The Prime Minister says the 'double-engine' government will help Uttarakhand reach new heights of development
PM Modi says Uttarakhand will bring to power a government that works, not one that only blames others
Villages got empty, people migrated from Uttarakhand due to the Congress: PM Modi in Uttarakhand

नमस्कार। धन्यवाद धामीजी।

नैनीताल की इस प्राचीन तपोभूमि और सभी उत्तराखंड वासियों को कोटि-कोटि नमन!

मैं स्वाधीनता संग्राम के अमर शहीद सरदार ऊधम सिंह जी के चरणों में भी नमन करता हूँ, आजादी के अमृत महोत्सव में देश ऐसे हर शहीद को याद कर रहा है जिसने देश की आजादी के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। आजादी के बाद भी उत्तराखंड के गांव-गांव में हमारी वीर माताओं ने अपनी संतानों को राष्ट्र को सौंपा, हमारी वीर बहनों ने अपनों को राष्ट्ररक्षा के लिए तिलक किया, उन सभी बलिदानों को भी देश आज श्रद्धापूर्वक स्मरण कर रहा है।

 

भाइयों और बहनों,

इस अमृतकाल में उत्तराखंड और देश को नई ऊंचाई पर ले जाने का अवसर मिला है। इसलिए इस बार का ये चुनाव बहुत ही महत्वपूर्ण है। ये चुनाव इस दशक को उत्तराखंड का दशक बनाने में अहम भूमिका निभाएगा। ये चुनाव, अगले 25 साल की बुनियाद को और मजबूत करेगा। और हम सब जानते हैं कि नींव जितनी मजबूत होती है, उतनी ही मजबूत इमारत भी बनती है।

 

भाइयों और बहनों,

आज मैं आप सबसे टेक्नोलॉजी से, टेक्नोलॉजी के माध्यम से जुड़ा हूं, लेकिन ये मेरा सौभाग्य है कि इस चुनाव के दरमियान रूबरू आकर के आप सबके दर्शन करने का सौभाग्य मिलेगा, इसलिए परसो, 10 तारीख को, गुरूवार को उत्तराखंड के श्रीनगर पहुंचूंगा और आपके दर्शन भी करूंगा और आपसे बातचीत भी करूंगा। दस तारीख को आ रहा हूं। उतराखंड के वासियों से रूबरू आर्शीवाद लेने का और देवभूमि को प्रणाम करने का मुझे सौभाग्य मिलेगा। इन चुनावों में आपके सामने और भी कुछ दल मैदान में हैं। कुछ दल ऐसे हैं, जिन्होंने बरसों तक उत्तराखंड से दुश्मनी निकाली और कुछ दल ऐसे हैं जो उत्तराखंड को तबाह करने की नीयत से यहां आए हैं। ये वो लोग आए हैं, जिन्होंने कोरोना के कठिन काल में बसें भर-भर के उत्तराखंडियों को दिल्ली से धकेल दिया था, दिल्ली से निकाल दिया था। रात-रात ठंड के दिन थे, ऐसे लोग अब आपसे वोट मांगने आए हैं।


मेरे प्यारे उत्तराखंड के भाइयों और बहनों,

जिन्होंने सालों तक दिल्ली में राज किया। उत्तराखंड में भी राज किया। कांग्रेस की नीयत और निष्ठा क्या है, इसका अनुमान इनके चुनाव कैंपेन से, इनके नारों से लगाया जा सकता है। आपको उनके कारनामों का पता तो है ही है। फिर भी वो क्या करने वाले हैं देखिए...दिल्ली में ये अनेक दशकों तक सत्ता में रहे, इनके नेता यहां सैर-सपाटे के लिए आते रहे। लेकिन तब इनको न उत्तराखंड की याद आई, न उत्तराखंड के तीर्थ क्षेत्रों की याद आई, न उत्तराखंड के टूरिज्म की याद आई। न ही इनको चार धाम की याद आई। इतने सालों तक उत्तर प्रदेश में इनकी सरकार रही। तब उत्तराखंड यूपी का ही हिस्सा हुआ करता था। लेकिन उस समय भी केदारधाम की, बद्रीधाम की, गंगोत्री, यमुनोत्री की याद उनको कभी नहीं आई। उनकी डिक्शनरी में ये नाम ही नहीं थे, इन्हें कभी समझ ही नहीं आया कि उत्तराखंड के लोगों को कनेक्टिविटी के अभाव में, आवागमन की सुविधा के अभाव में कितनी मुश्किल होती है। उत्तराखंड से पूरे के पूरे परिवार पलायन कर जाएं, लेकिन इतने सालों तक कांग्रेस को उनकी भी याद नहीं आई। गांव के गांव खाली हो गए। आज डबल इंजन की सरकार चार धाम को दिव्य और भव्य बना रही है। चार धाम के लिए ऑल वेदर कनेक्टिविटी बना रही है।


