Prime Minister addresses special session of National Meet on Promoting Space Technology
Technology is the driving force of current generation: PM
Space science has an important role in achieving good governance: PM
Technology most powerful medium for good governance: PM
PM Modi urges scientists to devise ways to simplify lives of common man through technological solutions
There should be no "space" between common man and space, says PM Modi

साथियों, मैं 2014 जून में सरकार बनने के तुरंत बाद श्रीहरिकोटा गया था, क्योंकि इसी विभाग का मैं मंत्री भी हूं तो मंत्री के नाते भी मुझे इस विभाग के काम को समझना था, तो detailed presentation सब scientists ने मेरे सामने किया था और उस समय मैंने एक विषय रखा था कि Space technology का उपयोग सामान्य मानवी के लिए कैसे हो सकता है? हमारे सारे departments उस दृष्टि से क्या कर सकते हैं? और उसी में से तय हुआ था कि किस department में क्या हो रहा है, उसका एक लेखा-जोखा ले लिया जाए और जिन राज्यों में इस दिशा में कुछ न कुछ initiative लिए गए हैं, उसकी भी जानकारी इकट्ठी की जाए। और मेरे मन में प्रारंभ से ही था कि ज्यादातर सरकार का स्वभाव साहस का नहीं होता है। नई चीज करना, नई चीज को adopt करना, वो बहुत समय लगता है और ज्यादातर innovation होते हैं या initiative होते हैं तो एकाध उत्साही अधिकारी के आधार पर होते हैं। व्यवस्था के तहत बदलाव, व्यवस्था के तहत new initiative हो। ये जब तक हम ढांचा खड़ा नहीं करते, हम बदलते हुए युग में अपने आप को irrelevant बना देते हैं और इस बात को हमने स्वीकार करना होगा कि इस generation में हम पर technology एक driving force है, technology का बहुत बड़ी मात्रा में impact है और technology बहुत बड़ी मात्रा में solution का कारण भी है और इसलिए हमारे लिए आवश्यक होता है कि हम इन चीजों को समझें और हमारी आवश्यकता के अनुसार, हम इसे उपयोग में लाएं।

आज पूरे विश्व में Space के क्षेत्र में भारत ने अपनी गौरवपूर्ण जगह बनाई है। हमारे scientists ने, हर हिंदुस्तानी गर्व कर सके, ऐसे achievement किए हैं लेकिन जब से भारत ने Space Science ने पैर रखा, तब से एक विवाद चलता रहा है और वो विवाद ये चला है कि भारत जैसे गरीब देशों ने इस चक्कर में पड़ना चाहिए क्या, अगर हम आज Space में नहीं जाएंगे तो क्या फर्क पड़ता है, हम satellite के पीछे रुपए खर्च नहीं करेंगे तो क्या फर्क पड़ेगा? ये सवाल आज भी उठाए जाते हैं। डॉ. विक्रम साराभाई ने इसके लिए शुरू में एक बात बहुत अच्‍छी तरह बताई थी। उन्‍होंने कहा था कि ये सवाल उठना बहुत स्‍वाभाविक है कि भारत जैसे गरीब देशों ने इस स्‍पर्धा में क्‍यों जाना चाहिए और उन्‍होंने कहा था कि हम स्‍पर्धा के लिए नहीं जा रहे हैं। लेकिन हमारे देश के सामान्‍य मानवी की आवश्‍यकता की पूर्ति के लिए, हमारे प्रयासों में हम कम नहीं रहने चाहिए, हमारे प्रयास कम नहीं पड़ने चाहिए। जितने भी तौर-तरीके हैं, जितने भी माध्‍यम है जितनी भी व्‍यवस्‍था है, जितने भी innovations है, ये सारे भारत के सामान्‍य मानवी जीवन के बदलाव में उपयोग आ सकते हैं क्‍या? और उसमें हमें पीछे नहीं रहना चाहिए? विक्रम साराभाई ने उस समय जो दर्शन किया था, आज हम देख रहे हैं कि हम space के माध्यम से, हमारे science के माध्यम से, हमारे ISRO के माध्यम से, जो कुछ भी achieve हुआ है, आज हम देश के विकास में कहीं न कहीं इसको जोड़ने का, कम-अधिक मात्रा में सफल प्रयास हुआ है।

जब मैं ये presentation देख रहा था, मुझे इतनी खुशी हो रही थी कि सब department अब इस बात से जुड़े हैं, कुछ department चल पड़े हैं, कुछ department दौड़ते हुए आगे बढ़ रहे हैं और कई department इन नई-नई चीजों को कैसे सोचे व्यवस्था को कैसा उपयोग किया जाए? मैं कुछ दिन पहले बनारस में जो Loko-shed है, वहां पर एक high power engine के लोकापर्ण के लिए गया था, तो अंदर जो उनकी सारी नई-नई व्यवस्थाएं थी, उनको देख रहा था तो मैं, मैंने उनको एक सवाल पूछा, मैंने कहा हवाई जहाज में हम देखते हैं तो एक monitor होता है pilot के सामने और उसे पता रहता है कि इतने minute के बाद cloud आएगा, cloud का ये की ये घनता होगी इसके कारण जहाज में जर्क आ सकता हो वो warning भी देता है अंदर passenger को। मैंने कहा, ये technology तो है, क्या हमारे engine में, जो engine driver है, उसको हम इस प्रकार का monitor system दे सकते हैं क्या? और satellite connectivity हो और जहां भी unmanned crossing होते हैं, उसको पहले से ही warning मिले monitor पर, special प्रकार का lighting हो और horn बजे और 2-4 किलोमीटर पहले से शुरू हो सकता है क्या? वहां ऐसे ही देखते-देखते मेरे मन में विचार आया था। मैंने वहां जो, engineer वगैरह थे, उनके सामने विषय रखा। फिर हमारे scientist मिले तो मैंने उनके सामने रखा कि भई देखिए जरा इस पर क्या कर सकते हैं और मुझे खुशी है। इन 3-4 महीनों के कालखंड में उन्होंने उस काम को तैयार कर दिया और मुझे बता रहे थे कि बस आने वाले निकट दिनों में हम इसको roll-out करेंगे। unmanned crossing की समस्या का समाधान के लिए कई रास्ते हो सकते हैं लेकिन क्या satellite भी unmanned crossing में सुरक्षा के लिए काम आ सकता है क्या? हमारे scientists को काम दिया गया और मैं देख रहा हूं 3-4 महीने के भीतर-भीतर वो result लेकर के आ गए।

