Modi rallies capture the mood of the nation: Shri Arun Jaitley

Published By : Admin | February 10, 2014 | 10:15 IST

The last weekend was an extremely busy one for Narendra Modi and the BJP. On Saturday, he was in Imphal, Gauhati and finally in Chennai addressing rallies. On Sunday, after an initial programme of an educational institution in Chennai, he was addressing different functions at Kochi and Thiruvananthapuram. 

The defining moment of public functions was the unprecedented audience response to Narendra Modi. The Imphal rally is perceived to be the largest political rally in Manipur. The BJP does not have a very strong organization in Manipur. Despite that, for Modi to draw an unprecedented crowd itself is an indicator of the current mood. He attracted massive crowds at the party rallies at Gauhati and Chennai and finally in Kerala. His other functions defied religious and the caste divide. The communities, where there had been lesser support for the BJP in the past, enthusiastically invited him to their functions. Their response was overwhelming.

Modi rallies capture the mood of the nation: Shri Arun Jaitley

Crowds thronged in large numbers to hear Shri Narendra Modi speak at a rally in Assam

There is currently a mood of disillusionment with Congress. People are looking for a hope. Does Modi symbolize all that an exasperated population is looking for? People want a tall, inspirational and decisive leader. They want to redefine standards of probity? Price rise, unemployment and stagnation of economy are disturbing them. It is, therefore, understandable that in traditional BJP strongholds in north, central and western parts of the country Modi should draw an unprecedented response. What does this unprecedented support mean in areas where the BJP traditionally has not been very strong? How is it that in states of the north-east, West Bengal, Andhra Pradesh, Tamil Nadu and Kerala the attendance at Modi rallies is unprecedented and the crowd response is electrifying? Does this trend signify something more?

Obviously such mammoth crowds do not appear out of thin air? They indicate a strong undercurrent. It is an undercurrent, which is motivated both by anger and also with hope. The people are angry with the status quo. They want a change. Modi signifies that change and the hope that the change will be for the better.  The political support behind Modi now needs to convert this election into a referendum on Modi. If he manages to do so, this undercurrent will translate into seats. The support of the various sections of the society is much larger than the strength of the BJP in those states. Are we in for a pleasant surprise in these regions?

The above blog is shared by Shri Arun Jaitley on his blog. You can read the original blog here.

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Respected Dignitaries…!

आप सभी को, सभी देशवासियों को और विशेषकर दुनिया भर में उपस्थित ईसाई समुदाय को क्रिसमस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं, ‘Merry Christmas’ !!!

अभी तीन-चार दिन पहले मैं अपने साथी भारत सरकार में मंत्री जॉर्ज कुरियन जी के यहां क्रिसमस सेलीब्रेशन में गया था। अब आज आपके बीच उपस्थित होने का आनंद मिल रहा है। Catholic Bishops Conference of India- CBCI का ये आयोजन क्रिसमस की खुशियों में आप सबके साथ जुड़ने का ये अवसर, ये दिन हम सबके लिए यादगार रहने वाला है। ये अवसर इसलिए भी खास है, क्योंकि इसी वर्ष CBCI की स्थापना के 80 वर्ष पूरे हो रहे हैं। मैं इस अवसर पर CBCI और उससे जुड़े सभी लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

साथियों,

पिछली बार आप सभी के साथ मुझे प्रधानमंत्री निवास पर क्रिसमस मनाने का अवसर मिला था। अब आज हम सभी CBCI के परिसर में इकट्ठा हुए हैं। मैं पहले भी ईस्टर के दौरान यहाँ Sacred Heart Cathedral Church आ चुका हूं। ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे आप सबसे इतना अपनापन मिला है। इतना ही स्नेह मुझे His Holiness Pope Francis से भी मिलता है। इसी साल इटली में G7 समिट के दौरान मुझे His Holiness Pope Francis से मिलने का अवसर मिला था। पिछले 3 वर्षों में ये हमारी दूसरी मुलाकात थी। मैंने उन्हें भारत आने का निमंत्रण भी दिया है। इसी तरह, सितंबर में न्यूयॉर्क दौरे पर कार्डिनल पीट्रो पैरोलिन से भी मेरी मुलाकात हुई थी। ये आध्यात्मिक मुलाक़ात, ये spiritual talks, इनसे जो ऊर्जा मिलती है, वो सेवा के हमारे संकल्प को और मजबूत बनाती है।

