West Bengal will play a significant role in ‘Purvodaya’: PM Modi

Published By : Admin | October 22, 2020 | 10:58 IST
Feeling blessed to be a part of Maa Durga Pujo’s Mahashashti celebrations: PM Modi
The power of maa Durga and devotion of the people of Bengal is making me feel like I am present in the auspicious land of Bengal: PM Modi
I urge everyone to ensure 'do gaj ki doori' and wear masks during celebrations at all times, says PM Modi
Durga Puja reflects unity and strength of India, as well as traditions and culture of Bengal, says PM Modi
West Bengal has to play a significant role in ‘Purvodaya’, says Prime Minister Modi

पश्चिम बंगाल के मेरे भाइयो और बहनो, आज भक्ति की शक्ति ऐसी है कि ऐसा लग रहा है जैसे मैं दिल्ली में नहीं लेकिन आज मैं बंगाल में आप के बीच उपस्थित हूं।

बंगाल के मां दुर्गा के भक्तों ने, मेरे स्वजनों ने मुझे बुलाया है, मुझे इस अवसर से जुड़ने का बहुत बड़ा सौभाग्य मिला है। जब आस्था अपरंपार, मां दुर्गा का आशीर्वाद हो तो स्थान स्थिति परिस्थिति से आगे बढ़कर पूरा देश ही एक प्रकार से बंगालमय हो जाता है, बंगाल हो जाता है। ऐसी कोई जगह नहीं जहां इन दिनों ग्राम बांग्ला और शोहोर बांग्ला के रंग और मां दुर्गा के नवरूप की झलक ना दिखाई देती हो। दुर्गा पूजा का पर्व, भारत की एकता का पर्व भी है, भारत की पूर्णता का पर्व भी है।

बंगाल की दुर्गा पूजा भारत की इस पूर्णता को एक नई चमक देती है, नए रंग देती है, नए श्रृंगार देती है। ये बंगाल की जागरूक चेतना का, बंगाल की आध्यात्मिकता का, बंगाल की ऐतिहासिकता का प्रभाव है। पवित्र षष्ठी के इस पुण्य अवसर पर मैं बंगाल की पवित्र पुण्य भूमि को आज आदरपूर्वक नमन करता हूं।

बंगाल की भूमि से निकले महान व्यक्तित्वों ने जब जैसी आवश्यकता पड़ी, शस्त्र और शास्त्र से, त्याग और तपस्या से मां भारती की सेवा की है। बंगाल की माटी को अपने माथे से लगाकर जिन्होंने पूरी मानवता को दिशा दिखाई। उनमें राम कृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, चैतन्य महाप्रभू, श्री अरबिंदो, बाबा लोकनाथ, श्री ठाकुर अनुकूल चंद्र, मां आनंदमयी ऐसे अनगिनत ऋषि परंपरा के महानुभावों को, महार्षियों को, तपस्वियों को आज मैं आदरपूर्वक नमन करता हूं।
जिन्होंने बंगाल ही नहीं पूरे देश के संस्कारों को गढ़ा, उन गुरुदेव रविन्द्रनाथ जी टैगोर, बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय, शरतचंद्र चट्टोपाध्याय जी को भी मैं आदरपूर्वक प्रणाम करता हूं। जिन्होंने भारतीय समाज को नई राह दिखाई, नई चेतना जगाई उन ईश्वरचंद्र विद्यासागर, राजा राम मोहन राय, गुरुचंद ठाकुर, हरिचंद ठाकुर, पंचानन बरमा का नाम लेते हुए नई चेतना जगती है।

