Shri Modi addresses BJP Karyakarta Sammelan in Kolkata

Published By : Admin | April 9, 2013 | 16:44 IST

मंच पर विराजमान भारतीय जनता पार्टी के सभी वरिष्ठ नेतागण और जुस्से से भरे हुए कार्यकर्ता भाइयों और बहनों..! ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे उस एतिहासिक भवन में आकर के आपके बीच बातचीत करने का अवसर मिला है, जिस भवन की स्मृतियाँ गुरूदेव के साथ, सुभाष बाबू के साथ जुड़ी हुई हैं और उसके कारण एक अलग प्रकार के वाइब्रेशन की अनुभूति होती है, जब इन महापुरूषों का स्मरण करते हैं। ऐसे अनेक महापुरूष जिन्होंने देश के लिए जीवन खपा दिया और बंगाल ने त्याग और तपस्या के क्षेत्र में एक बहुत ऊंची मिसाल कायम की है। रामकृष्ण परमहंस की धरती, श्यामा प्रसाद मुखर्जी की धरती, स्वामी विवेकानंद जी की धरती, अनेक तपस्वी, तेजस्वी महापुरूषों की धरती... इस धरती को मैं नमन करता हूँ..! 15 अप्रैल को आप नववर्ष मनाने जा रहे हैं। आपके नववर्ष के लिए मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं..! और इस नववर्ष से आने वाले नववर्ष तक आपको इतनी ताकत मिले, आपको इतना जन समर्थन मिले, आपके शब्दों का इतना सामर्थ्य बढ़े, आपके परिश्रम की इतनी पराकाष्ठा हो कि शासक कोई भी क्यों ना हो, आपकी बात सुनने के लिए मजबूर हो। ये सामर्थ्य आपको प्राप्त हो, ऐसी मैं आप सबको शुभकामना देता हूँ..!

भाइयों-बहनों, आप जानते हैं कि मैं वर्षों तक संगठन के कार्य से जुड़ा था। संगठन के कार्य हेतु अनेक बार पश्चिम बंगाल का भी प्रवास किया था। कार्यकर्ताओं के साथ घंटों तक बातें करने का मुझे अवसर मिलता था। देश भर में संगठन के कार्य के लिए भ्रमण करने का सौभाग्य मिला था। अब दायित्व बदल गया और उसके कारण मैं गुजरात में अपनी शक्ति और समय लगा रहा हूँ। लेकिन जब भी मैं गुजरात के कार्यकर्ताओं से बात करता हूँ, तो मैं हमेशा उन प्रदेशों के कार्यकर्ताओं का जिक्र करता हूँ जिन प्रदेशों में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को इतने कष्ट झेलने पड़ते हैं। राजनैतिक प्रतिस्पर्धी दुश्मन की तरह उनके साथ व्यवहार करते हैं। लोकतंत्र के नियमों का कोई पालन ना करते हुए, विपक्ष को खत्म कैसे करना है उसी का षडयंत्र करते रहते हैं। और उसके बावजूद भी सीने पर अनेक वार झेलते हुए, भारत माता का जयकार करते हुए, सालों से कार्यकर्ताओं ने अपने जीवन खपा दिए। उनके अपने परिवारों को खपा दिया है। और उन कार्यकर्ताओं की श्रेणी में चाहे केरल हो, चाहे नार्थ ईस्ट के प्रदेश हों, चाहे कश्मीर की धरती हो, या फिर चाहे वो मेरा बंगाल हो... ये सब कार्यकर्ता देशभर के कार्यकर्ताओं की प्रेरणा होते हैं..! आपको लगता होगा कि गुजरात में तीन बार विजयी हो गए तो नरेन्द्र मोदी कुछ बन गए। मित्रों, हम गुजरात के कार्यकर्ता आज भी आपके तप और तपस्या का स्मरण करके दौड़ने की ताकत पाते हैं। आपसे हमें प्रेरणा मिलती है क्योंकि आपके सामने कई वर्षों तक दूर-दूर तक सत्ता नजर नहीं आई है। जमानत बच जाए तो भी बहुत है, ये पता होने के बाद भी एक विचार के लिए, एक आदर्श के लिए, माँ भारती के कल्याण के इस यज्ञ में कुछ आहूति देने के लिए दो-दो चार-चार पीढ़ी खप गई..! आपका ये त्याग और तपश्चर्या, मेरे बंगाल के कार्यकर्ताओं का ये पसीना कभी ना कभी तो रंग लाएगा..! मुझे विश्वास है मित्रों, एक ऐसा समय आएगा, जब चारों तरफ से निराश हुआ बंगाल का नागरिक आपको सीने से लगाएगा, आपको सिर-आंखों पर बैठाएगा। ये बंगाल की भूमि है, जो बराबर तराशती है और एक बार तराशने का मार्ग स्वीकार किया तो लंबे अर्से तक आपको अवसर भी देती है। इस भूमि की ये विशेषता है।

भाइयों-बहनों, राजनीति का रूप बदल चुका है। आज से दस साल पहले राजनीति जिस ढंग से चल रही थी, अब उस ढंग से राजनीति करना किसी के बस का रोग नहीं है। आज हिन्दुस्तान में कोई भी नेता हो, कोई भी दल हो, कोई भी विचार हो, किसी भी प्रकार के आचार हो लेकिन सबको, चाहते हुए या ना चाहते हुए, विकास की बात करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। जनता जर्नादन के सामने जा कर के विकास के मुद्दों पर विश्वास पैदा करने की कोशिश करनी पड़ती है। और भाइयों-बहनों, मैं आज भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में एक बड़े संतोष के साथ अपने साथियों के सामने सिर झुकाकर कहना चाहता हूँ कि हिन्दूस्तान की राजनीति में ये मूलभूत परिवर्तन लाने का यश अगर किसी को जाता है, तो वो गुजरात की धरती को जाता है। विकास के मुद्दे पर राजनीति हो सकती है। सामान्य मानवी शासन क्यों बनाता है, सरकार किसके लिए होती है..? कोई अमीर बीमार हो जाए तो उसको सरकारी अस्पताल की जरूरत होती है क्या? उसके घर तो दुनिया भर के डॉक्टर आकर के कतार में खड़े हो जाते हैं। अस्पताल की जरूरत होती है गरीब आदमी को। किसी अमीर के बेटे को पढ़ना है तो सैकड़ों शिक्षक आकर के घर के दरवाजे पर खड़े हो जाएंगे। सरकार का काम होता है गरीब बच्चों को शिक्षा देना। जो रूपयों से खेलते हैं उनको कठिनाइयों का पता नहीं होता है, लेकिन जो नौजवान अपनी विधवा माँ के सपनों को पूरा करने के लिए रात-रात भर फुटपाथ की लाइट के नीचे बैठ कर के पढ़ाई करता है, उस बच्चे को अपनी माँ के सपनों को पूरा करने के लिए रोजगार चाहिए, और ये रोजगार की चिंता करना सरकार का काम है। इन मूलभूत विषयों पर देश के शासकों को आने के लिए हमने मजबूर किया है और इसके कारण भारत सरकार को हर पल अपने किये हुए कामों का हिसाब देना पड़ता है। मित्रों, क्या कारण है कि इतने कम समय में दिल्ली में बैठी हुई सरकार के प्रति इतनी नफरत पैदा हो गई..! मीडिया के मित्रों ने दिल्ली की सरकार को कोई कम मदद नहीं की है। जितना बचा सकते हैं बचाया, जितनी मदद कर सकते हैं कर रहे हैं..! इस देश के अंदर हमेशा शासन के साथ जुड़ जाने वाला एक वेस्टेड इन्ट्रेस्ट ग्रुप है। उन्होंने क्या कुछ नहीं किया इस सरकार की इज्जत बचाने के लिए। ढेर सारी कोशिशें की, लेकिन उसके बावजूद भी हिन्दुस्तान के चप्पे-चप्पे में, हिन्दुस्तान के जन-जन के मन में ये दिल्ली में बैठी हुई सरकार के प्रति नफरत क्यों हैं, इतना आक्रोश क्यों है..? मित्रों, मैं राजनीति में तो बड़ी देर से आया, लेकिन सालों तक जिंदगी सांस्कृतिक और सामाजिक कामों में लगाई थी। राजनीति में नहीं था, लेकिन अभ्यास करने का स्वभाव था, देखता था। मित्रों, मैं अनुभव के आधार पर कहता हूँ और एक राजनीति शास्त्र के विद्यार्थी के रूप में कहता हूँ कि इस दिल्ली के तख्त पर आजादी के बाद शायद ये पहली सरकार ऐसी है जिसके प्रति इतनी भयंकर घृणा और नफरत का माहौल है। मित्रों, कभी शासन के प्रति राजी-नाराजी होना एक बात है। कभी किसी एक छोटी सी घटना पर गुस्सा होना स्वाभाविक है। लेकिन नफरत, घृणा, अविश्वास की स्थिति इस देश में पहले कभी नहीं आई थी, जो आज आई है। और इसके लिए संपूर्ण रूप से कांग्रेस पार्टी जिम्मेदार है। कांग्रेस पार्टी इस हद तक अपने स्वार्थ को लेकर के आगे बढ़ रही है कि कुछ भी बुरा हो जाए, और मान लीजिए वो बुरा नॉन यू.पी.ए. स्टेट में होता है तो उछल-उछल कर के उस राज्य को बदनाम करने में पूरी शक्ति लगा देते हैं और अगर यू.पी.ए. स्टेट में कहीं होता है या सेंट्रल गवर्नमेंट में होता है तो बेशर्मी के साथ सारे पाप अपने साथी पक्षों के सिर पर डाल देते हैं। बड़ी चतुराई है उनकी, जैसे उनका तो कोई गुनाह ही नहीं है, उनकी तो कोई जिम्मेवारी ही नहीं है, उनका तो कोई दायित्व ही नहीं है..! भाइयों-बहनों, क्या हम लोगों के रहते हुए ऐसी कांग्रेस पार्टी इस देश में रहनी चाहिए..? सत्ता के गलियारों में उसको प्रवेश मिलना चाहिए..? देश का शासन करने का अवसर मिलना चाहिए..? क्या उसको धरती पर से उखाड़ फैंकना हमारा कर्तव्य नहीं है..? भाइयों-बहनों, पूरे देश के अंदर कौन सत्ता में आए कौन ना आए इसके लिए नहीं, लेकिन देश को बर्बादी से बचाने के लिए कांग्रेस मुक्त हिन्दुस्तान बनाने का हमारा सपना होना चाहिए..!

