श्री राजीव महर्षि, दोनों Deputy CAG, देशभर से आए सभी साथी, Friends,
Accountant General में मुझे फिर एक बार आने का मौका मिला है। ज्यादा तो मौका नहीं मिलता है बातचीत करने का लेकिन कुछ समय में भी कुछ अनुभव हो ही जाता है। गांधीजी की 150वीं जन्म-जयंती के वर्ष में ये कार्यक्रम होना, ये भी अपने-आप में सुखद है। और गांधीजी कहते थे कि जिस तरह व्यक्ति अपना पीठ नहीं देख सकता, अपना back नहीं देख सकता, उसी तरह व्यक्ति के लिए अपनी त्रुटियों को देखना भी बड़ा मुश्किल होता है।
लेकिन आप सभी वो दिग्गज हैं जो एक आईना लेकर सरकारी व्यवस्थाओं के सामने खड़े हो जाते हैं- ये कमियां हैं, ये गलतियां हैं, ये process ठीक नहीं है, और आप हिसाब-किताब रखने वालों का हिसाब-किताब करते हैं। लेकिन अभी जो महर्षि जी ने presentation दिखाया, उसमें मुझे खुशी है कि आपने अपना हिसाब-किताब दिखाया, ये अच्छी पहल है।
साथियो, तीन साल पहले जो संगोष्ठी हुई थी, उसमें आप सभी के बीच विस्तार से चर्चा करने का अवसर मुझे मिला था, और उस समय चर्चा के अनेक बिंदुओं पर जैसा में देख रहा था, बहुत सी बातों को आपने पकड़ करके उसको लागू करने का काम किया और आगे भी आपकी प्रक्रिया चल रही है। और मुझे याद है कि तब मैंने कहा था, CAG को टुकड़ों में सोचने के बजाय सम्पूर्णता में काम करने की जरूरत है। सिर्फ आंकड़ों और प्रक्रियाओं तक ही ये संगठन को सीमित नहीं रह सकता है, बल्कि वाकई में गुड गवर्नेंस के एक Catalyst के रूप में आगे आना है। CAG को CAG Plus बनाने के सुझाव पर आप गंभीरता से अमल कर रहे हैं, ये मेरे लिए खुशी की बात है। और इसके अनेक सुखद परिणाम भी देश को मिले हैं। देश में accountability और probity का माहौल बनाने में इसके कारण एक मदद मिलती है, एक वातावरण बनता है। देश में outcome आधारित time bond तरीके से काम करने की जो व्यवस्था विकसित हो रही है, उसमें CAG की बहुत बड़ी भूमिका है। ये सब संभव तो हो पा रहा है तो इसके पीछे आप और आपके जो साथी हैं, और विशेषकर जिनको field पर काम करना होता है, field पर जा करके audit करना होता है, कहीं mining चलता है तो उसको वहां जाना पड़ता है, जाकर देखना पड़ता है। और राज्यों में भी जा करके महीनों-महीनों तक AG Office के साथ ही field में डटे रहते हैं, वहां बैठे रहते हैं, एक-एउक कागज को छानबीन करते रहते हैं। और कभी-कभी तो परिवार के साथ भी लंबे अर्से की दूरी हो जाती है, और तब जा करके सारी process निकलती है। और ऐसे ही निष्ठावान साथियों के कारण CAG की विश्वसनीयता बनी है और मजबूत हुई है।
साथियो, दशकों से खड़ी की हुई इस व्यवस्था में बहुत तेजी से परिवर्तन लाना अपने-आप में बहुत बड़ी चुनौती होती है। क्योंकि शायद सरकारी व्यवस्थाओं में जिसकी सबसे ज्यादा उम्र है, ऐसा कोई इंस्टीट्यूट है तो वो CAG है, 1860 में हुआ? और वो भी 1857 के बाद हुआ था तो उसकी एक हिस्ट्री है। कभी आप लोग गहरे जाआगे तो काफी कुछ मिलेगा उसमें से। आजकल तो reform को एक बड़ा ही fancy word माना जाता है। हर कोई कहता है मैं भी reform करता हूं। कहीं कुछ भी करो, reform में आ जाता है। लेकिन असली reform तब आता है, जब किसी संगठन में पूरी rank और file पूरी ईमानदारी से उसके लिए तैयार होती है, motivate होती है। और ये बात देश की हर सरकार, हर संस्था, हर संस्थान पर लागू होती है और जिसमें CAG भी है। CAG की जिम्मेदारी इसलिए भी अधिक है क्योंकि आप देश और समाज के आर्थिक आचरण को पवित्र रखने में एक अहम भूमिका निभाते हैं। और इसलिए आपसे उम्मीद भी जरा ज्यादा रहती है।
