The setback in Chandrayaan landing has only made India’s resolve to land on the moon even stronger: PM Modi
Despite setbacks in landing, we must remember that Chandryaan had quite successful journey until now: Prime Minister Modi
We must not be disappointed that Chandrayaan was not able to land on the moon, instead, we need to learn from our mistakes and keep going till we are successful: PM Modi

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय,

आप वो लोग हैं जो मां भारती के लिए, उसकी जय के लिए जीते हैं, आप वो लोग हैं जो मां भारती की जय के लिए जूझते हैं, आप वो लोग हैं जो मां भारती के लिए जज्‍बा रखते हैं और इसलिए मां भारती का सर ऊंचा हो इसके लिए पूरा जीवन खपा देते हैं, अपने सपनों को समाहित कर देते हैं।

साथियों, मैं कल रात को आपकी मन:स्थिति को समझ रहा था, आपकी आंखे बहुत कुछ कहती थीं, आपके चेहरे की उदासी मैं पढ़ पाता था और उसके लिए ज्‍यादा देर मैं आपके बीच नहीं रुका। कई रातों से आप सोए नहीं है फिर भी मेरा मन करता था कि एक बार सुबह फिर से आपको बुलाऊं, आपसे बाते करुं। इस मिशन के साथ जुड़ा हुआ हर व्‍यक्ति एक अलग ही अवस्‍था में था। बहुत से सवाल थे। और बड़ी सफलता के साथ आगे बढ़ते हैं। और अचानक सब कुछ नजर आना बंद हो जाए। मैंने भी उस पल को आपके साथ जीया है। जब communication off आया तो आप सब हिल गए थे। मैं देख रहा था, उसे मन में स्‍वाभाविक प्रश्‍न करता था क्‍यों हुआ, कैसे हुआ और वैज्ञानिक का मन ही तो वही होता है वो हर बात को क्‍यों और क्‍यों से शुरू करता है। बहुत सी उम्‍मीदें थी। मैं देख रहा था उसके बाद भी आपको लगता था अरे यार कुछ तो होगा क्‍योंकि उसके पीछे आपका परिश्रम था, पल-पल आपने बड़ी बारी‍की से आपने बढ़ाया था।

साथियों, आज भले ही कुछ रूकावटें आई हों, रूकावटें हाथ लगी हों लेकिन इससे हमारा हौंसला कमजोर नहीं पड़ा है बल्कि और मजबूत हुआ है। आज हमारे रास्‍ते में भले ही एक आखिरी कदम पर रूकावट आई हो लेकिन इससे हमें अपनी मंजिल के रास्‍ते से डिगे नहीं हैं। आज भले ही हम चंद्रमा की सतह पर हमारी योजना से नहीं जा पाए और अगर कोई कवि को आज की घटना का लिखना होगा, साहित्‍यकारों को लिखना होगा। विज्ञान की सोच, विज्ञान की भाषा अलग है। लेकिन कला और साहित्‍य को किसी को अगर लिखना होगा तो जरूर लिखेगा कि हमनें चांद का इतना वर्णन किया है इतना रोमांटिक वर्णन किया है जीवन में तो चंद्रयान के भी स्‍वभाव में वो आ गया था। और इसलिए आखिरी कदम पर चंद्रयान... चंद्रमा को गले लगाने के लिए दौड़ पड़ा था। कवि ऐसा ही कहेंगे... आज चंद्रमा को छूने की हमारी इच्‍छाशक्ति, चंद्रमा को आगोश में लेने की हमारी इच्‍छाशक्ति और संकल्‍प और प्रबल हुआ है, और मजबूत हुआ है, दृढ़ हुआ है।   

Sisters and brothers of India, my scientist friends, for the last few hours the entire nation was awake. We were awake in solidarity with our scientists, who had embarked on one of the most ambitious mission of our space program.

