PM Modi’s first address to the Nation on Radio

Published By : Admin | October 3, 2014 | 13:43 IST

मेरे प्यारे देशवासियो,

आज विजयदशमी का पावन पर्व है। आप सबको विजयदशमी की अनेक- अनेक शुभकामनाएं।

मैं आज रेडियो के माध्यम से आपसे कुछ मन की बाते बताना चाहता हूं और मेरे मन में तो ऐसा है कि सिर्फ आज नहीं कि बातचीत का अपना क्रम आगे भी चलता रहे। मैं कोशिश करूंगा, हो सके तो महीने में दो बार या तो महीने में एक बार समय निकाल कर के आपसे बाते करूं। आगे चलकर के मैंने मन में यह भी सोचा है कि जब भी बात करूंगा तो रविवार होगा और समय प्रात: 11 बजे का होगा तो आपको भी सुविधा रहेगी और मुझे भी ये संतोष होगा कि मैं मेरे मन की बात आपके मन तक पहुंचाने में सफल हुआ हूं।

आज जो विजयदशमी का पर्व मनाते हैं ये विजयदशमी का पर्व बुराइयों पर अच्छाइयों की विजय का पर्व है। लेकिन एक श्रीमान गणेश वेंकटादरी मुंबई के सज्जन, उन्हों ने मुझे एक मेल भेजा,  उन्होंने कहा कि विजयदशमी में हम अपने भीतर की दस बुराइयों को खत्म करने का संकल्प करें। मैं उनके इस सुझाव के लिए उनका आभार व्यक्त करता हूं। हर कोई जरूर सोचता होगा अपने-अपने भीतर की जितनी ज्यादा बुराइयों को पराजय करके विजय प्राप्त करे, लेकिन राष्ट्र  के रूप में मुझे लगता है कि आओ विजयदशमी के पावन पर्व पर हम सब गंदगी से मुक्ति का संकल्प करें और गंदगी को खत्म  कर कर के विजय प्राप्त करना विजयदशमी के पर्व पर हम ये संकल्प कर सकते हैं।

कल 2 अक्टूबर पर महात्मा गांधी की जन्म जयंती पर “स्वच्छ‍भारत” का अभियान सवा सौ करोड़ देशवासियों ने आरंभ किया है। मुझे विश्वास है कि आप सब इसको आगे बढ़ाएंगे। मैंने कल एक बात कही थी “स्वच्छ  भारत अभियान” में कि मैं नौ लोगों को निमंत्रित करूंगा और वे खुद सफाई करते हुए अपने वीडियो को सोशल मीडिया में अपलोड करेंगे और वे ‘और’ नौ लोगों को निमंत्रित करेंगे। आप भी इसमें जुडि़ए, आप सफाई कीजिए, आप जिन नौ लोगों का आह्वान करना चाहते हैं, उनको कीजिए, वे भी सफाई करें, आपके साथी मित्रों को कहिए, बहुत ऊपर जाने की जरूरत नहीं, और नौ लोगों को कहें, फिर वो और नौ लोगों को कहें, धीरे-धीरे पूरे देश में ये माहौल बन जाएगा। मैं विश्वास करता हूं कि इस काम को आप आगे बढ़ायेंगे।

हम जब महात्मा गांधी की बात करते हैं, तो खादी की बात बहुत स्वाभाविक ध्यान में आती है। आपके परिवार में अनेक प्रकार के वस्त्र  होंगे, अनेक प्रकार के वस्त्र होंगे, अनेक प्रकार के  फैब्रिक्स होंगे, अनेक कंपनियों के productsहोंगे, क्या उसमें एक खादी का नहीं हो सकता क्या,  मैं अपको खादीधारी बनने के लिए नहीं कह रहा, आप पूर्ण खादीधारी होने का व्रत करें, ये भी नहीं कह रहा। मैं सिर्फ इतना कहता हूं कि कम से कम एक चीज, भले ही वह हैंडकरचीफ,  भले घर में नहाने का तौलिया हो, भले हो सकता है बैडशीट हो, तकिए का कबर हो, पर्दा हो, कुछ तो भी हो, अगर परिवार में हर प्रकार के फैब्रिक्स का शौक है,  हर प्रकार के कपड़ों का शौक है, तो ये नियमित होना चाहिए और ये मैं इसलिए कह रहा हूं कि अगर आप खादी का वस्त्र खरीदते हैं तो एक गरीब के घर में दीवाली का दीया जलता है और इसीलिए एकाध चीज ... और इन दिनों तो 2 अक्टूबर से लेकर करीब महीने भर खादी के बाजार में स्पेशल डिस्काउंट होता है, उसका फायदा भी उठा सकते हैं। एक छोटी चीज…… और आग्रहपूर्वक इसको करिए और आप देखिए गरीब के साथ आपका कैसा जुड़ाव आता है। उस पर आपको कैसी सफलता मिलती है। मैं जब कहता हूं सवा सौ करोड़ देशवासी अब तक क्या हुआ है.... हमको लगता है सब कुछ सरकार करेगी और हम कहां रह गए,  हमने देखा है .... अगर आगे बढ़ना है तो सवा सौ करोड़ देशवासियों को...करना पड़ेगा ….. हमें खुद को पहचानना पड़ेगा, अपनी शक्ति को जानना पड़ेगा और मैं सच बताता हूं हम विश्व में अजोड़ लोग हैं। आप जानते हैं हमारे ही वैज्ञानिकों ने कम से कम खर्च में मार्स पहुंचने का सफल प्रयोग, सफलता पूर्वक पर कर दिया। हमारी ताकत में कमी नहीं है, सिर्फ हम  अपनी शक्ति को भूल चुके हैं। अपने आपको भूल चुके हैं। हम जैसे निराश्रित बन गए हैं.. नहीं मेरे प्यारे भइयों बहनों ऐसा नहीं हो सकता। मूझे स्वामी विवेकानन्द जी जो एक बात कहते थे, वो बराबर याद आती है। स्वामी वि‍वेकानन्द  अक्सर एक बात हमेशा बताया करते थे। शायद ये बात उन्होंने कई बार लोगों को सुनाई होगी।

