Technology must be used as means to Development, not Destruction: PM Modi

Published By : Admin | February 11, 2018 | 15:02 IST
QuoteTechnology is changing at speed of thought, necessity not the mother of invention anymore, says PM Modi in Dubai
QuoteThe 6 R's - reduce, reuse, recycle, recover, redesign, re-manufacture - and technology will take us to a point where we can rejoice: PM Modi
QuoteIn Dubai, PM Modi says Governments must ensure technology is used for development, not destruction
QuoteTechnology has empowered the common man, which has given a fillip to minimum government, maximum governance: PM at #WorldGovernmentSummit
QuoteWe are created an innovation ecosystem in India via the Start-up India programme, India has become a start-up nation: PM Modi in Dubai
QuoteIndia’s unique identity programme (Aadhaar) is the largest in the world, with Aadhaar, we have stopped leakage worth $8 billion: PM Modi

संयुक्त अरब अमीरात के उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री, तथा दुबई के शासक His Highness शेख मोहम्मद बिन रशीद अल मख्तूम, 

अबू धाबी के युवराज तथा UAE की सशस्त्र सेनाओं के उप सर्वोच्च कमांडर His Highness शेख मोहम्मद बिन ज़ायेद अल नहयान, 

महामहिम राष्ट्राध्यक्ष, शासनाध्यक्ष तथा अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रमुख,  

राज परिवारों के सम्माननीय सदस्य गण, 

मीडिया के मित्रों, 

देवियों और सज्जनों,

नमस्कार!

Good Day! 

Your Highness शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मख्त़ुम, आपने बहुत गर्मजोशी से मेरा स्वागत किया है।

World Government Summit के इस छठे संस्करण में मुझे मुख्य अतिथि का और भारत को सम्माननीय अतिथि देश का सम्मान दिया गया है। यह मेरे लिए ही नहीं, भारत के सवा सौ करोड़ लोगों के लिए गर्व और बहुत प्रसन्नता का विषय है। इसके लिए मैं आपको ह्रदय से धन्यवाद देता हूं।

प्रधान मंत्री के रूप में पहले भी कई बार मैं खाड़ी क्षेत्र की यात्रा कर चूका हूँ । 2015 के बाद मैं दूसरी बार UAE आया हूँ।  जब भी यहाँ आता हूँ, मुझे एक ख़ास अपनापन महसूस होता है।

करीब १२ लाख अप्रवासी भारतीयों को दुबई में, और पूरे UAE में ३३ लाख अप्रवासी भारतीयों को, भारत में उनके घर से दूर एक घर मिला है, अपनापन मिला है.  इसके लिए भारत UAE और दुबई का कृतज्ञ है, आपका कृतज्ञ है।  

मैं आपको और सभी दुबईवासियों को, अमीरातियों को, भारतवासियों की ओर से अभिवादन और शुभकामनाएं देता हूँ।

Friends,

विकास के लिए टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में दुबई अपने आप में बेमिसाल है। यहाँ  रेगिस्तान की रेत को सुनहरी समृद्धि में बदला गया है।  एक मिरेकल और चमत्कार को साकार किया है.  

आज के दुबई में आकाश की ऊँचाइयों तक पहुंचते वैभव के पीछे, और भविष्य की कल्पना के पीछे vision है. और संकल्प भी है. उनके पीछे टेक्नोलॉजी, इनोवेशन और enterprise हैं.  इनकी झलक मैंने कुछ देर पहले म्यूजियम ऑफ फ्यूचर में भी देखी।

UAE ने टेक्नोलॉजी में सफल प्रयोगों को लैब तक सीमित नहीं रहने दिया है. उसका जीवन में उपयोग किया है. इसका जीता-जागता उदारण मुझे Mazdar में देखने को मिला था.

Dubai Future Accelarator द्वारा टेक्नोलॉजी का प्रशासन के क्षेत्रों में incubation, और ऐसे ही अनेक प्रयास, भविष्य का पूर्वानुमान करते हैं.  और उसका आह्वान भी.

इन प्रयासों की ऊर्जा, उनके dynamism के बारे में केवल सुनने से सिर्फ अच्छा प्रभाव पड़ता है. लेकिन रु-ब-रु देखने से प्रेरणा मिलती है.

इसलिए, यह उचित है कि दुबई में World Government Summit आयोजित होता है. और Technology and Development विषय पर यह विशिष्ट समागम इसके अंतर्गत हो रहा है.

Friends,

पृथ्वी पर मानव की यात्रा में, विकास के हर छोटे-बड़े मुकाम पर technology की छाप है।

लगभग 200 साल पहले विश्व की लगभग एक बिलियन आबादी का 94% हिस्सा गरीबी में रहता था। आज, हालांकि विश्व की जनसंख्या सात बिलियन यानी सात गुने से भी ज्यादा है, इस आबादी का क़रीब साढ़े नौ प्रतिशत ही गरीबी में है।

200 साल पहले हमारी औसत आयु तीस साल से कम थी। अब यह सत्तर वर्ष, यानि सवा दो गुना से भी ज्यादा है।

पिछले मात्र 25 वर्षों में भारत में माताओं की म्रत्यु दर, यानी मैटर्नल मोर्टेलिटी घटकर एक तिहाई हो गयी है, और दुनिया भर में, लगभग आधी ।

Stem cells और regeneration technique जैसी वैज्ञानिक उपलब्धियों ने कठिन बीमारियों के इलाज का ही नहीं, बल्कि अंग-भंग के भी उपचार का रास्ता दिखाया है।

मौसम के पूर्वानुमान से किसान अपनी फसल बचा और बढ़ा सकते हैं. लाखो-करोड़ो को disaster मैनेजमेंट के ज़रिये बचाया जा सका है। हो सकता है कि भविष्य में टेक्नोलॉजी हमें भूकंप जैसी आपदाओं का पूर्वानुमान भी संभव कराये.

