ये मेरे लि‍ए सौभाग्‍य की बात है कि आ जमुझे बहुत छोटी उम्र वाले भारत के एक मित्र देश की संसद के संयुक्‍त अधिवेशन को संबोधित करने का सौभाग्‍य मिला है। मैं सबसे पहले भूटान की उस महान परंपरा को अभिनन्‍दन करता हूँ। जिस राजपरिवार ने भूटान में उच्‍च मूल्‍यों की प्रस्‍थापना की, भूटान के सामान्‍य से सामान्‍य नागरिक की सुखकारी, यहाँ की सांस्‍कृतिक विरासत को अक्षुण्‍ण रखना और विकास भी करना है लेकिन साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा के संबंध में पूरी जागरूकता का रखना। ये परंपरा एक या दो पीढ़ी की नहीं है। राजपरिवार की कई पीढि़यों ने बड़ी सजगता के साथ इसे निभाया है, आगे बढ़ाया है और इसके लि‍ए उस महान परंपरा के धनी राजपरिवार को मैं भारत की तरफ से बहुत-बहुत बधाई देता हूँ, अभिनंदन करता हूँ। 

विश्‍व का जो आज मानस है और खासकर के पिछली एक शताब्‍दी में सत्‍ता का वि‍स्‍तार,राजनीति का केंद्रीयकरण,करीब-करीब पिछली पूरी शताब्‍दी इसी प्रकार की गतिविधियों से भरी पड़ी है, लेकिन भूटान अपवाद सिद्ध हुआ है। 

भूटान ने, विश्‍व में एकतरफ जब सत्‍ता के विस्‍तार का और सत्‍ता के केंद्रीयकरण का माहौल था, भूटान ने लोकतंत्र की मजबूत नींव डालने का प्रयास कि‍या। विश्‍व के कई भू-भागों में सत्‍ता हथियाने के निरंतर प्रयास चलते रहते हैं। विस्‍तारवाद की मानसिकता से ग्रस्‍त राजनीति‍ दल के नेता भूटान ने, बहुत ही उत्‍तम तरीके से, लोकशिक्षा के माध्‍यम से जन-मन को धीरे-धीरे तैयार करते हुए, संवैधानिक व्‍यवस्‍थाओं को नि‍श्‍चि‍त करते हुए,यहाँ लोकतांत्रि‍क परंपराओं को प्रतिस्‍थापि‍त किया। सात वर्ष लोकतंत्र के लिए कोई बहुत बड़ी उम्र नहीं होती है। लेकि‍न सात वर्ष के भीतर-भीतर, भूटान ने संवैधानिक मर्यादाएँ, लोकतांत्रिक मूल्‍यों और लोकतंत्र के अंदर सबसे बड़ी ताकत होती है स्‍वयंशिष्‍ट। नागरि‍कों की तरफ से स्‍वयंशि‍ष्‍ट, राजनीतिक दलों की तरफ से स्‍वयंशिष्‍ट, चुने हुए जन-प्रतिनिधियों की तरफ से स्‍वयंशिष्‍ट और स्‍वयं राजपरिवार की तरफ से भी स्‍वयंशिष्‍ट। ये अपने आप में एक उत्‍तम उदाहरण के रूप में आज दुनिया के सामने प्रस्‍तुत है। इसी के कारण,सात साल के भीतर-भीतर यहाँ की लोकतांत्रिक प्रक्रियाएँ, यहाँ के संसद की गरिमा, यहाँ के जन-प्रतिनिधियों के प्रति सामान्‍य मानव की आस्‍था, उत्‍तरोत्‍तर बढ़ रही है। मैं इसे शुभ संकेत मानता हूँ। 

सात साल की कम अवधि‍में सत्‍ता परिवर्तन होना,ये अपने आप में यहाँ के नागरिकों की जागरूकता का उत्‍तम परि‍चय है। जहाँ है वहाँ सेअच्‍छा करने के लिए, ज्‍यादा अच्‍छा करने के लिए, जवाबदेही तय करने के लिए, यहाँ के मतदाताओं ने जो जागरूकता दिखाई है वे स्‍वस्‍थ लोकतांत्रिक परंपरा के लिए मैं शुभ संकेत मानता हूँ। 

भारत में भी अभी-अभी चुनाव हुआ है। दुनि‍या का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। भारत के लोकतंत्रोंके बीच का जो फलकहै,विश्‍व के सभी देशों के लिए एक बड़ा अजूबा है। पूरा यूरोप और अमेरीका में मि‍लकर के जितने लोग मतदाता हैं उससे ज्‍यादा एक अकेले हिंदुस्‍तान मेंमतदाता हैं।इतना बड़ा, विशाल, लोकतंत्र का ये उत्‍सव होता हैऔर आजादी के बाद पहली बार, साठ साल के इतिहास में पहली बार, भारत के मतदाताओं ने परंपरागत रूप से जो शासन में थे ऐसे दल को छोड़ करके भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत के साथ सेवा करने का अवसर दिया है। 

