"“People’s participation is the key, and a united effort is the need of the hour: Shri Modi"
"“Strength comes from uniting, and my effort is focused at eliminating the discrepancy arising in collaboration:” Shri Modi"
"Nearly Rs. 5500-5600 crores has been allotted for the healthcare segment in the current year, as opposed to Rs. 1200-1300 crore allotted in 2007-08."

हैल्दी गुजरात कॉन्फ्रेन्स

स्वस्थ और तंदुरुस्त गुजरात पर फलदायी समूह चिंतन

मुख्यमंत्री का परिषद के शुभारंभ अवसर पर प्रेरक मार्गदर्शन

गांधी-१५० : महात्मा गांधी जी के डेढ़ सौ वर्ष २०१९ महोत्सव को गांधी जी की प्रिय स्वच्छता की महिमा उजागर करने के लिए निर्मल गुजरात अभियान चलाएं

२०२२ आजादी के अमृत महोत्सव में “स्वस्थ गुजरात” के उद्देश्य को साकार करने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को अमृतमय बनाएं- मुख्यमंत्री

समाज की स्वास्थ्य रक्षा ही राष्ट्र रक्षा की सेवा है

गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वस्थ और तंदुरुस्त गुजरात की चिंतन परिषद का आज शुभारंभ करते हुए आगामी २०१९ में महात्मा गांधी जी की १५०वीं जन्म जयंती तक स्वच्छ-निर्मल गुजरात के लिए गांधी जी का प्रिय स्वच्छता अभियान चलाने और २०२२ में भारत की आजादी के अमृत महोत्सव को केन्द्र में रखकर स्वस्थ गुजरात के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को अमृतमय बनाने का एजेंडा साकार करने का आह्वान किया।

महात्मा मंदिर परिसर में आज स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में “हैल्दी गुजरात-एजेंडा फॉर एक्शन” कॉन्फ्रेन्स आयोजित की गई। स्वस्थ, तंदुरुस्त गुजरात के लिए हुए इस सामूहिक चिंतन में राज्य के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा क्षेत्र के विभिन्न सेवाकर्मियों, निजी डॉक्टरों और स्वास्थ्य शिक्षा के राज्य भर से आए ४५०० पदाधिकारियों और प्रतिनिधियों ने भाग लिया। परिषद में ८ जितने चर्चा सत्रों का आयोजन किया गया।

Shri Narendra Modi’s address at the conference on ‘Healthy Gujarat ‘Agenda for Action’

समाज के स्वास्थ्य और नागरिकों के जीवन की स्वास्थ्य रक्षा की राष्ट्र रक्षा जितनी महिमा है, इसका उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि रोगी और डॉक्टर की अपेक्षा स्वस्थ शरीर हो, यही होती है। परन्तु समग्रतया स्वास्थ्य सेवाएं का यह सीमित अर्थ नहीं है कि चिकित्सा क्षेत्र मात्र नागरिकों का शारीरिक स्वास्थ्य है। सरकार की प्रतिबद्धता इन तमाम माध्यमों द्वारा सीमित लक्ष्य की नही है, बल्कि सर्वग्राही स्वस्थ गुजरात की है।

हमारी चिंता सिर्फ मानव शरीर के स्वास्थ्य की नहीं बल्कि हमारा लक्ष्य है स्वस्थ समाज का, स्वास्थ्य प्रदान करने का और बीमारियों को रोकने का। इस निर्धारित लक्ष्य के लिए सरकार और समाज को संसाधनों और ढांचागत सुविधाओं का सुनियोजित विनियोग करना पड़ेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में अनेक पहल करके फलदायी परिणाम तो हासिल किए ही हैं, बल्कि क्वॉन्टम जम्प के लिए कंप्रीहेन्सिव एक्शन-एजेंडा हमारा लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि स्वच्छता स्वास्थ्य विभाग का फर्ज न हो तो भी गंदगी और अस्वस्थता के कारण या जल भराव के कारण होने वाले रोग स्वास्थ्य विभाग के लिए बड़ा बोझ बनते हैं।

स्वास्थ्य के सन्दर्भ में सरकार को तमाम विभागों को सहयोगी और संकलित बनाकर स्वास्थ्य की धरोहर का रोडमैप प्रिवेन्टिव हैल्थ केयर, रोगों से बचाव, स्वास्थ्य सेवाओं पर मुख्यमंत्री ने प्रेरक मार्गदर्शन दिया।

Shri Narendra Modi’s address at the conference on ‘Healthy Gujarat ‘Agenda for Action’

महात्मा गांधी जी की १५०वीं जयंती २०१९ में आ रही है, ऐसे में गांधी जी जिसे सर्वोच्च प्राथमिकता देते थे, उस स्वच्छता के मापदंड सुनिश्चित कर निर्मल गुजरात का अभियान चलाने का श्री मोदी ने आह्वान किया। उन्होंने कहा कि निर्मल ग्राम से लेकर निर्मल नगर-निर्मल महानगर और निर्मल गुजरात तक के स्वास्थ्य के पैरामीटर्स स्वच्छता के लिए तैयार करने चाहिएं, जो आगामी पांच वर्ष के लिए प्रिवेन्टिव हैल्थ केयर के उद्देश्यों का साक्षात्कार करवा सके।