भाइयों-बहनों, क्या कारण है कि जब भी विकास की चर्चा होती है, तो गुजरात का जिक्र होता है..! क्या कारण है? जो लोग गुजरात को प्रेम करते हैं, जिनके दिल में गुजरात के प्रति नाराजगी नहीं है, वे क्या कहते हैं? देखो, गुजरात में ऐसा हुआ..! देखो, गुजरात ने क्या किया..! और जिनको गुजरात पंसद नहीं है, वे क्या कहते हैं..? वे कहतें हैं कि देखिए, इसमें हम गुजरात से भी आगे हैं..! यानि पंसद हो तो भी और पसंद ना हो तो भी, पैरामीटर गुजरात है। अच्छा किया तो कहना पड़ता है गुजरात से अच्छा किया, बुरा किया तो हिसाब लगता है कि भाई, गुजरात तक हम क्यों पहुंच नहीं पाए हैं..! ये स्थिति क्यों पैदा हुई..? मैं देश के पॉलिटिकल पंडितों को निमंत्रण देता हूँ। बंगाल की धरती तो विद्घान लोगों की धरती है, सच्चाई और ईमानदारी के साथ रहने का साहस रखने वाले लोग आज भी बंगाल की धरती पर हैं। क्या समय की मांग नहीं है, स्थितियों का तकाजा नहीं है कि हम इस देश की राजनैतिक गतिविधियों के मॉडल का अध्ययन करें? अब कोई चीज छिपी हुई नहीं है। इस देश ने करीब-करीब 50 साल तक कांग्रेस पार्टी का शासन देख लिया है। इस देश ने केरल, बंगाल और त्रिपुरा में कम्युनिस्टों का शासन देख लिया है। इस देश ने परिवारवाद वाली पार्टीओं का शासन देख लिया है। इस देश ने प्रादेशिक पक्षों के द्वारा चल रही सरकारें देख लीं है। इस देश ने भारतीय जनता पार्टी की सरकारें भी देख लीं है। एक प्रकार से पिछले साठ वर्षों में पाँच अलग-अलग प्रकार की सरकारों के मॉडल इस देश में कार्यरत रहे हैं। उन सभी सरकारों का उत्तम से उत्तम समय उठा लिया जाए, पचास-सौ पैरामीटर तय किये जाएं और किस सरकार ने अपने पाँच साल के कार्यकाल में क्या काम किया, जनता की भलाई के लिए क्या काम किया, विकास के लिए क्या काम किया, शुचिता की दृष्टि से क्या काम किया, समाज का विश्वास पाने की दिशा में क्या काम किया..! अलग-अलग मापदंड लेकर के इसको तय किया जाए और फिर लेखा-जोखा लिया जाए, तो सच्चे अर्थ में देश की भलाई के लिए काम करने वाली कौन सी सरकारें हैं, सामान्य मानवी की भलाई के लिए काम करने वाली कौन सी सरकारें हैं इसका लेखा-जोखा हो जाएगा..! और मित्रों, मैं बिल्कुल विश्वास से कहता हूँ कि जिस दिन इन पाँच प्रकार की सरकारों के मॉडल का इवेल्यूशन होगा, भारतीय जनता पार्टी उत्तम से उत्तम पर्फॉर्मर के रूप में देश के सामने आएगी..!

आप मुझे बताईए मित्रों, इतने सालों तक कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली में राज किया। पंचायत से पार्लियामेंट तक एक ही दल का शासन था। विरोध पक्ष तो था ही नहीं। पाँच-पन्द्रह लोग आपस में मिलकर मुश्किल से जीतकर आते थे। वो दिन थे जब मीडिया इतना वाइब्रेंट नहीं था, वो दिन थे जब ज्यूडिशियल एक्टिविज्म नहीं था, वो दिन थे जब एन.जी.ओ. की भरमार नहीं थी, वो दिन थे जब कोर्ट में पी.आई.एल. करके तुफान खड़ा करने की परंपरा नहीं थी। तीन दशक पूरी तरह ऐसे गए हैं कि जिसमें कांग्रेस को कोई पूछने वाला नहीं था। वो जो करें वो आखिरी, ऐसा माहौल था। इतना अच्छा अवसर मिलने के बाद भी, इतनी सुविधा रहने के बाद भी, रूकावटों का नामोंनिशान ना होने के बादजूद भी, क्या कारण था कि कांग्रेस पार्टी इस देश को कुछ नहीं दे पाई..! आज हम लोग अगर सत्ता में हैं तो कभी सी.बी.आई. आकर के धमकती है, कोई हफ्ता ऐसा नहीं गया कि कोई पी.आई.एल. सुप्रीम कोर्ट में ना की गई हो, मीडिया के मित्रों के माध्यम से कोई हमला ना हुआ हो, एन.जी.ओं. ने कोई तूफान ना खड़ा किया हो, विपक्ष काम को रोकने के लिए पूरी ताकत से लगा हुआ हो... इतने विरोध-अवरोध के बीच चाहे डॉ. रमन सिंह जी की छत्तीसगढ़ की सरकार हो, चाहे शिवराज सिंह जी की मध्य प्रदेश की सरकार हो, चाहे हिमाचल में प्रेम कुमार धूमल जी की सरकार हो, चाहे राजस्थान में वसुंधरा राजे जी की सरकार हो, चाहे कर्नाटक में शेट्टर की सरकार हो, चाहे गोवा में मनोहर पारिकर जी की सरकार हो... जहाँ-जहाँ भारतीय जनता पार्टी को सरकारें चलाने का अवसर मिला है, एक भी सरकार पर भ्रष्टाचार के कोई गंभीर आरोप नहीं लगे हैं। उन सरकारों के कार्यकाल को देखा जाए। जनता की भलाई के उत्तम से उत्तम निर्णय किये हैं और उत्तम से उत्तम प्रकार से उन्होंने डिलीवरी देकर के दिखाया है।

कम्युनिस्टों ने बंगाल में सरकार चलाई, बताने की जरूरत नहीं है, क्या हालत कर दी है..? तबाह कर दिया इस प्रदेश को, बर्बाद कर दिया..! केरल को क्या दिया उन्होंने..? चुनाव जीतने के नए-नए तौर तरीके खोजने में ही वो पाँच साल लगे रहते हैं। पूरी शक्ति, सरकारी अधिकारियों की अपॉइंटमेंट तक, चुनाव जीतने के लिए काम कौन आएगा, उसी को लेकर के चलते रहे हैं। अपने विरोधियों को प्रताड़ित करना, उनको परेशान करना, उनको जिंदगी से हाथ धोने पड़े, सार्वजनिक जीवन छोड़ना पड़े... यहाँ तक उन पर जुल्म करना, यही काम इन लोगों ने किए हैं..! और उसके बावजूद भी जनता की आशा-आकांक्षा को पूर्ण करने वाले कोई परिणाम नजर नहीं आते हैं। मित्रों, मजदूरों की भलाई का नाम लेकर सरकार चलाने वाले ये लोग हैं, मैं उनको पूछना चाहता हूँ। अभी-अभी भारत सरकार का एक रिपोर्ट आया है। वो रिपोर्ट ये कह रहा है कि पूरे हिन्दुस्तान में कम से कम नौजवान बेरोजगार कहीं हैं, तो वो राज्य का नाम गुजरात है। और जहाँ ये यू.पी.ए. वाली सरकारें हैं, जहाँ ये कम्यूनिस्टों की सरकारें हैं वहाँ सबसे अधिक नौजवान बेरोजगार हैं। क्या दिया आपने..? और इसलिए भाइयो-बहनों, अध्ययन करके, बारिकियों की जानकारियों के साथ, देश की युवा पीढ़ी को, देश के नागरिकों को प्रशिक्षित करना हमारा दायित्व है कि भले ही हम छोटे होंगे, भले आज कगार में हमारी उपस्थिति कम होगी, लेकिन हमने जो रास्ता चुना है उस रास्ते ने कई राज्यों का भला किया है और बंगाल का भी भला हम कर सकते हैं, जनता में इस बात का विश्वास हम पैदा कर सकते हैं।