साथियो, नीति के, अर्थशास्त्र और auditing के प्रेरणा-पुंज चाणक्य कहा करते थे- ज्ञाणं भारं: क्रियां विना- यानी अगर आपके पास knowledge है लेकिन उसको आप सही जगह पर, सही दिशा पर नहीं लगाते हैं तो वो अपने-आप में बोझ बन जाता है वो निरर्थक हो जाता है। और इसलिए आपके पास एक प्रकार से दोहरी जिम्मेदारी है। आपको अपने ज्ञान और अनुभव का प्रसार करना है तो साथ-साथ ethics भी मजबूत बनाने हैं- और जिसको चाणक्य ने अपने पूरे नीति शास्त्र के अंदर सबसे ज्यादा महत्व दिया था। और इसलिए मैं समझता हूं कि आज के digital world में, बदलती टेक्नोलॉजी के इस दौर में Audit और Assurance की भूमिका और उसमें बदलाव बहुत अहम हो चुके हैं।
साथियो, टेक्नोलॉजी को आधार बनाकर transparency लाने के प्रयास आप सभी बीते पांच वर्षों से निरंतर देख रहे हैं। सरकार का हिसाब-किताब खुला और पारदर्शी रहा है, बल्कि एक dashboard की तरह रहे हैं। जो भी है वो सबके सामने है, जितना भी है वो स्पष्ट दिखता है। टेंडर से ले करके procurement तक एक पारदर्शी प्रक्रिया सरकार ने खड़ी की है। अब अधिकतर टेंडर ऑनलाइन होते हैं, infrastructure से जुड़े प्रोजेक्ट की monitoring भी surveillance scientific तरीके से होती है। JAM यानी जन-धन-आधार मोबाइल- इससे सामान्य मानवी तक सरकारी योजनाओं का लाभ direct पहुंच रहा है। और GEM यानी government e-market place, इससे सरकार अपनी procurement direct करती है। आज सरकारी की 425 से ज्यादा स्कीम का लाभ direct लाभार्थियों तक पहुंच रहा है। जिसके कारण करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपये गलत हाथों में जाने से बचे हैं। विशेषतौर पर जीएसटी जैसे चुनौतीपूर्ण और जटिल सुधार को देश की व्यापारिक संस्कृति का हिस्सा बनाने में तो आपने भी सराहनीय भूमिका निभाई है।
साथियो, आज भारत दुनिया की सबसे अग्रणी digitized economy में से एक है और यहां तेजी से digital infrastructure का निर्माण हो रहा है। Digital व्यवस्था ने नागरिक और सरकार के बीच के interface को, सद्भाव को, विश्वास को तो मजबूत किया ही है, सरकारी प्रक्रियाओं पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ा है। हमारे record maintain करने के तौर-तरीके भी बदलते जाते हैं। और मैं एक उदाहरण आपको देता हूं- पहले जो सरकार को payment होती थी, उसके चालान नागरिकों को, सरकारी दफ्तरों को, ट्रेजरी को, सभी को अलग-अलग रखने पड़ते थे। लेकिन अब physical copy की जरूरत नहीं है बल्कि वो एक App में ही paperless तरीके से स्टोर हो जाता है। इससे जनता को तो सुविधा हुई ही है CAG के audit process में भी बहुत बड़ा बदलाव आया है।
