Gujarat Chief Minister addressed a Asia BRTS Conference, Ahmedabad

Published By : Admin | September 6, 2012 | 15:05 IST

क छोटे से कमरे में, एशिया के भिन्न-भिन्न देशों के नीति निर्धारक बैठकर के मल्टीमोड ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम पर सोच रहे हैं। आम तौर पर इस प्रकार के सेमीनार सिंगापोर में होते हैं, टोक्यो में होते हैं, कभी-कभी बीजिंग में होते हैं। इस प्रकार के विषयों का नेतृत्व कभी भी हिंदुस्तान को नसीब नहीं होता है। लेकिन ये गुजरात का सौभाग्य और अहमदाबाद का कमाल है कि बी.आर.टी.एस. की सफलता ने एशिया के अनेक देशों को यहाँ खींच लाने के लिए सफलता प्राप्त की है। ऐेसे मैं इस शहर को हृदय से बहुत=बहुत अभिनंदन करता हूँ, बधाई देता हूँ..!

ज विश्व के सभी देशों के सामने ट्रांसपोर्टेशन के विषय को लेकर एक बहुत बडी चिंता का हम अनुभव कर रहें हैं। एक तो बढ़ती हुई जनसंख्या, मल्टीमोड ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम्स, बढ़ती हुई वेहिकलों की संख्या, इंसान का स्पीड की ओर अधिक लगाव और दूसरी तरफ एनर्जी क्राइसिस। इन सभी सवालों के जवाब हमें एक साथ ढूंढ़ने हैं, ताकि लोगों को बस की सुविधाएं मिलें, ट्रांसपोर्टेशन की सुविधाएं मिलें, एनर्जी कन्ज़रवेशन में हम कुछ कान्ट्रीब्यूट करें, लोगों के समय की बचत करें, हमारी व्यवस्थाएं ऐसी हों जिसमें सामान्य मानवी को सुरक्षा का अहसास हो, इन सभी पहलुओं पर अगर हमने सोचने में देरी की, तो कितना बड़ा सकंट पैदा हो सकता है इसका हम अंदाजा लगा सकते हैं। आज किसी व्यक्ति को मुंबई जाना है, मुंबई में बसना है तो सबसे पहले उसके दिमाग में समस्या यह आती है कि दिनभर मैं आऊंगा कैसे-जाऊंगा कैसे..? वह पचास बार सोचता है, सबसे पहले समस्या ये आती है। आज हिंदुस्तान के कई शहर ऐसे हैं कि जहाँ डेस्टिनैशन पर पहुँचने का एवरेज टाइम 55 से 60 मिनट है। अभी हम गुजरात में भागयवान हैं, अहमदाबाद-सूरत जैसे शहरों में अभी भी हमारा रिचिंग टाइम एवरेज 20 मिनट का है। लेकिन फिर भी, चाहे ये 20 हो, 55 हो या कहीं पर 60 हो, ये अपने आप में इसको कैसे कम किया जाए और फिर भी सुविधा बढ़ाई जाए, यह एक बहुत बड़ी चैलेंज है, और इस चैलेंज को हम कैसे पूरा कर पाएंगे..!

दूसरी बात है कि इन सारे विषयों को अगर हम टुकड़ों में सोचेंगे, कि चलिए भाई, आज लोगों को जाने-आने में दिक्कत हो रही है, तो ट्रांसपोर्ट के लिए सोचो..! फिर कभी बैठेंगे तो सोचेंगे कि बच्चों को स्कूल जाने की व्यवस्था के लिए सोचो..! तीसरे दिन सोचेंगे, कि चलिए भाई, वहाँ कोई फैस्टिवल हो रहा है, तो वहाँ का ही कुछ सोचो..! अगर टुकड़ों में चीजों को सोचा जाएगा तो इन समस्याओं का कभी समाधान नहीं होगा। और इसलिए हमारे देश ने और विशेष कर के एशिया के कुछ देशों ने इस क्षेत्र में काम किया है, उनसे सीखते हुए हमें पूरे गवर्नेंस के मॉडल को विकसित करना पड़ेगा, अर्बन डेवलपमेंट का साइंटिफिक एप्रोच क्या हो, इस पर हमें बल देना होगा। हम सिर्फ हाउसिंग इन्डस्ट्री को एड्रेस करें, हाउसिंग प्राब्लम को एड्रेस करें और रोड इंफ्रास्ट्रक्चर को ना करें, हम रोड इंफ्रास्ट्रक्चर को करें लेकिन ट्रांसपोर्टेशन को ना करें, हम ट्रांसपोर्टेशन को करें लेकिन पावर सप्लाई को ना करें, हम पावर सप्लाई को करें लेकिन गैस ग्रिड को ना करें, हम गैस ग्रिड को करें लेकिन ब्रॉड-बैंड कनेक्टिविटी ना दें... अगर हम ऐसे टुकड़ों में करेंगे, तो मैं नहीं मानता हूँ कि हम सुविधाओं को पहुँचा सकते हैं। और इसलिए एक इन्टीग्रेटेड हॉलिस्टिक एप्रोच, और उसके लिए सबसे पहली आवश्यकता जो मैं अपने देश में महसूस करता हूँ, कि जिस प्रकार से आई.आई.एम. के अंदर भिन्न-भिन्न प्रकार के कोर्सेज चलते हैं, एम.बी.ए. के भिन्न-भिन्न प्रकार के कोर्सेज चलते हैं, ये समय की मांग है कि हमारे देश में जितना हो सके उतना जल्दी अर्बन मैनेजमेंट,अर्बन इनिशियेटिव्स को लेकर के युनिवर्सिटीज में ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट पर विशेष ध्यान दिया जाए। एक्सपर्ट टैलेंट हमको तैयार करनी होगी, जो इन बढ़ते हुए, क्योंकि गुजरात एक ऐसा स्टेट है जहाँ हमारा आज 42% अर्बन पॉप्यूलेशन है और 50% पॉप्यूलेशन अर्बन एरिया पर डिपेन्डन्ट है, अगर यह मेरी स्थिति है तो मेरे लिए आवश्यक बन जाता है। आज इस प्रकार का सांइटिफिक नॉलेज रखने वाले ह्यूमन रिसोर्स भी उपलब्ध नहीं है। अगर कहीं कोई विदेश पढ़ करके आया है, तो ऐसे दो चार लोग मिल जाएंगे कि जिन्होंने इसी विषय पर मास्टरी की है। आवश्यकता यह है कि हमारे देश की गिवन सिचूऐशन के संदर्भ में, एशियन कंट्रीज़ की गिवन सिचूएशन के संदर्भ में, हम किस प्रकार का अर्बन मैनेजमेंट खड़ा कर सकते हैं..! और जब अर्बन मैनेजमेंट का पूरा सोचते हैं, तब जा कर के उसमें ट्रासंपोर्टेशन का मुद्दा आता है।