आज अवसर है उन सबके सामने शीष झुकाने का जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को जीवंत किया, नई ऊर्जा से भर दिया। ऐसे नेता जी सुभाष चंद्र बोस, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, शहीद खुदी राम बोस, शहीद प्रफुल्ल चाकी, मास्टर दा सूर्यसेन, बाघा जतिन को हम सब आज नमन करते हैं। जिन्होंने मां भारती की सेवा में अपना जीवन लगा दिया ऐसी मां शारदा, मातंगिनी हाजरा, रानी रासमणि, प्रीतिलता वाडेकर, सरला देवी चौधरानी, कामिनी राय को आज प्रणाम करने का ये पल है। जिन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में भारत का परचम पूरी दुनिया में लहराया। ऐसे जगदीश चंद्र बोस, सत्येंद्र नाथ बोस, आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय, आज जब विज्ञान का युग उनको हर पल याद करता है, मैं भी आज उन महानुभावों को नमन करता हूं।

आज के भारत को गढ़ने में, संवारने में बंगाल का इतना बड़ा योगदान है, इतने सारे नाम हैं कि शाम हो जाएगी लेकिन नाम खत्म नहीं होंगे। कला संगीत जगत की ही बात करें तो काजी नजरुल इस्लाम, सत्यजीत रे, ऋत्विक घटक, मृणाल सेन, सुचित्रा सेन, उत्तम कुमार, कितने ही नाम हैं जिन्होंने पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन किया है। वैसे बहुत से लोगों को ये भी पता नहीं होगा कि दुर्गा स्वरूप मां भारती की जो तस्वीर आज करोड़ों भारतीयों के दिल में बसी है वो तस्वीर भी सबसे पहले बंगाल में अवनींद्र नाथ टैगोर जी ने बनाई थी। बंगाल के लोगों में एक ऐसी आत्मशक्ति है जिसके कारण वे हर क्षेत्र में आगे बढ़कर उपलब्धियां पाते हैं। बंगाल के लोगों ने देश को प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ाया है, आज भी बढ़ा रहे हैं और ये मेरा विश्वास है कि भविष्य में भी बंगाल के लोग देश का गौरव इसी तरह बढ़ाते रहेंगे। अभी इस कार्यक्रम में उपस्थित आप सब भी बंगाल के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं। आज के पावन दिन, मैं सभी का स्मरण करता हूं, अथाह शक्तियों से भरी हुई बंगाल की जनता को मैं आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियो, इस बार हम सभी कोरोना के संकट के बीच दुर्गा पूजा मना रहे हैं। मां दुर्ग के भक्त, पंडालों के आयोजकों सबने इस बार अद्भुत संयम दिखाया है। संख्या पर भले असर पड़ा हो लेकिन भव्यता वही है, दिव्यता वही है। आयोजन भले ही सीमित है लेकिन उत्सव का रंग, उल्लास आनंद असीमित है, यही तो बंगाल की पहचान है, यही तो बंगाल की चेतना है, यही तो असली बंगाल है। हां, मेरा आपसे ये आग्रह जरूर है कि मां दुर्गा की पूजा के साथ ही आप दो गज की दूरी, मास्क पहनने और अन्य नियमों का पालन भी पूरी निष्ठा से करेंगे।

