'मेक इन इंडिया' के 10 साल

Published By : Admin | September 25, 2024 | 15:38 IST

‘मेक इन इंडिया’ पहल को आज 10 साल हो गए!

आज, आप में से हर एक को सैल्यूट करने का अवसर है, जिन्होंने इस पहल को एक शानदार सफलता बनाया है। आप में से हर कोई एक पायनियर, विजनरी और इनोवेटर है, जिनके अथक प्रयासों ने ‘मेक इन इंडिया’ की सफलता को बढ़ावा दिया है और इस तरह हमारे देश को वैश्विक ध्यान और जिज्ञासा का केंद्र बनाया है। यह सामूहिक प्रयास, जो निरंतर और दृढ़ है, ने एक सपने को एक शक्तिशाली आंदोलन में बदल दिया है।

‘मेक इन इंडिया’ का प्रभाव दर्शाता है कि भारत अजेय है।

यह एक ऐसा प्रयास था जो दस साल पहले एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ शुरू हुआ था – मैन्युफैक्चरिंग में भारत की प्रगति को बढ़ाना, यह सुनिश्चित करना कि हमारा जैसा प्रतिभाशाली राष्ट्र केवल आयातक नहीं बल्कि निर्यातक भी हो।

इस पिछले दशक पर विचार करते हुए, मैं इस बात पर गर्व महसूस किए बिना नहीं रह सकता कि 140 करोड़ भारतीयों की ताकत और कौशल ने हमें कितनी दूर तक पहुँचाया है। ‘मेक इन इंडिया’ की छाप सभी क्षेत्रों में दिखाई देने लगी है, जिसमें वे क्षेत्र भी शामिल हैं जहाँ हमने कभी प्रभाव डालने का सपना भी नहीं देखा था।

मैं एक-दो उदाहरण देता हूँ।

मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग...हम जानते हैं कि स्मार्टफ़ोन अब कितने महत्वपूर्ण हो गए हैं, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि 2014 में, हमारे पास पूरे देश में केवल दो मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स थीं। आज, यह संख्या बढ़कर 200 से अधिक हो गई है। हमारा मोबाइल निर्यात ₹1,556 करोड़ से बढ़कर ₹1.2 लाख करोड़ हो गया है - जो कि आश्चर्यजनक रूप से 7500% की वृद्धि है! आज, भारत में उपयोग किए जाने वाले 99% स्मार्टफ़ोन ‘मेड इन इंडिया’ हैं। हम वैश्विक स्तर पर दूसरे सबसे बड़े मोबाइल मैन्युफैक्चरर बन गए हैं।

हमारी स्टील इंडस्ट्री को देखें - हम तैयार इस्पात के शुद्ध निर्यातक बन गए हैं, जिसका उत्पादन 2014 से 50% से अधिक बढ़ गया है।

हमारे सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र ने ₹1.5 लाख करोड़ से अधिक का निवेश आकर्षित किया है, जिसमें पाँच प्लांट्स स्वीकृत किए गए हैं, जिनकी कंबाइंड कैपेसिटी प्रतिदिन 7 करोड़ से अधिक चिप्स की होगी!

रिन्यूएबल एनर्जी में, हम वैश्विक स्तर पर चौथे सबसे बड़े उत्पादक हैं, जिसकी क्षमता में मात्र एक दशक में 400% की वृद्धि हुई है। हमारा इलेक्ट्रिक व्हीकल उद्योग, जो 2014 में व्यावहारिक रूप से अस्तित्व में नहीं था, अब 3 बिलियन डॉलर का है।

रक्षा उत्पादन निर्यात ₹1,000 करोड़ से बढ़कर ₹21,000 करोड़ हो गया है, जो 85 से अधिक देशों तक पहुँच गया है।

‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान, मैंने खिलौनों के उद्योग को जीवंत बनाने की आवश्यकता के बारे में बात की थी और हमारे लोगों ने दिखाया कि यह कैसे किया जाता है! पिछले कुछ वर्षों में, हमने निर्यात में 239% की वृद्धि देखी है, जबकि आयात आधे से भी कम हो गया है, जिसका विशेष रूप से हमारे स्थानीय निर्माताओं और विक्रेताओं को लाभ हुआ है और छोटे बच्चों का तो कहना ही क्या! :)

आज के भारत के कई प्रतीक - हमारी वंदे भारत ट्रेनें, ब्रह्मोस मिसाइलें और हमारे हाथों में मौजूद स्मार्टफोन - सभी गर्व से ‘मेक इन इंडिया’ लेबल को दर्शाते हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर अंतरिक्ष क्षेत्र तक, यह भारतीय सरलता और गुणवत्ता का प्रतिनिधित्व करता है।

मेक इन इंडिया पहल इसलिए भी खास है क्योंकि इसने गरीबों को बड़े सपने देखने और आकांक्षाएं जगाने के लिए पंख दिए हैं- इसने उन्हें यह विश्वास दिलाया है कि वे वेल्थ क्रिएटर्स बन सकते हैं। MSME क्षेत्र पर भी इसका प्रभाव बेहद उल्लेखनीय है।