ब जैसे गुजरात जैसा प्रदेश है, बी.आर.टी.एस. में हम सफल हुए, और कभी-कभी मुझे लगता है कि हम बी.आर.टी.एस. में सिर्फ सफल होते तो दुनिया का ध्यान नहीं जाता..! हमारा दुर्भाग्य यह है कि हम कितना ही पसीना बहाएं, कितना ही अच्छा करें, लेकिन शुरू में किसी का उस पर ध्यान नहीं जाता है। जब दिल्ली में बी.आर.टी.एस. फेल हुआ, तब गुजरात पर ध्यान गया। अगर दिल्ली फेल ना गया होता तो हमारी सक्सेस की तरफ किसी की नजर नहीं जाती..! हमारे यहाँ ‘ज्योती ग्राम योजना’, चौबीस घंटे, थ्री फेज़, अनइन्ट्रप्टेड पावर गुजरात के अंदर पिछले पांच-छह साल से हम सप्लाई कर रहे हैं, सक्सेसफुली कर रहे हैं, लेकिन देश का कभी ध्यान नहीं गया। लेकिन अभी थोड़े दिन पहले जब पूरा हिंदुस्तान अंधेरे में फंस गया, 19 राज्य अंधेरे में फंस गएं, तब लोगों को गुजरात का उजाला दिखाई दिया और वॉशिंगटन पोस्ट तक सबको लिखना पड़ा कि एक गुजरात है जहाँ एनर्जी की दिशा में ये सेल्फ सफिशियंट है। तो ये दिल्ली में जब बी.आर.टी.एस. फेल गया, तब जा करके गुजरात के अहमदाबाद के बी.आर.टी.एस. प्रोजेक्ट की सफलता की तरफ दुनिया का ध्यान गया..! मित्रों, ये बी.आर.टी.एस. की बात हो, कोई भी बात हो, एक बात लिख कर रखिए, जब भी दिल्ली विफल जाएगा,गुजरात सक्सेस करके दिखाएगा। व्हेनएवर दिल्ली फेल्स,गुजरात सक्सीड्स..! और हम सफलता कि दिशा में, सफलता की ओर लोगों को ले जाने के पक्ष में हैं।

ब हम बी.आर.टी.एस. पर रुकने के मूड में नहीं हैं, और ट्रांसपोर्टेशन के सिस्ट्म्स की ओर हम आगे बढऩा चाहते हैं। अभी आप लोगों को जिस दिन मैंने कांकरिया और रिवर फ्रंट का लोकार्पण किया था, उस दिन हमने कहा था कि हिंदुस्तान में पहली बार हम एम्फि सर्विस को शुरू करने जा रहे हैं। साबरमती रिवर फ्रंट के अंदर जो कि नर्मदा का पानी बहा है, अब उसमें हम उस ट्रांस्पोर्टेशन को ला रहे हैं कि जिस में बस पानी में चलेगीऔर जहाँ पानी पूरा हो जाएगा, फिर वो जमीन पर दौडऩे लगेगी..! हमें नई-नई व्यवस्थाओं का उपयोग करना होगा।

ब गुजरात के पास 1600 किलोमीटर कोस्टलाइन है। लेकिन अभी तक ट्रांसपोर्टेशन के लिए भी इस 1600 किलोमीटर कोस्टलाइन का उपयोग होना चाहिए, इस पर ध्यान नहीं दिया गया। हम आने वाले दिनों में, और हम बीते हुए कल के गाने गा करके दिन गुजारने वाले लोग नहीं हैं, रोज नए सपने देखते हैं और सपनों को साकार करने के लिए जी-जान से जुटते रहते हैं..! 1600 किलोमीटर कोस्टलाइन, विद इन स्टेट, हमारा पूरा ट्रांसपोर्टेशन मोड क्यों ना बने..? सारा हमारा जो बर्डन आज है उसको हम कितना परसेंट रिड्यूस कर सकते हैं..! आज हमारे जो नेशनल हाइवेज़ हैं, आज अगर मुबंई से कोई लगेज आता है और मुझे मुंद्रा तक ले जाना है, या मुझे कच्छ मांडवी तक ले जाना है, अगर वो ही लगेज को मैं समुद्री तट से ले आता हूँ, तो मैं पूरे ट्रांसपोर्टेशन का कितना प्रेशर कम कर देता हूँ..! और सेफ और सस्ता भी कर देता हूँ, एनर्जी सेविंग का भी काम कर सकता हूँ। और इसलिए हम अभी 1600 किलोमीटर कोस्टलाइन पर अभी इन्फ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर रहे हैं।

