A New Era of Development Has Begun: PM Narendra Modi

Published By : Admin | November 14, 2016 | 16:29 IST
Mandate of 2014 is helping shape a new India free from corruption & Black money: PM Modi
Our Government’s aim is to transform lives of the poor and farmers: Prime Minister
During Emergency, Congress turned this nation into a prison, threatened & arrested people: PM
NDA Government would never let anyone loot the money that belongs to the poor of India: PM Modi

 

भारत माता की..जय

भारत माता की..जय

भारत माता की..जय

ई गाजीपुर राजा गाजी का नगरी हउ, महर्षि विश्वामित्र औरी यमदग्नि ऋषि का भी धरती हउ, महान किसान नेता स्वामी शैजानंद सरस्वती जी.. यहि गाजीपुर में पैदा भईलन। देश के आजादी खातिर डॉ पूजन राय समेत 8 शहीद...यहि धरती पे कुर्बानी 18 अगस्त के दहेल। 1965 के युद्ध में पैटर्न टैंक के धव्स्त कयिके पाकिस्तान के गुमान चूर करे वाला वीर अब्दुल हमीद भी यही धरती के सपूत हउ। ये पवित्र धरती के हम नमन करत बानी। ऐही धरती पर एक ही गांव से 5,000 से ज्यादा जवान देश का सेना में भी देश का रक्षा खातिर काम करेला, ई धरती के बार-बार नमन।

मंच पर विराजमान केंद्र में मंत्री परिषद के मेरे साथी...देश के रेलवे मंत्री श्रीमान सुरेश प्रभु जी, केंद्र में मंत्री परिषद के मेरे साथी और इसी धरती के संतान श्रीमान मनोज सिन्हा जी... हमारे वरिष्ठ नेता श्री ओम जी माथुर, प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के नौजवान अध्यक्ष और लगातार मुस्कुराने वाले अध्यक्ष श्रीमान केशव प्रसाद मौर्य, केंद्र में मंत्री परिषद के मेरे साथी डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय, सांसद श्रीमान केपीसी, सांसद श्रीमान हरिनारायण राजबर, केंद्र में मंत्री परिषद में हमारी साथी श्रीमति अनुप्रिया जी पटेल, सांसद श्रीमान भरत सिंह जी, उत्तर प्रदेश विधान सभा में भाजपा विधायक दल के नेता श्रीमान सुरेश खन्ना जी, भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष श्रीमान लक्ष्मण आचार्य जी, भाजपा के राज्य महासचिव श्रीमान स्वतंत्र देव सिंह जी, भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमति स्वाति सिंह जी, विधान परिषद सदस्य श्रीमान केदारनाथ सिंह जी, विधान सभा सदस्य श्रीमान उपेंद्र तिवारी जी, विधान परिषद सदस्य श्रीमान विशाल सिंह, भाजपा क्षेत्रीय उपाध्यक्ष श्रीमान कृष्णबिहारी राय जी, भाजपा जिला अध्यक्ष श्रीमान भानुप्रताप सिंह और विशाल संख्या में पधारे हुए... गाजीपुर की गर्जना पूरा देश में पहुंचाने वाले मेरे प्यारे भाईयों और बहनों।

भाईयों-बहनों ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे दो साल में दूसरी बार गाजीपुर के लोगों के आशीर्वाद लेने का सौभाग्य मिला, आपके दर्शन करने का मुझे अवसर मिला है। भाईयों-बहनों 2014 में जब चुनाव चरम सीमा पर था। मतदान की तैयारियां चल रही थी, और 9 मई को मैं गाजीपुर आया था और मैंने कहा था..मुझपे भरोसा करो, मैंने कहा था, मेरा छोटा भाई चुनाव लड़ रहा है.. भाईयों-बहनों आप लोगों ने जो प्यार दिया, आप लोगों ने जो मेरे शब्द पर भरोसा किया, और आपने न सिर्फ गाजीपुर से मनोज सिन्हा दिए है, लेकिन पूरे हिन्दुस्तान ने भावी हिन्दुस्तान के निर्माण का... एक बहुत बड़ी मजबूत नींव रखने का काम पिछले लोकसभा के चुनाव में किया है। अगर उत्तर प्रदेश 2014 के चुनाव में पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाने में मदद न करता तो भाईयों-बहनों... न कोई भ्रष्टाचारियों को चिंता होती, न काले धन वाले को चिंता होती।

