We have taken a comprehensive & integrative approach. We know the problems & we want to change them with strength, not incremental change: PM
When it comes to roads, we need to also think about facilities for people & how our roads can help people in rural areas: PM
This infrastructure will give speed and strength to the development of India: PM Modi
Rural roads have been a focus area of our Government in #Budget2016: PM Modi
We've brought qualitative changes in railways & are still working on how more changes can be brought in the sector: PM Modi

उपस्थित सभी राज्‍यों से आये हुए प्रतिनिधि मंत्री परिषद के सदस्‍य, सांसदगण के प्रतिनिधि और सभी महानुभाव, 

आमतौर पर सरकार एकाध भी bridge बनाती हैं तो एकाध रोड बनाती है तो हमारे देश में एक बहुत बड़ी घटना मानी जाती है। मीडिया का भी ध्‍यान रहता है और उस क्षेत्र के लोग भी उस विषय में ज्‍यादा चर्चा करते हैं क्‍योंकि वर्षों तक जिस चीज की मांग रहती है और बड़ी मुश्किल से 15-15 साल के इंतजार के बाद कुछ होता है, तो ये हम इन चीजों से अनुभव करते हैं। हमने एक comprehensive, integrative approach लिया है। हमें पता है कि भई ये समस्‍याएं हैं, तो उन समस्‍याओं को एक पूरी ताकत के साथ देश को समस्‍या से कैसे बाहर निकाला जाए। Normally सरकारें incremental काम करने की आदत रखती है, पहले पांच करते थे, अब सात करते हैं, सात करते थे दस करते हैं, हमारी कोशिश है quantum jump की, break-through की, पुरानी स्‍पीड और निर्णय करने की प्रक्रियाओं से एकदम से बाहर निकलना। गति बढ़ा देना, quick decision लेना उसमें से ही सारी योजनाएं साकार होती हैं।

सेतु भारतम्, अभी नितिन जी बता रहे थे आपको भी आश्‍चर्य होगा इतनी बड़ी सरकार उसको address मालूम नहीं है कि कौन सा bridge कहां है, यानी कैसे काम किए होंगे और मैं इसमें कोई elected body का दोष नहीं देता हूं कि फलाने प्रधानमंत्री थे, या ढिकरे राज्‍यमंत्री थे। मैं ये नहीं कह रहा हूं। व्‍यवस्‍था का दोष है, हमने ये इन चीजों को प्राथमिकता नहीं दी। और इसलिए सबसे पहला काम किया कि भई एक बार देखो तो सही इस देश में क्‍या है कहां है, क्‍या स्थिति है। अब उसका gradation का काम चल रहा है कि उमर के हिसाब से bridge किस category में आते हैं, लंबाई-चौड़ाई के हिसाब से किस category में आते हैं, material के संदर्भ में, किस प्रकार की डिजाइन है, कितनी पुराने जमाने की डिजाइन हैं, नई ये सारा उसका gradation चल रहा है। और दूसरा उसका address पक्‍का हो रहा है longitude-latitude के माध्‍यम से, Space-Technology का उपयोग करके कहां यहां ये bridge है? हो सकता है कुछ जगह पर कागज पर bridge होगा वहां नहीं होगा वो भी हाथ में आएगा। लेकिन कोशिश ये है।

दूसरा छोटी-छोटी चीजें हैं लेकिन आप लोगों को हैरानी होगी कि हमारे यहां पहले highways बनते थे जमीन तो acquire करते थे। लेकिन जब highway बनता था, तो जमीन के बगल में encroachment हो जाता था और कभी four-lane करना है, six-lane करना है, तो आप चौड़ाई नहीं बढ़ा सकते है। क्‍योंकि ये encroachment था। Encroachment, अब आ नहीं सकते क्‍योंकि हर दूसरे साल चुनाव होते हैं तो कोई-कोई चुनाव सामने दिखता है तो कोई हिम्‍मत नहीं करता है। और फिर कोर्ट-कचहरी से भी तुरंत stay मिल जाते हैं तो ये कई कठिनाईयों से भी रोड बढ़ते ही नहीं है।

