QuoteSwami Vivekananda an inspiration for all youth and a shining example of how much could be accomplished in a short time-span: PM Modi 
QuoteEarlier people were inspired to die for the nation. Today it is about living for the nation & doing something for India: PM
QuoteThe 125 crore people are united in an objective of taking the nation to new highs: PM Narendra Modi
QuoteEntire world is looking at India with so much hope because India is a land of opportunities: PM Modi
QuoteA youth is one who works towards his future goals, unmindful of the past: Prime Minister Modi
QuoteWithout peace, unity and harmony, development cannot have any meaning: PM Narendra Modi
QuoteIndia has shown the world, that a land of such diversity, has a unique spirit to stay together: PM Modi
QuoteIndia's objective is to give youth the opportunities to make this century an Indian century: PM
QuoteIf India can be a manufacturing hub, it is not because we have a market or raw materials...it is because we have skilled youngsters: PM
Quote“Dignity of labour” must be inculcated among people: PM Narendra Modi
QuoteDevelopment is about transforming the lives of the poor: Prime Minister Modi

भारत के कौने –कौन से आए मेरे नौजवान साथियों।

आज 12 जनवरी स्‍वामी विवेकानंद जी की जन्‍म जयंती हम युवा दिवस के रूप में मनाते हैं। इस देश में दो महापुरूषों को इस देश का युवा विशेष रूप से नमन करता रहा है। अगर कोई हमारे सामने भगत सिंह का नाम लें या कोई हमें स्‍वामी विवेकानंद की याद दिला दें तो उसी पल हमारा माथा उन महापुरूषों के चरणें में झुक जाता है। बहुत ही छोटी आयु में कोई क्‍या कर सकता है। अगर जीवन में संकल्‍प का सामर्थ्‍य हो, संकल्‍प के लिए समर्पित भाव हो और जीवन आहूत करने की अदम्‍य इच्‍छा हो, तो व्‍यक्ति के लिए उम्र कोई मायना नहीं रखती। मेरे सामने देश के हजारों युवक बैठे हैं, वो हिंदुस्‍तान के कौने-कौने से आए हैं। उनका लालन-पालन अलग-अलग हुआ है। उनकी खान-पान की आदतें अलग है, उनकी बोली अलग है, उनका पहनाव अलग है, लेकिन उसके बावजूद भी ये सारे नौजवान इस एक बात से जुड़े हुए हैं। उनके मन मंदिर में एक मंत्र लगातार गूंजता रहा है। और वह ही हम सब की प्रेरणा है। और वो मंत्र क्‍या है? आजादी के आंदोलन के समय जिस वंदे मारतरम की गूंज ने कश्‍मीर से कन्‍या कुमारी अटक से कटक पूरे हिंदुस्‍तान को आजादी के आंदोलन में पिरो दिया है। एक मंत्र होता है जो जीवन में कुछ कर दिखाने की प्रेरणा बन जाता है। आज वही मंत्र चाहे उसको भारत मां की जय के रूप में कहते हो, चाहे वंदे मातरम के रूप में कहते हो। पहले मां भारती को गुलामी की जंजीरों से मुक्‍त कराने के लिए वो हमारी ताकत बन गया था। और आज आजाद हिंदुस्‍तान में भारत को नई ऊचाईयों पर ले जाने के लिए, विकास की नई ऊंचाईयों को सिद्ध करने के लिए, समस्‍याओं से मुक्ति दिलाने के लिए, हिंदुस्‍तान के गांव, गरीब किसान, मजदूर उनके जीवन में बदलाव लाने के लिए यही मंत्र हमारी प्रेरणा बनता है। पहले देश के लिए मरने की प्रेरणा देता था। आज वही मंत्र हमें देश के लिए जीने की प्रेरणा देता है। और आप सब नौजवान अपने लिए नहीं, देश के लिए कुछ करने के इरादे से किसी न किसी संकल्‍प से बंधे हुए हैं। आप कुछ करना चाहते हैं। और यह देश प्रगति तब करता है जब सवा सौ करोड़ देशवासी किसी न किसी संकल्‍प से बंधे हो। उस संकल्‍प की पूर्ति के लिए कुछ कदम चलने के लिए प्रयासरत हो। मंजिल को पाने के लिए अविरत कोशिश करते हो, तो देश अपने आप उस मंजिलों को पार कर जाता है।

आज पूरे विश्‍व का परिवेश देखे पूरा विश्‍व आज भारत की तरफ एक बड़ी आशा भरी नजर से देख रहा है। क्‍यों ? इसलिए कि हिंदुस्‍तान एक संभावनाओं का देश है। आपार अवसर जहां इंतजार कर रहे हैं। दुनिया इसलिए हिंदुस्‍तान की तरफ देख रही है, क्‍योंकि आज हिंदुस्‍तान विश्‍व का सबसे युवा देश है। 65 प्रतिशत जनसंख्‍या 35 से कम आयु की हो, वो देश कितना सौभाग्‍यशाली है कि जिसके पास कोटि-कोटि युवा लोग हैं। और जहां युवा होता है, वहां संकल्‍पों की कोई मर्यादाएँ नहीं होतीं, सीमाएँ नहीं होतीं। कभी-कभार हमारे देश में युवा की परिभाषा को लेकर अलग-अलग हमें बातें सुनने को मिलती है। शासत्रों से ले करके अब तक युवा की परिभाषा बहुत हो चुकी है। हर किसी का अपना नजरिया होता है। कुछ लोगों के लिए उम्र का दायरा यह युवा की पहचान के रूप में माना जाता है। मैं कभी-कभी सोचता हूं कि युवा यह परिस्थिति का नाम नहीं है। युवा यह मनस्थिति का नाम है। मनस्थिति है, जो युवा की परिचायक होती है। जब कोई व्‍यक्ति अपने बीते हुए पल को बार-बार याद करता है, दोहराता रहता है तो मैं यह सीधा-सीधा अर्थ निकालता हूं कि वो अपनी युववाणी खो चुका है। वो बुढ़ापे की आरे चल चुका है। लेकिन जो बीते हुए कल को बार-बार दोहराने की बजाय आने वाले कल के सपने संजोता रहता है, वो उसके लिए मेरा मन हमेशा कहता है वो सच्‍चे अर्थ में युवा है। अगर आप अपने आप को युवा मानते हो तो युवा वो है जो बीते हुए कल की बातों को दोहरा करके अपने समय को बर्बाद नहीं करता है, लेकिन जो आने वाले सपनों को संजोने के लिए पल-पल प्रयास करता है और हर सपने को साकार करने के लिए अपने आप को खपा देता है।

