PM Narendra Modi attends the Visitors' Conference at Rashtrapati Bhavan
Society is becoming technology driven. It is essential to understand the importance of this & look towards affordable technology: PM
Our focus must now be on innovation. It is the key to achieve one's dreams: PM Modi
Institutions of higher education should give primacy to innovation in learning: PM Narendra Modi
Finding solutions to challenges like global warming & converting waste to wealth are key to rise of India: PM Modi
Science is universal but technology must be local: PM Modi
The biggest strength of #MakeInIndia is human capital. Skill development is extremely vital: PM
Our President is a walking talking university. He is an ocean of knowledge: PM Narendra Modi

परम आदरणीय राष्‍ट्रपति जी, मंत्रिपरिषद के मेरे साथी, उपस्‍थित सभी वरिष्‍ठ महानुभाव। मैं आदरणीय राष्‍ट्रपति जी का बहुत आभारी हूं कि आपने इस व्‍यवस्‍था को प्राणवान बनाया। वरना आना-मिलना, कुछ इधर से कुछ उधर से और फिर Bye bye. इस ritual से बाहर इस व्‍यवस्‍था को निकाल करके इसमें प्राण भरने की कोशिश हुई है और समय की मांग के अनुसार उसमें participation, involvement, coordination इस पर अधिक बल दिया गया है। ये जो व्‍यवस्‍था विकसित हुई है और उसके मंथन में से जो अमृत प्राप्‍त हो रहा है वो भविष्‍य में राष्‍ट्र की विकास यात्रा के रोड मैप को तैयार करेगा। उसमें ज्ञान और अनुभव के सामर्थ्‍य को जोड़ेगा और समय सीमा में परिवर्तन लाने के प्रयासों को बल देगा। मैं हमेशा सोचता हूं कि प्राथमिक शिक्षा व्‍यक्‍ति के जीवन के निर्माण में बहुत बड़ी भूमिका अदा करते हैं। प्राथमिक शिक्षा इंसान को जड़ों से जोड़ती है लेकिन higher education आसमान छूने के अरमान जगाती है और इसलिए जितना महत्‍मय प्राथमिक शिक्षा के माध्‍यम से जीवन को तैयार करना, प्राथमिक शिक्षा के माध्‍यम से जड़ों से जोड़ना, उतना ही higher education के माध्‍यम से आसमान को छूने वाले अरमान कैसे जगे। अगर प्राथमिक शिक्षा व्‍यक्‍ति घरतर पर ज्‍यादा बल देती है तो higher education राष्‍ट्र घरतर का आधार बनती है।

राष्‍ट्र कैसे शक्‍तिशाली बनेगा उसका एक road map, उसकी एक blue print इस कालखंड में तैयार होती है और उस अर्थ में आप लोगों का योगदान, आपके द्वारा institutions का योगदान, राष्‍ट्र के विकास की यात्रा को, राष्‍ट्र निर्माण के प्रयासों को समयानुकूल जिन ताकतों की आवश्‍यकता है उसको जोड़ने के लिए काम आता है। शायद इसके पूर्व की कोई शताब्‍दी ऐसी नहीं होगी जिस पर technology का इतना प्रभाव रहा हो। एक प्रकार से पूरा समाज जीवन technology driven हुआ है और तब जाकर के हमारे लिए भी आवश्‍यक होता है कि technology के इस महत्‍मय को स्‍वीकार करते हुए, भविष्‍य को ध्‍यान में रखते हुए हम affordable technology की तरफ आगे कैसे बढ़े? हम sustainable technology पर बल कैसे दे और ये करना है तो हमें innovation पर बल देना होगा। Millions of million challenges are there. लेकिन जैसा अभी बताया गया कि Billions minds are also there. लेकिन जब तक वो mind innovation के साथ नहीं जुड़ता है वो अगर