साथियों,

ये सही कह रहे हैं कि इन्हें चार काम आते हैं। अब मैं जरा वर्णन कर रहा हूं। उन्हीं की बात को मैं बताता हूं। वो चार काम की बात करते हैं, वो चार काम क्या हैं? उनके दिल-दिमाग में क्या पड़ा है? उनका भूतकाल बातों का गवाह है वो क्या हैं? पहला काम- ये जो भी करेंगे वो एक परिवार के हित के लिए करेंगे। दूसरा काम- ये जो भी करेंगे उसमें भ्रष्टाचार होगा ही होगा। तीसरा काम- ये तुष्टिकरण की राजनीति करेंगे, देश को टुकड़ों में बांटने के षडयंत्रों को वे अपनी वोट बैंक के कारण ये खेल खेलते रहे हैं, ये खेल खेलते रहेंगे। ये योजनाओं में भेदभाव करेंगे। सिर्फ अपनी वोट बैंक संभालेंगे। चौथा काम - बरसों तक ये परियोजनाओं को लटकाकर रखेंगे। ताकि लंबे अरसे तक उसमें से ये दोहन करके अपना जेब भर सकें। आज इनके इन चार कामों का पूरा कच्चा-चिट्ठा मैं आपके लेकर, आपके पास आया हूं।


भाइयों और बहनों,


मैं यहां किसी की आलोचना करने के लिए नहीं बोल रहा। उत्तराखंड की धरती से मेरा एक विशेष नाता रहा है। आप लोगों से मेरा एक विशेष नाता रहा है और आज नहीं मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था तब भी, गुजरात के मुख्यमंत्री से पहले संगठन का काम करता था तब भी, और उसके पहले भी मेरी एक जिंदगी थी। मैं आपके बीच में रहा। आप मुझे अच्छी तरह जानते हैं, मैं आपको जानता हूं। आपके दुख-दर्द को जानता हूं, आपके सपनों को जानता हूं। और जब आपका कोई यहां बैठा है तो आपके लिए जिएंगा कि नहीं जिएंगा। आपके लिए काम करेगा कि नहीं करेगा। लेकिन बीच में रोड़े अटकाने वाले लोग बैठ गए तो मैं कितना ही चाहूं, कितना ही करना हो, मैं कर पाऊंगा क्या? गलती मत करना मेरे भाइयों और बहनों, उत्तराखंड के युवाओं के लिए, उत्तराखंड के उज्ज्वल भविष्य के लिए, उत्तराखंड के गांव-गरीब के लिए किसी भी हालत में गलती नहीं करना।