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देशभर से आए हुए युवा उन सपनों का सम्‍पुट है। हम देशभर के लोग विविधताओं के बीच यहां बैठे हैं, क्‍या कारण है। वो कौन सा कारण हमें जोड़ रहा है। सद्भावना यह अपने आप में एक बहुत बड़ी शक्ति होती है। क्‍या हमारे अंदर एक दूसरे के प्रति आदर-भाव न होता, सद्भाव न होता। अपनेपन का कोई नाता न होता, तो हम इतनी अपने आप से जुड़ सकते? भारत विकास करना चाहता है और इस बार आपकी इस युवा परिषद का विषय भी बड़ा महत्‍वपूर्ण है। एक तरफ व्‍यक्ति का, उसके सामर्थ्‍य का और युवा से जुड़े हुए विषय को ले करके आया है उसका एक पहलू है skill, दूसरा है भारत का क्‍या हो तो कहते है विकास। और तीसरी बात आपने कही है कैसे हो तो वो है सद्भाव। क्‍या, क्‍यों, कैसे? इस बात को ले करके इस समारोह को आप चार दिन चर्चा के लिए आज प्रारंभ कर रहे हैं। अगर हमारे देश में एकता नहीं होगी, जन-जन के प्रति सद्भाव नहीं होगा, आदर भाव नहीं होगा, दूसरे की परंपराएं, दूसरे के विचार, उसके प्रति अगर सम्‍मान का भाव नहीं होगा, तो शायद भारत को प्रगति में रुकावटें आएंगी, विकास में रुकावटें आएंगी और इसलिए समय की मांग है और हर नौजवान के जीवन का एक व्‍यवहार है कि हम शांति, एकता, सद्भावना, जो भारत जैसे विविधताओं से भरे हुए देश के लिए प्रगति की गारंटी है। भारत के पास सब कुछ हो, धन हो, दौलत हो, बेशुमार पैसे हों, हर नौजवान को नौकरी हो, हर परिवार में सुख और सम्‍पन्‍नता हो, लेकिन, लेकिन अगर देश में शांति, एकता और सद्भावना नहीं होगी, तो वो सारी सम्‍पत्ति किसी के काम नहीं आएगी। न वो देश का गौरव बढ़ाएगी, न आने वाली पीढि़यों के लिए भविष्‍य का कोई रास्‍ता बनाएगी। और इसलिए हम विकास कितना ही करें, कितनी ही ऊंचाइयों को पार करें, लेकिन शांति, एकता और सद्भावना, ये भारत की पहली आवश्‍यकता रहती है।

और भारत ने दुनिया को दिखाया है कि जिस देश के पास सैंकड़ों बोलियां हो, अनेक भाषाएं हों, अनेक परम्‍पराएं हों, अनगिनत विविधिताएं हों, उसके बाद भी साथ जीने-मरने का स्‍वभाव हो, ये हमारी बहुत बड़ी विरासत हैं जो हमारे पूर्वजों ने हमें दी हैं, स्‍वामी विवेकानंद जैसे महापुरुषों ने दी हैं और इसे हमने संजो के रखना है।

वेद से विवेकानंद तक और उपनिषद से उपग्रह तक हम इसी परम्‍परा में पले-बढ़े हैं। उस परम्‍पराओं को बार, बार, बार, बार स्‍मरण करते हुए, संजोते हुए भारत को एकता के सूत्र में बांधने के लिए सद्भावना को सेतु उसको हम जितना बल दें, देते रहना होगा।