हमने छोटा-सा निर्णय किया हमने कहा जब रोड बनाएंगे, तो जो जमीन acquire करेंगे दो छोर पर ups and down का रोड बनाएंगे और बीच में जगह खाली रखेंगे जब expansion करना होगा, तो वो अंदर की तरफ करेंगे, तो encroachment का सवाल नहीं आएगा। अब चीजें छोटी होती हैं, लेकिन ये लंबे अरसे तक सहाय करने वाली है। उसी प्रकार से हमारे यहां जिस प्रकार से देश का विकास हो रहा है, तो बहुत-सी चीजें आवश्‍यक है। क्‍यों न अभी से हम, उसके साथ सामान्‍य मानविकी जो Facilities की जो आवश्‍यकता है, 20 किलोमीटर 30 किलोमीटर क्‍यों न व्‍यवस्‍था करें? Rest-Room वगैरह क्‍यों न साथ में उसके डिजाइन में क्‍यों न हो? उस पर बल दे रहे हैं।

उसी प्रकार से ग्रामीण व्‍यक्तियों को अपना माल शहर में बेचना है, तो क्‍यों न इस बड़े रोड रास्‍तों के नजदीक में ऐसी कोई जगह हो, जहां से वो माल ला करके वहां से बेचने के लिए लाए। यानी एक Comprehensive Development की दिशा में हमारा प्रयास चल रहा है। और उसी के तहत इस काम को करेंगे। एक साथ 1500 bridge, करीब 51 हजार करोड़ रूपये की लागत। कभी तो रेल और रोड उनके बीच में इतने कागज चलते थे, कभी-कभी लगता है कि सारे पत्र व्‍यवहार को इकट्ठा करे, तो एकाद यहां monument bridge बना सकते हैं। हमने कहा ऐसा नहीं भई बैठो, बैठ करके बताइए क्‍या समस्‍या है, अब क्‍या किया फॉर्मूला बना दिया कि रेलवे के ऊपर bridge बनाया तो ऐसा बनेगा, रोड और रेल को क्रोसिंग होता है, तो ऐसा bridge बनेगा, इसकी ये डिजाइन होगी। अब ये डिजाइन आती है, तो तुरंत उसको sanction कर दो। तेज गति से चीजे sanction हो रही हैं, आगे बढ़ रही हैं। उसी का परिणाम है कि आज 1500 bridge, जिसमें repairing का भी है, नए निर्माण का काम भी है और समय सीमा में करने की दिशा में काम करने का सोचा गया है। Land की जरूरत होगी तो उसके लिए राज्‍य सरकारों से बात करके आगे बढ़ना है। कोशिश ये है कि हम बदलाव लाएं और ये बात हम मान के चलें जैसे शरीर में नसों का role है, धमनियों का role है, veins का role है और उसकी जो गतिविधि और काम है उससे वो शरीर को शक्ति भी देते हैं, शरीर को गति भी देते हैं। जो ये नसें veins शरीर में role करती हैं वैसे ही ये Infrastructure इस राष्‍ट्र के शरीर में काम करता है। अगर Road Infrastructure आपका होगा, Rail Infrastructure होगा आप गति बढ़ाएंगे।

युग बदलते ही Infrastructure की परिभाषाएं बदलती हैं। पहले एक मुझे याद है, जब हम छोटे थे, तो ये अकाल जब होता था तो अकाल में मिट्टी का काम निकलता था। तो गांव के लोग चिट्ठियां लिखते थे, के भई हमारे गांव में मिट्टी का करवा दीजिए, ताकि हमको जाने-आने की सुविधा हो जाए। तो अकाल के काम में मिट्टी डलवाते थे, मिट्टी डल गई तो वो कहते वाह, वहां बहुत बड़ा काम किया। हमारे MLA, MP बड़े सक्रिय हैं, बड़ा संतोष हो जाता था। फिर थोड़ा समय आया बोलते साहब थोड़ा Tar-Road बना दीजिए, आज गांव का आदमी भी कहता है साहब Fiber-Road चाहिए। Fiber-Road चाहिए उसको, ये जो बदलाव आया है, हमने भी उसको ने meet करने की दिशा में काम करना पड़ेगा। और उस दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं। ग्रामीण सड़कों पर हमारा बल है।

आपने देखा होगा, इस बार प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में बहुत बड़ी मात्रा में बजट डाला गया। ये Infrastructure है जो मैंने कहा, शरीर में नसों का काम है उसी प्रकार से गति देने वाला काम है। एक जमाना था मैंने कहा, अगर मिट्टी डाल दी है तो संतोष होता था, आज highways भी चाहिए I-ways भी चाहिए। Iways-Information Ways, I-ways और highways, ये साथ-साथ करना हो इसलिए सरकार की कोशिश है। Digital Optical Fiber Network खड़ा करना है, उसी प्रकार से Agriculture Sector के Infrastructure का जो महत्‍व है, जितना हम Irrigation Infrastructure खड़ा करते हैं, उतनी पूरे Agriculture Sector को ता‍कत मिलती है। हम उस पर बल दे रहे हैं।