विवेकानन्द जी कहते थे कि एक बार एक शेरनी अपने दो छोटे-छोटे बच्चों को ले कर के रास्ते से गुजर रही थी। दूर से उसने भेड़ का झुंड देखा,  तो शिकार करने का मन कर गया,  तो शेरनी उस तरफ दौड़ पड़ी और उसके साथ उसका एक बच्चा भी दौड़ने लगा। उसका दूसरा बच्चा  पीछे छूट गया और शेरनी भेड़ का शिकार करती हुई आगे बढ़ गई। एक बच्चा भी चला गया, लेकिन एक बच्चा बिछड़ गया, जो बच्चा बिछड़ गया उसको एक माता भेड़ ने उसको पाला-पोसा बड़ा किया और वो शेर भेड़ के बीच में ही बड़ा होने लगा। उसकी बोलचाल, आदतें सारी भेड़ की जैसी हो गईं। उसका हंसना खेलना,  बैठना,  सब भेड़ के साथ ही हो गया। एक बार, वो जो शेरनी के साथ बच्चा चला गया था, वो अब बड़ा हो गया था। उसने उसको एक बार देखा ये क्या बात है। ये तो शेर है और भेड़ के साथ खेल रहा है। भेड़ की तरह बोल रहा है। क्या‍हो गया है इसको। तो शेर को थोड़ा अपना अहम पर ही संकट आ गया। वो इसके पास गया। वो कहने लगा अरे तुम क्या कर रहे हो। तुम तो शेर हो। कहता- नहीं, मैं तो भेड़ हूं। मैं तो इन्हीं के बीच पला-बढ़ा हूं। उन्होंने मुझे बड़ा किया है। मेरी आवाज देखिए, मेरी बातचीत का तरीका देखिए। तो शेर ने कहा कि चलो मैं दिखाता हूं तुम कौन हो। उसको एक कुएं के पास ले गया और कुएं में पानी के अंदर उसका चेहरा दिखाया और खुद के चेहरे के साथ उसको कहा- देखो, हम दोनों का चेहरा एक है। मैं भी शेर हूं, तुम भी शेर हो और जैसे ही उसके भीतर से आत्मसम्मान जगा, उसकी अपनी पहचान हुई तो वो भी उस शेर की तरह,  भेड़ों के बीच पला शेर भी दहाड़ने लगा। उसके भीतर का सत्व जग गया। स्वामी विवेकानंद जी यही कहते थे। मेरे देशवासियों, सवा सौ करोड़ देशवासियों के भीतर अपार शक्ति है, अपार सामर्थ्य है। हमें अपने आपको पहचानने की जरूरत है। हमारे भीतर की ताकत को पहचानने की जरूरत है और फिर जैसा स्वामी विवेकानंदजी ने कहा था उस आत्म-सम्मान को ले करके, अपनी सही पहचान को ले करके हम चल पड़ेंगे, तो विजयी होंगे और हमारा राष्ट्र भी विजयी होगा, सफल होगा। मुझे लगता है हमारे सवा सौ करोड़ देशवासी भी सामर्थ्यवान हैं, शक्तिवान हैं और हम भी बहुत विश्वास के साथ खड़े हो सकते हैं।