साथियो, आज जब आज जब भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की आर्थिक ताकत बनने की ओर अग्रसर हो रहा है, उसमें भी आप सभी की बहुत बड़ी भूमिका है। क्योंकि आप जो करेंगे उसका सीधा असर सरकार की Efficiency पर पड़ेगा, सरकार की Decision Making और Policy Making पर पड़ेगा। आप जो कुछ करेंगे, उसका सीधा असर बिजनेस संस्थानों की Efficiency पर भी पड़ेगा, आप जो कुछ करेंगे उसका सीधा असर भारत में निवेश पर पड़ेगा, ease of doing business पर पड़ेगा। आज जितने भी स्टेक होल्डर्स हैं, उनको सटीक Audit भी चाहिए, ताकि वो अपने Plans का सही Execution कर सकें। वहीं वो ये भी नहीं चाहते कि Audit के Process में बहुत ज्यादा समय लगे। यहीं से आपकी चुनौती शुरू होती है। इस चुनौती से निपटने के लिए दो काम बहुत जरूरी हैं। एक skill और training से जुड़ा है और दूसरा tools से जुड़ा है। जो नए साथी इस profession से जुड़ रहे हैं, उनको तो updated technology से हमें लैस करना ही है, जो भी काम कर रहे हैं, इनकी skill को upgrade करना भी उतना ही जरूरी है। अब जैसे पूरी दुनिया में जो auditing से जुड़ी संस्थाएं हैं, वे crowd based solution की तरफ बढ़ रही हैं। इसी तरह टेक्नोलॉजी को लेकर जो best global practices हैं, उनको हमें हमारे सिस्टम का हिस्सा तो बनाना ही है, India Pacific tools पर भी हमें काम करना है।
साथियो, हमारा लक्ष्य है कि साल 2022 तक Evidence Based Policy-Making को गवर्नेंस का अभिन्न हिस्सा बनाया जाए। ये New India की नई पहचान बनाने में भी मदद करेगा। ऐसे में Audit और Assurance Sector के Transformation के लिए भी ये सही दौर है। अब CAG को भी CAG 2.0 की तरफ बढ़ना होगा। मुझे बताया गया है कि आप इस तरफ तेजी से आगे बढ़ भी रहे हैं। ये काम हम तेजी से तभी कर पाएंगे जब कुछ gap को, कुछ कड़ियों को तेजी से जोड़ पाएं। अभी हमारे यहां जो data generate हो रहा है, वो बहुत विशाल है और अनेक एजेंसियों, अनेक विभागों के पास स्टोर है। ये डेटा भी इन एजेंसियों और विभागों ने अपने यूज के लिए collect किया है। लेकिन ये भी सही है कि अक्सर ये डेटा एक-दूसरे के साथ शेयर नहीं किया जाता। ये विशाल डेटा लिंक नहीं होता। इसलिए accountability gap भी natural course में आ जाता है। हमें इसे bridge करना है। और इसके लिए सरकार के स्तर पर भी कुछ कोशिश हो रही है, कदम उठाए जा रहे हैं। और मुझे विश्वास है कि आप सब भी इस विषय पर आपस में विचार करेंगे और दूसरी एजेंसियों और विभागों के साथ भी साझा करेंगे। और मुझे याद है पिछली बार मैंने आपके बीच एक ही जिले में road construction का उदाहरण दिया था। ये बताया था कि कैसे एक ही जिले में समान लंबाई की सड़क जब दो अलग-अलग डिपार्टमेंट बनाते हैं तो कई बार कीमतों में कितना फर्क रहता है। अब अलग-अलग ऑडिट के समय में तो दोनों ठीक लगते हैं, लेकिन overall picture को देखें तो सही नहीं पाए जाते हैं। ऐसे कितने ही उदाहरण सरकारी विभागों में हैं जहां पर big data analysis सुधार किए जा सकते हैं। और मैं समझता हूं कि जब आप बड़े डेटा बेस को अपने ऑडिट के लिए analyze करते हैं तो आपकी जानकारी Evidence Based Policy-Making में बहुत काम आ सकती है। अगर इसमें CAG इस डेटा से जुड़ी जानकारियों के आधार पर advice दे सकें, कुछ institutional solution दे सकें, तो मैं समझता हूं इससे देश की बहुत बड़ी सेवा होगी। और मेरा तो आग्रह ये भी होगा कि आप सिर्फ ऑडिट के लिहाज से ही नहीं एक think tank के नजरिए से भी सोचें।