संक्षेप में, technology ने मानव के अस्तित्व को मूलतः प्रभावित किया है। टेक्नोलॉजी ने क्वालिटी ऑफ लाइफ को एक ऊंचे धरातल पर पहूंचाने में बहुत बड़ी भूमिका निभायी है.

विकास का एक पहलू यह भी है कि पाषाण युग से औद्योगिक क्रांति के सफ़र में हज़ारों-लाखों साल गुज़र गए. फिर संचार क्रांति तक सिर्फ दो सौ वर्षों का समय लगा. और वहां से डिजिटल क्रान्ति तक फासला कुछ ही सालों में तय हो गया.

अब technology विचार की गति से बदल रही है, यानि at the speed of thought.

आवश्यकता ही अविष्कार की जननी नहीं रही, अविष्कार आवश्यकताओं को जन्म दे रहे हैं. टेक्नोलॉजी disruptive change का बहुत बड़ा माध्यम बन गयी है|

Friends,

Technology की सुलभता और उसके प्रसार ने आम आदमी का सशक्तिकरण किया है|

और इस empowerment को 'मिनिमम गवर्मेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस' से बढ़ावा मिला है.

E-governance का 'E' दरअसल effective, efficient, easy, empower और equitable का पहला अक्षर है।

Friends,

दो हज़ार वर्ष से भी पहले भारत के एक महान चिन्तक और strategist कौटिल्य ने 'अर्थशास्त्र' की रचना करी. अन्य विषयों के आलावा, उन्होंने प्रशासन की ज़िम्मेदारी बतायी: "राज्ञो हि व्रतं उत्थानम". यानि सरकार को, शासक को विकास के लिए व्रत लेना चाहिए. 

मेरे विचार से सरकार की एक बड़ी भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि टेक्नोलॉजी की ताकत का इस्तेमाल हर जन के विकास के लिए हो.  और इस इस्तेमाल से नागरिकों के लिए service में speed और सुलभता आए।

मेरा यह भी मानना है कि टेक्नोलॉजी में प्रगति से उत्पन्न परिवर्तनों और चुनौतियों के प्रति भी सरकार को सजग रहना चाहिए. ताकि टेक्नोलॉजी का उपयोग रचनात्मक रहे ।

टेक्नोलॉजी वो तोहफा है जिसके यूज़र मैन्युअल में नैतिक मूल्यों का ज़िक्र नहीं होता. इसलिए, प्रगति के साजो-सामान को कभी-कभी मानव विनाश और विध्वंस का साधन बना लेता है. 

साइबर स्पेस का radicalisation के लिए इस्तेमाल कुछ लोगों द्वारा टेक्नॉलॉजी के दुरुपयोग का उदाहरण है ।

तमाम तरक्की के बावजूद दुनिया से गरीबी और कुपोषण ख़त्म नहीं हुए हैं. लेकिन दूसरी ओर धन, समय और संसाधन का बड़ा हिस्सा मिसाईलों और बमों की क्षमता बढ़ाने में लग रहा है।

हमें सचेत रहना होगा कि हम टेक्नोलॉजी को विकास का साधन बनाएं, विनाश का नहीं।

कि टेक्नोलॉजी मनुष्य की नैसर्गिक सामर्थ्य को बढ़ाये, उसे घटाये नहीं। उसे विस्थापित न करे।

Friends,

कभी-कभी ऐसे लगता है कि मानव टेक्नोलॉजी को प्रकृति पर विजय का ही नहीं उस से संघर्ष का साधन बनाने की भूल कर रहा है।  इस की कीमत बहुत भारी है.

मानवता के भविष्य के लिए हमें प्रकृति के साथ संघर्ष नहीं, सहजीवन का रास्ता चाहिए।

इस रास्ते पर जो सीढ़ीयाँ हैं, वे हैं छः 'R': Reduce, Reuse, Recycle, Recover, Redesign और Remanufacture. इन सोपानों से जिस मंज़िल तक हम पहुँचेंगे वह होगी 'Rejoice', यानि आनंद.

Friends,

मनुष्य के अस्तित्व का असल उद्देश्य सिर्फ समृद्धि नहीं है. बल्कि सुख की प्राप्ति है । आनंद है।

भारतीय शास्त्रों में प्रार्थना है, "सर्वे भवन्तु सुखिनः". यानि सभी सुखी हों । समग्रता और संतुलन का सुख की प्राप्ति के लिए अनिवार्य है.

Your Highness,

आपने Ministry of Happiness और Ministry of  Future का गठन करने में मनुष्य के अस्तित्व और उसके प्रयासों के असल आतंरिक उद्देश्य को एकदम सही पहचाना है।

भारत में, मध्य प्रदेशऔर आंध्र प्रदेश ने भी इस दिशा में पहल की हैं।

सरकार और सभी stakeholders को मिलकर सोचना चाहिए कि किस प्रकार सर्वांगीण उन्नति और समग्र सुख को लक्ष्य बनायें।  

Friends,

इम्तहानों के मौसम में किस प्रकार विद्यार्थियों और उनके माता-पिता को चिंताओं के कैसे-कैसे तूफ़ानों से जूझना पड़ता है! हम में से ज्यादातार को इसका अच्छा ख़ासा अनुभव है (smile).

हमारे बच्चे परीक्षा उसके परिणाम के डर से सुख-चैन न खो बैठें, इसके लिए कुछ दिनों बाद, मैं पूरे भारत के करोड़ों बच्चों से एक साथ एक इंटरैक्टिव प्लेटफार्म पर इस बारे में बात करूँगा. 

भारत का दर्शन है, 'सा विद्या या विमुक्तये'. अर्थात, विद्या वह है जो मुक्ति का माध्यम बने.  टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल लॉन्ग –डिस्टेंस ऑनलाइन एजुकेशन में एक बहुत बड़ी शिक्षा-क्रांति ला सकता है. इससे दूर-दराज़ के इलाकों में भी ग़रीब से ग़रीब बच्चे की शिक्षा का सशक्तिकरण होगा.