ये लोकतंत्र की ताकत है और इस पूरे भूखंड में लोकतांत्रिकशक्‍ति‍याँ जितनी सामर्थ्‍यवान होंगी, लोकतांत्रिक मूल्‍यों की जितनी प्रस्‍थापना अधिक कारगर ढंग से होगी, उपखंड की शांति के लिए, उपखंड के विकास के लिए और उपखंड के गरीब से गरीबनागरिकों की भलाई के लिए एक सशक्‍त माध्‍यम सि‍द्ध होगा। भारत ने, भारत के नागरिकों ने,वि‍कास के लि‍ए ‘गुड गवर्नेंस’ के लिए जनादेश दिया है और जैसे अभी आदरणीय स्‍पीकर महोदय बता रहे थे कि भारत जितना सशक्‍त होगा उतना ही भूटान को लाभ होगा। मैं उनकी इस बात सेशत प्रतिशत सहमतहूँ। 

न सि‍र्फ भूटान लेकिन भारत के सशक्‍त होने से, भारत के समृद्ध होने से,इस पूरे भूखंड में और विशेषकरकेसार्कदेशों की भलाई के लिए भारत का सुखी-संपन्‍न होना आवश्‍यकहै। तभी जाकेभारत अपने अड़ोस-पड़ोस के छोटे-छोटे देशों की कठि‍नाइयों को दूर करने के कामआ सकता है। उनकी बची मुसीबतों में से पड़ोसी देश कहाँ जाएगा। पड़ोसी देश की पहली नजर अपने पड़ोसियों की तरफ जाती है। अब पड़ोसी का भी पड़ोसी धर्म निभाना एक कर्तव्‍य बन जाता है लेकि‍नअगर भारत ही दुर्बल होगा,भारत ही शक्‍ति‍शाली नहीं होगा, भारत ही अपनी आंतरिक समस्‍याओं को जूझता रहता होगा तो अड़ोस-पड़ोसि‍यों के सुख की चिंता कैसे कर पाएगा? इसलि‍ए, भारत के आस-पास के सभी साथियों का, मित्रों का,पड़ोसि‍यों का कल्‍याण हो तो उसके लि‍ए भी भारत हमेशा जागरूक रहा है,भारत हमेशा प्रयत्‍नशील रहा है। 

जब हमारी नई सरकार बनी और बहुत ही कम अवधि‍में हमने जब ‘सार्क’देशों के नेताओं को वहाँ बुलाया और सब के सब प्रमुख लोग वहाँ उपस्थित रह करके,हमारीसंसद की शोभा बढ़ाई। भूटान के आदरणीय प्रधानमंत्री जी भी वहाँ आए, मैं इसके लि‍ए आदरणीय प्रधानमंत्री जी का, भूटान का,हृदय से आभार व्‍यक्‍त करता हूँ, अभिनंदन करता हूँ। भारत और भूटान के संबंध,क्‍या कुछ शासकीय संबंध हैं क्‍या? अगर हम ये सोचें कि‍ये शासन व्‍यवस्‍थाओं के संबंध हैंतो शायद हमारी गलतफहमी होगी। भूटान में भी शासकीय परि‍वर्तन आया,लोकतांत्रि‍क व्‍यवस्‍था वि‍कसि‍त हुई लेकि‍न संबंधों को कोई आँच नहीं आयी। भारत में भी कई बार शासन व्‍यवस्‍थाएँ बदली हैं लेकि‍न भारत और भूटान के संबंधों को कोई आँच नहीं आईहै और उसका कारण भारत और भूटान के संबंध सि‍र्फ शासकीय व्‍यवस्‍थाओं के कारण नहीं हैं, भारत और भूटान के संबंध सांस्‍कृति‍क वि‍रासत के कारण है, सांस्‍कृति‍क परंपराओं के हमारे बंधनों के कारण है, हमारे सांस्‍कृति‍क वि‍भाजनों के कारण है। 

हम एक इसलि‍ए नहीं हैं कि हमने सीमाएँ खोली हैं, हम एकता की अनुभूति‍इसलि‍ए करते हैं कि‍हमने अपने दि‍ल के दरवाजे खोल करके रखे हैं। भूटान हो या भारत हमने अपने दि‍ल के दरवाजे खोल करके रखे हैं तभी तो हम एकता की अनुभूति‍करते हैंऔर इस एकता में, ताकत की अनुभूति‍करते हैं। ये शासन व्‍यवस्‍थाओं के बदलने से दि‍ल के दरवाजे बन्‍द नहीं होते हैं,सीमा की मर्यादाएँ पैदा नहीं होती हैं। भूटान और भारत का नाता उस अर्थ में एक ऐति‍हासि‍क धरोहर है और भारत और भूटान की आने वाली पीढ़ि‍यों को भी इस ऐति‍हासि‍क धरोहरको सम्‍भालना है,संजोए रखना है और उसको और अधि‍क ताकतवर बनानाहै। 

