एवं विरासत केंद्र के निर्माण हेतु “शिलान्यास” समारोह में भाग लिया। यह भूखंड लुंबिनी डेवलपमेंट ट्रस्ट द्वारा आईबीसी को नवंबर 2021 में आवंटित किया गया था। इस “शिलान्यास” समारोह के बाद, दोनों प्रधानमंत्रियों ने बौद्ध केंद्र के एक मॉडल का भी अनावरण किया, जिसकी परिकल्पना नेट-ज़ीरो उत्सर्जन के अनुरूप एक विश्वस्तरीय सुविधा के रूप में की गई है जिसमें प्रार्थना कक्ष, ध्यान केंद्र, पुस्तकालय, प्रदर्शनी हॉल, कैफेटेरिया एवं अन्य सुविधाएं होंगी और यह दुनिया भर के बौद्ध तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए खुला रहेगा।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने एक द्विपक्षीय बैठक भी की। इस बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने 2 अप्रैल को नई दिल्ली में हुई अपनी बातचीत को आगे बढ़ाया। उन्होंने संस्कृति, अर्थव्यवस्था, व्यापार, संपर्क, ऊर्जा एवं विकास साझेदारी सहित विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत करने से संबंधित विशिष्ट पहल और विचारों पर चर्चा की। दोनों पक्ष लुंबिनी और कुशीनगर, जोकि बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में शामिल हैं और दोनों देशों के बीच साझी बौद्ध विरासत को दर्शाते हैं, के बीच सिस्टर सिटी का संबंध स्थापित करने के लिए सैद्धांतिक रूप से सहमत हुए।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने हाल के महीनों में विद्युत क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग के मामले में हुई प्रगति पर संतोष व्यक्त किया, जिसमें उत्पादन परियोजनाओं का विकास, विद्युत पारेषण अवसंरचना और विद्युत व्यापार शामिल है। प्रधानमंत्री श्री देउबा ने भारतीय कंपनियों को नेपाल में पश्चिम सेती पनबिजली परियोजना के विकास में भागीदारी करने के लिए आमंत्रित किया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने नेपाल के पनबिजली क्षेत्र के विकास और इच्छुक भारतीय डेवलपर्स को इस संबंध में नई परियोजनाओं का तेजी से पता लगाने के लिए प्रोत्साहित करने में भारत के सहयोग का आश्वासन दिया। दोनों प्रधानमंत्रियों ने दोनों देशों के लोगों को करीब लाने के लिए शैक्षिक एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान का और अधिक विस्तार करने पर सहमति व्यक्त की। प्रधानमंत्री श्री देउबा द्वारा प्रधानमंत्री श्री मोदी के सम्मान में दोपहर के भोज का आयोजन किया गया।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने 2566वीं बुद्ध जयंती समारोह को मनाने के लिए नेपाल सरकार के तत्वावधान में लुंबिनी डेवलपमेंट ट्रस्ट द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में भाग लिया। इस कार्यक्रम में, प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भिक्षुओं, अधिकारियों, गणमान्य व्यक्तियों और बौद्ध जगत से जुड़े लोगों की एक बड़ी सभा को संबोधित किया।

प्रधानमंत्री श्री मोदी की नेपाल में लुंबिनी की यह यात्रा 1 से 3 अप्रैल 2022 के दौरान प्रधानमंत्री श्री देउबा की दिल्ली और वाराणसी की सफल यात्रा के बाद हुई है। आज की यात्रा ने दोनों देशों के बीच बहुआयामी साझेदारी और विशेष रूप से शिक्षा, संस्कृति, ऊर्जा तथा दोनों देशों के लोगों के बीच आदान-प्रदान जैसे प्रमुख क्षेत्रों में उन्नत सहयोग को और गति प्रदान की है। प्रधानमंत्री श्री मोदी की लुंबिनी यात्रा भारत और नेपाल के बीच गहरे एवं समृद्ध सभ्यतागत जुड़ाव को सुदृढ़ करने तथा उसे प्रोत्साहित करने में दोनों ओर के लोगों के योगदान पर भी जोर देती है।

इस यात्रा के दौरान जिन दस्तावेजों को अंतिम रूप दिया गया उनकी सूची यहां देखी जा सकती है।

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