Friends,

भारत के हजारों साल पुराने इतिहास में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अनेक स्वर्णिम अध्याय हैं।

चाहे वह शून्य की परिकल्पना हो या पाई की गणना। दशमलव प्रणाली या हो Arabic Numerals की उत्पत्ति. Metallurgy हो या तीन डायमेंशनल रेखा गणित. भट्टे वाली ईंटें हों या विश्व-स्तरीय जहाजों का निर्माण.

ये उपलब्धियां और आर्यभट्ट, पिंगल, ब्रह्मगुप्त, सुश्रुत, चरक जैसे गणितज्ञों और वैज्ञानिकों के कितने ही योगदान सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, सबके विकास के लिए उपलब्ध रहे.  

Friends,

आज के भारत के सामने जो चुनौतियां हैं - गरीबी, बेरोजगारी, आवास, शिक्षा, प्राकृतिक आपदाएं – उनके ऊपर विजय केवल सबके विकास से ही संभव है. इसलिए मेरी सरकार का मूल मंत्र है 'सबका साथ, सबका विकास'।

इस लक्ष्य के लिए टेक्नॉलॉजी के इस्तेमाल से हम समावेशी विकास, प्रशासन में पारदर्शिता, सभी वर्गों - विशेषकर महिलाओं का – सशक्तिकरण और सामान्य नागरिक की नीति-निर्माण में भागीदारी बढ़ा रहे हैं.

  • हर भारतीय को एक बायोमीट्रिक लिंक और unique आइडेंटिटी नम्बर देने का 'आधार' कार्यक्रम दुनिया में अपने प्रकार का सब से बड़ा कार्यक्रम है।

इस unique डिजिटल आइडेंटिटी को ३१ करोड़ नए बैंक खातों और उपभोक्ताओं के mobile से जोड़ा गया है. इससे सरकार की आर्थिक योजनाओं के तहत लगभग ७०,००० करोड़ रुपये यानि १० बिलियन डॉलर सीधे आम लोगों तक पहुंचे हैं जो बैंक व्यवस्था के बाहर थे। इससे ५६,००० करोड़ रुपये यानि ८ बिलियन डॉलर से अधिक की राशि का दुरूपयोग रोकना भी संभव हो सका।

  • भारत में digital payment और less cash का revolution आ रहा है. टेक्नोलॉजी के प्रयोग से पूरे भारत में एक कर व्यवस्था यानी GST संभव हो सकी है ।
  • Government e-Market (GEM) की पहल से छोटे से छोटा व्यापारी सरकार को अपना सामन बेच सकता है. इसपर अब तक २८ लाख करोड़ रुपये के transactions हुए हैं.
  • हमारे Start-up India प्रोग्राम का उद्देश्य है कि भारत में इनोवेशन के लिए एक पूरा इकोसिस्टम तैयार हो। पिछले 2 वर्षों में भारत में स्टार्टअप्स और incubators में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। Hackathons में युवाओं की बढती भागेदारी ने नए और सफल प्रोजेक्ट्स को जन्म दिया है. 

भारत की जनसंख्या का 65 प्रतिशत से भी अधिक हिस्सा ३५ वर्ष से कम है। उनमें innovation को बढ़ावा देकर और इसके लिए अन्तरराष्ट्रीय साझेदारियों से हम 'New India' के सपने को साकार करना चाहते हैं.  

  • सन 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के हमारे लक्ष्य लिए टेक्नॉलॉजी के दो प्रयोग उल्लेखनीय हैं: प्रथम, Soil Health Card से किसानों को मिट्टी के बारे में जानकारी। और दूसरा, कृषि मंडियों का पोर्टल, जिससे 36000 करोड़ रुपए का व्यापार हो रहा है।

Friends, 

  • भारतीय दर्शन में सूर्य का सारी स्रष्टी में केंद्रीय महत्व है. 'सूर्य आत्मा जगतस्थुश्श्च'. अर्थात The Sun is the Soul of the world. हमने सन २०२२ तक सौ गीगा वाट सौर ऊर्जा समेत १७५ गीगा वाट renewable energy क्षमता का लक्ष्य रखा है. पिछले तीन वर्षों में हम ६६ गीगा वाट का आंकड़ा पार कर चुके हैं. 
  • International Solar Alliance की पहल से भारत ने अन्य देशों के साथ मिलकर ऐसा प्रयास शुरू किया है जिससे प्रचुर मात्रा में उपलब्ध सौर ऊर्जा का लाभ कम साधन संपन्न देशों को भी मिल सके.
  • सरकार द्वारा 28 करोड़ एलईडी बल्बों के वितरण से पिछले 3 साल में न सिर्फ 2 बिलियन डॉलर से अधिक की बचत हुई है बल्कि 4 गीगा वाट बिजली भी बची। यही नहीं, 30 मिलियन टन कार्बन डाई औक्साइड भी कम बनी.  
  • अगली क्रांति सोलर energy के storage की होगी. संतुलित और sustainable विकास के लिए इसके महत्व को देखते हुए सभी स्टेक होल्डर्स को सम्मिलित प्रयास करना चाहिए.

Friends,

  • पिछले महीने भारत के सैटेलाइट लॉन्च प्रोग्राम ने सेंचुरी बनाई है। स्पेस के क्षेत्र में हमारी उपलब्धियों की लागत दुनिया के मुकाबले कई गुना कम है। भारत का Mars Orbital Mission हॉलिवुड फिल्म की औसत कीमत से भी कम में क़ामयाब हुआ।
  • स्पेस टेक्नॉलॉजी की सहायता से मछलियों का catch 2 से 5 गुना तक बढ़ा है। और इसमें लगने वाले समय में भी 30 से 70 प्रतिशत तक की कमी आई है।
  • सरकार की प्रमुख रोजगार योजनाओं से बने 2 करोड़ से भी अधिक सामुदायिक assets की जियो-टैगिंग से सारी ज़रूरी जानकारी इकट्ठा हो रही है.