भारत की ये नई सरकार, भारत के कोटि‍कोटि‍जन,इसके लि‍ए प्रति‍बद्ध है। मैं कल भूटान आया, भूटान की यह मेरी पहली यात्रा है। अब प्रधानमंत्री बनने के बाद और इतनी, चुनाव में ऐसीस्‍थि‍ति‍बनने के बाद, इतना बढ़ि‍या जनादेश मि‍लने के बाद कि‍सी का भी मोह कर जाता हैकि‍दुनि‍या के कि‍सी भी बड़े ताकतवर देश में चले जाएँ, दुनिया के कि‍सी समृद्ध देश में चले जाएँ,जहाँ और वाहवाही हो जाएगी।ये लालच आना स्‍वाभावि‍क है लेकि‍न मेरे अंतरमन से आवाज़ उठी कि‍मैं भारत केप्रधानमंत्री के रूप में पहली बार अगरकहीं जाऊँगा तो भूटान जाऊँगा। इसके लिए मुझे ज्‍यादा सोचना नहीं पड़ा,कोई योजना नहीं बनाई। ये मेरा सहज कदम था, सवाल तोमेरी आत्‍मा मुझे तब पूछती किआप भूटान गये क्‍यों नहीं? क्‍योंकि‍अपनापन का इतना नाता है और यही नाता है जो मुझे आज आप सबके बीच आने का सौभाग्‍य दे रहा है। 

भूटान का विकास किसी भी छोटे देश के लिए और इतनी कठिनाईयों से जी रहे देश के लिए,वि‍श्‍व के हर देश के लि‍ए आने वाले दस साल में हम देखेंगेकि वि‍श्‍व के छोटे-छोटे देश अपने विकास के लिए,भूटान ने इन दो-तीन दशक में कैसे प्रगति‍की इस तरफ बारीकी से देखेंगे ऐसा मुझेमहसूस हो रहा है। जि‍स मक्तमता के साथ आपने विकास को आखिरी छोर के इंसान तक पहुँचाने का प्रयास किया है। ये अभिनंदन के पात्र हैं और दुनि‍या विकासदर की चर्चा कर रही हैं, जी. डी. पी. की चर्चा कर रही है और भूटान ‘Happiness’ की चर्चा कर रहा है। ये अपने आप में शासकके दि‍ल में आखिरी छोर पर बैठे हुए व्‍यक्ति की कल्‍याण की भावना न होगी तो ‘Happiness’ की कल्‍पना नहीं होगी और इसलिए रास्‍ते बन जाएँ, पानी के नल लग जाएँ, स्‍कूल खुल जाएँ, अस्‍पताल बन जाएँ, ये सब तो होगा लेकिन इसके लिए कोई लाभार्थ भी है, उसके जीवन में सुख आया है कि नहीं आया है, उसके जीवन में संतोष आया है कि नहीं आया है, उसके जीवन में आनंद की अनुभूति हो रही है या नहीं हो रही है।ये मानक तय करना होगा। इसका मतलब विकास की इकाई देश नहीं है, वि‍कास की इकाई राज्‍य नहीं है, वि‍कास की इकाई दृष्टि नहीं है लेकि‍न वि‍कास की इकाई हर ‘इंडिविजुअल’ है। ये अपने आप में एक बहुत बड़ा साहसि‍क नि‍र्णय है हर एक ‘इंडिविजुअल’ उस विकास की कि‍स ऊँचाई को पार कर रहा है, पा रहा है,वो चैन की नींद सो पा रहा है कि‍नहीं सो पा रहा है।अपने संतानों को जि‍स दिशा में ले जाना चाहता था, ले जा पा रहा है किनहीं ले जा पा रहा है। इतनी बारीकी से सोचना और इसके लि‍ए कार्ययोजना करना ये अपने आप में एक प्रेरक है। 

भूटान प्रकृति की गोद में बसा है। वि‍पुल प्राकृति‍क वि‍राट देश है, साथ-साथ भूटान ऊर्जा का स्रोत भी है। पिछले कुछ वर्षों में भारत और भूटान ने मि‍ल करके ऊर्जा के क्षेत्र में एक मजबूत पहल की है। उस पहल को हम और आगे बढ़ाना चाहते हैं और भूटान में ‘हाइड्रो पावर’ के माध्‍यम से बिजली उत्‍पादन करके न हम सिर्फ भूटान की आर्थिक स्थिति में सही कदमउठा रहे हैं, इतना ही नहीं हैऔर न ही हम भारत के भू-भाग का अँधेरा छांटने के लि‍ए काम कर रहे हैं, इतना सीमित नहीं है। 