साथियों,

अभी मुझे His Eminence Cardinal जॉर्ज कुवाकाड से मिलने का और उन्हें सम्मानित करने का अवसर मिला है। कुछ ही हफ्ते पहले, His Eminence Cardinal जॉर्ज कुवाकाड को His Holiness Pope Francis ने कार्डिनल की उपाधि से सम्मानित किया है। इस आयोजन में भारत सरकार ने केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन के नेतृत्व में आधिकारिक रूप से एक हाई लेवल डेलिगेशन भी वहां भेजा था। जब भारत का कोई बेटा सफलता की इस ऊंचाई पर पहुंचता है, तो पूरे देश को गर्व होना स्वभाविक है। मैं Cardinal जॉर्ज कुवाकाड को फिर एक बार बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

आज आपके बीच आया हूं तो कितना कुछ याद आ रहा है। मेरे लिए वो बहुत संतोष के क्षण थे, जब हम एक दशक पहले फादर एलेक्सिस प्रेम कुमार को युद्ध-ग्रस्त अफगानिस्तान से सुरक्षित बचाकर वापस लाए थे। वो 8 महीने तक वहां बड़ी विपत्ति में फंसे हुए थे, बंधक बने हुए थे। हमारी सरकार ने उन्हें वहां से निकालने के लिए हर संभव प्रयास किया। अफ़ग़ानिस्तान के उन हालातों में ये कितना मुश्किल रहा होगा, आप अंदाजा लगा सकते हैं। लेकिन, हमें इसमें सफलता मिली। उस समय मैंने उनसे और उनके परिवार के सदस्यों से बात भी की थी। उनकी बातचीत को, उनकी उस खुशी को मैं कभी भूल नहीं सकता। इसी तरह, हमारे फादर टॉम यमन में बंधक बना दिए गए थे। हमारी सरकार ने वहाँ भी पूरी ताकत लगाई, और हम उन्हें वापस घर लेकर आए। मैंने उन्हें भी अपने घर पर आमंत्रित किया था। जब गल्फ देशों में हमारी नर्स बहनें संकट से घिर गई थीं, तो भी पूरा देश उनकी चिंता कर रहा था। उन्हें भी घर वापस लाने का हमारा अथक प्रयास रंग लाया। हमारे लिए ये प्रयास केवल diplomatic missions नहीं थे। ये हमारे लिए एक इमोशनल कमिटमेंट था, ये अपने परिवार के किसी सदस्य को बचाकर लाने का मिशन था। भारत की संतान, दुनिया में कहीं भी हो, किसी भी विपत्ति में हो, आज का भारत, उन्हें हर संकट से बचाकर लाता है, इसे अपना कर्तव्य समझता है।

साथियों,

भारत अपनी विदेश नीति में भी National-interest के साथ-साथ Human-interest को प्राथमिकता देता है। कोरोना के समय पूरी दुनिया ने इसे देखा भी, और महसूस भी किया। कोरोना जैसी इतनी बड़ी pandemic आई, दुनिया के कई देश, जो human rights और मानवता की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, जो इन बातों को diplomatic weapon के रूप में इस्तेमाल करते हैं, जरूरत पड़ने पर वो गरीब और छोटे देशों की मदद से पीछे हट गए। उस समय उन्होंने केवल अपने हितों की चिंता की। लेकिन, भारत ने परमार्थ भाव से अपने सामर्थ्य से भी आगे जाकर कितने ही देशों की मदद की। हमने दुनिया के 150 से ज्यादा देशों में दवाइयाँ पहुंचाईं, कई देशों को वैक्सीन भेजी। इसका पूरी दुनिया पर एक बहुत सकारात्मक असर भी पड़ा। अभी हाल ही में, मैं गयाना दौरे पर गया था, कल मैं कुवैत में था। वहां ज्यादातर लोग भारत की बहुत प्रशंसा कर रहे थे। भारत ने वैक्सीन देकर उनकी मदद की थी, और वो इसका बहुत आभार जता रहे थे। भारत के लिए ऐसी भावना रखने वाला गयाना अकेला देश नहीं है। कई island nations, Pacific nations, Caribbean nations भारत की प्रशंसा करते हैं। भारत की ये भावना, मानवता के लिए हमारा ये समर्पण, ये ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच ही 21वीं सदी की दुनिया को नई ऊंचाई पर ले जाएगी।

Friends,

The teachings of Lord Christ celebrate love, harmony and brotherhood. It is important that we all work to make this spirit stronger. But, it pains my heart when there are attempts to spread violence and cause disruption in society. Just a few days ago, we saw what happened at a Christmas Market in Germany. During Easter in 2019, Churches in Sri Lanka were attacked. I went to Colombo to pay homage to those we lost in the Bombings. It is important to come together and fight such challenges.

Friends,

This Christmas is even more special as you begin the Jubilee Year, which you all know holds special significance. I wish all of you the very best for the various initiatives for the Jubilee Year. This time, for the Jubilee Year, you have picked a theme which revolves around hope. The Holy Bible sees hope as a source of strength and peace. It says: "There is surely a future hope for you, and your hope will not be cut off." We are also guided by hope and positivity. Hope for humanity, Hope for a better world and Hope for peace, progress and prosperity.

साथियों,

बीते 10 साल में हमारे देश में 25 करोड़ लोगों ने गरीबी को परास्त किया है। ये इसलिए हुआ क्योंकि गरीबों में एक उम्मीद जगी, की हां, गरीबी से जंग जीती जा सकती है। बीते 10 साल में भारत 10वें नंबर की इकोनॉमी से 5वें नंबर की इकोनॉमी बन गया। ये इसलिए हुआ क्योंकि हमने खुद पर भरोसा किया, हमने उम्मीद नहीं हारी और इस लक्ष्य को प्राप्त करके दिखाया। भारत की 10 साल की विकास यात्रा ने हमें आने वाले साल और हमारे भविष्य के लिए नई Hope दी है, ढेर सारी नई उम्मीदें दी हैं। 10 साल में हमारे यूथ को वो opportunities मिली हैं, जिनके कारण उनके लिए सफलता का नया रास्ता खुला है। Start-ups से लेकर science तक, sports से entrepreneurship तक आत्मविश्वास से भरे हमारे नौजवान देश को प्रगति के नए रास्ते पर ले जा रहे हैं। हमारे नौजवानों ने हमें ये Confidence दिया है, य़े Hope दी है कि विकसित भारत का सपना पूरा होकर रहेगा। बीते दस सालों में, देश की महिलाओं ने Empowerment की नई गाथाएं लिखी हैं। Entrepreneurship से drones तक, एरो-प्लेन उड़ाने से लेकर Armed Forces की जिम्मेदारियों तक, ऐसा कोई क्षेत्र नहीं, जहां महिलाओं ने अपना परचम ना लहराया हो। दुनिया का कोई भी देश, महिलाओं की तरक्की के बिना आगे नहीं बढ़ सकता। और इसलिए, आज जब हमारी श्रमशक्ति में, Labour Force में, वर्किंग प्रोफेशनल्स में Women Participation बढ़ रहा है, तो इससे भी हमें हमारे भविष्य को लेकर बहुत उम्मीदें मिलती हैं, नई Hope जगती है।

बीते 10 सालों में देश बहुत सारे unexplored या under-explored sectors में आगे बढ़ा है। Mobile Manufacturing हो या semiconductor manufacturing हो, भारत तेजी से पूरे Manufacturing Landscape में अपनी जगह बना रहा है। चाहे टेक्लोलॉजी हो, या फिनटेक हो भारत ना सिर्फ इनसे गरीब को नई शक्ति दे रहा है, बल्कि खुद को दुनिया के Tech Hub के रूप में स्थापित भी कर रहा है। हमारा Infrastructure Building Pace भी अभूतपूर्व है। हम ना सिर्फ हजारों किलोमीटर एक्सप्रेसवे बना रहे हैं, बल्कि अपने गांवों को भी ग्रामीण सड़कों से जोड़ रहे हैं। अच्छे ट्रांसपोर्टेशन के लिए सैकड़ों किलोमीटर के मेट्रो रूट्स बन रहे हैं। भारत की ये सारी उपलब्धियां हमें ये Hope और Optimism देती हैं कि भारत अपने लक्ष्यों को बहुत तेजी से पूरा कर सकता है। और सिर्फ हम ही अपनी उपलब्धियों में इस आशा और विश्वास को नहीं देख रहे हैं, पूरा विश्व भी भारत को इसी Hope और Optimism के साथ देख रहा है।

साथियों,

बाइबल कहती है- Carry each other’s burdens. यानी, हम एक दूसरे की चिंता करें, एक दूसरे के कल्याण की भावना रखें। इसी सोच के साथ हमारे संस्थान और संगठन, समाज सेवा में एक बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में नए स्कूलों की स्थापना हो, हर वर्ग, हर समाज को शिक्षा के जरिए आगे बढ़ाने के प्रयास हों, स्वास्थ्य के क्षेत्र में सामान्य मानवी की सेवा के संकल्प हों, हम सब इन्हें अपनी ज़िम्मेदारी मानते हैं।

साथियों,

Jesus Christ ने दुनिया को करुणा और निस्वार्थ सेवा का रास्ता दिखाया है। हम क्रिसमस को सेलिब्रेट करते हैं और जीसस को याद करते हैं, ताकि हम इन मूल्यों को अपने जीवन में उतार सकें, अपने कर्तव्यों को हमेशा प्राथमिकता दें। मैं मानता हूँ, ये हमारी व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी भी है, सामाजिक दायित्व भी है, और as a nation भी हमारी duty है। आज देश इसी भावना को, ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका प्रयास’ के संकल्प के रूप में आगे बढ़ा रहा है। ऐसे कितने ही विषय थे, जिनके बारे में पहले कभी नहीं सोचा गया, लेकिन वो मानवीय दृष्टिकोण से सबसे ज्यादा जरूरी थे। हमने उन्हें हमारी प्राथमिकता बनाया। हमने सरकार को नियमों और औपचारिकताओं से बाहर निकाला। हमने संवेदनशीलता को एक पैरामीटर के रूप में सेट किया। हर गरीब को पक्का घर मिले, हर गाँव में बिजली पहुंचे, लोगों के जीवन से अंधेरा दूर हो, लोगों को पीने के लिए साफ पानी मिले, पैसे के अभाव में कोई इलाज से वंचित न रहे, हमने एक ऐसी संवेदनशील व्यवस्था बनाई जो इस तरह की सर्विस की, इस तरह की गवर्नेंस की गारंटी दे सके।

आप कल्पना कर सकते हैं, जब एक गरीब परिवार को ये गारंटी मिलती हैं तो उसके ऊपर से कितनी बड़ी चिंता का बोझ उतरता है। पीएम आवास योजना का घर जब परिवार की महिला के नाम पर बनाया जाता है, तो उससे महिलाओं को कितनी ताकत मिलती है। हमने तो महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए नारीशक्ति वंदन अधिनियम लाकर संसद में भी उनकी ज्यादा भागीदारी सुनिश्चित की है। इसी तरह, आपने देखा होगा, पहले हमारे यहाँ दिव्यांग समाज को कैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। उन्हें ऐसे नाम से बुलाया जाता था, जो हर तरह से मानवीय गरिमा के खिलाफ था। ये एक समाज के रूप में हमारे लिए अफसोस की बात थी। हमारी सरकार ने उस गलती को सुधारा। हमने उन्हें दिव्यांग, ये पहचान देकर के सम्मान का भाव प्रकट किया। आज देश पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर रोजगार तक हर क्षेत्र में दिव्यांगों को प्राथमिकता दे रहा है।

साथियों,

सरकार में संवेदनशीलता देश के आर्थिक विकास के लिए भी उतनी ही जरूरी होती है। जैसे कि, हमारे देश में करीब 3 करोड़ fishermen हैं और fish farmers हैं। लेकिन, इन करोड़ों लोगों के बारे में पहले कभी उस तरह से नहीं सोचा गया। हमने fisheries के लिए अलग से ministry बनाई। मछलीपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड जैसी सुविधाएं देना शुरू किया। हमने मत्स्य सम्पदा योजना शुरू की। समंदर में मछलीपालकों की सुरक्षा के लिए कई आधुनिक प्रयास किए गए। इन प्रयासों से करोड़ों लोगों का जीवन भी बदला, और देश की अर्थव्यवस्था को भी बल मिला।

Friends,

From the ramparts of the Red Fort, I had spoken of Sabka Prayas. It means collective effort. Each one of us has an important role to play in the nation’s future. When people come together, we can do wonders. Today, socially conscious Indians are powering many mass movements. Swachh Bharat helped build a cleaner India. It also impacted health outcomes of women and children. Millets or Shree Anna grown by our farmers are being welcomed across our country and the world. People are becoming Vocal for Local, encouraging artisans and industries. एक पेड़ माँ के नाम, meaning ‘A Tree for Mother’ has also become popular among the people. This celebrates Mother Nature as well as our Mother. Many people from the Christian community are also active in these initiatives. I congratulate our youth, including those from the Christian community, for taking the lead in such initiatives. Such collective efforts are important to fulfil the goal of building a Developed India.

साथियों,

मुझे विश्वास है, हम सबके सामूहिक प्रयास हमारे देश को आगे बढ़ाएँगे। विकसित भारत, हम सभी का लक्ष्य है और हमें इसे मिलकर पाना है। ये आने वाली पीढ़ियों के प्रति हमारा दायित्व है कि हम उन्हें एक उज्ज्वल भारत देकर जाएं। मैं एक बार फिर आप सभी को क्रिसमस और जुबली ईयर की बहुत-बहुत बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।