मुझे याद है, मैं जब छोटा था, स्कूल में पढ़ता था, अखबार पढऩे की आदत थी, तो हर मुख्यमंत्री या मंत्री के मुंह से एक बात हम बचपन में पढ़ा करते थे, सुना करते थे कि घोघा-दहेज फेरी सर्विस..! मैं मुख्यमंत्री बना तो मैंने लोगों से सवाल पूछा कि भाई, मैं ये बचपन से सुनता-पढ़ता आया हूँ, इसका हुआ क्या..? मित्रों, अखबार में तो हम चीज देखते थे लेकिन कागज पर, फाइल में कहीं नजर नहीं आती थी..! और मैंने वो बीड़ा उठाया है और मैं उस घोघा-दहेज फेरी सर्विस को शुरू करने जा रहा हूँ। अभी इसका इन्फ्रास्ट्रक्चर का काम चल रहा है, दोनो तरफ चल रहा है। अब ये एक नया ट्रांसपोर्टेशन का मोड होगा, सौ से अधिक व्हीकल उसके अंदर आ जाएंगे, एक हजार से अधिक पैसेंजर आ जाएंगे... कितना एनर्जी सेविंग होगा, कितना समय का बचाव होगा, और कितना एग्ज़िस्टिंग ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम के प्रेशर को वो कम करेगा..! हम उस दिशा में जा रहे हैं।

मित्रों, मेरे गुजरात की लाइफ लाइन है नर्मदा,लेकिन सिर्फ पानी बहता रहे तो वो लाइफ लाइन रहेगी ऐसा मैं नहीं मानता..! मैंने कुछ लोगों को अभ्यास करने में लगाया है कि गुजरात के हार्ट में से निकलने वाली 500 किलोमीटर की कैनाल है, मेन कैनाल, क्या उसके अंदर हम ट्रांसपोर्टेशन की व्यवस्थाओं को विकसित कर सकते हैं..? लोगों को फन भी मिल जाएगा, प्रेशर भी कम होगा और कम से कम लगेज तो ले जा सकते हैं..! छोटे से, पानी से एक फुट ऊंचे ऐसा एक बने तो कहीं पर भी ब्रिज आता होगा, नाले के नीचे से निकलना होगा, तो भी वो 500 किलोमीटर लॉंग..., यानि जो काम करने के लिए अरबों-खरबों रूपये 500 किलोमीटर रोड बनाने के लिए लग जाएगा, वो आज वॉटर वे ट्रांसपोर्ट सिस्टम से हो सकता है क्या..? हम इसको कैसे आगे बढ़ाएं..!

मेट्रो ट्रेन..! अहमदाबाद में,सूरत में,बड़ौदा में, मेट्रो ट्रेन कि दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। लेकिन अगर सूरत के मेट्रो ट्रेन का मॉडल एक होगा, बड़ौदा की मेट्रो ट्रेन का मॉडल एक होगा, अहमदाबाद का मेट्रो ट्रेन का एक मॉडल होगा, तो ये बिखरी हुई अवस्था हमें मंजूर नहीं है। इसलिए हिंदुस्तान में, गुजरात विल बी द फर्स्ट स्टेट, जो हम आने वाले दिनों में मल्टीमोडएफॉर्डेबल ट्रांसपोर्ट अथोरिटी का निर्माण करने वाले हैं। एक अम्ब्रेला के नीचे गुजरात के सभी शहरों में इंटरसिटी के लिए, इवन हमारे जो नए स्पेशल इनवेस्टमेंट रिजन बन रहे हैं वहाँ पर,ये मल्टीमोडएफॉर्डेबल, इस काम को करने के लिए एक सेपरैट ट्रांसपोर्ट अथोरिटी बनाएंगे और शॉर्टफॉर्म होगा उसका, ‘एम. ए. टी. ए. - माता’..! और माता शब्द आते ही सुविधाएं ही सुविधाएं मिलती हैं, जहाँ माता शब्द होता है..! तो ये ‘माता’ शब्द के साथ मल्टीमोड एफॉर्डेबल ट्रांसपोर्ट अथोरिटी का निर्माण गुजरात के अंदर किया जाएगा और जितने भी प्रकार के आवागमन के संसाधनों की व्यवस्थाएं हैं, आज एग्ज़िस्टिंग हैं, नई आने की संभावनाएं हैं, एक होलिस्टिक एप्रोच और एक दूसरे के साथ कॉन्ट्रडिक्टरी ना हो, एक-दूसरे के साथ नए कॉन्ट्रास्ट पैदा करें ऐसे ना हों, एक दूसरे के पूरक हों और व्यवस्था ऐसी कॉमन हो, ताकि काफी खर्च नीचे लाया जा सके। अगर सूरत का एक बोर्ड है, अहमदाबाद का दूसरा बोर्ड है, तो दोनों का सप्लाई करने वाली टीमें अलग बन जाएगी, खर्चा बढ़ जाएगा। लेकिन अगर मार्केट कॉमन पैदा किया जाए, तो मैन्युफैक्चरिंग भी कॉमन होगा, तो उसके कारण उसकी कॉस्ट नीचे लाने में भी बहुत सुविधा होगी, और उस दिशा में काम करने का हम प्रयास कर रहे हैं।