इन दिनों मुझे ई-मेल के द्वारा सोशल मीडिया के द्वारा, फेस-बुक के द्वारा कई मित्र मुझे चिट्ठी लिखते हैं। एक गौतम पाल करके व्यक्ति ने एक चिंता जताई है, उसने कहा है कि जो स्पैशली एबल्ड चाईल्ड होते हैं, उन बालकों के लिए नगरपालिका हो, महानगरपालिका, पंचायत हो, उसमें कोई न कोई विशेष योजनाएं होती रहनी चाहिएं। उनका हौसला बुलन्द करना चाहिए। मुझे उनका ये सुझाव अच्छा लगा क्यों कि मेरा अपना अनुभव है कि जब मैं गुजरात में मुख्यामंत्री था तो 2011 में एथेन्स में जो स्पेशल ओलम्पिक होता है, उसमें जब गुजरात के बच्चे गये और विजयी होकर आये तो मैंने उन सब बच्चों  को, स्पेशली एबल्ड बच्चों  को मैंने घर बुलाया। मैंने दो घंटे उनके साथ बिताये, शायद वो मेरे जीवन का बहुत ही इमोशनल,  बड़ा प्रेरक, वो घटना थी। क्योंकि मैं मानता हूं कि किसी परिवार में स्पेशली एबल्ड बालक है तो सिर्फ उनके मां-बाप का दायित्व नहीं है। ये पूरे समाज का दायित्व है। परमात्मा ने शायद उस परिवार को पसंद किया है, लेकिन वो बालक तो सारे राष्ट्र् की जिम्मेसदारी होता है। बाद में इतना मैं इमोशनली टच हो गया था कि मैं गुजरात में स्पे‍शली एबल्ड  बच्चों  के लिए अलग ओलम्पिक करता था। हजारों बालक आते थे, उनके मां-बाप आते थे। मैं खुद जाता था। ऐसा एक विश्वास का वातावरण पैदा होता था और इसलिए मैं गौतम पाल के सुझाव, जो उन्होंने दिया है,  इसके लिये मैं, मुझे अच्छा लगा और मेरा मन कर गया कि मैं मुझे जो ये सुझाव आया है मैं आपके साथ शेयर करूं।

     एक कथा मुझे और भी ध्यान आती है। एक बार एक राहगीर रास्ते के किनारे पर बैठा था और आते-आते सबको पूछ रहा था मुझे वहाँ पहुंचना है, रास्ता  कहा है। पहले को पूछा, दूसरे को पूछा, चौथे को पूछा। सबको पूछता ही रहता था और उसके बगल में एक सज्जन बेठे थे। वो सारा देख रहे थे। बाद में खड़ा हुआ। खड़ा होकर किसी को पूछने लगा, तो वो सज्जन खड़े हो करके उनके पास आये। उसने कहा – देखो भाई, तुमको जहां जाना है न, उसका रास्ता इस तरफ से जाता है। तो उस राहगीर ने उसको पूछा कि भाई साहब आप इतनी देर से मेरे बगल में बेठे हो, मैं इतने लोगों को रास्ता पूछ रहा हूं,  कोई मुझे बता नहीं रहा है। आपको पता था तो आप क्यों  नहीं बताते थे। बोले, मुझे भरोसा नहीं था कि तुम सचमुच में चलकर के जाना चाहते हो या नहीं चाहते हो। या ऐसे ही जानकारी के लिए पूछते रहते हो। लेकिन जब तुम खड़े हो गये तो मेरा मन कर गया कि हां अब तो इस आदमी को जाना है, पक्का  लगता है। तब जा करके मुझे लगा कि मुझे आपको रास्ता दिखाना चाहिए।

     मेरे देशवासियों, जब तक हम चलने का संकल्प  नहीं करते, हम खुद खड़े नहीं होते, तब रास्ता दिखाने वाले भी नहीं मिलेंगे। हमें उंगली पकड़ कर चलाने वाले नहीं मिलेंगे। चलने की शुरूआत हमें करनी पड़ेगी और मुझे विशवास है कि सवा सौ करोड़ जरूर चलने के लिए सामर्थ्यवान है, चलते रहेंगे।

     कुछ दिनों से मेरे पास जो अनेक सुझाव आते हैं,  बड़े इण्टरेस्टिंग सुझाव लोग भेजते हैं। मैं जानता हूं कब कैसे कर पायेंगे, लेकिन मैं इन सुझावों के लिए भी एक सक्रियता जो है न,  देश हम सबका है,  सरकार का देश थोड़े न है। नागरिकों का देश है। नागरिकों का जुड़ना बहुत जरूरी है। मुझे कुछ लोगों ने कहा है कि जब वो लघु उद्योग शुरू करते हैं तो उसकी पंजीकरण जो प्रक्रिया है वो आसान होनी चाहिए। मैं जरूर सरकार को उसके लिए सूचित करूंगा। कुछ लोगों ने मुझे लिख करके भेजा है – बच्चों को पांचवीं कक्षा से ही स्किल डेवलेपमेंट सिखाना चाहिए। ताकि वो पढ़ते ही पढ़ते ही कोई न कोई अपना हुनर सीख लें, कारीगरी सीख लें। बहुत ही अच्छा सुझाव उन्होंने दिया है। उन्होंहने ये भी कहा है कि युवकों को भी स्किल डेवलेपमेंट होना चाहिए उनकी पढ़ाई के अंदर। किसी ने मुझे लिखा है कि हर सौ मीटर के अंदर डस्ट बीन होना चाहिए, सफाई की व्यनवस्था  करनी है तो।