एक सरकार के रूप में, हम इस स्पिरिट को और भी मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारा दस साल का ट्रैक रिकॉर्ड खुद ब खुद बोलता है। उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं ने बड़े बदलाव किए हैं, जिससे हजारों करोड़ के निवेश संभव हुए हैं और लाखों नौकरियां पैदा हुई हैं। हमने कारोबारी सुगमता के मामले में भी महत्वपूर्ण प्रगति की है।

आज भारत के पक्ष में बहुत कुछ चल रहा है- हम डेमोक्रेसी, डेमोग्राफी और डिमांड का सही मिश्रण हैं। हमारे पास ग्लोबल सप्लाई चेन में एक अहम प्लेयर बनने के लिए सभी जरूरी चीजें हैं, जिन्हें बिजनेस के लिए एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में देखा जाता है। हमारे पास सबसे शानदार युवा शक्ति भी है, जिसकी स्टार्टअप जगत में सफलता सभी के सामने है।

इस प्रकार, मोमेंटम स्पष्ट रूप से भारत के पक्ष में है। वैश्विक महामारी जैसी अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, भारत मजबूती से विकास की राह पर अग्रसर है। आज, हमें ग्लोबल ग्रोथ के इंजन के रूप में देखा जा रहा है। मैं अपने युवा साथियों से आह्वान करता हूं कि वे आएं और ‘मेक इन इंडिया’ को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में हमारा साथ दें। हम सभी को उत्कृष्टता के लिए प्रयास करना चाहिए। डिलीवरी की क्वालिटी हमारी प्रतिबद्धता होनी चाहिए। जीरो डिफेक्ट हमारा मंत्र होना चाहिए।

हम मिलकर एक ऐसे भारत का निर्माण कर सकते हैं जो न केवल अपनी आवश्यकताओं को पूरा करेगा, बल्कि दुनिया के लिए मैन्युफैक्चरिंग और इनोवेशन का पावरहाउस भी बनेगा।

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रण उत्सव: एक अद्भुत अनुभव
December 21, 2024

सफेद रण बुला रहा है!

एक अविस्मरणीय अनुभव आपका इंतजार कर रहा है!

आइए, संस्कृति, इतिहास और लुभावनी सुंदरता के अनूठे मिश्रण में खो जाइए!

भारत के पश्चिमी छोर पर स्थित कच्छ, एक मनमोहक स्थान है और समृद्ध विरासत का प्रतीक है। कच्छ में प्रसिद्ध सफेद रण है, जो एक विशाल नमक का रेगिस्तान है और चाँदनी में चमकता है, जिससे अलौकिक अनुभव मिलता है। यह अपनी समृद्ध कला और शिल्प के लिए भी समान रूप से प्रसिद्ध है।

और, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह सबसे अधिक मेहमाननवाज़ लोगों का घर है, जो अपनी जड़ों पर गर्व करते हैं और दुनिया के साथ जुड़ने के लिए उत्सुक हैं।

प्रत्येक वर्ष, कच्छ के स्नेही लोग प्रतिष्ठित रण उत्सव के लिए अपने दरवाजे खोलते हैं - जो इस क्षेत्र की विशिष्टता, लुभावनी सुंदरता और चिरस्थायी भावना का चार महीने तक चलने वाला जीवंत उत्सव है।

इस पोस्ट के माध्यम से, मैं आप सभी डायनमिक, मेहनती पेशेवरों और आपके परिवारों को कच्छ आने और रण उत्सव का आनंद लेने के लिए अपना व्यक्तिगत निमंत्रण दे रहा हूँ। इस वर्ष का रण उत्सव, जो 1 दिसंबर 2024 को शुरू हुआ है, 28 फरवरी 2025 तक चलेगा, जिसमें रण उत्सव में टेंट सिटी मार्च 2025 तक खुली रहेगी।

मैं आप सभी को आश्वस्त करता हूँ कि रण उत्सव एक यादगार अनुभव होगा।

टेंट सिटी, सफेद रण की खूबसूरत पृष्ठभूमि में आरामदायक ठहरने की सुविधा प्रदान करती है। जो लोग रिलैक्स करना चाहते हैं, उनके लिए यह सही जगह है।

और, जो लोग इतिहास और संस्कृति के नए पहलुओं की खोज करना चाहते हैं, उनके लिए भी यहाँ बहुत कुछ करने को है। रण उत्सव की गतिविधियों के अलावा, आप ये भी कर सकते हैं:

UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट (सिंधु घाटी सभ्यता से संबंधित) धोलावीरा की यात्रा के साथ अपने प्राचीन अतीत से जुड़ें।

विजय विलास पैलेस, काला डूंगर घूम कर प्रकृति से जुड़ें।

सफेद नमक के मैदानों से घिरी ‘रोड टू हेवन’ भारत की सबसे खूबसूरत सड़क है। यह लगभग 30 किलोमीटर लंबी है और खावड़ा को धोलावीरा से जोड़ती है।

लखपत किला देखकर हमारी गौरवशाली संस्कृति से जुड़ें।

माता नो मढ़ आशापुरा मंदिर में प्रार्थना करके अपनी आध्यात्मिक जड़ों से जुड़ें।

श्यामजी कृष्ण वर्मा स्मारक, क्रांति तीर्थ पर श्रद्धांजलि अर्पित करके हमारे स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ें।

और, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप कच्छी हस्तशिल्प की विशेष दुनिया में जा सकते हैं, जहां प्रत्येक उत्पाद अनूठा है और कच्छ के लोगों की प्रतिभा का प्रतीक है।

कुछ समय पहले, मुझे स्मृति वन का उद्घाटन करने का अवसर मिला; 26 जनवरी 2001 के भूकंप में हम जिन लोगों को खो चुके हैं, यह उनकी याद में एक स्मारक है। यह आधिकारिक तौर पर दुनिया का सबसे खूबसूरत म्यूजियम है, जिसने UNESCO में प्रिक्स वर्सेल्स 2024 वर्ल्ड टाइटल - इंटीरियर्स जीता है! यह भारत का एकमात्र म्यूजियम भी है जिसने यह उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। यह इस बात की याद दिलाता है कि कैसे ह्यूमन स्पिरिट सबसे चुनौतीपूर्ण वातावरण में भी अनुकूलन, पनपने और बढ़ने में सक्षम है।

तब और अब, एक तुलनात्मक झलक:

करीब बीस साल पहले, अगर आपको कच्छ में आमंत्रित किया जाता, तो आपको लगता कि कोई आपके साथ मज़ाक कर रहा है। आखिरकार, भारत के सबसे बड़े जिलों में से एक होने के बावजूद, कच्छ को बड़े पैमाने पर नजरअंदाज किया गया और उसके हाल पर छोड़ दिया गया। कच्छ की एक तरफ रेगिस्तान है और दूसरी तरफ पाकिस्तान।

कच्छ ने 1999 में सुपरसाइक्लोन और 2001 में भीषण भूकंप देखा। सूखे की समस्या लगातार बनी रही।

सभी ने कच्छ का खत्म मान लिया था।

लेकिन उन्हें कच्छ के लोगों के दृढ़ संकल्प का अनुमान नहीं था।

कच्छ के लोगों ने दिखा दिया कि वे किस मिट्टी के बने हैं, और 21वीं सदी की शुरुआत में उन्होंने एक ऐसा बदलाव शुरू किया जो इतिहास में अद्वितीय है।

हमने मिलकर कच्छ के सर्वांगीण विकास पर काम किया। हमने आपदाओं से निपटने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया और साथ ही, हमने आजीविका के ऐसे साधनों के निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित किया जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि कच्छ के युवाओं को काम की तलाश में अपने घरों से बाहर न जाना पड़े।

21वीं सदी के पहले दशक के अंत तक, लगातार सूखे के लिए जानी जाने वाली भूमि; खेतीबाड़ी के लिए जानी जाने लगी। आम सहित कच्छ के फल विदेशी बाजारों में पहुँच गए। कच्छ के किसानों ने ड्रिप सिंचाई और अन्य तकनीकों में महारत हासिल कर ली, जिससे पानी की हर बूंद की बचत हुई और साथ ही अधिकतम उत्पादकता भी सुनिश्चित हुई।

गुजरात सरकार के इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट पर जोर ने जिले में निवेश सुनिश्चित किया। हमने कच्छ के समुद्रतट का भी उपयोग किया, ताकि इस क्षेत्र को समुद्री व्यापार केंद्र के रूप में फिर से महत्वपूर्ण बनाया जा सके।

वर्ष 2005 में कच्छ की छुपी हुई पर्यटन क्षमता का लाभ उठाने के लिए रण उत्सव की शुरुआत की गई। यह अब एक जीवंत पर्यटन केंद्र बन गया है। रण उत्सव को कई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं।

धोरडो गाँव, जो हर साल रण उत्सव का आयोजन करता है, को यूनाइटेड नेशंस वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गेनाइजेशन (UNWTO) द्वारा 2023 का बेस्ट टूरिज्म विलेज चुना गया। यह गाँव अपनी सांस्कृतिक धरोहर, टिकाऊ पर्यटन और ग्रामीण विकास के लिए जाना जाता है।

इसलिए, मुझे उम्मीद है कि जल्द ही मैं आपसे कच्छ में मिलूंगा! अपने अनुभव सोशल मीडिया पर भी साझा करें, ताकि दूसरों को भी कच्छ आने के लिए प्रेरित किया जा सके।

मैं इस अवसर पर आपको 2025 की शुभकामनाएं देता हूं और आशा करता हूं कि आने वाला वर्ष आपके और आपके परिवारों के लिए सफलता, समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य लेकर आए!