Let us make sure that benefits of government's initiatives reach every citizen: PM Modi
PM Modi says the way party workers are helping to implement many development projects in Varanasi, it is a matter of pride and satisfaction for me
Swachhata is not merely a project. It is not about tokenism. It is about behavioural change. This movement must go on: PM Modi on #SwachhBharat
We must think of ways how #Gandhi150 can inspire people across the nation: PM Modi

हर-हर महादेव, आप सभी लोगों को मेरा प्रणाम। साथियो, देश में इस समय त्योहार का वातावरण है, उत्साह-उमंग का माहौल है। मैं जानता हूं कि आप सब धनतेरस, दीपावली, भाईदूज, छठपूजा जैसे उत्सवों की तैयारी में जुटे होंगे। घर, मोहल्ले की साफ-सफाई से लेकर सार्वजनिक कार्यक्रमों, मेल-मुलाकातों में भी व्यस्त होंगे। इस अवसर पर आप सब से मिलना मेरे लिए भी बहुत खास हो जाता है, आप कार्यकर्ताओं से मिलने के बाद मेरा उत्साह कई गुना बढ़ जाता है। साथियो, त्योहार के समय हजारों-लाखों लोग, विशेषतौर पर छुट्टियां लेकर अपनों से मिलने, बड़ों से आशीर्वाद लेने, अपने रिश्तेदारों के यहां जाना अपने घरों, गांव चले जाना ये सब चलता रहता है। अब मेरा काम ऐसा है कि मैं छुट्टी तो ले नहीं सकता लेकिन अपनों से मिलने के लिए, आप सभी से आशीर्वाद लेने के लिए मैं मौका ढूंढता रहता हूं और इसलिए ये अवसर आज मुझे इस दीपावली के निमित्त, टेक्नोलॉजी के माध्यम से आप सब से रूबरू होने का अवसर मिला है। आज के इस अवसर पर जब हम घर में अपनों के बीच दीवाली मना रहे हैं तब उन लाखों वीर बेटे-बेटियों और उनके परिवारों को भी शुभकामना देना हमारा स्वाभाविक कर्तव्य बनता है। अपनी खुशियां मनाते समय हमें उन सबका स्मरण करना चाहिए जो हमारे लिए जीते हैं, हमारे लिए जूझते रहते हैं। कोई सरहद पर होते हैं तो कोई देश के भीतर काम करते रहते हैं, हमारे लिए दिन-रात वो खुद को खपाते हैं, कठोर परिश्रम करते है कभी जान की बाजी लगा देते हैं, चाहे हमारे सेना के जवान हों, हमारे अर्धसैनिक बल हों, हमारे पुलिस के साथी हों और आजकल तो NDRF की भी बहुत चर्चा है कि जो कोई भी प्राकृतिक आपदा के समय पहुंच जाते हैं। ऐसे अनेक लोग हैं, छोटे-छोटे श्रमजीवी लोग होते हैं, हमारी अपनी छोटी-मोटी चीजों को संभालने वाले कई परिवार होते हैं। जिनके लिए हम सब की खुशियां ही उनकी खुशियां होती हैं और इन सभी का योगदान हमारी खुशियों को चार गुना कर देता है, उन्हीं के कारण हम त्योहार मना पाते हैं। मैं ऐसे सभी को आज दीपावली के पावन पर्व की शुरुआत में ही प्रणाम करता हूं। उनके परिश्रम को, त्याग को, उनकी निष्ठा को, उनके सेवा भाव को आदर पूर्वक नमन करता हूं।

साथियो, इस साल देश के कई हिस्सों में हुई जबरदस्त बारिश और उसके कारण, कुछ को इलाके ऐसे हैं दीवाली आ गई, अभी भी बारिश चल रही है। अप्राकृतिक बदलाव और आक्रोश का अनुभव करें इस बार तो काशी ने भी इस परिस्थिति का अनुभव किया। काशी को लेकर जब खबरें आईं बाढ़ वगैरह को लेकर तो चिंता होना बहुत स्वाभाविक था लेकिन मुझे इस बात का संतोष था कि आप सब ने उन परिस्थितियों में भी सब चीजों को संभाला, सभी सरकारी मुलाजिमों ने डटकर काम किया, नागरिकों ने बहुत धैर्य के साथ चीजों को संभाला, कार्यकर्ताओं ने अपने जिम्मे जो भी काम था उसको पूरा किया। आप सब के इन प्रयासों के लिए, काशीवासियों की चिंता करने के लिए आपके प्रतिनिधि के नाते मैं विशेष रूप से आपका आभार व्यक्त करता हूं। 

साथियो, जनसंघ के समय से संगठन के लिए कार्य कर रहे हमारे सबसे वरिष्ठ लोगों में से वाराणसी, सेवापुरी विधानसभा के, जठनी गांव के वरिष्ठ कार्यकर्ता श्रीमान कामेश्वर नारायण सिंह जी, हम सब जिनको कुंवर बाबू के रूप में ही जानते थे, पिछले 10 अक्टूबर को हम सबको छोड़कर चले गए। कुंवर बाबू ने अपने क्षेत्र एवं समाज के उत्थान के लिए संपूर्ण जीवन न्योछावर कर दिया था, मैं उनको आदरपूर्वक श्रद्धांजली अर्पित करता हूं और उनके पूरे परिवार के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। साथियो, देश में काशी में चल रहे परिवर्तन के इस दौर में बहुत कुछ हो रहा है, अनेक बातों से आप परिचित हैं, अनेक परिवर्तनों के आप साक्षी भी हैं। आप भाजपा कार्यकर्ता विकास की अनेक परियोजनाओं को जिस तरह वाराणसी में, काशी में जमीन पर उतारने में मदद कर रहे हैं, ये भी मेरे लिए संतोष का और गर्व का विषय है। मुझे बताया गया है कि वाराणसी में जिस तरह गंगा घाटों पर लाइटिंग और सफाई का कार्य हुआ है। उसने वहां आने वाले हमारे घरेलू यात्री हों, पर्यटक हों या विदेशी टूरिस्ट हों इन सबका मन मोह लिया है, दिनों-दिन संख्या भी बढ़ रही है और काशी में हो रहे परिवर्तन का लाभ केवल वाराणसी ही नहीं बल्कि आस-पास के क्षेत्र के लोगों को ही मिल रहा है। मुझे खुशी हुई ये जानकर कि जब मुझे बताया गया कि महामना मदन मोहन मालवीय जी कैंसर सेंटर और होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल का लाभ सिर्फ पूर्वी उत्तर प्रदेश नहीं, उत्तर प्रदेश के अन्य भाग, उधर बिहार सब तरफ से लोग वहां आ रहे हैं, मरीजों को मदद मिल रही है। दूर-दूर से मरीज आकर बनारस में अपना इलाज करवा रहे हैं। काशी में चल रहे इन विकास कार्यों की मदद से वहां के लोगों में एक नया अनुभव देखने को मिल रहा है। मैं चाहूंगा कि आज आप लोगों के बीच आया हूं तो आपसे भी बातचीत करने का मौका लूं, आपके मन की भी बातें सुनूं। तो चलिए हम संवाद शुरू करते हैं और सबसे पहले चलते हैं वाराणसी कैंट विधानसभा के कार्यकर्ताओं के पास। 