कुछ लोगों ने मुझे लिख करके भेजा है कि पॉलीथिन के पैक पर प्रतिबंध लगना चाहिए। ढेर सारे सुझाव लोग मुझे भेज रहे हैं। मैं आगे से ही आपको कहता हूं अगर आप मुझे कहीं पर भी कोई सत्य घटना भेजेंगे,  जो सकारात्मरक हो, जो मुझे भी प्रेरणा दे,  देशवासियों को प्रेरणा दे, अगर ऐसी सत्य घटनाएं सबूत के साथ मुझे भेजोगे तो मैं जरूर जब मन की बात करूंगा, जो चीज मेरे मन को छू गयी है वो बातें मैं जरूर देशवासियों तक पहुंचाऊंगा।

ये सारा मेरा बातचीत करने का इरादा एक ही है – आओ, हम सब मिल करके अपनी भारत माता की सेवा करें। हम देश को नयी ऊंचाइयों पर ले जायें। हर कोई एक कदम चले, अगर आप एक कदम चलते हैं, देश सवा सौ करोड़ कदम आगे चला जाता है और इसी काम के लिए आज विजयदशमी के पावन पर्व पर अपने भीतर की सभी बुराइयों को परास्त करके विजयी होने के संकल्पर के साथ, कुछ अच्छा करने का निर्णय करने के साथ हम सब प्रारंभ करें। आज मेरी शुभ शुरूआत है। जैसा जैसा मन में आता जायेगा, भविष्य में जरूर आपसे बातें करता रहूंगा। आज जो बातें मेरे मन में आईं वो बातें मैंने आपको कही है। फिर जब मिलूंगा, रविवार को मिलूंगा। सुबह 11 बजे मिलूंगा लेकिन मुझे विश्वास है कि हमारी यात्रा बनी रहेगी, आपका प्यार बना रहेगा।

आप भी मेरी बात सुनने के बाद अगर मुझे कुछ कहना चाहते हैं,  जरूर मुझें पहुंचा दीजिये, मुझे अच्छा  लगेगा। मुझे बहुत अच्छा  लगा आज आप सबसे बातें कर के‍और रेडियो का....ऐसा सरल माध्यम है कि मैं दूर-दूर तक पहुंच पाऊंगा। गरीब से गरीब घर तक पहुंच जाऊंगा,  क्योंकि मेरा,  मेरे देश की ताकत गरीब की झोंपडी में है,  मेरे देश की ताकत गांव में है, मेरे देश की ताकत माताओं,  बहनों, नौजवानों में है, मेरी देश की ताकत किसानों में है। आपके भरोसे से ही देश आगे बढ़ेगा। मैं विश्वास व्यक्त  करता हूं। आपकी शक्ति में भरोसा है इसलिए मुझे भारत के भविष्य में भरोसा है।

मैं एक बार आप सबको बहुत-बहुत धन्यवाद देता हूं। आपने समय निकाला। फिर एक बार बहुत-बहुत धन्यववाद!

  • Vivek Kumar Gupta April 15, 2023

    जय जयश्रीराम 🙏🙏🙏🙏🙏
  • Vivek Kumar Gupta April 15, 2023

    नमो नमो 🙏🙏🙏🙏🙏
  • Vivek Kumar Gupta April 15, 2023

    नमो 🙏🙏
  • विश्वरंजन कुमार आनन्द October 04, 2022

    🇮🇳🙏🙏
  • Laxman singh Rana August 22, 2022

    नमो नमो 🇮🇳🌹
  • amit sharma July 26, 2022

    नमों
  • amit sharma July 26, 2022

    नमः
  • amit sharma July 26, 2022

    नमो
  • amit sharma July 26, 2022

    नमोनमो
  • Jayanta Kumar Bhadra July 10, 2022

    Jay Shree Krushna
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આદમપુર એર બેઝ પર બહાદુર વાયુસેનાનાં યોદ્ધાઓ અને સૈનિકો સાથે પ્રધાનમંત્રીની વાતચીતનો મૂળપાઠ
May 13, 2025
Quoteવાયુસેનાના યોદ્ધાઓ અને સૈનિકો સાથે વાતચીત કરી, આપણા રાષ્ટ્રનું રક્ષણ કરવામાં તેમની હિંમત અને વ્યાવસાયિકતા પ્રશંસનીય છે: પીએમ
Quote'ભારત માતા કી જય' ફક્ત એક સૂત્ર નથી, આ દરેક સૈનિકની શપથ છે, જે પોતાના દેશના સન્માન અને ગરિમા માટે પોતાનો જીવ દાવ પર લગાવે છે: પીએમ
Quoteઓપરેશન સિંદૂર એક ત્રિમૂર્તિ છે ભારતની નીતિ, ઇરાદો અને નિર્ણાયક ક્ષમતા: પીએમ
Quoteજ્યારે આપણી બહેનો અને દીકરીઓનું સિંદૂર ભૂંસાયું, ત્યારે અમે આતંકવાદીઓને તેમના ઠેકાણાઓમાં કચડી નાખ્યા: પીએમ
Quoteઆતંકવાદના માસ્ટરમાઇન્ડ્સ હવે જાણે છે કે ભારત સામે નજર રાખવાથી વિનાશ સિવાય બીજું કંઈ નહીં થાય: પીએમ
Quoteપાકિસ્તાનમાં આતંકવાદી ઠેકાણા અને એરબેઝનો જ નાશ થયો નથી, પરંતુ તેમના દુષ્ટ ઇરાદાઓ અને હિંમતને પણ પરાજિત કરવામાં આવી: પીએમ
Quoteઆતંકવાદ સામે ભારતની લક્ષ્મણ રેખા હવે સ્પષ્ટ છે, જો બીજો આતંકવાદી હુમલો થાય છે, તો ભારત જવાબ આપશે અને તે નિર્ણાયક જવાબ હશે: પીએમ
Quoteઓપરેશન સિંદૂરની દરેક ક્ષણ ભારતના સશસ્ત્ર દળોની શક્તિનો પુરાવો છે: પીએમ
Quoteજો પાકિસ્તાન વધુ કોઈ આતંકવાદી પ્રવૃત્તિ કે લશ્કરી આક્રમણ બતાવશે, તો અમે નિર્ણાયક જવાબ આપીશું, આ જવાબ અમારી શરતો પર, અમારી રીતે હશે: પ્રધાનમંત્રી
Quoteઆ નવું ભારત છે! આ ભારત શાંતિ ઇચ્છે છે, પરંતુ જો માનવતા પર હુમલો થાય છે, તો ભારત યુદ્ધના મેદાનમાં દુશ્મનને કેવી રીતે કચડી નાખવો તે પણ જાણે છે: પ્રધાનમંત્રી

ભારત માતા કી જય!

ભારત માતા કી જય!

ભારત માતા કી જય!

દુનિયાએ હમણાં જ આ જયઘોષની શક્તિ જોઈ છે. ભારત માતા કી જય, આ ફક્ત એક જયઘોષ નથી, તે દેશના દરેક સૈનિકની શપથ છે. જે ભારત માતાના સન્માન અને ગરિમા માટે પોતાનો જીવ જોખમમાં મૂકે છે. આ દેશના દરેક નાગરિકનો અવાજ છે. જે દેશ માટે જીવવા માંગે છે અને તેના માટે કંઈક પ્રાપ્ત કરવા માંગે છે. ભારત માતા કી જય, ક્ષેત્રમાં અને મિશનમાં પણ ગુંજતો રહે છે. જ્યારે ભારતીય સૈનિકો જય મા ભારતીના નારા લગાવે છે, ત્યારે દુશ્મનનું હૃદય ધ્રૂજી જાય છે. જ્યારે આપણા ડ્રોન દુશ્મનના કિલ્લાની દિવાલોનો નાશ કરે છે, જ્યારે આપણા મિસાઇલો તીક્ષ્ણ અવાજ સાથે લક્ષ્ય સુધી પહોંચે છે, ત્યારે દુશ્મન સાંભળે છે - ભારત માતા કી જય! જ્યારે આપણે રાતના અંધારામાં પણ સૂર્ય ઉગાવીએ છીએ, ત્યારે દુશ્મન જોઈ શકે છે - ભારત માતા કી જય! જ્યારે આપણા દળો પરમાણુ બ્લેકમેલના ખતરાને નિષ્ફળ બનાવે છે, ત્યારે આકાશથી જમીન સુધી ફક્ત એક જ વાત ગુંજતી રહે છે - ભારત માતા કી જય!

મિત્રો,

ખરેખર, તમે બધાએ લાખો ભારતીયોને ગૌરવ અપાવ્યું છે; તમે દરેક ભારતીયને ગર્વની લાગણી અપાવી છે. તમે ઇતિહાસ રચ્યો છે. અને હું આજે વહેલી સવારે તમારી વચ્ચે તમને મળવા આવ્યો છું. જ્યારે વીરોના પગ ધરતીને સ્પર્શે છે, ત્યારે ધરતી ધન્ય બની જાય છે, જ્યારે વીરોને જોવાની તક મળે છે, ત્યારે જીવન ધન્ય બની જાય છે. અને એટલે જ હું આજે વહેલી સવારે તમને મળવા આવ્યો છું. ઘણા દાયકાઓ પછી પણ, જ્યારે ભારતની આ વીરતાની ચર્ચા થશે, ત્યારે તમે અને તમારા સાથીઓ તેનો સૌથી અગ્રણી પ્રકરણ હશો. તમે બધા દેશની વર્તમાન અને ભાવિ પેઢીઓ માટે એક નવી પ્રેરણા બન્યા છો. આજે, વીરોની આ ભૂમિ પરથી, હું વાયુસેના, નૌકાદળ અને સેનાના બધા બહાદુર સૈનિકો અને બીએસએફના આપણા નાયકોને સલામ કરું છું. તમારી બહાદુરીને કારણે, આજે ઓપરેશન સિંદૂરનો પડઘો દરેક ખૂણામાં સંભળાઈ રહ્યો છે. આ સમગ્ર ઓપરેશન દરમિયાન દરેક ભારતીય તમારી સાથે ઉભો રહ્યો, દરેક ભારતીયની પ્રાર્થનાઓ તમારી સાથે હતી. આજે દેશનો દરેક નાગરિક તેના સૈનિકો અને તેમના પરિવારોનો આભારી અને ઋણી છે.

મિત્રો,

ઓપરેશન સિંદૂર એ કોઈ સામાન્ય લશ્કરી કાર્યવાહી નથી. આ ભારતની નીતિ, ઇરાદા અને નિર્ણય લેવાની ક્ષમતાનો સંગમ છે. ભારત બુદ્ધની ભૂમિ છે અને ગુરુ ગોવિંદસિંહજીની પણ ભૂમિ છે. ગુરુ ગોવિંદસિંહજીએ કહ્યું હતું - "સવા લાખ સે એક લડાઉ, ચીડિયા સે મૈં બાજ ઉડાઉ, તબ ગોવિંદસિંહ નામ કહાઉ" દુષ્ટતાનો નાશ કરવા અને ન્યાયીપણાની સ્થાપના કરવા માટે શસ્ત્રો ઉપાડવાની આપણી પરંપરા છે. એટલા માટે જ્યારે આપણી બહેનો અને દીકરીઓના સિંદૂર ભૂંસાઈ ગયા, ત્યારે આપણે આતંકવાદીઓના ઘરમાં ઘૂસીને તેમના દાંત કચડી નાખ્યા. તેઓ કાયરની જેમ છુપાઈને આવ્યા હતા, પણ તેઓ ભૂલી ગયા કે તેમણે જેને પડકાર ફેંક્યો હતો તે ભારતીય સેના હતી. તમે સામેથી હુમલો કર્યો અને તેમને મારી નાખ્યા, તમે આતંકના બધા મોટા ઠેકાણાઓનો નાશ કર્યો, 9 આતંકવાદી ઠેકાણાઓનો નાશ થયો, 100થી વધુ આતંકવાદીઓ માર્યા ગયા, આતંકના આકાઓ હવે સમજી ગયા છે કે, ભારત તરફ નજર ઉંચકવાનું એક જ પરિણામ હશે - વિનાશ! ભારતમાં નિર્દોષ લોકોના લોહી વહેવડાવવાનું એક જ પરિણામ આવશે - વિનાશ અને મહાન વિનાશ! ભારતીય સેના, ભારતીય વાયુસેના અને ભારતીય નૌકાદળે પાકિસ્તાની સેનાને હરાવી દીધી છે. જેના પર આ આતંકવાદીઓ આધાર રાખતા હતા. તમે પાકિસ્તાની સેનાને પણ કહ્યું છે કે પાકિસ્તાનમાં એવી કોઈ જગ્યા નથી જ્યાં આતંકવાદીઓ બેસીને શાંતિથી શ્વાસ લઈ શકે. અમે તેમના ઘરોમાં ઘૂસીને તેમને મારી નાખીશું અને તેમને ભાગવાનો મોકો પણ નહીં આપીએ. અને આપણા ડ્રોન, આપણા મિસાઇલો, પાકિસ્તાન તેમના વિશે વિચારીને ઘણા દિવસો સુધી ઊંઘી શકશે નહીં. તેમણે કૌશલ દિખલાયા ચાલો મેં, ઉડ ગયા ભયાનક ભાલો મેં, નિર્ભિક ગયા વહ ઢાલો મેં, સરપટ દૌડા કરવાલો મેં. આ પંક્તિઓ મહારાણા પ્રતાપના પ્રખ્યાત ઘોડા ચેતક પર લખેલી છે, પરંતુ આ પંક્તિઓ આજના આધુનિક ભારતીય શસ્ત્રોમાં પણ બંધ બેસે છે.

મારા બહાદુર સાથીઓ,

ઓપરેશન સિંદૂર દ્વારા, તમે રાષ્ટ્રનું મનોબળ વધાર્યું છે, રાષ્ટ્રને એકતાના દોરમાં બાંધ્યું છે, અને તમે ભારતની સરહદોનું રક્ષણ કર્યું છે, ભારતના આત્મસન્માનને નવી ઊંચાઈઓ પર લઈ ગયા છો.

મિત્રો,

તમે કંઈક એવું કર્યું જે અભૂતપૂર્વ, અકલ્પનીય, અદ્ભુત છે. આપણી વાયુસેનાએ પાકિસ્તાનમાં ઘૂસીને આતંકવાદી ઠેકાણાઓને નિશાન બનાવ્યા છે. સરહદ પારના લક્ષ્યોને ભેદવું, ફક્ત 20-25 મિનિટમાં પિન-પોઇન્ટ લક્ષ્યોને ભેદવા એ આધુનિક ટેકનોલોજીથી સજ્જ એક વ્યાવસાયિક દળ જ કરી શકે છે. તમારી ગતિ અને ચોકસાઈ એટલી હદે હતી કે દુશ્મન સ્તબ્ધ થઈ ગયો. તેને ખ્યાલ પણ ન રહ્યો કે ક્યારે તેની છાતી વીંધાઈ ગઈ.

મિત્રો,

અમારો ઉદ્દેશ્ય પાકિસ્તાનની અંદર આવેલા આતંકવાદી મુખ્યાલય પર હુમલો કરીને આતંકવાદીઓને ઠાર કરવાનો હતો. પરંતુ હું કલ્પના કરી શકું છું કે પાકિસ્તાને પોતાના પેસેન્જર વિમાનોને આગળ રાખીને જે કાવતરું રચ્યું હતું, તે ક્ષણ કેટલી મુશ્કેલ હશે, જ્યારે નાગરિક વિમાન દેખાતું હતું, અને મને ગર્વ છે કે તમે ખૂબ જ કાળજીપૂર્વક, ખૂબ જ સાવધાનીપૂર્વક, નાગરિક વિમાનને કોઈ નુકસાન પહોંચાડ્યા વિના, તેનો નાશ કરીને તમારો જવાબ બતાવ્યો. હું ગર્વથી કહી શકું છું કે તમે બધાએ તમારા લક્ષ્યો સંપૂર્ણપણે પ્રાપ્ત કર્યા છે. પાકિસ્તાનમાં આતંકવાદીઓના ઠેકાણા અને તેમના એરબેઝનો નાશ થયો એટલું જ નહીં, પરંતુ તેમના દુષ્ટ ઇરાદા અને તેમની હિંમત બંનેનો નાશ થયો.

મિત્રો,

ઓપરેશન સિંદૂરથી હતાશ થયેલા દુશ્મને આ એરબેઝ તેમજ આપણા ઘણા એરબેઝ પર હુમલો કરવાનો ઘણી વખત પ્રયાસ કર્યો. તેણે વારંવાર અમને નિશાન બનાવ્યા, પરંતુ પાકિસ્તાનના દુષ્ટ ઇરાદા દર વખતે નિષ્ફળ ગયા. પાકિસ્તાનના ડ્રોન, તેના યુએવી, પાકિસ્તાનના વિમાન અને તેના મિસાઇલો, બધાને આપણા મજબૂત હવાઈ સંરક્ષણ દ્વારા નષ્ટ કરવામાં આવ્યા. હું દેશના તમામ એરબેઝના નેતૃત્વની, ભારતીય વાયુસેનાના દરેક વાયુ યોદ્ધાની હૃદયપૂર્વક પ્રશંસા કરું છું, તમે ખરેખર ખૂબ જ સારું કામ કર્યું છે.

મિત્રો,

આતંકવાદ સામે ભારતની લક્ષ્મણ રેખા હવે એકદમ સ્પષ્ટ છે. હવે જો ફરીથી કોઈ આતંકવાદી હુમલો થશે તો ભારત જવાબ આપશે, તે ચોક્કસ જવાબ આપશે. આપણે સર્જિકલ સ્ટ્રાઈક દરમિયાન, હવાઈ હુમલા દરમિયાન આ જોયું છે, અને હવે ઓપરેશન સિંદૂર ભારતનું ન્યૂ નોર્મલ છે. અને જેમ મેં ગઈકાલે પણ કહ્યું હતું તેમ, ભારતે હવે ત્રણ સિદ્ધાંતો પર નિર્ણય લીધો છે, પ્રથમ - જો ભારત પર આતંકવાદી હુમલો થશે, તો અમે અમારી રીતે, અમારી શરતો પર અને અમારા પોતાના સમયે જવાબ આપીશું. બીજું - ભારત કોઈપણ પરમાણુ બ્લેકમેલ સહન કરશે નહીં. ત્રીજું, આપણે આતંકવાદને સમર્થન આપતી સરકાર અને આતંકવાદના આકાઓને અલગ અલગ સંસ્થાઓ તરીકે નહીં જોઈએ. દુનિયા પણ ભારતના આ નવા સ્વરૂપને, આ નવી વ્યવસ્થાને સમજીને આગળ વધી રહી છે.

મિત્રો,

ઓપરેશન સિંદૂરની દરેક ક્ષણ ભારતીય સશસ્ત્ર દળોની તાકાતનો પુરાવો આપે છે. આ સમયગાળા દરમિયાન, આપણા દળો વચ્ચેનું સંકલન, મારે કહેવું જ જોઇએ, ઉત્તમ હતું. આર્મી હોય, નેવી હોય કે એરફોર્સ, બધા વચ્ચે સંકલન જબરદસ્ત હતું. નૌકાદળે સમુદ્ર પર પોતાનું વર્ચસ્વ સ્થાપિત કર્યું. સેનાએ સરહદ મજબૂત બનાવી. અને ભારતીય વાયુસેનાએ હુમલો અને બચાવ બંને કર્યા. બીએસએફ અને અન્ય દળોએ પણ અદ્ભુત ક્ષમતાઓનું પ્રદર્શન કર્યું છે. સંકલિત હવાઈ અને જમીન લડાઇ પ્રણાલીઓએ અદ્ભુત કામ કર્યું છે. અને આ જ છે, એકતા, આ હવે ભારતીય દળોની તાકાતની એક મજબૂત ઓળખ બની ગઈ છે.

મિત્રો,

ઓપરેશન સિંદૂરમાં, માનવબળ અને મશીનો વચ્ચેનું સંકલન પણ અદ્ભુત રહ્યું છે. ભારતની પરંપરાગત હવાઈ સંરક્ષણ પ્રણાલીઓ હોય, જેણે ઘણી લડાઈઓ જોઈ છે, કે પછી આકાશ જેવા આપણા મેડ ઇન ઈન્ડિયા પ્લેટફોર્મ હોય, તેમને S-400 જેવી આધુનિક અને શક્તિશાળી સંરક્ષણ પ્રણાલીઓ દ્વારા અભૂતપૂર્વ તાકાત આપવામાં આવી છે. એક મજબૂત સુરક્ષા કવચ ભારતની ઓળખ બની ગઈ છે. પાકિસ્તાનના તમામ પ્રયાસો છતાં, આપણા એરબેઝ કે આપણા અન્ય સંરક્ષણ માળખાને કોઈ અસર થઈ નથી. અને આનો શ્રેય તમારા બધાને જાય છે, અને મને તમારા બધા પર ગર્વ છે, આ શ્રેય સરહદ પર તૈનાત દરેક સૈનિકને જાય છે, આ કામગીરી સાથે સંકળાયેલા દરેક વ્યક્તિને જાય છે.

મિત્રો,

આજે આપણી પાસે નવી અને અદ્યતન ટેકનોલોજીની એટલી ક્ષમતા છે કે પાકિસ્તાન તેની સાથે સ્પર્ધા કરી શકે તેમ નથી. છેલ્લા દાયકામાં, વાયુસેના સહિત આપણા બધા દળો પાસે વિશ્વની શ્રેષ્ઠ ટેકનોલોજીની પહોંચ છે. પરંતુ આપણે બધા જાણીએ છીએ કે નવી ટેકનોલોજી સાથે, પડકારો પણ મોટા થાય છે. જટિલ અને અત્યાધુનિક સિસ્ટમો જાળવવી, તેમને કાર્યક્ષમતાથી ચલાવવી, એ એક મહાન કૌશલ્ય છે. તમે ટેકનોલોજીને યુક્તિઓ સાથે જોડીને બતાવ્યું છે. તમે સાબિત કર્યું છે કે તમે આ રમતમાં, દુનિયામાં શ્રેષ્ઠ છો. ભારતીય વાયુસેના હવે માત્ર શસ્ત્રોથી જ નહીં પરંતુ ડેટા અને ડ્રોનથી પણ દુશ્મનને હરાવવામાં માહિર બની ગઈ છે.

મિત્રો,

પાકિસ્તાનની અપીલ પછી, ભારતે ફક્ત તેની લશ્કરી કાર્યવાહી મુલતવી રાખી છે. જો, પાકિસ્તાન ફરીથી આતંકવાદી પ્રવૃત્તિ અથવા લશ્કરી સાહસનો આશરો લેશે, તો અમે યોગ્ય જવાબ આપીશું. તેઓ આ પ્રશ્નનો જવાબ પોતાની રીતે, પોતાની શરતો પર આપશે. અને આ નિર્ણયનો પાયો, તેની પાછળ છુપાયેલો આત્મવિશ્વાસ, તમારા બધાના ધૈર્ય, હિંમત, બહાદુરી અને સતર્કતા પર આધારિત છે. તમારે આ હિંમત, આ જુસ્સો, આ ઉત્સાહ આમ જ જાળવી રાખવો પડશે. આપણે સતત સજાગ રહેવું પડશે, તૈયાર રહેવું પડશે. આપણે દુશ્મનને યાદ અપાવતા રહેવું પડશે કે આ એક નવું ભારત છે. આ ભારત શાંતિ ઇચ્છે છે, પરંતુ જો માનવતા પર હુમલો થાય છે, તો આ ભારત યુદ્ધના મોરચે દુશ્મનનો નાશ કેવી રીતે કરવો તે પણ સારી રીતે જાણે છે. આ સંકલ્પ સાથે, ચાલો ફરી એકવાર કહીએ-

ભારત માતા કી જય. ભારત માતા કી જય.

ભારત માતા કી જય.

વંદે માતરમ. વંદે માતરમ.

વંદે માતરમ. વંદે માતરમ.

વંદે માતરમ. વંદે માતરમ.

વંદે માતરમ. વંદે માતરમ.

વંદે માતરમ.

ખૂબ ખૂબ આભાર.