भारत और भूटान का ये संयुक्‍त प्रयास ‘ग्‍लोबल वार्मिं‍ग’ से जूझ रही मानवता के लिए,‘ग्‍लोबल वार्मि‍ग’ से जूझ रहे पूरे वि‍श्‍व के लि‍ए, कुछ न कुछ हमारी तरफ से ‘contribution’ काएक सात्‍वि‍क प्रयास है। एक ‘sustainable’ विकास की दिशा में एक बड़ी ताकत के रूप में आया है। मैं आशा करूँगा कि दुनि‍या, भारत और भूटान के संयुक्‍त प्रयास को ‘ग्‍लोबल वार्मिंग’ के खिलाफ हमारी इस लड़ाई को, मानवजाति‍के कल्‍याण के लि‍ए हमारे प्रयास को, भावी पीढ़ी के कल्‍याण के प्रयास के लिए उसे देखा जाएगा। ऐसा मुझे वि‍श्‍वास है। 

मुझे इस बात की खुशी हुई कि 2014 में भूटान अपने बजट की काफी राशि‍शि‍क्षा के लि‍ए खर्च करने जा रहा है।इसका मतलब यह हुआ कि भूटान आज की पीढ़ी के सुख की नहीं,आने वाले पीढ़ि‍यों के ‘Happiness’ के लिए भी आज बीज बो रहा है। दुनि‍या में कहावत प्रचलि‍त है कि‍जो लोग एक साल के लिए सोचते हैं, वे अन्‍न की खेती करते हैं, जो लोग 10 साल के लि‍ए सोचते हैं, वो फूलों और फलों की खेती करते हैं लेकि‍न जो पीढ़ि‍यों की सोचते हैं वे मनुष्‍य बोतेहैं। शि‍क्षा,ये अपने आप में मनुष्‍य बोने का उत्‍तम से उत्‍तम प्रयास है जि‍ससे उत्‍तम नई पीढ़ि‍यों का नि‍र्माण होता हैं। 

मैं इस सार्थकप्रयास के लि‍ए भूटान के राजपरि‍वारों को, भूटान के जन-प्रति‍नि‍धि‍यों को और संसद में बैठे हुए सभी माननीय संसद सदस्‍यों को हृदय से अभि‍नंदन करता हूँ। उन्‍होंने शि‍क्षा को प्राथमि‍कता दी है औरजब आप दो कदम चले हैं तो हमारा भी मन करता है कि‍एक कदम हम भी आपके साथ चलें और इसलि‍ए शि‍क्षा को आधुनि‍क ‘टेकनोलॉजी’ से जोड़ने के लिए, शि‍क्षा के माध्‍यम से विश्‍व की खिड़की खोलने के लिए,भूटान के बालकों को भी अवसर मिलना चाहिए और इसलिए भारत नेभूटान में ‘ई-लाइब्रेरी’ का नेटवर्क बनाने के लिएतय कि‍या हैऔर ‘ई-लाइब्रेरी’ केकारण भूटान के बालक ज्ञान के भंडार के साथ जुड़ जाएंगे। दुनियां का जो भी ज्ञान उन्‍हें पाना होगा वो इस ‘टेक्‍नोलॉजी’ के माध्‍यम से पा सकेंगे। विश्‍व के ‘Latest’ से ‘Latest Magazine’ से उनको अपना सरोकार करना होगा, वो कर पाएँगे। 

तो शि‍क्षा में आपका ये नि‍वेश और भारत का उससे ‘Technological support’ यहाँ की नई पीढ़ी को आधुनि‍क ही बनाएगा और वि‍श्‍व के साथ कदम से कदम मि‍लाकरके चलने की ताकत भी देगा। ऐसा मुझे पूरा वि‍श्‍वास है। जब यहाँ शि‍क्षा का प्रारंभि‍क काल था तब से भारत के बहुत बड़ी मात्रा में शि‍क्षक भूटान में आया करते थे। दुर्गम इलाकों मेंजा करके यहाँ के लोगों को शिक्षित करने का काम करते थे ।और जब कोई राष्‍ट्र अपने यहाँ से दूसरे देश में शि‍क्षक भेजता है तो वो सत्‍ता केवि‍स्‍तरण का मकसद कभी नहीं होता है। जब शि‍क्षक भेजता है तब उसके मन में उस राष्‍ट्र को जड़ोंसेमजबूत करने का एक नेक इरादा होता है और दशकों से भारत से भूटान में बहुत बड़ी मात्रा में शि‍क्षक आए हैं। कठि‍न जीवन जी करके भी उन्‍होंने पुरानी पीढ़ि‍यों को शि‍क्षि‍त करने का प्रयास कि‍या है। वे, भूटान की जड़ों को मजबूत करने का एक नेक इरादे का अभि‍व्‍यक्‍ति‍है।उस बात को आगे बढ़ाते हुए शासन ने भी बहुत बड़ी मात्रा में ‘scholarship’ दे करके भूटान के होनहार नौजवानों को भारत के अच्छी से अच्छी ‘युनि‍वर्सिटियों’ में शि‍क्षा का प्रबंध कि‍या है। 