कार्यकर्ता- आदरणीय प्रधानमंत्री जी को सादर प्रणाम, मैं अखिलेश पाठक कैंट विधानसभा के रविदास मंडल का उपाध्यक्ष, इस काशी के अपने भाजपा परिवार की तरफ से और काशी की जनता का तरफ से आपको दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं और आपके स्वास्थ्य और आपके दीर्घायु होने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता हूं। प्रधानमंत्री जी पिछले पांच साल में हमने देखा है बनारस में विकास के अनगिनत कार्य हुए हैं। बिजली से लेकर पानी तक, सड़क से लेकर स्वच्छता तक तमाम कार्य हुए हैं जिसे यहां की जनता महसूस भी कर रही है। प्रधानमंत्री जी यहां पर काशी विश्वनाथ धाम बन रहा है आपके द्वारा जिसको लेकर के यहां की जनता बहुत खुश है। हम ये जानना चाहते हैं कि इसको लेकर के आपका विजन क्या है और ये प्रोजेक्ट आपके लिए महत्वपूर्ण क्यों है। 

पीएम मोदी – वहां मौजूद हमारे विधायक भाई सौरभ श्रीवास्तव जी। 

कार्यकर्ता- आदरणीय प्रधानसेवक जी को सादर चरणस्पर्श, वाराणसी कैंट विधानसभा के सभी कार्यकर्ताओं की तरफ से प्रकाश पर्व दीपावली की आपको हार्दिक शुभकामनाएं। हम कार्यकर्ता बड़े ही आश्चर्य में हमेशा रहते हैं कि हम एक सांसद को वोट नहीं करते एक प्रधानमंत्री को वोट करते हैं, प्रधानमंत्री को सीधे जिताते हैं और आप एक इतने बड़े राष्ट्र के प्रधानमंत्री हैं पूरे राष्ट्र को देखते हैं और इस समय तो आप पूरे विश्व को दिशा देने का काम कर रहे हैं। हमें आश्चर्य इस बात का होता है कि इतना सब कुछ करते हुए आप अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए इतना अधिक समय कैसे निकाल लेते हैं कि यहां की एक-एक बात की आपको खबर रहती है और हमसे पहले आप चिंता कर लेते हैं। आज प्रकाश पर्व दीपावली पर सिर्फ दो महान कार्यकर्ताओं की तरफ से मैं आपके सम्मुख रखना चाहता हूं, एक देव दीपावली पर आपका दर्शन हो जाता, आप देव दीपावली पर काशी आ जाते और दूसरा आप अपने राजनैतिक जीवन के लिए रिटायरमेंट के लिए कोई सीमा मत रखिए, आप जब तक स्वस्थ हैं तब तक काम करते रहिए। हम सभी कार्यकर्ता जीवन भर आपकी छाया के नीचे काम करना चाहते हैं। 

पीएम मोदी- धन्यवाद भैय्या बैठिए, सभी प्रमुख लोग मुझे नजर आ रहे हैं आप सब को भी नमस्कार है मेरा। देखिए ये हमारे अखिलेश जी ने बताया कि ये काशी विश्वनाथ धाम मैं बनवा रहा हूं, ये सच नहीं है ये मैं नहीं बना रहा हूं, ये काम हममें से कोई नहीं कर सकता ये काम तो खुद काशी विश्वनाथ बाबा कर रहे हैं बाबा की कृपा से हो रहा है, हम कौन होते हैं करने वाले, ये सब भोले बाबा के आशीर्वाद से ही संभव हो रहा है और आपने मुझे देव-दीवाली पर नियंत्रण दिया, मैं आपका आभारी हूं। मेरी तो कोशिश रहती है जितनी ज्यादा बार आपके बीच आ सकूं आता रहूं, आप लोगों से नई-नई ऊर्जा लेता रहूं, आपका प्रेम लेता रहूं। मैं देखता हूं आने वाले दिनों में आना तो होगा ही होगा।

साथियो, आप सब तो बनारस की गलियों के गवाह हैं, इन गलियों की अपनी खूबसूरती है उनका अपना महत्व है। काशी की गलियां, ये काशी की आन-बान-शान है लेकिन आप ने ये भी देखा है कि किस प्रकार बाबा भोलेनाथ के दर्शन के लिए इन गलियों से गुजरने में कई बार मुश्किल हो जाती थी और मां गंगा के जो दर्शन होने चाहिएं, उसमें भी रुकावटें होती थी क्योंकि कुछ ऐसी चीजें बन गईं। अभी हाल में मैंने जो वीडियो देखे, लोग जो यात्री वहां जाते हैं, जो वीडियो बना-बना कर आज सोशल मीडिया पर डालते हैं और जो श्रद्धालू बाबा के दर्शन के लिए जाते हैं वो इसको दुनिया भर में प्रचारित करते हैं और काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर से और वहां जो बदलाव आ रहा है उसके प्रति वहां जो यात्री आते हैं, देश के कोने-कोने से आते हैं वे जब खुशी व्यक्त करते हैं तो मुझे बहुत संतोष मिलता है, समाधान मिलता है। काशी के लोग खुश हैं, देश के लोग भी खुश हैं। अब बाबा विश्वनाथ के आशीर्वाद से काशीवासियों ने जो संकल्प किया है उससे ना केवल बाबा भोलेनाथ के भक्तों को आसानी होगी लेकिन उनकी दिव्यता और भव्यता की अनुभूति भी होगी। साथियो, इतना बड़ा सिर्फ सरकार और शासन की वजह से संभव नहीं हो रहा है बल्कि इसमें करीब 300 परिवारों ने अपनी पुश्तैनी प्रॉपर्टी को सौंपकर महत्वपूर्ण योगदान दिया है यानी आज जो 40 हजार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में जो निर्माण हो रहा है वो सभी काशीवासियों के सहयोग के बिना कैसे संभव हो सकता था और इसलिए वे सब अभिनंदन के अधिकारी हैं। इस प्रक्रिया में जो दर्जनों प्राचीन मंदिर जो कहीं दबे पड़े थे, छुपे पड़े थे, आगे दीवारें बन गई थीं, मकान बन गए थे ये सब बाहर निकल कर के आए और इसके कारण एक नई काशी की पहचान हुई है, नई समृद्ध काशी की पहचान हुई और अधिकतर लोगों को पता चला है कि काशी बाबा अकेले नहीं, पूरा बाबा का दरबार वहां मौजूद है, इतना बड़ा भव्य रूप देखने को मिलता है।

