PM’s address on the release of the digital version of Ramcharitmanas

Published By : Admin | August 31, 2015 | 17:18 IST
QuotePM Narendra Modi launches digitised version of the Ramcharitmanas in New Delhi
QuotePrime Minister Modi appreciates All India Radio's role in uniting the people and spreading awareness and information in India
QuoteRamcharitmanas is a great epic. It contains the essence of India: PM Narendra Modi
QuoteThe digital version of Ramcharitmanas will help people across the world: PM Modi

ये कार्यक्रम जहां हो रहा है, उस स्‍थान का नाम है पंचवटी और जब वाजपेयी जी प्रधानमंत्री थे, तब इस निवास स्‍थान में पंचवटी का निर्माण हुआ और नाम पंचवटी रखा गया था और शायद मैं मानता हूं आज का अवसर पंचवटी में होना अपने आप उसके कारण उसका एक कीर्तिमान बढ़ जाता है, क्‍योंकि रामचरितमानस की बात हो और पंचवटी न हो, तो फिर वो रामचरितमानस अधूरा लगता है और इसलिए ये अपने आप में एक सुफल संयोग है।

आज के इस अवसर को मैं अलग-अलग रूप में अनुभव करता हूं। कभी-कभी सरकार में लोग नौकरी करते-करते जीवन ऐसा बन जाता है, एक मशीनी गतिविधि बन जाती है और वही सुबह जाना, शाम को आना, वही फाइलें, वही बॉस, वहीं assistant, एक जिंदगी के बड़े महत्‍वपूर्ण 30-35 साल उसी में गुजर जाते है और ज्‍यादातर का मन बन जाता है कि चलो अब इस पाइपलाइन में घुसे है 30-35 साल के बाद उधर निकलेंगे। जिस रूप में निकलेंगे, निकलेंगे.. लेकिन यह अवसर देख करके ध्‍यान में आता है कि एक सरकार का मुलाजिम, जिसमें एक तड़प हो, कुछ करने की अदम्‍य इच्‍छा हो, वो कितनी बड़ी विरासत छोड़ करके जाता है और इसलिए सबसे पहले मैं आकाशवाणी के उस एक सामान्‍य अधिकारी जिनके परिवारजन.. ये औरों के लिए भी प्रेरक बन सकता है। हमारी जिंदगी व्‍यर्थ नहीं जा रही है। हम जो फाइलों पर साइन करते है वो बेकार नहीं होती, कभी न कभी इतिहास को वो नया मोड़ देते है। ये आज की घटना उस बात का जीता-जागता सबूत है।

दूसरी बात, करीब-करीब 20-22 साल तक लगातार इसका रिकार्डिंग हुआ है। 22 साल तक उस team को बनाए रखना, उस rhythm को बनाए रखना और उसे उतना ही प्राणवान बनाए रखना, वरना तो यार बहुत हो गया अब कितने ऐपिसोड हो गए, अब तो लोगों को आदत हो गई, चलो निकाल दो। नहीं। इससे जुड़े हुए कलाकार शायद आज हिन्‍दुस्‍तान के बड़े कलाकारों की संख्‍या में उनका नाम नहीं होगा, लेकिन संगीत के साधक के रूप में। 22 साल करीब-करीब ये साधना कम नहीं होती जी, 14 लोगों ने team बन करके काम किया, 7 लोग हमारे बीच नहीं रहे, सबको आज सम्‍मानित करने का आज अवसर मिला और ये सिर्फ संगीत नहीं है। ये संगीत की भी साधना है, संस्‍कृति की भी साधना है और संस्‍कार की भी साधना है। और ये काम, देखिए हमारे देश में कई उतार-चढ़ाव है, वैचारिक धरातल पर भी उतार-चढ़ाव आए हैं। आज अगर कोई ओम बोल दे तो हफ्तेभर विवाद चलता है कि ओम कैसे बोला जा सकता है। देश :::: सांम्‍प्रदायिक है। ऐसे देश में रामचरितमानस को किसी ने question नहीं किया, वो आज भी चल रहा है। हो सकता है आज के बाद किसी का ध्‍यान जाए और तूफान खड़ा कर दे, तो मैं नहीं जानता हूं। लेकिन कभी-कभार हम देखते है कि बहुत सालों से सुनते आए है, क्‍या बात है कि हस्‍ती मिटती नहीं है हमारी। जवाब खोजने के लिए मेहनत करने की जरूरत नहीं है। यही बात है कि जिसके कारण हस्‍ती मिटती नहीं है हमारी, यही तो रामचरितमानस है, यही तो परम्‍परा है, यही संस्‍कार है।

