આ સરસ સવારે, આપણે અહીં સંયુક્ત રાષ્ટ્રમાં ભેગા થયા છીએ.
સમગ્ર માનવતાના મિલન સ્થળે! ન્યુ યોર્કના આ અદ્ભુત શહેરમાં! હું જાણું છું, તમારામાંથી ઘણા દૂરથી આવ્યા છે. તમારામાંથી મોટાભાગના લોકો સૂર્યોદય પહેલા જાગી ગયા હશે, અને અહીં આવવાના પ્રયત્નો કર્યા હશે.
મને કહેવામાં આવ્યું છે કે આજે અહીં લગભગ દરેક રાષ્ટ્રીયતાનું પ્રતિનિધિત્વ થાય છે. અને, આપણને બધાને સાથે લાવવાનું કેવું અદ્ભુત કારણ છે - યોગ!
યોગનો અર્થ છે - એક થવું. તેથી, તમારું એકસાથે આવવું એ યોગના બીજા સ્વરૂપની અભિવ્યક્તિ છે. મને યાદ છે, લગભગ નવ વર્ષ પહેલાં, અહીં જ યુએનમાં, મને 21મી જૂને આંતરરાષ્ટ્રીય યોગ દિવસની ઉજવણી કરવાનો પ્રસ્તાવ આપવાનું સન્માન મળ્યું હતું.
તે સમયે આખું વિશ્વ આ વિચારને સમર્થન આપવા માટે એકસાથે આવે તે જોવું અદ્ભુત હતું. મેં હમણાં જ બહાદુર યુએન પીસકીપર્સનું સન્માન કર્યું છે. 2015માં, મેં તેમની યાદમાં યુએનમાં એક નવું સ્મારક બનાવવાની હાકલ કરી હતી.
અને ગયા અઠવાડિયે, આખી દુનિયાએ ભારત સાથે હાથ મિલાવ્યા છે જેથી તેને ટૂંક સમયમાં વાસ્તવિકતા બનાવવામાં આવે. સૌથી મોટા સૈન્યનું યોગદાન આપનાર રાષ્ટ્ર તરીકે, અમે આ ઉમદા હેતુ માટે સમર્થનની અભિવ્યક્તિ માટે તમામ રાષ્ટ્રોના આભારી છીએ.
ગયા વર્ષે, સમગ્ર વિશ્વ 2023ને બાજરીના આંતરરાષ્ટ્રીય વર્ષ તરીકે ઉજવવાના ભારતના પ્રસ્તાવને સમર્થન આપવા માટે એકસાથે આવ્યું હતું. બાજરી એક સુપરફૂડ છે. તે સર્વગ્રાહી સ્વાસ્થ્યને પ્રોત્સાહન આપે છે અને પર્યાવરણ માટે પણ સારી છે. અને આજે, યોગ માટે આખું વિશ્વ ફરી એકઠાં થતું જોવાનું અદ્ભુત છે!
મિત્રો,
યોગ ભારતમાંથી આવે છે. અને, તે ખૂબ જૂની પરંપરા છે. પરંતુ તમામ પ્રાચીન ભારતીય પરંપરાઓની જેમ તે પણ જીવંત અને ગતિશીલ છે. યોગ મફત છે - કોપીરાઈટથી મુક્ત, પેટન્ટથી મુક્ત અને રોયલ્ટીની ચૂકવણીથી મુક્ત. યોગ અનુકૂલનક્ષમ છે - તમારી ઉંમર, લિંગ અને માવજત સ્તર. યોગ પોર્ટેબલ છે - તમે તેને ઘરે, અથવા કામ પર અથવા પરિવહનમાં કરી શકો છો.
યોગ લવચીક છે - તમે તેનો એકલા અભ્યાસ કરી શકો છો, અથવા જૂથમાં, શિક્ષક પાસેથી શીખી શકો છો અથવા સ્વયં-શિક્ષિત બની શકો છો. યોગ એકીકૃત છે - તે દરેક માટે, તમામ જાતિઓ માટે, તમામ ધર્મો માટે અને તમામ સંસ્કૃતિઓ માટે છે. યોગ ખરેખર સાર્વત્રિક છે.
મિત્રો,
જ્યારે આપણે યોગ કરીએ છીએ, ત્યારે આપણે શારીરિક રીતે ફિટ, માનસિક રીતે શાંત અને ભાવનાત્મક રીતે સંતોષ અનુભવીએ છીએ. પરંતુ તે માત્ર મેટ પર કસરત કરવા પુરતો નથી. યોગ જીવનનો એક માર્ગ છે. આરોગ્ય અને સુખાકારી માટે એક સર્વગ્રાહી અભિગમ છે. વિચારો અને ક્રિયાઓમાં માઇન્ડફુલનેસ રાખવાની રીત છે. સુમેળમાં જીવવાનો માર્ગ - સ્વ સાથે, અન્ય લોકો સાથે અને પ્રકૃતિ સાથે. મને આનંદ છે કે તમારામાંથી ઘણા યોગના વિવિધ પાસાઓને વૈજ્ઞાનિક રીતે માન્ય કરવા પર કામ કરી રહ્યા છે. ખરેખર, આ જ રસ્તો છે.
મિત્રો,
હું જાણું છું કે તમે બધા પ્રારંભ કરવા આતુર છો! ઠીક છે, હું પણ છું. આજે અહીં અમારી યજમાની કરવા બદલ હું સંયુક્ત રાષ્ટ્રનો આભાર માનું છું. આ ઈવેન્ટને સફળ બનાવવામાં તેમની તમામ મદદ અને સમર્થન બદલ હું મેયર અને ન્યૂયોર્ક સિટીનો આભારી છું. અને સૌથી વધુ, આજે અહીં આવવા બદલ હું ફરી એકવાર તમારા બધાનો આભાર માનું છું. ચાલો આપણે યોગની શક્તિનો ઉપયોગ માત્ર સ્વસ્થ અને ખુશ રહેવા માટે જ નહીં, પણ દયાળુ બનવા માટે પણ કરીએ - પોતાના અને એકબીજા પ્રત્યે.
ચાલો યોગની શક્તિનો ઉપયોગ મિત્રતાના સેતુ, શાંતિપૂર્ણ વિશ્વ અને સ્વચ્છ, હરિયાળું અને ટકાઉ ભવિષ્ય બનાવવા માટે કરીએ. ચાલો આપણે સાથે મળીને ધ્યેયને સાકાર કરવા માટે હાથ જોડીએ – “એક પૃથ્વી, એક કુટુંબ, એક ભવિષ્ય”. હું એક ઈચ્છા સાથે સમાપ્ત કરું છું:
Text of PM’s address at the Constitution Day celebrations at Supreme Court
November 26, 2024
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PM releases the Annual Report of the Indian Judiciary 2023-24
Our constitution is not merely a Book of Law, its a continuously ever- flowing, living stream: PM
Our Constitution is the guide to our present and our future: PM
Today every citizen has only one goal ,to build a Viksit Bharat: PM
A new judicial code has been implemented to ensure speedy justice, The punishment based system has now changed into a justice based system: PM
भारत के मुख्य न्यायधीश जस्टिस संजीव खन्ना जी, जस्टिस बीआर गवई जी, जस्टिस सूर्यकांत जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे साथी श्रीमान अर्जुन राम मेघवाल जी, अटॉर्नी जनरल श्री वेंकटरमानी जी, बार काउंसिल के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्र जी, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री कपिल सिब्बल जी, सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति गण, पूर्व मुख्य न्यायधीश गण, उपस्थित अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।
आपको, सभी देशवासियों को संविधान दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। भारत के संविधान का ये 75वां साल, पूरे देश के लिए एक असीम गौरव का विषय है। मैं आज भारत के संविधान को, संविधान सभा के सभी सदस्यों को आदरपूर्वक नमन करता हूं।
साथियों,
हम लोकतंत्र के इस महत्वपूर्ण पर्व का जो स्मरण कर रहे हैं, उस समय ये भी नहीं भूल सकते कि आज मुंबई में हुए आतंकी हमले की भी बरसी है। इस हमले में जिन व्यक्तियों का निधन हुआ, उन्हें मैं अपनी श्रद्धांजलि देता हूं। मैं देश को ये संकल्प भी दोहराता हूं कि भारत के सुरक्षा को चुनौती देने वाले हर आतंकी संगठन को मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा।
साथियों,
संविधान सभा की लंबी बहस के दौरान भारत के गणतांत्रिक भविष्य पर गंभीर चर्चाएं हुई थी। आप सभी उस डिबेट से भली-भांति परिचित हैं। और तब बाबा साहेब आंबेडकर ने कहा था- Constitution is not a mere lawyers’ document…its spirit is always the spirit of Age. जिस स्पिरिट की बात बाबा साहेब कहते थे, वो बहुत ही अहम है। देश-काल-परिस्थिति के हिसाब से उचित निर्णय लेकर हम संविधान की समय-समय पर व्याख्या कर सकें, ये प्रावधान हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें दिया है। हमारे संविधान निर्माता ये जानते थे कि भारत की आकांक्षाएं, भारत के सपने समय के साथ नई ऊंचाई पर पहुंचेंगे, वो जानते थे कि आज़ाद भारत की और भारत के नागरिकों की ज़रूरतें बदलेंगी, चुनौतियां बदलेंगी। इसलिए उन्होंने हमारे संविधान को महज़ कानून की एक किताब बनाकर नहीं छोड़ा...बल्कि इसको एक जीवंत, निरंतर प्रवाहमान धारा बनाया।
साथियों,
हमारा संविधान, हमारे वर्तमान और हमारे भविष्य का मार्गदर्शक है। बीते 75 वर्षों में देश के सामने जो भी चुनौतियां आई हैं, हमारे संविधान ने हर उस चुनौती का समाधान करने के लिए उचित मार्ग दिखाया है। इसी कालखंड में आपातकाल जैसा समय भी आया...और हमारे संविधान ने लोकतंत्र के सामने आई इस चुनौती का भी सामना किया। हमारा संविधान देश की हर जरूरत, हर अपेक्षा पर खरा उतरा है। संविधान से मिली इस शक्ति की वजह से ही...आज जम्मू-कश्मीर में भी बाबा साहेब का संविधान पूरी तरह लागू हुआ है। आज वहां पहली बार संविधान दिवस मनाया गया है।
साथियों,
आज भारत, परिवर्तन के इतने बड़े दौर से गुजर रहा है, ऐसे अहम समय में भारत का संविधान ही हमें रास्ता दिखा रहा है, हमारे लिए गाइडिंग लाइट बना हुआ है।
साथियों,
भारत के भविष्य का मार्ग अब बड़े सपनों, बड़े संकल्पों की सिद्धि का है। आज हर देशवासी का एक ही ध्येय है- विकसित भारत का निर्माण। विकसित भारत का मतलब है, जहां देश के हर नागरिक को एक quality of life मिल सके, dignity of life मिल सके। ये सामाजिक न्याय, सोशल जस्टिस का भी बहुत बड़ा माध्यम है। और ये संविधान की भी भावना है। इसलिए, बीते वर्षों में, देश में लोगों के बीच आर्थिक और सामाजिक समानता लाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। बीते 10 वर्षों में 53 करोड़ से ज्यादा ऐसे भारतीयों का बैंक खाता खुला है...जो बैंक के दरवाजे तक नहीं पहुंच पाते थे। बीते 10 वर्षों में 4 करोड़ ऐसे भारतीयों को पक्का घर मिला है, जो कई-कई पीढ़ियों से बेघर थे, बीते 10 वर्षों में 10 करोड़ से ज्यादा ऐसी महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन मिला है, जो बरसों से अपने घर में गैस पहुंचने का इंतजार कर रही थीं। हमें आज के जीवन में बहुत आसान लगता है कि घर में नल खोला और पानी आ गया। लेकिन देश में आजादी के 75 साल बाद भी सिर्फ 3 करोड़ घर ही ऐसे थे, जिनमें नल से जल आता था। करोड़ों लोग तब भी अपने घर में नल से जल का इंतजार कर रहे थे। मुझे संतोष है कि हमारी सरकार ने 5-6 साल में 12 करोड़ से ज्यादा घरों को नल से जल देकर नागरिकों का और विशेषकर महिलाओं का जीवन आसान बनाया है, संविधान की भावना को सशक्त किया है।
साथियों,
आप सभी जानते हैं कि हमारे संविधान की मूल प्रति में प्रभु श्रीराम, माता सीता, हनुमान जी, भगवान बुद्ध, भगवान महावीर, गुरू गोविंद सिंह जी...सभी के चित्र हैं। भारत की संस्कृति के प्रतीक...इन चित्रों को संविधान में इसलिए स्थान दिया गया ताकि वो हमें मानवीय मूल्यों के प्रति सजग करते रहें। ये मानवीय मूल्य...आज के भारत की नीतियों और निर्णयों का आधार हैं। भारतीयों को त्वरित न्याय मिले, इसके लिए नई न्याय संहिता लागू की गई है। दंड आधारित व्यवस्था अब न्याय आधारित व्यवस्था में बदल चुकी है। महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने के लिए नारी शक्ति वंदन अधिनियम का ऐतिहासिक निर्णय हुआ है। हमने third gender को उनकी पहचान और उनका हक दिलाने के लिए भी कदम उठाए हैं। हमने दिव्यांगजनों के जीवन को आसान बनाने के लिए भी व्यवस्थाएं बनाईं हैं।
साथियों,
आज देश का बहुत ज्यादा जोर, देश के नागरिकों की Ease of Living पर है। एक समय था जब पेंशन पाने वाले सीनियर सीटिजन्स को बैंक में जाकर साबित करना होता था कि वो जीवित हैं। आज सीनियर सिटीज़न्स को घर बैठे ही डिजिटल लाइफ सर्टिफिकेट्स की सुविधा मिल रही है। करीब-करीब डेढ़ करोड़ सीनियर सीटिजन्स अब तक इस सुविधा का लाभ उठा चुके हैं। आज भारत वो देश है जो हर गरीब परिवार को 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा देता है। आज भारत वो देश है, जो 70 वर्ष से ऊपर के हर बुजुर्ग को फ्री हेल्थकेयर की सुविधा देता है। देश के हजारों जनऔषधि केंद्रों पर आज 80 परसेंट डिस्काउंट पर सस्ती दवाइयां मिल रही हैं। एक समय में हमारे देश में इम्यूनाइजेशन की कवरेज भी 60 परसेंट से भी कम थी। करोड़ों बच्चे हर साल टीकाकरण से छूट जाते थे। आज मुझे संतोष है कि अब मिशन इंद्रधनुष की वजह से भारत में इम्यूनाइजेशन की कवरेज शत प्रतिशत पहुंच रही है। आज दूर-सुदूर के गांवों में भी समय पर बच्चों का टीकाकरण हो पा रहा है। इन प्रयासों ने गरीबों की, मध्यम वर्ग की बहुत बड़ी चिंता कम की है।
साथियों,
आज देश में कैसे काम हो रहा है...इसका एक उदाहरण Aspirational District अभियान भी है। देश के 100 से अधिक ऐसे जिले जिन्हें पिछड़ा कहा जाता था...हमने उन्हें Aspirational District माना और वहां हर पैरामीटर में विकास की गति तेज़ की गई है। आज देश के अनेक Aspirational Districts, दूसरे जिलों से बहुत बेहतर कर रहे हैं। अब इसी मॉडल के आधार पर हमने aspirational block program भी शुरु किया है।
साथियों,
लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी से परेशानियां खत्म करने पर भी आज देश का बहुत ज्यादा जोर है। कुछ साल पहले तक भारत में ढाई करोड़ घर ऐसे थे, जो शाम होते ही अंधेरे में डूब जाते थे, उन घरों में बिजली कनेक्शन ही नहीं था। सबको बिजली का मुफ्त कनेक्शन देकर, देश ने उनके जीवन को रोशन कर दिया है। बीते वर्षों में दूर-सुदूर इलाकों में भी हजारों की संख्या में मोबाइल टावर्स लगाए गए हैं...ताकि लोगों को 4G/5G कनेक्टिविटी मिलती रहे। पहले कभी आप अंडमान या लक्ष्यद्वीप जाते थे तो वहां ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी नहीं मिलती थी। आज अंडरवॉटर ऑप्टिकल फाइबर ने ऐसे द्वीपों तक भी अच्छी स्पीड वाला इंटरनेट पहुंचा दिया है। हमारे यहां गांव के घरों, गांव की ज़मीन से जुड़े कितने विवाद होते रहे हैं...ये भी हम भली-भांति जानते हैं। पूरी दुनिया में विकसित देशों के सामने भी लैंड रिकॉर्ड एक बहुत बड़ा चैलेंज रहा है। लेकिन आज का भारत, इसमें भी लीड ले रहा है। पीएम स्वामित्व योजना के तहत, आज गांव के घरों की ड्रोन मैपिंग की जा रही है और लीगल डॉक्यूमेंट इश्यू किए जा रहे हैं।
साथियों,
देश के विकास के लिए आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का तेज निर्माण भी उतना ही जरूरी है। इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रोजेक्ट्स समय पर पूरे होने से देश का धन भी बचता है...और प्रोजेक्ट भी, उसकी उपयोगिता भी बहुत बढ़ जाती है। इसी सोच के साथ प्रगति नाम से एक प्लेटफॉर्म बनाया गया है जिसमें इंफ्रा प्रोजेक्ट्स का रेगुलर रिव्यू होता है। और इनमें से कुछ प्रोजेक्ट्स तो ऐसे थे जो 30-30, 40-40 साल से पेंडिंग थे। मैं खुद इसकी मीटिंग्स को चेयर करता हूं। आपको जानकर अच्छा लगेगा कि अभी तक 18 लाख करोड़ रुपए के ऐसे प्रोजेक्ट्स को रिव्यू करके, उनके सामने की अड़चनों को दूर किया जा चुका है। समय पर पूरे हो रहे प्रोजेक्ट्स लोगों के जीवन पर बहुत सकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। देश में हो रहे ये प्रयास...देश की प्रगति को भी गति दे रहे हैं और संविधान की मूल भावना को भी सशक्त कर रहे हैं।
साथियों,
मैं अपनी बात डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी के शब्दों के साथ समाप्त करना चाहूंगा...26 नवंबर...आज के ही दिन 1949 में संविधान सभा में अपने समापन भाषण में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जी ने कहा था...“भारत को आज ईमानदार लोगों के एक समूह से ज्यादा कुछ नहीं चाहिए जो अपने हितों से आगे देश का हित रखेंगे। नेशन फर्स्ट, राष्ट्र सर्वप्रथम की यही भावना भारत के संविधान को आने वाली कई-कई सदियों तक जीवंत बनाए रखेगी। मैं, संविधान ने मुझे जो काम दिया है, मैंने उसी मर्यादा में रहने का प्रयास किया है, मैंने कोई encroachment की कोशिश नहीं की है। क्योंकि संविधान ने मुझे वो काम कहा इसलिए मैंने अपनी मर्यादाओं को संभालते हुए अपनी बात को रखा है। यहां तो इशारा ही चल रहा होता है ज्यादा कुछ कहने की जरूरत नहीं होती है।