आप सब जानते हैं कि बनारस की पहचान, काशी विश्वनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार का बीड़ा करीब ढाई सौ साल पहले अहिल्या देवी जी ने उठाया था। अहिल्या देवी जी के बाद इतना बड़ा काम बड़े पैमाने पर हो रहा है, ये हम सब का सौभाग्य है कि हमें उस पवित्र कार्य में जुड़ने का अवसर मिला है। साथियो, मंदिर सिर्फ भगवान की पूजा के स्थल नहीं होते बल्कि वो हमारे आस्था के केंद्र होते हैं, हमारे भक्तिभाव के सेंटर होते हैं और वो हमारी सामाजिक चेतना के भी केंद्र होते हैं। चाहे काशी विश्वनाथ का मंदिर हो या कोई भी अन्य मंदिर, यहां आकर सभी के मन में एक पॉजिटीविटी का संचार होता है और यही वजह है कि हमारी सनातन मंदिरों का एक बहुत बड़ा महत्व भी है। आप सब तो काशीवासी हैं और आप से अधिक इस बारे में कौन जान सकता है कि काशी में रहने वाले और आने वाले श्रद्धालू के मन में सबसे बड़ी लालसा बाबा के दर्शन होना बड़ा स्वाभाविक होता है। अब काशी आने वाले लाखों श्रद्धालू भोलेनाथ के बीच मार्ग को और सुगम बनाया जा रहा है, इससे अधिक खुशी की बात और क्या हो सकती है। मैं फिर से एक बार इस प्रकार के अनेक कामों को चाहे हमारी सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित करना हो उनका पुनरुत्थान करना हो, आधुनिक निर्माण कार्य करना हो। विश्व के लोगों को आ कर के काशी के इतिहास के विषय में पता चले, उसके के बारे में पता चले। वहां हेल्थ की दृष्टि से एक बहुत बड़ा केंद्र विकसित हो, शिक्षा का केंद्र तो महामना जी के समय से बहुत बड़ा चला है अब आरोग्य की भी व्यवस्थाएं हों। रोजगार के लिए हमारे गांव समृद्ध हों इन सारी दिशा में हम प्रयास करना चाहते हैं। हम देखे हैं मान महल, मुझे बताया गया कि मान महल में भी दिन पर दिन विजिटर्स की संख्या बढ़ रही है। जो वर्चुअल म्यूजियम बना है, मैं जब देखने गया था मैं सच में बहुत प्रसन्न था। मैं चाहूंगा कि हम सब मिलकर के नए-नए विचारों को लेकर के आगे बढ़ें और बहुत सपने जो हर काशीवासी का है उसको पूरा करने के लिए हम सब प्रयास करें। आइए हम उत्तरी विधानसभा के कार्यकर्ताओं की तरफ चलते हैं।         

कार्यकर्ता- परम श्रद्धेय प्रधानमंत्री माननीय मोदी जी का शहर उत्तरी की तरफ से मैं अभिनंदन करता हूं, स्वागत करता हूं। भाई साहब जब ये बात आपने बताया, एक एयरपोर्ट की रिपोर्ट आई है कि पिछले साल विश्वनाथ मंदिर के टूरिस्ट आते थे 1 लाख, इस बार आए हैं 16 लाख सिर्फ दर्शन करने के लिए इससे लोगों का रोजगार बढ़ गया है और एक हमारे बहुत बुजुर्ग पंडित ने कहा कि हमारी बात कह दीजिएगा, जब आप नामांकन में आए थे तब एक बात कहे थे कि हमें मां गंगा ने बुलाया है, ना मैं आया हूं ना किसी ने भेजा है। आज वो सच हुआ कि मां गंगा ने कहा था कि माननीय मोदी जी मेरा बेटा है, मैं शिव के जटा से निकली थी मेरा सामना करा दें और आपने 296 मकान हटाकर मां गंगा से शिव का सामना करा दिया, उन्होंने कहा ऐसा कि मेरा अभिनंदन कर दीजिएगा। 

पीएम मोदी-  आपका धन्यवाद और अब तो आप मंत्री बन गए हैं, मेरी तरफ से आपको बधाई, चलिए पुरानी सारी टोली दिख रही है मुझे। हां बताइए, कौन क्या पूछ रहा है।        

कार्यकर्ता- प्रधानमंत्री जी को सादर प्रणाम, मेरा नाम सुरेखा सिंह है और मैं काशी क्षेत्र में बेटी बटाओ-बेटी पढ़ाओ प्रकोष्ठ की सहसंयोजक हूं। सबसे पहले तो आपका हृदय से आभार कि आपकी बहुत सारी योजनाएं सरकार की चल रही हैं उनमें से कुछ योजनाओं का लाभ मैंने लिया है जिसके लिए मैं एलिजिबेल थी। जैसे हम लोगों ने, मेरी दो बेटियां हैं तो मैंने सुकन्या समृद्धि योजना करा रखी है और हम पति-पत्नी ने सुरक्षा बीमा भी करा रखा है और सबसे ज्यादा खुशी मुझे ये हो रही है आपको बताते हुए कि मुझे मुद्रा योजना का भी लाभ मिला है, जिसके कारण मैंने अपना कंप्यूटर ट्यूशन रन करना शुरू कर दिया है और आपके आशीर्वाद से अभी वो बहुत अच्छा चल रहा है। मेरा सवाल ये है कि 2019 के चुनाव के बाद हमने देखा है कि हमारी पार्टी जो है वो बहुत ऊंचाई को छू रही है और हम तो बहुत छोटे कार्यकर्ता हैं लेकिन जब हम जगह-जगह जाते हैं लोगों से मिलते हैं जो हमारे वरिष्ठ जनसंघ के समय के कार्यकर्ता हैं तो वो लोग भी बहुत भावविभोर हो जाते हैं इस बात को सुनकर देख कर जानकर कि हमारी पार्टी बहुत आगे बढ़ रही है तो हमें भी हमेशा ये प्रेरणा मिलती है कि किसी तरीके से दो-तीन पीढ़ियों ने पार्टी की सेवा की है, जनसेवा की है और पार्टी के माध्यम से ही जनसेवा की है तो हमें आप कुछ ऐसे टिप्स दें, कुछ सुझाव दें, कुछ ऐसी बातें बताएं जिससे हम पार्टी को और नया आयाम दे सकें और उसे शिखर तक पहुंचाएं।     