साथियो, मैंने पिछली बार institutional memory की भी बात की थी। Digital audit और Digital governance, अलग-अलग संस्थाओं में इस institutional memory को भी मजबूत करने का काम कर सकती है। एक और काम आप आसानी से कर सकते हैं, CAG अनेक अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं का ऑडिट करती है, दूसरे देशों को ऑडिट में technical support देती है। आप एक ऐसा institutional mechanism तैयार कर सकते हैं जिसमें International audit करने वाली टीमें अपने अनुभव साझा कर सकें, वहां की bast practices को शेयर कर सकें, CAG की ऑडिट रिपोर्ट ज्यादा सार्थक हो। इसके लिए क्या हम audit के topic को विचार-विमर्श करने के लिए चुन सकते हैं क्या? इस पर हमें जरूर विचार करना चाहिए। आप अनेक प्रकार के audit करके आ रहे हैं। मेरा एक सुझाव है कि आप process audit पर भी गौर करें। अभी तक तो आप सिर्फ यही देखते हैं कि process follow हुआ या नहीं हुआ। लेकिन क्या उस process पर कोई सुधार संभव है, ताकि निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचा जा सके? ये सुझाव आएगा और मैं समझता हूं कि बहुत मददकारक होगा। एक और शिकायत विभागों की तरफ से रहती है कि CAG audit बहुत जल्दी-जल्दी होता है, जिसके कारण जो findings निकलती हैं, वो उतनी काम नहीं आ पाती हैं। क्या ऐसा संभव है कि विभागों के internal audit, उसमें कैसे मजबूती आए, और वो in tune with CAG कैसे हो, ताकि हम समय भी बचा सकें और efficiency बढ़ा सकें। और इससे होगा ये कि routine audit विभाग खुद जब करते हैं तो इन सारी बारीकियों को ध्यान दें ताकि जब CAG वहां जाएं तो उसको जो readymade material मिलेगा, उसमें बहुत कम चीजों की जरूरत पड़ेगी और हम efficiency बढ़ा सकते हैं, हम speed भी बढ़ा सकते हैं।
साथियो, ये चुनौती उस टेक्नोलॉजी से हमें निपटने की है जो गलत काम करने वालों के पास है। अब CAG सहित तमाम ऑडिटर्स को चाहे वो internal हो, या फिर external हो, नई चुनौतियों से निपटने के लिए innovative तरीके ढूंढने ही पड़ेंगे। और इसके लिए सबसे पहले हमें ऑडिटर्स की core values को प्रोत्साहित करना होगा, तभी हम occupational fraud पर नकेल कस पाएंगे। बीते कुछ सालों में सरकारी विभागों में fraud से निपटने के लिए अनेक प्रयास हुए हैं। अब CAG को ऐसे technical tools develop करने होंगे ताकि संस्थानों में fraud के लिए कोई गुंजाइश न बचे। और मैं आपको सुझाव देना चाहता हूं- मैं पिछले दिनों इसका प्रयोग किया है, क्या CAG इस पर सोच सकता है क्या? मैंने भारत सरकार के अलग-अलग डिपार्टमेंटों से प्रार्थना की कि आपके पास ऐसी कौन सी problem है, कि जिसके solution में या उन समस्याओं के समाधान में या delivery में आपको दिक्कतें होती हैं? शुरू में तो डिपार्टमेंट के लिए ऐसा स्वीकार करना मुश्किल होता है, तो सबका पहला रिपोर्ट यही आता है, नहीं हमारे यहां कोई तकलीफ नहीं है, सब बहुत अच्छा है, कोई तकलीफ नहीं है, बहुत बढ़िया चल रहा है। मैं जरा पीछे लगा रहा, बार-बार पूछता रहा, तो अलग-अलग डिपार्टमेंट्स से करीब-करीब 400 issues आए। उनको लगता था कि इसका technological solution हो तो अच्छा हो।