Friends,

भारत ने इंडस्ट्रियल रिवॉल्यूशन का मौका खो दिया था.  पर अब हमने टेक्नोलॉजी के cutting edge क्षेत्रों में भी excellence ही नहीं leadership को लक्ष्य बनाया है.

मैन्युफैक्चरिंग और IT के अलावा Big data analytics, cyber-physics, नैनो-टेक्नोलॉजी, artificial intelligence, cyber security, advance energy storage, renewable energy, next generation genomics, cloud technology, advance  GIS, आदि पर हम विशेष ध्यान दे रहे हैं.

इन क्षेत्रों में उपलब्धियां यह सुनिश्चित करेंगी कि सवा सौ करोड़ भारतीयों का – यानि मानवता के छठे हिस्से का - समग्र विकास पूरे विश्व के विकास में महत्वपूर्ण योगदान करे।

Friends,

'वसुधैव कुटुम्बकम' – यानि सारा विश्व एक परिवार है – यह भारत का दर्शन रहा है। 'सबका साथ सबका विकास' हम अपने विदेश-सहयोग पर भी लागू करते आये हैं.   

50 साल से भी पुराने Indian Technical and Economic Cooperation कार्यक्रम के अंतर्गत 160 से अधिक देशों में कैपेसिटी बिल्डिंग हो या विकासशील और अल्प-विकसति देशों में इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण, भारत यह सहयोग उनकी ज़रूरतों के अनुसार करता है।  

Pan-Africa e-Network से tele-education और tele-medicine के लाभ अफ्रीकी देशों में दूर दराज क्षेत्रों में भी पहुंच रहे हैं।

सौर ऊर्जा के अनुभव को साझा करने से भारत में प्रशिक्षित अफ्रीकी solar mamas के द्वारा अफ्रीका में घर रौशन हुए हैं.

पिछ्ले साल भारत ने South Asia उपग्रह छोड़ा. इससे हमारी अन्तरिक्ष क्षमताओं के सुपरिणाम  हमारे पडौसी देशों को उपहार-स्वरुप उपलब्ध होंगे.

Friends,
यह तय है कि आने वाले दशकों में विश्व के सामने जो समस्याएं आएंगी, उनका हल मिलकर निकालना होगा. और इसमें टेक्नोलॉजी की बड़ी भूमिका रहेगी.

यह भी तय है कि अगर २१वीं सदी एशिया की शताब्दी होनी है, तो World Government Summit जैसे मंचों पर अनुभव को बाँटना और भी महत्त्वपूर्ण होता जायेगा।

'तमसो मा ज्योतिर्गमय' – यानि हम अन्धकार से प्रकाश की ओर जायें, यह हजारों साल से भारत में प्रार्थना रही है. यह उद्देश्य तभी प्राप्त हो सकता है जब टेक्नॉलॉजी का इस्तेमाल समग्र, संतुलित, sustainable और समावेशी विकास द्वारा सबको empower करे।

मैं आपके माध्यम से पूरे विश्व को निमन्त्रण देता हूं कि आइए हम मिलकर विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शासन को मानव के सुनहरे भविष्य से और भी नज़दीक से जोड़ें।

आइए हम एकजुट होकर टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल सदियों से चले आ रहे विपन्नता और शोषण को खत्म करने के लिए करें।

यह हर्ष का विषय है कि भारत को ऐसे प्रयासों के लिए United Arab Emirates के रूप में समर्थ साथी प्राप्त हुए हैं।

मुझे आशा है कि Summit के इस संस्करण में प्रौद्योगिकी, विकास, प्रशासन और विश्व के भविष्य पर विस्तृत, गहन और उपयोगी चर्चा होगी। 

आपसे मुखातिब होने के लिए मुझे यह अवसर प्रदान किया गया, इसके लिए मैं एक बार फिर से बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं।

शुक्रन जज़ीलन। 

नमस्कार !

  • G.shankar Srivastav June 11, 2022

    G.shankar Srivastav
  • Laxman singh Rana March 08, 2022

    नमो नमो 🇮🇳🙏
  • Laxman singh Rana March 08, 2022

    नमो नमो 🇮🇳🌷🌹
  • Laxman singh Rana March 08, 2022

    नमो नमो 🇮🇳🌷
  • Laxman singh Rana March 08, 2022

    नमो नमो 🇮🇳
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QuoteEarlier, construction of houses was government-driven, but we have transformed it into an owner-driven approach: PM

नमस्कार!

आप लोग सब थक गए होंगे, अर्णब की ऊंची आवाज से कान तो जरूर थक गए होंगे, बैठिये अर्णब, अभी चुनाव का मौसम नहीं है। सबसे पहले तो मैं रिपब्लिक टीवी को उसके इस अभिनव प्रयोग के लिए बहुत बधाई देता हूं। आप लोग युवाओं को ग्रासरूट लेवल पर इन्वॉल्व करके, इतना बड़ा कंपटीशन कराकर यहां लाए हैं। जब देश का युवा नेशनल डिस्कोर्स में इन्वॉल्व होता है, तो विचारों में नवीनता आती है, वो पूरे वातावरण में एक नई ऊर्जा भर देता है और यही ऊर्जा इस समय हम यहां महसूस भी कर रहे हैं। एक तरह से युवाओं के इन्वॉल्वमेंट से हम हर बंधन को तोड़ पाते हैं, सीमाओं के परे जा पाते हैं, फिर भी कोई भी लक्ष्य ऐसा नहीं रहता, जिसे पाया ना जा सके। कोई मंजिल ऐसी नहीं रहती जिस तक पहुंचा ना जा सके। रिपब्लिक टीवी ने इस समिट के लिए एक नए कॉन्सेप्ट पर काम किया है। मैं इस समिट की सफलता के लिए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, आपका अभिनंदन करता हूं। अच्छा मेरा भी इसमें थोड़ा स्वार्थ है, एक तो मैं पिछले दिनों से लगा हूं, कि मुझे एक लाख नौजवानों को राजनीति में लाना है और वो एक लाख ऐसे, जो उनकी फैमिली में फर्स्ट टाइमर हो, तो एक प्रकार से ऐसे इवेंट मेरा जो यह मेरा मकसद है उसका ग्राउंड बना रहे हैं। दूसरा मेरा व्यक्तिगत लाभ है, व्यक्तिगत लाभ यह है कि 2029 में जो वोट करने जाएंगे उनको पता ही नहीं है कि 2014 के पहले अखबारों की हेडलाइन क्या हुआ करती थी, उसे पता नहीं है, 10-10, 12-12 लाख करोड़ के घोटाले होते थे, उसे पता नहीं है और वो जब 2029 में वोट करने जाएगा, तो उसके सामने कंपैरिजन के लिए कुछ नहीं होगा और इसलिए मुझे उस कसौटी से पार होना है और मुझे पक्का विश्वास है, यह जो ग्राउंड बन रहा है ना, वो उस काम को पक्का कर देगा।