आज जब मैं आया हूँ तो मैंने कल आदरणीय प्रधानमंत्री जी को कहा था, ‘scholarship’ दे रहें हैं उसे हम ‘डबल’ करेंगें ताकि‍अधि‍क नौजवानों को आधुनि‍क शि‍क्षा पाने के लि‍ए सौभाग्‍य अवसर प्राप्‍त हो। उसी प्रकार से हमने कुछ और तरीके से भी आगे के दि‍शा में सोचना होगा। मेरा जब से भूटान आने का मन कर गया। मैं लगातार भूटान के साथ अपने संबंधों को और अधि‍क व्‍यापक पथ पर कैसे वि‍स्‍तृत करें, वि‍कसि‍त करें, इस पर सोचा क्या है? मेरे मन में वि‍चार आया जि‍तने हि‍मालयन ‘States’ हैं हिन्दुस्तान के और भूटान के, भवि‍ष्‍य में नेपाल जुड़ जाए तो नेपाल भी। क्या हम हर वर्ष एक स्‍पेशल खेल समारोह नहीं कर सकते हैं?हमारा सि‍क्‍किम है, अरूणाचल है, मि‍जोरम है, नागालैण्ड है, आसाम है,आपके पड़ोस में है और एक प्रकार से रूचि‍, वृत्‍ति‍, प्रभुति‍, प्रकृति‍सब बराबर-बराबर हैंतो एक नई पीढ़ी खेल-कूद के माध्‍यम से उनको जोड़ने का प्रयास होगा। भारत सरकार भी इस पर सोचेगी, छोटे-छोटे राज्‍य भी सोचेंगे और भूटान भी सोचेगा। हर वर्ष अलग-अलग प्रदेशों में हम खेल के माध्‍यम से भी मि‍लेंगे। भूटान में भी मि‍लेंगे क्‍योंकि‍खेल के माध्‍यम से, ‘sports’ के माध्‍यम से ‘sportsmen spirit’ आताहैऔर हमारे पड़ोसी राज्‍यों और पड़ोसी देशों के साथ ‘स्‍पोर्ट्समैन स्‍प्रिट’ जि‍तना ज्‍यादा बढ़ता है उतना समाज जीवन के अंदर ‘Happiness’ में भी अच्‍छा माहौल भी बनता है। 

स्‍वस्‍थ समाज के नि‍र्माण की ओर काम होता है। उसी प्रकार से यह आवश्‍यक है कि‍भारत के बालक भी जाने कि भूटान कहाँ है, कैसा है, इति‍हास क्‍या है सांस्‍कृति‍क्‍या है, परंपरा क्‍या है, मूल्‍य क्‍या है और भूटान जोकि‍भारत के साथ अटूट रूप से जुड़ा हुआ है। भूटान की भी नई पीढ़ी जाने आखि‍र कि हिंदुस्‍तान के हमारा पुराना नाता क्‍या रहा है। सदि‍यों से हम ऐसे कैसे जुड़े हैं। हि‍न्‍दुस्‍तान की वो कौन-सी ताकत है,वो कौन-सी परंपरा है जि‍सको जानना समझना चाहि‍ए। क्‍यों न हम आधुनि‍क वि‍ज्ञान और टेक्‍नोलॉजी के माध्यमसे प्रति‍वर्ष भूटान और भारत के बालकों के बीच ‘Quiz Competition’ करें,हमारे नौजवान तैयारी करें, एक-दूसरे देशों के बारीक जानकारि‍यों के लि‍ए competition हो, उस स्पर्द्धा में उत्‍तीर्ण हो नौजवान। मैं देख रहा हूँ कि‍भूटान के काफी लोग हिंदी समझ लेते हैं क्‍योंकि‍बहुत बड़ी मात्रा में हिंदुस्‍तान पढ़ने के लि‍ए जाते हैं। अब हिंदुस्‍तान में पढ़ने के लि‍ए जाते हैं, अगर उनको थोड़ा वहाँ की भाषा का ज्ञान प्रारंभि‍क रूप में परि‍चि‍त हो जाएँ तो उनको पढ़ने में बहुत सुवि‍धा बढ़ती है। इसको हम कैसे आगे बढ़ा सकते हैं इस पर हम सोचेंगें। भारत का ‘satellite ’क्‍या हमारे भूटान के वि‍कास के लि‍ए काम आ सकती है क्‍या? 'Space Technology’ के माध्‍यम से भारत भूटान की और मदद कर सकता है क्‍या? हमारे जो वैज्ञानिक हैं वे उस पर सोचें और भूटान के साथ बैठ करके भविष्य में ‘Space Science’ के माध्‍यम से हम दोंनों देशों को किस प्रकार से जोड़ सकते हैं, किस प्रकार से हमारे संबंधों को विकसित कर सकते हैं, उसका हम प्रयास करें। 