ये आपके वोट की ताकत है कि गरीब चैन की नींद सो रहा है और अमीर नींद की गोलियां खरीदने के लिए बाजार में...बाजार में चक्कर काट रहा है। ये आपके वोट की ताकत है, ये आपने जो समर्थन दिया... उसका कारण है। भाईयों-बहनों मनोज जी आप बैठिए..बैठिए...आप गाजीपुर के लोगों की गर्जना देश को सुनने दीजिए। मैं आपका प्यार मेरे सर-आंखो पर मेरे भाईयों-बहनों...मेरे सर-आंखो पर। और मैंने वादा किया था, आप जो मुझे प्यार दे रहे हैं, आप जो इस कड़ी धूप में तप रहे है, मैं विकास करके ब्याज समेत लौटाऊंगा... मैंने कहा था। गोरखपुर में फर्टीलाईजर का कारखाना... कोई सोच भी नहीं सकता था कि दोबारा इस लाश में भी जान आ सकती है, हमने उसको जिंदा करने का काम कर दिया है ,यहां के किसानों का भाग्य बदलने के लिए।

पूर्वांचल का आदमी बीमार पड़ता था तो उसे पता नहीं चलता था कहां जाऊं?.. कैसे जाऊं?.. ईलाज कहां करवाऊं?..ये पूर्वांचल को एम्स देकर के मैंने यहां के गरीबों की बीमारी की भी चिंता करने का काम...ईमानदारी के साथ किया है भाईयों-बहनों। भाईयों-बहनों 1962 पंडित नेहरु भारत के पहले प्रधानमंत्री आज उनकी जन्मजयंती है। उत्तर प्रदेश से अनेक प्रधानमंत्री मिले देश को...पंडित नेहरु पहले प्रधानमंत्री थे, उस समय यहीं से लोकसभा के सदस्य श्रीमान विश्वनाथ जी, उन्होंने संसद में खड़े होकर के भाषण किया था। विशवनाथ जी ने भाषण करते हुए...उनकी आंख में आंसु की धारा बह रही थी और विश्वनाथ जी ने कहा था कि पंडित जी आप उत्तरप्रदेश से चुन करके आए हो, आप उत्तर प्रदेश से प्रधानमंत्री के पद पर पहुंचे हो, लेकिन उसी उत्तरप्रदेश में एक पूर्वांचल है, एक पूर्वी उत्तरप्रदेश है...वहां गरीबी इतनी भयानक है कि यहां के लोग गोबर में से गेहूं के दाने चुन-चुन करके निकाल करके धोकर के अपना पेट भरते हैं... प्रधानमंत्री जी...।

यह भाषण 1962 में पंडित नेहरु के सामने गाजीपुर के सांसद विश्वनाथ प्रताप जी ने किया था। भाईयों-बहनों तब पूरी संसद की आंख में आंसु थे। हर कोई इस परिस्थति का बयान सुनकर के हिल गया था, और तब जाकर के पंडित नेहरु जी ने एक पटेल कमेटी बनाई थी। वे पटेल गुजरात से थे...एच एम पटेल साहेब..., उनकी एक कमेटी बनाई थी। उस कमेटी ने एक रिपोर्ट दिया था। इस इलाके की भलाई के लिए क्या-क्या करना? भाईयों-बहनों पंडित जी चले गए, उसके बाद जो भी प्रधानमंत्री आए..चले गए। मैं उत्तर प्रदेश से नौवां नंबर का प्रधानमंत्री हूं...नौवां मेरे पहले आठ आ गए... भाईयों-बहनों वो रिपोर्ट डिब्बे में बंद रहा...कुछ नहीं हुआ...भाईयों-बहनों आज मैं 14 नवंबर जानबुझ कर के ढूंढ, चुनी है यहां आने की... क्योंकि पंडित जी के जन्म दिन पर देश को गुमराह करने वाले लोगों को पता चले कि 62 में जो बात हुई थी, 2016 में मेरे आने तक आप ने उस पर नजर नहीं की थी। और इसलिए पंडित जी आपकी आत्मा जहां भी हो, पंडित जी आपकी आत्मा जहां भी हो, 1962 में इन गरीब लोगों के लिए उनकी आशा, अपेक्षाओं को कागजों की फाइल में दबोच करके आप चले गए..भले आप चले गए..आपका दल भले ही मुझे गालियां देता हो, आपके दल के नेता, आपके परिवार के नेता मुझपर झूठे-झूठे आरोप लगाते हों... तो भी पंडित जी आपके जन्म दिन पर ही वो अधूरा काम आज मैं पूरा करने की शुरुआत कर रहा हूं।