मेरी department के मित्रों से गुजारिश है कि आप भी एक छोटा सा cell बनाइए अपने department में, जो ये सोचते रहे, जिसकी technology की nature हो कि इसका क्या-क्या उपयोग हो सकता है, कैसे उपयोग हो सकता है? अगर वो इस बात को समझ ले और वो फिर जरा discuss करे, नीचे ground reality क्या है, उसको देखें और फिर हम ISRO को कहें कि देखिए हमारे सामने ये puzzle है, हमें लगता है कि इसका कोई रास्ता खोजना चाहिए, ये-ये व्यवस्थाएं चाहिए। आप देखिए उनकी team लग जाएगी। Technology किस हद तक काम आ सकती है, data collection का काम आपका है, conversion का काम आपका है और किस प्रकार से उसके परिणाम लाए जा सकते हैं। कई नए initiative हम ले सकते हैं।

जब 2014, जून में मैं ISRO में गया था, श्री हरिकोटा में मैंने बात की थी, जैसा अभी किरण जी ने बताया कि 20 department में कम-अधिक मात्रा में काम हो रहा था। आज 60 departments में space technology के उपयोग पर pro active गतिविधि हो रही है। थोड़ा सा प्रयास हुआ, छोटी-छोटी meeting हुई department की, मैं मानता हूं शायद हिंदुस्तान में और सरकार के इतिहास में, ये पहली बड़ी घटना होगी कि केंद्र और राज्य के करीब 1600 अधिकारी पूरा दिनभर एक ही विषय पर brainstorming करते हो, workshop करते हो और जिसके पास जानकारी हो, दूसरे को दे रहा है, जिसके पास जिज्ञासा है, वो पूछ रहा है। शायद हिंदुस्तान के सरकार के इतिहास में इतनी बड़ी तादाद में एक ही विषय के solution के लिए ये पहले कार्यक्रम हुआ होगा। लेकिन ये एक दिन का workshop, ये एक दिन का workshop नहीं है इसके पूर्व पिछले 6-8 महीनों से लगातार हर department के साथ, हर राज्य के साथ, scientists के साथ मिलना, बातचीत करना, विषयों को पकड़ना, समस्याओं को ढूंढना, solution को ढूंढना ये लगातार चला है और उसी का परिणाम है कि आज हम एक विश्वास के साथ यहां इकट्ठा हुए हैं कि हम समस्याओं का समाधान खोज सकते हैं।

Technology का सर्वाधिक लाभ कम से कम खर्च में, हो सके उतनी सरलता से, गरीब से गरीब व्यक्ति को पहुंचे कैसे? यही हमारी सबसे बड़ी चुनौती है और आपने देखा होगा जैसे ये हरियाणा की एक घटना बताई गई कि उन्होंने उसका election का जो I-card है, उसको ही satellite technology का उपयोग करते हुए जोडकर के, उसके जमीन के document के साथ उसको, उन्होंने जोड़ दिया है। अब ये सब चीजें पड़ी थी, कहीं न कहीं पड़ी थी लेकिन किसी ने इसको दिमाग लगाया और जोड़ने का प्रयास किया तो एक नई व्यवस्था खड़ी हो गई।

हमारे सामने नया कुछ भी न करें। मान लो हम तय करें कि इस संबंध में नया कुछ नहीं होने वाला लेकिन कुछ उपलब्ध जानकारियां हैं, उपलब्ध technology है, उसी को हमारी आवश्यकता के अनुसार किस प्रकार से conversion किया जाए, इस पर भी हम mind apply करें तो हम बहुत बड़ी मात्रा में नए solution दे सकते हैं और easy delivery की व्यवस्था विकसित कर सकते हैं।

हमारी postal department, इतना बड़ा network है। उस network का उपयोग हम Satellite system के साथ जोड़कर के कहां-कहां कर सकते हैं? देश का सामान्‍य से सामान्‍य नागरिक और व्‍यवस्‍थाओं से जुड़ता हो या न जुड़ता हो, लेकिन वो post office से जरूर जुड़ता है। साल में एकाध बार तो उसका post office से संबंध आता ही-आता है। इसका मतलब यह है कि सरकार के पास एक ऐसी इकाई है, जो last bench तक सहजता से जुड़ी हुई है और post office एक ऐसी व्‍यवस्‍था है कि आज भी सामान्‍य मानवी को उस पर बड़ा भरोसा है। जिसको आदत होती है तो डाकिया कब आएगा वो देखता रहता है, डाकिया आया क्‍या, डाकिया गया क्‍या। भले महीने में एक बार डाक आती हो लेकिन बेटा बाहर तो डाकिया का इंतजार करती रहती है मां। ये जो विश्वास है, वो विश्वास के साथ इस technology का जुड़ना, नई-नई चीजों को जोड़ना, कितना बड़ा परिणाम दे सकता है।

जब मैं राज्य में काम कर रहा था तो ये किरण जी भी हमारे वहीं थे तो हमारी अच्छी दोस्ती थी तो मैं उनसे काफी कुछ जानता रहता था, क्या नया हो रहा है, क्या कर रहे हो, दुनिया को क्या देने वाले हो। उसमें से एक हमारा कार्यक्रम बना fishermen के लिए, fishermen को हम mobile के ऊपर जानकारी देते थे कि इतने longitude पर, latitude पर catch है और fish का एक स्वभाव रहता है कि जहां जमघट रहता है उसका तो करीब-करीब 24 घंटे वहीं रहती है और वो पहले fishing के लिए जाते थे तो घंटों तक वो boat लेके जाते थे, वो देखते रहते थे, वो जाल फेंकते रहते थे, फिर मिला, फिर आगे गए, घंटों तक उनको प्रक्रिया करनी पड़ती थी। ये व्यवस्था देने के बाद वो targeted जगह पर पहुंचता है, कम समय में पहुंचता है, डीजल-वीजल का खर्चा कम होता है और भरपूर मात्रा में cash मिलता है, fishing करके वापस आ जाता है, समय और शक्ति बच जाती है। technology वही थी, उसका उपयोग गरीब व्यक्ति के लिए कैसे होता है।

आज जैसे अभी बताया। मध्य प्रदेश ने आदिवासियों को, जमीन के पट्टे देने में इसका उपयोग किया। इससे भी एक कदम आगे हम काम कर सकते हैं। कई लोग, कई आदिवासी claim करते हैं कि भई यहां हम खेती करते थे, ये हमारी जमीन है, ये हमको मिलना चाहिए। गांव के लोग कहते हैं कि नहीं ये झूठ बोल रहा है, खेती नहीं करता था बेकार में जमीन हड़प करना चाह रहा है, उसका तो पैतृक जगह वो है, वहां करता था अब बच्चे बेकार में अलग हो गए हैं, सब झगड़े चलते रहते थे। लेकिन अब satellite से, पुरानी तस्वीरों को आधार पर उसको photographic system से, comparison से उसको बता सकते हैं कि यहां पर पहले forest था या खेती होती थी या कोई काम होता था, सारी चीजें निकालकर के हम उसको proof provide कर सकते हैं, एक आदिवासी hub को हम establish कर सकते हैं, just with the help of satellite. जिस scientist ने जिस समय satellite के लिए काम किया होगा तब उसे भी शायद पता नहीं होगा कि दूर-सुदूर जंगलों में बैठे हुए किसी आदिवासी के हक की लड़ाई, वो satellite के माध्यम से लड़ रहा है और उसको हक दिला रहा है, ये ताकत technology की है। जिस scientist ने उस काम को किया होगा, उसको जब पता चलेगा, अरे वाह मैने तो इस काम के लिए किया था, आदिवासी के हक के लिए मैं सफल हो गया, उसका जीवन धन्य हो जाता है। हमारा ये काम रहता है कि हम इन चीजों को कैसे उपयोग में लाएं। हम बहुत बड़ी मात्रा में लोगों का involvement करना चाहिए, क्या हर department, ideas के लिए young generation को invite कर सकते हैं कि भई हमारे सामने ये issue हैं, हमें technology के लिए, satellite या space system के लिए कैसे रास्ता निकालना चाहिए, आप student के सामने छोड़ दीजिए। आप देखिए वे exercise करेंगे, वो online आपके साथ जुड़ेंगे और नए-नए ideas देंगे। Department में एक cell बनाइए और young generation तो आजकल बड़ी techno-savvy होती है, उसमें से बनाइए, उसको कहिए कि देखे भाई आप जरा mind apply किजिए, आपको जरूर नए-नए ideas मिलेंगे और आपको इसका परिणाम भी मिलेगा।

हमारे देश में गरीब से गरीब व्यक्ति भी कुछ न कुछ दिमाग apply करने का स्वभाव रखता है। अगर भारत, innovative भारत इस पर अगर काम किया जाए, तो मैं नहीं मानता हूं कि हम कहीं पीछे नजर आएगें। हर प्रकार के, आपने देखा होगा कि कई अखबारों में पढ़ते हैं कि कोई किसान अपने खेत का पानी का पंप घर से ही operate करता है कैसे? Mobile Phone से operate करता है, उसने खुद ने technology develop की और mobile technology का उपयोग करता है और अपने घर से ही उसे पता चलेगा, बिजली आई है, तो अपने घर से ही वो पंप चालू कर देता है और पानी का काम शुरू हो जाता है, फिर उसके बाद वो खेत चला जाता है।

मुझे एक बार किसी ने बताया, कैसे दिमाग काम करता है सामान्य व्यक्ति का, वो व्यक्ति जिसने अपने घर में bio-gas का एक unit लगाया था, गांव के अंदर, किसान ने और अपने जो पशु थे उसका गोबर वगैरह डालता था, अपने घर में Kitchen में जो काम होता था वो गोबर डालता था और गैस पैदा करता था। अपने चूल्‍हे में requirement से भी ज्‍यादा गैस होने लगा। उसने बुद्धि का उपयोग कैसे किया, उसने tractor की tube में, अब tractor की tube कितनी बड़ी होती है, हमें अंदाजा है, वो गैस उसमें भर लेता था वो और scooter पर उसको उठाकर के, अब scooter पर कोई tractor की tube ले जाता है तो देखकर के डर लगता है कि क्या होगा, गैस tractor की tube में transport करके अपने खेत पर ले जाता था और अपने raw-wisdom से, उस गैस से वो अपना diesel engine को, जो उसने modify किया था, चलाता था और पानी निकालता था। अब देखिए कोई विज्ञान के तरीके, यानि सामान्य मानवी को भी ये मूलभूति सिद्धांत हो गए, वो उसमें से अपना रास्ता खोजता है और चीजों को apply करता है। हम किस प्रकार से इन चीजों पर सोचें नहीं तो ये सारा ज्ञान-विज्ञान भंडार बढ़ता ही चला जाएगा, लेकिन सामान्य मानवी की आवश्यकताओं के लिए हमारा विभाग क्या करता है।

आज हमारी education quality हमें ठीक करनी है, ये ठीक है, कोई कहेगा कि इतने गांवों में बिजली नहीं है तो कैसे करोगे? इतने गांवों में broadband connectivity नहीं है तो कैसे करोगे? इतने गोवों में optical fiber network नहीं है, तो कहां करोगे? जिसको ये सोचना है, वो ये सोचेगा लेकिन ये भी तो सोचो कि भई इतने गांवों में है, इतने शहरों में है। कम से कम वहां long distance education के द्वारा the best quality of the teachers और हिंदुस्तान के बड़े शहर में बैठकर के studio में वो बच्चों को पढ़ाएं, मैं समझता हूं कि उस teacher को भी quality education की तरफ, उसका भी training होगा और long distance education वो करेगा और दूर-सुदूर जंगलों में भी, हमारे गांवों में हम अच्छी शिक्षा को improve कर सकते हैं।

अभी मुझे किरण जी बता रहे थे, हमारे health secretary ने जो कहा कि उनको broadband capacity की कोई समस्या है, मैं उनको पूछ रहा थे कि as per health is concerned हमारे पास access capability है। अगर हम इसका उपयोग करने के लिए सोचें, हमारे सेना के जवान सीमा पर हैं, उनको इसका उपयोग कैसे हो, उनकी requirement के लिए हम इस technology को कैसे जोड़ें? हम सीमा की सुरक्षा का बहुत बड़ा काम, हम इस technology के माध्यम से कर सकते हैं।

कभी-कभार जैसे हम बहुत बड़ा एक कार्यक्रम लेकर के चले हैं, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, ये प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की सफलता का सबसे पहला कोई कदम है तो हमारे space technology का उपयोग है। हम बढिया सा contour तैयार कर सकते हैं, गांव का contour तैयार कर सकते हैं और उसके आधार पर तैयार कर सकते है कि पानी का प्रवाह किस तरफ है, पानी का quantum कितना हो सकता है, rain fall कितना हो सकता है और इसके आधार पर भविष्य की पूरी design हम technology के आधार पर हम बना सकते हैं। एक प्रकार से ये science Good Governance के लिए एक अहम role पैदा कर सकता है। पहले हम planning करते थे तो सामान्य अपने अनुभव के आधार पर करते थे। आज satellite के माध्यम से हम वो planning कर सकते हैं कि जिसके कारण हमारा खर्च भी बच सकता है, समय भी बच सकता है और आज road network बनाना है। आज आप देखिए दशरथ मांझी इतना बड़ा popular हो गया है, लेकिन कारण क्या था, सरकार ने road ऐसा बनाया कि एक गांव से दूसरे गांव जाना था तो पहाड़ के किनारे-किनारे जाता था और 50-60 किलोमीटर extra जाता था। दशरथ मांझी का raw-vision कहता था, जन्‍म से लाया होगा GIS system वो, उसको लगता था यहां सीधा चला जाउं तो दो किलोमीटर में पहुंच जाउंगा। और अपने हथोड़े से उसने वो रास्‍ता बना दिया। आज technology इतनी available है कि कोई दशरथ मांझी को अपनी जिन्‍दगी खपानी नहीं पड़ेगी। आप shortest way में अपना रास्‍ता खोज सकते हो, बना सकते हो।

हम इस technology का कैसे उपयोग करें? और उपयोग कर-करके हम इसे। देखिए हमारे यहां canal भी बनती है। ऐसे-ऐसे-ऐसे जब हेलीकॉप्‍टर या हवाई जहाज से जाते हैं तो बड़ी पीड़ा होती है कि ये canal भी इतने-इतने सांप की तरह क्‍यों जा रही है। तो एक तो बनाते समय देखा होगा कि चलो यहां से चले जाएं, या तो कोई decision making पर कोई pressure आया होगा कि यार इसका खेत बचाना है, जरा उधर ले जाओ तो सांप की तरह हम लेते चले गए लेकिन हमने अगर technology का प्रयोग करते, उस समय technology करने का अवसर मिला हो तो perfect alignment के साथ हम काम कर सकते थे।

हमारे जितने भी, अब देखिए encroachment का highways पर बड़े encroachment की चिंता होती है, satellite के द्वारा हम regular monitor कर सकते हैं कि हमारे highway पर encroachment हो रहा है, क्या हो रहा है, क्या गतिविधि हो रही है, हम आराम से कर सकते हैं, हम निकाल सकते हैं रास्ता।

हमारी wild life, हमारी wildlife क्यों गिनती करना का, पांच साल में एक बार करते हैं और wildlife की गिनती के लिए भी पचासों प्रकार के सवाल आते हैं, Camera लगते हैं, कोई उसके पैर का नाप ले लेता है, मैं मानता हूं हम satellite system से महीने भर observe करें तो हम चीजों को खोज सकते हैं कि इस प्रकार के जो हमारे wildlife हैं, इस प्रकार यहां रहता है, इनकी movement का ये area है, आप आराम से इन चीजों को गिन सकते हैं।

Technology का उपयोग इतनी सहजता से, सरलता से हो सकता है और मैं चाहता हूं कि हमारे सारे departments इस पर कैसे काम करें। हमारे पास बंजर भूमि बहुत बड़ी मात्रा में है। एक-एक इंच जमीन का सदुपयोग कैसे हो, इस पर हम कैसे काम कर सकते हैं।

हमारे जंगल कभी कट गए, इसकी खबर आती है। Red चंदन जहां, वहां कहते हैं कि कटाई बहुत होती है। क्या हमारा permanent high resolution वाले camera, regular हमें update नहीं दे सकते क्या कि भई Red चंदन वाला इलाका है, यहां कोई भी movement होगी तो हमें तुरंत पता चलेगा।

Mining..mining की विशेषता क्या होती है कि वो सारे system तो perfect होते हैं कागज पे, उसको mining का मिल जाता है contract मिल जाता है लेकिन जो उसको two square kilometer by two square kilometer area, मिला होगा, वो वहां शुरू नहीं करता है, उसके बगल में खुदाई करता है। अब कोई जाएगा तो उसको भी लगता है कि यार उसको तो contract मिला हुआ है, वो थोड़ा नापता है कि कितने फुट कहां है? लेकिन उसको अगर satellite system से watch किया जाए तो एक इंच इधर-उधर नहीं जा सकता, जो जगह उसको तय हुई है, वहीं पर ही mining कर सकता है और हम उसके vehicles को track कर सकते हैं कि दिन में कितने vehicle निकले, कितना गया और taxation system के साथ उसको जोड़ा जा सकता है, ये आराम से काम हो सकता है।

हमारे यहां road tax लेते हैं। कभी-कभार road tax में, हम technology का उपयोग करके, बहुत मात्रा में leakages बचा सकते हैं, just with the help of technology और हम बहुत व्यवस्थाओं को विकसित कर सकते हैं।

मेरा कहने का तात्पर्य ये है कि हमारे पास एक ऐसी व्यवस्था उपलब्ध है और एक लंबे अर्से तक हमारे scientists ने पुरुषार्थ करके इसको पाया है, हमारा दायित्व बनता है कि हम इसको सहज रूप से कैसे अपने यहां लागू करें और जो भी विभाग इसका आदि होगा, जिसको जरा स्वभाव होगा। आपने देखा होगा कि उसको लगता है कि इसने तो मेरे पूरे काम को बड़ा easy बना दिया है, बड़ा सरल कर दिया है. तो वो उसमें फिर involve होता चला जाएगा। जिसको ये पता नहीं कि भई इसका क्या है, अब दो साल के बाद retire होना है, तो मेरा क्या, छोड़ो यार, तुम कर लेना। जो ऊर्जा खो देते हैं जी, वो retire होने के बाद भी जिंदगी का मजा नहीं ले सकते हैं और इसलिए हम हर पल, हर पल भले ही हम senior most हैं, जिंदगी के आखिरी पड़ाव आता है, तो भी हम ऐसी कोई foot-print छौड़कर के जाएं ताकि हमारे बाद की नई पीढियों को सालों तक काम करने का अवसर मिले।

ये जो आज प्रयास किया उसमें मैने एक प्रकार से तीन पीढ़ी को इकट्ठा किया है। जो fresh अभी-अभी मसूरी से निकले हैं, वो नौजवान भी यहां बैठे हैं और जो सोचते होंगे कि भई 30 तारीख को retire होना है, अगली 30 तारीख को होना है, वो भी बैठे हैं, यानि एक प्रकार से तीन पीढ़ी यहां बैठी हैं, मैंने सबको इकट्ठा करने का प्रयास यही था कि junior लोगों को ज्यादा यहां बिठाए, उसका कारण ये है कि मैं चाहता हूं कि ये legacy आगे बढ़े, ऐसा न हो फिर नई team आए, उनको चिंता न हो कि क्या करें यार, पुराने वाले तो चले गए या पुरान वाले सोचें कि अब आखिर क्या करें कि अब एक बार चला लें।

हमारे लिए सबसे बड़ी आवश्यकता है, हर department एक-एक छोटा काम सोचें कि हम 2015 में, अभी भी हमारे पास तीन-चार महीने है। एक चीज identify करें। हमें लगता है कि सैटेलाइट सिस्‍टम से हम इसको उपयोग कर सकते हैं और फिर उसके लिए outsource करना पड़े, कुछ नौजवानों की मदद लेनी पड़े तो हम ले लेकिन कुछ करके दिखाएं। उसी प्रकार से, जैसा ये एक पूरे देश का workshop हुआ है। राज्‍यों से भी मेरा आग्रह है कि राज्‍य भी अपने राज्‍य की इसी प्रकार की दो-तीन पीढ़ियों को इकट्ठी करके एक पूरे दिन का brainstorming करें, भारत सरकार के कोई न कोई अधिकारी वहां जाएं और वे भी अपने लिए plan workout करें।

तीसरा मुझे आवश्‍यक लगता है कि ये सब होने के बाद भी decision making करने वालों को अगर हम sensitize नहीं करेंगे। उनको अगर परिचित नहीं करवाया कि ये चीजे क्‍या है। गांव का जो प्रधान है, वहां से ले करके MLA तक जितने भी elected लोग है, उनको कभी न कभी ऐसे institutions दिखाने का कार्यक्रम करना चाहिए। उनको बताना चाहिए कि देखिए भई आपके गांव की इतनी चीजों को satellite से हम organize कर सकते हैं। उसका विश्‍वास बढ़ जाएगा और वो इन चीजों को करेगा। एक बार हम और गांव के प्रधान को बुलाएंगे, तो वहां के पटवारी को भी आप जरूर बुलवाएंगे। तो एक गांव की पांच-सात प्रमुख लोगों की team होती है, जो सरकार को represent करती है, वे sensitize हो जाएगी। हमें इस चीज को नीचे तक percolate करना है। अगर हमें नीचे तक percolate करना है, तो मैं चाहूंगा कि इसके कारण हम कर सकते हैं। हम ये मानकर चले कि Good Governance के लिए, transparency के लिए, efficiency के लिए, accountability के लिए, real time delivery के लिए, real time monitoring के लिए technology हमारे पास सबसे ताकतवर माध्‍यम होता है। अगर हम Good Governance की बात करते हैं तो उसकी शुरूआत होती है perfect planning. perfect planning के अंदर आपको इतना बढ़िया database मिले, आपको maps मिले, आपको 3 D resolutions मिले, मैं नहीं मानता हूं कि planning में कोई कमी आ सकती है। अगर perfect planning है और proper road-map है implementation का और time frame में आपका goal set किए हैं, मैं मानता हूं कि हम जो चाहे वो परिणामों को technology के माध्‍यम से हमारा समय का span कम करते हुए, qualitative improvement करके हम परिणाम ला सकते हैं।

पिछले दिनों आपने देखा होगा कि दो ऐसी घटनाएं हुईं जो हमारे यहां बहुत ज्‍यादा notice में नहीं आईं है। लेकिन उसने हजारों लोगों की जिन्‍दगी को बचाया है, लाखों करोड़ो रुपयों का नुकसान बचाया है। पिछले वर्ष, नेपाल में, पहाड़ों में बर्फ की शिलाएं गिरी और बर्फ की शिलाएं गिरने के कारण जो पानी का प्रवाह बह रहा था वो सारा chock हो गया। अब बर्फ थे तो वो जम गए और उधर पानी जो रुकता गया वो भी जमता गया। अब हमारे सामने challenge ये आई कि जब गर्मी शुरू होगी और मान लीजिए ये पहाड़ जो बर्फ के पड़े हैं, वो एकदम से टूट गए और ये पूरा flow चल पड़ा तो नीचे कुछ नहीं बचेगा। बड़े-बड़े बर्फ के पहाड़ फिसलकर के नीचे आएंगे और गांव के गांव तबाह कर देंगे। हमारे यहां से NDRF की टीम गई, सेना के लोग गए, नेपाल सरकार को मदद की और bombarding करना पड़ा। हेलीकॉप्‍टर... कठिन था इलाका, गए हमारे जवान, bombarding करना पड़ा और उन पहाड़ों को शिलाओं को, बर्फ की शिलाओं को तोड़ा और पानी का प्रवाह शुरू किया। ये सारा संभव इसलिए हुआ कि satellite के द्वारा image मिली कि ये एक नया blockage शुरू हो रहा है। दू

सरी समस्‍या आई कोसी नदी पर। नेपाल में कोसी का जो हिस्‍सा है, landslide हुआ, पानी का प्रवाह बंद हो गया। उधर पानी जमता गया। मानते हैं, कल्‍पना कर सकते हैं मिट्टी का Dam बन जाए और पानी भर जाए और जिस दिन खुलेगा तो क्‍या होगा। सबसे पहले NDRF की टीमों को यहां से बिहार भेजा और कोसी के रास्‍ते पर जितने गांव थे सारे के सारे गांव खाली करवाए। लोग गुस्‍सा भी कर रहे थे, भई पानी तो है नहीं बारिश तो हो नहीं रही, आप क्‍यों खाली करवा रहे हो? उनको बड़ी मुश्‍किल से समझाया, दबाव भी डाला, उनको हटाया और उधर की तरफ उस पानी के प्रवाह को चालू करने के लिए रास्‍ते खोजते रहे, किस प्रकार से क्‍या समस्‍या का समाधान किया जाए। सदनसीब से रास्‍ते निकले और धीरे-धीरे-धीरे पानी का बहाव शुरू हुआ और हम एक बहुत बड़े संकट से बच गए और ये भी तब संभव हुआ, satellite का regular imaginary monitoring हो रहा था उससे पता चला कि इतना बड़ा संकट आने वाला है।

पिछले दिनों आपने देखा होगा, Vizag में जो हुदहुद आया और हमारे विभाग के लोग, राठौड़ यहां बैठे हैं। इतना perfect information दिया उन्‍होंने कि cyclone कितना दूर है, कितनी intensity है, किस angle से जा रहा है और कब वो आकर के Vizag को परेशान करेगा। मैं मानता हूं इतना perfect information था और just with the help of satellite technology और उसका परिणाम हुआ कि इतना बड़ा हुदहुद Vizag में आया, कम से कम नुकसान हुआ। हम disaster management की दृष्‍टि से, early warning की दृष्‍टि से, preparedness की दृष्‍टि से मानव जाति के कल्‍याण का एक बहुत बड़ा काम कर सकते हैं और इसलिए हम इन विषयों में जितने हम sensitize होते हैं, हमारे सारे department उस दिशा में सोचने लगते हैं कि हां भाई हमारे यहां ये young team है, दो-चार लोगों को हम लगाएंगे।

मैं यह भी चाहता हूं कि ISRO भी जिस प्रकार से हमारे यहां अलग-अलग कार्यक्रम चलते हैं। हमारी space technology आखिर है क्या, हम students को तैयार करें, students को नीचे lecture देने के लिए भेजें, slideshow करें, एक अच्छी video बनाएं, लोगों को समझाएं कि भई क्या चीज है, कैसे काम आ सकती हैं, एक mass-education का कार्यक्रम ISRO ने initiate करना चाहिए, HRD ministry और बाकी ministry और state government इनकी मदद लेनी चाहिए, इनके लिए एक programming तैयार करना चाहिए और students, हमारे students को तैयार करना चाहिए, उनसे 1-2 week मांगने चाहिए कि भई आप 1 week, 2 week दीजिए, 10 स्कूल-कॉलेज में आपको जाना है, ये lecture देकर के आ जाइए, तो हमारी एक generation भी तैयार होगी इस चीजों से और जो सुनेंगे, उनको थोड़ा-थोड़ा परिचय होगा कि भई ये-ये चीजें हैं, ये करने वाला काम मुझे लगता है।

अभी 15 अगस्त को मैंने लालकिले पर से कहा था Start-up India-Stand up India, अभी जो बताया गया slide में करीब 3 हजार छोटे-मोटे private unit हैं जो हमारी इस गतिविधि के साथ जुड़े हुए हैं। मुझे लगता है कि, मैं कोई scientist तो नहीं हूं लेकिन इस क्षेत्र में विकास के लिए sky is the limit, हम इस प्रकार के हमारे जो scientific temper के जो नौजवान हैं, उनको Start-up के लिए प्रेरित कर सकते हैं क्या? हम उनको blue print दे सकते हैं क्या? कि भई ये 400 प्रकार के काम ऐसे हैं कि नौजवान आगे आए और वो कुछ उसमें innovation करे, कुछ manufacturing करे, कुछ चीजें बनाए, हमारे space science के लिए बहुत काम आने वाली हैं, या हमारे space science की utility के लिए नीचे काम आने वाली है या तो हम upgrade जाने के लिए करें या downgrade जाने के लिए करें लेकिन हम दोनों रास्ते पर कैसे काम करें हम इस पर सोच सकते हैं क्या? अगर हम इस व्यवस्था को विकसित कर सकते हैं तो Start-up India-Stand up India ये जो एक dream है उसमें innovation technology का भरपूर हम उपयोगक कर-करके और financial institution भी, वे भी इस दिशा में सोचें कि इस प्रकार से Start-up के लोग आते हैं जो science में कुछ न कुछ contribute करने वाले हैं तो उनके लिए विशेष व्यवस्था की जाए, ISRO के साथ मिलकर के की जाए, आप देखिए हमको एक बहुत बड़ा लाभ मिल सकता है।

हर एक department की चिंता था कि capacity building की, ये बात सही है कि हम स्वभाव से इन चीजों को स्वीकार करने के आदि न होने के कारण इस तरफ हमने ध्यान नहीं दिया है। हम जब recruitment करें, हमारे नए लोगों को तो recruitment करने पर इस प्रकार के विज्ञान से जुड़े हुए लोगों को ज्यादा लें, ताकि हमें capacity building के लिए सुविधा रहे। हमारे यहां पूछा जाए department में कि भई हमारे यहां department में कितने लोगों कि इस-इस चीज में रुचि है। तो फिर इनको 7 दिन, 10 दिन का एक course करवाया जा सकता है। अगर हम इस व्यवस्था का, human resource development अगर हो गया तो institutional capital building अपना आप आना शुरू हो जाएगा। सिर्फ financial resources से institutional capacity नहीं आती है, institutional capability का आधार structure नहीं होता है, building कैसा है, वो नहीं होता है, equipment कैसे होते हैं, वो नहीं होता है, financial arrangement कैसे हैं, वो नहीं होता है, उसका मूल आधार होता है, human resource कैसा है। अगर आपके पास उत्तम प्रकार का human resource होता है, तो आप में से कभी, मैं तो चाहता था कि यहां एक slide दिखानी चाहिए थी। भारत Space Science में गया और जिसका आज इतना बड़ा नाम होता है। पहला जो हमारा space का जो छोड़ने का था, उसकी पहली फोटो है तो साईकिल पर एक मजदूर उठाकर के ले जा रहा है। भारत का पहला जो space प्रयोग हुआ, वो एक गैराज के अंदर trial हुआ था। यानि उसकी गतिविधि गैराज में हुई थी और साईकिल पर उसका shifting होता था ले जाने का यानि वहां से अगर, इसका मतलब ये हुआ कि और व्यवस्थाओं की ताकत कम होती है, human resource की ताकत ज्यादा होती है, जिसने हमें आसमान की ऊंचाइयों को सैर करने के लिए ले गए, जबकि जमीन पर उसको साईकिल पर उठाकर ले जाया गया। ये दो चीजें हैं, ये जो चीजें हैं हमारे लिए इससे बड़ा कोई उदाहरण नहीं हो सकता है, इससे बड़ा कोई उदाहरण नहीं हो सकता है कि हमारे science में, हमारे भीतर की जो ताकत है, वो कितना बड़ा contribution कर सकती है, ये संभावनाएं हमारे पास पड़ी हुई हैं।

अच्छे planning के लिए, समय सीमा में implementation के लिए, हम इसका भरपूर उपयोग करें और मुझे विश्वास है कि आज पूरे दिनभर ये जो exercise हुई है, करीब 1600 अधिकारी और बहुत महत्वपूर्ण दायित्व संभालने वाले अधिकारियों के ये मंथन आने वाले दिनों में ऐसा न हो कि space technology in common man के बीच space रह जाए और इसलिए हमारा काम है common man और space technology के बीच में space नहीं रहना चाहिए। ये सपना पूरा करें, बहुत-बहुत शुभकामनाएं। धन्यवाद।

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Text of PM Modi's address to the Indian Community in Guyana
November 22, 2024
The Indian diaspora in Guyana has made an impact across many sectors and contributed to Guyana’s development: PM
You can take an Indian out of India, but you cannot take India out of an Indian: PM
Three things, in particular, connect India and Guyana deeply,Culture, cuisine and cricket: PM
India's journey over the past decade has been one of scale, speed and sustainability: PM
India’s growth has not only been inspirational but also inclusive: PM
I always call our diaspora the Rashtradoots,They are Ambassadors of Indian culture and values: PM

Your Excellency President Irfan Ali,
Prime Minister Mark Philips,
Vice President Bharrat Jagdeo,
Former President Donald Ramotar,
Members of the Guyanese Cabinet,
Members of the Indo-Guyanese Community,

Ladies and Gentlemen,

Namaskar!

Seetaram !

I am delighted to be with all of you today.First of all, I want to thank President Irfan Ali for joining us.I am deeply touched by the love and affection given to me since my arrival.I thank President Ali for opening the doors of his home to me.

I thank his family for their warmth and kindness. The spirit of hospitality is at the heart of our culture. I could feel that, over the last two days. With President Ali and his grandmother, we also planted a tree. It is part of our initiative, "Ek Ped Maa Ke Naam", that is, "a tree for mother”. It was an emotional moment that I will always remember.

Friends,

I was deeply honoured to receive the ‘Order of Excellence’, the highest national award of Guyana. I thank the people of Guyana for this gesture. This is an honour of 1.4 billion Indians. It is the recognition of the 3 lakh strong Indo-Guyanese community and their contributions to the development of Guyana.

Friends,

I have great memories of visiting your wonderful country over two decades ago. At that time, I held no official position. I came to Guyana as a traveller, full of curiosity. Now, I have returned to this land of many rivers as the Prime Minister of India. A lot of things have changed between then and now. But the love and affection of my Guyanese brothers and sisters remains the same! My experience has reaffirmed - you can take an Indian out of India, but you cannot take India out of an Indian.

Friends,

Today, I visited the India Arrival Monument. It brings to life, the long and difficult journey of your ancestors nearly two centuries ago. They came from different parts of India. They brought with them different cultures, languages and traditions. Over time, they made this new land their home. Today, these languages, stories and traditions are part of the rich culture of Guyana.

I salute the spirit of the Indo-Guyanese community. You fought for freedom and democracy. You have worked to make Guyana one of the fastest growing economies. From humble beginnings you have risen to the top. Shri Cheddi Jagan used to say: "It matters not what a person is born, but who they choose to be.”He also lived these words. The son of a family of labourers, he went on to become a leader of global stature.

President Irfan Ali, Vice President Bharrat Jagdeo, former President Donald Ramotar, they are all Ambassadors of the Indo Guyanese community. Joseph Ruhomon, one of the earliest Indo-Guyanese intellectuals, Ramcharitar Lalla, one of the first Indo-Guyanese poets, Shana Yardan, the renowned woman poet, Many such Indo-Guyanese made an impact on academics and arts, music and medicine.

Friends,

Our commonalities provide a strong foundation to our friendship. Three things, in particular, connect India and Guyana deeply. Culture, cuisine and cricket! Just a couple of weeks ago, I am sure you all celebrated Diwali. And in a few months, when India celebrates Holi, Guyana will celebrate Phagwa.

This year, the Diwali was special as Ram Lalla returned to Ayodhya after 500 years. People in India remember that the holy water and shilas from Guyana were also sent to build the Ram Mandir in Ayodhya. Despite being oceans apart, your cultural connection with Mother India is strong.

I could feel this when I visited the Arya Samaj Monument and Saraswati Vidya Niketan School earlier today. Both India and Guyana are proud of our rich and diverse culture. We see diversity as something to be celebrated, not just accommodated. Our countries are showing how cultural diversity is our strength.

Friends,

Wherever people of India go, they take one important thing along with them. The food! The Indo-Guyanese community also has a unique food tradition which has both Indian and Guyanese elements. I am aware that Dhal Puri is popular here! The seven-curry meal that I had at President Ali’s home was delicious. It will remain a fond memory for me.

Friends,

The love for cricket also binds our nations strongly. It is not just a sport. It is a way of life, deeply embedded in our national identity. The Providence National Cricket Stadium in Guyana stands as a symbol of our friendship.

Kanhai, Kalicharan, Chanderpaul are all well-known names in India. Clive Lloyd and his team have been a favourite of many generations. Young players from this region also have a huge fan base in India. Some of these great cricketers are here with us today. Many of our cricket fans enjoyed the T-20 World Cup that you hosted this year.

Your cheers for the ‘Team in Blue’ at their match in Guyana could be heard even back home in India!

Friends,

This morning, I had the honour of addressing the Guyanese Parliament. Coming from the Mother of Democracy, I felt the spiritual connect with one of the most vibrant democracies in the Caribbean region. We have a shared history that binds us together. Common struggle against colonial rule, love for democratic values, And, respect for diversity.

We have a shared future that we want to create. Aspirations for growth and development, Commitment towards economy and ecology, And, belief in a just and inclusive world order.

Friends,

I know the people of Guyana are well-wishers of India. You would be closely watching the progress being made in India. India’s journey over the past decade has been one of scale, speed and sustainability.

In just 10 years, India has grown from the tenth largest economy to the fifth largest. And, soon, we will become the third-largest. Our youth have made us the third largest start-up ecosystem in the world. India is a global hub for e-commerce, AI, fintech, agriculture, technology and more.

We have reached Mars and the Moon. From highways to i-ways, airways to railways, we are building state of art infrastructure. We have a strong service sector. Now, we are also becoming stronger in manufacturing. India has become the second largest mobile manufacturer in the world.

Friends,

India’s growth has not only been inspirational but also inclusive. Our digital public infrastructure is empowering the poor. We opened over 500 million bank accounts for the people. We connected these bank accounts with digital identity and mobiles. Due to this, people receive assistance directly in their bank accounts. Ayushman Bharat is the world’s largest free health insurance scheme. It is benefiting over 500 million people.

We have built over 30 million homes for those in need. In just one decade, we have lifted 250 million people out of poverty. Even among the poor, our initiatives have benefited women the most. Millions of women are becoming grassroots entrepreneurs, generating jobs and opportunities.

Friends,

While all this massive growth was happening, we also focused on sustainability. In just a decade, our solar energy capacity grew 30-fold ! Can you imagine ?We have moved towards green mobility, with 20 percent ethanol blending in petrol.

At the international level too, we have played a central role in many initiatives to combat climate change. The International Solar Alliance, The Global Biofuels Alliance, The Coalition for Disaster Resilient Infrastructure, Many of these initiatives have a special focus on empowering the Global South.

We have also championed the International Big Cat Alliance. Guyana, with its majestic Jaguars, also stands to benefit from this.

Friends,

Last year, we had hosted President Irfaan Ali as the Chief Guest of the Pravasi Bhartiya Divas. We also received Prime Minister Mark Phillips and Vice President Bharrat Jagdeo in India. Together, we have worked to strengthen bilateral cooperation in many areas.

Today, we have agreed to widen the scope of our collaboration -from energy to enterprise,Ayurveda to agriculture, infrastructure to innovation, healthcare to human resources, anddata to development. Our partnership also holds significant value for the wider region. The second India-CARICOM summit held yesterday is testament to the same.

As members of the United Nations, we both believe in reformed multilateralism. As developing countries, we understand the power of the Global South. We seek strategic autonomy and support inclusive development. We prioritize sustainable development and climate justice. And, we continue to call for dialogue and diplomacy to address global crises.

Friends,

I always call our diaspora the Rashtradoots. An Ambassador is a Rajdoot, but for me you are all Rashtradoots. They are Ambassadors of Indian culture and values. It is said that no worldly pleasure can compare to the comfort of a mother’s lap.

You, the Indo-Guyanese community, are doubly blessed. You have Guyana as your motherland and Bharat Mata as your ancestral land. Today, when India is a land of opportunities, each one of you can play a bigger role in connecting our two countries.

Friends,

Bharat Ko Janiye Quiz has been launched. I call upon you to participate. Also encourage your friends from Guyana. It will be a good opportunity to understand India, its values, culture and diversity.

Friends,

Next year, from 13 January to 26 February, Maha Kumbh will be held at Prayagraj. I invite you to attend this gathering with families and friends. You can travel to Basti or Gonda, from where many of you came. You can also visit the Ram Temple at Ayodhya. There is another invite.

It is for the Pravasi Bharatiya Divas that will be held in Bhubaneshwar in January. If you come, you can also take the blessings of Mahaprabhu Jagannath in Puri. Now with so many events and invitations, I hope to see many of you in India soon. Once again, thank you all for the love and affection you have shown me.

Thank you.
Thank you very much.

And special thanks to my friend Ali. Thanks a lot.