कभी-कभी ऐसा लगता है,लोग कहते हैं कि हि‍मालय हमें अलग करता है,सोचने का ये एक तरीका है। मेरा सोचने का तरीका दूसरा है और मैं सोचता हूँ कि हि‍मालय हमें अलग नहीं करता है; हि‍मालय हमें जोड़ता है। हि‍मालय हमारी साझी वि‍रासत है। हि‍मालय के उस पार रहने वाले भी हि‍मालय को उतना ही प्‍यार करते हैं जि‍तना हि‍मालय के इस छोर पर रहने वाले करते हैं। दोनों तरफ बसे हुए लोग हि‍मालय के प्रति‍उतना ही आदर और गौरव की अनुभूति‍करते हैं। दोनों तरफ के क्षेत्रों के लि‍ए हि‍मालय एक शक्‍ति‍का स्रोत बना हुआ है। हि‍मालय से दोनों को बहुत लाभ मि‍ला है। 

समय की माँग है कि‍एक वैज्ञानि‍क तरीके से ‘हि‍मालय रेंजेज’ का ‘study’ हो ‘climate’ के संदर्भ में हो, प्राकृति‍क संपदा के संबंध में हो, उस वि‍रासत का आने वाली पीढ़ी के लि‍ए कैसे उपयोग कि‍या जा सके, भारत ने आने वाले दि‍नों में सोचा है। एक ‘National Action Plan for Climate change’ दूसरा भारत गंभीरतापूर्वक इस बात पर सोच रहा है कि‍‘National Mission for sustaining Himalayan Eco system’। लेकि‍न ये अकेला भारत नहीं कर सकता। 

अड़ोस-पड़ोस के देशों को मि‍ल करके इसको करना होगा और हम इसके लि‍ए एक संयुक्‍त रूप से कैसे आगे बढ़े, उस दि‍शा में हम सोचना चाहते हैं। हमारी सरकार ने एक और भी ‘इनि‍सि‍एटीव’ लेने के लि‍ए सोचा है, हम चाहते हैं एक ‘सेंट्रल युनि‍वर्सि‍टी ऑफ हि‍मालयन स्‍टडीज’इसका ‘initiative ’लि‍या जाए और एक ‘Central University for Himalayan Studies’ के माध्‍यम से यहाँ के जन-जीवन,यहाँ के प्राकृति‍क संपदा, यहाँ पर आने वाले परि‍वर्तन, इस में से मानव जाति‍के कल्‍याण के लि‍ए कार्य कि‍या जा सकता है। एक ‘focus subject’ बना करकेइसको कैसे आगे बढ़ाया जाए, उस पर हम सोच रहे हैं और मैं मानता हूँ इसका लाभ आपको भी बहुत बड़ी मात्रा में होगा। 

‘Tourism’ एक ऐसा क्षेत्र है, भूटान ‘Tourism destination’ बन रहा है। मैं हमेशा मानता हूँ दुनि‍या के पुराने इति‍हास काल से हम देखें, पुरातन काल से भी देखें इक्‍के दुक्‍के भी ‘Tourist’ साहस के लि‍ए नि‍कलते थे। कभी चीन से ह्वेनसांग नि‍कला होगा,कभी वाक्‍सकोडि‍गामा नि‍कला होगा। कई लोग हर एक देश के इति‍हास में कोई न कोई ऐसे महापुरुष मि‍लेंगे जो सदि‍यों पहले कठि‍नाइयों के बीच वि‍श्‍व भ्रमण के लि‍ए नई चीजें खोजने के लि‍ए नि‍कले थे। वहाँ से लेकर अब तक हम देखें तो ‘Tourism’ ने बीते हुए कल को और वर्तमान को जोड़ने का प्रयास कि‍या है। सफल प्रयास कि‍या है। ‘Tourism’ ने एक भू-भाग को दूसरे भू-भाग से जोड़ने में सफलता प्राप्‍त की है। ‘Tourism’ ने एक जन-मन को दूसरे जन-मन के साथ जोड़ने में सफलता प्राप्‍त की है। एक ओर ‘Tourism’ वि‍श्‍व को जोड़ने की ताकत रखता है। मैं मानता हूँ की ‘Terrorism devices, Tourism unites’ और इसलि‍ए ‘Tourism’ जि‍सकी जोड़ने की ताकत है और भूटान जि‍समें ‘टूरि‍स्‍टों’ को आकर्षि‍त करने की प्राकृति‍क संपदा है। भारत और भूटान मि‍लकर संयुक्‍त रूप से वि‍श्‍व के ‘टूरि‍स्‍टों’ को आकर्षि‍त करने के लि‍ए एक ‘holistic approach से लेकर योजना’ बना सकते हैं। कभी न कभी हमने इस देश में सोचना चाहि‍ए, हिंदुस्‍तान के ‘North East’ के इलाके और भूटान के, इनका एक ‘common circuit’ बना करके, एक ‘Package Tour Programme’ बना करके इस ‘Himalayan Ranges’ मेंवि‍श्‍व के लोगों को कैसे आकर्षि‍त कि‍या जा सके और ‘Tourism’ एक ऐसा क्षेत्र है जि‍स में कम से कम पूँजी नि‍वेश होता है और ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों को रोजगार प्राप्‍त होता है। गरीब से गरीब व्‍यक्‍ति‍भी, ‘Tourism’ बढ़ता है तो उसको आय होती है ‘Tourism’ के वि‍कास के लि‍ए संयुक्‍त रूप से कैसे प्रयास करें, उसको हम कैसे आगे बढ़ाएँ, और अगर भूटान की प्राकृति‍क संपदा के साथ भारत का संबंध जुड़ जाए तो वि‍श्‍व को भूटान के इस भू-भाग पर और भारत के ‘North East’ भाग पर आने के लि‍ए,बहुत बड़ा नि‍मंत्रण पहुँच जाएगा। पूरी ताकत के साथ पहुँच जाएगा और इसके लि‍ए हम अगर आने वाले दि‍नों में योजना करते हैं मुझे वि‍श्‍वास है कि‍बहुत उद्धार होगा। 