भाइयों और बहनों,

जब दिल्ली में इनकी सरकार थी। कांग्रेस के नेता, यूपीए के नेता दिल्ली सरकार में बैठे थे और आप ही के उत्तराखंड के एक नेता, उस जमाने में तो बड़े रसुखदार नेता यहां मंत्री थे, तब 2007 से 2014 के दौरान उत्तराखंड में सड़कें बनाने के लिए, याद रखिए आपके साथ क्या हुआ है और उसी के तराजू में तोलिए, जब उनकी सरकार थी और आपके उत्तराखंड के एक नेता यहां मंत्री बैठे थे, परिवार की सेवा में लगे थे। उस समय सड़कें बनाने में इन्होंने केवल, केवल 28 सौ करोड़ रुपए दिये। यानी मुश्किल से ढाई-तीन हजार करोड़। 2014 में आपने हमें आशीर्वाद दिया। हमने इन 7 सालों में क्या किया था मैंने बताया, हमने इन सात सात सालों में उत्तराखंड में सड़कों और हाइवेज के लिए करीब-करीब 33 हजार करोड़ से भी ज्यादा रुपए दिये हैं। अब आप मुझे बताइये, उनके टाइम में सात साल में 28 सौ करोड़, तीन हजार से भी कम और हमारे 7 साल में 33 हजार करोड़, रोड बनाने के लिए। अब आप मुझे बताइये, आपका भला हम कर रहे हैं या नहीं कर रहे हैं। यानी, 10 गुने से भी ज्यादा। एक और बात आप लोग नोट करिए। यूपीए की 10 साल की सरकार के समय प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 3800 किलोमीटर ग्रामीण सडकें बनी थी। और मैं तो उत्तराखंड में रहा हूं, वहां सड़क होना यानी जिंदगी आसान होने का मतलब होता है। उन्होंने क्या किया था, मैंने अभी आपको बताया, जबकि हमने 2014 के बाद सिर्फ सात सालों में 13,500 किलोमीटर सड़कें बनाईं। साढ़े तेरह हजार किलोमीटर।

 

साथियों,

जिस चारधाम रोड प्रोजेक्ट की याद इन्हें अब आ रही है, उसके साथा इन्होंने क्या-क्या किया, ये भी मैं आपको बताता हूं। आज जब डबल इंजन सरकार 'चार धाम रोड प्रोजेक्ट' के लिए 12 हजार करोड़ रुपए दे चुकी है। 90 प्रतिशत काम भी पूरा कर चुकी है, उन्हें अब पहली बार चार धाम का नाम याद आ रहा है। ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन, पहाड़ में रहने वाले लोगों के लिए रेल एक बहुत बड़ी घटना होती है। रेल देखना भी उनके नसीब में नहीं होता है। उसके सामने हम ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेलवे लाइन के साथ, उन्होंने क्या किया था, ये हम भूल नहीं सकते हैं। अगर उत्तराखंड को वो समझते, उत्तराखंड की भावनाओं को समझते, उत्तराखंड के लोगों की जिंदगी समझते तो ऐसी पाप ऐसी गलती नहीं करते। मैं इसलिए अच्छा कर पा रहा हूं, क्योंकि मैं आपके बीच से निकला हूं। आपके बीच में रहा हूं। 2011 से 2014 तक, जब हमारी सरकार आई थी, उसके पहले उन्होंने इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के लिए, रेलवे के इतने महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट के लिए कितने रुपए खर्च किए, सिर्फ 4 करोड़ रुपए...सिर्फ 4 करोड़ रुपए। अब इन पर सैकड़ों करोड़ रुपए हमारी सरकार खर्च कर रही है।


साथियों,

ये हिसाब किताब बहुत लंबा है। मैंने तो आपको केवल एक-दो उदाहरण दिये हैं। ऐसे काम करने वालों को आप, जिन्होंने आपके साथ इतना अन्याय किया। आपकी मूलभूत सुविधाओं के प्रति अनादर किया। क्या ऐसे लोगों को आप उत्तराखंड की ज़िम्मेदारी दे सकते हैं क्या? ऐसे हाथों में मेरे उत्तराखंड के युवाओं का, आप अपने बच्चों का भविष्य क्या उनको सौंप सकते हैं? जब आप वोट देने जाएँ, तो हमारी सरकार ने क्या किया है। दिल्ली में रहता हूं, लेकिन मेरे दिल में उत्तराखंड की कितनी बड़ी जगह है, इन बातों को याद रखकर के वोट करने जाइए, ये मेरा विशेष आग्रह है।