मित्रों, जो लोग गुजरात की विकास यात्रा को देखते हैं, मैं जानता हूँ कि स्वस्थता पूर्वक, बारीकियों से चीजों को एनालिसिस करने का स्वभाव समाज में कम होता जा रहा है। अध्ययन करके चीजों का मूल्यकांन करने की आदत कम होती जा रही है। ऐसे बहुत से अच्छे इनिशियेटिव होते हैं, जिस पर किसी का ध्यान जाता नहीं है। क्या कारण होगा कि बी.आर.टी.एस. का नाम हमने ‘जन मार्ग’ रखा हुआ है, क्या कारण है कि हजारों करोड़ रूपयों की गोल्डन वैल्यू की जमीन हमने इस प्रकार से इस काम के लिए लगा दी होगी..! वरना इसकी कीमत की जाए तो हजारों करोड़ रूपये की कीमत की जमीन है जिस पर आज बी.आर.टी.एस. दौड़ रही है, लेकिन स्टडी करके इतने अरबों-खरबों रूपया खपाना..! कुछ लोग कहते हैं कि इतने बढिय़ा... मेरी आलोचना क्या हुई है..? मेरी आलोचना ये हुई है कि इतने बढिय़ा बस स्टेशन की क्या जरूरत थी..? मुझे कभी-कभी ये गरीब सोच वाले लोग होते हैं, उन पर बड़ी दया आती है। सामान्य मानवी के लिए अगर अच्छी सुविधा होती है तो लोगों की आंख में चुभने लगती है, लेकिन अरबों-खरबों का एयरपोर्ट बन जाता है,तो लोगों के आंख में नहीं चुभता..! एयरपोर्ट अच्छा क्यों बना ऐसा कोई सवाल नहीं पूछता है, लेकिन बस स्टेशन अच्छा क्यों बना, हमें सवाल पूछा जा रहा है..? क्या सामान्य मानवी के लिए अच्छी सुविधा नहीं होनी चाहिए, हमें इसके लिए क्वेश्चन किया जाता है..? और ये कुछ लोगों की मानसिक दरिद्रता होती है। और मुझे एक कथा बराबर याद है, बहुत सालों पहले की घटना है और सत्य घटना है। मैं मेहसाणा के प्लेटफार्म पर खड़ा था और वहाँ पर भीख मांगने वाला एक इंसान, किसी ने ब्रेड दिया होगा, तो ब्रेड अपने हाथ के अंदर ऐसे डूबो-डूबो कर खा रहा था और बड़े चाव से खा रहा था। मेरी यूँ ही नजर गई, मैंने देखा कि उसके हाथ में तो कुछ है नहीं, तो ये ब्रेड जो है उसे ऐसे डूबो-डूबो कर कैसे खा रहा है..? तो मेरा मन कर गया और उस गरीब आदमी के पास जाकर मैंने पूछा। मैंने कहा भइया, तुम ब्रेड खा रहे हो, तेरे हाथ में तो कुछ है नहीं, ये ऐसे बराबर डूबो-डूबो कर क्यों खा रहे हो..? तो उसने मुझे जवाब दिया, उसने कहा साहब, ऐसा है कि अकेली ब्रेड टेस्टी नहीं लगती, तो मैं मन से सोचता हूँ कि मेरे हाथ में नमक है और नमक में डूबो के मैं उसे खा रहा हूँ..! मैंने कहा यार, कल्पना ही करनी है तो श्रीखंड की कर, नमक की क्यों कर रहा है..? लेकिन वो गरीब आदमी की कल्पना की दरिद्रता इतनी थी कि वो उससे बाहर नहीं जा सका था..! मित्रों, आप गुजरात का अध्ययन करेंगे तो देखेंगे कि जो गरीबों की भलाई के काम हैं उसको ऊचांई पर ले जाने की हमारी सोच है। हमने ‘ज्योतिग्राम योजना’ क्यों की..? सामान्य मानवी को 24 घंटे बिजली क्यों नहीं मिलनी चाहिए..! अमीर तो अपने घर में जनरेटर लगा सकता है, गरीब के घर में स्वीच ऑन करने से बिजली मिलनी चाहिए। उन गरीबों के प्रति लगाव का परिणाम है कि ‘ज्योतिग्राम योजना’ ने जन्म लिया..! ‘108’ क्यों आई..? किसी अमीर को अस्पताल जाना है तो उसके लिए पचास एम्बूलेंस घर के सामने खड़ी हो जाएंगी, हैल्थ केयर करने वाला एक पूरा कोन्वॉय उसके घर आ जाएगा। सामान्य आदमी बीमार हो तो कहाँ जाएगा और उस पीड़ा में से, उस दर्द में से ‘108’ सेवा का जन्म हुआ और आज गरीब से गरीब व्यक्ति एक रूपया खर्च किये बिना ‘108’ अपने घर पर बुला सकता है और उसको आगे ले जा सकता है। अभी परसों हमने एक कार्यक्रम किया, हिंदुस्तान में पहली बार ऐसा कार्यक्रम हमने दिया है। ‘खिलखिलाट’, ये ‘खिलखिलाट’ योजना..! अस्पताल तक तो ले जाती है ‘108’, लेकिन वो ठीक होने के बाद, बच्चा जन्म लेता है और बच्चे को लेकर वो घर जाता है और उसको अगर सही व्यवस्था नहीं मिली, और 48 अवर्स में बच्चा जब घर जा रहा है और उसको कोई इनफ़ेक्शन लग गया, तो हमें उस बच्चे की जान गंवा देनी पड़ती है। उस बच्चे की जिंदगी बचाने के लिए, उस मां और उस नवजात शिशु को उसके घर तकछोडऩे के लिए मुफ्त में ट्रांसपोर्टेशन देने का काम, ये ‘खिलखिलाट’ योजना हमने दो दिन पूर्व समर्पित की।