मैं कल यहाँ जब मि‍ला तो आप की संसद की जो परंपरा वि‍कसि‍त हुई है, उसे सुन करके बड़ा आनंद हुआ। आप के स्‍पीकर साहब बहुत ही नियम से संसद को चलाते हैं। कि‍सी को अगर पाँच मि‍नट बोलने का अवसर मि‍ला है, अगर वो पाँच मि‍नट पर 10 सैकेंड चला गया तो आखिरी 10 सैकेंड उसके रि‍कार्ड नहीं होते हैं, ऐसा मुझे बताया गया है। ये बड़ा अच्‍छा तरीका है। इसलि‍ए जि‍सको भी अपनी बात बतानी होगी उसको नि‍श्‍चि‍त मि‍ले हुए समय में। हम भारत के लोग भारत की संसद में इस बात को सीखने का प्रयास जरूर करेंगे कि‍आपने अपनी संसद की आयु छोटी है लेकि‍न छोटी आयु में भी आपने संसदीय प्रणालि‍यों में जो नए नि‍यम लाए हैं, कुछ समझने जैसे हैं, कुछ सीखने जैसे हैं। 

मैं आप सबको नि‍मंत्रण देता हूँ,भारत से जुड़ने के लि‍ए और अधि‍क जन-जन का जुड़ाव हो,सरकारें तो हैं वो तो रहने वाली हैं, मि‍लने वाली हैं लेकि‍न हमारा नाता जन-जन के साथ जुड़ा हुआ है इसकी मजबूती हमारा मि‍लन, जि‍तना बढ़ेगा हमारा आना जाना जि‍तना बढ़ेगा एक दूसरे से हमारा नाता जितना बढ़ेगा, उतना ही मैं समझता हूँ, आज कल तो ‘टेक्‍नोलॉजी’ ने पूरी दुनि‍या को छोटा सा गाँव बना कर रख दि‍या है। ‘Fraction of second’ में दुनि‍या के कि‍सी भी कोने में पहुँच पाते हैं। अपनी बात पहुँचा सकते हैं दुनि‍या की बात जान सकते हैं यह नया वि‍ज्ञान भी हमको जोड़ रहा है। भारत के प्रयासों के कारण, भूटान सरकार के नि‍रंतर प्रयासों के कारण यहाँ की जो नई पीढ़ी है वो कंप्‍यूटर ‘Literate’ है ‘Techno savy’ है आने वाले दि‍नों में बहुत उपकारक हो सकती है तो चहूँ दि‍शा में वि‍कास हो, सुख और समृद्धि‍प्राप्‍त हो। 

आज आप सभी के बीच बात करने का अवसर मि‍ला। मैं आपको वि‍श्‍वास दि‍लाता हूँ कि‍भारत और भूटान का ये नाता अजर और अमर है। शासकीय व्‍यवस्‍थाओं पर नि‍र्भर नहीं है। एक सांस्‍कृति‍क वि‍रासत से बँधा हुआ है। जि‍स प्रकार से कि‍तनी बड़ी चोट पानी को अलग नहीं कर सकती है, वैसे ही भारत और भूटान के सांस्‍कृति‍क वि‍रासत को कोई अलग नहीं कर सकता है। 