भाइयों और बहनों,

नैनीताल सहित पूरे उत्तराखंड के पर्यटन और तीर्थाटन इस उद्योग को आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से बहुत बल मिलेगा। उत्तराखंड से दिल्ली की दूरी बहुत कम हो रही है। इस बजट में भी उत्तराखंड के आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर को और बल दिया गया है। पर्वतमाला प्रोजेक्ट, इस बजट में हमने घोषित किया है, पर्वतमाला ये पर्वतमाला प्रोजेक्ट्स से जो हिमालयन सारी छोटी पर्वतमालाएं हैं, हमारे उत्तराखंड की सड़कें और आधुनिक होने वाली है। यहां के महत्वपूर्ण तीर्थों, मंदिरों और पर्यटक स्थलों को रोपवे से जोड़ने पर स्थानीय लोगों को सुविधा भी मिलेगी और रोज़गार भी मिलेगा। आप भी जानते हैं कि जितना टूरिस्ट ज्यादा आता है, उतनी उत्तराखंड के लोगों की, हिमालय की गोद में रहने वाले आप सबकी, आपके नैनीताल के लोगों की रोजी-रोटी को एक बहुत बड़ी ताकत मिलती है। आपके नैनीताल के नज़दीक के हनुमान गढी मन्दिर को भी रोपवे से जोड़ने पर विचार चल रहा है। हेमकुंड साहब में भी रोपवे बनेगा। वैली ऑफ फ्लावर्स आने-जाने में भी देश के प्रकृति प्रेमी टूरिस्टों का बहुत बड़ा तांता लग जाएगा, जो उत्तराखंड के युवाओं का भविष्य खोल देगा।


साथियों,

जितनी ताकत से हम 21वीं सदी की तरफ बढ़ना चाहते हैं, देश का दुर्भाग्य है कि नकारात्मक सोच में डूबी हुई विकृत मानसिक विचारों से प्रभावित कांग्रेस उतनी ही ताकत से देश को 20वीं सदी में धकेलने की कोशिश कर रही है। हम आगे जाना चाहते हैं, वो पीछे धकेल रही है। ज़रा इनके वादों और इनके इरादों को तो देखिए, ये उत्तराखंड को कहां ले जाना चाहते हैं। ये देवभूमि में क्या करना चाहते हैं? ये लोग जिस यूनिवर्सिटी की बात कर रहे हैं और सीना ठोंक कर के रहे हैं बेशर्मी के साथ कर रहे हैं। और देवभूमि में ऐसा करने की इनकी हिम्मत देखिए, ये उनकी तुष्टिकरण की राजनीति का जीता-जागता सबूत है। और जहां-जहां कांग्रेस ने तुष्टिकरण की राजनीति को हवा दी है, जहर बोया है जहर....हम कश्मीर का क्या हाल करके रखा है देखा है, हम उत्तराखंड को तबाह नहीं होने देंगे। लेकिन कांग्रेस तुष्टिकरण की अपनी आदत को छोड़ना ही नहीं चाहती।


भाइयों और बहनों,


हमने हर वर्ग, हर संप्रदाय के लिए, देश की पहली राष्ट्रीय डिजिटल यूनिवर्सिटी की घोषणा बजट में की है। इस डिजिटल यूनिवर्सिटी का बड़ा लाभ उत्तराखंड जैसे पहाड़ी प्रदेश को होगा। दूर-सुदूर के लोगों को होगा। गरीबों, दलितों, वंचितों, पिछड़ों और हमारी बेटियों को विशेष लाभ होगा। ये डिजिटल यूनिवर्सिटी घर बैठे ही अनेक प्रकार की डिग्रियों की सुविधा देगी। घर बैठे ही युवा अपने सामान्य फोन से देश और दुनिया के बेहतरीन अध्यापकों से सीधे क्लास ले पाएंगे। अच्छी पढ़ाई के लिए बड़े शहरों में जाने की मजबूरी इससे कम होगी। यही तो 21वीं सदी की नई सोच और नई अप्रोच है।