मारी हर योजना के केन्द्र में गरीब हैबी.आर.टी.एस.,गरीब सामान्य मानवी को समय पर पहुँचाने के लिए और सम्मान पूर्वक बैठने के लिए हमने व्यवस्था की। हमने स्मार्ट कार्ड बनाया तो किसका पास बनाया? स्मार्ट कार्ड योजना से एक सामान्य मानवी के लिए टिकट की व्यवस्था की। हमने बिलो पॉवर्टी लाइन के लोगों को, जो सस्ता अनाज की दुकान से पी.डी.एस. सिस्टम का लाभ लेने के लिए दुकान पर जाते हैं, तो गुजरात इज़ द ओन्ली स्टेट, जिसने बार कोड सिस्टम बनाई है ताकि उसको किस तारिख को माल मिला वहाँ तक का पूरा रिकार्ड होगा और कोई दुकानदार उसको डिनाई नहीं कर सकता है। इस प्रकार की व्यवस्था क्यों की..? हमारे दिलो-दिमाग के अंदर हर पल एक गरीब आदमी की सुख-सुविधा रहती है। जितनी भी योजनाएं हैं, उसका कोई अध्ययन करेगा तो उसको ध्यान आएगा। गुजरात एक ऐसा प्रदेश है, 2001 में जब मैंने कार्यभार संभाला था तब मेरे राज्य के अंदर मुश्किल से 32% माताएं ऐसी थीं,जिन्हें इंस्टीट्यूशनल डिलीवरी का लाभ मिलता था, अस्पताल में उनकी डिलीवरी होती थी, ओन्ली 32%..! भाइयों-बहनों, गरीबों के लिए योजनाएं बनाईं, ‘चिरंजीवी स्कीम’ लाए, सरकार ने हिस्सा लिया, पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप का मॉडल लाए, नई व्यवस्थाएं खड़ी कीं... और आज मैं गर्व से कहता हूँ कि मेरे राज्य के अंदर करीब 96% इंस्टीट्यूशनल डिलीवरी होती हैं, गरीब माताओं की प्रसूती अस्पतालों में होने लगी हैं या डॉक्टरों की मदद से होने लगी हैं..! ये स्थिति हम लाए क्यों..? मुझे गरीब मां को बचाना है, गरीब बच्चों को बचाना है और इसलिए की है। जितनी भी योजनाओं का अध्ययन करोगे, वो बी.आर.टी.एस. का होगा तो भी, उस योजना के केन्द्र में सामान्य मानवी की सुविधा है, गरीब मानवी की सुविधा है। उस प्रेरणा से काम हो रहा है और तब जाकर के बी.आर.टी.एस. सफल होती है, तब जाकर के योजनाएं सफल होती हैं और उस योजनाओं को सफल करने की दिशा में प्रयास करते हैं।

आने वाले दिनों में हमारे यहाँ जापान के साथ मिल कर के एक डेडिकैटेड इंडस्ट्रियलकॉरिडोर खड़ा हो रहा है। वो भी ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम के अगल-बगल में डेवलपमेंट का पूरा मॉडल है, वो भी होने वाला है। हम कैनाल नेटवर्क का उपयोग करना चाहते हैं, हम कोस्टल नेटवर्क का उपयोग करना चाहते हैं, हम इंटर डिस्ट्रीक्ट का, तीन सिटी का प्लान तैयार करने जा रहे हैं जिसको ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम की प्राथमिकता से जोडऩा चाहते हैं। यानि, इतने विषयों के इनिशियेटिव दिमाग में भरे पड़े हैं जिसको धरती पर उतारने के सपने लेकर के काम कर रहे हैं, उसमें ये जो एशिया की कान्फ्रेंस हो रही है, यह एशिया की कान्फ्रेंस हमें भी नई दिशा और दर्शन देंगे, नई शक्ति देंगे, नए विचार देंगे, और उसको लेकर के हम इस शहर के सामान्य मानवी की सुख सुविधाओं में और अधिक बढ़ोतरी कर पाएंगे।

मुझे आप सब के बीच आने का अवसर मिला, आप सब से बात करने का सौभाग्य मिला, मैं अहमदाबाद म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन का बहुत आभारी हूँ और इस इनिशियेटिव के लिए उनका अभिनदंन करता हूँ..!

य जय गरवी गुजरात...!!

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भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

नमस्कार,

अभी दो ढाई घंटे पहले ही मैं कुवैत पहुंचा हूं और जबसे यहां कदम रखा है तबसे ही चारों तरफ एक अलग ही अपनापन, एक अलग ही गर्मजोशी महसूस कर रहा हूं। आप सब भारत क अलग अलग राज्यों से आए हैं। लेकिन आप सभी को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे मेरे सामने मिनी हिन्दुस्तान उमड़ आया है। यहां पर नार्थ साउथ ईस्ट वेस्ट हर क्षेत्र के अलग अलग भाषा बोली बोलने वाले लोग मेरे सामने नजर आ रहे हैं। लेकिन सबके दिल में एक ही गूंज है। सबके दिल में एक ही गूंज है - भारत माता की जय, भारत माता की जय I

यहां हल कल्चर की festivity है। अभी आप क्रिसमस और न्यू ईयर की तैयारी कर रहे हैं। फिर पोंगल आने वाला है। मकर सक्रांति हो, लोहड़ी हो, बिहू हो, ऐसे अनेक त्यौहार बहुत दूर नहीं है। मैं आप सभी को क्रिसमस की, न्यू ईयर की और देश के कोने कोने में मनाये जाने वाले सभी त्योहारों की बहुत बहुत शुभकानाएं देता हूं।

साथियों,

आज निजी रूप से मेरे लिए ये पल बहुत खास है। 43 years, चार दशक से भी ज्यादा समय, 43 years के बाद भारत का कोई प्रधानमंत्री कुवैत आया है। आपको हिन्दुस्तान से यहां आना है तो चार घंटे लगते हैं, प्रधानमंत्री को चार दशक लग गए। आपमे से कितने ही साथी तो पीढ़ियों से कुवैत में ही रह रहे हैं। बहुतों का तो जन्म ही यहीं हुआ है। और हर साल सैकड़ों भारतीय आपके समूह में जुड़ते जाते हैं। आपने कुवैत के समाज में भारतीयता का तड़का लगाया है, आपने कुवैत के केनवास पर भारतीय हुनर का रंग भरा है। आपने कुवैत में भारत के टेलेंट, टेक्नॉलोजी और ट्रेडिशन का मसाला मिक्स किया है। और इसलिए मैं आज यहां सिर्फ आपसे मिलने ही नहीं आया हूं, आप सभी की उपलब्धियों को सेलिब्रेट करने के लिए आया हूं।