मैं जब भूटान के संबंध में जानकारी इकट्ठी कर रहा था तो मुझे एक बात बहुत अच्‍छी लगी, तीसरे राजा ने भारत के साथ संबंधों की बात आयी तो एक बड़ा अच्‍छा संदेश भेजा था। उन्‍होंने कहा था भारत और भूटान का संबंध, जैसे दूध और पानी मि‍ल जाए फि‍र दूध और पानी को जैसे अलग नहीं कि‍या जा सकता, वैसा ही रहेगा और वो परंपरा आज भी चल रही है, लेकि‍न यहाँ के तीसरे राजा की वो बात जब मैंने पढ़ी तो मुझे मैं जि‍स प्रदेश से आता हूँ वहाँ से घटना का स्‍मरण आया मुझे। 

400 साल पहले उस क्षेत्र में एक हिंदू राजा थे, जि‍द्दी राणा करकेउनका राज चलता था, और ईरान से पारसी लोग आए ये दुनि‍या की सबसे छोटी ‘Minority’ है ‘Micro Minority’ ईरान से उनको भेजा गया, वो आए। समुद्र के रास्‍ते गुजरात के कि‍नारे पर आए।अब वो जि‍द्दी राणा के क्षेत्र में यानी गुजरात के उस इलाके में आश्रय चाहते थे तो जि‍द्दी राणा ने उनको लबालब दूध का भरा कटोरा दे दि‍या और ‘indirectly’ संदेश भेजा कि‍पहले से ही मेरे यहाँ इतने लोग हैं हम उसमें नई जगह नहीं देंगे। दूध का कटोरा भरा पड़ा हुआ बताया और जो पारसी लोग ईरान से आए थे उन्‍होंने क्‍या कि‍या, उसमें चीनी मि‍ला दी, शक्‍कर मि‍ला दी और दूध को मीठा कर दि‍या और लबालब दूध से भरा हुआ वो प्‍याला वैसे का वैसा वापस भेजा। जि‍द्दी राणा ने जब देखा की दूध मीठा हो गया है तो उन्‍होंने तुरंत न्‍यौता भेजा,समुद्र के अंदर कि‍आप का स्‍वागत है, आप आइए। और जो घटना 400 साल पहले ईरान से आए हुए पारसी लोगों के शब्‍दों में, उस व्‍यवहार में थी वही बात तीसरे राजा के उन शब्‍दों में दूध और पानी के मि‍लन की थी दोनों मेंथोडा सा अंतर हैऔर वो ‘Micro Minority’ आज भीसमुद्र के साथ हिंदुस्‍तान के अंदर पारसी कौम जीवन के हर क्षेत्र में नई ऊँचाइयाँ प्राप्‍त की उन्‍होंने, वैसे ही भूटान और भारत का नाता हर क्षेत्र में नई ऊँचाइयों को प्राप्‍त करने वाला बना रहेगा। 

मुझे पूरा वि‍श्‍वास है। मेरी तरफ से भूटान वासि‍यों का मैं अभि‍नंदन करता हूँ और कल एयरपोर्ट से आगे 50 कि‍लोमीटर तकजो स्‍वागत और सम्‍मान दि‍या है, भूटान के लोगों ने उमंग और उत्‍साह का देखते ही बनता है। मैं इस स्‍वागत और सम्‍मान के लि‍ए भूटान के नागरि‍कों का हृदय से अभि‍नंदन करता हूँ आभार व्यक्त करता हूँ और आप सबके बीच आने का मुझे अवसर मि‍ला, आप से बात करने का मुझे अवसर मि‍ला है, इसके लि‍ए आपका बहुत ही अभारी हूँ। राजपरि‍वार में जि‍स प्रकार से स्‍वागत और सम्‍मान कि‍या है राजपरिवार का भी मैं अभारी हूँ। आप सबको बहुत-बहुत धन्‍यवाद। 

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78મા સ્વતંત્રતા દિવસનાં પ્રસંગે લાલ કિલ્લાની પ્રાચીર પરથી પ્રધાનમંત્રી શ્રી નરેન્દ્ર મોદીનાં સંબોધનનો મૂળપાઠ

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Waqf Law Has No Place In The Constitution, Says PM Modi

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Text Of Prime Minister Narendra Modi addresses BJP Karyakartas at Party Headquarters
November 23, 2024
Today, Maharashtra has witnessed the triumph of development, good governance, and genuine social justice: PM Modi to BJP Karyakartas
The people of Maharashtra have given the BJP many more seats than the Congress and its allies combined, says PM Modi at BJP HQ
Maharashtra has broken all records. It is the biggest win for any party or pre-poll alliance in the last 50 years, says PM Modi
‘Ek Hain Toh Safe Hain’ has become the 'maha-mantra' of the country, says PM Modi while addressing the BJP Karyakartas at party HQ
Maharashtra has become sixth state in the country that has given mandate to BJP for third consecutive time: PM Modi

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।