पीएम मोदी- सुरेखा जी पहले तो आपको बधाई कि आपने भारत सरकार की योजनाओं का अध्ययन किया और जिसके लिए आप हकदार हैं इसके लिए आपने प्रयास किया और आपको उसका लाभ भी मिला लेकिन मेरा सबसे पहला आग्रह ये होगा कि जिस प्रकार से आपको लाभ मिला है वो आपके हक का मिला है, आप भाजपा के कार्यकर्ता हैं इसलिए मिला है ऐसा नहीं है लेकिन आप जागरूक हैं इसलिए मिला है। सभी जागरूक कार्यकर्ताओं का काम है हमारे अगल-बगल में जितने परिवार रहते हैं, हम जिस क्षेत्र में काम करते हैं उसमें हमारे जैसे बहुत से हकदार लोग रहते हैं लेकिन उनको पता नहीं है, उनको कोई जा कर समझाता नहीं है कि भाई 90 पैसे में इंश्योरेंस होसकता है, 1 रुपए में इंश्योरेंस हो सकता है। थोड़ा सा उनको संपर्क करके हम बताएंगे और सरकार की ये जो सोशल बेनेफिट की स्कीम्स हैं, मैं समझता हूं उनके इतने आशीर्वाद मिलेंगे, हमें अपने काम का इतना संतोष मिलेगा। अब जैसे आय़ुष्मान भारत है, अब गरीब परिवार को पता ही नहीं होता है कि गोल्ड कार्ड कहां मिलता है, मुझे जाना कहां है। हम तय करें कि रोज मैं ऐसे पांच परिवरों को जरूर मिलूंगा कि भाई बताइए गोल्ड कार्ड आपको मिला कि नहीं मिला। आप बीमार थे तो अस्पताल कभी गोल्ड कार्ड लेकर गए थे कि नहीं गए थे, चलिए मैं आपको ले जाता हूं। आप कल्पना कर सकते हैं कि उसके जीवन को कितना संतोष होगा और इसलिए हम राज्य सरकार की और केंद्र सरकार की योजनाओं का नीचे तक लोगों को लाभ पहुंचाएं, ये सबसे पहली बात, दूसरा आपने बहुत अच्छी बात कही। ये हमारी पार्टी अचानक नहीं बनी, एक हवा का झोंका आया और हम कहां से कहां पहुंच गए ऐसा नहीं है, चार-चार पीढ़ी तक कार्यकर्ताओं ने अथक परिश्रम किया है, परिवार के परिवार खपा दिए हैं और तब जा कर हमने लोगों का विश्वास पाया है और उसका परिणाम है कि हमारी पार्टी जिसकी उम्र कोई ज्यादा नहीं है।

लोकतंत्र के हिसाब से देखें तो हमारी पार्टी की उम्र बहुत छोटी है उसक बावजूद भी हमारे देश के हर कोने में भारतीय जनता पार्टी के प्रति लोगों का सम्मान बढ़ा है प्यार बढ़ा है। एक काम हम अवश्य कर सकते हैं आपके यहां पुराने कार्यकर्ताओं की अपने क्षेत्र में एक सूची बनाइए। किसी ने 30 साल पहले काम किया होगा, किसी ने 40 साल पहले काम किया होगा, किसी ने 50 साल पहले काम किया होगा। उनकी सूचि बना के तय करें कि साल में एक बार तो इन सबका मिलन समारोह करेंगे। दूसरा, उनके घर में कोई अच्छा अवसर है, कोई कठिनाई का समय आया है, हम सभी कार्यकर्ताओं को मिलकर समूह में उनके घर जाना चाहिए। तीसरा, कभी ऐसे सीनियर कार्यकर्ताओं को बैठाकर के पहले वो काम कैसे करते थे जब वो जानते नहीं थे ना जनसंध को जानते थे, ना शब्द जानते थे, ना दिया जानते थे, ना कमल जानते थे, ना अटल जी का नाम जानते थे फिर भी आप लोग कैसे काम करते थे, कैसी कठिनाइयां आती थीं, लोग कैसे सवाल करते थे। आप लोगों के दिल कैसे जीतते थे, आप कभी निराश नहीं होते थे क्या, क्योंकि जमानत बचना भी मुश्किल होता था उस जमाने में तो कैसे काम किया, उनसे कैसे बातें करेंगे तो आपको कार्य की प्रेरणा के लिए कभी भी किसी की तरफ देखना नहीं पड़ेगा, आपके अगल-बगल में से ही प्रेरणा मिलेगी ये अपने आप में बहुत उपयोगी होता है। तीसरा उनसे पार्टी का इतिहास पूछना चाहिए कि भाई आप के समय में बनारस में कैसे काम शुरू हुआ, फिर संख्या कैसे बढ़ी, पहला चुनाव कैसे लड़े थे, उम्मीदवार कौन थे, कैसे मिला था, पहली बार जीतकर के आए तो कैसा, आप जो पूरी कथा सुनेंगे तो जीवन में कभी निराश नहीं आएगी क्योंकि इन लोगों ने पचास-पचास साल तक, विजय का नामोनिशान नहीं था तो भी हार नहीं मानी थी, भीतर से कभी पराजय को स्वीकार नहीं किया था वे लगे रहे थे तो मैं आपसे चाहूंगा कि आपने बहुत अच्छा सवाल पूछा और आप जरूर इस दिशा में कार्यकर्ताओं को प्रेरित करें, बहुत लाभ होगा, धन्यवाद सुरेखा जी। 

आइए हम रोहनिया विधानसभा की ओर चलते हैं, वहां हमारे कार्यकर्ता इंतजार करते हैं। 

कार्यकर्ता-  दुनिया के सबसे लोकप्रिय और मजबूत नेता को मैं सादर प्रणाम करता हूं। मैं आपको शुभकामना देता हूं, दीपावली की हार्दिक शुभकामना। आज दोबार मैं आपको शुभकामना दे रहा हूं कि आपने महाराष्ट्र और हरियाणा में जो विजय का पताका फहराया है। पहली बार जब आप प्रधानमंत्री बने थे तो हरियाणा में आपने पहली बार जीत दिलाई थी और दोबारा हरियाणा में सबसे बड़ी पार्टी को जो विजय दिलाई है उसके लिए मान्यवर आपको बहुत-बहुत बधाई, बहुत-बहुत शुभाकामना। आज दीवाली के अवसर पर जो आपने दीवाली और इस जीत को दिया है इसके लिए आप निश्चित तौर पर शुभकामना के पात्र हैं। आदरणीय प्रधानमंत्री जी आपके अंदर जो ऊर्जा और ताकत है उससे हमारे सभी कार्यकर्ता भी ऊर्जावान बनते हैं आज हम सब लोग 22 तारीख से चलकर आपके सामने उप्स्थित हुए हैं, सभी कार्यकर्ता जो आपने आवाहन किया था कि गांधी संकल्प यात्रा के रूप में पद्यात्रा करें, आज हमारा तीसरा दिन है आपके सामने बैठे हुए जितने भी हमारे कार्यकर्ता हैं वो आपके इस ऊर्जावान नेतृत्व पा कर लबरेज हैं। आदरणीय प्रधानमंत्री जी आपने रोहनिया में, बनारस में जो पंचकोशी रोड बनाया है इतनी सुंदर रोड हम लोगों ने इधर देखा नहीं था। अब इस यात्रा में चलने वाले जो हमारे यात्री हैं उनका पैर नहीं जलेगा, आपने उसके किनारे जो करोड़ों वृक्ष लगाकर इस काशी को इनाम दिया है एख तौर से, निशच्त तौर पर जब वो वृक्ष खड़ा होगा, तैयार होगा तो वहां लोगों को चलने में बहुत-बहुत आराम होगा। आदरणीय प्रधानमंत्री जी हमारे लोग लगातार पूछते हैं कि आपके प्रधानमंत्री कैसे इतने ऊर्जावान हैं कि इतनी उम्र में भी ऐसा लगता है कि सारे नवजवान उनके सामने फेल हैं। मैं आपकी इस ऊर्जा और ताकत को इसलिए सलाम करता हूं और प्रार्थना करता हूं बाबा विश्वनाथ से कि आपको हमारे सभी कार्यकर्ताओं की ऊर्जा और ताकत मिले। आप देश को इसी तरह शक्तिशाली और ताकतवर बनाते रहें और पूरी दुनिया में बार के परचम को लहराते रहें, जय हिंद-जय भारत।            