We came very close but we will need to cover more ground in the times to come. Every Indian is filled with a spirit of pride as well as confidence. We are proud of our space program and scientists, their hard work and determination has ensured a better life not only for our citizens but also for other nations.

It is the outcome of their innovative zeal that several people have got access to a better quality of life including better Health Care and education facilities. India is certain that there will be many more opportunities to be proud and rejoice, thanks.

At the same time, we are full of confidence that when it comes to our space program the best is yet to come.

There are new frontiers to discover and new places to go. We will rise to the occasion and scale newer heights of success.

To our scientists I want to say India is with you. You are exceptional professionals who have made an incredible contribution to national progress.

you have given your best always and will give us several more opportunities to smile true to your nature you ventured into a place where no one had ever done before a bloke

आप लोग मक्‍खन पर लकीर करने वाले नहीं, पत्‍थर पर लकीर करने वाले लोग हैं।

You came as close as you could. Stay steady and look ahead. I also salute the families of our space scientists. Their silent but valuable support remains a major asset.

Sisters and brothers of India resilience and tenacity are Central to India’s ethos. In our glorious history of thousands of years we have faced moments that may have slowed us but they have never crushed our spirit. We have bounced back again and gone to do spectacular things. This is the reason our civilization stands tall.

My dear friends as important as the final result, is the journey and the effort. I can proudly say that the effort was worth it and so was the journey. Our team worked hard, traveled far and those teachings will always remain with us. We will look back at the journey and effort with great satisfaction. The learnings from today will make us stronger and better. There will be a new dawn and a brighter tomorrow very soon .

साथियों, परिणामों से निराश हुए बिना, निरंतर लक्ष्‍य की तरफ बढ़ने की हमारी परंपरा भी रही हैं, और हमारे संस्‍कार भी है। हमारा हजारों वर्ष का इतिहास ऐसे उदाहरणों से भरा हुआ है। जब शुरुआती रूकावटों के बावजूद हमने ऐतिहासिक स्थितिया हासिल की हैं.

खुद इसरो भी कभी ना हार मानने वाली संस्‍कृत का जीता-जागता उदाहरण है। अगर अपनी शुरूआती दिकक्‍तों और चुनौतियों से हम हार जाते तो आज इसरो दुनियां की अग्रणी स्‍पेस एजेंसी में से एक का स्‍थान नहीं ले पाता।

साथियों, परिणाम अपनी जगह है लेकिन मुझे वह पूरे देश को अपने वैज्ञानिकों, इंजीनियरों आप सभी के प्रयासों पर गर्व है। मैंने आपसे रात में भी कहा था और अभी फिर कह रहा हूं कि मैं आपके साथ हूं, देश भी आपके साथ है।

साथियों, हर मुश्किल.. हर संघर्ष.. हर कठिनाई हमें कुछ नया सिखा कर जाती है। कुछ नए आविष्‍कार, नई टेक्‍नोलॉजी के लिए प्रेरित करती है। और इसी से हमारी आगे की सफलता तय होती है वैसे भी मैं मानता हूं ज्ञान का अगर सबसे बड़ा शिक्षक कोई है तो विज्ञान है। विज्ञान में विफलता होती ही नहीं है केवल प्रयोग और प्रयास होते हैं। हर प्रयोग, हर प्रयास ज्ञान के नए बीज बो कर जाता है। नई संभावनाओं की नींव रखकर के जाता है और हमें अपने असीम सामर्थ्‍य का एहसास दिलाता है।

साथियों, चंद्रयान के सफर का आखिरी पड़ाव भले ही आशा के अनुकूल न रहा हो लेकिन हमें यह भी याद रखना होगा कि चंद्रयान की यात्रा शानदार रही है, जानदार रही है। इस पूरे मिशन के दौरान देश अनेक बार आनंदित हुआ है। गर्व से भरा है इस वक्‍त भी हमारा orbiter पूरी शान से चंद्रमा के चक्‍कर लगा रहा है। मैं खुद भी इस मिशन के दौरान चाहे देश में रहा या विदेश में हर बार चंद्रयान की स्थिति से जुड़ी सूचना लेता रहता था।

साथियों, भारत दुनिया की अहम स्‍पेस पावर में से एक है तो उसके पीछे आप सभी का दशकों से.... जिन साथियों ने इसरो में काम किया है..... उनका परिश्रम है, उनका योगदान है। यह आप ही लोग है जिन्‍होंने अपने पहले ही प्रयास में मंगल ग्रह पर भारत का झंडा फहराया था। इससे पहले दुनिया में ऐसी उपलब्धि किसी के नाम नहीं थी। हमारे चंद्रयान ने ही दुनिया को चांद पर पानी होने जैसी अहम जान‍कारियां दी। यह भी आपके ही प्रयास थे कि हमने सौ से ज्‍यादा सैटेलाइट एक साथ लान्‍च करके एक नया रिकार्ड बनाया था। जब इसरो के पास success के encyclopedia हो तो रूकावट के एक दो लम्‍हों से आपकी उड़ान out of trajectory नहीं हो सकती।

साथियों, हमारे संस्‍कार, हमारा चिंतन, हमारी सोच इस बात से भरी पड़ी है जो हमें कहते हैं और जिन पर हम विश्‍वास करते हैं वयम् अमृतस्य पुत्र:। हम अमृत की संतान है जिसके साथ अमृत जुड़ा हुआ होता है। अमृत की संतान के लिए न कोई रूकावट है और न ही कोई निराशा। हमें पीछे मुडकर निराश नहीं होना है। हमें सबक लेना है, सीखना है, आगे ही बढ़ते जाना है और लक्ष्‍य की प्राप्ति तक रूकना नहीं है। हम निश्‍चित रूप से सफल होंगे, हम मिशन के अगले प्रयास में भी और उसके बाद हर प्रयास में भी कामयाबी हमारे साथ होगी।

21वीं सदी में भारत के सपनों और आंकाक्षाओं को पूरा करने से हमे कोई भी क्षणिक बाधा रोक नहीं सकती है। आप सभी को आने वाले हर मिशन के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। और मैंने पहले कहा भी, विज्ञान परिणामों से कभी संतुष्‍ट नहीं होता है। विज्ञान की inherent quality है प्रयास, प्रयास और प्रयास । वो परिणाम में से भी नए प्रयास के अवसर ढ़ूढंता है, वो परिणाम से रूकता नहीं है। न ही वो परिणाम के सामने झुकता है और ये आपके संस्‍कारों में हैं। और इसीलिए तो देश आपके प्रति गर्व करता है। मेरा आप पर भी विश्‍वास है, मुझसे भी आपके सपने बहुत ऊंचे हैं, मुझसे भी आपके संकल्‍प और गहरे हैं। मुझसे भी आपका प्रयास सिद्धियों को चूमने का सामर्थ्‍य रखता है और इसलिए मैं पूरे विश्‍वास के साथ आपके हौसलों पर भरोसा करके.... दरअसल मैं आपको उपदेश देने नहीं आया हूं। मैंने सुबह-सुबह आपके दर्शन आपसे प्रेरणा पाने के लिए किए हैं। आप अपने-आप में प्रेरणा का समंदर हैं, प्रेरणा की जीता-जागता स्‍वरूप हैं। और इसलिए इस प्रेरणा की पल है मेरे लिए, जहां निराशा को वैज्ञानिक मन आशा में परिवर्तित कर देता है। जहां सपनों को वैज्ञानिक मन सिद्धि में अंकुरित कर देता है, और इसलिए ऐसी सामर्थ्‍यवान, ऊर्जावान, संकल्‍पवान सिद्धि के लिए समर्पित इन साथियों की टोली को अनेक-अनेक बधाई भी देता हूं, अनेक-अनेक शुभकामनाएं भी देता हूं।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय,

बहुत-बहुत धन्‍यवाद

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!