व्यक्तिगत स्वच्छता के साथ तथा सामाजिक स्वच्छता के लिए जनशिक्षा संबंधी जागृति के लिए बालक के मन में स्वच्छता का स्वभाव विकसित करने को प्राथमिकता देने का उन्होंने सुझाव दिया।

श्री मोदी ने कहा कि शहरी क्षेत्र, ग्रामीण क्षेत्र, सेमी-अरबन क्षेत्र और आदिवासी क्षेत्रों के लिए स्वास्थ्य की चुनौतियां क्या हो सकती है, इस पर सामूहिक चिंतन करेंगे तो रोग और बीमारियों को समझकर सही दिशा पकड़ी जा सकती है और रोग निवारक स्वास्थ्य सेवाओं को सक्षम बनाया जा सकता है। इसके साथ ही स्वास्थ्य विभाग पर बढ़ रहे बोझ को भी नियंत्रित किया जा सकता है।

आगामी २०२२ में आजादी के ७५ वर्ष के अमृत महोत्सव का आयोजन होगा, इस सन्दर्भ को ध्यान में रखते हुए गुजरात में स्वास्थ्य सेवाएं अमृतमय बनें इसे तय किया जाना चाहिए।

Shri Narendra Modi’s address at the conference on ‘Healthy Gujarat ‘Agenda for Action’

मुख्यमंत्री अमृतम्- मा योजना गरीबों के लिए अमृतमय बनी है और स्वास्थ्य की रक्षा कर रही है। इसका उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि नई पीढ़ी की माताओं के लिए परिवार में दादी की भूमिका कुपोषण और बालकों की परवरिश के लिए अत्यंत बन सकती है। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए परिवार में दादियों का दायित्व संस्थागत स्तर पर विकसित करने की पहल गुजरात ने की है जिसे व्यापक पैमाने पर ले जाया जाना चाहिए।

स्वास्थ्य सेवाओं और सुरक्षा के लिए टेक्नोलॉजी का विनियोग अधिकतम स्तर पर करने, आधुनिकतम मेडिकल इक्विपमेंट का उपयोग तमाम चिकित्सा सेवाओं के साथ जुड़े डॉक्टर्स-नर्स-पैरामेडिकल स्टाफ को लैस करने और सभी अस्पतालों में ई-लाइब्रेरी की सुविधा उपलब्ध करवाने का मुख्यमंत्री ने आह्वान किया।

श्री मोदी ने हॉस्पिटल्स और सामूहिक-प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, अस्पतालों में हॉस्पिटल मैनेजमेंट तथा टेक्नोलॉजिकल मेडिकल इक्विपमेंट का मैनेजमेंट-व्यवस्था तंत्र विकसित करने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि काफी बड़े बजट से स्वास्थ्य अस्पतालों में आधुनिकतम साधन लगाए गए हों, ऐसे में उनकी सक्षम उपयोगिता सुनिश्चित की जानी चाहिए। विनियमन के लिए उदासीनता दूर करके विशेष संवेदनशीलता के साथ इसके लिए टेक्नोलॉजी सॉफ्टवेयर विकसित करने पर उन्होंने बल दिया। स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भौगोलिक मैपिंग की आवश्यकता को अनिवार्य बतलाते हुए उन्होंने कहा कि सिकलसेल एनीमिया आदिवासी क्षेत्र की समस्या है तो कहीं समाज विशेष में जिनेटकली रोगों की समस्या है। इस सन्दर्भ में हैल्थ क्लइमेटिक जोन का मैपिंग वैज्ञानिक स्तर पर करने से प्रिवेन्टिव हैल्थ प्राबलम का निवारण किया जा सकता है।

इस सन्दर्भ में स्वास्थ्य समस्या के क्षेत्रवार चिंतन बैठकों के चर्चा सेमीनार आयोजित करने का सुझाव देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सिर्फ चिकित्सकों या पैरामेडिकल स्टाफ ही नहीं बल्कि समग्रतया स्वास्थ्य के पैरामीटर्स के साथ सभी को शामिल करने के सर्वग्राही व्यूह का एजेंडा तैयार होना चाहिए।

पशु रोग और गांवों में गंदगी का सामना करने के लिए पशु स्वास्थ्य, गोबर गैस, एनीमल हॉस्टल आदि के नये प्रयोगों से स्वास्थ्य क्षेत्र में आए परिवर्तन फलदायी बने हैं। जिसे देखते हुए मानवता के उत्तम क्षेत्र के रूप में स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाने के महत्वपूर्ण सुझाव मुख्यमंत्री ने दिए। उन्होंने कहा कि कुपोषण के लिए परंपरागत दादी मां का नुस्खे शिशु और गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए उपकारक है। इन पद्धतियों को सर्वग्राही अभिगम के रूप में अपनाया जाना चाहिए।

इस अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री नीतीनभाई पटेल ने अपने विचार व्यक्त किए। इस परिसंवाद में डब्ल्यू.एच.ओ. और यूनिसेफ जैसी वैश्विक संस्था के भारत में डायरेक्टर्स, वरिष्ठ चिकित्सक, स्वास्थ्य सेवा के साथ जुड़े समाजसेवी संगठनों के पदाधिकारीगण और राज्य मंत्रिमंडल के मंत्री मौजूद थे।

स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश किशोर ने सभी का स्वागत किया। स्वास्थ्य आयुक्त श्री तनेजा ने सभी का आभार जताया।

Shri Narendra Modi’s address at the conference on ‘Healthy Gujarat ‘Agenda for Action’

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!