साथियो, बंगाल में ‘उमा एलो घरे’ की सनातन परंपरा रही है। दुर्गा पूजा के प्रारंभ में बोधन समारोह में मां का पारंपरिक आह्वाहन भी इसी परंपरा का विधान है। यहां दुर्गा को अपनी बेटी भी मानते हैं, बेटी की तरह घर में उनका स्वागत करते हैं। ये दर्शन ईश्वरीय सत्ता से हमारा संतान और मां का ये रिश्ता, यही हमारे आध्यात्मिक और सामाजिक चिंतन का मूलभूत आधार है। इसलिए हमें सभी बेटियों को दुर्गा की तरह सम्मान करने की सीख दी जाती है। नवरात्र में उनकी पूजा की जाती है और मां दुर्गा की पूजा तो साक्षात शक्ति की साधना है।
हमारी मां दुर्गा दारिद्र, दुःख, भयहारिणी कही जाती हैं, दुर्गति नाशिनी कही जाती है अर्थात वो दुखों को, दरिद्रता को, दुर्गति को दूर करती है इसलिए दुर्गा पूजा तभी पूरी होती है जब हम किसी के दुःख को दूर करते हैं, किसी गरीब की मदद करते हैं।
साथियो, महिषासुर का वध करने के लिए माता का एक अंश ही पर्याप्त था लेकिन इस कार्य के लिए सभी दैवीय शक्तियां संगठित हो गई थीं, वैसे ही नारी शक्ति हमेशा से सभी चुनौतियों को परास्त करने की ताकत रखती है। ऐसे में यह सभी का दायित्व है कि संगठित रूप से सभी उनके साथ खड़े हों।
भारतीय जनता पार्टी के विचार यही हैं, संस्कार यही हैं और संकल्प भी यही है इसलिए देश में आज महिलाओं के सशक्तिकरण का भी अभियान तेज गति से जारी है। चाहे जन-धन योजना के तहत 22 करोड़ महिलाओं के बैंक खाते खोलना हो या फिर मुद्रा योजना के तहत करोड़ों महिलाओं को आसान ऋण देना, चाहे बेटी बचाओ – बेटी पढ़ाओ अभियान हो या फिर तीन तलाक के खिलाफ कानून, चाहे गर्भावस्था के दौरान मुफ्त चेकअप की सुविधा हो या फिर पोषण अभियान, चाहे ‘स्वच्छ भारत’ के तहत घरों में शौचालय का निर्माण हो या फिर रसोई में धुएं से आजादी, चाहे नाइट शिफ्ट में काम करने के अधिकार हो या फिर मैटेरनिटी लीव को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते करना हो। चाहे गहरी खदानों में काम करने की स्वीकृति हो या फिर सेना में परमानेंट कमीशन, देश की नारी शक्ति को सशक्त करने के लिए निरंतर काम किया जा रहा है।
महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भी सरकार सजग है। रेप की सजा से जुड़े कानूनों को बहुत सख्त किया गया है, दुराचार करने वालों को मृत्युदंड तक का प्रावधान हुआ है।
भारत ने जो नया संकल्प लिया है, आत्मनिर्भर भारत के जिस अभियान पर हम निकले हैं उसमें भी नारी शक्ति की बहुत बड़ी भूमिका है।

साथियो, मैं भोलेनाथ की नगरी काशी का सांसद हूं, काशी में मां दुर्गा, माता अन्नपूर्णा के रूप में विराजती हैं। मां के रूप में दुर्गा जी को हमेशा ये चिंता भी रहती कि उनकी कोई संतान भूखी ना रहे, कोई गरीब ना रहे। बांग्ला में कहते हैं, ‘अमार शोंतान जेनो थाके दूधे भाते’। मां दुर्गा का ये आशीर्वाद तभी पूरा होगा जब हमारा किसान आत्मनिर्भर बने, हमारा श्रमिक आत्मनिर्भर बने, हमारा देश आत्मनिर्भर बने। आत्मनिर्भर भारत के इसी संकल्प से हमें सोनार बांग्ला के संकल्प को पूरा करना है। हमें याद रखना है, ये बंगाल की ही पवित्र धरती थी, जिसने ‘मायेर देवा मोटा कापोड, मथाए तुले ना रे भाई’ का गीत दिया था। ये बंगाल की ही धरती थी जिसने आजादी के आंदोलन में स्वदेशी को एक संकल्प बनाने का काम किया था। बंगाल की ही धरती से गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर और बंकिम चंद्र चटर्जी ने आत्मनिर्भर किसान और आत्मनिर्भर जीवन का संदेश दिया था।
गुरुदेव ने लिखा था, ‘बांग्लार माटी बांग्लार जल, बांग्लार बायू बांग्लार फल पुण्य हो, पुण्य हो, पुण्य हो, हे भगवान’। इसलिए 21वीं सदी में आत्मनिर्भर भारत का ये नया संकल्प ही, बंगाल की धरती से ही मजबूत होगा। हमारे बंगाल के गौरव को, बंगाल के उद्यम और बंगाल के उद्योग को यहां की समृद्धि और संपन्नता को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाना है।