उसी प्रकार से अगर व्‍यक्ति के जीवन में सामर्थ्‍य नहीं होगा तो राष्‍ट्र के जीवन में सामर्थ्‍य कहां से आएगा? 21वीं सदी एशिया की सदी है कहते हैं, 21वीं सदी हिदुस्‍तान की सदी बन सकती है कैसे? जब हम, हमारे देश के युवा शक्ति के समार्थ्‍य को पहचानेंगे। विकास यात्रा में उसको पिरोयें और विकास की ऊंचाइयों को पार करने के लिए उसे हम अपना भागीदार बना लें। तब जा करके, तब जा करके हम राष्‍ट्र के सपनों को पूरा कर सकते हैं। अनेक मार्ग हैं, उसमें एक महत्‍वपूर्ण मार्ग है हुनर, skill development, हमारे देश के नौजवान के हाथ में सिर्फ कागज और कलम होगी तो देश आगे नहीं बढ़ सकता है। अपार ज्ञान का भंडार तो हो ही हो, कागज और कलम का सामर्थ्‍य तो हो ही हो, लेकिन देश को आगे बढ़ने के लिए हुनर चाहिए, skill चाहिए, बदले हुए युग में जहां technology एक महत्‍वपूर्ण रोल अदा कर रही है, भारत के एक manufacturing hub बनने की संभावना है। अगर भारत दुनिया का एक manufacturing hub बन सकता है तो उसका पहला कारण ये नहीं है कि हमारे पास raw material है, पहला कारण ये नहीं है कि हमारे पास market है, पहला कारण ये नहीं है कि हमारी आवश्‍यकता है, पहला कारण ये है कि हमारे देश के पास, नौजवानों के पास अगर हुनर है तो वो सबसे बड़ी ताकत है। और इसलिए हमारी सरकार ने skill को, हुनर को बहुत महत्‍व दिया है।

देश की आजादी के बाद पहली बार skill development एक अलग ministry बनाई गई, skill development की अलग policy बनाई गई, skill development के लिए अलग बजट बनाया गया और हिन्‍दुस्‍तान में एक ऐसी जाल बिछाने की कोशिश है कि गरीब से गरीब व्‍यक्ति, अनपढ़ से अनपढ़ व्‍यक्ति भी अपने जीवन में कुछ करने के लिए इच्‍छा करता है तो उसको सीखने का अवसर मिलना चाहिए, उसके हाथ में कोई हुनर होना चाहिए और वो हुनर को प्राप्‍त कराने के लिए सरकार पुरजोर प्रयास कर रही है।

हमारे छत्‍तीसगढ़ में रमन सिंह जी ने तो skill को एक अधिकार के रूप में develop किया है। उन्‍होंने कानूनी व्‍यवस्‍था का प्रयास किया है। मैं पिछली बार जब छत्‍तीसगढ़ आया था तो skill development किस प्रकार के उन्‍होंने काम की रचनाएं की हैं उसको मैंने अपनी आंखों से देखा। जहां नक्‍सलवाद, नौजवानों को गुमराह करने के लिए भरपूर कोशिश करता है, उसी इलाके में, उसकी छाती पर, skill development के द्वारा सपनों को संजोने के प्रयास छत्‍तीसगढ़ में हो रहे हैं। ये बधाई के पात्र हैं। और जब आप छत्‍तीसगढ़ में हैं तो आपको बहुत सी बातें सुनने को मिलेंगी कि नौजवानों के विकास के लिए क्‍या-क्‍या वहां हो रहा है।

मैं ये ही आपसे कहना चाहता हूं कि हम भी इस बात को ले करके आगे बढ़ना चाहते हैं कि देश में skill development को कैसे बल दिया। skill development से मैं एक बात आप नौजवानों से कहना चाहता हूं, दुर्भाग्‍य से हमारे देश में हम लोगों ने एक ऐसी मनस्थिति बना ली है जो दिमाग से काम करता है वो बड़ा है और जो हाथ से काम करता है वो छोटा है। इस मनस्थिति को बदलना पड़ेगा। हम हमारी मां का इतना सम्‍मान करते हैं, मां का आदर करते हैं, हमारी मां कहा है। बहुत कम लोग होंगे जिसकी मां को दिमाग से काम करने का अवसर मिला है। बाकी सब लोग हम ऐसे हैं जिनकी मां हाथ से काम करती है, कपड़े धेाती हैं, खाना पकाती है, झाड़ू लगाती है, और उस मां का हम सम्‍मान करते हैं, मां का गौरव करते हैं। लेकिन समाज में हाथ से काम करने वाला हमें छोटा लगता है, बढि़या कपड़े पहन करके टेबल-कुर्सी पर बैठा हुआ बाबू हमें बड़ा लगता है, लेकिन हमें कोई ऑटो-रिक्‍शा का ड्राइवर हमें छोटा लगता है। कोई plumber, कोई mechanic , कोई turner, कोई fitter, कोई wireman, कोई फूलों का गुलदस्‍ता बनाने वाला, ये हमें छोटे लगते हैं, हमारी ये मानसिकता हमें बदलनी होगी। हमें उनके प्रति भी सद्भाव पैदा करना होगा और सद्भाव तब होगा जब शुरूआत समभाव से होगी। मेरे में और उसमें कोई अन्‍तर नहीं है, हमारे और उसके बीच में एक समभाव है। जब समभाव होगा तो सद्भाव अपने-आप पनपने लग जाएगा और इसलिए white caller job and blue caller job, ये शब्‍द हमारे यहां चल रहे हैं। जो अपने पैरों पर खड़ा है। जो अपने पैरों पर खड़ा है। जो अपने हाथ की ताकत से अपनी जिंदगी बनाता है। जिसकी उंगलियों में नया करने का दम होता है। उससे बड़ा गौरव करने के लिए क्‍या हो सकता है। और इसलिए हम skill development पर बल देना चाहते हैं। हम समाज में एक मनोवैज्ञानिक बदलाव लाना चाहते हैं। कोई काम छोटा नहीं होता और इसलिए हमने एक movement चलाया है। श्रम एव जयते। dignity of labor हम बल दे रहे हैं उस पर और इसलिए कभी-कभी क्‍या लगता है। कितना ही गरीब व्‍यक्ति हो, उसके मन में मनोवैज्ञानिक प्रभाव पैदा हो गया है कि जब तक बेटा graduate नहीं होता, मां-बाप को भी संकोच होता है कि कोई रिश्‍तेदारों को परिचय क्‍या करवाएं। और इसलिए उसको लगता है कि graduate होना बहुत अनिवार्य है। लेकिन क्‍या सातवीं कक्षा पास, 10वीं कक्षा पास बेटा ITI में गया हो। और Technically बड़ा सामर्थ्‍यवान हो तो उनको संकोच होता है, परिचय करवाने में। यह psychology को बदलना है। यह आवश्‍यक नहीं है कि हमारे पास graduate होने का प्रमाण पत्र हो और बेरोजगारी की जिंदगी हो। हम सातवीं क्‍यों न पास हो, 10वीं पास क्‍यों न हो, हमारे हाथ में हुनर होना चाहिए और अपने पसीने से पैसों को पैदा करने की ताकत होनी चाहिए। ऐसे समाज की अवस्‍था होनी चाहिए और इसलिए नौजवानों में बल देने का प्रयास हम कर रहे हैं। हम विकास की ओर जाना चाहते हैं। और विकास का मेरा सीधा-सीधा मतलब है। देश के गरीबों की जिंदगी में बदलाव, हिंदुस्‍तान के गावों की जिंदगी में बदलाव। गांव में अच्‍छी शिक्षा हो, गांव में अस्‍पताल हो, बच्‍चों को पढ़ने के लिए अच्‍छा टीचर हो। बूढ़े अगर बीमार हैं तो अच्‍छा डॉक्‍टर हो। सस्‍ती दवाइयां हो, रहने के लिए अच्‍छा घर हो। गांव में आने-आने के लिए अच्‍छे रास्‍ते हो, पीने के लिए शुद्ध पानी हो। आजादी के इतने सालों के बाद भी हम इसको पूरा नहीं कर पाए हैं और उसको पूरा करना हमारा एक दायित्‍व है। और विकास, यही विकास है। विकास यानी यह नहीं है कि हम कितने बड़े-बड़े भवन बनाते हैं। और कितनी बड़ी संख्‍या में बाबूओं को तैयार करते हैं। और इसलिए हमारा विकास का मॉडल सामान्‍य मानव की जिंदगी में बदलाव लाना है। और सामान्‍य मानव की जिंदगी में बदलाव लाने के लिए हमने skill development को महत्‍व दिया है।

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आने वाले दिनों में चार दिन के बाद 16 तारीख को हमें एक कार्यक्रम को लॉन्‍ज कर रहे हैं – Startup India Standup India हमारे देश के नौजवानों के पास कल्‍पकता के वो धनी है, अनेक नई चीजों की उनके पास सोच है, समस्‍याओं के समाधान के लिए वो रास्‍ते खोजते हैं। हमारे यहां गांव में हमने देखा होगा खेत में काम करने वाला व्‍यक्ति भी अपने आप Technology develop कर देता है और उस Technology से अपना काम कर लेता है। अपनी एक ही मोटर साइकिल होगी, उस मोटरसाइकिल से दस प्रकार के काम लेना गांव का आदमी जानता है। इसका मतलब कि हमारे पास innovative सोच, innovation यह भारत के पास हैं। लेकिन उसे प्रतिष्‍ठा कैसे मिले, पुरस्‍कार कैसे मिले, प्रोत्‍साहन कैसे मिले, आगे बढ़ने के लिए रास्‍ता कैसे मिले। उस दिशा में सरकार एक गंभीरता से सोच करके उस योजना को लागू कर रही है। 16 तारीख को जब यह बड़ा कार्यक्रम होगा आप भी अपने-अपने इलाके में कहीं पर वीडियो कॉनफ्रेंस के द्वारा अगर इस कार्यक्रम में शरीक होते हैं, तो आपने शरीक होने का प्रयास करना चाहिए। और skill development का next stage होता है Startup India उसी प्रकार से सरकार ने मुद्रा योजना घोषित की है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना।

हमारे देश में बहुत लोग हैं जिनके पास कुछ करने की इच्‍छा है। लेकिन पैसों के आभाव में कर नहीं पाते। वो unfunded है। बैंकों के दरवाजे उनके लिए खुले नहीं थे। हमने बदलाव लाया और बैंकों के दरवाजों को खोल दिया।

बैंकों को, दरवाजों को खोल करके मुद्रा योजना के तहत उन नौजवानों को पैसे देने का प्रयास शुरू किया है और मुझ खुशी है कि बहुत ही कम समय में ये जो योजना बनाई गई, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, करीब-करीब दो करोड़ लोगों को बैंक से बिना कोई गारंटी, पैसे दिए गए। इतने कम समय में बैंकों के द्वारा दो करोड़ लोगों को पैसे मिल रहा है और करीब-करीब 80 हजार करोड़ रुपये नौजवानों के हाथ में रख दिए हैं। नौजवानों पर मेरा भरोसा है। देश की युवा शक्ति पर भरोसा है। देश के सपने अगर कहीं पर निवास करते हैं तो देश के युवा दिलों में रहते हैं। और इसलिए उस पर हमने ध्‍यान केंद्रित किया है। मैं चाहता हूं कि जो लोग कुछ कर गुजरना चाहते हैं, वे नौकरी की तलाश क्‍यों करें, अपने पैरों पर खड़े क्‍यों न हों। मैं नहीं चाहता हूं मेरे देश का नौजवान job seeker बने, मैं चाहता हूं मेरे देश का नौजवान job creator बने। मैं ऐसी जिंदगी जिऊंगा कि दो-चार और पांच लोगों को मैं कोई न कोई रोजगार दूंगा, ये भी हमारा सपना होना चाहिए। मैं रोजगार के लिए तड़पने वाला नौजवान नहीं हो सकता हूं, मैं रोजगार देने वाला एक साहसिक नौजवान हो सकता हूं। और ये ही तो जिंदगी का लक्ष्‍य होना चाहिए कि मैं ओरों के लिए कुछ कर सकता हूं। और एक बार ये सपना ले करके चलोगे तो कर भी पाओगे। और इसलिए आप अगर उस बात को ले करके चलते हैं तो मेरा आपसे अनुरोध है, मैं आपको विश्‍वास दिलाना चाहता हूं, मैं आपके साथ हूं। ये सरकार आपके साथ है, ये पूरा हिन्‍दुस्‍तान आपके साथ है। आप उस लिए सपने संजो करके ले करके निकलिए। और इसीलिए skill development का अपना एक महत्‍व है, start-up India, stand up India का महत्‍व है, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का महत्‍व है।

मैंने अभी एक स्‍वच्‍छता का अभियान चलाया है। 15 अगस्‍त को मैंने लालकिले से कहा था, लेकिन मैं आज गर्व से कह सकता हूं कि वो स्‍वच्‍छता अभियान किसी प्रधानमंत्री का अभियान नहीं है, वो नरेंद्र मोदी का अभियान नहीं है। देश के हर नागरिक ने इसको अपना बना लिया है। हर कोई उसमें कुछ न कुछ करना चाहता है। अभी मैंने कहा 26 जनवरी को हमारे महापुरुषों के जितने statue हैं, उसकी सफाई एक नागरिक के नाते हम क्‍यों न करें? और मेरे पास खबरें हैं कि देश भर में इतने नौजवान आगे आए हैं, इतने स्‍कूल कॉलेज आगे आए हैं, इतने संगठन आगे आए हैं, even मुझे बताया गया नेहरू युवा केंद्र हो, NCC हो, NSS हो, ये सब लोग मैदान में आए हैं। सबने तय कर लिया है कि अब हमारे गांव में महापुरुषों के statue और वो परिसर हम गंदा नहीं रहने देंगे। कुछ लोगों ने तो 26 जनवरी का भी इंतजार नहीं किया है और already काम शुरू कर दिया है। यही तो देश की ताकत होती है। लेकिन पहला एक समय था, हम सब देखते थे हां ये महापुरुष की प्रतिमा है, फिर बात भी करते देखो यार कितना गंदा है, कोई संभालता नहीं है। आज, आज हर कोई चर्चा करता है, यार ये हमारे गांव के अंदर ये छह महापुरुषों के पुतले हैं उसकी सफाई हम करेंगे। एक नया माहौल बना है। नेहरू युवा केंद्र के और NSS के नौजवानों ने इसका बीड़ा उठाया है। मुझे विश्‍वास है बहुत बड़ी सफलता मिलेगी।

इस बार आप पिछले करीब 20 साल से ये समागम करते आए हैं, मेरी आपसे आग्रह है, मेरा आपसे अनुरोध है, इस बार जाने से पहले आप 2019 का कोई संकल्‍प ले करके जा सकते हैं क्‍या और 2019 तक हम इतना करेंगे। मैं 2019 इसलिए कह रहा हूं कि 2019 महात्‍मा गांधी की 150वीं जयंती है। महात्‍मा गांधी को स्‍वच्‍छता बहुत पसंद थी। 2019 तक का हमारा कोई time table बना करके हम जा सकते हैं क्‍या। और हम हर महीने उसका लेखा-जोखा लें, हिसाबा-किताब करें, संकल्‍प तय करें, योजना बनाएं, रोडमैप बनाएं और आंखों को दिखने वाला परिवर्तन ला करके रहें और दूसरा सपना 2022 का हम लें।

एक 2019 का हमारा रोडमैप और दूसरा 2022 का रोडमैप हम लें। 2022 इसलिए कि भारत की आजादी के 75 साल हो रहे हैं। हिंदुस्‍तान की आजादी के 75 साल हम कैसे मनाएंगे। अभी से हम कैसी तैयारियां करेंगे। हम अपने आप को उसके लिए उसको कैसे तैयार करेंगे। हमारी अपनी संस्था हो, हमारा परिवार हो, हम व्‍यक्ति हो, हम खुद क्‍या कर सकते हैं। इस पर हम सोचते हैं। और इसलिए रायपुर से आप जब निकले तब 2019 और 2022 कोई न कोई लक्ष्‍य निर्धारित करके उसका रोडमैप तय करके निकलिए । उसके लिए कौन समय देगा, कितने घंटे देगा। यह संकल्‍प ले करके चलिए। उसी प्रकार से मैं विशेष रूप से नौजवानों का एक बात के लिए आभार व्‍यक्‍त करना चाहता हूं कि आज के इस युवा समारोह के लिए मैंने देश के नौजवानों को आग्रह किया था कि आप मुझे नरेंद्र मोदी एप आप मोबाइल पर उसको download कर सकते हैं। नरेंद्र मोदी एप पर अपने सुझाव भेजिए। मुझे इस बात का गर्व है कि देश के हर कौने से हजारों नौजवानों ने मुझे हजारो सुझाव भेजे। देश का नौजवान कितना जागरूक है और नरेंद्र मोदी एप मेरे लिए एक सरल माध्‍यम बन गया है कि मैं सीधे आपसे जुड़ जाता हूं। मैं उन सभी नौजवानों का अभिनंदन करना चाहता हूं, जिन्‍होंने समय निकाल करके, सोच करके देश के काम आने के लिए अपने विचारों से मुझे लाभान्वित कराया। हजारों नौजवानों ने मुझे सुझाव भेजे, मैं उन सबका आभारी हूं।

26 जनवरी मैंने देश के सामने, देश के नौजवानों के सामने एक विषय रखा है और आग्रह किया है कि हमारे यहां एक चर्चा होनी चाहिए। अधिकार और कर्तव्‍य। भारत के संविधान ने हमें दोनों जिम्‍मेदारियां दी हैं। लेकिन आजादी के बाद ज्‍यादातर हम लोगों की प्राथमिकता अधिकार पर रही है। कर्तव्‍य ज्‍यादातर व्‍यक्तिगत स्‍वभाव से जुड़ गया, समाज स्‍वभाव से छूट गया। कर्तव्‍य सामाजिक स्‍वभाव बनाना है। कुछ लोगों को कर्तव्‍य में रूचि हो, कर्तव्‍य करते रहे इससे देश नहीं चल सकता। सवा सौ करोड़ देशवासियों का कर्तव्‍य का भी स्‍वभाव बनना चाहिए। और अगर एक बार कर्तव्‍य की हवा बन जाती है तो अधिकारों की रक्षा अपने आप हो जाती है। मैं चाहूंगा कि 26 जनवरी को मैंने पिछली मन की बात में इस बार तो कहा, कईयों ने इस बात को आगे बढ़ाया है। आप भी इस बात को आगे बढ़ाएं ऐसी मैं अपेक्षा करता हूं। छत्‍तीसगढ़ का प्‍यार छत्‍तीसगढ़ की मेहमाननवाजी, आप सबको बहुत याद रहेगी। मेरा सौभाग्‍य रहा मुझे छत्‍तीसगढ़ में बहुत लम्‍बे अर्से तक रहने का अवसर मिला है, इसलिए मैं उनके प्‍यार को भली-भांति समझता हूं। उनके स्‍वागत करने की परंपरा को भली-भांति समझता हूं। लेकिन मैं इस बार इसका आनंद नहीं ले पा रहा हूं। क्‍योंकि कुछ जिम्‍मेदारियां यहां भी मेरे सिर पर रहती हैं। लेकिन मैं मन से आपके साथ हूं। इस समारोह की मैं सफलता के लिए शुभकामनाएं देता हूं और देख सकते हैं कि संकटों के बीच में भी कैसी जिंदगी गुजारी जा सकती है। छत्‍तीसगढ़ कुछ वर्षों से नक्‍सलवाद के कारण परेशान है। माओवाद के कारण परेशान है। और मैं नौजवानों को कहता हूं। हमारे हाथ में हुनर होना चाहिए, हत्‍या करने के लिए हमारा हाथ कभी काम नहीं आना चाहिए। यह हाथ हुनर से नए सपनों को संजोने के लिए काम आना चाहिए। यह हाथ किसी के सपनों को समाप्‍त करने के लिए हत्‍या का कारण नहीं बनना चाहिए। छत्‍तीसगढ़ के नौजवानों ने माओवाद की इस भयानकता के बीच भी छत्‍तीसगढ़ को भरपूर बढ़ाने का प्रसास किया है। छत्‍तसीगढ़ को नई ऊंचाईयों पर ले जाने की कोशिश की है। संकटों के बीच भी समाधान के रास्‍ते निकाले जा सकते हैं। संकटों के बीच में भी विकास की यात्रा की जा सकती है। संकटों के बीच भी संकल्‍पों को पूरा किया जा सकता है। यह छत्‍तीसगढ़ से हम अनुभव कर सकते हैं। आज उस धरती में हैं, रायपुर में हैं। आपको प्रेरणा मिलेगी। मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं। और हमारे खेल मंत्री श्रीमान सोनेवाल जी, वो आपके बीच में हैं। बड़े उत्‍साही हैं। जरूर उनका लाभ मिलेगा आपको। आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं, बहुत बहुत धन्‍यवाद।

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78મા સ્વતંત્રતા દિવસનાં પ્રસંગે લાલ કિલ્લાની પ્રાચીર પરથી પ્રધાનમંત્રી શ્રી નરેન્દ્ર મોદીનાં સંબોધનનો મૂળપાઠ

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New India is moving ahead with the mantra of 'Development as well as Heritage': PM Modi in Anandpur Dham, Madhya Pradesh
April 11, 2025
QuoteNew India is moving ahead with the mantra of 'Development as well as Heritage': PM
QuoteOur country is the land of sages and saints; whenever our society goes through a difficult phase, they give a new direction to the society: PM
QuoteThe resolve to uplift the poor and the deprived, the mantra of 'Sabka Saath, Sabka Vikas', this spirit of service is the policy and commitment of the government: PM
QuoteIn a country like India, our culture is not only linked to our identity, It is our culture that strengthens our potential: PM

जय सच्चिदानंद जी !!!

स्वामी विचार पूर्ण आनंद जी महाराज जी, राज्यपाल मंगूभाई पटेल, मुख्यमंत्री मोहन यादव , कैबिनेट में मेरे साथी ज्योतिरादित्य सिंधिया जी, सांसद वी. डी. शर्मा जी, सांसद जनार्दन सिंह सीग्रीवाल जी, मंच पर उपस्थित अन्य महानुभाव, और मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, यहां बहुत बड़ी संख्या में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और पूरे देश से श्रद्धालु आए हैं।मैं आप सभी का अभिनंदन करता हूं।

साथियों,

श्री आनंदपुर धाम में आकर आज मन अभिभूत है। अभी मैंने गुरु जी महाराज के मंदिर में दर्शन किए। वाकई, हृदय आनंद से भर गया है।

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साथियों,

जिस भूमि का कण-कण संतों की तपस्या से सींचा गया हो, जहां परमार्थ एक परंपरा बन चुका हो, जहां सेवा के संकल्प मानवता के कल्याण का पथ प्रशस्त करते हों, वो धरती साधारण नहीं है। और इसीलिए, हमारे संतों ने अशोक-नगर के बारे में कहा था, कि यहाँ शोक आने से डरता है। मुझे खुशी है कि आज यहाँ बैसाखी और श्री गुरु महाराज जी के अवतरण दिवस के उत्सव में मुझे शामिल होने का सौभाग्य मिला है। मैं इस पवित्र अवसर पर प्रथम पादशाही श्री श्री एक सौ आठ श्री स्वामी अद्वैत आनंद जी महाराज और अन्य सभी पादशाही संतों को प्रणाम करता हूँ। मुझे जानकारी मिली है, कि आज ही के दिन 1936 में, श्री द्वितीय पादशाही जी को महासमाधि दी गई थी। आज के ही दिन 1964 में श्री तृतीय पादशाही जी, निज स्वरुप में लीन हुए थे। मैं इन दोनों सद्गुरु महाराज जी के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं। मैं मां जागेश्वरी देवी, मां बीजासन, मां जानकी करीला माता धाम को भी प्रणाम करता हूं और आप सभी को बैसाखी और श्री गुरु महाराज जी के अवतरण उत्सव की बधाई देता हूं।

साथियों,

हमारा भारत ऋषियों, मनीषियों और संतों की धरती है। जब-जब हमारा भारत, हमारा समाज किसी मुश्किल दौर से गुजरता है, कोई न कोई ऋषि, मनीषी इस धरती पर अवतरित होकर समाज को नई दिशा देता है। हम पूज्य स्वामी अद्वैत आनंद जी महाराज के जीवन में भी इसकी झलक देख सकते हैं। एक समय था, जब आदि शंकराचार्य जैसे आचार्यों ने अद्वैत दर्शन के गहरे ज्ञान की व्याख्या की थी। गुलामी के कालखंड में समाज उस ज्ञान को भूलने लगा था। लेकिन उसी कालखंड में ऐसे ऋषि-मुनि भी आए, जिन्होंने अद्वैत के विचार से राष्ट्र की आत्मा को झकझोरा। इसी परंपरा में पूज्य अद्वैत आनंद जी महाराज ने भारत के जन-सामान्य तक इसे पहुंचाने का बीड़ा उठाया। महाराज जी ने अद्वैत के ज्ञान को हम सभी के लिए और सरल बनाया, उसे सामान्य मानवी के लिए सुलभ कर दिया।

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साथियों,

आज दुनिया में भौतिक उन्नति के बीच मानवता के लिए युद्ध, संघर्ष और मानवीय मूल्यों से जुड़ी कई बड़ी चिंताएँ भी हमारे सामने हैं। इन चिंताओं, इन चुनौतियों की जड़ में क्या है? इनकी जड़ में है- अपने और पराए की मानसिकता! वो मानसिकता- जो मानव को मानव से दूर करती है। आज विश्व भी सोच रहा है, इनका समाधान कहाँ मिलेगा? इनका समाधान मिलेगा, अद्वैत के विचार में! अद्वैत यानी, जहां कोई द्वैत नहीं है। अद्वैत यानी, जीव मात्र में एक ही ईश्वर को देखने का विचार! इससे भी आगे, सम्पूर्ण सृष्टि को ईश्वर का स्वरूप देखने की सोच ही अद्वैत है। इसी अद्वैत सिद्धान्त को परमहंस दयाल महाराज सरल शब्दों में कहते थे- जो तू है सो मैं हूं। सोचिए, कितनी सुंदर बात है, जो तू है सो मैं हूं। ये विचार ‘मेरे और तुम्हारे’ का भेद खत्म कर देता है। और विचार सब मान लें तो सारे झगड़े ही खत्म हो जाएं।

साथियों,

अभी कुछ देर पहले मेरी छठे पादशाही स्वामी श्री विचार पूर्ण आनंद जी महाराज से चर्चा हो रही थी। पहले पादशाही परमहंस दयाल- महाराज जी के विचारों के साथ-साथ वो मुझे आनंदधाम के सेवाकार्यों के बारे में भी बता रहे थे। यहाँ साधना के जो 5 नियम तय किए गए हैं, उनमें निष्काम सेवा भी एक है। निष्काम भाव से गरीब-वंचित की सेवा, नर सेवा में नारायण सेवा को देखने की भावना, ये हमारी संस्कृति का आधार है। मुझे बहुत खुशी है कि, सेवा की इसी संस्कृति को आनंदपुर ट्रस्ट पूरे मनोयोग से आगे बढ़ा रहा है। ट्रस्ट द्वारा संचालित अस्पताल में हजारों मरीजों का इलाज होता है। इलाज के लिए मुफ्त शिविर लगाए जाते हैं। गौसेवा के लिए एक आधुनिक गौशाला भी चलाई जाती है। नई पीढ़ी के निर्माण के लिए ट्रस्ट की ओर से कई स्कूल भी चलाये जा रहे हैं। और इतना ही नहीं, आनंदपुर धाम पर्यावरण संरक्षण के जरिए पूरी मानवता की बड़ी सेवा कर रहा है। मुझे बताया गया है, आश्रम के अनुयायियों ने हजारों एकड़ बंजर जमीन को हरा-भरा बनाया है। आज इस आश्रम द्वारा लगाए गए हजारों पेड़ परमार्थ के काम आ रहे हैं।

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भाइयों बहनों,

सेवा की यही भावना आज हमारी सरकार के हर प्रयास के केंद्र में है। आज हर जरूरतमंद प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के कारण खाने की चिंता से मुक्त है। आज हर गरीब और बुजुर्ग आयुष्मान योजना के कारण इलाज की चिंता से मुक्त है। आज हर गरीब पीएम आवास योजना के कारण अपने पक्के घर की चिंता से मुक्त हो रहा है। आज जलजीवन मिशन योजना के कारण गाँव-गाँव में पानी की समस्या का समाधान हो रहा है। देश में रिकॉर्ड संख्या में नए एम्स, IITs और IIMs खुल रहे हैं। गरीब से गरीब वर्ग के बच्चों के सपने साकार हो पा रहे हैं। हमारा पर्यावरण स्वच्छ हो, प्रकृति संरक्षित रहे, इसके लिए सरकार ने ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान भी शुरू किया है। आज इस अभियान के तहत करोड़ों पेड़ देश में लगाए जा चुके हैं। देश इतने बड़े स्तर पर इतना कुछ कर पा रहा है, तो इसके पीछे हमारा सेवाभाव ही है। गरीब और वंचित के उत्थान का संकल्प ‘सबका साथ, सबका विकास’ का मंत्र, सेवा की ये भावना, आज ये सरकार की नीति भी है और निष्ठा भी है।

साथियों,

जब हम सेवा के संकल्प से जुड़ते हैं, तो हम केवल दूसरों का ही भला नहीं कर रहे होते हैं। सेवा की भावना हमारे व्यक्तित्व को भी निखारती है, हमारी सोच को व्यापक बनाती है। सेवा हमें व्यक्तिगत दायरों से निकालकर समाज और राष्ट्र और मानवता के बड़े उद्देश्यों से जोड़ती है। हम सेवा के लिए मिल-जुलकर, एकजुट होकर काम करना सीखते हैं। हम जीवन के अलग-अलग पहलुओं को समझते हैं। आप सब सेवाकार्यों के लिए समर्पित लोग हैं। आपने अपने जीवन में अनुभव किया होगा, कठिनाइयों से लड़ना और फिर कठिनाइयों से जीतना, सेवा करते-करते हम सहज ही ये सब सीख जाते हैं। इसीलिए मैं कहता हूँ, सेवा एक साधना है, एक ऐसी गंगा है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को जरूर डुबकी लगानी चाहिए।

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साथियों,

अशोक-नगर और आनंदपुर धाम जैसे ये क्षेत्र, जिन्होंने देश को इतना कुछ दिया है, इनका विकास भी हमारी ज़िम्मेदारी है। इस क्षेत्र को कला, संस्कृति और प्राकृतिक सौन्दर्य का वरदान प्राप्त है। यहाँ विकास और विरासत की असीम संभावनाएं हैं! इसलिए हम एमपी और अशोकनगर में विकास को तेज गति से बढ़ा रहे हैं। चंदेरी हैंडलूम को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए चंदेरी साड़ी को जी-आई टैग दिया गया है। प्राणपुर में क्राफ्ट हैंडलूम टूरिज्म विलेज शुरू हुआ है। इससे इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को भी नई गति मिलेगी। मध्य प्रदेश की सरकार अभी से ही उज्जैन सिंहस्थ की तैयारियों में भी जुट गई है।

भाइयों बहनों,

अभी कुछ ही दिन पहले रामनवमी का महापर्व भी था। हम देश में “राम वनगमन पथ” का विकास कर रहे हैं। इस राम वनगमन पथ का एक अहम हिस्सा मध्यप्रदेश से होकर गुजरेगा। और हमारा एमपी पहले से ही अजब और गजब है। इन कार्यों से उसकी पहचान और मजबूत होगी।

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साथियों,

देश ने 2047 तक विकसित भारत बनने का लक्ष्य तय किया है। हमें पूरा विश्वास है कि ये लक्ष्य हम जरूर हासिल कर लेंगे। लेकिन इस यात्रा में हमें कुछ महत्वपूर्ण बातों को हमेशा ध्यान में रखना है। हम देखते हैं, दुनिया के कई देश विकास यात्रा में अपनी संस्कृति से कट गए, उन्होंने अपनी परंपराएं भुला दीं। भारत में हमें अपनी पुरातन संस्कृति को संरक्षित करके रखना है। हमें ध्यान रखना हैं, भारत जैसे देश में हमारी संस्कृति केवल हमारी पहचान से ही नहीं जुड़ी है। हमारी संस्कृति ही हमारे सामर्थ्य को मजबूती देती है। मुझे खुशी है कि, आनंदपुर धाम ट्रस्ट इस दिशा में भी अनेक कार्य करता रहा है। मुझे विश्वास है, आनंदपुर धाम के सेवा कार्य विकसित भारत के संकल्प को नई ऊर्जा से आगे बढ़ाएँगे। एक बार फिर आप सभी को बैसाखी और श्री गुरु महाराज जी के अवतरण उत्सव की बहुत-बहुत बधाई देता हूं। बहुत बहुत बधाई। जय श्री सच्चिदानंद।