पंडित जी आपको ऐसी श्रद्धांजलि इससे पहले किसी ने नहीं दी होगी जो आज उत्तर प्रदेश का एक एमपी आपको दे रहा है। भाईयों-बहनों 62 में कहा गया था कि गंगा जी पर पुल बनाकर के एक रेल की पटरी डाल दी जाए ताकि इस इलाके को विकास का अवसर पैदा हो। भाईयों-बहनों सरकारें आई..गई, नेता आए..गए, सभाएं हुई..तालियां बजी... वोट बटोरे... लेकिन मां गंगा को पार करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं हुई। आज मुझे खुशी है और मैं मनोज सिन्हा जी को, सुरेश प्रभु जी को, भारत के रेल विभाग को ह्रदय से अभिनंदन करता हूं कि आज अभी थोड़ी देर पहले सरकार के एक कार्यक्रम में मुझे उसका शिलान्यास करने का अवसर मिला है, और आपने टीवी पर देखा होगा कि काम शुरु हो गया। अभी आपको पर्दे पर दिखाया होगा...काम शुरु हो गया और भाईयों-बहनों समय सीमा में यह काम पूरा करके रहुंगा, ये भी आपको बताता हूं।

भाईयों-बहनों, यहां के मेरे किसान भाई-बहन...एक जमाना था, आप कन्नौज से भी अच्छे इत्र की पैदावार करते थे... सब चला गया, मुझे दोबारा वो रौनक लानी है। मेरे किसानों की जिंदगी में एक नई ताकत पैदा करनी है। यहां जो सब्जी पैदा होती है, उत्तम प्रकार की सब्जी पैदा होती है, मां गंगा के कृपा से उसमें एक विशिष्ट स्वाद होता है, अगर उसको पहुंचाने का प्रबंध हो जाए, बिगड़ने से बचाने की... संभालने की व्यवस्था हो जाए तो बंगाल और आसाम तक यहां की सब्जी खाने के लिए लोग लालायित हैं। यहां के किसान को वो वहां से पैसा देने को तैयार हैं। हमने एक व्यवस्था की है पैरिसेबल गुड के लिए जहां ये आप सुरक्षित अपनी पैदावार रख सकते है, बिगड़ने से बचा सकते हैं और सही दाम मिलने पर आप उसको बाजार में बेच सकते हो। मेरे किसान का कोई शोषण न कर पाए... इसकी व्यवस्था की है। भाईयों-बहनों.. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, पहली बार हिन्दुस्तान के किसानों को हमने ऐसी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना दी है जिस फसल बीमा योजना के द्वारा मेरे प्यारे भाईयों-बहनों... किसान बहुत ही मामूली पैसों से चाय, कॉफी का खर्चा निकाले... उतने पैसे से वो अपना फसल बीमा ले सकता है, और बाकी जो रकम भरनी है वो सरकार भरेगी। और किसान अपनी पैदावार पे... मान लीजिए कोई प्राकृतिक आपदा आ गई। फसल बोई है, तैयार होने की तैयारी है बारिश आ गई, ओले गिर गए, तबाह हो गया। मेरे किसान भाईयों-बहनों आपको इसका पैसा मिलेगा इसकी बीमा योजना हमने लागू की है। इतना ही नहीं आपकी फसल तैयार हो गई, कटाई हो गई, खेत में ढेर पड़ा है, अभी ट्रैक्टर आना बाकी है, बाजार में जाना है। सबकुछ तैयार हो गया और अचानक ओले गिर गए... अचानक बारिश आ गई। कटाई होने के बाद कोई देखने को तैयार नहीं होता था। हमने ऐसी फसल बीमा योजना लागू की है कि कटाई के बाद 15 दिन  तक अगर खेत में उसका ढेर पड़ा है पैदावार का और कोई नुकसान हो गया तो भी मेरे किसान को बीमा का पैसा मिलेगा। ये काम हम लोगों ने किया।

इतना ही नहीं मेरे भाईयों-बहनों कभी-कभार हम तय करते हैं कि भई मई, जून में बुवाई करेंगे...बारिश आएगी... नहीं आई...बुवाई नहीं कर पाए। फिर 15 दिन इंतज़ार किया...बारिश नहीं आई... बुवाई नहीं कर पाए। फिर महीना इंतज़ार किया...बारिश नहीं आई... बुवाई नहीं हुई।

आप मुझे बताइए...जून, जुलाई, अगस्त तक बुवाई नहीं होगी तो बेचारा किसान बुवाई भी नहीं कर पाएगा, फसल पैदा होने का तो सवाल ही नहीं है और फसल का बर्बाद होने का तो कारण ही नहीं है। किसान का खेत ऐसे ही सूखा पड़ा हुआ है, ऐसे समय किसान क्या करेगा...? पहली बार ऐसी फसल बीमा योजना हम लाए हैं कि अगर प्राकृतिक कारण से किसान बुवाई नहीं कर पाया तो भी हिसाब लगाकर के उसको फसल बीमा का पैसा दिया जाएगा ताकि मेरे किसान को... कभी मुसीबत झेलनी न पड़े।

भाईयों-बहनों ये सरकार गांव के लिए है, गरीब के लिए है, किसान के लिए है, मेरे प्यारे भाईयों-बहनों, हिन्दुस्तान में धन की कोई कमी नहीं है। लेकिन धन कहां पड़ा है वो समस्या है.... जहां होना चाहिए वहां नहीं है, जहां नहीं होना चाहिए... वहां ढेर लगे हैं। मुझे बताओ भाईयों-बहनों 2014 में 09 मई को मैं यहां आया था, मैंने आपको वादा किया था कि जो भ्रष्टाचार चल रहा है, मैं इस भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई ल़ड़ूंगा... मैंने कहा था कि नहीं कहा था? आपने मेरी बात को सुना था कि नहीं था? आपने सुना था कि नहीं सुना था? आपने मुझे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए प्रधानमंत्री बनाया कि नहीं बनाया?

मुझे बताइए आपने जो मुझे कहा वो मुझे करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए...? करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए...? अगर मैं 500 रुपये के नोट बंद करता हूं, मैं 1000 रुपया का नोट बंद करता हूं तो आपने जो काम कहा है वो ही कर रहा हूं कि नहीं कर रहा हूं...? आप मुझे बताइए भाईयों-बहनों... सब के सब लोग... हाथ ऊपर करके....ताली बजाकर के देश को बताइए... देश को बताइए... ये भ्रष्टाचार खत्म होना चाहिए...? ये 500-1000 रुपया लूटने वालों का रुपया कागज बन जाना चाहिए...? इसके लिए जो कष्ट होगा... आप झेलेंगे...? मुसीबत झेलेंगे...? तकलीफ सहन करेंगे...? मेरे प्यारे भाईयों-बहनों जब गांव का व्यक्ति भी देश की ईमानदारी के लिए इतना कष्ट झेलने के लिए तैयार है... मुझे विश्वास है हिन्दुस्तान में अब बेईमानों के लिए कोई चारा नहीं बचा है।

भाईयों-बहनों मैं यह जानता हूं, मेरे प्यारे भाईयों-बहनों मैं जानता हूं आपको तकलीफ हो रही है। ऐसा नहीं है कि आपको तकलीफ नहीं हो रही है। आप मुझे बताइए घर में शादी हो...बारात आने वाली हो... धूम-धाम से शादी करनी हो... बच्चा भी शहर में थोड़ा कमाने लगा हो... तो अपना भी मन करता है कि घर की दीवारों पर ज़रा अच्छा कलर-वलर लगवाएं... लगवाते हैं कि नहीं लगवाते हैं? अगर कलर लगवाते हैं तो अच्छा लगने के लिए लगवाते हैं न...?  लेकिन उस कलर की गंध... हफ्ते-दस दिन तक रहती है कि नहीं रहती है? वो कलर की गंध के कारण रात को नींद खराब होती है कि नहीं होती है? लेकिन चूंकि बारात आने वाली है इसलिए हम दीवार में से गंध आने के बावजूद भी अच्छे कलर करवाते हैं कि नहीं करवाते हैं? तकलीफ होती है कि नहीं होती है? कोई भी काम करो भाई... तकलीफ तो थोड़ी-बहुत होती है।

हां, ईरादा नेक होना चाहिए। मेरे प्यारे गाजीपुर के भाईय़ों-बहनों, ये जो मैं कर रहा हूं... आप मुझे ताली बजाकर के जवाब देना.... ये जो मैं कर रहा हूं देश की भलाई के लिए कर रहा हूं...? देश की भलाई के लिए कर रहा हूं...? गरीबों की भलाई के लिए कर रहा हूं...? गांव की भलाई के लिए कर रहा हूं..? किसान की भलाई के लिए कर रहा हूं...? जो राजनीतिक दल बहुत परेशान हैं... उनको चिंता सता रही है अब करें क्या... वो नोटों की मालाएं.. ऐसी-ऐसी मालाएं लगती थीं...मुंडी भी दिखती नहीं थी। ऐसे-ऐसे आप कभी अखबार में पढ़ते थे मध्यप्रदेश में किसी बाबू के घर में इनकम टैक्स वाले गए तो बिस्तर के नीचे से 3 करोड़ रुपया निकला... ये किसका पैसा है भाई...? ये गरीबों का है कि नहीं है..? आप मुझे बताइए भाई मैं एक-एक घर में खोजने के लिए जाउंगा तो मुझे कितने साल लगेंगे...? कितने साल लगेंगे बताइए...? और एक घर मैं देखूंगा तो वो तीसरे घर में छुपा देगा... तीसरे घर में देखूंगा तो वो पहले घर में छुपा देगा... करेगा कि नहीं करेगा...? ये बेईमान लोग रास्ता खोज लेंगे कि नहीं खोज लेंगे...? तो मेरे पास एक ही उपाय था... एक साथ 500 और 1000 की नोट को कागज की गड्डी में डाल दो।

मुझे बताइए... सब बराबर के हो गए कि नहीं हो गए भई.. गरीब-अमीर सब एक समान हो गए कि नहीं हो गए... कुछ लोगों क तकलीफ हो रही है। जो सामान्य-ईमानदार नागरिक को है... उसको जो मुसीबत हो रही है तकलीफ हो रही है उसकी मुझे भरपूर पीड़ा है भाईयों-बहनों... बहुत पीड़ा है। मैं रात-रात जगकर के आपकी तकलीफ कम हो इसके लिए जितना भी मेरे से हो सकता है कि मैं कर रहा हूं... करता रहूंगा। लेकिन कुछ लोगों को तो ज़रा ज़्यादा तकलीफ हो रही है। ये वो लोग नहीं हैं ये कुछ ही लोग हैं। खुद बोलते हैं... खुद मुस्कुरातें हैं... मोदी जी ने अच्छा किया...फिर पीछे से कहते हैं लोगों को... अरे भड़काओ... भड़काओ जाओ.. हो-हल्ला करो...

मैं आज ईमानदारी के नाम पर...ईमानदारी के नाम पर देश की जनता को गुमराह करने वाले नेताओं से कहना चाहता हूं... आप में हिम्मत हो तो पब्लिकली बताओ कि 500 और 1000 का नोट चलना चाहिए... भ्रष्टाचार चलना चाहिए... काला धन चलना चाहिए...बेईमानी चलनी चाहिए... बताओ... लोगों के नाम पर गुमराह करने की बातें मत करो... और मैं कांग्रेस वालों से ज़रा विशेष पूछना चाहता हूं... वो कहते हैं कि जनता को तकलीफ हो रही है.. आप तो बयान दे रहे हैं मैं तो जनता की तकलीफ को अनुभव करता हूं... खुद पीड़ा को अनुभव करता हूं... और मैं उसको दूर करने के लिए भगवान ने मुझे जो शक्ति दी है, बुद्धि दी है.... ऐड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रहा हूं... गरीब की मदद करने के लिए।

लेकिन जनता की चिंता करने वाली कांग्रेस ये मुझे बताए कि आपने तो 19 महीने आपातकाल लगाकर के... इमरजेंसी लाकर के इस देश को जेलखाना बना दिया था। हिन्दुस्तान के देश के लिए जीने-मरने वाले लाखों लोगों को 19 महीने तक आपने जेल की सलाखों के पीछे बंद कर दिया था। आप कांग्रेस वालों ने हिन्दुस्तान में... उस जमाने में आपकी पुलिस लोगों के घर जाती थी.. तुम्हारा वारन्ट निकलने वाला है... और वो बेचारा हाथ-पैर जोड़ता था और वो कहती थी कि एक लाख रुपया दो वारन्ट नहीं निकलेगा। इस देश के करोड़ों लोगों से... जेल में बंद कर देंगे इस नाम से करोड़ों रुपये ऐंठ लिए थे आपके नेताओं ने कार्य़कर्ताओं ने... आप... आपने हिन्दुस्तान के अखबारों पर ताले लगवा दिए थे। आपने हिम्मत करने वाले अखबारों के जेल की सलाखों के पीछे एडीटरों को डाल दिया था। आपने पूरे हिन्दुस्तान को जेलखाना बना दिया था। अरे कोई बोले भी तो भी उसको जेल के दरवाजे दिखा दिए जाते थे। और किस काम के लिए... क्या ये सारा काम आपने देश से भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए किया था...? क्या यह काम आपने गरीबों की भलाई के लिए किया था...? देश को याद है इलाहाबाद की कोर्ट ने श्रीमती इंदिरा गांधी को पार्लियामेंट मेम्बर से हटा दिया.. कानूनन हटा दिया तो सिर्फ और सिर्फ आपके प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गद्दी बचाने के लिए 19 महीने आपने पूरे देश को जेलखाना बना दिया था। मुझे पूछ रहे हो...

मेरे भाईयों-बहनों.. मेरा निर्णय जरा कड़क है। और जब मैं छोटा था न तो जो गरीब लोग होते थे, वो मुझे खास कहते थे मोदी जी चाय जरा कड़क बनाना। गरीब को ज़रा कड़क चाय ज्यादा अच्छी लगती है। और मुझे तो बचपन से आदत है तो ज़रा निर्णय मैंने कड़क लिया। अब गरीब को तो कड़क चाय भाती है, लेकिन अमीर का मुंह बिगड़ जाता है। (मोदी-मोदी के नारेबाज़ी)

ये कांग्रेस वाले आज मुझे समझा रहे हैं, भाषण दे रहे है, उनके बड़े-बड़े वकील भाषण दे रहे हैं। किस कानून से आपने 1000 रुपया बंद कर दिया..500 रुपया बंद कर दिया, जरा मैं कांग्रेस वालों से पूछना चाहता हूं कि भाई जब आपकी सरकार थी तब आपने भी एक बार...चवन्नी बंद कर दी थी। वो चवन्नी बंद कर दी थी तब कौन सा कानून था जरा मुझे बताओ? किसको पूछा था? ये ठीक है... आप चवन्नी से आगे चल नहीं पाते हो। आपने अपनी बराबरी का काम किया, हमने हमारी बराबरी का काम किया। आप मुझे बताइए भाईयों-बहनों ये आतंकवाद, ये नक्शलवाद, ये दिन-रात बंदूकें, बम, निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया जाए, हमारे शहीद हों, हमारे नौजवान जिंदगी के सारे सपने तो अभी बाकी हों... मां भारती के लिए बलि चढ़ जाए। ये आतंकवाद को पैसा कौन देता है? ये नक्शलवाद को रुपये कहां से आते हैं? ये उग्रवाद के पैसे कहां से आते हैं? भाईयों-बहनों सीमा पार से हमारे दुश्मन वहां पर नकली नोटें छाप-छाप करके हमारे देश में घुसेड़ रहे हैं। मुझे बताइए की क्या ये दुश्मनों की चाल चलने देनी चाहिए...? ये दुश्मनों की चाल खत्म होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए...? मैं उन नेताओं से सवाल पूछना चाहता हूं... आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए, नक्शलवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए, उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए, ये जाली नोटों का खात्मा होना चाहिए कि नहीं होना चाहिए...? ये जाली नोटें समाप्त होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए...? मुझे बताइए की 500 और 1000 के नोट पर अगर मैं हमला न बोलता तो ये जाली नोटें कभी खत्म हो सकती थीं क्या? सामान्य मानवीय को पता चलेगा कि कौन सी सही और कौन सी नकली? इसी से वो कारोबार चलाते थे। और भाईयों-बहनों जब से 500 और 1000 नोटों पर हमला बोल दिया है ये परेशान हैं, पेमेंट नहीं कर पा रहे है पेमेंट। भाईयों-बहनों कुछ अफवाहें फैलाई जा रही हैं, गृहणी को भड़काया जाता है कि देखो तुमने तो बेटी की शादी के लिए घर में से दो रुपया, पांच रुपया, पचीस रुपया बचा, बचा.. बचा कर के बेटी बीस साल की हुई तुमने पैसा जमा किया, अब ये मोदी सारे पैसे ले गया। मेरी माताएं-बहनें जब तक तुम्हारा ये भाई जिंदा है, मेरी माताएं जब तक तुम्हारा ये लाडला जिंदा है, आप विश्वास कीजिए, आपने कड़ी मेहनत करके पांच-पचास, पांच-पचास रुपए बचा..बचा करके बेटी की शादी के लिए पैसा बचाया है, उस पर एक भी सरकारी अफसर आंख तक नहीं लगा पाएगा।

आप हिम्मत के साथ बैंक में अपना जमा करा दीजिए, अपना खाता खुलवा दीजिए, अरे मेरी सरकार उस पर ब्याज भी देगी। आपकी बच्ची की शादी में वो ब्याज भी आपके काम आएगा और मेरा इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ऐसी माताओं, बहनों को पूछेगा तक नहीं कि ये ढाई लाख रुपया आया कहां से था, लेकिन क्या ढाई करोड़ वालों को भी छोड़ूंगा क्या?  बिस्तर के नीचे से रुपए निकले क्या...उनको भी छोड़ दूं क्या?  गनी बैग में भरे हुए थैले भर-भर के रखे पैसे उनको भी छोड़ दूं क्या?  

इन दिनों आपने देखा होगा, जरा जाकर के शहरों में देखना रात को गाड़ियों निकलती है..देखती हैं कहीं सीसीटीवी कैमरा तो नहीं है, अगर सीसीटीवी कैमरा नहीं है तो चोरी छुपे से मूंह पर कपड़ा बांध कर के जो कूड़े-कचरे का ढेर होता है न उस पर जाकर के नोट फेंक कर के भाग जाते हैं। क्योंकि मैंने कहा है ये जो नोट फेंकने आ रहे हैं, सीसीटीवी कैमरा में अगर वो भी हाथ लग गए तो हिसाब तो देना ही पड़ेगा। क्योंकि आपने गरीबों से लूट के लाया हुआ है। ये गरीबों का पैसा है तुमने लूटा है... मैं लूटने नहीं दूंगा, ये मैं कह के निकला हूं भाईयों। आप देखिए हम तो गंगा किनारे पर रहते हैं। अमीर से अमीर आदमी भी आएगा तो फूल चढ़ाएगा। कोई सौ ग्राम दूध चढ़ाता है तो कोई बड़ा सुखी होगा तो एक लीटर चढ़ाएगा, बड़ा धनी होगा तो शहद चढ़ाएगा, बड़ा धनी होगा तो थोड़ा दही भी चढ़ा देगा और ज्यादा से ज्यादा एक या पांच रुपए का सिक्का डालेगा।

ऐसा कभी देखा था कि गंगा में लोग आज नोटें डाल रहे हैं नोटें..500 की 1000 की बह रही है। अरे पापियों गंगा में भी नोटें बहाकर भी आपका पाप धुलने वाला नहीं है। भाईयों-बहनों मैं जानता हूं, जानता हूं... मेरे पर क्या-क्या बीतेगी?  क्योंकि जिनके पास ये खजाने भरे पड़े हैं न वो बड़े ताकतवर लोग हैं वो तो सरकारों को खरीद लेने की ताकतें रखते हैं, वो तो सरकारों को ऊपर से नीचे करने की ताकत रखते हैं, वो अच्छे-अच्छो को... उनके भविष्य को तबाह करने की ताकत रखते हैं। बड़े ताकतवर लोग हैं लेकिन मुझे.. लेकिन मुझे बताइए मेरे देशवासियो क्या मुझे ऐसे लोगों से डरना चाहिए? पूरी ताकत से बताइए डरना चाहिए...? घबराना चाहिए? भाग जाना चाहिए? ईमानदारी का रास्ता छोड़ देना चाहिए? आपका आशीर्वाद है मेरे प्यारे भाईयों-बहनों, आपका आशीर्वाद है इसीलिए इतनी बड़ी लड़ाई मोल ली है मैंने।

लेकिन मेरे प्यारे भाईयों-बहनों हमारे देश का स्वभाव है, आज देखा आपने जिस ट्रेन का नाम रखा है, जो ट्रेन यहां से कलकत्ते जाने वाली ट्रेन है, उसका नाम क्या रखा है? क्या नाम रखा है? आपको पता है न...? इससे बड़ा इतिहास को याद करने का कोई सोच नहीं सकता कि एक ट्रेन के नाम पर हमारी पुरानी विरासत हमको याद आ जाएगी हमारी ताकत का परिचय हो जाएगा भाईयों। सत्यवेदी, ट्रेन का नाम सत्यवेदी, ट्रेन का नाम महामना... वरना पहले तो सब कुछ एक परिवार में ही था। देश के लिए मरने मिटने वालों को कोई याद नहीं करता था भाईयों। ये सत्यवेदी... भाईयों-बहनों आपके लिए एक नए विकास के युग का अवसर लेकर के आया है।

भाईयों-बहनों आपसे मेरी प्रार्थना है और इस गाजीपुर की जनता के माध्यम से देश को लोगों को भी मेरी प्रार्थना है। ये इतना बड़ा काम है, नोटें बदलने का... इतना बड़ा काम है कि बेईमान लोग इसका फायदा न उठा जाए इतना बड़ा काम है कि सही लोगों को सही हक मिले तो मेरे प्यारे भाईयों-बहनों उसमें थोड़ा समय भी लग सकता है, उसमें थोड़ी तकलीफ भी हो सकती है और इसलिए मेरे प्यारे भाईयों-बहनों मेरा आपसे आग्रह है कि आप स्वयं सक्रिय होकर के गांव-गांव लोगों को विश्वास दें, धैर्य दें विश्वास दें। और मैंने कल भी कहा था, 8 तारीख को रात 8 बजे भी कहा था कि मैंने सिर्फ 50 दिन मांगे हैं। 30 दिसंबर तक ये सारी प्रक्रिया पूरी करने के लिए अठारह-अठारह, बीस-बीस घंटे हमारे बैंक के लोग काम कर रहे हैं भाईयों। छुट्टियां खत्म करके काम कर रहे हैं। घर में मां-बहन कोई बीमार हो... तो भी बैंक में काम कर रहे हैं अरे कांग्रेस वालों ने तो अपनी कुर्सी के लिए उन्नीस महीने देश को जेलखाना बना दिया था। मैंने तो गरीबों की खुशी के लिए 50 दिन थोड़ी सी तकलीफ झेलने के लिए प्रार्थना की है। आप तकलीफ सहन करेंगे? मेरी मदद करेंगे? देश की मदद करेंगे? गरीबों की मदद करोगे? ईमानदारी की मदद करोगे? अरे जिस देश के गांव का लो व्यक्ति भी ईमानदारी के इसलिए इतना कष्ट झेलता हो तो मुझे विश्वास है मेरे प्यारे भाईयों-बहनों मेरे देश में अब बेईमानों के दिन खत्म होकर रहेंगे, खत्म होकर रहेंगे।

एक बार भाईयों-बहनों आप सब खड़े होकर के तालियों के गड़गड़ाहट के साथ मुझे आशीर्वाद दीजिए... इस पवित्र काम के लिए तालियों की गड़गड़ाहट के साथ इस पवित्र काम के लिए मुझे आशीर्वाद दीजिए। आपकी तालियां बंद नहीं होनी चाहिए, आपका आशीर्वाद बना रहना चाहिए। भाईयों-बहनों एक ईमानदारी का एक महायज्ञ मैंने शुरु किया है, आपके आशीर्वाद...आपके आशीर्वाद... पूरा देश देख रहा है, ये टीवी वाले आपको तालियों की गड़गड़ाहट पूरे हिन्दुस्तान को सुना रहे हैं, ये आपके आशीर्वाद पूरा देश देख रहा है, हिन्दुस्तान का पूर्वांचल मेरे देशवासियों देखिए... ये गरीबों की अमीरी देखिए, मेरे देशवासियों... ये गरीबों की अमीरी देखिए, ये वो भूमि है जहां से पंडित नेहरु के सामने कहा गया था कि गोबर में से गेंहु निकाल करके... धोकर के खाना पड़ रहा है, ऐसे गरीब इलाके के लोग ईमानदारी के उत्सव में आशीर्वाद दे रहे हैं।

गरीब हमारे साथ है, फिर एक बार तालियां बजाईए भाईयों... देश को पता चले, झूठ फैलाने वालों को पता चले, ईमानदारी के उत्सव में रुकावटें डालने वालों को पता चले, ये लड़ाई है, ईमानदारी के लिए है, ये लड़ाई है देश को बेईमानी से खत्म करने के लिए लड़ाई है..आईए..आईए मुझे आर्शीर्वाद दीजिए...फिर एक बार आशीर्वाद दीजिए..मां गंगा को याद करके आशीर्वाद दीजिए, तालियों की गड़गड़ाहट से आशीर्वाद दीजिए

बहुत-बहुत धन्यवाद...

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद

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78મા સ્વતંત્રતા દિવસનાં પ્રસંગે લાલ કિલ્લાની પ્રાચીર પરથી પ્રધાનમંત્રી શ્રી નરેન્દ્ર મોદીનાં સંબોધનનો મૂળપાઠ

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78મા સ્વતંત્રતા દિવસનાં પ્રસંગે લાલ કિલ્લાની પ્રાચીર પરથી પ્રધાનમંત્રી શ્રી નરેન્દ્ર મોદીનાં સંબોધનનો મૂળપાઠ
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PM to participate in ‘Odisha Parba 2024’ on 24 November
November 24, 2024

Prime Minister Shri Narendra Modi will participate in the ‘Odisha Parba 2024’ programme on 24 November at around 5:30 PM at Jawaharlal Nehru Stadium, New Delhi. He will also address the gathering on the occasion.

Odisha Parba is a flagship event conducted by Odia Samaj, a trust in New Delhi. Through it, they have been engaged in providing valuable support towards preservation and promotion of Odia heritage. Continuing with the tradition, this year Odisha Parba is being organised from 22nd to 24th November. It will showcase the rich heritage of Odisha displaying colourful cultural forms and will exhibit the vibrant social, cultural and political ethos of the State. A National Seminar or Conclave led by prominent experts and distinguished professionals across various domains will also be conducted.