साथियों,

थोड़ी देर पहले ही मेरे यहां काम करने वाले भारतीय श्रमिकों प्रोफेशनल्श् से मुलाकात हुई है। ये साथी यहां कंस्ट्रक्शन के काम से जुड़े हैं। अन्य अनेक सेक्टर्स में भी अपना पसीना बहा रहे हैं। भारतीय समुदाय के डॉक्टर्स, नर्सज पेरामेडिस के रूप में कुवैत के medical infrastructure की बहुत बड़ी शक्ति है। आपमें से जो टीचर्स हैं वो कुवैत की अगली पीढ़ी को मजबूत बनाने में सहयोग कर रही है। आपमें से जो engineers हैं, architects हैं, वे कुवैत के next generation infrastructure का निर्माण कर रहे हैं।

और साथियों,

जब भी मैं कुवैत की लीडरशिप से बात करता हूं। तो वो आप सभी की बहुत प्रशंसा करते हैं। कुवैत के नागरिक भी आप सभी भारतीयों की मेहनत, आपकी ईमानदारी, आपकी स्किल की वजह से आपका बहुत मान करते हैं। आज भारत रेमिटंस के मामले में दुनिया में सबसे आगे है, तो इसका बहुत बड़ा श्रेय भी आप सभी मेहनतकश साथियों को जाता है। देशवासी भी आपके इस योगदान का सम्मान करते हैं।

साथियों,

भारत और कुवैत का रिश्ता सभ्यताओं का है, सागर का है, स्नेह का है, व्यापार कारोबार का है। भारत और कुवैत अरब सागर के दो किनारों पर बसे हैं। हमें सिर्फ डिप्लोमेसी ही नहीं बल्कि दिलों ने आपस में जोड़ा है। हमारा वर्तमान ही नहीं बल्कि हमारा अतीत भी हमें जोड़ता है। एक समय था जब कुवैत से मोती, खजूर और शानदार नस्ल के घोड़े भारत जाते थे। और भारत से भी बहुत सारा सामान यहां आता रहा है। भारत के चावल, भारत की चाय, भारत के मसाले,कपड़े, लकड़ी यहां आती थी। भारत की टीक वुड से बनी नौकाओं में सवार होकर कुवैत के नाविक लंबी यात्राएं करते थे। कुवैत के मोती भारत के लिए किसी हीरे से कम नहीं रहे हैं। आज भारत की ज्वेलरी की पूरी दुनिया में धूम है, तो उसमें कुवैत के मोतियों का भी योगदान है। गुजरात में तो हम बड़े-बुजुर्गों से सुनते आए हैं, कि पिछली शताब्दियों में कुवैत से कैसे लोगों का, व्यापारी-कारोबारियों का आना-जाना रहता था। खासतौर पर नाइनटीन्थ सेंचुरी में ही, कुवैत से व्यापारी सूरत आने लगे थे। तब सूरत, कुवैत के मोतियों के लिए इंटरनेशनल मार्केट हुआ करता था। सूरत हो, पोरबंदर हो, वेरावल हो, गुजरात के बंदरगाह इन पुराने संबंधों के साक्षी हैं।

कुवैती व्यापारियों ने गुजराती भाषा में अनेक किताबें भी पब्लिश की हैं। गुजरात के बाद कुवैत के व्यापारियों ने मुंबई और दूसरे बाज़ारों में भी उन्होंने अलग पहचान बनाई थी। यहां के प्रसिद्ध व्यापारी अब्दुल लतीफ अल् अब्दुल रज्जाक की किताब, How To Calculate Pearl Weight मुंबई में छपी थी। कुवैत के बहुत सारे व्यापारियों ने, एक्सपोर्ट और इंपोर्ट के लिए मुंबई, कोलकाता, पोरबंदर, वेरावल और गोवा में अपने ऑफिस खोले हैं। कुवैत के बहुत सारे परिवार आज भी मुंबई की मोहम्मद अली स्ट्रीट में रहते हैं। बहुत सारे लोगों को ये जानकर हैरानी होगी। 60-65 साल पहले कुवैत में भारतीय रुपए वैसे ही चलते थे, जैसे भारत में चलते हैं। यानि यहां किसी दुकान से कुछ खरीदने पर, भारतीय रुपए ही स्वीकार किए जाते थे। तब भारतीय करेंसी की जो शब्दाबली थी, जैसे रुपया, पैसा, आना, ये भी कुवैत के लोगों के लिए बहुत ही सामान्य था।

साथियों,

भारत दुनिया के उन पहले देशों में से एक है, जिसने कुवैत की स्वतंत्रता के बाद उसे मान्यता दी थी। और इसलिए जिस देश से, जिस समाज से इतनी सारी यादें जुड़ी हैं, जिससे हमारा वर्तमान जुड़ा है। वहां आना मेरे लिए बहुत यादगार है। मैं कुवैत के लोगों का, यहां की सरकार का बहुत आभारी हूं। मैं His Highness The Amir का उनके Invitation के लिए विशेष रूप से धन्यवाद देता हूं।