मित्रों, कांग्रेस पार्टी में एक विवाद चल रहा है कि एक ‘पावर सेंटर’ हो कि दो ‘पावर सेंटर’ हो..! मुझे समझ नहीं आता है कि इस विवाद से हम क्या समझें..! आप मुझे बताइए मित्रों, कि ये पावर सेंटर बाद की बात है, कहीं पावर नजर आ रहा है..? पावर हो तो फिर कितने पावर सेंटर हो ये बाद में चर्चा करें, अभी तो पावर ही नजर नहीं आ रहा है..! और सिर्फ बैटरी बदलने से गाड़ी चलने वाली नहीं है। मित्रों, आप यहीं बंगाल में कांग्रेस के सौ कार्यकर्ताओं को मिलिए। मैं ये पत्रकार मित्रों से एक छोटी सी प्रार्थना करके जाना चाहता हूँ। और मुझे विश्वास है कि बंगाल के पत्रकार मेरे प्रति बहुत ही प्रेम रखते हैं, वो जरूर ये मेरा काम करेंगे..! आप कांग्रेस के सौ कार्यकर्ताओं का सहज रूप में एक इंटरव्यू लीजिए। छोटा-मोटा कोई भी हो, एक सवाल पूछिए। उसको पूछिए, देश का नेता कौन है..? मैं कांग्रेस के लोगों का इन्टरव्यू करने के लिए कह रहा हूँ। मित्रों, आप देखना सौ में से एक भी व्यक्ति डॉ. मनमोहन सिंह जी का नाम नहीं बोलेगा..! जो पार्टी अपने प्रधानमंत्री को नेता मानने को तैयार ना हो, जो पार्टी अपने प्रधानमंत्री को देश का नेता मानने को तैयार ना हो, पार्टी का नेता मानने को तैयार ना हो, वो प्रधानमंत्री देश का नेतृत्व कैसे कर सकते हैं..? उनकी अपनी पार्टी उनको स्वीकार नहीं कर रही है..! आप पूछ लीजिए, मुझे बंगाल के पत्रकारों की ईमानदारी पर विश्वास है कि वो जरूर जाएंगे, पूछ कर के आएंगे और कल अखबार में छापेंगे भी..! क्या हालत करके रखी है, दोस्तों..! कोई भी ऐसा क्षेत्र है, जहाँ पर कांग्रेस के मित्र विश्वास से कह सके कि हमने ये काम किया..? एक नेता तो जहाँ भी जाते हैं तो ये कहते हैं कि हमने मोबाइल दिया..! आपमें से सबके पास मोबाइल है ना... आपको किसी ने गिफ्ट में दिया है..? सीधा बैंक में ट्रान्सफर हो करके आया था..? अपनी जेब के पैसों से लाए हो ना..? फिर भी बताइए, ये कितना बड़ा झूठ बोलते हैं कि मोबाइल फोन हमने दिया..! आप इनकी हिम्मत देखिए और ये देश देखिए कि उनको सवाल नहीं पूछ रहा है कि भाई, तुम ये कैसे कह रहे हो कि ये मोबाइल फोन हमने दिया है..? एक बार मेरे यहाँ चुनाव में उनके एक नेता आए थे और उन्होंने एक भाषण दिया कि देखिए, आपकी जेब में जो मोबाइल फोन है वो हमने दिया है..! तो उसके बाद मेरा भी एक जगह पर भाषण था। मैंने कहा, मोबाइल दिया या ना दिया ये तो भगवान जाने, लेकिन चार्जर का क्या? बिजली तो है नहीं, वो चार्ज कहाँ करवाएगा? पहले बिजली तो दो..!

मित्रों, ये कैसे देश चला रहे हैं..? उनको लगता है कि तिजोरी लुटा देने का मतलब है आर्थिक प्रगति की ओर जाना..! यहाँ बैठा हुआ कोई भी व्यक्ति, आपके पास अगर पाँच हजार रूपया है तो पाँच हजार रूपये में तीन दिन में बढ़िया -बढ़िया मिष्टी दही ले आए, रसगुल्ले ले आए, संदेश ले आए, और पाँच हजार रूपया उड़ा दिया..! आप मुझे बताइए कि आपके पाँच हजार रूपये का ये सही मैनेजमेंट है क्या..? पेट भरा, मीठा लगा, अच्छा भी लगा लेकिन ये सही मैनेजमेंट है क्या? लेकिन कोई और व्यक्ति अगर पाँच हजार में से सात हजार कैसे हो, दस हजार कैसे हो, फिर दस हजार में से दो हजार किसी अच्छे काम में खर्च करें, फिर पाँच हजार के आठ हजार हो, फिर उसमें से तीन हजार खर्च करें... इसको आयोजन कहते हैं की नहीं कहते? मित्रों, दिल्ली की सरकार उड़ाने में लगी हुई है और रूपये आपके जा रहे हैं..! ये लोग जनता जर्नादन के पैसे को उड़ा रहे हैं और जनता कब तक चुप रहेगी..? अपने राजनैतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए हिन्दुस्तान की जनता ने दिन-रात मेहनत करके जो टैक्स चुकाए हैं, उन टैक्स के पैसों को राष्ट्र के विकास में उपयोग करने के बजाए अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए खर्च किया जा रहा है, और ये देश के साथ सबसे बड़ा धोखा है। कभी-कभी क्या कहते हैं कि हमने आर.टी.आई. का कानून दिया। अभी चार दिन पहले मैंने पढ़ा कि भारत के प्रधानमंत्री के कार्यालय में किसी नागरिक ने चिट्ठी लिख कर कुछ जानकारी माँगी और देश के प्रधानमंत्री के कार्यालय से उस जानकारी देने से मना कर दिया गया..! अगर आप मना करते हो तो आर.टी.आई. के नाम पर गीत गाने का अधिकार आपको किसने दिया..? आप जानकारी तो देते नहीं हैं और अगर आप जानकारी देते नहीं हो तो जानकारी देने के कानून के नाम पर आप रोजी-रोटी कमाने निकले हो..? भाइयों-बहनों, आज देश की हालत ऐसी है, मैं कल दिल्ली में एक सेमिनार में था, ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’। तो मैंने काफी देर तक अपना भाषण सुनाया और बोलते-बोलते मुझे विचार आया कि दिल्ली में ये सब बोलने से क्या मतलब है..? मैंने कहा भाई, विषय तो है ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’, लेकिन आज तो देश में ‘नो गवर्नमेंट, नो गवर्नेंस’, तो उसका क्या करें..? सरकार की अनुभूति ही नहीं हो रही है, मित्रों। ना कोई अच्छी खबर आती है, ना कोई सुनवाई की व्यवस्था है। मैं कभी-कभी कांग्रेस के मित्रों को पूछता हूँ कि हटाओ यार, बाकी सब छोड़ो, पिछले एक साल में देश के लिए दस अच्छे काम किये हों तो जरा बता दो मुझे..! अच्छे से कांग्रेसी मित्र बता नहीं पाते हैं..! ज्यादा से ज्यादा तिजोरी हमने कैसे लुटाई इसकी गिनती करते हैं..! भाइयों-बहनों, अगर ये ही स्थिति रही तो क्या होगा..!

मित्रों, आप देखिए, कॉमनवैल्थ गेम्स का कौभांड हुआ। दुनिया की सबसे ताकतवर सरकार कोई थी तो दिल्ली में थी। सबसे बड़ी सरकार थी तो दिल्ली में थी। ऊपर-नीचे जितनी सरकारों के लेयर हैं, सारी की सारी उनकी सरकारें थी। सब कुछ उनका होने के बाद भी सारी दुनिया में हमारी नाक कट गई और कॉमनवेल्थ गेम्स के अंदर अरबों-खरबों रूपये का भ्रष्टाचार हो गया। और उसके बावजूद भी उनका तो कोई दायित्व ही नहीं..! जैसे रेनकोट पहन कर के बाथरूम में नहा रहे हो..! मैं हैरान हूँ, मित्रों..! और देश से पहली दफा मैं पूछ रहा हूँ कि इनको कैसे माफ किया जा सकता है..! कैसे इनके पापों को स्वीकार किया जा सकता है..!