इन 400 issues को मैंने अलग-अलग universities के IT based काम करने वाले students को दिया और पूरे देश में हेकेथॉन चलाया। लाखों नौजवानों ने उसमें हिस्सा लिया। Minimum 36 hours nonstop इन टोलियों ने काम किया। उसमें से निकलते-निकलते-निकलते ऊपर जब करीब 10-12 हजार बच्चे बचे तो मैंने खुद ने उनसे चर्चा की। और आप हैरान हो जाएंगे इन 400 जो issues निकाले थे, अधिकतर का सॉल्यूशन इन 18-20-22 साल के बच्चों ने निकाल करके दिया, technology based solution. और सरकार का भी मैं अभिनंदन करूंगा कि उसमें से करीब-करीब 80 पर्सेंट उन्होंने already अपनी व्यवस्था में incorporate कर दिया, लागू कर दिया। क्या CAG आज जो चुनौतियां हैं, जैसे अब आपने प्रेजेंटेशन में बताया कि ये हॉस्पिटल का ऑडिट करना इन्हें कितना बड़ा टेक्नीकल काम है, कैसे करना है। अब आप तो उस फील्ड के हैं नहीं। कोई एक डॉक्टर मिल जाए, वो आपको कहे तो आप उस दिशा में जा करके देख लेंगे। क्या हम इस प्रकार की चीजों के लिए identify करके इतने-इतने issues हैं, technical solutions निकाले जा सकते हैं।
तो आप अगर इस प्रकार से issues इन नौजवानों को दें और मैं एचआरडी मिनिस्ट्री को कह सकता हूं कि भई इसके साथ coordinate करें। और इस प्रकार के हेकेथॉन हों जो CAG के लिए ऐसे tool बनाएं, CAG के लिए इस प्रकार के सॉल्यूशंस ले करके आएं । आपके कुछ लोगों को उनके साथ विचार-विमर्श करने का मौका मिले तो मैं समझता हूं एक अच्छा mechanism और ये yearly किया जा सकता है। ये हेकेथॉन, इससे ये भी लाभ होगा कि हमारे देश की युवा पीढ़ी है उसको भी पता चलेगा कि हिंदुस्तान की शासन व्यवस्था की सबसे वृद्ध, अनुभवी ये institution कैसे-कैसे काम कर रही है और कितनी चुनौतियों को ले करके चलती है। मैं समझता हूं कि इस काम की ओर सोचा जा सकता है और देखना चाहिए। और ऐसे प्रयासों से देश के सामान्य मानवी की परेशानी कम होगी और देश की तमाम संस्थाओं पर उसका भरोसा भी मजबूत होगा। At the same time Government mechanism जो है, उसका और आपका भी- इन दोनों मे तारतम्य बनेगा।
मुझे विश्वास है कि CAG देश की तमाम अपेक्षाओं पर खरा उतरेगी और न्यू इंडिया को clean India, Clean India- वो वाला नहीं जो मैं करता हूं, आप वाला दूसरा है- बनाने में अपनी भूमिका को सशक्त करेगी। और मेरा आपसे आग्रह है- एक तो होता है हम ऑडिट करें। लेकिन क्या ऑडिट किसी को कटघरे में खड़ा करने के लिए तो ठीक है, लेकिन क्या हम वहीं पर रुकने के लिए हैं क्या? जी नहीं, हम कहीं पर भी हों, किसी भी अम्ब्रेला के नीचे काम करते हों, लेकिन ultimately हम सब देश के लिए काम करते हैं, देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए काम करते हैं, हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए काम करते हैं। और इसलिए हम ये जो मेहनत करते हैं, क्या वो good governance के लिए काम आ सकती है क्या? Efficiency के लिए काम आ सकती है क्या? और ये किया जा सकता है- जैसे हर बार जरूरी नहीं है कि जो है उसमें से हम कमियां खोजें, हर बार जरूरी नहीं है। लेकिन अगर साल के प्रारंभ में ही आप एक दस डिपार्टमेंट पकड़ लें। दस डिपार्टमेंट के संबंध में brain storming हो, डिपार्टमेंट के साथ, आपके लोगों के साथ, जिस-किस में महारत है, grass root level पर भी कोई काम करने वाला हो, वो भी हो, डिस्ट्रिक्ट लेवल पर काम करने वाला हो, स्टेट लेवल पर करने वाला हो, नेशनल लेवल पर हो। Brain storming करके मान लीजिए एक direct आप 100 point निकालते हैं, और उनको कहा जाए कि देखिए भाई हम एक साल के बाद ऑडिट के लिए आएंगे। ये हम सबने मिलकर जो 100 point निकाले हैं, आप अपने काम का इस 100 point के तराजू पर जरा तौलिए। आप जो चीजें रिकॉर्ड रखेंगे, इन 100 पहलुओं को उसमें जरूर ध्यान रखिए।