साथियों,

अतीत में कल्चर और कॉमर्स ने जो रिश्ता बनाया था, वो आज नई सदी में, नई बुलंदी की तरफ आगे बढ़ रहा है। आज कुवैत भारत का बहुत अहम Energy और Trade Partner है। कुवैत की कंपनियों के लिए भी भारत एक बड़ा Investment Destination है। मुझे याद है, His Highness, The Crown Prince Of Kuwait ने न्यूयॉर्क में हमारी मुलाकात के दौरान एक कहावत का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था- “When You Are In Need, India Is Your Destination”. भारत और कुवैत के नागरिकों ने दुख के समय में, संकटकाल में भी एक दूसरे की हमेशा मदद की है। कोरोना महामारी के दौरान दोनों देशों ने हर स्तर पर एक-दूसरे की मदद की। जब भारत को सबसे ज्यादा जरूरत पड़ी, तो कुवैत ने हिंदुस्तान को Liquid Oxygen की सप्लाई दी। His Highness The Crown Prince ने खुद आगे आकर सबको तेजी से काम करने के लिए प्रेरित किया। मुझे संतोष है कि भारत ने भी कुवैत को वैक्सीन और मेडिकल टीम भेजकर इस संकट से लड़ने का साहस दिया। भारत ने अपने पोर्ट्स खुले रखे, ताकि कुवैत और इसके आसपास के क्षेत्रों में खाने पीने की चीजों का कोई अभाव ना हो। अभी इसी साल जून में यहां कुवैत में कितना हृदय विदारक हादसा हुआ। मंगफ में जो अग्निकांड हुआ, उसमें अनेक भारतीय लोगों ने अपना जीवन खोया। मुझे जब ये खबर मिली, तो बहुत चिंता हुई थी। लेकिन उस समय कुवैत सरकार ने जिस तरह का सहयोग किया, वो एक भाई ही कर सकता है। मैं कुवैत के इस जज्बे को सलाम करूंगा।

साथियों,

हर सुख-दुख में साथ रहने की ये परंपरा, हमारे आपसी रिश्ते, आपसी भरोसे की बुनियाद है। आने वाले दशकों में हम अपनी समृद्धि के भी बड़े पार्टनर बनेंगे। हमारे लक्ष्य भी बहुत अलग नहीं है। कुवैत के लोग, न्यू कुवैत के निर्माण में जुटे हैं। भारत के लोग भी, साल 2047 तक, देश को एक डवलप्ड नेशन बनाने में जुटे हैं। कुवैत Trade और Innovation के जरिए एक Dynamic Economy बनना चाहता है। भारत भी आज Innovation पर बल दे रहा है, अपनी Economy को लगातार मजबूत कर रहा है। ये दोनों लक्ष्य एक दूसरे को सपोर्ट करने वाले हैं। न्यू कुवैत के निर्माण के लिए, जो इनोवेशन, जो स्किल, जो टेक्नॉलॉजी, जो मैनपावर चाहिए, वो भारत के पास है। भारत के स्टार्ट अप्स, फिनटेक से हेल्थकेयर तक, स्मार्ट सिटी से ग्रीन टेक्नॉलजी तक कुवैत की हर जरूरत के लिए Cutting Edge Solutions बना सकते हैं। भारत का स्किल्ड यूथ कुवैत की फ्यूचर जर्नी को भी नई स्ट्रेंथ दे सकता है।

साथियों,

भारत में दुनिया की स्किल कैपिटल बनने का भी सामर्थ्य है। आने वाले कई दशकों तक भारत दुनिया का सबसे युवा देश रहने वाला है। ऐसे में भारत दुनिया की स्किल डिमांड को पूरा करने का सामर्थ्य रखता है। और इसके लिए भारत दुनिया की जरूरतों को देखते हुए, अपने युवाओं का स्किल डवलपमेंट कर रहा है, स्किल अपग्रेडेशन कर रहा है। भारत ने हाल के वर्षों में करीब दो दर्जन देशों के साथ Migration और रोजगार से जुड़े समझौते किए हैं। इनमें गल्फ कंट्रीज के अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, मॉरिशस, यूके और इटली जैसे देश शामिल हैं। दुनिया के देश भी भारत की स्किल्ड मैनपावर के लिए दरवाज़े खोल रहे हैं।

साथियों,

विदेशों में जो भारतीय काम कर रहे हैं, उनके वेलफेयर और सुविधाओं के लिए भी अनेक देशों से समझौते किए जा रहे हैं। आप ई-माइग्रेट पोर्टल से परिचित होंगे। इसके ज़रिए, विदेशी कंपनियों और रजिस्टर्ड एजेंटों को एक ही प्लेटफॉर्म पर लाया गया है। इससे मैनपावर की कहां जरूरत है, किस तरह की मैनपावर चाहिए, किस कंपनी को चाहिए, ये सब आसानी से पता चल जाता है। इस पोर्टल की मदद से बीते 4-5 साल में ही लाखों साथी, यहां खाड़ी देशों में भी आए हैं। ऐसे हर प्रयास के पीछे एक ही लक्ष्य है। भारत के टैलेंट से दुनिया की तरक्की हो और जो बाहर कामकाज के लिए गए हैं, उनको हमेशा सहूलियत रहे। कुवैत में भी आप सभी को भारत के इन प्रयासों से बहुत फायदा होने वाला है।

साथियों,

हम दुनिया में कहीं भी रहें, उस देश का सम्मान करते हैं और भारत को नई ऊंचाई छूता देख उतने ही प्रसन्न भी होते हैं। आप सभी भारत से यहां आए, यहां रहे, लेकिन भारतीयता को आपने अपने दिल में संजो कर रखा है। अब आप मुझे बताइए, कौन भारतीय होगा जिसे मंगलयान की सफलता पर गर्व नहीं होगा? कौन भारतीय होगा जिसे चंद्रयान की चंद्रमा पर लैंडिंग की खुशी नहीं हुई होगी? मैं सही कह रहा हूं कि नहीं कह रहा हूं। आज का भारत एक नए मिजाज के साथ आगे बढ़ रहा है। आज भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी इकॉनॉमी है। आज दुनिया का नंबर वन फिनटेक इकोसिस्टम भारत में है। आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम भारत में है। आज भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता देश है।