मित्रों, इस देश के अंदर इन दिनों एक चर्चा चल रही है कि ग्रोथ रेट डाउन हो गया है, ग्रोथ रेट डाउन हो गया है..! क्यों हो गया, भाई..? आपको यदि विकास दर चाहिए तो आपको आर्थिक गतिविधि चाहिए। कृषि में काम होना चाहिएम, मैन्यूफैक्चरिंग में काम होना चाहिए, सर्विस सेक्टर में काम होना चाहिए..! लेकिन कारखाने कैसे चलेंगे यहाँ..? अगर बिजली नहीं है तो कारखाने कैसे चलेंगे? कारखाने नहीं चलेंगे तो नौजवानों को रोजगार कहाँ से मिलेगा..? कारखाने नहीं चलेंगे तो इकोनॉमी कैसे मोबालाइज होगी..? मोमेंटम कहाँ से आएगा..? और कारखाने चल क्यों नहीं रहे हैं, तो कहेंगे कि बिजली नहीं है। बिजली क्यों नहीं है..? क्या बिजली के कारखाने नहीं है..? बिजली के कारखाने हैं, अरबों-खरबों रूपए लग चुके हैं। कारखाने खड़े पड़े हैं, लेकिन बिजली पैदा नहीं करते। बिजली पैदा क्यों नहीं करते..? क्योंकि कोयल नहीं है..! कोयला क्यों नहीं है, क्योंकि कोयला खदान में है। कोयला खदान में क्यों है..? क्योंकि अभी हमने पॉलिसी तैयार नहीं की है..! कितने साल हो गए? तीन साल हो गए..! कब करोगे, 2014 तक तो रहने वाले नहीं हो..! आप मुझे ये बताईए मित्रों, ये सारी जिम्मेवारियाँ उनकी है कि नहीं..? आज देश में एक तरफ अंधेरा है, लोगों को बिजली नहीं मिल रही, बिजली नहीं मिलने के कारण कारखाने बंद हो रहे हैं और दूसरी तरफ 30,000 मेगावॉट बिजली पैदा करने की क्षमता वाले कारखाने फ्यूल के अभाव में बंद पड़े हुए हैं। कौन जिम्मेदार..? जितना पैसा लगना था लग गए, कारखाने खड़े हो गए... कोयला नहीं है। ये कोयला नहीं होने के कारण ये हालत हो गई है। और मित्रों, हिन्दुस्तान की सरकार की हालत देखिए..! हमारे अड़ौस-पड़ौस के छोटे-छोटे देश जहाँ पर कोयले की खदान है, जब हिन्दुस्तान में कोयला आना बंद हो गया और कोयले की कोई परमिशन नहीं मिल रही है, तो व्यापारियों ने तय किया कि भाई, चलो इंडोनेशिया से या ऑस्ट्रेलिया से, अलग छोटे-मोटे देशों से कोयला लाएंगे, अफ्रिकन कंट्री से कोयला लाएंगे..! भारत सरकार की इस पॉलिसी पैरालिसिस के कारण उन देशों को पता चल गया कि हिन्दुस्तान में बिजली के कारखाने बंद पड़े हैं, उन्हें कोयले की जरूरत है और हिन्दुस्तान की सरकार कोयला दे नहीं पाएगी, तो रातोंरात उन्होंने दाम बढ़ा दिए। और ये दिल्ली में बैठी हुई सरकार छोटे-छोटे देशों पर भी दबाव नहीं पैदा कर सकती कि आपने जो दाम पर सौदा किया था उस दाम से आपको कोयला देना पड़ेगा और हिन्दुस्तान को कोयला देने से आप मुकर नहीं सकते, इतना कहने की ताकत ये दिल्ली की सरकार में नहीं है। हर छोटा मोटा देश दबा देता है, मैं हैरान हूँ..! और ऐसा होता क्यों है..? क्या उनके जो साथी दल है उनके कारण हो रहा है..? कांग्रेस जिम्मेवारी लेने को तैयार नहीं है। ये इसलिए हो रहा है, दुनिया आपको इसलिए सुनती नहीं है क्योंकि खुद कांग्रेस का विदेश मंत्री यू.एन.ओ. के अंदर जब भाषण करने के लिए खड़ा होता है और किसी दूसरे देश का कागज पढ़ने लग जाता है, तो पूरे विश्व को लगता है कि यार, सच में ये तो गए बीते लोग हैं, ये सब गॉन केस है, फ़ाइल कर दो..! मित्रों, विश्व के नक्शे पर हिन्दुस्तान की ऐसी बेइज्जती कभी नहीं हुई, जितनी बेइज्जती इस सरकार के कारण हुई है..! सारी दुनिया में अपना नाम खराब होता चला जा रहा है। विश्व में कोई हम पर विश्वास नहीं करता। आपका अच्छा व्यापार हो, अच्छी प्रोडक्ट हो तो भी विदेशों के बायर आपके साथ व्यापार करने से डर रहे हैं। आप स्वतंत्र होने के बावजूद डर रहे हैं, क्यों..? क्योंकि उनको भरोसा नहीं है कि भारत सरकार की नीति कब बदल जाएगी और बायर ने जो सौदा किया है वो फुलफिल नहीं होगा, तो हमारे पैसे डूब जाएंगे..! भाइयो-बहनों, ये स्थिति है..!

मित्रों, बिच में हमने देखा, गरीबों को अन्न नहीं मिल रहा है। राशन कार्ड है, गेहूँ नहीं मिल रहे हैं, चावल नहीं मिल रहे हैं, केरोसीन नहीं मिल रहा है और दूसरी तरफ अखबारों में और टी.वी. पर खबरें आ रही हैं कि बोरियाँ की बोरियाँ पानी में भीग रही हैं, सड़ रही हैं..! देश के किसान ने परिश्रम से पैदा किया हुआ अन्न सड़ रहा है। किसी ने पी.आई.एल. कर दी, तो सुप्रीम कोर्ट ने डंडा चलाया कि सारे अनाज के जो भंडार भरे पड़े हैं, अगर उसको संभाल नहीं सकते हो तो गरीबों को बाँट दो। ये दिल्ली की सरकार ने गरीबों को नहीं बाँटा। दिन-रात कहते हैं कि हम सुप्रीम कोर्ट जो कहती है वो करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पचासों बार कहा लेकिन उन्होंने नहीं किया। और किया तो क्या किया..? भाइयों-बहनों, सुप्रीम कोर्ट संवेदना के साथ ये कहती है कि ये अन्न गरीबों को बाँटो, मगर दिल्ली में बैठी ये सरकार कहती है कि हम गरीबों में नहीं बाँटेंगे..! और किया तो क्या किया..? शराब बनाने वाले जो ठेकेदार थे, उन शराब के ठेकेदारों को 65 पैसे के दाम से ये अन्न दे दिया गया..! आप कहो, क्या इन पर भरोसा कर सकते हैं..? और इसलिए भाइयो-बहनों, समय का तकाजा है, समय की माँग है कि हम सभी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता देश के सामान्य मानवी के आशा-आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए, आजादी के लिए शहीद होने वाले महापुरूषों ने जो सपने संजोए थे उन सपनों को पूरा करने के लिए, स्वामी विवेकानंद जी की 150 वीं जयंती जब देश मना रहा है तब विवेकानंद जी के उन सपनों को पूरा करने के लिए, भारतीय जनता पार्टी के एक-एक कार्यकर्ता को इस देश में से कांग्रेस पार्टी का उखाड़ फैंकने का संकल्प करके आगे बढ़ना चाहिए..! इस देश को तोड़ने वाली, इस देश को कठिनाइयों में डालने वाली सारी शक्तियों को परास्त करने का संकल्प करना होगा। और मित्रों, मैं विश्वास से कहता हूँ, वक्त बहुत तेजी से बदल रहा है। कांग्रेस पार्टी के मित्रों को पता तक नहीं है, हमेशा कांग्रेस पार्टी का झंडा ले कर घूमने वालों को पता नहीं है, वेस्टेड इंटरेस्ट ग्रुप को पता नहीं है कि कितनी तेजी से कांग्रेस पार्टी का डिटीरीओरेशन हो रहा है..! राजी-नाराजी के तराजू से हिन्दुस्तान की राजनीति का विश्लेषण करने का वक्त चला गया है। अब तक हिन्दुस्तान में जो पॉलिटिकल एनालिसिस हुए हैं वो सरकार या पक्ष या नेता के सामने राजी-नाराजी का माहौल कैसा है उसके आधार पर हुए हैं, पहली बार हिन्दुस्तान की राजनीति में नफरत और घृणा के मापदंड पर ये कांग्रेस पार्टी को तोला जाएगा..! ऐसी नफरत, ऐसी घृणा, ऐसा गुस्सा आज देश के कोने-कोने में है। कोई समस्या ऐसी नहीं है जिसको सुलझाने कि दिशा में उन्होंने कोई प्रमाणिक प्रयास किया हो, दो कदम भी चले हो..!

और इसलिए भाइयो-बहनों, माँ भारती की सेवा करने में लगे हुए भारतीय जनता पार्टी के लक्षावधी कार्यकर्ता अपने सामर्थ्य से, अपनी शक्ति से आने वाली हर चुनौती का सामना करते हुए, विजय का विश्वास लेकर के, गाँव-गाँव, गली-गली कमल खिलाने का सपना ले कर के, जिस धरती पर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म हुआ, जिन्होंने सपने संजोए हैं ऐसे श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपनों को पूरा करने के लिए आओ, हम अपनी पूरी ताकत से काम करें, हम कोई कमी ना रखें..! और जो लोग अपने आपको बड़े शहंशाह मानते हैं, उन सभी से मेरा आग्रह पूर्वक निवेदन है, ये मान कर चलिए कि ‘यावत चंद्र दिवाकरो’ आपका राज चलने वाला नहीं है..! जो बंगाल में मेरे भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को परेशान कर रहे हैं उस सरकार के मुलाजिमों से भी मैं कहना चाहता हूँ कि लोकतंत्र में हर एक नागरिक का अधिकार होता है, उसको दबाने की कोशिश करने से कभी कोई सफलता किसीको दिला नहीं सकते..! भारतीय जनता पार्टी, बंगाल का कार्यकर्ता खूंखार से खूंखार ताकतों के खिलाफ लड़ कर के आज भी आगे बढ़ सकता है। रुकना, थकना, झुकना ये हमारा चरित्र नहीं है, ये हमारे संस्कार नहीं हैं। हम भाजपा के कार्यकर्ता मौत को मुट्ठी में लेकर निकले हुए लोग हैं। माँ भारती के कल्याण के लिए निकले हुए लोग हैं। हमें कोई चुनौती ना दें..! और अगर ये कोशिशें होती रहेंगी तो भारतीय जनता पार्टी और अधिक ताकत से आगे बढ़ेगी..!

आज कल मैं देख रहा हूँ कि मेरा कहीं पर भी कोई भाषण होता है, तो यहाँ मेरा भाषण पूरा हो जाए उससे पहले प्रधानमंत्री कार्यालय से ट्वीट करके उसके जवाब दिए जाते हैं..! ये प्रधानमंत्री कार्यालय से होता है और तुरंत, यानि अभी तो मेरा भाषण पूरा हुआ नहीं और मैं मंच से वहाँ बैठने जाऊँगा तब तक तो दो-तीन चीजें छोड़ देते हैं वहाँ..! और सरासर झूठ, सरासर झूठ... कौन पूछने वाला है? ये ही चल रहा है..! मेरे कांग्रेस के मित्रों, देश की जनता की समझदारी पर शक मत किया करो। ये देश की जनता को पूरी समझ है कि सच क्या है..? दूध का दूध और पानी का पानी कैसे होता है, ये देश की जनता भली-भांति जानती है। कांग्रेस की कोशिशों से कुछ निकलने वाला नहीं है और सत्य सीना तान कर के प्रकट हो कर के रहेगा इसी विश्वास के साथ हम आगे बढ़ें..! मित्रों, आपने मेरा सम्मान किया, प्यार दिया, इसके लिए मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूँ..!

धन्यवाद..!

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મારા પ્રિય દેશવાસીઓ, નમસ્કાર. 2025 બસ હવે તો આવી જ ગયું છે, દરવાજે ટકોરા મારી જ રહ્યું છે. 2025માં 26 જાન્યુઆરીએ આપણા બંધારણને લાગુ થવાનાં 75 વર્ષ થવા જઈ રહ્યાં છે. આપણા બધા માટે ખૂબ જ ગૌરવની વાત છે. આપણા બંધારણના ઘડવૈયાઓએ આપણને જે બંધારણ સોંપ્યું છે તે સમયની દરેક કસોટી પર ખરું ઉતર્યું છે. બંધારણ આપણા માટે માર્ગદર્શક પ્રકાશ છે, આપણું માર્ગદર્શક છે. ભારતના બંધારણના કારણે જ હું આજે અહીં છું, તમારી સાથે વાત કરી રહ્યો છું. આ વર્ષે 26 નવેમ્બરે બંધારણ દિવસથી એક વર્ષ ચાલનારી અનેક પ્રવૃત્તિઓ શરૂ થઈ છે. દેશના નાગરિકોને બંધારણના વારસા સાથે જોડવા માટે constitution75.com નામથી એક વિશેષ વેબસાઇટ પણ બનાવવામાં આવી છે. તેમાં તમે બંધારણની પ્રસ્તાવના વાંચીને તમારો વીડિયો અપલૉડ કરી શકો છો. અલગ-અલગ ભાષાઓમાં બંધારણ વાંચી શકો છો, બંધારણ વિશે પ્રશ્ન પણ પૂછી શકો છો. ‘મન કી બાત’ના શ્રોતાઓને, શાળામાં ભણનારાં બાળકોને, કૉલેજમાં જનારા યુવાનોને, મારો અનુરોધ છે કે આ વેબસાઇટ પર જરૂર જઈને જુઓ, તેનો હિસ્સો બનો.

સાથીઓ, આગામી મહિને 13 તારીખે પ્રયાગરાજમાં મહાકુંભ પણ થવા જઈ રહ્યો છે. આ સમયે ત્યાં સંગમ તટ પર જબરદસ્ત તૈયારીઓ ચાલી રહી છે. મને યાદ છે, હમણાં કેટલાક દિવસો પહેલાં જ્યારે હું પ્રયાગરાજ ગયો હતો તો હેલિકૉપ્ટરથી પૂરું કુંભ ક્ષેત્ર જોઈને મન પ્રસન્ન થઈ ગયું હતું. કેટલું વિશાળ ! કેટલું સુંદર ! કેટલી ભવ્યતા !

સાથીઓ, મહાકુંભની વિશેષતા કેવળ તેની વિશાળતામાં જ નથી. કુંભની વિશેષતા તેની વિવિધતામાં પણ છે. આ આયોજનમાં કરોડો લોકો એકત્રિત થાય છે. લાખો સંતો, હજારો પરંપરાઓ, સેંકડો સંપ્રદાય, અનેક અખાડાઓ, દરેક આ આયોજનનો હિસ્સો બને છે. ક્યાંય કોઈ ભેદભાવ દેખાતો નથી, કોઈ મોટું નથી હોતું, કોઈ નાનું નથી હોતું. અનેકતામાં એકતાનું આવું દૃશ્ય વિશ્વમાં બીજે ક્યાંય જોવા નહીં મળે. આથી જ આપણો કુંભ એકતાનો મહા કુંભ પણ હોય છે. આ વખતનો મહા કુંભ પણ એકતાના મહા કુંભના મંત્રને સશક્ત કરશે. હું તમને બધાને કહીશ, જ્યારે આપણે કુંભમાં સહભાગી થઈએ તો એકતાના આ સંકલ્પને પોતાની સાથે લઈને પાછા જઈએ. આપણે સમાજમાં વિભાજન અને વિદ્વેષના ભાવને નષ્ટ કરવાનો સંકલ્પ પણ લઈએ. જો ઓછા શબ્દોમાં મારે કહેવું હોય તો હું કહીશ...

મહાકુંભ કા સંદેશ,

એક હો પૂરા દેશ...

અને જો બીજી રીતે કહેવું હોય તો કહીશ...

ગંગા કી અવિરલ ધારા,

ન બાંટે સમાજ હમારા...

સાથીઓ, આ વખતે પ્રયાગરાજમાં દેશ અને દુનિયાના શ્રદ્ધાળુ ડિજિટલ મહાકુંભના સાક્ષી પણ બનશે. ડિજિટલ નેવિગેશનની મદદથી તમને અલગ-અલગ ઘાટ, મંદિર, સાધુઓના અખાડા સુધી પહોંચવાનો રસ્તો મળશે. આ નેવિગેશન પ્રણાલિ તમને પાર્કિંગ સુધી પહોંચવામાં પણ મદદ કરશે. પહેલી વાર કુંભના આયોજમાં AI ચેટબોટનો પ્રયોગ થશે. AI ચેટબોટના માધ્યમથી 11 ભારતીય ભાષાઓમાં કુંભ સાથે જોડાયેલી દરેક પ્રકારની જાણકારી પણ મેળવી શકાશે. આ ચેટબોટથી કોઈ પણ લખાણ લખીને કે બોલીને કોઈ પણ પ્રકારની મદદ માગી શકે છે. સમગ્ર મેળા ક્ષેત્રને એઆઈથી સંચાલિત કેમેરાથી આવરી લેવામાં આવી રહ્યું છે. કુંભમાં જો કોઈ પોતાના પરિચિતથી વિખૂટો પડી જશે તો આ કેમેરાથી તેમને શોધવામાં પણ મદદ મળશે. શ્રદ્ધાળુઓને ડિજિટલ ખોયા-પાયા કેન્દ્રની સુવિધા પણ મળશે. શ્રદ્ધાળુઓને મોબાઇલ પર સરકાર માન્ય ટૂર  પેકેજ, ઉતારાની જગ્યા અને ઘરમાં ઉતારા વિશે પણ જાણકારી આપવામાં આવશે. તમે પણ મહાકુંભમાં જાવ તો આ સુવિધાઓનો લાભ ઉઠાવો અને હા, #EktaKaMahakumbhની સાથે પોતાની સેલ્ફી અવશ્ય અપલૉડ કરજો.

સાથીઓ, 'મન કી બાત' અર્થાત MKBમાં હવે વાત KTBની, જે વડીલો-વૃદ્ધો છે, તેમનામાંથી, ઘણા બધા લોકોને KTB વિશે જાણકારી નહીં હોય. પરંતુ જરા બાળકોને પૂછો. KTB તેમની વચ્ચે ખૂબ જ લોકપ્રિય છે. KTB અર્થાત કૃષ, તૃષ ઔર બાલ્ટીબૉય. તમને કદાચ ખબર હશે કે બાળકોની મનગમતી એનિમેશન શ્રેણી અને તેનું નામ છે KTB- ભારત હૈ હમ અને તેની બીજી સીઝન પણ આવી ગઈ છે. આ ત્રણ એનિમેશન પાત્રો આપણને ભારતીય સ્વતંત્રતા સંગ્રામના તે નાયક-નાયિકાઓ વિશે જણાવે છે જેની બહુ ચર્ચા થતી નથી. તાજેતરમાં તેની સીઝન-2 ખૂબ જ વિશેષ અંદાજમાં ગોવામાં ભારતના આંતરરાષ્ટ્રીય ફિલ્મોત્સવમાં રજૂ કરાઈ હતી. સૌથી શાનદાર વાત એ છે કે આ શ્રેણી ભારતની અનેક ભાષાઓમાં જ નહીં, પરંતુ વિદેશી ભાષાઓમાં પણ પ્રસારિત થાય છે. તેને દૂરદર્શનની સાથેસાથે અન્ય ઑટીટી મંચ પર પણ જોઈ શકાય છે.