भाइयों और बहनों,

गांव के, पहाड़ों के, गरीब, दलित, वंचित युवाओं को समान अवसर देने का एक और बड़ा प्रयास हुआ है। ये भाजपा सरकार ही है जिसने टेक्निकल और मेडिकल की पढ़ाई को हिंदी में भी, स्थानीय भाषा में भी सुलभ कराने की पहल की है। हमारे पहाड़ों के गरीब परिवारों के युवा जिनको अंग्रेज़ी में असुविधा होती है, जो अंग्रेज़ी के कारण इंजीनियरिंग, डॉक्टर या दूसरे अच्छे प्रोफेशन में नहीं जा पा रहे थे, उनके लिए ये बहुत बड़ा अवसर दिया गया है। अब गरीब मां का बच्चा भी, दूर-सुदूर पहाड़ों में रहने वाला बच्चा भी डॉक्टर बनने के सपने देख सकता है। इंजीनियर बनने के सपने देख सकता है। और हम उसके सपने पूरे करने के लिए काम भी करेंगे। यही नहीं मेडिकल सीटों में भी लगातार कई गुणा बढ़ोतरी कर रहे हैं। यहां उत्तराखंड में भी मेडिकल कॉलेज का विस्तार कर रहे हैं। अब यहां ऋषिकेश एम्स के अलावा एक सैटेलाइट सेंटर भी शुरू हो रहा है। इस पूरे क्षेत्र को इससे इलाज की बहुत बेहतर सुविधा होगी। पहले अच्छे इलाज के लिए दिल्ली तक भागना पड़ता था। फिर ऋषिकेश में ही एम्स आ गया। अब एम्स जैसा इलाज ऊधमसिंह नगर में ही मिलेगा। इससे यहां के गरीबों को, मध्यम वर्ग को, महिलाओं को बहुत मदद मिलेगी। 2014 में उत्तराखंड में जहां मेडिकल की अंडरग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट सीटें लगभग 1900 थीं, वहीं आज ये संख्या लगभग 2600 के आसपास पहुंच चुकी है। इसमें निरंतर वृद्धि हो रही है। कांग्रेस और बीजेपी के काम में आसमान-जमीन का अंतर आज उत्तराखंड का युवा समझ रहा है। इसलिए वो एक युवा नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार को भारी समर्थन दे रहा है।


साथियों,

कांग्रेस ने उत्तराखंड को प्रोत्साहित करने के बजाय कदम-कदम पर हतोत्साहित ही किया है। निराश किया है। यहां की चुनौतियों, यहां की समस्याओं का बहाना बनाते हुए ये उत्तराखंड को अलग राज्य का दर्जा देने से बचते रहे। दशकों तक इन्होंने उत्तराखंड के सपनों, यहां की आकांक्षाओं को कुचला। लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी ही थे, अटल जी ने इनकी हर बहानेबाज़ी को गलत सिद्ध करते हुए, उत्तराखंड की आकांक्षाओं को बल दिया। हमारा ऊधमसिंह नगर भी इस विश्वास का बहुत बड़ा गवाह है। अटल बिहारी वाजपेयी जी के प्रयासों की वजह से ऊधमसिंह नगर समेत कई जिलों में बड़ी संख्या में उद्योगों की स्थापना हुई। आज उत्तराखंड विकास के जिस रास्ते पर आगे बढ़ रहा है, ये भाजपा के आप सभी पर, और आपके भाजपा पर जो अटूट विश्वास का नाता है, उस अटूट विश्वास का ही परिणाम है। आज हमारी सरकार जल-जीवन मिशन के जरिए हर घर जल पहुंचा रही है। आज प्रदेश के लाखों घरों तक पाइप से पानी पहुँच रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत तेजी से गरीबों के लिए घर भी बनाए जा रहे हैं। आयुष्मान योजना के तहत गरीबों का मुफ्त इलाज हो रहा है। हममें और उनमें जो रात-दिन का मैं फर्क कहता हूं ना, वो यही फर्क है। एक तरफ उत्तराखंड में काम करने वाले लोग हैं, हम जैसे लोग हैं, तो दूसरी तरफ उत्तराखंड को बदनाम करने वाले ये जाने-पहचाने सारे चेहरे हैं। उत्तराखंड काम करने वालों को चुनेगा। बदनाम करने वालों के दिन बहुत पहले लद चुके हैं।

साथियों,

डबल इंजन की सरकार का मंत्र है- 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास'। हम सबको लेकर काम करते हैं, साथ लेकर काम करते हैं और सबके लिए काम करते हैं। भाजपा सरकार में उद्योग भी फल फूल रहे हैं, और उनका लाभ किसानों को भी हो रहा है। पहले देश में जब किसानों की बात होती थी तो राजनीतिक चश्मे से होती थी। पहाड़ों के छोटे किसानों के बारे में सोचा भी नहीं जाता था। लेकिन आज जब सरकार पीएम-किसान निधि देती है, पीएम किसान सम्मान निधि देती है तो वो हर किसान के खाते में पहुँचती है। आज जब हम कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए खर्च करते हैं, नए क्लस्टर बनाते हैं, तो ये तय करते हैं कि उसका लाभ पहाड़ के मेरे छोटे-छोटे किसान भाई-बहनों को भी मिले। इस बजट में हमने नेचुरल खेती की तरफ बहुत बड़ा कदम बढ़ाया है। गंगा जी के दोनों किनारों पर 5 किलोमीटर के दायरे में केमिकल से मुक्त, केमिकल से फ्री खेती के लिए बहुत बड़ी शुरुआत की जा रही है। इसका लाभ उत्तराखंड के किसानों को विशेष रूप से होने वाला है। नेचुरल और ऑर्गेनिक खेती में यहां की संभावनाओं को बल मिलने वाला है। बीते 5 सालों में इस दिशा में काफी प्रयास हुए हैं। यहां जैविक खेती का दायरा 55 हजार हेक्टेयर से बढ़कर सवा दो लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुका है। करीब-करीब पांच गुना और ऑर्गेनिक उत्पादों की मार्केटिंग और ब्रांडिंग की व्यवस्था भी आज सरकार कर रही है। यहाँ रामगढ़ उद्यान विभाग की जमीन सालों से खाली पड़ी थी। उस पर सरकार ने हाई डेंसिटी सेब की खेती शुरू करवाई है। इससे यहां के युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। डबल इंजन की सरकार इस प्रकार के प्रयासों से और आगे ले जाएगी। मेरे उत्तराखंड को नई ऊंचाई पर पहुंचाएगी।


साथियों,

उत्तराखंड वो तपोभूमि है जहां पूरी दुनिया से लोग सिद्धि के लिए आते हैं। लेकिन आप लोग जानते हैं, जब अच्छे संकल्प से कोई यज्ञ होता है तो कुछ छल-छलावे वाली शक्तियाँ उसमें बाधा डालने की फिराक में भी रहती हैं। इनके मंसूबों को हमें पूरा नहीं होने देना है। हमें उत्तराखंड के विकास का ये यज्ञ पूर्ण सिद्धि तक ले जाना है। यही संकल्प लेकर 14 तारीख को, 14 फरवरी को घर से निकलना है। पहले मतदान, फिर जलपान, ये मंत्र ध्यान रखना है। ठंड हो तो भी इस पवित्र कार्य को करने में कोई भी देरी नहीं करनी है। इसी आग्रह के साथ मैं आज वर्चुअली आपके दर्शन कर रहा हूं, 10 तारीख को रूबरू आ करके दर्शन करने वाला हूं। श्रीनगर पहुंचूंगा। उत्तराखंड वासियों के दर्शन करूंगा। देवभूमि को नमन करूंगा। आज आपने इतना समय निकाला और वर्चुअल समिट में भी इतनी बड़ी तादाद में आए और मैं देख रहा हूं कि आप सब उत्साह से भरे हुए हैं। मुझे दिख रहा है सब। आनंद, उत्साह, उमंग आपके चेहरे पर नजर आ रही है। तालियों की गड़गड़ाहट सुनाई दे रही है। अब आप मेरे साथ दोनों हाथ ऊपर करके बोलना है...दोनों हाथ ऊपर कीजिए और बोलिए....

भारत माता की जय।
भारत माता की जय।
भारत माता की जय।
बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।