Railway, पहले क्‍या था? Railway यानी पार्लियामेंट में बेंच पर तालियां बज जाएं। तो ये इस MP को खुश करने के लिए उसके रास्‍ते से निकलने वाली, एक ट्रेन घोषित कर दो, तो उस रास्‍ते पर पड़ने वाले सारे दस-बारह MP खुश हो जाएंगे। ये ही करना, फिर करना-वरना कुछ नहीं, यार देखना पुरानी कई घोषणाएं पड़ी हैं, जिसको अब तक चालू नहीं किया गया। हमने कहा भाई ये तालियां बजाने से देश नहीं चलेगा, रेलवे में आमूल-चूल परिवर्तन लाना चाहिए। रेल, रेल की पटरियां डालो, gaze बदलो, आप, आप उसको डीजल से electrification की तरफ ले जाओ, Environment की दृष्टि से काम करो, गति की दृष्टि से काम करो, एक पूरा, पूरा focus बदल दिया है रेलवे का। अभी तक हमारे देश में अकेले railway में जो reform हो रहे हैं उस पर किसी का ध्‍यान नहीं गया है। वो जो Big Bank की बातें करते हैं, reform की बातें करते हैं, सिर्फ Railway देख लें कि कैसे बदलाव किया है तो उनको अंदाज आ जाए कि कहां से कहां Railway जा सकती है।

चाहे optical fiber network हो, चाहे Railway network हो, चाहे road network हो, चाहे bridges का निर्माण हो। हर एक पूरे देश में और qualitative change। सिर्फ किलोमीटर नहीं बढ़ाने हैं। हमें qualitative change लाना है और एक लंबे अरसे की आवश्‍यकताओं की पूर्ति को ध्‍यान में रख करके लाना है। मुझे विश्‍वास है कि राष्‍ट्र को सशक्‍त बनाने में, राष्‍ट्र को समृद्ध बनाने में, राष्‍ट्र को गति‍शील बनाने में Infrastructure अहम भूमिका अदा करता है। जैसे शरीर की मजबूती का कारण शरीर की नसों का role है, veins का role है, वैसे ही राष्‍ट्र की मजबूती का आधार इस Infrastructure पर है, road network पर है, Rail network पर है, optical fiber network पर है, water connectivity पर है, grid connectivity पर है, electricity generation पर है, electricity supply पर है। ये चीजों पर हम जितना बल देंगे, उतना ही आने वाले दिनों में परिवर्तन आने वाला है। और इसलिए ये सरकार उस दिशा में काम कर रही है।

मैं नितिन जी को बधाई देता हूं कि सेतु भारतम् के माध्‍यम से देश में bridges की तरफ देख रहे हैं। मैं तो चाहूंगा कि हमारी जितनी Universities हैं, खास करके Engineering and Architecture, वे देश में सबसे oldest bridge, उसकी Technology उस पर कोई Phd करे कोई student, दुनिया में क्या हो रहा है उस पर Phd. हम एक इसको एक science के रूप में develop करें। उसी प्रकार से हमारे Engineering और Architecture के students, उनको internship के लिए हम brides पर अवसर दें । बहुत बड़ी मात्रा में रोजगार की भी संभावना होगी, और हमारे यहां qualitative man-power तैयार होगा। तो एक प्रकार से human resource development भी हो, दूसरी प्रकार से Infrastructure भी develop हो, हमारे Institutions की capability बढ़े, उन सारी बातों को एक साथ लेकर के हमें आगे बढ़ना है। मैं फिर एक बार बहुत-बहुत बधाई देता हूं। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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Modi blends diplomacy with India’s cultural showcase

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Text Of Prime Minister Narendra Modi addresses BJP Karyakartas at Party Headquarters
November 23, 2024
Today, Maharashtra has witnessed the triumph of development, good governance, and genuine social justice: PM Modi to BJP Karyakartas
The people of Maharashtra have given the BJP many more seats than the Congress and its allies combined, says PM Modi at BJP HQ
Maharashtra has broken all records. It is the biggest win for any party or pre-poll alliance in the last 50 years, says PM Modi
‘Ek Hain Toh Safe Hain’ has become the 'maha-mantra' of the country, says PM Modi while addressing the BJP Karyakartas at party HQ
Maharashtra has become sixth state in the country that has given mandate to BJP for third consecutive time: PM Modi

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।