मैं आपको एक आंकड़ा देता हूं और सुनकर आपको भी अच्छा लगेगा। बीते 10 साल में भारत ने जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, भारत में जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, उसकी लंबाई, वो धरती और चंद्रमा की दूरी से भी आठ गुना अधिक है। आज भारत, दुनिया के सबसे डिजिटल कनेक्टेड देशों में से एक है। छोटे-छोटे शहरों से लेकर गांवों तक हर भारतीय डिजिटल टूल्स का उपयोग कर रहा है। भारत में स्मार्ट डिजिटल सिस्टम अब लग्जरी नहीं, बल्कि कॉमन मैन की रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल हो गया है। भारत में चाय पीते हैं, रेहड़ी-पटरी पर फल खरीदते हैं, तो डिजिटली पेमेंट करते हैं। राशन मंगाना है, खाना मंगाना है, फल-सब्जियां मंगानी है, घर का फुटकर सामान मंगाना है, बहुत कम समय में ही डिलिवरी हो जाती है और पेमेंट भी फोन से ही हो जाता है। डॉक्यूमेंट्स रखने के लिए लोगों के पास डिजि लॉकर है, एयरपोर्ट पर सीमलैस ट्रेवेल के लिए लोगों के पास डिजियात्रा है, टोल बूथ पर समय बचाने के लिए लोगों के पास फास्टटैग है, भारत लगातार डिजिटली स्मार्ट हो रहा है और ये तो अभी शुरुआत है। भविष्य का भारत ऐसे इनोवेशन्स की तरफ बढ़ने वाला है, जो पूरी दुनिया को दिशा दिखाएगा। भविष्य का भारत, दुनिया के विकास का हब होगा, दुनिया का ग्रोथ इंजन होगा। वो समय दूर नहीं जब भारत दुनिया का Green Energy Hub होगा, Pharma Hub होगा, Electronics Hub होगा, Automobile Hub होगा, Semiconductor Hub होगा, Legal, Insurance Hub होगा, Contracting, Commercial Hub होगा। आप देखेंगे, जब दुनिया के बड़े-बड़े Economy Centres भारत में होंगे। Global Capability Centres हो, Global Technology Centres हो, Global Engineering Centres हो, इनका बहुत बड़ा Hub भारत बनेगा।

साथियों,

हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। भारत एक विश्वबंधु के रूप में दुनिया के भले की सोच के साथ आगे चल रहा है। और दुनिया भी भारत की इस भावना को मान दे रही है। आज 21 दिसंबर, 2024 को दुनिया, अपना पहला World Meditation Day सेलीब्रेट कर रही है। ये भारत की हज़ारों वर्षों की Meditation परंपरा को ही समर्पित है। 2015 से दुनिया 21 जून को इंटरनेशन योगा डे मनाती आ रही है। ये भी भारत की योग परंपरा को समर्पित है। साल 2023 को दुनिया ने इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर के रूप में मनाया, ये भी भारत के प्रयासों और प्रस्ताव से ही संभव हो सका। आज भारत का योग, दुनिया के हर रीजन को जोड़ रहा है। आज भारत की ट्रेडिशनल मेडिसिन, हमारा आयुर्वेद, हमारे आयुष प्रोडक्ट, ग्लोबल वेलनेस को समृद्ध कर रहे हैं। आज हमारे सुपरफूड मिलेट्स, हमारे श्री अन्न, न्यूट्रिशन और हेल्दी लाइफस्टाइल का बड़ा आधार बन रहे हैं। आज नालंदा से लेकर IITs तक का, हमारा नॉलेज सिस्टम, ग्लोबल नॉलेज इकोसिस्टम को स्ट्रेंथ दे रहा है। आज भारत ग्लोबल कनेक्टिविटी की भी एक अहम कड़ी बन रहा है। पिछले साल भारत में हुए जी-20 सम्मेलन के दौरान, भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर की घोषणा हुई थी। ये कॉरिडोर, भविष्य की दुनिया को नई दिशा देने वाला है।

साथियों,

विकसित भारत की यात्रा, आप सभी के सहयोग, भारतीय डायस्पोरा की भागीदारी के बिना अधूरी है। मैं आप सभी को विकसित भारत के संकल्प से जुड़ने के लिए आमंत्रित करता हूं। नए साल का पहला महीना, 2025 का जनवरी, इस बार अनेक राष्ट्रीय उत्सवों का महीना होने वाला है। इसी साल 8 से 10 जनवरी तक, भुवनेश्वर में प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन होगा, दुनियाभर के लोग आएंगे। मैं आप सब को, इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित करता हूं। इस यात्रा में, आप पुरी में महाप्रभु जगन्नाथ जी का आशीर्वाद ले सकते हैं। इसके बाद प्रयागराज में आप महाकुंभ में शामिल होने के लिए प्रयागराज पधारिये। ये 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलने वाला है, करीब डेढ़ महीना। 26 जनवरी को आप गणतंत्र दिवस देखकर ही वापस लौटिए। और हां, आप अपने कुवैती दोस्तों को भी भारत लाइए, उनको भारत घुमाइए, यहां पर कभी, एक समय था यहां पर कभी दिलीप कुमार साहेब ने पहले भारतीय रेस्तरां का उद्घाटन किया था। भारत का असली ज़ायका तो वहां जाकर ही पता चलेगा। इसलिए अपने कुवैती दोस्तों को इसके लिए ज़रूर तैयार करना है।

साथियों,

मैं जानता हूं कि आप सभी आज से शुरु हो रहे, अरेबियन गल्फ कप के लिए भी बहुत उत्सुक हैं। आप कुवैत की टीम को चीयर करने के लिए तत्पर हैं। मैं His Highness, The Amir का आभारी हूं, उन्होंने मुझे उद्घाटन समारोह में Guest Of Honour के रूप में Invite किया है। ये दिखाता है कि रॉयल फैमिली, कुवैत की सरकार, आप सभी का, भारत का कितना सम्मान करती है। भारत-कुवैत रिश्तों को आप सभी ऐसे ही सशक्त करते रहें, इसी कामना के साथ, फिर से आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद।