भारत और जापान के बीच जो गहरे संबंध हैं, उन संबंधों का यश सिर्फ दो देशों की सरकारों को नहीं जाता है। उन संबंधों का यश आप जैसे सामाजिक जीवन के सभी वरिष्‍ठ लोगों ने जिस भावना के साथ एक छोटे से पौधे को अपनी बुद्धिमता-क्षमता के अनुसार एक विशाल वटवृक्ष बनाया है, इसके लिए आपको और आपके पूर्व के पीढि़यों को इसका यश जाता है। उनका हक बनता है और मैं इसलिए अब तक जिन-जिन लोगों ने भारत और जापान के संबंधों को सुदृढ़ किया है, उन सबका मैं हृदय से आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

मुझे बताया गया है कि भारत-जापान एसोसिएशन को 110 साल हो गए हैं। मैं सोच रहा था कि आज के युग में एक फैमिली भी 100 साल तक इकट्ठे नहीं रहती है। अगर एक परिवार 100 साल तक इकट्ठा नहीं रह सकता है तो ये लीडरशिप की कितनी मैच्‍योरिटी होगी, दोनों देशों के नीति निर्धारकों की कितनी मैच्‍योरिटी होगी, जिसके कारण 110 साल तक ये संबंध और गहरा होता गया। ये अपने आप में, एक बहुत बड़ी प्रेरणा दायक घटना है।

मुझे यह भी बताया गया कि जापान की किसी भी देश के साथ इतनी पुरानी एक भी एसोसिएशन नहीं है, जितनी कि जापान और भारत की है। हमारे पूर्वजों ने ये जो महान नींव रखी है, मैं नहीं मानता हूं कि ये महान काम किसी तत्‍कालीन लाभ के लिए किया गया है। ये नींव पूरे मानव जाति के कल्‍याण को ध्‍यान में रखते हुए ये नींव रखी गई है जिसे दोनों देशों के महानुभावों ने और ताकतवर बनाया है।

अब हम इस पीढ़ी की और आने वाले पीढि़यों की जिम्‍मेदारी है, कि जो 110 साल की ये यात्रा है, एक तपस्‍या है, उसको हम अधिक प्राणवान कैसे बनायें, अधिक जीवंत कैसे बनायें और आने वाली पीढि़यों तक उसके संस्‍कार संक्रमण के लिए हम मिलकर के क्‍या कर सकते हैं, ये हम सबका दायित्‍व है।

कल जैसे प्रधानमंत्री आबे और मेरे बीच जो वार्ता हुई, हमारा एक जो तोक्यो डिक्‍लरेशन था, उसमें एक महत्‍वपूर्ण निर्णय हुआ है कि अब तक हम ‘स्‍ट्रे‍टेजिक ग्‍लोबल पार्टनर्स’ के रूप में काम करते थे, अब हमारा उसका स्‍टेटस ऊपर करके ‘स्‍पेशल स्‍ट्रेटेजिक ग्‍लोबल पार्टनर्स’ के रूप में आगे बढ़े हैं। ये हो सका है, इसके दो कारण हैं। एक, ये 110 साल पुरानी निरंतर हमारी ये एसोसिएशन, ये निरंतर संपर्क की व्‍यवस्‍था, इंडियन और जापानीज पार्लियामेंट्री एसोसिएशन की सक्रियता और दूसरा जो सबसे बड़ा कारण है, वह आज भले हम स्‍पेशल स्‍ट्रेटेजिक ग्‍लोबल पार्टनर्स के रूप में कागज पर हमने शायद लिखा हो, लेकिन जो चीज हमने कागज पे नहीं, हमारे दिलों में लिखी गई है, वह है जापान भारत की ‘स्पिरिचुअल पार्टनरशिप’।

मैं देख रहा हूं कि जापान में धीरे-धीरे हिंदी भाषा सीखने का जो उत्‍साह है, उमंग है, वह बढ़ता ही चला जा रहा है। उसी प्रकार से योग के संबंध में मैं देख रहा हूं कि जापान की रूचि और बढ़ रही है। यानी एक-एक बारीक चीज का संबंध हमारा जुड़ रहा है।

जापान का भारत पर कितना बड़ा हक है, मैं एक उदाहरण बताना चाहता हूं। अभी कुछ दिन पहले मुझे आपकी एक चिट्ठी मिली थी और चिट्ठी में आपने मुझे लिखा था कि मोदी जी आप आएंगे तो हिंदी में बोलिये। आप ही ने लिखी थी ना। जरा सा हमारे भारत के लोगों को आपका चेहरा बताइए। और इतनी बढि़या हिंदी में चिट्ठी लिखी है। प्‍लीज, ये हमारे लोग देखना चाहेंगे, आपको। इतनी, इतनी बढि़या हिंदी में चिट्ठी लिखी है उन्‍होंने मुझे और उन्‍होंने मुझे आग्रह किया है कि मोदी जी, मैं आपसे आग्रह करूंगा कि आप जापान के किसी भी कार्यक्रम में जाएं, कृपा करके हिंदी में बोलिये।

देखिए, एक-एक सामान्‍य व्‍यक्ति का ये जो लगाव है, ये जो अपनापन है, ये अपने आप में हैरान करने वाला हे। जब मैं यहां सुभाष चंद्र बोस की बात करूं तो मुझे यहां इतने लोग मिलेंगे, बड़े गौरव के साथ उन स्‍मृतियों को बताएंगे। मुझे ये भी बताया गया है कि आपके इन सदस्‍यों में एक सबसे वयोवृद्ध हैं। शायद उनकी उमर 95 इयर है। वे आज भी सुभाष बाबू की सारी घटनाओं का इतना वर्णन करते हैं, इतनी डिटेल बताते हैं। सुभाष बाबू उनसे शेक हैंड नहीं करते थे, गले लगते थे। वे सारी बातों को बताते हैं। वो यहां बैठे हैं खास इस काम के लिए आए हैं। खड़े हो पाएंगे, मैं उनको प्रणाम करता हूं। वो सुभाष बाबू के एक बहुत बड़े निकट के साथी रहे हैं।मैं उनको प्रणाम करता हूं।

आपको सुभाष बाबू की कौन सी साल, कौन सी डेट, सारी घटनाएं अभी भी याद हैं। मैंने हमारे एम्‍बेसेडर को कहा है कि हाइली प्रोफेशनल वीडियो टीम उनके साथ एक महीने के लिए लगा दिया जाए और उसका वीडियो रिकॉर्डिंग होना चाहिए। महीने भर कोई उसके साथ रहें, उनका इंटरव्‍यू लेते रहे और हर पुरानी बातों को रिकार्ड करे। क्‍योंकि यह एक जीते-जागते इतिहास की हमारे पास तवारीख हैं। तो ऐसी बहुत सी चीजें हमारे साथ जुड़ी हुई हैं।

मैं जब पहली बार जापान आया था तो मैं मोरी जी के घर गया था। बड़े प्‍यार से उन्‍होंने मुझे अपने घर पर बुलाया था, तो कड़ी की बात निकली। जापान में कड़ी बहुत फेमस है। तो मुझे बताया गया, बंगाल से जो परिवार आए थे, उन्‍होंने सबसे पहले कड़ी की शुरूआत की थी। वो आज एक प्रकार से जापान की फेवरेट डिश बन गई है। यानी कितनी निकटता कितनी बारीकी है। और मैं मानता हूं कि इसको हमें और महात्‍म्‍य देना चाहिए। और आगे बढ़ना चाहिए।

पार्लियामेंट्री ऐसोसिएशन का भी बहुत बड़ा योगदान है। इन संबंधों के कारण दोनों देशों की नीतियों में हमेशा उस बात पर ध्‍यान रखा गया है कि हमारे संबंधों को कोई खरोंच न आ जाए। कोई भी उस पर नुकसान न हो जाए।

पार्लियामेंट्री एसोसिएशन के लिए मेरे मन में कुछ विचार आए हैं। मैं चाहूंगा कि इसको आगे चलकर के हम इसको कुछ एक्‍सपैंड कर सकते हैं क्‍या ? एक तो मैं भारत के लिए इस पार्लियामेंट्री एसोसिएशन के लिए निमन्‍त्रण देता हूं। आप आइए और दिल्‍ली के सिवाए भी मैं चाहूंगा कि कुछ और लोकेशन पर भी जाइए और भारत को खुशी होगी, आप सबकी मेहमान नवाजी करने की। दो-तीन और चीजें अगर हम कर सकते हैं तो सोचें। एक पार्लियामेंट्री एसोसिएशन बहुत अच्‍छा चल रहा है। भारत से भी लोग यहीं आते हैं। यहां के भी पार्लियामेंट मेम्‍बर्स आते हैं और एक अंडरस्‍टेंडिंग ईच अदर, ये अपने आप में बहुत अच्‍छी प्रोग्रेस हो रही है। लेकिन समय रहते उसमें मुझे थोड़े बदलाव की मुझे जरूरत लगती है।

इसी पार्लियामेंटरी एसोसिएशन के साथ एक छोटा सा यंग पार्लियामेंटरी ऐसोसिएशन बना सकते हैं क्‍या ? जो दोनों देशों के यंगेस्‍ट पार्लियामेंटेरियंस हैं, उनका जरा मिलना-जुलना हो, वो अपनी नई पीढ़ी की सोच की चर्चा करें। उस दिशा में कुछ कर सकते हैं क्‍या ?

दूसरा, एक मेरे मन में विचार आता है, क्‍या दोनों देशों की वीमेन पार्लियामेंट मेम्‍बर्स का एसोसिएशन बन सकता है क्‍या। जिसमें महिला पार्लियामेंट मेम्‍बर्स के बारी-बारी से मिलने की संभावना बन सकती है क्‍या ?सभी महिलाओं ने सबसे पहले तालियां बजाई हैं।

तीसरा एक जो मुझे लगता है कि भारत इतना विशाल देश है। इतने राज्‍य हैं, हर राज्‍य की अपनी असेम्‍बली है, और असेम्‍बली के भी मेम्‍बर्स है। क्‍या कभी न कभी हम उन राज्‍यों से और एक ही राज्‍य से सभी एमएलए नहीं, लेकिन 5-6 राज्‍यों के दो-दो करके एमएलए यहां आए और यहां से भी उसी प्रकार से लोकल बॉडीज के लोग आयें । ये अगर हमारा बनता है तो इतना बड़ा विशाल देश है, भिन्‍न–भिन्‍न कोने में जाने का हो जाए। और हम यह तय कर सकते हैं कि जापान का कोई न कोई डेलीगेशन, हिंदुस्‍तान में 25 से भी ज्‍यादा राज्‍य हैं, हर महीने अगर दो डेलीगेशन आते हैं, और एक राज्‍य में एक डेलीगेशन जाता है और लोग आते चलें – आते चलें। अब देखिए, देखते ही देखते जापान में हिंदुस्‍तान की एक्‍सपर्टाइज वाले 1000 लोग तैयार हो जाएंगे।

आपने मुझे यहां बुलाया, मेरा सम्‍मान किया। मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। लेकिन मैं अनुभव करता हूं, मैं कारण नहीं जानता हूं। लेकिन, मैं जब भी जापान आया हूं और जब भी जापान के लोगों से मिलता हूं मुझे एक अलग सा अपनापन महसूस होता है। वो ये अपनापन क्‍या है, मैं नहीं जानता, शास्‍त्र कौन से होंगे। देखिए मुझे बहुत अपनापन लगता है और मुझे इतना प्‍यार मिलता है जापान से।

आपके एम्‍बेसडर मेरे यहां थे, वो मेरे यहां 3 साल रहे और मैंने देखा कि हम इतने मित्र की तरह साथ काम करते थे, इतनी हमारी दोस्‍ती बन गई थी। और इतने कामों को हम बढ़ा रहे थे और इसलिए मैं मानता हूं कि आपने जो अपनापन मुझे दिया है, वो प्रधानमंत्री पद से भी बहुत बड़ी चीज है। बहुत बड़ी चीज है, जो आपने मुझे दिया है। मैं इसको कभी भूल नहीं सकता हूं।

मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं, और मेरी आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्‍यवाद।

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November 22, 2024

गुटेन आबेन्ड

स्टटगार्ड की न्यूज 9 ग्लोबल समिट में आए सभी साथियों को मेरा नमस्कार!

मिनिस्टर विन्फ़्रीड, कैबिनेट में मेरे सहयोगी ज्योतिरादित्य सिंधिया और इस समिट में शामिल हो रहे देवियों और सज्जनों!

Indo-German Partnership में आज एक नया अध्याय जुड़ रहा है। भारत के टीवी-9 ने फ़ाउ एफ बे Stuttgart, और BADEN-WÜRTTEMBERG के साथ जर्मनी में ये समिट आयोजित की है। मुझे खुशी है कि भारत का एक मीडिया समूह आज के इनफार्मेशन युग में जर्मनी और जर्मन लोगों के साथ कनेक्ट करने का प्रयास कर रहा है। इससे भारत के लोगों को भी जर्मनी और जर्मनी के लोगों को समझने का एक प्लेटफार्म मिलेगा। मुझे इस बात की भी खुशी है की न्यूज़-9 इंग्लिश न्यूज़ चैनल भी लॉन्च किया जा रहा है।

साथियों,

इस समिट की थीम India-Germany: A Roadmap for Sustainable Growth है। और ये थीम भी दोनों ही देशों की Responsible Partnership की प्रतीक है। बीते दो दिनों में आप सभी ने Economic Issues के साथ-साथ Sports और Entertainment से जुड़े मुद्दों पर भी बहुत सकारात्मक बातचीत की है।

साथियों,

यूरोप…Geo Political Relations और Trade and Investment…दोनों के लिहाज से भारत के लिए एक Important Strategic Region है। और Germany हमारे Most Important Partners में से एक है। 2024 में Indo-German Strategic Partnership के 25 साल पूरे हुए हैं। और ये वर्ष, इस पार्टनरशिप के लिए ऐतिहासिक है, विशेष रहा है। पिछले महीने ही चांसलर शोल्ज़ अपनी तीसरी भारत यात्रा पर थे। 12 वर्षों बाद दिल्ली में Asia-Pacific Conference of the German Businesses का आयोजन हुआ। इसमें जर्मनी ने फोकस ऑन इंडिया डॉक्यूमेंट रिलीज़ किया। यही नहीं, स्किल्ड लेबर स्ट्रेटेजी फॉर इंडिया उसे भी रिलीज़ किया गया। जर्मनी द्वारा निकाली गई ये पहली कंट्री स्पेसिफिक स्ट्रेटेजी है।

साथियों,

भारत-जर्मनी Strategic Partnership को भले ही 25 वर्ष हुए हों, लेकिन हमारा आत्मीय रिश्ता शताब्दियों पुराना है। यूरोप की पहली Sanskrit Grammer ये Books को बनाने वाले शख्स एक जर्मन थे। दो German Merchants के कारण जर्मनी यूरोप का पहला ऐसा देश बना, जहां तमिल और तेलुगू में किताबें छपीं। आज जर्मनी में करीब 3 लाख भारतीय लोग रहते हैं। भारत के 50 हजार छात्र German Universities में पढ़ते हैं, और ये यहां पढ़ने वाले Foreign Students का सबसे बड़ा समूह भी है। भारत-जर्मनी रिश्तों का एक और पहलू भारत में नजर आता है। आज भारत में 1800 से ज्यादा जर्मन कंपनियां काम कर रही हैं। इन कंपनियों ने पिछले 3-4 साल में 15 बिलियन डॉलर का निवेश भी किया है। दोनों देशों के बीच आज करीब 34 बिलियन डॉलर्स का Bilateral Trade होता है। मुझे विश्वास है, आने वाले सालों में ये ट्रेड औऱ भी ज्यादा बढ़ेगा। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि बीते कुछ सालों में भारत और जर्मनी की आपसी Partnership लगातार सशक्त हुई है।

साथियों,

आज भारत दुनिया की fastest-growing large economy है। दुनिया का हर देश, विकास के लिए भारत के साथ साझेदारी करना चाहता है। जर्मनी का Focus on India डॉक्यूमेंट भी इसका बहुत बड़ा उदाहरण है। इस डॉक्यूमेंट से पता चलता है कि कैसे आज पूरी दुनिया भारत की Strategic Importance को Acknowledge कर रही है। दुनिया की सोच में आए इस परिवर्तन के पीछे भारत में पिछले 10 साल से चल रहे Reform, Perform, Transform के मंत्र की बड़ी भूमिका रही है। भारत ने हर क्षेत्र, हर सेक्टर में नई पॉलिसीज बनाईं। 21वीं सदी में तेज ग्रोथ के लिए खुद को तैयार किया। हमने रेड टेप खत्म करके Ease of Doing Business में सुधार किया। भारत ने तीस हजार से ज्यादा कॉम्प्लायेंस खत्म किए, भारत ने बैंकों को मजबूत किया, ताकि विकास के लिए Timely और Affordable Capital मिल जाए। हमने जीएसटी की Efficient व्यवस्था लाकर Complicated Tax System को बदला, सरल किया। हमने देश में Progressive और Stable Policy Making Environment बनाया, ताकि हमारे बिजनेस आगे बढ़ सकें। आज भारत में एक ऐसी मजबूत नींव तैयार हुई है, जिस पर विकसित भारत की भव्य इमारत का निर्माण होगा। और जर्मनी इसमें भारत का एक भरोसेमंद पार्टनर रहेगा।

साथियों,

जर्मनी की विकास यात्रा में मैन्यूफैक्चरिंग औऱ इंजीनियरिंग का बहुत महत्व रहा है। भारत भी आज दुनिया का बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने की तरफ आगे बढ़ रहा है। Make in India से जुड़ने वाले Manufacturers को भारत आज production-linked incentives देता है। और मुझे आपको ये बताते हुए खुशी है कि हमारे Manufacturing Landscape में एक बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है। आज मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग में भारत दुनिया के अग्रणी देशों में से एक है। आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा टू-व्हीलर मैन्युफैक्चरर है। दूसरा सबसे बड़ा स्टील एंड सीमेंट मैन्युफैक्चरर है, और चौथा सबसे बड़ा फोर व्हीलर मैन्युफैक्चरर है। भारत की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री भी बहुत जल्द दुनिया में अपना परचम लहराने वाली है। ये इसलिए हुआ, क्योंकि बीते कुछ सालों में हमारी सरकार ने Infrastructure Improvement, Logistics Cost Reduction, Ease of Doing Business और Stable Governance के लिए लगातार पॉलिसीज बनाई हैं, नए निर्णय लिए हैं। किसी भी देश के तेज विकास के लिए जरूरी है कि हम Physical, Social और Digital Infrastructure पर Investment बढ़ाएं। भारत में इन तीनों Fronts पर Infrastructure Creation का काम बहुत तेजी से हो रहा है। Digital Technology पर हमारे Investment और Innovation का प्रभाव आज दुनिया देख रही है। भारत दुनिया के सबसे अनोखे Digital Public Infrastructure वाला देश है।

साथियों,

आज भारत में बहुत सारी German Companies हैं। मैं इन कंपनियों को निवेश और बढ़ाने के लिए आमंत्रित करता हूं। बहुत सारी जर्मन कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने अब तक भारत में अपना बेस नहीं बनाया है। मैं उन्हें भी भारत आने का आमंत्रण देता हूं। और जैसा कि मैंने दिल्ली की Asia Pacific Conference of German companies में भी कहा था, भारत की प्रगति के साथ जुड़ने का- यही समय है, सही समय है। India का Dynamism..Germany के Precision से मिले...Germany की Engineering, India की Innovation से जुड़े, ये हम सभी का प्रयास होना चाहिए। दुनिया की एक Ancient Civilization के रूप में हमने हमेशा से विश्व भर से आए लोगों का स्वागत किया है, उन्हें अपने देश का हिस्सा बनाया है। मैं आपको दुनिया के समृद्ध भविष्य के निर्माण में सहयोगी बनने के लिए आमंत्रित करता हूँ।

Thank you.

दान्के !