कार्यकर्ता- सबसे पहले मैं अपने देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी को प्रणाम करता हूं। सर मेरा नाम विकास मिश्रा है, मैं वाराणसी के रोहनिया विधानसभा क्षेत्र का निवासी हूं। सर चुनावी जीत में हमारी कल्याणकारी योजनाओं का बहुत बड़ा योगदान रहा है, जन-जन तक जो योजनाएं पहुंची हैं जैसे आयुष्मान हो या बिजली हो वो बहुत कल्याणकारी रही हैं तो सर मैं आपसे सब एक सवाल पूछना चाहता हूं कि आगामी आपके अनुसार हमारा अगला कदम क्या होना चाहिए ?

पीएम मोदी- विकास पूछ रहा है तो विकास को तो एक ही जवाब है हमारा अगला कदम भी विकास। एक तो मैं सबसे पहले वहां उपस्थित सबको बधाई देता हूं कि गांधी 150 निमित्त आप लोगों ने पदयात्रा की, गांव-गांव गए, लोगों से मिल रहे है और आपने भी देखा होगा कि पहले दिन चलते समय थकान लगी होगी लेकिन दूसरे दिन थकान भी चली गई होगी जोश भर गया होगा और तीसरे दिन नया उत्साह जुड़ गया होगा। इसका मतलब ये हुआ कि पहले दिन आपको लगता था कि एनर्जी नहीं है, थक गए लेकिन दूसरे दिन कैसे एनर्जी आई, तीसरे दिन एनर्जी कैसे बढ़ गई और जब आने वाले दिनों में करोगे तो आप देखोगे कि जनता के प्यार में इतनी बड़ी ताकत होती है, उनके आशीर्वाद में इतनी ताकत होती है कि आपके भीतर की ऊर्जा में ये अपने आप में एक ऐसी शक्ति भर देते हैं कि आपकी खुद की ऊर्जा आपको चलायमान कर देती है तो जैसा आपको अनुभव आ रहा है वैसा ही अनुभव मुझे भी जब जनता जनार्दन के दर्शन करता हूं, कार्यकर्ताओं को दिन-रात मेहनत करते देखता हूं। सरकार के मुलाजिम ठंड हो, गर्मी हो, बारिश हो 24 घंटे जब काम करते लोगों को देखते हैं तो फिर हमें भी ऊर्जा मिल जाती है तो हमारी ऊर्जा का रहस्य आप सब हैं, देशवासी हैं, सारे मेहनत करने वाले लोग हैं। इसके कारण हमें भी लगता है कुछ करना चाहिए और आपने देखा होगा कि पदयात्रा में आपको भी वो ऊर्जा मिली है। मैं फिर से एक बार इस पदयात्रा के कार्यक्रम के लिए बहुत बधाई देता हूं और ये पदयात्र का कार्यक्रम सचमुच में, जब लोगों के बीच में जाते हैं बैठते हैं। हमारे मन को एक नई दृष्टि मिलती है, नया सोचने का तरीका मिलता है इसलिए आप सब बधाई के पात्र हैं। भाई विकास ने बहुत सारे सवाल पूछे हैं। मैं मानता हूं कि हमारी सरकार में ढेर सारी योजनाएं हैं, लोगों को उनका लाभ बहुत मिला भी है और मिल भी रहा है लेकिन मेरा मानना ये भी है कि हमें इतने से संतोष नहीं मानना है।

पिछले 70 साल में जो मिलना चाहिए था वो हमें अपने ही कार्यकाल में पूरा करना है, लोगों को महसूस होना चाहिए देश आजाद हुआ मतलब उनका भाग्य खुल गया है ये अब हमें अनुभव कराना है और आजादी के 75 साल होते-होते लोगों में विश्वास बढ़ेगा, हां ये देश उनका है, ये सारी शक्ति उनकी है, उनके लिए है ये भाव पैदा हो रहा है। अब आप देखिए स्वच्छ भारत अभियान, क्या ये मोदी ने झाड़ू लगाई इसलिए हो गया है क्या? जी नहीं, देश के लोगों ने जी-जान से जुट गए। 2014 में मुझे जब आपने पहली बार विजयी कर के भेजा था तब देश में 40 प्रतिशत से भी कम लोगों के पास टॉयलेट था, पिछले 60 महीने में इस देश के 60 करोड़ लोग टॉयलेट के उपयोग करने वाले बन गए उनके घरों में टॉयलेट आ गए। 60 महीने में 60 करोड़ लोग ये इज्जतघर का लाभ उठाएं कितना संतोष होता है। हमारी माताओं-बहनों की इज्जत पर इतना बड़ा एक इज्जतघर मिल जाए हमें कितना आनंद होता है और अब तो वाराणसी में भी मुझे बताया गया कि सभी 90 वॉर्ड खुले में शौंच से मुक्त घोषित हो चुके हैं और इसके लि बधाई के पात्र हैं। लेकिन साथियो, मैं जरूर कहूंगा कि स्वच्छता ये कोई प्रोजेक्ट नहीं है। एक छोटा सा दो-चार दिन के लिए करने वाला काम नहीं है, ये हमारी आदतें बदलना, हमारी जिम्मेदारियों में सतत जागृत रहना, निरंतर प्रयास भी करना और लोगों को भी प्रयास में जोड़ना ये हमें जीवन भर करना होगा तभी ये बदलाव आएगा। अब आप देखिए एक बार हम लोगों ने स्पेशल एक काम किया कि भाई सिंगल यूज प्लास्टिक को खत्म करना है। अब सबको ध्यान में आ रहा है कि सिंगल यूज प्लास्टिक हम लोग ऐसे ही यूज करके फेंक देते हैं लेकिन इसने कितना बड़ा संकट पैदा कर दिया है। पानी के अंदर जो जीने का हक है प्लास्टिक के कारण उनका जीना खत्म हो रहा है।

