मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य के 18 हजार गांवों में कन्या केळवणी और शाला प्रवेशोत्सव के तीन दिनों से जारी तपस्या यज्ञ की पूर्णाहूति करते हुए संकल्प जताया कि गुजरात के आने वाले कल के निर्माण का यह अभियान समाजशक्ति और सरकार के सामूहिक प्रयास से पूर्ण होगा।

उन्होंने कहा कि यह सरकार बालक के संस्कार, शिक्षा और स्वास्थ्य का जितना ख्याल रखती है, उतना भूतकाल में देश की किसी सरकार ने नहीं रखा। हमने तो गुजरात के एक-एक बालक को शक्तिशाली बनाने के लिए समाज का जनजागरण किया है। उन्होंने प्राथमिक शिक्षा की दुर्दशा को सुधारने के लिए जनता के सहयोग की भूरि-भूरि प्रशंसा की। श्री मोदी ने आज मेहसाणा जिले की सतलासणा तहसील के सरदारपुर, राणपुर और तालेगढ़ में जाकर आंगनवाड़ी के बच्चों और प्राथमिक शाला में बालकों का शाला प्रवेश करवाया।

गुजरात के बालक शालाओं में भर्ती होने के बाद बीच में ही अभ्यास ना छोड़ दें, इसका ध्यान रखने के लिए समग्र भारत में पहल करके सूचना प्रौद्योगिकी के सॉफ्टवेयर स्कूल ड्राप आउट ट्रैकिंग सिस्टम का मेहसाणा जिले में पायलट प्रोजेक्ट शुरू करवाते हुए श्री मोदी ने कहा कि दस वर्ष पहले गुजरात में 41 प्रतिशत बालक प्राथमिक शिक्षा पूरी नहीं करते थे। लेकिन इस दशक के अंत में आज केवल 2-3 बालक ही अभ्यास छोड़ते हैं, इस स्थिति को भी बदलना है। जितने बालक शाला में दाखिल हों वह सब शत-प्रतिशत प्राथमिक शिक्षा पूर्ण करें और आगे अभ्यास के लिए प्रेरित हों, ऐसी स्थिति सुनिश्चित करनी है। ड्राप आउट ट्रैकिंग ई-सिस्टम भविष्य में अभ्यास छोड़ने वाले बालकों का ध्यान रखने के लिए शिक्षक और अभिभावकों को सतर्क रखेगा। पूरे गुजरात में यह प्रयोग शुरू करने का उन्होंने संकल्प जताया।

पिछले नौ वर्षों से राज्य सरकार की पूरी शक्ति को लगाकर प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता सुधार के लिए इतना कड़ा परिश्रम क्यों किया जाता है इसकी वजह स्पष्ट करते हुए श्री मोदी ने कहा कि, आजादी के पचास वर्षों के दौरान प्राथमिक शिक्षा की दुर्दशा हुई है। इसलिए पूरी शिक्षा को गहरे गढ्ढे से बाहर लाने के लिए परिश्रम किया जा रहा है। अन्य अनेक महत्वपूर्ण कामकाज के साथ ही सरकार प्राथमिक शिक्षा को सर्वाधिक प्राथमिकता देती है। केवल प्राथमिक शिक्षा ही नहीं बल्कि उसके माध्यम से राज्य के बालकों का बौद्घिक, मानसिक और शारीरिक विकास हो, ऐसे सर्वांगीण व्यूह के साथ बालकों के संस्कार, शिक्षा और स्वस्थ तन-मन के लिए सरकार ने अनेक पहल की है।

आंगनवाड़ी का महत्व कम नहीं आंकने की अपील करते हुए श्री मोदी ने कहा कि कुपोषण के खिलाफ जंग में बालभोग और मध्याह्न भोजन योजना बालकों को सशक्त बनाएगी। कन्या केळवणी के लिए ग्रामीण मातृशक्ति में आई जागरूकता का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि माता निरक्षर होने की वजह से मुंह छिपाती है लेकिन बेटी भी निरक्षर रह जाए यह मंजूर नहीं है। हम पशु और खेती की जमीन का संरक्षण करने में कोई कमी नहीं छोड़ते तो बालकों की शिक्षा के प्रति उदासीन रहना कैसे स्वीकार्य हो सकता है? शाला प्रवेशोत्सव अभियान की आलोचना करने वालों की मानसिकता को चुनौती देते हुए श्री मोदी ने कहा कि बालकों को गिनती सिखाने वाले मोदी को उसका शौक क्यों है? ऐसी ईर्ष्या से जो लोग पीडि़त हैं वह प्राथमिक शिक्षा का यह यज्ञ क्यों नहीं कर लेते? वह (मुख्यमंत्री) अगर स्वयं पांच गांवों में जाकर बालकों को पढ़ाने का अभियान चलाते हों तो दूसरा कोई उससे भी ज्यादा गांवों में जाकर ऐसा क्यों नहीं कर सकता? उन्हें किसने रोका है?

मुख्यमंत्री के इस अभियान में विधायक भरतसिंह डाभी और तहसील पंचायत प्रमुख सुश्री हेमांगिनीदेवी भी साथ थे। गांव-गांव में मुख्यमंत्री के आगमन के साथ बाल सशक्तिकरण के अनेक आकर्षणों से उत्सव का वातावरण निर्मित हुआ था और ग्रामीण मातृशक्ति विशाल संख्या में कार्यक्रम में शामिल हुई।

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
India’s Biz Activity Surges To 3-month High In Nov: Report

Media Coverage

India’s Biz Activity Surges To 3-month High In Nov: Report
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
प्रधानमंत्री 24 नवंबर को 'ओडिशा पर्व 2024' में हिस्सा लेंगे
November 24, 2024

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 24 नवंबर को शाम करीब 5:30 बजे नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 'ओडिशा पर्व 2024' कार्यक्रम में भाग लेंगे। इस अवसर पर वह उपस्थित जनसमूह को भी संबोधित करेंगे।

ओडिशा पर्व नई दिल्ली में ओडिया समाज फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक प्रमुख कार्यक्रम है। इसके माध्यम से, वह ओडिया विरासत के संरक्षण और प्रचार की दिशा में बहुमूल्य सहयोग प्रदान करने में लगे हुए हैं। परंपरा को जारी रखते हुए इस वर्ष ओडिशा पर्व का आयोजन 22 से 24 नवंबर तक किया जा रहा है। यह ओडिशा की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करते हुए रंग-बिरंगे सांस्कृतिक रूपों को प्रदर्शित करेगा और राज्य के जीवंत सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक लोकाचार को प्रदर्शित करेगा। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख पेशेवरों एवं जाने-माने विशेषज्ञों के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय सेमिनार या सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।