સાથીઓ, આપણી એનિમેશન ફિલ્મોની, રેગ્યુલર ફિલ્મોની, ટીવી ધારાવાહિકોની લોકપ્રિયતા બતાવે છે કે ભારતના સર્જનાત્મક ઉદ્યોગમાં કેટલી ક્ષમતા છે. આ ઉદ્યોગ દેશની પ્રગતિમાં તો મોટું યોગદાન આપી જ રહ્યો છે, પરંતુ આપણા અર્થતંત્રને પણ નવી ઊંચાઈ પર લઈ જઈ રહ્યો છે. આપણો ફિલ્મ અને મનોરંજન ઉદ્યોગ ખૂબ જ વિશાળ છે. દેશની અનેક ભાષાઓમાં ફિલ્મો બને છે, ક્રિએટિવ કન્ટેન્ટ બને છે. હું આપણા ફિલ્મ અને મનોરંજન ઉદ્યોગને એટલા માટે પણ અભિનંદન આપું છું કારણકે તેણે 'એક ભારત - શ્રેષ્ઠ ભારત'ના ભાવને સશક્ત કર્યું છે.

સાથીઓ, વર્ષ 2024માં આપણે ફિલ્મ જગતની અનેક મહાન હસ્તીઓની 100મી જયંતી મનાવી રહ્યા છીએ. આ વિભૂતિઓએ ભારતીય સિનેમાને વિશ્વ સ્તર પર ઓળખ અપાવી છે. રાજ કપૂરજીએ ફિલ્મોના માધ્યમથી દુનિયાને ભારતના સૉફ્ટ પાવરથી પરિચિત કરાવ્યું. રફી સાહેબના અવાજમાં જે જાદૂ હતો તે દરેકના હૈયાને સ્પર્શી જતો હતો. તેમનો અવાજ અદ્ભુત હતો. ભક્તિ ગીત હોય કે રૉમેન્ટિક ગીત, દર્દભર્યાં ગીતો હોય, દરેક ભાવનાને તેમણે પોતાના અવાજથી જીવંત કરી દીધી. એક કલાકારના રૂપમાં તેમની મહાનતાનો અંદાજ એ વાત પરથી લગાવી શકાય છે કે આજની યુવા પેઢી પણ તેમનાં ગીતોને એટલી જ તલ્લીનતાથી સાંભળે છે- આ જ તો છે શાશ્વત કળાની ઓળખ. અક્કિનેની નાગેશ્વર રાવ ગારુએ તેલુગુ સિનેમાને નવી ઊંચાઈ સુધી પહોંચાડ્યું છે. તેમની ફિલ્મોએ ભારતીય પરંપરાઓ અને મૂલ્યોને સરસ રીતે પ્રસ્તુત કર્યાં. તપન સિંહાજીની ફિલ્મોએ સમાજને એક નવી દૃષ્ટિ આપી. તેમની ફિલ્મોમાં સામાજિક ચેતના અને રાષ્ટ્રીય એકતાનો સંદેશ રહેતો હતો. આપણા પૂરા ફિલ્મોદ્યોગ માટે આ હસ્તીઓનું જીવન પ્રેરણા જેવું છે.

સાથીઓ, હું તમને બીજી એક ખુશખબર આપવા માગું છું. ભારતની સર્જનાત્મક પ્રતિભાને દુનિયા સામે રાખવાનો એક ખૂબ જ મોટો અવસર આવી રહ્યો છે. આગામી વર્ષે આપણા દેશમાં પહેલી વાર વર્લ્ડ ઑડિયો વિઝ્યુઅલ એન્ટરટેઇનમેન્ટ સમિટ અર્થાત WAVES શિખર પરિષદનું આયોજન થવાનું છે. તમે બધાએ દાવોસ વિશે તો સાંભળ્યું હશે જ્યાં દુનિયાના આર્થિક ક્ષેત્રના મહારથીઓ ભેગા થાય છે. આ જ રીતે વેવ્સ સમિટમાં દુનિયા ભરના મીડિયા અને મનોરંજન જગતના દિગ્ગજો, સર્જનાત્મક વિશ્વના લોકો ભારત આવશે. આ શિખર પરિષદ ભારતને વૈશ્વિક સામગ્રી સર્જનનું કેન્દ્ર બનાવવાની દિશામાં એક મહત્ત્વપૂર્ણ ડગ છે. મને એ જણાવતાં ગર્વ થાય છે કે આ શિખર પરિષદની તૈયારીમાં આપણા દેશના યુવા સર્જકો પણ પૂરા જુસ્સા સાથે જોડાઈ રહ્યા છે. જ્યારે આપણે પાંચ ટ્રિલિયન ડૉલર અર્થતંત્રની તરફ આગળ વધી રહ્યા છીએ, ત્યારે આપણું સર્જનાત્મક અર્થતંત્ર એક નવી ઊર્જા લાવી રહી છે. હું ભારતના પૂરા મનોરંજન અને સર્જનાત્મક ઉદ્યોગને અનુરોધ કરીશ - ચાહે તમે યુવાન સર્જક હોય કે સ્થાપિત કલાકાર, બૉલિવૂડ સાથે જોડાયેલા હો કે પ્રાદેશિક સિનેમા સાથે, ટીવી ઉદ્યોગના વ્યાવસાયિક હોય કે એનિમેશનના નિષ્ણાત, ગેમિંગ સાથે જોડાયેલા હો કે મનોરંજન ટૅક્નૉલૉજીના શોધક, તમે બધા વેવ્સ સમિટનો હિસ્સો બનો.

મારા પ્રિય દેશવાસીઓ, તમે બધા જાણો છો કે ભારતીય સંસ્કૃતિનો પ્રકાશ આજે કેવી રીતે દુનિયાના ખૂણેખૂણે ફેલાઈ રહ્યો છે. આજે હું તમને ત્રણ મહા દ્વીપોના એવા પ્રયાસો વિશે જણાવીશ જે આપણી સાંસ્કૃતિક વિરાસતના વૈશ્વિક વિસ્તારના સાક્ષી છે. આ બધા એકબીજાથી માઇલો દૂર છે. પરંતુ ભારતને જાણવા અને આપણી સંસ્કૃતિ પાસેથી શીખવાની તેમની ધગશ એક સરખી છે.

સાથીઓ, ચિત્રકામનો સંસાર જેટલો રંગોથી ભરાયેલો હોય છે, તેટલો જ સુંદર હોય છે. તમારમાંથી જે લોકો ટીવીના માધ્યમથી 'મન કી બાત' સાથે જોડાયેલા છો, તેઓ અત્યારે કેટલાંક ચિત્રો ટીવી પર જોઈ શકે છે. આ ચિત્રોમાં આપણાં દેવી-દેવતા, નૃત્યની કળાઓ અને મહાન વિભૂતિઓને જોઈને તમને ઘણું સારું લાગશે. તેમાં તમને ભારતમાં મળી આવતાં જીવ-જંતુઓથી માંડીને બીજું પણ ઘણું બધું જોવા મળશે. તેમાં તાજમહલનું એક શાનદાર ચિત્ર પણ છે, જેને 13 વર્ષની એક બાળકીએ બનાવ્યું છે. તમને એ જાણીને નવાઈ લાગશે કે આ દિવ્યાંગ બાળકીએ પોતાના મોઢાની મદદથી આ ચિત્ર બનાવ્યું છે. સૌથી રસપ્રદ વાત એ છે કે આ ચિત્રકામને બનાવનારા ભારતના નહીં પણ ઇજિપ્તના વિદ્યાર્થીઓ છે. કેટલાંક અઠવાડિયાં પહેલાં ઇજિપ્તના લગભગ 23 હજાર વિદ્યાર્થીઓએ એક ચિત્રકામ સ્પર્ધામાં ભાગ લીધો હતો. ત્યાં તેમને ભારતની સંસ્કૃતિ અને બંને દેશોના ઐતિહાસિક સંબંધોને બતાવનારાં ચિત્રો બનાવવાનાં હતાં. હું આ સ્પર્ધામાં ભાગ લેનારા બધા યુવાનોની પ્રશંસા કરું છું. તેમની સર્જનાત્મકતાની જેટલી પણ પ્રશંસા કરવામાં આવે તે ઓછી છે.

સાથીઓ, દક્ષિણ અમેરિકાનો એક દેશ છે - પરાગ્વે. ત્યાં રહેનારા ભારતીયોની સંખ્યા એક હજારથી વધુ નહીં હોય. પરાગ્વેમાં એક અદ્ભુત પ્રયાસ થઈ રહ્યો છે. ત્યાં ભારતીય દૂતાવાસમાં એરિકા હ્યુબર આયુર્વેદની સલાહ નિઃશુલ્ક આપે છે. આયુર્વેદની સલાહ લેવા માટે આજે તેમની પાસે સ્થાનિક લોકો પણ મોટી સંખ્યામાં પહોંચી રહ્યા છે. એરિકા હ્યુબરે ભલે એન્જિનિયરિંગનો અભ્યાસ કર્યો હોય, પરંતુ તેમનું મન તો આયુર્વેદમાં જ વસે છે. તેમણે આયુર્વેદ સાથે જોડાયેલા કૉર્સ કર્યા હતા અને સમયની સાથે તેઓ તેમાં પારંગત થતાં ગયાં.

સાથીઓ, એ આપણા માટે બહુ ગર્વની વાત છે કે દુનિયાની સૌથી પ્રાચીન ભાષા તમિળ છે અને દરેક હિન્દુસ્તાનીને તેનો ગર્વ છે. દુનિયાભરના દેશોમાં તેને શીખનારાઓની સંખ્યા સતત વધી રહી છે. ગત મહિનાના અંતમાં ફિજીમાં ભારત સરકારના સહયોગથી તમિલ ટીચિંગ પ્રોગ્રામ શરૂ થયો. વિતેલાં 80 વર્ષોમાં આ પહેલો અવસર છે જ્યારે ફિજીમાં તમિલના પ્રશિક્ષિત શિક્ષકો આ ભાષા શીખવાડી રહ્યા છે. મને એ જાણીને સારું લાગ્યું કે આજે ફિજીમાં વિદ્યાર્થીઓ તમિળ ભાષા અને સંસ્કૃતિને શીખવામાં ઘણો રસ લઈ રહ્યા છે.

સાથીઓ, આ વાતો, આ ઘટનાઓ, માત્ર સફળતાની વાર્તાઓ નથી. તે આપણા સાંસ્કૃતિક વારસાની પણ ગાથાઓ છે. આ ઉદાહરણ આપણને ગર્વથી ભરી દે છે. કળાથી આયુર્વેદ સુધી અને ભાષાથી લઈને સંગીત સુધી, ભારતમાં એટલું બધું છે જે દુનિયામાં છવાઈ રહ્યું છે.

સાથીઓ, ઠંડીની આ ઋતુમાં દેશભરમાં રમતો અને ફિટનેસ સંદર્ભે અનેક પ્રવૃત્તિઓ થઈ રહી છે. મને આનંદ છે કે લોકો ફિટનેસને પોતાની દિનચર્યાનો હિસ્સો બનાવી રહ્યા છે. કાશ્મીરમાં Skiingથી લઈને ગુજરાતમાં પતંગબાજી સુધી, બધી જગ્યાએ, રમત અંગે ઉત્સાહ જોવા મળી રહ્યો છે. #SundayOnCycle અને #CyclingTuesday જેવાં અભિયાનોથી સાઇકલ ચલાવવાને પ્રોત્સાહન મળી રહ્યું છે.

સાથીઓ, હવે હું તમને એક એવી અનોખી વાત કરવા ઇચ્છું છું જે આપણા દેશમાં થઈ રહેલાં પરિવર્તન અને યુવા સાથીઓના જુસ્સા તેમજ ધગશનું પ્રતીક છે. શું તમે જાણો છો કે આપણા બસ્તરમાં એક અનોખી ઑલિમ્પિક શરૂ થઈ છે? જી હા, પહેલી વાર બસ્તર ઑલિમ્પિકથી બસ્તરમાં એક નવી ક્રાંતિ જન્મ લઈ રહી છે. મારા માટે એ ખૂબ જ ખુશીની વાત છે કે બસ્તર ઑલિમ્પિકનું સપનું સાકાર થયું છે. તમને પણ એ જાણીને સારું લાગશે કે તે એવા ક્ષેત્રમાં થઈ રહી છે જે ક્યારેક માઓવાદી હિંસાનું સાક્ષી રહ્યું છે. બસ્તર ઑલિમ્પિકનો શુભંકર છે- 'વન પાડો' અને 'પહાડી મેના'. તેમાં બસ્તરની સમૃદ્ધ સંસ્કૃતિની ઝલક જોવા મળે છે. આ બસ્તર ખેલ મહાકુંભનો મૂળ મંત્ર છે-

‘करसाय ता बस्तर बरसाए ता बस्तर’

અર્થાત ‘ખેલેગા બસ્તર – જીતેગા બસ્તર’ |

પહેલી જ વારમાં બસ્તર ઑલિમ્પિકમાં સાત જિલ્લાના એક લાખ 65 હજાર ખેલાડીઓએ ભાગ લીધો છે. આ માત્ર એક આંકડો જ નથી- આ આપણા યુવાનોના સંકલ્પની ગૌરવ ગાથા છે. એથ્લેટિક્સ, તીરંદાજી, બૅડમિન્ટન, ફૂટબૉલ, હૉકી, વેઇટલિફ્ટિંગ, કરાટે, કબડ્ડી, ખો-ખો અને વૉલિબૉલ- દરેક રમતમાં આપણા યુવાનોએ પોતાની પ્રતિભાનો ધ્વજ લહેરાવ્યો છે. કારી કશ્યપજીની વાત મને ખૂબ જ પ્રેરિત કરે છે. એક નાના ગામથી આવતી કારીજીએ તીરંદાજીમાં રજત ચંદ્રક જીત્યો છે. તેઓ કહે છે- "બસ્તર ઑલિમ્પિકે આપણને માત્ર રમતનું મેદાન જ નહીં, જીવનમાં આગળ વધવાનો અવસર આપ્યો છે." સુકમાની પાયલ કવાસીજીની વાત પણ ઓછી પ્રેરણાદાયક નથી. ભાલા ફેંકમાં સુવર્ણ ચંદ્રક જીતનારી પાયલજી કહે છે, "અનુશાસન અને આકરી મહેનતથી કોઈ પણ લક્ષ્ય અસંભવ નથી." સુકમાના દોરનાપાલના પુનેમ સન્નાજીની વાત તો નવા ભારતની પ્રેરક કથા છે. એક સમયે નક્સલી પ્રભાવમાં આવેલા પુનેમજી આજે વ્હીલચૅર પર દોડીને ચંદ્રક જીતી રહ્યા છે. તેમનું સાહસ અને હિંમત દરેક માટે પ્રેરણા છે. કોડાગાંવના તીરંદાજ રંજૂ સોરીજીને 'બસ્તર યૂથ આઈકૉન' ચૂંટવામાં આવ્યા છે. તેમનું માનવું છે - બસ્તર ઑલિમ્પિક દૂરદૂરના યુવાનોને રાષ્ટ્રીય મંચ સુધી પહોંચવાનો અવસર આપી રહી છે.  

સાથીઓ, બસ્તર ઑલિમ્પિક માત્ર એક રમત આયોજન નથી. તે એક એવો મંચ છે જ્યાં વિકાસ અને રમતનો સંગમ થઈ રહ્યો છે. જ્યાં આપણા યુવાનો પોતાની પ્રતિભાને નિખારી રહ્યા છે અને એક નવા ભારતનું નિર્માણ કરી રહ્યા છે. હું તમને બધાને અનુરોધ કરું છું:

  • પોતાના ક્ષેત્રમાં આવાં રમત આયોજનોને પ્રોત્સાહિત કરો
  • # KhelegaBharat – JeetegaBharat સાથે પોતાના ક્ષેત્રની ખેલ પ્રતિભાઓની વાર્તાઓ લોકોને જણાવો.
  • સ્થાનિક ખેલ પ્રતિભાઓને આગળ વધવાનો અવસર આપો.

યાદ રાખો ખેલથી ન માત્ર શારીરિક વિકાસ થાય છે, પરંતુ તે ખેલદિલીથી સમાજને જોડવાનું પણ સશક્ત માધ્યમ છે. તો ખૂબ રમો- ખૂબ ખિલો.

મારા પ્રિય દેશવાસીઓ, ભારતની બે મોટી ઉપલબ્ધિઓ આજે વિશ્વનું ધ્યાન આકર્ષિત કરી રહી છે. તે સાંભળીને તમે પણ ગર્વ અનુભવશો. આ બંને સફળતાઓ સ્વાસ્થ્યના ક્ષેત્રમાં મળી છે. પહેલી ઉપલબ્ધિ મળી છે - મેલેરિયાની લડાઈમાં. મેલેરિયાની બીમારી ચાર હજાર વર્ષોથી માનવતા માટે એક મોટો પડકાર રહી છે. સ્વતંત્રતાના સમયે પણ આ આપણા સૌથી મોટા સ્વાસ્થ્ય પડકારોમાંનો એક હતી. એક મહિનાથી લઈને પાંચ વર્ષનાં બાળકોના પ્રાણ લેનારી બધી સંક્રામક બીમારીઓમાં મેલેરિયાનું ત્રીજું સ્થાન છે. આજે હું સંતોષથી કહી શકું છું કે દેશવાસીઓએ મળીને આ પડકારનો દૃઢતાથી સામનો કર્યો છે. વિશ્વ સ્વાસ્થ્ય સંગઠન- WHOનો રિપૉર્ટ કહે છે- "ભારતમાં વર્ષ 2015થી 2023ની વચ્ચે મેલેરિયાના મામલા અને તેનાથી થનારાં મૃત્યુમાં 80 ટકાનો ઘટાડો થયો છે." આ કોઈ નાની ઉપલબ્ધિ નથી. સૌથી સુખદ વાત એ છે કે આ સફળતા જન-જનની ભાગીદારીથી મળી છે. ભારતના ખૂણેખૂણાથી, દરેક જિલ્લાથી, દરેક જણ આ અભિયાનનો હિસ્સો બન્યું છે. આસામમાં જોરહાટના ચાના બગીચામાં મેલેરિયા ચાર વર્ષ પહેલાં સુધી લોકોની ચિંતાનું એક મોટું કારણ બનેલી હતી. પરંતુ જ્યારે તેના ઉન્મૂલન માટે ચાના બગીચામાં રહેનારાઓ એકસંપ થયા તો તેમાં ઘણી સીમા સુધી સફળતા મળવા લાગી. પોતાના આ પ્રયાસમાં તેમણે ટૅક્નૉલૉજી સાથે-સાથે સૉશિયલ મીડિયાનો પણ ભરપૂર ઉપયોગ કર્યો છે. આ જ રીતે હરિયાણાના કુરુક્ષેત્ર જિલ્લાએ મેલેરિયા પર નિયંત્રણ માટે બહુ સારું મૉડલ પ્રસ્તુત કર્યું. ત્યાં મેલેરિયા પર નિરીક્ષણ માટે જનભાગીદારી ઘણી સફળ રહી છે. નુક્કડ નાટક અને રેડિયો દ્વારા એવા સંદેશાઓ પર ભાર મૂકવામાં આવ્યો જેનાથી મચ્છરોના સંવર્ધનને ઓછું કરવામાં ઘણી સહાય મળી છે. દેશભરમાં આવા પ્રયાસોથી જ આપણે મેલેરિયા સામેની લડાઈને પહેલાં કરતાં વધુ ઝડપથી આગળ વધારી શક્યા છીએ.

સાથીઓ, આપણી જાગૃતિ અને સંકલ્પ શક્તિથી આપણે શું પ્રાપ્ત કરી શકીએ છીએ તેનું બીજું ઉદાહરણ છે કેન્સર સામેની લડાઈ. દુનિયાની પ્રસિદ્ધ મેડિકલ જર્નલ લાન્સેટનો અભ્યાસ ખરેખર ઘણો જ આશા વધારનારો છે. આ જર્નલ મુજબ, હવે ભારતમાં સમય પર કેન્સરનો ઉપચાર શરૂ થવાની સંભાવના ઘણી વધી ગઈ છે. સમય પર ઉપચારનો અર્થ છે - કેન્સરના દર્દીની સારવાર 30 દિવસોની અંદર જ શરૂ થઈ જવી અને તેમાં મોટી ભૂમિકા નિભાવી છે - 'આયુષ્માન ભારત યોજના'એ. આ યોજનાના કારણે કેન્સરના 90 ટકા દર્દીઓ સમય પર પોતાનો ઉપચાર શરૂ કરાવી શક્યા છે. આવું એટલા માટે થયું છે કારણકે અગાઉ પૈસાના અભાવના લીધે ગરીબ દર્દીઓ કેન્સરની તપાસમાં, તેના ઉપચારથી કતરાતા હતા. હવે 'આયુષ્માન ભારત યોજના' તેમના માટે મોટું બળ બની છે. હવે તેઓ આગળ વધીને પોતાનો ઉપચાર કરાવવા માટે આવી રહ્યા છે. 'આયુષ્માન ભારત યોજના'એ કેન્સરના ઉપચારમાં આવતી પૈસાની પરેશાનીને ઘણી હદ સુધી ઓછી કરી છે. એ પણ સારી વાત છે કે આજે સમય પર, કેન્સરના ઉપચાર અંગે, લોકો પહેલાં કરતાં વધુ જાગૃત થયા છે. આ ઉપલબ્ધિ જેટલી આપણા આરોગ્ય તંત્રની છે, ડૉક્ટરો, નર્સો અને ટૅક્નિકલ સ્ટાફની છે, તેટલી જ, તમારી- બધા મારા નાગરિક ભાઈઓ-બહેનોની પણ છે. બધાના પ્રયાસથી કેન્સરને હરાવવાનો સંકલ્પ વધુ મજબૂત થયો છે. આ સફળતાનો યશ એ બધાને મળે છે જેમણે જાગૃતિ ફેલાવવામાં પોતાનું મહત્ત્વપૂર્ણ યોગદાન આપ્યું છે.

કેન્સર સામે લડાઈનો એક જ મંત્ર છે- જાગરુકતા, કાર્યવાહી અને આશ્વાસન. જાગરુકતા એટલે કેન્સર અને તેનાં લક્ષણો પ્રત્યે જાગૃતિ, એક્શન (કાર્યવાહી) અર્થાત સમય પર તપાસ અને ઉપચાર, આશ્વાસન એટલે દર્દીઓ માટે દરેક મદદ ઉપલબ્ધ હોવાનો વિશ્વાસ. આવો, આપણે બધા મળીને કેન્સર વિરુદ્ધની આ લડાઈને ઝડપથી આગળ લઈ જઈએ અને વધુમાં વધુ દર્દીઓની મદદ કરીએ.

મારા પ્રિય દેશવાસીઓ, આજે હું તમને ઓડિશાના કાલાહાંડીના એક એવા પ્રયાસની વાત જણાવવા માગું છું, જે ઓછા પાણી અને ઓછાં સંસાધનો છતાં સફળતાની નવી ગાથા લખી રહ્યો છે. તે છે કાલાહાંડીની 'શાકભાજી ક્રાંતિ'. જ્યાં, ક્યારેક ખેડૂતો સ્થળાંતર કરવા માટે વિવશ હતા, ત્યાં આજે કાલાહાંડીનો ગોલામુંડા બ્લૉક એક શાકભાજી કેન્દ્ર બની ગયો છે. આ પરિવર્તન કેવી રીતે આવ્યું? તેની શરૂઆત માત્ર દસ ખેડૂતોના એક નાના સમૂહથી થઈ. આ સમૂહે મળીને એક એફપીઓ- 'કિસાન ઉત્પાદક સંઘ'ની સ્થાપના કરી, ખેતીમાં આધુનિક ટૅક્નૉલૉજીનો ઉપયોગ શરૂ કર્યો અને આજે તેમનો આ એફપીઓ કરોડોનો વેપાર કરી રહ્યો છે. આજે ૨૦૦થી વધુ ખેડૂતો આ એફપીઓ સાથે જોડાયેલા છે, જેમાં ૪૫ મહિલા ખેડૂતો પણ છે. આ લોકો મળીને 200 એકરમાં ટમેટાંની ખેતી કરી રહ્યાં છે, 150 એકરમાં કારેલાંનું ઉત્પાદન કરી રહ્યાં છે. હવે આ એફપીઓનું વર્ષનું ટર્નઑવર વધીને દોઢ કરોડથી વધુ થઈ ગયું છે. આજે કાલાહાંડાની શાકભાજી ઓડિશાના વિભિન્ન જિલ્લાઓમાં જ નહીં, બીજા રાજ્યોમાં પણ પહોંચી રહી છે અને ત્યાંનો ખેડૂત, હવે બટેટાં અને ડુંગળીની ખેતીની નવી ટૅક્નિક શીખી રહ્યો છે.

સાથીઓ, કાલાહાંડીની આ સફળતા આપણને શીખવાડે છે કે સંકલ્પ શક્તિ અને સામૂહિક પ્રયાસથી શું ન કરી શકાય. હું તમને સહુને આગ્રહ કરું છું કે-

  • પોતાના ક્ષેત્રમાં એફપીઓને પ્રોત્સાહિત કરો
  • કિસાન ઉત્પાદક સંગઠનો સાથે જોડાવ અને તેમને મજબૂત કરો.

યાદ રાખો- નાની શરૂઆતથી પણ મોટાં પરિવર્તન સંભવ છે. આપણને બસ દૃઢ સંકલ્પ અને ટીમ ભાવનાની આવશ્યકતા છે.

સાથીઓ, આજની 'મન કી બાત'માં આપણે સાંભળ્યું, કેવી રીતે ભારત, વિવિધતામાં એકતા સાથે આગળ વધી રહ્યું છે. તે પછી રમતનું મેદાન હોય કે વિજ્ઞાનનું ક્ષેત્ર, સ્વાસ્થ્ય હોય કે શિક્ષણ, દરેક ક્ષેત્રમાં ભારત નવી ઊંચાઈઓને સ્પર્શી રહ્યું છે. આપણે એક પરિવારની જેમ મળીને દરેક પડકારનો સામનો કર્યો અને નવી સફળતાઓ પ્રાપ્ત કરી. 2014થી શરૂ થયેલી 'મન કી બાત'ના 116 એપિસૉડમાં મેં જોયું છે કે 'મન કી બાત' દેશની સામૂહિક શક્તિનો એક જીવંત દસ્તાવેજ બની ગયો છે. તમે બધાએ આ કાર્યક્રમને અપનાવ્યો, પોતાનો બનાવ્યો. દરેક મહિને તમે તમારા વિચારો અને પ્રયાસો જણાવ્યા. ક્યારેક કોઈ યુવા શોધકના વિચારને પ્રભાવિત કર્યો તો ક્યારેક કોઈ દીકરીની સિદ્ધિએ ગૌરવાન્વિત કર્યા. આ તમારા બધાની ભાગીદારી છે જે દેશના ખૂણેખૂણેથી સકારાત્મક ઊર્જાને એક સાથે લાવે છે. 'મન કી બાત' આ સકારાત્મક ઊર્જાની અનેક ગણી વૃદ્ધિનો મંચ બની ગયો છે અને હવે, 2025 ટકોરા મારી રહ્યું છે. આવનારા વર્ષમાં 'મન કી બાત'ના માધ્યમથી આપણે હજુ વધુ પ્રેરણાદાયક વિચારોને વહેંચીશું. મને વિશ્વાસ છે કે દેશવાસીઓની સકારાત્મક વિચારસરણી અને શોધની ભાવનાથી ભારત નવી ઊંચાઈઓને સ્પર્શશે. તમે તમારી આસપાસના અનોખા પ્રયાસોને #Mannkibaat સાથે શૅર કરતા રહો. હું જાણું છું કે આગામી વર્ષની દરેક 'મન કી બાત'માં આપણી પાસે એકબીજા સાથે વહેંચવા માટે ઘણું બધું હશે. તમને બધાને 2025ની ઘણી બધી શુભકામનાઓ. સ્વસ્થ રહો, ખુશ રહો, ફિટ ઇન્ડિયા મૂવમેન્ટમાં તમે પણ જોડાઈ જાવ, પોતાને પણ ફિટ રાખો. જીવનમાં પ્રગતિ કરતા રહો. ખૂબ ખૂબ ધન્યવાદ.