मैं पिछले दिनों पशु आरोग्य कैंप के लिए उत्तर प्रदेश आया था, मथुरा के अंदर वो कार्यक्रम था तो वहां डॉक्टर पशुओं को ऑपरेशन भी कर रहे थे, कुछ गायों के भी ऑपरेशन हुए भैंस और भी पशु और उनके पेट में से अनेक किलो प्लास्टिक निकला। अब आप कल्पना कर सकते हैं कि हमारी आंख में एक छोटा सा तिनका भी पड़ जाए तो हम बेचैन हो जाते हैं। उन अबोल पशुओं के पेट में 10 किलो, 20 किलो, 50 किलो प्लास्टिक भरा पड़ा होगा वो कैसे जीते होंगे। जब वो प्लास्टिक निकाल रहे थे पेट में से इतना दर्द होता था, मुझे दर्द होता था लेकिन अब देशवासियों ने इसको उठा लिया है सिंगल यूज प्लास्टिक को देश में बैन करना है, हमने इस काम को बहुत आगे बढ़ना है, हमें कोशिश करनी है। हम उपयोग ना करें वो एक बात है लेकिन कूड़ा-कचरा जहां पड़ा है उसकी भी हमने चिंता करनी है। अभी मैं एक दिन टीवी में देख रहा था किसी सज्जन ने गारबेज रेस्टोरेंट बनाया है और नियम क्या बनाया है, जो प्लास्टिक इकट्ठा करके लाएगा और एक किलो प्लास्टिक जमा कराएगा कूड़े-कचरे से लाकर के उसको वो मुफ्त में खाना देते हैं, अब देखिए कितने तरीकों से देश की सेवा होती है तो मैं अनेक उदाहरण आपको दे सकता हूं। अब जैसे आयुष्मान भारत इसका फायदा 50 लाख से अधिक लोग उठा चुके हैं, देश में 10 करोड़ से अधिक लोगों को ई-कार्ड जारी किए जा चुके हैं। अकेले वाराणसी में आयुष्मान भारत योजना के तहत 1 लाख 65 हजार से अधिक लोगों को गोल्डन कार्ड, जिसका उसको हक था मिल चुका है। वाराणसी के 17 हजार से ज्यादा लोग कोई ना कोई छोटी-मोटी ऑपरेशन करवा चुके हैं जो पहले कभी नहीं करवा सकते थे, 17 हजार लोगों की जिंदगी में ये मदद कितना बड़ा संतोष होता है लेकिन अभी भी ऐसे कई लोग होंगे जिनको इस स्कीम का पता नहीं होगा, कोई उन तक पहुंचा नहीं होगा। मानवता के खातिर, राजनीति के लिए नहीं समाजनीति के लिए मैं आशा करूंगा कि आप सब लोग जाएं, लोगों तक पहुंचे, आयुष्मान भारत का फायदा पहुंचाएं। अब आवास की बात करें, जब इंसान को खुद का घर मिलता है ना उसके जीवन के सपने जग जाते हैं।

जब चार दीवारों के अंदर जिंदगी गुजारना शुरू होता है तो नए सपने पलने लग जाते हैं, नया उमंग आ जाता है, नया करने का हौसला बन जाता है जीवन का सोच-तरीका बदल जाता है। डेढ़ करोड़ लोगों से ज्यादा के घर बनाकर उसकी चाबी पहुंच चुका है वो लोग आज अपनी दीवाली अपने नए पक्के घर में मना रहे हैं और घर भी सामान्य नहीं, बिजली है, पानी है, गैस है, सारी सुविधाएं हैं। अब हम लोगों का सपना है जब आजादी के 75 साल होंगे 2022 हमें एक भी परिवार को बिना घर नहीं रहने देना है। उसका अपना घर हो पक्का घर हो और जिसमें जल भी हो, ऊर्जा और गैस की व्यवस्था हो, उसके अंदर शौचालय भी हो, ऐसा उसको घर मिले। हमने किसानों, व्यापारियों और छोटे दुकानदारों के पेंशन स्कीम शुरू की है, हमारा काम हैं लघु व्यापारियों को जोड़ें, ये लघु व्यापारी मानधन योजना उनको समझाएं कि देखो भाई इसके साथ जुड़ जाइए 60 साल की उम्र में जब बुढ़ापा शुरू हो जाएगा तो बच्चों पर तो डिपेंड नहीं होना पड़ेगा। हर महीना इसी से 3 हजार रुपए की पेंशन आना शुरू हो जाएगी, सरकार आधे पैसे लगा देगी ये समझाना चाहिए। साथियों मैं यही कहना चाहूंगा कि हमारे देश के सामान्य मानवी को बहुत बड़ी अपेक्षाएं नहीं हैं जी उसकी छोटी-छोटी जरूरतें, ये पूरा करने का हम काम करें। देशवासियों की अगर मूलभूत समस्याओं का समाधान अगर हम करते हैं तो बहुत बड़ा परिणाम मिलता है वो देश को आगे बढ़ाने में बहुत बड़ा काम कर सकते हैं। एक तरफ सामान्य आदमी की आवश्यकताएं तो दूसरी तरफ हमें आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना है और आपने देखा होगा आज आया है ईज ऑफ डूंइंग बिजनेस में फिर एक बार भारत ने जंप लगाया और भारत जितना बड़ा देश लगातार तीन बार प्रगति करता रहे ऐसा वर्ल्ड बैंक के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है ऐसा मुझे बताया गया। एक तरफ ईज ऑफ डूइंग बिजनेस तो दूसरी तरफ ईज ऑफ लिविंग इन्हीं सारी चीजों को लेकर हम कर रहे हैं और अब तो आपका वाराणसी कैंप हो या मडुवाडीह स्टेशन जैसे सैंकड़ों नए स्टेशन बन रहे हैं। आज तो वो टूरिस्ट प्लेस बन गया आपके यहां, वाराणसी के रिवर पोर्ट हमारा माल सामान पानी के माध्य से पहुंचने लगा है, व्यापार को नई ताकत मिली है तो ऐसे सब कामों के लिए आने वाले दिनों में सौ लाख करोड़ रुपए पूरे देश में लगाने का इरादा है। मैं समजता हूं कि इससे बहुत बड़ा लाब हो रहा है मैंन्यूफैक्चरिंग में कभी दो मोबाइल फैक्ट्रियां थी आज करीब ढाई सौ से ज्यादा फैक्ट्री मोबाइल फोन बनाने लगी, कितने लोगों को रोजगार मिल रहा है तो हर प्रकार से हम विकास के नए-नए मार्ग पर बढ़ रहे हैं। मैं फिर एक बार विकास जी के साथ विकास की ही बाते करता रहूंगा लेकिन अच्छा होगा कि हम कहीं और चलें और कार्यकर्ता इंतजार कर रहे हैं आइए सेवापुरी चलते हैं हम लोग। 

कार्यकर्ता- भारत मां के सुयोग्य बेटे एवं देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी को मेरा सादर प्रणाम। माननीय प्रधानमंत्री जी मैं सेवापुरी तरफ से और अपने सेवापुरी के भाजपा और अपना दल के सभी सम्मानित पदाधिकारियों और सम्माननीयों की  तरफ से, अपनी तरफ से आपको दीवाली की एवं गोवर्धन पूजा की एवं आने वाले एकादशी की ढेर सारी शुभकामनाएं दता हूं और बाबा भोलेनाथ से यह प्रार्थना करता हूं कि आपके नेतृत्व में ये देश इसी तरीके से आगे बढ़ता रहे जो हम सब लोगों का सपना है कि देश विश्व गुरू बने, देश सोने की चुड़िया बने और पूरे विश्व में फिर से भारत का मान सबसे ऊपर हो ऐसा कामना मैं बाबा भोलेनाथ से करता हूं। माननीय प्रधानमंत्री जी आपने सेवापुरी की जनता के लिए खास तौर से सेवापुरी पूर्ण रूप से कृषकों का क्षेत्र है। यहां का किसान आपने राजा तालाब में जो पेरिशेबल कार्गो सेंटर की स्थापना आपने किया उसकी वजह से सेवापुरी के जो सब्जी किसान हैं जो बागवानी करने वाले किसान हैं उनको ढेर सारा उनको लाभ मिल रहा है और मैं आपको बताना चाहूंगा कि आपने सेवापुरी विधानसभा में पशुपालकों के लिए आपने गंगा तेरी गायों के संरक्षण के लिए, संवर्धन के लिए जो आपने सेवापुरी की आजाइन लाइन में जो व्यवस्था आपने दिया और जो आपने वहां पशुओं का ट्रामा सेंटर स्थापित कराने का काम किया। मंडलीय ऑफिस स्थापित कराने का काम आपने किया है उससे पशुपालकों को भी बहुत लाभ मिल रहा है और आपसे ये मैं कहना चाहूंगा कि आप इस देश के अंदर जो कश्मीर का बहुत बड़ा मुद्दा बहुत दिनों से चला आ रहा ता उसको आपने, वहां जो 370 और 35 ए जिसकों समाप्त करके आपने ये दिखाने का काम कर दिया है कि आप सच्चे मायने में सरदार बल्लभ भाई पटेल के असली वारिस हैं और आपने जो काम किया है आज पहली बार सरदार बल्लभ भाई पटेल की आत्मा को पूर्ण रूप से शांति मिली है इसके लिए मैं आपको ढेर सारा साधुवाद देता हूं। आपके लिए बाबा भोलेनाथ से यह प्रर्थना करता हूं कि आपके नेतृत्व में निरंतर हम सबको इसी तरह से काम करने का अवसर मिले, धन्यवाद। 

पीएम मोदी- नीलरतन जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद और भाजपा और अपना दल के सभी कार्यकर्ताओं को भी मेरे तरफ से भी आने वाले सभी उत्सवों के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं और मैं जब अपना दल के लोगों के बीच आऊंगा तो मुझे सोनेलाल जी की याद आना बहुत स्वाभाविक है। सरदार बल्लभ भाई पटेल के प्रति जो उनकी श्रद्धा, निष्ठा थी बहुत अद्भुत थी तो मैं आज सोने लाल जी का भी स्मरण करता हूं और अपना दल के कार्यकर्ताओं को भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं, आइए कौन सवाल कर रहे हैं।    

कार्यकर्ता- अजय कुमार सिंह सेवापुरी सेवामंडल उपाध्यक्ष, आपको दीवाली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। प्रधानमंत्री जी आपका अमेरिका यात्रा से हम सबको गर्व महसूस हुआ और इसके लिए आपको बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं। आपको कैसा गर्व महसूस होता हैं जब आपको सब शुभकामनाएं देते हैं। 

पाएम मोदी- देखिए आपने जो भाव व्यक्त किया है कि दुनिया मं जब जाते हैं, बड़े-बड़े कार्यक्रम होते हैं, मान-सम्मान मिलता है, दुनिया के बड़े-बड़े लीडरों से मिलना होता है। देखिए मैं तो एक निमित्त हूं, मेरा उस पर कोई हक बनता नहीं है। इन सारी बतों के लिए हक बनता है 130 करोड़ हिंदुस्तानियों का, मैं तो सिर्फ उनके एक प्रतिनिधि के तौर पर वहां होता हूं, हकीकत में तो 130 करोड़ हिंदुस्तानी हर जगह पर होते हैं। ये मान-सम्मान, दुनिया भर में जो हमारे देश की वाह वाही हो रही है वो कोई प्रधानमंत्री के कारण नहीं होती है 130 करोड़ हिंदुस्तानियों के कारण होती है, आप सब के कारण होती है और मैं इसलिए आप सबका इस भाव को व्यक्त करने के लिए अभिनंदन करता हूं और मैं जरूर कहता हूं कि हमने भी ये दुनिया भर में जो भारत की जय जयकार होती है गांव-गांव तक ये बातें पहुंचानी चाहिएं, लोगों से बैठकर करनी चाहिए कि आज दुनिया में हिंदुस्तान की नई पहचान कैसे बन रही है, कैसा महत्व बढ़ रहा है क्योंकि हम चाहेंगे कि भारत के लोगों का सोच पूरी दुनिया को समझे वाली बनी चाहिए और भारत के अंदर ये क्षमता है। गांव में रहने वाले में भी ये क्षमता है बैठकर बातें करनी चाहिएं क्या हो रहा हैं कैसे हो रहा है तो मैं फिर एक बार सेवापुरी के सभी साथियों का अभिनंदन करते हुए आगे चलता हूं। आइए वाराणसी दक्षिण की ओर चलिए। जी नीलकंठ जी नमस्कार। 

कार्यकर्ता- आदरणीय प्रधानमंत्री जी, दीपावली के अवसर पर इस दीपोत्सव संवाद के माध्यम से आपने सबी कार्यकर्ताओं का, वरिष्ठजनों के साथ संवाद करके काशी में अद्भुत ऊर्जा का संचार किया है इस कार्यक्रम में इस कार्यक्रम के सबी संयोजक और बहुत से लोग आपके बातों को सुनने के लिए हैं और काशी की जनता आपके प्रति एक अद्भुत भाव रखती है और यही कारण है कि जहां भी काशी की जनता आपको देखती है हर-हर महादेव का नारा लगाती है जो अपने आप में अद्भुत है। आपने काशी के लिए विकास के हर पक्ष को, विषेशकर की दक्षिणी विधानसभा में जब मैं सुदूर गांव का क्षेत्र था जिसको लिया गया। विधानसभा का कुनिया क्षेत्र में, कुनिया का ओवरब्रिज हो, राजगाट का पर्यटन विकास केंद्र हो, घाटों का पर्यटन विकास केंद्र हो, एक अद्भुत आपने विश्वनाथ धाम के रूप में जो विश्व के लोगों का दर्शन केंद्र है वो भी इसी विधानसभा में आपने दिया है इसके लिए काशी और दक्षिण की जनता हृदय से आपका अभिनंदन करती है वंदन करती है और साथ ही साथ, प्रधानमंत्री जी दीपावली के बाद 12 नवंबर को देव दीपावली का भी यहां आयोजन होता है। निशचित तौर पर आप राष्ट्र के हित के लिए जन-जन के हित के लिए देश और विदेश में आप व्यस्त रहते हैं,जब भी आपको अवसर मिले जरूर हमको अभिनंदन का अवसर देंगे, काशी की जनता उस समय भी अभिनंदन करेगी क्योंकि काशी की जनता हमेशाा ये चाहती है कि आप आते रहें और हम आपका अभिनंदन करते रहें क्योंकि जब भी आप आएंगे कुछ ना कुछ काशी को उपहार के रूप में देते रहते हैं, बहुत-बहुत धन्यवाद।                 

कार्यकर्ता- आदरणाय प्रधानमंत्री जी को मेरा प्रणाम मैं भास्कर केसरी दक्षिणी विधानसभा के पंडित दीनदयाल उपाध्याय मंडल का एक कार्यकर्ता हूं। सर्वप्रथम मैं आपको दीवाली की शुभकामनाएं सभी काशीवासियों की ओर से देता हूं। आदरणाय प्रधानमंत्री जी हाल ही में हम सभी ने 150वी गांधी जयंती पूरी की, विभिन्न प्रकार के आयोजन किए गए, जल संपर्क करने का अवसर मिला लोगों से और खुशी मिली। मैं पूछना चाहता हूं कि और क्या किया जाए कि गांधी दर्शन पर हमारा मार्ग बढ़े, धन्यवाद। 

 

पीएम मोदी- धन्यवाद आपका, आपने बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल पूछा है। देखिए आप खी खुशी मेरी खुशी है, मेरी कोशिश होगी कि मैं हर त्योहार में काशी आ सकूं, आप लोगों के बीच रह सकूं लेकिन आप लोगों ने मुझे इतना बड़ा काम दे दिया है इतना महत्वपूर्ण काम दे दिया है कि मेरे लिए वो भी एक बड़ी जिम्मेदारी है उसको भी पूरा करना होता है लेकिन आपका और काशी का इतना प्यार है कि मेरा भी मन कर जाता है कि हर महत्वपूर्ण अवसर पर आपके बीच रहूं, फिर से आपने मुझे स्मरण कराया मैं आपके लिए आभारी हूं। देखिए गांधी 150, हमारे देश के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण अवसर है और ऐसे अवसर होते हैं जो हमें प्ररेणा देते हैं। घर में भी अगर बच्चे का जन्मदिन होता है तो कुछ नया करने का मन करता है, दीवाली आती है तो कुछ नया करने का मन करता है तो हमने गांधी 150 पूरे देश को एक नई ऊर्जा मिले, पूरे देश में एक नया विश्वास पैदा हो उस दिशा में हमने ध्यान केंद्रित करना चाहिए और जब मैं काशी की बात करता हूं तो 18 मई 2014 को जब गंगा आरती के समय हमारे बीच गांधी जयंती पर कार्यांजली देने की चर्चा हुई थी आपके साथ में और काशी ने ही शहंशापुर में शौचालय को इज्ज्त घर नाम दिया जो आज देश भर में मशहूर है और मुझे ये भी फीडबैक मिला है कि गांधी जयंती पर शुरू की गई गांधी संकल्प यात्रा, इसका भी बहुत अच्छा प्रभाव हो रहा है, पूरे देश में हमारे कार्यकर्ता पदयात्रा कर रहे हैं। पूरा देश बापू से प्रेरित है उनके सम्मान में कुछ करना चाहता है लेकिन एक कार्यकर्ता के रूप में, मैं देशवासियों को भी कहता हूं कि गांधी 150 और आजादी के 75 साल 2022 ये जो दो-तीन साल का समय है।

महात्मा गांधी, स्वभाषा, स्वदेश, स्वालंबन इन सारी बातों की बात करते थे और मैंने 15 अगस्त को भी कहा था, क्या हम निर्णय कर सकते हैं कि 2022 भारत के आजादी के 75 साल तक हम लोकल चीजें खरीदेंगे, अगर हमारे गांव में बनी चीज है तो बाहर से नहीं लेंगे। गांव में नहीं है तो तालुका के अंदर से ब्लॉक में से कहीं से लेंगे, वहां नहीं है तो अपने जिले में से लेंगे, जिले में नहीं है तो राज्य में कहीं से मिल जाएगी लेकिन हम पहली कोशिश करेंगे जो भी लेंगे लोकल लेंगे। आने वाले 2022 आजादी के 75 साल होने तक आप देखिए कितना बड़ा हम योगदान कर सकते हैं। ये बात हम कैसे पहुंचाएं और मैं मानता हूं गांधी 150 को हर सामान्य नागरिक जैसे मैं कहता हूं दीवाली में हम हर प्रकार के कपड़े खरीदते हैं। हम हर प्रकार का फैब्रिक लें, कम से कम एक खादी की चीज या हैंडलूम की, हमारे बुनकर भाई बनाते हैं उनसे कोई चीज खरीदें। आप देखिए उनके गरीब के घर में दिया जलेगा, गरीब के घर में नई रोशनी आएगी। मैंने इस बार ये भी कहा है कि 'भारत की लक्ष्मी', इस दीवाली में 'भारत की लक्ष्मी' इसको क्यों ना करें। हमारे इलाके में कोई ना कोई बेटी होगी जिसने अच्छा काम किया होगा, कोई बेटी होगी जो दसवीं कक्षा में सबसे ज्यादा मार्क्स लाई होगी, कोई बेटी होगी जिसने खेल में अच्छा काम किया होगा, कोई बेटी होगी जिसने बढ़िया रंगोली की होगी, क्यों ना हम ऐसा कर सकें और हमारी भारत की बेटी यानी 'भारत की लक्ष्मी' ये समारोह करें इस बार हम, हर इलाके में समारोह करें। उन समारोह के द्वारा हमारी बेटियों का सम्मान करें क्योंकि महात्मा गांधी कहते थे कि एक बेटा पढ़ता है तो एक परिवार पढ़ता है लेकिन एक बेटी पढ़ती है तो दो परिवार पढ़ते हैं अब महात्मा गांधी ने बेटियों को इतना महत्व दिया था, हम भी दे सकते हैं। यानी बापू की कही हुई हर बात आज हम लागू कर सकते हैं अपने जीवन के व्यवहार में उसी प्रकार से मैंने कहा था कि भाई दीवाली के दिनों में हम लोगों को आदत है कहीं मिठाई खाते हैं आधी छोड़ देते हैं। इस बार हम तय करें कि ऐसी कोई चीज बर्बाद नहीं होने देंगे, किसी जरूरतमंद तक पहुंचाएंगे, सम्मान के साथ उसको भी वो खिलाएंगे। आप देखिए जल सामान्य के सुख-दुख के साथ दीवाली मनाते हैं उसका आनंद ही अलग होता है और यही तो गांधी जी ने हमको सिखाया था, इसी काम के लिए देश की आजादी के लिए लोग जंग लड़े थे तो आइए इसी काम को लेकर हम आगे बढ़ें। 

साथियो, मुझे आप सब से बात करने का अवसर मिला, कापी लंबे समय से मैं आपसे बातें कर रहा हूं और आपको भी त्योहार के लिए दौड़-धूप रहती होगी, आपको भी भागना रहता होगा। मैं फिर एक बार आपको, आपके परिवारजनों को , साथियो को और सबी देशवासियों के साथ-साथ और विशेष रूप से मेरे काशीवासियों को इस दीपावली की, आने वाले सारे उत्सवों की बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!