साथियों,

आज पूरी दुनिया कह रही है कि ये भारत की सदी है, ये आपने नहीं सुना है। भारत की उपलब्धियों ने, भारत की सफलताओं ने पूरे विश्व में एक नई उम्मीद जगाई है। जिस भारत के बारे में कहा जाता था, ये खुद भी डूबेगा और हमें भी ले डूबेगा, वो भारत आज दुनिया की ग्रोथ को ड्राइव कर रहा है। मैं भारत के फ्यूचर की दिशा क्या है, ये हमें आज के हमारे काम और सिद्धियों से पता चलता है। आज़ादी के 65 साल बाद भी भारत दुनिया की ग्यारहवें नंबर की इकॉनॉमी था। बीते दशक में हम दुनिया की पांचवें नंबर की इकॉनॉमी बने, और अब उतनी ही तेजी से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं।

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साथियों,

मैं आपको 18 साल पहले की भी बात याद दिलाता हूं। ये 18 साल का खास कारण है, क्योंकि जो लोग 18 साल की उम्र के हुए हैं, जो पहली बार वोटर बन रहे हैं, उनको 18 साल के पहले का पता नहीं है, इसलिए मैंने वो आंकड़ा लिया है। 18 साल पहले यानि 2007 में भारत की annual GDP, एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंची थी। यानि आसान शब्दों में कहें तो ये वो समय था, जब एक साल में भारत में एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी होती थी। अब आज देखिए क्या हो रहा है? अब एक क्वार्टर में ही लगभग एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही है। इसका क्या मतलब हुआ? 18 साल पहले के भारत में साल भर में जितनी इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही थी, उतनी अब सिर्फ तीन महीने में होने लगी है। ये दिखाता है कि आज का भारत कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है। मैं आपको कुछ उदाहरण दूंगा, जो दिखाते हैं कि बीते एक दशक में कैसे बड़े बदलाव भी आए और नतीजे भी आए। बीते 10 सालों में, हम 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में सफल हुए हैं। ये संख्या कई देशों की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है। आप वो दौर भी याद करिए, जब सरकार खुद स्वीकार करती थी, प्रधानमंत्री खुद कहते थे, कि एक रूपया भेजते थे, तो 15 पैसा गरीब तक पहुंचता था, वो 85 पैसा कौन पंजा खा जाता था और एक आज का दौर है। बीते दशक में गरीबों के खाते में, DBT के जरिए, Direct Benefit Transfer, DBT के जरिए 42 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा ट्रांसफर किए गए हैं, 42 लाख करोड़ रुपए। अगर आप वो हिसाब लगा दें, रुपये में से 15 पैसे वाला, तो 42 लाख करोड़ का क्या हिसाब निकलेगा? साथियों, आज दिल्ली से एक रुपया निकलता है, तो 100 पैसे आखिरी जगह तक पहुंचते हैं।

साथियों,

10 साल पहले सोलर एनर्जी के मामले में भारत दुनिया में कहीं गिनती नहीं होती थी। लेकिन आज भारत सोलर एनर्जी कैपेसिटी के मामले में दुनिया के टॉप-5 countries में से है। हमने सोलर एनर्जी कैपेसिटी को 30 गुना बढ़ाया है। Solar module manufacturing में भी 30 गुना वृद्धि हुई है। 10 साल पहले तो हम होली की पिचकारी भी, बच्चों के खिलौने भी विदेशों से मंगाते थे। आज हमारे Toys Exports तीन गुना हो चुके हैं। 10 साल पहले तक हम अपनी सेना के लिए राइफल तक विदेशों से इंपोर्ट करते थे और बीते 10 वर्षों में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट 20 गुना बढ़ गया है।

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साथियों,

इन 10 वर्षों में, हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े स्टील प्रोड्यूसर हैं, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरर हैं और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बने हैं। इन्हीं 10 सालों में हमने इंफ्रास्ट्रक्चर पर अपने Capital Expenditure को, पांच गुना बढ़ाया है। देश में एयरपोर्ट्स की संख्या दोगुनी हो गई है। इन दस सालों में ही, देश में ऑपरेशनल एम्स की संख्या तीन गुना हो गई है। और इन्हीं 10 सालों में मेडिकल कॉलेजों और मेडिकल सीट्स की संख्या भी करीब-करीब दोगुनी हो गई है।

साथियों,

आज के भारत का मिजाज़ कुछ और ही है। आज का भारत बड़ा सोचता है, बड़े टार्गेट तय करता है और आज का भारत बड़े नतीजे लाकर के दिखाता है। और ये इसलिए हो रहा है, क्योंकि देश की सोच बदल गई है, भारत बड़ी Aspirations के साथ आगे बढ़ रहा है। पहले हमारी सोच ये बन गई थी, चलता है, होता है, अरे चलने दो यार, जो करेगा करेगा, अपन अपना चला लो। पहले सोच कितनी छोटी हो गई थी, मैं इसका एक उदाहरण देता हूं। एक समय था, अगर कहीं सूखा हो जाए, सूखाग्रस्त इलाका हो, तो लोग उस समय कांग्रेस का शासन हुआ करता था, तो मेमोरेंडम देते थे गांव के लोग और क्या मांग करते थे, कि साहब अकाल होता रहता है, तो इस समय अकाल के समय अकाल के राहत के काम रिलीफ के वर्क शुरू हो जाए, गड्ढे खोदेंगे, मिट्टी उठाएंगे, दूसरे गड्डे में भर देंगे, यही मांग किया करते थे लोग, कोई कहता था क्या मांग करता था, कि साहब मेरे इलाके में एक हैंड पंप लगवा दो ना, पानी के लिए हैंड पंप की मांग करते थे, कभी कभी सांसद क्या मांग करते थे, गैस सिलेंडर इसको जरा जल्दी देना, सांसद ये काम करते थे, उनको 25 कूपन मिला करती थी और उस 25 कूपन को पार्लियामेंट का मेंबर अपने पूरे क्षेत्र में गैस सिलेंडर के लिए oblige करने के लिए उपयोग करता था। एक साल में एक एमपी 25 सिलेंडर और यह सारा 2014 तक था। एमपी क्या मांग करते थे, साहब ये जो ट्रेन जा रही है ना, मेरे इलाके में एक स्टॉपेज दे देना, स्टॉपेज की मांग हो रही थी। यह सारी बातें मैं 2014 के पहले की कर रहा हूं, बहुत पुरानी नहीं कर रहा हूं। कांग्रेस ने देश के लोगों की Aspirations को कुचल दिया था। इसलिए देश के लोगों ने उम्मीद लगानी भी छोड़ दी थी, मान लिया था यार इनसे कुछ होना नहीं है, क्या कर रहा है।। लोग कहते थे कि भई ठीक है तुम इतना ही कर सकते हो तो इतना ही कर दो। और आज आप देखिए, हालात और सोच कितनी तेजी से बदल रही है। अब लोग जानते हैं कि कौन काम कर सकता है, कौन नतीजे ला सकता है, और यह सामान्य नागरिक नहीं, आप सदन के भाषण सुनोगे, तो विपक्ष भी यही भाषण करता है, मोदी जी ये क्यों नहीं कर रहे हो, इसका मतलब उनको लगता है कि यही करेगा।

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साथियों,

आज जो एस्पिरेशन है, उसका प्रतिबिंब उनकी बातों में झलकता है, कहने का तरीका बदल गया , अब लोगों की डिमांड क्या आती है? लोग पहले स्टॉपेज मांगते थे, अब आकर के कहते जी, मेरे यहां भी तो एक वंदे भारत शुरू कर दो। अभी मैं कुछ समय पहले कुवैत गया था, तो मैं वहां लेबर कैंप में नॉर्मली मैं बाहर जाता हूं तो अपने देशवासी जहां काम करते हैं तो उनके पास जाने का प्रयास करता हूं। तो मैं वहां लेबर कॉलोनी में गया था, तो हमारे जो श्रमिक भाई बहन हैं, जो वहां कुवैत में काम करते हैं, उनसे कोई 10 साल से कोई 15 साल से काम, मैं उनसे बात कर रहा था, अब देखिए एक श्रमिक बिहार के गांव का जो 9 साल से कुवैत में काम कर रहा है, बीच-बीच में आता है, मैं जब उससे बातें कर रहा था, तो उसने कहा साहब मुझे एक सवाल पूछना है, मैंने कहा पूछिए, उसने कहा साहब मेरे गांव के पास डिस्ट्रिक्ट हेड क्वार्टर पर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बना दीजिए ना, जी मैं इतना प्रसन्न हो गया, कि मेरे देश के बिहार के गांव का श्रमिक जो 9 साल से कुवैत में मजदूरी करता है, वह भी सोचता है, अब मेरे डिस्ट्रिक्ट में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनेगा। ये है, आज भारत के एक सामान्य नागरिक की एस्पिरेशन, जो विकसित भारत के लक्ष्य की ओर पूरे देश को ड्राइव कर रही है।

साथियों,

किसी भी समाज की, राष्ट्र की ताकत तभी बढ़ती है, जब उसके नागरिकों के सामने से बंदिशें हटती हैं, बाधाएं हटती हैं, रुकावटों की दीवारें गिरती है। तभी उस देश के नागरिकों का सामर्थ्य बढ़ता है, आसमान की ऊंचाई भी उनके लिए छोटी पड़ जाती है। इसलिए, हम निरंतर उन रुकावटों को हटा रहे हैं, जो पहले की सरकारों ने नागरिकों के सामने लगा रखी थी। अब मैं उदाहरण देता हूं स्पेस सेक्टर। स्पेस सेक्टर में पहले सबकुछ ISRO के ही जिम्मे था। ISRO ने निश्चित तौर पर शानदार काम किया, लेकिन स्पेस साइंस और आंत्रप्रन्योरशिप को लेकर देश में जो बाकी सामर्थ्य था, उसका उपयोग नहीं हो पा रहा था, सब कुछ इसरो में सिमट गया था। हमने हिम्मत करके स्पेस सेक्टर को युवा इनोवेटर्स के लिए खोल दिया। और जब मैंने निर्णय किया था, किसी अखबार की हेडलाइन नहीं बना था, क्योंकि समझ भी नहीं है। रिपब्लिक टीवी के दर्शकों को जानकर खुशी होगी, कि आज ढाई सौ से ज्यादा स्पेस स्टार्टअप्स देश में बन गए हैं, ये मेरे देश के युवाओं का कमाल है। यही स्टार्टअप्स आज, विक्रम-एस और अग्निबाण जैसे रॉकेट्स बना रहे हैं। ऐसे ही mapping के सेक्टर में हुआ, इतने बंधन थे, आप एक एटलस नहीं बना सकते थे, टेक्नॉलाजी बदल चुकी है। पहले अगर भारत में कोई मैप बनाना होता था, तो उसके लिए सरकारी दरवाजों पर सालों तक आपको चक्कर काटने पड़ते थे। हमने इस बंदिश को भी हटाया। आज Geo-spatial mapping से जुडा डेटा, नए स्टार्टअप्स का रास्ता बना रहा है।

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साथियों,

न्यूक्लियर एनर्जी, न्यूक्लियर एनर्जी से जुड़े सेक्टर को भी पहले सरकारी कंट्रोल में रखा गया था। बंदिशें थीं, बंधन थे, दीवारें खड़ी कर दी गई थीं। अब इस साल के बजट में सरकार ने इसको भी प्राइवेट सेक्टर के लिए ओपन करने की घोषणा की है। और इससे 2047 तक 100 गीगावॉट न्यूक्लियर एनर्जी कैपेसिटी जोड़ने का रास्ता मजबूत हुआ है।

साथियों,

आप हैरान रह जाएंगे, कि हमारे गांवों में 100 लाख करोड़ रुपए, Hundred lakh crore rupees, उससे भी ज्यादा untapped आर्थिक सामर्थ्य पड़ा हुआ है। मैं आपके सामने फिर ये आंकड़ा दोहरा रहा हूं- 100 लाख करोड़ रुपए, ये छोटा आंकड़ा नहीं है, ये आर्थिक सामर्थ्य, गांव में जो घर होते हैं, उनके रूप में उपस्थित है। मैं आपको और आसान तरीके से समझाता हूं। अब जैसे यहां दिल्ली जैसे शहर में आपके घर 50 लाख, एक करोड़, 2 करोड़ के होते हैं, आपकी प्रॉपर्टी की वैल्यू पर आपको बैंक लोन भी मिल जाता है। अगर आपका दिल्ली में घर है, तो आप बैंक से करोड़ों रुपये का लोन ले सकते हैं। अब सवाल यह है, कि घर दिल्ली में थोड़े है, गांव में भी तो घर है, वहां भी तो घरों का मालिक है, वहां ऐसा क्यों नहीं होता? गांवों में घरों पर लोन इसलिए नहीं मिलता, क्योंकि भारत में गांव के घरों के लीगल डॉक्यूमेंट्स नहीं होते थे, प्रॉपर मैपिंग ही नहीं हो पाई थी। इसलिए गांव की इस ताकत का उचित लाभ देश को, देशवासियों को नहीं मिल पाया। और ये सिर्फ भारत की समस्या है ऐसा नहीं है, दुनिया के बड़े-बड़े देशों में लोगों के पास प्रॉपर्टी के राइट्स नहीं हैं। बड़ी-बड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं कहती हैं, कि जो देश अपने यहां लोगों को प्रॉपर्टी राइट्स देता है, वहां की GDP में उछाल आ जाता है।

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साथियों,

भारत में गांव के घरों के प्रॉपर्टी राइट्स देने के लिए हमने एक स्वामित्व स्कीम शुरु की। इसके लिए हम गांव-गांव में ड्रोन से सर्वे करा रहे हैं, गांव के एक-एक घर की मैपिंग करा रहे हैं। आज देशभर में गांव के घरों के प्रॉपर्टी कार्ड लोगों को दिए जा रहे हैं। दो करोड़ से अधिक प्रॉपर्टी कार्ड सरकार ने बांटे हैं और ये काम लगातार चल रहा है। प्रॉपर्टी कार्ड ना होने के कारण पहले गांवों में बहुत सारे विवाद भी होते थे, लोगों को अदालतों के चक्कर लगाने पड़ते थे, ये सब भी अब खत्म हुआ है। इन प्रॉपर्टी कार्ड्स पर अब गांव के लोगों को बैंकों से लोन मिल रहे हैं, इससे गांव के लोग अपना व्यवसाय शुरू कर रहे हैं, स्वरोजगार कर रहे हैं। अभी मैं एक दिन ये स्वामित्व योजना के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंस पर उसके लाभार्थियों से बात कर रहा था, मुझे राजस्थान की एक बहन मिली, उसने कहा कि मैंने मेरा प्रॉपर्टी कार्ड मिलने के बाद मैंने 9 लाख रुपये का लोन लिया गांव में और बोली मैंने बिजनेस शुरू किया और मैं आधा लोन वापस कर चुकी हूं और अब मुझे पूरा लोन वापस करने में समय नहीं लगेगा और मुझे अधिक लोन की संभावना बन गई है कितना कॉन्फिडेंस लेवल है।

साथियों,

ये जितने भी उदाहरण मैंने दिए हैं, इनका सबसे बड़ा बेनिफिशरी मेरे देश का नौजवान है। वो यूथ, जो विकसित भारत का सबसे बड़ा स्टेकहोल्डर है। जो यूथ, आज के भारत का X-Factor है। इस X का अर्थ है, Experimentation Excellence और Expansion, Experimentation यानि हमारे युवाओं ने पुराने तौर तरीकों से आगे बढ़कर नए रास्ते बनाए हैं। Excellence यानी नौजवानों ने Global Benchmark सेट किए हैं। और Expansion यानी इनोवेशन को हमारे य़ुवाओं ने 140 करोड़ देशवासियों के लिए स्केल-अप किया है। हमारा यूथ, देश की बड़ी समस्याओं का समाधान दे सकता है, लेकिन इस सामर्थ्य का सदुपयोग भी पहले नहीं किया गया। हैकाथॉन के ज़रिए युवा, देश की समस्याओं का समाधान भी दे सकते हैं, इसको लेकर पहले सरकारों ने सोचा तक नहीं। आज हम हर वर्ष स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन आयोजित करते हैं। अभी तक 10 लाख युवा इसका हिस्सा बन चुके हैं, सरकार की अनेकों मिनिस्ट्रीज और डिपार्टमेंट ने गवर्नेंस से जुड़े कई प्रॉब्लम और उनके सामने रखें, समस्याएं बताई कि भई बताइये आप खोजिये क्या सॉल्यूशन हो सकता है। हैकाथॉन में हमारे युवाओं ने लगभग ढाई हज़ार सोल्यूशन डेवलप करके देश को दिए हैं। मुझे खुशी है कि आपने भी हैकाथॉन के इस कल्चर को आगे बढ़ाया है। और जिन नौजवानों ने विजय प्राप्त की है, मैं उन नौजवानों को बधाई देता हूं और मुझे खुशी है कि मुझे उन नौजवानों से मिलने का मौका मिला।

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साथियों,

बीते 10 वर्षों में देश ने एक new age governance को फील किया है। बीते दशक में हमने, impact less administration को Impactful Governance में बदला है। आप जब फील्ड में जाते हैं, तो अक्सर लोग कहते हैं, कि हमें फलां सरकारी स्कीम का बेनिफिट पहली बार मिला। ऐसा नहीं है कि वो सरकारी स्कीम्स पहले नहीं थीं। स्कीम्स पहले भी थीं, लेकिन इस लेवल की last mile delivery पहली बार सुनिश्चित हो रही है। आप अक्सर पीएम आवास स्कीम के बेनिफिशरीज़ के इंटरव्यूज़ चलाते हैं। पहले कागज़ पर गरीबों के मकान सेंक्शन होते थे। आज हम जमीन पर गरीबों के घर बनाते हैं। पहले मकान बनाने की पूरी प्रक्रिया, govt driven होती थी। कैसा मकान बनेगा, कौन सा सामान लगेगा, ये सरकार ही तय करती थी। हमने इसको owner driven बनाया। सरकार, लाभार्थी के अकाउंट में पैसा डालती है, बाकी कैसा घर बनेगा, ये लाभार्थी खुद डिसाइड करता है। और घर के डिजाइन के लिए भी हमने देशभर में कंपीटिशन किया, घरों के मॉडल सामने रखे, डिजाइन के लिए भी लोगों को जोड़ा, जनभागीदारी से चीज़ें तय कीं। इससे घरों की क्वालिटी भी अच्छी हुई है और घर तेज़ गति से कंप्लीट भी होने लगे हैं। पहले ईंट-पत्थर जोड़कर आधे-अधूरे मकान बनाकर दिए जाते थे, हमने गरीब को उसके सपनों का घर बनाकर दिया है। इन घरों में नल से जल आता है, उज्ज्वला योजना का गैस कनेक्शन होता है, सौभाग्य योजना का बिजली कनेक्शन होता है, हमने सिर्फ चार दीवारें खड़ी नहीं कीं है, हमने उन घरों में ज़िंदगी खड़ी की है।

साथियों,

किसी भी देश के विकास के लिए बहुत जरूरी पक्ष है उस देश की सुरक्षा, नेशनल सिक्योरिटी। बीते दशक में हमने सिक्योरिटी पर भी बहुत अधिक काम किया है। आप याद करिए, पहले टीवी पर अक्सर, सीरियल बम ब्लास्ट की ब्रेकिंग न्यूज चला करती थी, स्लीपर सेल्स के नेटवर्क पर स्पेशल प्रोग्राम हुआ करते थे। आज ये सब, टीवी स्क्रीन और भारत की ज़मीन दोनों जगह से गायब हो चुका है। वरना पहले आप ट्रेन में जाते थे, हवाई अड्डे पर जाते थे, लावारिस कोई बैग पड़ा है तो छूना मत ऐसी सूचनाएं आती थी, आज वो जो 18-20 साल के नौजवान हैं, उन्होंने वो सूचना सुनी नहीं होगी। आज देश में नक्सलवाद भी अंतिम सांसें गिन रहा है। पहले जहां सौ से अधिक जिले, नक्सलवाद की चपेट में थे, आज ये दो दर्जन से भी कम जिलों में ही सीमित रह गया है। ये तभी संभव हुआ, जब हमने nation first की भावना से काम किया। हमने इन क्षेत्रों में Governance को Grassroot Level तक पहुंचाया। देखते ही देखते इन जिलों मे हज़ारों किलोमीटर लंबी सड़कें बनीं, स्कूल-अस्पताल बने, 4G मोबाइल नेटवर्क पहुंचा और परिणाम आज देश देख रहा है।

साथियों,

सरकार के निर्णायक फैसलों से आज नक्सलवाद जंगल से तो साफ हो रहा है, लेकिन अब वो Urban सेंटर्स में पैर पसार रहा है। Urban नक्सलियों ने अपना जाल इतनी तेज़ी से फैलाया है कि जो राजनीतिक दल, अर्बन नक्सल के विरोधी थे, जिनकी विचारधारा कभी गांधी जी से प्रेरित थी, जो भारत की ज़ड़ों से जुड़ी थी, ऐसे राजनीतिक दलों में आज Urban नक्सल पैठ जमा चुके हैं। आज वहां Urban नक्सलियों की आवाज, उनकी ही भाषा सुनाई देती है। इसी से हम समझ सकते हैं कि इनकी जड़ें कितनी गहरी हैं। हमें याद रखना है कि Urban नक्सली, भारत के विकास और हमारी विरासत, इन दोनों के घोर विरोधी हैं। वैसे अर्नब ने भी Urban नक्सलियों को एक्सपोज करने का जिम्मा उठाया हुआ है। विकसित भारत के लिए विकास भी ज़रूरी है और विरासत को मज़बूत करना भी आवश्यक है। और इसलिए हमें Urban नक्सलियों से सावधान रहना है।

साथियों,

आज का भारत, हर चुनौती से टकराते हुए नई ऊंचाइयों को छू रहा है। मुझे भरोसा है कि रिपब्लिक टीवी नेटवर्क के आप सभी लोग हमेशा नेशन फर्स्ट के भाव से पत्रकारिता को नया आयाम देते रहेंगे। आप विकसित भारत की एस्पिरेशन को अपनी पत्रकारिता से catalyse करते रहें, इसी विश्वास के साथ, आप सभी का बहुत-बहुत आभार, बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद!