Mamata Didi did not respond to calls to discuss Cyclone Fani: PM Modi

Published By : Admin | May 6, 2019 | 14:29 IST
The entire country stands together with the people of West Bengal during these trying times of ‘Cyclone Fani’: PM Modi
I called Mamata Didi twice to enquire about the situation in West Bengal but both the times my call was refused by the egoistic administration of Didi: PM Modi in West Bengal
Didi’s arrogant behavior and corrupt governance are going to bring the end of TMC’s regime in West Bengal very soon: Prime Minister Modi

आप सभी का उत्साह हर चरण के चुनाव के बाद बढ़ता ही जा रहा है, बढ़ता ही जा रहा है। आपके इस प्यार और सत्कार को मैं अपना सौभाग्य मानता हूं और आप सब को प्रणाम करता हूं।

शहीद खुदीराम बोस, मातंगिनी हाजरा, सुशील चंद्र जैसे क्रांतिवीरों की माटी को भी मेरा कोटि-कोटि नमन। साथियो, दो-तीन दिन पहले ही आप सभी ने एक भयावह चक्रवात का सामना किया है। मैं भी उड़ीसा में इस चक्रवात से हुए नुकसान का जायजा लेकर यहां आया हूं। यहां पश्चिम बंगाल में भी जो हालात बने हैं, उससे मैं भी भली-भांति परिचित हूं। जिन साथियों ने इस आपदा में अपनों को खोया है, मैं उनके प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। हम सभी इस मुश्किल घड़ी में आप सभी के साथ हैं। पूरी भारत, केंद्र सरकार के तमाम विभाग पूरी मुस्तैदी से राहत और बचाव के काम में जुटे हुए हैं। लेकिन भाइयो-बहनो, हमारे पश्चिम बंगाल की स्पीड ब्रेकर दीदी, स्पीड ब्रेकर दीदी ने इस चक्रवात पर भी राजनीति करने की भरपूर कोशिश की है। चक्रवात के समय में मैंने ममता दीदी से फोन पर बात करने की कोशिश की थी लेकिन दीदी का अहंकार इतना ज्यादा है की उन्होंने मुझसे बात नहीं की। मैं इंतजार करता रहा की शायद दीदी वापस मुझे फोन करे लेकिन उन्होंने फोन नहीं किया। मैंने फिर भी उन्हें दोबारा फोन किया, मैं पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए चिंता में था इसलिए ममता दीदी से बात करना चाहता था। वो यहां की मुख्यमंत्री हैं लेकिन दीदी ने दूसरी बार भी मुझसे बात नहीं की। आप अंदाजा लगा सकते हैं की दीदी को अपनी राजनीति की कितनी ज्यादा चिंता है, उन्हें पश्चिम बंगाल के लोगों की परवाह नहीं है। देश के लोगों के हितों के ऊपर राजनीति करने की इसी आदत ने हमेशा देश का नुकसान किया है। स्पीड ब्रेकर दीदी के इसी रवैये की वजह से पश्चिम बंगाल के विकास पर ब्रेक लगा हुआ है। चक्रवात से हुए नुकसान की समीक्षा के लिए मैं आज सुबह भी यहां के प्रशासन के साथ बैठ कर के चीजें समझना चाहता था, भारत सरकार क्या मदद करे उसकी जानकारी लेना चाहता था लेकिन अहंकार से भरी ये स्पीड ब्रेकर दीदी ने उसको भी मना कर दिया।

 

साथियो, दीदी की इसी राजनीति के बीच मैं पश्चिम बंगाल के लोगों को फिर से भरोसा देता हूं की केंद्र सरकार पूरी शक्ति से पश्चिम बंगाल की जनता के साथ खड़ी है और राहत के काम में राज्य सरकार का हर तरह से सहयोग कर रही है। भारत ने जिस तैयारी के साथ इस चक्रवात का मुकाबला किया है, आज उसकी पूरे विश्व में चर्चा हो रही है। संगठित हो कर काम करने की, तकनीक और मानवीय संवेदना की यही शक्ति है जो भारत को महान बनाती है।

भाइयो और बहनो, देशवासियों की जान और संपत्ती की रक्षा के लिए आपदा प्रबंध से जुड़े हमारे तमाम साथी निस्वार्थ भाव से जुड़े रहते हैं। ये हमारा सौभाग्य रहा है, इन साथियों के लिए जो राष्ट्रीय पुरस्कार हमारी सरकार ने शुरू किया, वो नेता जी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर ही किया है। राष्ट्र की रक्षा में जुटे हमारे वीरों का सम्मान देश की ताकत बढ़ाता है, ये बढ़ती हुई ताकत आज पूरी दुनिया महसूस कर रही है। भाइयो और बहनो, तीन-चार दिन पहले भारत को आतंकवाद से लड़ाई में एक बहुत बड़ी जीत मिली है। पाकिस्तान के पाले-पोसे आतंकी मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकी घोषित किया है। भाइयो-बहनो, ये सुन कर के आपको गर्व हुआ? आपको खुशी हुई, आपका माथा ऊंचा हुआ? आपका सीना चौड़ा हुआ? देश की जब बढ़ती है तो आपको गर्व होता है?

आपको इतनी खुशी होती है, इतना गर्व होता है, पूरे हिंदुस्तान को हो रहा है। लेकिन आपने भारत की इतनी बड़ी सिद्धि को लेकर के एक बार भी दीदी को देश की तारीफ करते सुना क्या, सुना क्या? शायद डरती होंगी की मसूद अजहर, उस पर कुछ बोल दिया तो शायद उनकी वोट बैंक पर खतरा आ जाएगा, उनकी वोट बैंक नाराज हो जाएगी।

भाइयो-बहनो, वोट बैंक की इसी राजनीति ने दीदी की जमीन को खिसका दिया है। अब दीदी का राजनीतिक धरातल पर रुकना, टिकना मुश्किल हो गया है। दीदी इतनी बौखला गई है की अब उन्हें भगवान की बात करना भी खटक रहा है। हालत ये है की जय श्री राम कहने वालों को, ये देश को पता चलना चाहिए और अगर मीडिया अपने आप को न्यूट्रल कहने का दावा करता है तो देश को ये खबरें पहुंचाने के लिए आगे आना चाहिए। हालत तो ये है की जय श्री राम कहने वालों को दीदी गिरफ्तार करवा कर जेल भेज रही है।

साथियो, दीदी के इसी रवैये की वजह से पश्चिम बंगाल में लोगों को अपने हिसाब से पूजा-पाठ करने में पूरी आजादी के साथ अपने व्रत, अपने पर्व, अपने त्योहार मना पाने में डगर-डगर पर दिक्कत हो रही है। साथियो, आज यहां क्या स्थिति है इससे आप भली-भांति परिचित हैं। हल्दिया पोर्ट से लेकर कंथा तक कैसे माफिया राज यहां तक है, इसके आप सभी भुक्तभोगी हैं। टीएमसी के भ्रष्टाचार का मॉडल यहां स्पष्ट दिखता है। स्कूलों में टीचर तक की भर्ती के लिए युवा साथियों से लाखों रुपए वसूले जाते हैं। जहां पर पढ़ाई पर टैक्स लगाया जा रहा है, ट्रिपल-टी टैक्स। ये ट्रिपल-टी टैक्स, पश्चिम बंगाल का बच्चा-बच्चा, तृणमूल तोलाबीजी टैक्स से परिचित है। ये तृणमूल तोलाबीजी टैक्स, ये है ट्रिपल टी टैक्स। कॉलेज में एडमिशन हो, टीचर की भर्ती हो या ट्रांसफर हो, लोग बताते हैं की सब जगह तृणमूल तोलाबीजी टैक्स लगता है।

पश्चिम बंगाल के अनेक स्कूलों में टीचर नहीं है। ट्रिपल टी के चलते अनेक स्कूल में पढ़ाने के बजाए कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं। बच्चों का भविष्य, पश्चिम बंगाल की आने वाली पीढ़ियों का भविष्य बर्बाद करने वाली सरकार को जब तक आप सजा नहीं देंगे, वो सुधरने वाली नहीं है। साथियो, जगाई-मथाई सिंडीकेट, ट्रिपल टी, इस कल्चर को चुनौती देने वाला आज तक कोई नहीं था। इसलिए पश्चिम बंगाल की परंपरा और महान संस्कृति से खिलवाड़ करने की उनको खुली छूट मिल गई लेकिन अब ये लंबा चलने वाला नहीं है। बीजेपी, सामान्य जन की, गरीब की, किसान की, कामगार की, बेटियों की और युवाओं की आवाज बन कर आपके साथ खड़ी है।

साथियो, आज की स्थिति में देखें तो भारत में चार अलग-अलग तरह की राजनीतिक परंपराएं चल रही हैं। ये चार परंपराएं ही तय करती हैं की देश किस दिशा की ओर जाएगा। पहली है नामपंथी, दूसरी है वामपंथी, तीसरी दाम और दमनपंथी और चौथी विकासपंथी। नामपंथी यानी जिसके लिए उसका वंशवादी नेता ही उसका हाई कमान हो और पार्टी में बाकी लोग उस हाई कमान के दरबारी, वामपंथी यानी एक ऐसी विदेशी विचारधारा जिसे पूरी दुनिया ठुकरा चुकी है, जिसके नेताओं ने हमेशा गरीबों के सपनों का फायदा उठाया और तीसरी है दाम-दमनपंथी यानी जो धन बल, गन बल, बाहुबल के दम पर सत्ता पर काबिज है। पश्चिम बंगाल में पहले नामपंथी आए, फिर वामपंथी आए, फिर दाम-दमनपंथी आए। भाइयो-बहनो, हम लेकर आए हैं विकासपंथी यानी भाजपा जैसे दल जिनके लिए सत्ता सेवा का माध्यम है और देश का चौतरफा विकास सर्वोच्च प्राथमिकता। साथियो, पश्चिम बंगाल में आपने नामपंथियों को देखा, वामपंथियों को देखा, दाम-दमन पंथियों को आज देख रहे हैं, भुगत रहे हैं। एक अवसर विकासपंथियों को दे कर देखिए, इस लोकसभा चुनाव में आपका एक वोट विकासपंथियों को मजबूत करेगा। भाइयो-बहनो, भारतीय जनता पार्टी का हर कार्यकर्ता, स्वामी विवेकानंद के एक-एक शब्द, एक-एक वाक्य को जीवन का मंत्र मानकर चलता है। बीजेपी के मूल में वही जनसंध है, जिसका प्रणेता, डाक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी, हमारा गौरव पुरुष, इसी मिट्टी की संतान थे।

भाइयो-बहनो, हमारी सरकार के पांच वर्षों से पश्चिम बंगाल के गरीब से गरीब को विकास का विश्वास मिला है। जिसको अपना पक्का घर मिला है, जिस बहन को गैस का कनेक्शन मिला है, जिसके घर में शौचालय बना है वो कह रहा है, फिर एक बार… मोदी सरकार, फिर एक बार… मोदी सरकार, फिर एक बार… मोदी सरकार।

पश्चिम बंगाल के हर गरीब साथी को ये भरोसा मिला है की ये चौकीदार घुसपैठियों की पहचान करेगा, घुसपैठ पर लगाम लगाएगा। गरीब को ये भरोसा जगा है, पूजा-पाठ करने वाले लाखों साथियों को जिन्हें अपने ही देश में पराया बनाने की कोशिश की जा रही है उनको भारत की नागरिकता मिलेगी। भाइयो-बहनो, टीएमसी सरकार आज किसानों के खाते में पैसा पहुंचाने की योजना, आयुष्मान भारत के तहत 5 लाख रुपए पहुंचाने की योजना को रोक कर के बैठ गई है। उनकी राजनीति चलनी चाहिए, गरीब का भला नहीं होना चाहिए, ऐसी विकृत मानसिकता हिंदुस्तान में कभी किसी ने देखी नहीं है।

साथियो, कमल के निशान को आपका एक वोट स्पीड ब्रेकर दीदी पर दबाव बनाएगा। आपका एक वोट नामपंथियो, वामपंथियों, दाम-दमनपंथियों की महामिलावट के होश ठिकाने लगाएगा। आपका एक वोट हल्दिया को फिर से अपना पुराना गौरव दिलाएगा। आप भी साक्षी हैं की आजादी के इतिहास में पहली बार हल्दिया को गंगा जी के रास्ते वाराणसी से जोड़ा गया और वाराणसी से जुड़ने का मतलब होता है, मैं वहां का एमपी हूं। आप हल्दिया में बीजेपी का एमपी चुन लीजिए, मैं सीधा-सीधा वाराणसी-हल्दिया जुड़ने से आपके साथ जुड़ जाता हूं। इनलैंड वॉटर-वे का ये रास्ता और सुगम रास्ता यहां के विकास को नई गति देने वाला है। हल्दिया और वाराणसी की विकास यात्रा अब आपस में जुड़ गई है। स्पीडब्रेकर दीदी पश्चिम बंगाल के युवाओं की आकांक्षाओं को ज्यादा दिन तक कुचल नहीं पाएगी। इसलिए आज पूरा पश्चिम बंगाल कह रहा है, पूरे पश्चिम बंगाल से आवाज उठी है, हर कोई कह रहा है- चुपचाप कमलछाप, चुपचाप कमलछाप और आगे है, बूथ-बूथ से टीएमसी साफ, बूथ-बूथ से टीएमसी साफ, बूथ-बूथ से टीएमसी साफ।

बिना किसी डर से आप कमल छाप पर बटन दबाइए। आपका वोट सीधा-सीधा मोदी के खाते में जाएगा। कमल खिलाने के आपके संकल्प के लिए और इतनी बड़ी तादाद में यहां आ कर हम सब को आशीर्वाद देने के लिए। और मैं देख रहा था हेलीपैड, चारों तरफ ऐसा जन सैलाब था भाइयो-बहनो, बंगाल एक नई क्रांति की ओर चल पड़ा है।

आप इतनी तादाद में हिम्मत के साथ हमारे साथ खड़े हैं, मैं हृदय से आपका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं। मेरे साथ बोलिए…

भारत माता की… जय, भारत माता की… जय, भारत माता की… जय, बहुत-बहुत धन्यवाद।



 

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!