इसका मतलब ये हुआ कि जो audit mind है वो पहले से उसको इंगित करेगा कि देखिए आपको गलती न हो, इसके के लिए मैं आपको प्रोफार्मा देता हूं। आप देखिए, इससे फर्क ये पड़ेगा efficiency बढ़ेगी, governance के पहलू में नई बातें उजागर होंगी, जो सरकार की अपने-आप में एक strength बन जाएगी। और इसलिए मैं चाहूंगा कि हम ऐसे भी कुछ प्रयास कर सकते हैं क्या? दूसरा आपने देखा होगा, ultimately आपने देखा होगा, हम बजट में, हाउस में हम outcome report भी रखते हैं, जो पहले हमारे यहां नहीं था। क्योंकि output की चर्चा तो बड़ी सरल होती है, कि दस रुपया था, दस रुपया दे दिया। क्या किया, क्यों किया, कैसे किया, किसके लिए किया, कब किया, करना चाहिए था, नहीं करना चाहिए था, सारी बातें- वो आपके क्षेत्र में चला जाता है। और वो outcome शुरू होता है। और इसलिए हाऊस के अंदन इन दिनों outcome की व्यवस्था हमने develop की है और ये institutionalized की है।
लेकिन कभी-कभी process बढ़िया, प्रॉडक्ट बढ़िया, outcome क्या? Outcome कहां कम होता है, जहां पर चोरी होती है वहां outcome कम होता है बात अलग है, ज्यादातर bad governance उसके लिए जिम्मेदार होता है। अगर गर्वनेंस सही है तो natural course में outcome और efficiency नजर आती है। और इसलिए हम अपनी बातों को good governance का भी एक हिस्सा बना सकते हैं। और इसलिए मैं कहूंगा क्या Target था, क्या Achieve किया गया, और इसको लेकर आपका दृष्टिकोण बारीक होते हुए भी मैं जरूर चाहूंगा कि हम एडवांस में अपने-अपने संस्थानों को मजबूत बनाने के लिए कैसे आगे बढ़ सकते हैं- हम प्रयास करें।
मैं फिर एक बार- आज आपके बीच आने का मुझे मौका मिला है। आप सबको देश की एक उत्तम सेवा करने के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। 2022 में आजादी के 75 साल होंगे। क्या CAG 2022 आजादी के 75 साल as an institution हमारे target क्या होंगे? हम इस institution को और अधिक friendly कैसे बनाएंगे? Productive कैसे बनाएंगे? Good governance में contributor कैसे बनाएंगे? हमारे इस अनुभव का उपयोग बुराइयां ढूंढने की जिसकी ताकत है, उसकी बुराइयो को रोकने की भी ताकत होती है। जिसकी बुराइयो को रोकने की भी ताकत होती है, जिसको बुराइयां होने से बचाने की भी ताकत होती है, क्या हम इन्हीं सभी पहलूओं के साथ जुड़ करके इस सारी इतनी बड़ी institution का हम और अधिक प्रभावी उपयोग कर सकते हैं? और मैं मानता हूं कि संभव है।
आपको लगेगा कि फाइलें देख-देख करके तंग आ जाते हैं और ये प्रधानमंत्री चार काम नए दे करके जा रहा है, लेकिन मैं मानता हूं कि फिर आपका जो ये बोझ है, वो अपने-आप कम हो जाएगा और आपको भी संतोष होगा कि आपने जो और contribute किया है, वो institutionalized हुआ है जिस तरह देश के नक्शे को जो एक सोच है उसको बदलने में बहुत बड़ा रोल प्ले किया है, और ये हो सकता है।
इसी अपेक्षाओं के साथ मेरी आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
बहुत-बहुत धन्यवाद।