सिर्फ उपभोक्‍ता ही बना रहता है तो मैं नहीं मानता हूं कि इतने सारे mind को हम खुराक भी दे पाएंगे, उसको जो दिमागी खुराक चाहिए वो भी नहीं दे पाएंगे और इसलिए हम भाग्‍यवान है कि हमारे पास Billions of Billion mind है। लेकिन जब तक हम innovation के लिए कोई अगर हम proper environment नहीं देते हैं, mechanism develop नहीं करते हैं। resource mobilise नहीं करते हैं तो कभी-कभी विचार धरे के धरे रह जाते हैं और इसलिए सपनों को साकार करने का एक मार्ग होता है innovation. हमारी institutions innovation को प्राथमिकता देने में कितनी कामयाब हो रही है।

अब आज Global Warming, Environment ये सारे issues की चर्चा हो रही है दुनिया में। कुछ लोगों के लिए Global Warming एक चिंता का विषय है, तो कुछ लोगों के लिए Global Warming एक market का कारण है। उन्‍होंने उसको एक market opportunity में convert करने की सोची है। वे चाहते हैं कि हम technology में innovation करेंगे और Global Warming के नाम पर दुनिया की market को capture करेंगे। भारत जैसे देश के लिए ये आवश्‍यकता बन जाती है कि हम भावी पीढ़ी की रक्षा के लिए क्‍या वो innovation दुनिया के सामने ला सकते हैं। जो अच्‍छा भी हो और सस्‍ता भी हो और सामान्‍य मानविकी के जीवन के साथ सहजता से adoptable हो। अगर ये व्‍यवस्‍थाएं हम विकसित करते हैं तब तो ये Billions of Billion people एक कदम चलकर के भी climate change की इतनी बड़ी समस्‍या के समाधान के लिए रास्‍ते खोज सकते हैं।

आज दुनिया में एक culture develop हुआ – throw away culture. लेकिन दुनिया में जो संकट पैदा हुआ है उसके कारण अब throw away culture चिंता का कारण बना है और उसके कारण reuse कैसे करना, recycle कैसे करना, इस पर मंथन चल रहे हैं। भारत जैसा इतना बड़ा देश, हम waste को wealth में create करने के लिए क्‍या innovation कर सकते हैं। मान लिजिए हमें 50 million मकान बनाने हैं। आज जिस material के आधार पर मकान बना रहे हैं क्‍या हम उतने मकान बनाने के लिए material provide कर सकते हैं। हम जानते हैं इन दिनों नदी की रेत बालू smuggling होता है। एक राज्‍य दूसरे राज्‍य में smuggling करता है क्‍योंकि उसको construction के लिए रेत उपलब्‍ध नहीं है। environment के कारण भी ऐसे हैं कि रेत लेना भी मुश्किल होता जा रहा है। तब जाकर के हमारे innovation के लिए सबसे बड़ी challenge है कि हम मकानों की रचना में किस material को provide करेंगे। जो हमारे पास waste पड़ा होगा। वो ही well creation का कारण बनेगा। हम innovation को कैसे लाएं। हम कभी कभी बाहरी तथा उधारी चीजों को तुरंत adopt कर देते हैं। जिस जगह पर मुश्किल से सप्‍ताह में एक दिन सूरज के दर्शन होते हैं वो जब मकान की रचना करेगा जो चारों तरफ शीशे लगाएगा ताकि कहीं से किरण मिल जाए कहीं चली न जाए मेरे नसीब में आ जाए। लेकिन हम भी वेसा करेंगे तो हमें क्‍या करना पड़ता है कि एक curtain लगाओ, दो curtain लगाओ, पांच curtain लगाओ, temperature, यानी हममें हमारे requirement के अनुसार हमारे architecture को develop करना पड़ेगा। जब तक हम हमारे requirement के अनुसार हमारे architecture को develop नहीं करते हैं और हम borrow की गई व्‍यवस्‍था को स्‍वीकार करेंगे। तो शायद हम संकट को बढ़ाने के लिए हिससेदार बनेंगे और इसलिए Science is universal but technology must be local ये जब तक हम apply नहीं करते हैं अब मान लीजिए मुझे असम के अन्‍दर पानी निकालना या पानी पहुंचाना है तो मैं 50 बार सोचूंगा कि मुझे स्‍टील की पाइप की जरूरत है क्‍या वहां और मेरा answer है कि स्‍टील की पाइप के बिना bamboo को पाइप में convert कर कर के पानी पहुंचाया जा सकता है और स्‍टील से उसकी लाइफ ज्‍यादा होती है। कहने का तात्‍पर्य यह है कि मुझे वहां बांबू से काम चलता है तो मुझे स्‍टील ले जाने की क्‍या जरूरत है और इसलिए समाज जीवन की जो स्‍वाभाविक आवश्‍यकताएं हैं। उसको हम कैसे उस प्रकार से उपयोग करें। हम एक virtual platform तैयार कर सकते हैं क्‍या, एक वेबसाइड इन प्रिंट हमारे सामने आई है। हम एक ऐसा virtual platform तैयार करें जो globally इस प्रकार के सहज प्रयोग हो रहे हैं। उनको हम invite करेंगे। हम उस पर seminar करें चर्चा करें और उसमें हो सकता है कुछ चीजें हमारे लिए sparking point बनें। हमें कुछ करने के लिए प्रेरणा दे सकते हैं। क्‍या हम इसका उपयोग कर सकते हैं। अगर हम इस प्रकार से लोगों को जोड़ते हैं तो अधिक प्रयास करते हैं तो परिणाम मिलता है। हमारी institutions आज हम जानते हैं जो हमारे यहां student आते हैं तो वे किस प्रकार से आते हैं। एक चिंता का विषय है कि ज्‍यादातर student जो अब हमारे पास पहुंच रहे हैं। वे entrance exam कैसे पार करना उसी में उनकी mastery होती है। वे उस प्रकार के classes को attend करते हैं। जो आपको exam पार कराने का रास्‍ता दिखाते हैं और उसके कारण हम उनकी real talent और capability से अनभिज्ञ रह जाते हैं। वो admission ले लेता है और उसको मालूम है कि हमारा base ऐसा है कि पाइपलाइन के इस दौर के अन्‍दर प्रवेश कर गया तो दूसरी तरफ निकलना ही निकलना है। दूसरा कोई रास्‍ता ही नहीं है। हमारे यहां कोई आईएस अफसर 24सौ घंटे पढ़ाई करके exam पास करके अन्‍दर आ गया तो उधर सेक्रेटरी बन कर ही निकलेगा। ये जो स्थिति है और इसलिए हमें लगातार हमारे यहां रैंकिंग करने की पद्धति बदल सकते हैं क्‍या। वरना हम investment करते जाएं, समाज का है मैं सरकार की बात नहीं कर रहा हूं। हम investment करते जाएं लेकिन ultimate product जो हैं वो हमारे काम न आएं उसका तो हम गुजारा कर लें। लेकिन वह खुद का गुजारा तो टीचर बन के भी कर लेता है। आज हमारा देश इतनी बड़ी मात्रा में डिफेंस equipment import करता है। देश का बहुत बड़ा बजट डिफेंस सेक्‍टर में लगा है। क्‍या मेरे देश की technical institutions वो research और innovation में lead नहीं कर सकते हैं कि जो डिफेंस equipment manufacturing के लिए जो resource mobilisation है उसमें सबसे बड़ी ताकत है talent of human resource. उस human resource की capability इतनी हो कि दुनिया के किसी भी डिफेंस manufacturing वाले लोग हैं उसको यह पहले ध्‍यान में आना चाहिए the best talent is here. मैं manufacturing में ही करूंगा और मुझे cheap talent मिल जाती है तो मैं ग्‍लोबल मार्केट के अन्‍दर affordable रूप में खड़ा हो जाऊंगा। मैं मार्केट में खड़ा हो जाऊंगा और इसका मतलब यह हुआ कि मुझे अगर मेरे देश की defence requirement के लिए इतना import है तो अगर मेरी इतनी institutions मिलकर करके तय करें तब हिन्‍दुस्‍तान के दस साल के अन्‍दर defence equipment इम्‍पोर्ट करने में हम 50% कम कर देंगे। मैं समझता हूं कि भारत सरकार को इतना बजट बचेगा कि इसी education system को बढ़ावा देने में कोई हर्ज नहीं होगा। कितना बड़ा फायदा होगा। हम आत्‍मनिर्भर बनेंगे और इसलिए हम लोगों को जब तक ये हम नहीं सोचते कि हमारी आवश्‍यकताएं क्‍या हैं।

आज solar energy की तरफ सबका ध्‍यान गया है। 175 Gigawatt बहुत बड़ा ambitious plan है। दुनिया के किसी भी देश के व्‍यक्‍ति के साथ जब भारत 175 Gigawatt renewal energy की बात करता है तो पांच मिनट तो समझ नहीं पाता है कि मैं Megawatt बोल रहा हूं कि Gigawatt बोल रहा हूं। उनको अचरज हो रहा है। क्‍या कोई देश इतना बड़ा initiative ले सकता है। लेकिन अगर हम technology में innovation करें। हम solar manufacturing में solar के equipment manufacturing में हम नए innovation कर करके हम maximum power generation की दिशा में कैसे जा सकते हैं, हम उसको और cost effective कैसे बना सकते हैं, हम कितनी बड़ी देश की सेवा कर सकते हैं?

अभी मैं एक science magazine देख रहा था। पढ़-वढ़ तो पाता नहीं हूं ज्‍यादा तो उसमें एक चीज मेरे ध्‍यान में आई हैं। एक प्रयोग चल रहा है wind energy के संबंध में। तो जो wind turbines है अब वो हवा में जो humidity है उसको भी capture कर रहे हैं। अब वो wind के कारण power तो generate करते हैं, लेकिन उसी व्‍यवस्‍था से वो humidity को capture करके उसमें से पानी में convert करते हैं और एक wind mill 24 घंटे में 10,000 लीटर sweet water हवा में से लेकर के दे सकता है। मतलब कि मान लीजिए रेगिस्‍तान के इलाके के गांव हैं अगर वहां हमारी ऐसी wind mill लगती है जहां wind velocity भी है और अगर मैं 10,000 लीटर sweet water देता हूं मतलब मैं health के सारे problems का solution करता हूं, जीवन जीने की quality of life में बदलाव लाता हूं। क्‍या मैं multiple activity वाली मेरी technology, एक में से अनेक लाभ इस दिशा में हम कुछ कर सकते हैं और हमारे पास हमारे नौजवान है। दुनिया के किसी भी देश में जाए तो इस प्रकार के पराक्रम कर सकते हैं। क्‍या हम भारत में वो अवसर दे सकते हैं? हमारी सभी institutions, वे अपना in house incubation centre को कैसे develop करे और corporate world को उसकी partnership कैसे दी जाए? ताकि corporate world की जो आवश्‍यकता है जो commercial में जाने वाले हैं, अगर incubation centre with education institution होगा और ये तीनों का अगर मेलजोल होगा तो मैं समझता हूं कि हम नए-नए research के लिए commercial field में जाने के लिए तुरंत निर्णय कर सकते हैं और एक-दूसरे को बल दे सकते हैं।

हम ‘मेक इन इंडिया’ की बात करते हैं। ‘मेक इन इंडिया की सबसे बड़ी ताकत क्‍या है? Raw material हमारे हैं, ऐसा हम दावा नहीं कर सकते। लेकिन हमारे पास human capital इतना strong हमारा base है कि हम ‘मेक इन इंडिया’ के लिए दुनिया में claim कर सकते हैं और उसके लिए skill development चाहिए। हम जिन विषयों पर काम करे, मान लिजिए मेरी petroleum university है। gas base economy की दिशा में देश आगे बढ़ रहा है। अगर gas base economy की दिशा में मेरा देश आगे बढ़ रहा है तो मुझे छोटे से गांव में भी गैस से संबंधित जो technology, repairing, pipe repairing, safety majors इसके लिए छोटे-छोटे लोगों की जरूरत पड़ेगी। क्‍या हमारी institutions आखिरी छोर पर हमें किस प्रकार के human resource development चाहिए उसका syllabus तैयार करके skill development करने वाली institution तक उसको linkage करे तो मेरी university professional लोगों को तैयार करेगी, मेरी university expert साइंटिस्‍टों को तैयार करेगी, technicians को तैयार करेगी। लेकिन back up के लिए मुझे जिस प्रकार के human resource की जरूरत होगी वो भी simultaneous तैयार होगा। कितना बड़ा बदलाव आ सकता है, लेकिन हमारा काम टुकड़ों में होता है। जब तक हम holistic approach नहीं करते, integrated approach नहीं करते हैं तब ये टुकड़ों से जो व्‍यवस्‍था बनती है तो हमारी कठिनाई बढ़ जाती है और इसलिए हमारे लिए ये भी आवश्‍यक है। जिस प्रकार से कोई देश in isolation नहीं चल सकता, उसी प्रकार से कोई institution in isolation नहीं चल सकता। हमारे लिए आवश्‍यक है कि समग्र दुनिया कहां जा रही है, उस दुनिया में हम कहां जा सकते हैं, उस जगह पर पहुंचने के लिए हमारे wage and means क्‍या है, हमारे resources क्‍या है, हमारी capability क्‍या है। और उसमें हम five year plan बना करके, ten year plan बना करके इन चीजों पर focus करेंगे, हम इतना पहुंचेंगे, तब तो जा करके होगा। otherwise मुझे याद है मैं जब नया-नया गुजरात में CM बना, तो मेरा focus था ITIs एक प्रकार का वो technology word का शिशु मंदिर है। बाल मंदिर कह दीजिए। मैंने उस पर focus किया, तो मैं हैरान था। वहां पर जो Auto mobile के courses थे, वो courses चल रहे थे जो गाडि़यां बनती ही नहीं है। अब कार वैसी available नहीं है, लेकिन आपका student बेचारा admission ले करके एक साल भर उन चीजों को पढ़ता है। यानी कि हमें यह बदलाव लाने के लिए आप जहां पर है वहां से पीछे क्‍या हो सकता है, आप बहुत बड़ा contribution कर सकते हैं।

यह जो Imprint के माध्‍यम से आप बहुत बड़ा contribution कर सकते हैं। और इसलिए हम एक नये vision के साथ एक लम्‍बी सोच के साथ इन चीजों को कैसे करें और हम लोग भाग्‍यवान है कि हमारे राट्रपति जी स्‍वयं में अपने आप में एक चलती-फिरती university है। कोई मुझे पूछे कि प्रधानमंत्री बनने का आपका सबसे बड़ा फायदा क्‍या है, तो मैं कहूंगा सबसे बड़ा मेरा फायदा है राष्‍ट्रपति जी के निकट जाने का। जब भी मिलता हूं, ज्ञान का भंडार होता है। मैं सच बताता हूं जी। इतनी चीजें बारीकी से बताते हैं वो। उसके साथ उनका experience होता है। आप लोगों के सीधा-सीधा उनका मार्गदर्शन है आपको। उनके मार्गदर्शन में आप लोगों का काम करना है। मैं नहीं मानता हूं कि अब कोई हमें रोक सकता है। Sky is the limit, अब आप राष्‍ट्रपति जी के आदेशों के अनुसार इच्‍छा के अनुसार चीजों को करेंगे, मैं मानता हूं राट्र लाभांवित होगा। मेरी आप सबको बहुत शुभकामनाएं हैं। मैं राष्‍ट्रपति जी का बहुत आभारी हूं कि मुझे आप सबके बीच आने का अवसर दिया। बहुत बहुत धन्‍यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!