साथियो, बंगाल के तेज विकास के लिए, बंगाल के लोगों को मूलभूत सुविधाएं पहुंचाने के लिए निरंतर काम हो रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बंगाल में करीब-करीब 30 लाख गरीबों के लिए घर बनाए जा चुके हैं। उज्जवला योजना के तहत करीब-करीब 90 लाख गरीब महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन दिए गए हैं। प्रधानमंत्री जन-धन योजना के जरिए बंगाल के लगभग 4 करोड़ गरीबों के बैंक खाते खोले गए हैं। इतना ही नहीं, जल जीवन मिशन योजना के जरिए बंगाल के लगभग चार लाख घरों में पाइप से साफ पानी पहुंचाने क काम हुआ है। बंगाल के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए कनेक्टिविटी सुधारने के लिए भी लगातार काम हो रहा है। कोलकाता में ईस्ट-वेस्ट मेट्रो कार्रिडोर परियोजना के लिए भी साढ़े 8 हजार करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं। नेपाल, भारत और बंग्लादेश के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए सैंकड़ों करोड़ रुपए का लागत से सड़क परियोजना पर कार्य चल रहा है। नेशनल हाईवेज हो, वॉटरवेज हो या फिर गांव-गांव तक ब्राडबैंड कनेक्टिविटी, हमारी कोशिश है कि बंगाल के आम जन के जीवन से मुश्किलें कम हो, उनका जीवन आसान बने।

साथियो, भाजपा की केंद्र सरकार ने पूर्वोदय का मंत्र अपनाया है, जहां सूर्योदय हम देखते हैं पहला उसी दिशा का पूर्वोदय। पूर्वी भारत के विकास के लिए निरंतर फैसले लिए हैं। पूर्वोदय के इस मिशन में पश्चिम बंगाल को महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है, मुझे भरोसा है कि पूर्वोदय का केंद्र बनकर पश्चिम बंगाल जल्द ही एक नई दिशा की तरफ बढ़ेगा। हमारे शास्त्रों में कहा गया है, ‘या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता।’ अर्थात हर जन में मां दुर्गा ही शक्ति रूप से स्थित है। हमें इसी भावना से पूरी ताकत से काम करना है, जन-जन तक पहुंचाना है। हमारे शास्त्रों का कथन है, ‘या देवी सर्वभूतेषु शांति-रूपेण संस्थिता।’ अर्थात मां दुर्गा ही जन-जन में शांति रूप से स्थित है। इसलिए हमें शांति, प्रेम, भाईचारे की भावना से देश की एकता के लिए काम करना है। हमारे शास्त्रों का मंत्र है, ‘या देवी सर्वभूतेषु दया-रूपेण संस्थिता।’ अर्थात मां दुर्गा सभी प्राणियों में दया के रूप में विराजती हैं इसलिए हमें हिंसा के खिलाफ अहिंसा से जीत हासिल करनी है। हमारी भावना है कि, ‘या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मी-रूपेण संस्थिता।’ यानी कि मां दुर्गा ही सभी के साथ लक्ष्मी रूप में रहती हैं इसलिए हमें सबके सुख के लिए, सबके विकास के लिए काम करना है। हमें सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास इस मंत्र को लेकर आगे बढ़ना है। मुझे पूरा भरोसा है कि आप सबका ये तप, ये त्याग, ये साधना जल्द ही फलीभूत होंगे।

वैसे बंग्ला भाषा में इतनी मिठास है, मुझे मालूम है कि उच्चारण में कुछ ना कुछ कमी रह ही जाती है लेकिन फिर भी बांग्ला बोलने के मोह से मैं खुद को रोक नहीं पाया हूं। त्रुटियों के लिए क्षमा के साथ ही मैं मां दुर्गा के इस पवित्र पावन नवरात्री के पर्व पर सर झुका कर प्रणाम करते हुए पूरे राष्ट्र के कल्याण के लिए आप सबके साथ प्रार्थना में जुड़ने का गर्व अनुभव करते हुए मैं मेरी वाणी को विराम देता हूं। एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं। जय मां दुर्गा, जय मां काली।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!