हजारों साल से दुनिया में हमारी जो सबसे बड़ी विशेषता है जिसके लिए विश्‍व के किसी भी समाज को हमारे प्रति ईर्ष्‍या हो सकती है, वो है हमारी परिवार व्‍यवस्‍था और हम बचे हैं बने है उसका एक कारण.. जब तक हमारी परिवार व्‍यवस्‍था प्राणवान रही है, हम ताकतवर रहे है और उस परिवार व्‍यवस्‍था को प्राणवान बनाने में बहुत बड़ी भूमिका अगर किसी ने निभाई है तो रामचरितमानस और राम जी का परिवार जीवन है। मर्यादा पुरूषोत्‍तम राम.. मर्यादाओं में किसने कैसे जीना परिवार में। किसकी कैसे मर्यादा को पालन करना, कैसा व्‍यवहार करना, आचरण का उत्‍तम संस्‍कार का हमें दर्शन होता है। रामचरितमानस की क्‍या ताकत देखिए हजारों साल हो गए, पीढि़यां बीत गई लेकिन वहीं भाव, वही परम्‍परा, वही संस्‍कार, वही संदेश आज भी जीवित है। आज एक बात हम कहें, लिखित कहें लेकिन संदेश पहुंचते-पहुंचते सात दिन में उसका अर्थ अलग ही हो जाता है। ऐसा कौन सा सामर्थ्‍य होगा कि जिसमें आज भी अनेक व्‍याख्‍याएं होने के बाद भी मूल तत्‍व को कहीं पर भी खरोच नहीं आई है। ऐसी कृति मानव को इस धरती के साथ जोड़ने का इतना बड़ा काम है।

आज भी अगर हम मॉरिशस में जाए दुनिया के कई देशों में, जो लोग गुलामी के कालखंड में मजदूर के रूप में उनको उठा करके ले जाया गया, कुछ नहीं था, निर्धन थे। लेकिन तुलसीकृत रामायण साथ ले जाना नहीं भूले, हनुमान चालीसा ले जाना नहीं भूले और डेढ़ सौ साल अलग जीवन, भाषा भूल गए, पहनावा बदल गया, नाम में बदलाव आया, लेकिन एक अमानत उनके पास बची जिससे आज भी भारत के साथ उनका नाता जुड़ा रहा है और कैसे जुड़ता है मुझे बहुत साल पहले की घटना याद है। वेंस्‍टइंडिज की एक क्रिकेट टीम भारत में खेलने के लिए आई थी। बहुत साल पहले की बात कर रहा हूं और उसके मैनेजर का मेरे यहा फोन आया। अब आज से 30-35, 40 साल पहले मुझे कोई पहचानता नहीं था, न कोई नाम न कोई जान। उनका टेलीफोन आया मुझे आश्‍चर्य हुआ, कि बोले वेंस्‍टइंडिज के क्रिकेटर के मैनेजर आप से बात करना चाहते है, मिलना चाहते है। तो किसी ने नाम दिया होगा, कही परिचय निकला होगा। मैंने कहा वेंस्‍टइंडिज टीम से मेरा तो वैसे भी क्रिकेट के खेल से.. मैं कोई खिलाड़ी तो हूं नहीं, तो पता चला तो बोले रामरिखीनाम है इनका और वो अपनी पत्‍नी के साथ आए है। मूल भारतीय है, तो मैं उनको मिलने गया तो वहां एचआरडी मिनिस्‍ट्री में काम करते थे और टीम मैनेजर के रूप में आए थे। तो मैंने कहा ये ऋषि शब्‍द कहा से आया तो बोले ऋषि में से आया हुआ होगा, फिर उनकी पत्‍नी का नाम पूछा तो बोले सीता। वो भारत पहली बार आए थे। लेकिन उनको अपना और मैं जब गया तो specially वो भारतीय परिवेश पहन करके बैठे थे। यानी एक प्रकार से एक ग्रंथ डेढ़ सौ साल के बाद भी अपनेपन से जोड़ करके रखता है] इसका ये उत्‍तम अनुभव.. और इस अर्थ में रामचरितमानस आज digital form में ये सबके सामने जा रहा है।

आकाशवाणी की ताकत बहुत बड़ी है, कितनी ही चीजें क्‍यों न बदल जाए, लेकिन कुछ मूलभूत चीजें होती है, जो अपनी.. बुलंदी कभी खोती नहीं है। हिन्‍दुस्‍तान के जीवन में आकाशवाणी की ये बहुत बड़ी ताकत है। लोगों को भले एहसास न होता, हो मुझे तो एहसास है। हम लोग भली-भांति समझते है आकाशवाणी की ताकत क्‍या है। ये मेरा एक ऐसा अनुभव है जो मैं कभी भूल नहीं सकता। मैं हिमाचल में भारतीय जनता पार्टी के संगठन का काम करता था। अटल बिहारी वाजपेयी जी प्रधानमंत्री थे। और मैं हिमाचल में काम करता था, तो एक दिन मैं अपने दौरे पर जा रहा था तो ऐसे ही पहाड़ों में एक ढाबे पर रूक करके चाय पीने की सोचा, तो गाड़ी को रोकी। जब मैं नीचे उतरा तो जो ढाबे वाला था, चाय वाला उसने मुझे लड्डू खिलाया। मैंने कहा भई मुझे चाय पीनी है। अरे बोले साहब लड्डू खाओ पहले, मौज करो। मैंने कहा क्‍या बात है। बोले अरे आज अटल जी ने बम फोड़ दिया, मैंने कहा अटल जी ने बम फोड़ दिया। अरे बोले अभी-अभी रोडियो पर सुना है कि भारत ने बम फोड़ा है। न्‍यू‍क्लियर टेस्‍ट हुआ था। मुझे वो पहली खबर आकाशवाणी के माध्‍यम से एक चाय वाले, ढाबे वाले ने दी।

यानी हम जिन चीजों का कभी-कभी महत्‍व नहीं समझते, वो कितना बड़ा होता है ओर सिर्फ खबर नहीं, सिर्फ खबर नहीं। हिमायल की पहाडि़यों में दूर-सुदूर अकेला चाय के ढाबे वाला, इस समाचार से अपने आपको इतना गौरवान्वित महसूस कर रहा है कि गरीब होने के बावजूद भी अपनी दुकान की मिठाई मुफ्त में बांट रहा है। संदेश की ताकत क्या है, देखिए और समय ज्‍यादा नहीं हुआ होगा, ये 5 बजे declare हुआ होगा शाम को और मैं करीब 6 सवा 6 बजे वहां से गुजर रहा हूं। कहने का तात्‍पर्य ये कि हमारे ये communication अपने आप में इतने बड़े देश में बहुत अनिवार्य है, बहुत आवश्‍यक है और आज के competition के युग में आकाशवाणी को स्‍पर्धा में फंसने की जरूरत नहीं है जी। उसने तो अपनी मूलभूत धाराओं को पकड़ करके जन-जन के दिलों तक जुड़े रहना ओर देश को जोड़ के रखना और भविष्‍य के साथ उनको उत्‍साहित करते रहना ये उसका काम है। और उस काम को हम कैसे निभाएं।

युग बदलता जाए वैसे बदलाव आवश्‍यक होता है कायाकल्प जरूरी होते है ओर जब कायाकल्प की बात करता हूं तब आत्‍मा वही रहता है, समयाकूल बदलाव आता है। ये डिजिटल रूप उसका एक सही कदम है। हम लोग, अब मुझे बताया गया आकाशवाणी के पास 9 लाख घंटों का recording material उपलब्‍ध है, 9 लाख घंटे। शायद दुनिया में किसी एक ईकाई के पास इतना खजाना नहीं होगा जी और उस समय आकाशवाणी का जो रूप-रंग था बाद में जो हमारे यहां जो चला माहौल, अलग बात है, मैं जरूर मानता हूं कि आ‍काशवाणी के पास भारत की मूल आवाज, भारत का मूल चिंतन, भारत की मूल undiluted ये उसमें उपलब्ध होगा। ये 9 लाख घंटों का जब digital version तैयार होगा फिर उसमें भाषाओं का उपयोग किया जा सकता है कि नहीं कितनी बड़ी सेवा होगी, कितना बड़ा खजाना ओर एक प्रकार से digital history का ये सबसे बड़ा resource material बन सकता है। जो शायद आने वाले दिनों में जो पीएचडी करना चाहते होगे उनके लिए एक बहुत अवसर बनेगा। और भारत का दूरदर्शन का काम तो ऐसा है कि हिन्‍दुस्तान की सभी यूनिवर्सिटी में एकाध-एकाध विद्यार्थी ने सिर्फ आकाशवाणी के योगदान पर पीएचडी करनी चाहिए, रिसर्च करनी चाहिए। हम लोगों के स्‍वभाव नहीं है। एक एकाध प्रेमचंद की कथा पर तो रिसर्च कर लेते है, लेकिन इतना बड़ा खजाना। आगे चल करके Human Resource Department के लोग, Culture Department के लोग सोचें कि हमारे नौजवान इस खजाने का research करके क्‍या दे सकते है दुनिया को। हम आगे के लिए क्‍या सोचे। विश्‍व के लोग भी अंतर्राष्‍ट्रीय योगा दिवस ने सिद्ध कर दिया है कि दुनिया भारत को जानने-समझने के लिए आतुर है, तैयार है। वे अंतर्राष्‍ट्रीय योगा दिवस ने ये message दिया है कि भारत के पास कुछ है जो हमें जानना है, पाना है ये मूढ़ बना है तब हमारा कर्तव्‍य बनता है कि हम इसको कैसे पहुंचाए और ये अगर हम कर सकते है तो हम कितनी बढ़ी सेवा कर सकते है।

इनदिनों आकाशवाणी एक अच्‍छा काम भी किया है.. आकाशवाणी नहीं, रेडियों के कारण धीरे-धीरे जो आज एफएम चैनल वगैरह सब जो दुनिया चलती है। लोग कहते है भ्रष्‍टाचार के लिए क्‍या किया? हमारे यहां FM चैनल सारी पहले सरकारी खजाने में 80 सौ करोड़ रुपया देती थी। अभी आक्‍शन चल रहा है, आक्‍शन से देंगे ट्रांसपैरेंसी, परिणाम क्‍या आया मालूम है अब तक करीब-करीब साढ़े 11 सौ करोड़ की बोली बोल चुके है, अभी तो बोली चल रही है और उसके जो rules and regulations है उसके हिसाब से सरकार के खजाने में जो 80 सौ करोड़ आते थे एक स्थिति आएंगी 27 सौ-28 सौ करोड़ रुपए आएगे। व्‍यवस्‍थाओं को transparent करने से व्‍यवस्‍थाओं को आधुनिक टेक्‍नोलोजी से जोड़ करके भ्रष्‍टाचार से मुक्ति कैसे पाई जा सकती है। कोई नया आर्थिक बोझ डाले बिना भी देश के विकास में धन कैसे उपलब्‍ध किया जो सकता है इसका एक बेहतरीन नमूना.. ये आकाशवाणी और रेडियो के संबंध में जो भारत सरकार ने अरुण जी के नेतृत्‍व में किया है, उसका ये परिणाम है।

तो हर दिशा में हम इस काम को आगे बढ़ा रहे है और मुझे आशा है कि ये digital version के कारण विश्‍व के लोग जो जानना चाहते है, समझना चाहते है उनके लिए उपकारक होगा। भोपाल केंद्र के लोगों ने गौरवपूर्ण काम किया है; आने वाले दिनों में भोपाल में एक विश्‍व हिन्‍दी सम्‍मेलन हो रहा है। आकाशवाणी सोचे विश्‍व हिन्‍दी सम्‍मेलन में जो delegate आने वाले है भोपाल में ही हो रहा है तो ये उनको गिफ्ट के रूप में दिया जाए, ताकि एक souvenir..एक सच्चा souvenir ये बनेगा, जो विश्‍वभर से गरीब, काफी बड़ी तादात में लोग आ रहे है तो एक बहुत बड़ा अवसर बनेगा।

मैं फिर एक बार विभाग को, प्रसार भारती को, आकाशवाणी को ये बहुमूल्य चीजें संभाले रखने के लिए बधाई देता हूं। और देशवासियों को ये नजराना देते हुए मैं गर्व महसूस करता हूं। मैं आभारी हूं डॉ. कर्ण सिंह जी का और मैंने देखा है कि हमारे कर्ण सिंह जी इन चीजों से ऐसे जुड़े हुए है, इसका इतना महामूल्‍य मानते है वो, कि उनको कोई राजकीय विचारधारा कभी बाधा नहीं बनती है और हमेशा ऐसी चीजों को वो आर्शीवाद देते रहें, प्रोत्‍साहन देते रहें। आज विशेषरूप आए इसलिए मैं उनका आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

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तल्लि दुर्गा भवानि कोलुवुन्ना ई पुण्यभूमि पै मी अन्दरिनि कलवडम नाकु आनन्दमुगा उन्नदि॥

आंध्र प्रदेश के राज्यपाल सैयद अब्दुल नजीर जी, मुख्यमंत्री मेरे मित्र श्री चंद्रबाबू नायडू जी, केंद्रीय कैबिनेट के मेरे सहयोगी मंत्रीगण, डिप्टी सीएम ऊर्जावान पवन कल्याण जी, राज्य सरकार के मंत्रीगण, सभी सांसद और विधायक गण, और आंध्र प्रदेश के मेरे प्यारे भाइयों-बहनों!

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आज जब मैं इस अमरावती की पुण्य भूमि पर खड़ा हूं, तो मुझे केवल एक शहर नहीं दिख रहा, मुझे एक सपना सच होते दिख रहा है। एक नया अमरावती, एक नया आंध्रा। अमरावती वो धरती है, जहां परंपरा और प्रगति दोनों साथ चलते हैं। जहाँ बौद्ध विरासत की शांति भी है और विकसित भारत के निर्माण की ऊर्जा भी है। आज यहां करीब 60 हज़ार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और लोकार्पण किया गया है। ये प्रोजेक्ट्स सिर्फ कंक्रीट का निर्माण नहीं है, ये आंध्र प्रदेश की आकांक्षाओं की, विकसित भारत की उम्मीदों की मजबूत नींव भी हैं। मैं भगवान वीरभद्र, भगवान अमरलिंगेश्वर और तिरुपति बालाजी के चरणों में प्रणाम करते हुए आंध्र प्रदेश की सम्मानित जनता को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू गारू और पवन कल्याण जी को भी मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

हम सब जानते हैं, इंद्रलोक की राजधानी का नाम अमरावती था और अब अमरावती आंध्र प्रदेश की राजधानी है। ये सिर्फ संयोग नहीं है। ये “स्वर्ण आंध्रा” के निर्माण का भी शुभ संकेत है। “स्वर्ण आंध्रा”, विकसित भारत की राह को मज़बूत करेगा और अमरावती, “स्वर्ण आंध्रा” के विजन को ऊर्जा देगी। अमरावती केवलं ओक नगरम कादु अमरावती, ओक शक्ति। आंध्रप्रदेश नू आधुनिक प्रदेश गा मार्चे शक्ति। आंध्रप्रदेश नू अधूनातन प्रदेश गा मार्चे शक्ति।

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साथियों,

अमरावती एक ऐसा शहर होगा, जहां आंध्र प्रदेश के हर नौजवान के सपने साकार होंगे। इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ग्रीन एनर्जी, क्लीन इंडस्ट्री, शिक्षा और स्वास्थ्य, आने वाले कुछ सालों में, इन सारे सेक्टर्स में अमरावती एक लीडिंग सिटी बनकर खड़ा होगा। इन सारे सेक्टर्स के लिए जो भी इंफ्रास्ट्रक्चर जरूरी होगा, केंद्र सरकार उसे रिकॉर्ड स्पीड से पूरा करने में राज्य सरकार की पूरी मदद कर रही है। अभी हमारे चंद्रबाबू जी टेक्नोलॉजी को लेकर के मेरे भारी तारीफ कर रहे थे। लेकिन मैं आज एक रहस्य बता देता हूं। जब मैं गुजरात में नया-नया मुख्यमंत्री बना, तो मैं बाबू हैदराबाद में बैठकर के किस-किस प्रकार के इनिशिएटिव ले रहे हैं, उसका बड़ा बारीकी से अध्ययन करता था और मैं उसमें से बहुत कुछ सीखता था और उसे आज मुझे लागू करने का अवसर मिला है, मैं लागू कर रहा हूं। और मैं अपने अनुभव से कहता हूं, फ्यूचर टेक्नोलॉजी हो, बहुत बड़े स्केल पर काम करना हो और जल्दी से इसे जमीन पर उतारना हो, तो वो काम चंद्रबाबू उत्तम से उत्तम तरीके से कर सकते हैं।

साथियों,

2015 में मुझे प्रजा राजधानी का शिलान्यास करने का अवसर मिला था। बीते सालों में केंद्र सरकार ने हर प्रकार से अमरावती के लिए मदद दी है। यहां बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण के लिए सभी कदम उठाए गए हैं। अब चंद्रबाबू गारू के नेतृत्व में राज्य सरकार बनने के बाद सारे ग्रह जो लगे थे, अब हट गए हैं। यहां विकास कार्यों में तेजी आ गई है। हाईकोर्ट, विधानसभा, सेक्रेटेरिएट, राजभवन, ऐसी कई जरूरी बिल्डिंग बनाने के कामों को भी प्राथमिकता दी जा रही है।

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साथियों,

एनटीआर गारू ने विकसित आंध्र प्रदेश का सपना देखा था। हमें मिलकर, अमरावती को, आंध्र प्रदेश को, विकसित भारत का ग्रोथ इंजन बनाना है। हमें एनटीआर गारू का सपना पूरा करना है। चंद्रबाबू गारू, Brother पवन कल्याण, इदि मनमु चेय्याली इदि मनमे चेय्याली।

साथियों,

बीते दस सालों में भारत ने देश में फिजिकल, डिजिटल और सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर पर विशेष बल दिया है। भारत आज दुनिया के उन देशों में शामिल है, जहां का इंफ्रास्ट्रक्चर तेज गति से आधुनिक हो रहा है। इसका फायदा आंध्र प्रदेश को भी मिल रहा है। आज भी रेल और रोड से जुड़े हजारों करोड़ के प्रोजेक्‍ट्स आंध्र प्रदेश को मिले हैं। यहां आंध्र प्रदेश में कनेक्टिविटी का नया अध्याय लिखा जा रहा है। इन प्रोजेक्ट्स से एक जिले से दूसरे जिले की कनेक्टिविटी बढ़ेगी। आसपास के राज्यों से कनेक्टिविटी बेहतर होगी, इससे किसानों के लिए बड़े बाजार तक फसल पहुंचाना आसान होगा और उद्योगों के लिए भी सुविधा होगी। टूरिज्म सेक्टर को, तीर्थ यात्राओं को बल मिलेगा। जैसे रेनीगुंटा-नायडूपेटा हाइवे से तिरुपति बालाजी के दर्शन आसान होंगे, लोग बहुत कम समय में वेंकटेश्वर स्वामी के दर्शन कर पाएंगे।

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साथियों,

दुनिया में जो भी देश तेजी से विकसित हुए हैं, उन्होंने अपनी रेलवे पर बहुत अधिक बल दिया है। बीता दशक भारत में रेलवे के ट्रांसफॉर्मेशन का रहा है। भारत सरकार ने आंध्र प्रदेश में रेलवे के विकास के लिए रिकॉर्ड पैसे भेजे हैं। वर्ष 2009 से 2014 तक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लिए रेलवे का कुल बजट 900 करोड़ रुपए से भी कम था। जबकि आज सिर्फ आंध्रा का ही रेल बजट 9 हज़ार करोड़ रुपए से ज्यादा का है। यानि करीब 10 गुणा से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है।

साथियों,

रेलवे के बढ़े हुए बजट से, आंध्र प्रदेश में रेलवे का hundred percent electrification हो चुका है। यहां आठ जोड़ी आधुनिक वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैं। साथ ही, आधुनिक सुविधाओं वाली अमृत भारत ट्रेन भी आंध्र प्रदेश से होकर गुजरती है। बीते 10 साल में आंध्र प्रदेश में 750 से अधिक रेल फ्लाईओवर और अंडरपास बनाए गए हैं। इसके अलावा, आंध्र प्रदेश के 70 से ज्यादा रेलवे स्टेशनों को अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत विकसित किया जा रहा है।

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साथियों,

इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए जब इतने सारे काम होते हैं, तो उसका बहुत मल्टीप्लायर इफेक्ट होता है। इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में जो रॉ मटेरियल लगता है, उससे मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को बल मिलता है। सीमेंट का काम हो, स्टील का काम हो, ट्रांसपोर्टेशन का काम हो, ऐसे हर सेक्टर को इससे फायदा होता है। इंफ्रास्ट्रक्चर विकास का सीधा लाभ हमारे नौजवानों को होता है, उन्हें ज्यादा रोजगार मिलते हैं। आंध्र प्रदेश के भी हजारों युवाओं को इन इंफ्रा प्रोजेक्ट्स से रोजगार के नए मौके मिल रहे हैं।

साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि विकसित भारत का निर्माण गरीब, किसान, नौजवान और नारी शक्ति, इन चार पिलर्स पर होगा। NDA सरकार की नीति के केंद्र में चार पिलर्स सबसे अहम हैं। हम विशेषकर किसानों के हितों को बड़ी प्राथमिकता देते हुए काम कर रहे हैं। किसानों की जेब पर बोझ ना पड़े और इसलिए बीते दस सालों में केंद्र सरकार ने सस्ती खाद देने के लिए करीब 12 लाख करोड़ रुपए खर्च किए हैं। हज़ारों नए और आधुनिक बीज भी किसानों को दिए। पीएम फसल बीमा स्कीम के तहत, आंध्र प्रदेश के किसानों को अब तक साढ़े पांच हजार करोड़ रुपए का क्लेम मिल चुका है। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत भी आंध्रा के लाखों किसानों के खाते में साढ़े सत्रह हजार करोड़ रुपए से ज्यादा पहुंचे हैं।

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साथियों,

आज पूरे देश में सिंचाई के प्रोजेक्ट्स का जाल बिछाया जा रहा है। रिवर-लिंकिंग का भी, उसका अभियान भी शुरू किया गया है। हमारा लक्ष्य है कि हर खेत को पानी मिले, किसानों को पानी की दिक्कत ना हो। यहां नई सरकार बनने के बाद पोलवरम प्रोजेक्ट में भी नई गति आई है। आंध्र प्रदेश के लाखों, करोड़ों लोगों का इस प्रोजेक्ट से जीवन बदलने वाला है। पोलवरम प्रोजेक्ट तेज़ी से पूरा हो, इसके लिए केंद्र की NDA सरकार से राज्य सरकार को पूरी मदद दी जा रही है।

साथियों,

आंध्र की धरती ने दशकों से भारत को स्पेस पावर बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। श्रीहरिकोटा से जब-जब कोई मिशन लॉन्च होता है, तो वो कोटि-कोटि भारतीयों को गर्व से भर देता है। करोड़ों भारतीय नौजवानों को ये क्षेत्र स्पेस के प्रति आकर्षित करता रहा है। अब आज देश को, हमारे डिफेंस सेक्टर को मजबूत करने वाला नया संस्थान भी मिला है। कुछ देर पहले, हमने डीआरडीओ की नई मिसाइल टेस्टिंग रेंज की आधारशिला रखी है। नागयालंका में बनने जा रही नवदुर्गा टेस्टिंग रेंज, मां दुर्गा की तरह देश की डिफेंस पावर को शक्ति देगी। मैं इसके लिए भी देश के वैज्ञानिकों को, आंध्र प्रदेश के लोगों को बधाई देता हूं।

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साथियों,

आज भारत की ताकत सिर्फ हमारे हथियार ही नहीं हैं, बल्कि हमारी एकता भी है। एकता का यही भाव, हमारे एकता मॉल्स में मजबूत होता है। देश के अनेकों शहरों में, एकता मॉल्स बनाए जा रहे हैं। मुझे खुशी है कि अब विशाखापत्तनम में भी एकता मॉल बनेगा। इस एकता मॉल में, देशभर के कारीगरों, हस्तशिल्पियों के बने प्रोडक्‍ट्स एक ही छत के नीचे मिलेंगे। ये भारत की डायवर्सिटी से सबको जोड़ेगा। एकता मॉल से लोकल इकोनॉमी को भी गति मिलेगी और एक भारत, श्रेष्ठ भारत की भावना भी और अधिक मजबूत होगी।

साथियों,

अभी हमने चंद्रबाबू जी को सुना, उन्होंने 21 जून अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की चर्चा की। मैं चंद्रबाबू का, आंध्र की सरकार का और आंध्र के लोगों का आभारी हूं कि आपने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के लिए देश का प्रमुख कार्यक्रम आंध्र में करने के लिए निमंत्रण दिया, में इसके लिए आपका आभार व्यक्त करता हूं। और जैसा आपने कहा है, मैं स्‍वयं भी 21 जून को आंध्र के लोगों के साथ योग करूंगा और दुनिया का एक कार्यक्रम यहां पर होगा। इस कार्यक्रम का महत्व इसलिए भी है कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का दस साल की यात्रा का ये दसवीं साल का महत्वपूर्ण पड़ाव है। पूरे विश्‍व में योग के प्रति एक आकर्षण है, इस बार पूरी दुनिया 21 जून को आंध्र की तरफ देखेगी और मैं चाहूंगा कि आने वाले 50 दिन पूरे आंध्र में योग को लेकर के एक जबरदस्त वातावरण बने, स्पर्धाएं हों और वर्ल्‍ड रिकॉर्ड करने का काम आंध्र प्रदेश करके पूरी दुनिया को चकित कर दे और मैं मानता हूं, चंद्रबाबू के नेतृत्व में ये होकर रहेगा।

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साथियों,

आंध्र प्रदेश में ना तो सपने देखने वालों की कमी है और न ही सपनों को साकार करने वाले कम हैं। मैं ये विश्वास के साथ कह सकता हूं, आज आंध्र प्रदेश सही राह पर चल रहा है, आंध्र ने सही स्पीड पकड़ ली है। अब ग्रोथ की इस स्पीड को हमें लगातार तेज करते रहना है। और मैं कह सकता हूं, जैसा बाबू ने तीन साल में अमरावती के निर्माण का जो सपना देखा है, इसका मतलब ये तीन साल के सिर्फ अमरावती की गतिविधि आंध्र प्रदेश की जीडीपी को कहां से कहां पहुंचा देगी, ये मैं साफ देख रहा हूं। मैं आंध्र प्रदेश की जनता को, यहां जो मेरे सहयोगी बैठे हैं, सभी को फिर आश्वस्त करता हूं, आंध्र प्रदेश की प्रगति के लिए आप मुझे हमेशा अपने साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलते हुए देखेंगे। एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। मी अन्दरि आशीर्वादमुतो ई कूटमि आन्ध्रप्रदेश अभिवृद्धिकि कट्टूबडि उन्नदि॥

धन्यवाद!

भारत माता की जय! भारत माता की जय!

भारत माता की जय!

वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम!