PM Modi addresses a massive community programme at Wembley Stadium, London #ModiAtWembley
PM Modi addresses 60000 strong diaspora at London, UK #ModiAtWembley
British PM David Cameron and his wife join the gathering at Wembley Stadium, London #ModiAtWembley
UK PM Cameron extends strong support to the initiatives 'Make in India' and 'Digital India'
The UK PM strongly pitches for urgent reforms of the U.N. Security Council and India's permanent candidature in the UNSC
This is a historic day for great partnership: PM Narendra Modi #ModiAtWembley
India is progressing at fast rate, country has no reason to remain poor: PM #ModiAtWembley
India is full of diversity. It is our pride and strength: PM #ModiAtWembley
Sikh community's contribution to India is invaluable: PM #ModiAtWembley
World is seeing a transforming India full of opportunities: PM #ModiAtWembley
Entire world now wants to match up to India, says PM #ModiAtWembley
The pace and direction of progress in India is such that the fruits of development will be seen very soon: PM

नमस्‍ते, साल मुबारक, भाई दूज की बहुत-बहुत शुभकामनाएं,

Good evening Wembley a big thank you. Big thank you for being here. This is a historic day for a great partnership and you are the heartbeat between two great nations’, two vibrant democracies, two wonderful people, we are celebrating this very special relationship in this very special venue with friends of India specially Excellency Prime Minister Cameron. I was told that London would be cold but not this much. Your wonderful and warm welcome make me feel at home. I am grateful to Prime Minister Cameron for his kind words and thanks every body

मै करीब 12 साल के बाद आज आपके बीच आया हूं। 12 साल में Thames में बहुत पानी बह चुका है। तब मैं जब आया था तो मुख्‍यमंत्री के रूप में आपसे मिला था और आज जब आपके बीच में आया हूं तो देशवासियों ने मुझे एक नई जिम्‍मेवारी दी है और उस नई जिम्‍मेवारी को पूरा करने के लिए भरपूर कोशिश कर रहा हूं और मेरे प्‍यारे देशवासियों में आपको विश्‍वास दिलाता हूं जो सपने आपने देखे हैं, जो सपने हर हिन्‍दुस्‍तानी ने देखे हैं, वे सपने पूरे करने का सामर्थ्‍य भारत में है, ये मैं भलीभांति अनुभव कर रहा हूं।

पिछले 18 महीने के अनुभव से मैं कह सकता हूं कि भारत को गरीब रहने का कोई कारण नहीं है। हमें बिना कारण गरीबी को पाल करके रखा है। और पता नहीं क्‍यों, आदतन हमें गरीबी को पुचकारने में जरा मजा आने लग गया है। भारत सामर्थ्‍यवान है, सवा सौ करोड़ देशवासी, 250 करोड़ भुजाएं, और वो देश जिसमें eight hundred million, 65 प्रतिशत जनसंख्‍या, 35 साल से कम उम्र की हो, भारत जवानी से लबालब भरा हुआ देश है और जिस देश के पास इतने युवा हों, वो देश अब पीछे नहीं रह सकता और वो देश विकास की इस यात्रा में अब रुक नहीं सकता है।

मैं दो दिन से यहां हूं, UK की सरकार ने, प्रधानमंत्री कैमरन ने जिस गर्मजोशी से स्‍वागत किया, सम्‍मान किया, उनके लिए मैं हृदय से उनका बहुत-बहुत आभारी हूं। लेकिन ये सम्‍मान किसी एक व्‍यक्ति का नहीं है, ये सम्‍मान सवा सौ करोड़ हिंदुस्‍तानियों का है। भारत की महान लोकतांत्रिक परंपराओं का देश है। प्रधानमंत्री कैमरन के साथ इसके पूर्व भी मुझे अनेक बार मिलने का, बातचीत करने का अवसर मिला है और मैंने अनुभव किया है, उनसे जब भी मिलना हुआ, वो ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लिए इतनी तारीफ करते हैं, इतनी तारीफ करते हैं, इतना गौरवगान करते हैं, ऐसा लगता है जैसे वो यहां के भारतीय समुदाय के साथ पूरी तरह घुल-मिल गए हैं। भारतीय समुदाय के प्रति उनकी संवेदना साफ-साफ नजर आती है। मैं उनके भारतीयों के प्रति जो प्रेम है इसके लिए उनका अभिनंदन करता हूं, उनका धन्‍यवाद करता हूं और आप लोगों का उनके साथ जो नाता है और आपके माध्‍यम से उन्‍होंने भारत को जिस रूप से जाना है और उसके कारण भारत के प्रति भी उनके मन में वो ही आदर, वो ही लगाव हर बात में महसूस होता है। और कौन भारतीय होगा, जिसको इस बात का गर्व न हो कि आज ब्रिटिश पार्लियामेंट के सामने महात्‍मा गांधी खड़े हों, इससे बड़ा गर्व क्‍या होगा? ये लंदन की धरती, आजादी का जंग इस धरती पर भी भारतीय लोगों ने आ करके आजादी के जंग की लड़ाई को ताकत दी थी। उसमें एक थे श्‍यामजी कृष्‍ण वर्मा। 1930 में उनका स्‍वर्गवास हो गया। विद्वान थे, बैरिस्‍टर थे और यहां रह करके वे अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ते थे, भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ते थे और उसके लिए यहां के Bar association ने उनको निकाल दिया था। वकालत करने की उनकी सनक को रद्द कर दिया गया था। आज मैं प्रधानमंत्री कैमरन का आभारी हूं कि करीब-करीब सौ साल के बाद उन्‍होंने घड़ी की सुई का उल्‍टा कर दिया। और कल मुझे श्‍यामजी कृष्‍ण वर्मा को, जो अब तो रहे नहीं लेकिन उनके सम्‍मान में, उनको फिर से बार की membership को continue करने वाला कागज मुझे सौंपा।

जब मैं गुजरात में था, 2003 में मैं यहां आया था। मैं यहां से जिनेवा पंडित श्‍यामजी वर्मा की अस्थि लेने के लिए जाने वाला था, श्‍यामजी कृष्‍ण वर्मा लंदन की धरती पर रह करके आजादी का जंग लड़ रहे थे। वीर सावरकर जैसे अनेक महापुरुषों को, मदनलाल ढींगरा जैसे तेजस्‍वी, ओजस्‍वी नौजवानों को वे यहां प्रोत्‍साहित करते थे। 1930 में उनका स्‍वर्गवास हुआ तो उनकी इच्‍छा व्‍यक्‍त की थी कि उनके स्‍वर्गवास के बाद उनकी अस्थि हिन्‍दुस्‍तान आजाद जब हो, तो आजाद हिन्‍दुस्‍तान में ले जाई जाएं। लेकिन 1930 से 2003 तक भारत से कोई आया नहीं वो अस्थि लेने के लिए। भारत मां के उस लाल की अस्थि ले जाने का सौभाग्य मुझे मिला और 2003 में मैं ले गया। और गुजरात में कच्‍छ मांडवी, जो उनका जन्‍म स्‍थान था वहां एक भव्‍य स्‍मारक बनाया है, उनके स्‍मृति चिह्न अस्थि वहां रखे हैं। आज मुझे यहां के bar का जो स्‍वीकृति पत्र फिर से मिला है, वो भी मैं गुजरात सरकार को सुपुर्द करूंगा और वो भी उस Museum में रखा जाएगा। और इसलिए मैं कहता हूं कि प्रधानमंत्री कैमरन ने घड़ी की सुई को उल्‍टा घुमाया है। मैं उनका आभारी हूं।

भारत जिस विकास यात्रा की ओर आगे बढ़ रहा है, हमारा देश दुनिया के लिए एक अजूबा है। प्रधानमंत्री बनने के बाद विश्‍व के जिन-जिन लोगों से मेरा मिलना हुआ है, एक बात अवश्‍य पूछते हैं, क्‍योंकि हर देश किसी न किसी समस्‍या से जूझ रहा है और इसलिए वे कभी-कभी मुझे पूछते हैं कि मोदी जी हमारा इतना छोटा देश, ये परेशानी, वो परेशानी; ये तकलीफ वो तकलीफ; ये समुदाय ऐसा करता है, वो समुदाय ऐसा करता है, वो लोग ऐसा करते हैं, अक्‍सर बातें करते हैं, फिर मुझे पूछते हैं कि मोदी जी ये बताइए ये आपका सवा सौ करोड़ का देश इतने प्‍यार से, इतने मिलजुल करके कैसे रहता है? लोगों को आश्‍चर्य है ऐसा देश जहां सौ भाषाएं हों, 1500 बोलियां हों, हजारों प्रकार के खानपान की पद्धतियां हों। दक्षिण से निकलें, उत्‍तर पहुंचते-पहुंचते सैंकड़ों प्रकार की वेशभूषा नजर आती हो, कितनी विविधताओं से भरा हुआ हमारा देश है और विविधता, ये हमारी विशेषता भी है; विविधता, ये हमारी आन, बान, शान भी है; विविधता, ये हमारी शक्ति भी है।

अब आप देखिए पंजाब के हमारे सिख भाई, कितनी त्‍याग और बलिदान की गाथाएं जुड़ी हुई हैं। भारत की आन, बान, शान के लिए कितने सिखों ने अपने सिर न्‍यौच्‍छावर कर दिए थे और सिख समाज की एक विशेषता रही है कि वे मां भारती की भी रक्षा करते रहे। मां भारती की रक्षा के लिए अपना खून बहाते रहे और आजाद हिंदुस्‍तान में भारत माता की संतानों का पेट भरने के लिए वे खेतों में अपना पसीना बहाते रहे और हिंदुस्‍तान भर का पेट भरने के लिए उन्‍होंने कभी कमी नहीं रखी।

मैं जब कल यहां आया, यहां के सिख समाज के सभी वरिष्‍ठ लोग मुझे मिलने आए थे। बहुत प्‍यार से बातें हुईं। हम दोनों ने मिल करके अपने दुखों को, अपने दर्दों को बांटा। उनके दिल पर जो गुजरती हैं बातें, उनकी भावनाओं का मैं आदर करता हूं, उनकी कठिनाई को मैं समझता हूं। और मैंने विश्‍वास दिलाया है कि जिन-जिन बातों को आप कर रहे हैं, मैं पूरी तरह उन चीजों में लगा हुआ हूं। आने वाले भविष्‍य में आपको उसके नतीजे भी नजर आ जाएंगे।

भारत की धरती पर कबीर और रहीम की बातें हम सबको प्रेरणा देती रही हैं। सूफी परंपरा, आज विश्‍व में जो आतंकवाद के नाम पर जो चीजें चल रही हैं, कभी मुझे लगता है अगर सूफी परंपरा बलवान हुई होती, इस्‍लाम में ही इस सूफी परंपरा का अगर प्रभाव पड़ा होता और जिसने सूफी परंपरा को समझा होता, वो कभी हाथ में बंदूक लेने का विचार नहीं करता। ऐसी विविधताओं से भरी दुनिया के सभी प्रमुख सम्‍प्रदाय हिंदुस्‍तान की धरती पर हैं। और सिर्फ कहने को नहीं, भारी मात्रा में समुदाय हैं। हमारे यहां ऋतुएं कितनी हैं, हमारे यहां विविधताएं कितनी हैं, हमारे यहां पेड-पौधे देखें, ये देश विविधताओं से, परमात्‍मा की कृपा से पुलकित हुआ है और आप उस देश के एक प्रकार से सच्‍चे Ambassador हैं। भारतीय समुदाय का व्‍यक्ति जहां गया, वहां सबके साथ रहने का, जीने के संस्‍कार ले करके गया। विविधताओं के बीच में भी सबके साथ कैसे जीया जाता है, अपनी पंरपराओं को बचाते हुए सबके साथ कैसे घुल-मिल करके जिंदगी जी सकते हैं, अगल-बगल में किसी को खंरोच भी न आ जाए उसके बाद भी गति तेज कर सकते हैं, लक्ष्‍य को प्राप्‍त कर सकते हैं, ऊंचाईयां और बढ़ा सकते हैं, ये आपने दिखाया है। विश्‍व भर में फैले हुए भारतीय समाज ने ये संस्‍कार का परिचय करवाया है, ये शक्ति का परिचय करवाया है और उन्‍हीं के माध्‍यम से हिंदुस्‍तान की सही पहचान भी बनती है। और इसलिए विश्‍व भर में फैले हुए भारतीय समुदाय को भी इस महान परंपरा को आपके अपने व्‍यवहार से, अपने चरित्र से, अपने आचरण से दुनिया को अपने भारत की ताकत का परिचय करवाया है इसलिए आप सब मेरे भाई-बहन ह्दय के, ह्दय से अभिनंदन के अधिकारी हैं, बहुत-बहुत बधाई के अधिकारी हैं।

भाइयों-बहनों, आज विश्‍व में भारत की अपनी एक गरिमा, एक गौरव, उसका अनुभव आप भी करते होंगे। पूरी दुनिया आज भारत के प्रति बहुत आशा की नजर से देख रही है। भारत का नाम सुनते ही India सुनते ही आपको जिन-जिन विदेश में लोगों को मिलते हो, आपको भी महसूस होता है कि नहीं होता है? आपको भी ध्‍यान में आता है कि दुनिया का नजरिया बदलता है? पहले लोग मिलते हैं वे अब मिलते हैं तो बड़ी गर्मजोशी से मिलते हैं? पहले हाथ मिलाते थे अब हाथ पकड़ के रखते हैं? ये बदलाव जो है, ये बदलाव ही भारत की सफलता की एक निशानी के रूप में है।

विश्‍व आज भारत को एक शक्ति के रूप में पहचान रहा है, विश्‍व आज भारत को एक संभावनाओं की भूमि के रूप में देख रहा है और हमारी भी कोशिश है कि भारत का स्‍थान अब दुनिया में ओरों के साथ बराबरी का होना चाहिए और हम दुनिया से अब मेहरबानी नहीं चाहते, अगर हम चाहते हैं तो बराबरी चाहते हैं बराबरी। और मैं 18 महीनों के अनुभव से कह सकता हूं कि आज भारत के साथ जो भी बात करता है वो बराबरी से बात करता है। जुड़ना चाहता है तो win-win के फार्मूला के साथ जुड़ना चाहता है। आगे बढ़ना चाहता है तो कदम से कदम मिला करके आगे बढ़ना चाहता है। और ये आने वाले उत्‍तम भविष्‍य के शुभ संकेत के रूप में मैं देखता हूं।

विश्‍व जिन समस्‍याओं से जूझ रहा है उसमें दो प्रमुख समस्‍याएं हैं। सारी दुनिया के जितने भी नेता, जब भी मिलते हैं इन दो बातों से परेशानियों की चर्चा करते ही करते हैं, एक आतंकवाद, दूसरा ग्‍लोबल वार्मिग। आतंकवाद हो या ग्‍लोबल वार्मिंग हो, सारी मानव जाति को बचाने की जिम्‍मेवारी सभी देशों की है, मानवता में विश्‍वास करने वाले हर नागरिक की है और भारत इसके लिए सही रास्‍ता दिखा सकता है। महात्‍मा गांधी का जीवन, महात्‍मा गांधी के उपदेश, महात्‍मा गांधी का अहिंसा का शस्‍त्र, उसमें वो ताकत है, अगर आज के परिप्रेक्ष्‍य में विश्‍व गांधी को समझने का प्रयास करे तो आतंकवाद से मुक्ति का रास्‍ता भी मिल सकता है और ग्‍लोबल वार्मिंग से मुक्ति का भी रास्‍ता मिल सकता है क्‍योंकि गांधी इतने दीर्घ दृष्‍टा थे। और इसलिए भारत की वो भी जिम्‍मेवारी है कैसे संकट की घड़ी में मानवता के कल्‍याण के लिए विश्‍व को इन समस्‍याओं से बाहर निकलने के लिए भारत अपनी भूमिका निभा रहा है और आगे भी निभाता रहेगा, ये मैं आप मेरे देशवासियों को विश्‍वास दिलाता हूं।

देश आज विकास की नई ऊंचाईयों की ओर तेज गति से चल रहा है और मैं विश्‍वास से कहता हूं कि भारत ने जो गति पकड़ी है, भारत ने जो दिशा पकड़ी है; उस गति से, उस दिशा से बहुत ही जल्‍द हम उसके फल भी देखने शुरू करेंगे। आजादी के सत्‍तर साल के बाद आपको जान करके हैरानी होगी, आज भी हिंदुस्‍तान में 18 हजार गांव ऐसे हैं जहां बिजली का खंभा भी नहीं पहुंचा है। आप मुझे बताइए भाइयों-बहनों, क्‍या ये काम मुझे पूरा करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए? उन 18 हजार गांवों में, जहां बिजली नहीं पहुंची है, वहां बिजली पहुंचनी चाहिए कि नहीं पहुंचनी चाहिए? आजादी के सत्‍तर साल के बाद भी अगर मेरा देशवासी अंधेरे में जिंदगी जीने के लिए मजबूर है तो हमें प्रायश्चित करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए? भाइयों-बहनों, मैंने बीड़ा उठाया है, आप मुझे आशीर्वाद देंगे? मैंने बीड़ा उठाया है, राज्‍यों से कहा है मुझे मदद कीजिए, आने वाले एक हजार दिवस में इन 18 हजार गांवों में बिजली पहुंचाने का संकल्‍प करके चला हूं।

जब मुझे पहली बार लाल किले की प्राचीर से हिंदुस्‍तान के तिरंगे झंडे के नीचे से देश को संबोधित करने का पहला अवसर मिला; बचपन में जिंदगी में कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन एक चाय बेचने वाला, गरीब परिवार का बेटा, लाल किले की प्राचीर से हिंदुस्‍तान का तिरंगा झंडा फहराता होगा। और उस दिन मैंने कहा था, स्‍वच्‍छ भारत का सपना मैंने देशवासियों के सामने रखा था। बहुतों को आश्‍चर्य हुआ था कि लाल किले पर से तो कितनी बड़ी-बड़ी बातें करनी चाहिए, कितनी बड़ी-बड़ी योजनाएं रखनी चाहिए, अखबारों में headline छप जाएं ऐसी चीजें बतानी चाहिए और ये मोदी कहां से आ गया, ये सफाई की बातें करने के लिए लाल किले का उपयोग कर रहा है। बहुतों को बुरा लगा था, लेकिन मुझे, मुझे अच्‍छा लगा था मेरा देश अगर साफ-सुथरा हो, गंदगी से मुक्‍त मेरी भारत माता हो, आपको आनंद होगा कि नहीं होगा? गरीब की जिंदगी में बदलाव आएगा कि नहीं आएगा? उस काम को मैंने शुरू किया है, उसमें पहला काम उठाया Toilet बनाने का और मैं, मैं ये विदेश में रहने वाले मेरे भारतीय भाइयों-बहनों का भी आभार व्‍यक्‍त करता हूं कि कई भारतीय भाई-बहन जो विदेश में रहते हैं, उन्‍होंने भी अपने गांवों में public toilet बनाने के लिए पैसे दिए, बनवाए।

हमारे यहां बालिकाएं 3 साल, 5 साल, 6 साल, 8 साल; दूसरी या तीसरी कक्षा में आती हैं तो स्‍कूल जाना छोड़ देती हैं। पता चला कारण क्‍या तो बच्चियों के लिए स्‍कूल में अलग toilet नहीं था। क्‍या 21वीं सदी में हमारी बेटियां अनपढ़ रहें, ये हमें मंजूर है क्‍या? क्‍या उनके साथ ये अन्‍याय है कि नहीं है? और इसलिए मैंने एक बीड़ा उठाया, एक निश्चित समय-सीमा में भारत के सभी स्‍कूलों में girls child के लिए अलग toilet बनना चाहिए और आज मैं खुशी से कह सकता हूं कि सबने मिल करके उस काम को पूरा कर दिया। क्‍या ये काम नहीं होने चाहिए थे क्‍या? पहले होने चाहिए थे कि नहीं होने चाहिए थे?

भाइयों-बहनों, हमारे देश में 40 प्रतिशत लोग ऐसे थे जिनका बैंक में account भी नहीं था। आज के युग में अगर बैंक खाते में कोई गरीब को बैंक के दरवाजे तक जाने की स्थिति न हो तो इससे बड़ी शर्मिंदगी क्‍या हो सकती है और इसलिए एक अभियान चलाया, सौ-डेढ़ सौ दिन के अंदर 19 करोड़ नए बैंक के खाते खुल गए। अगर हम व्‍यवस्‍थाएं बदलना चाहते हैं तो देश तैयार है, देश ने अपना मन बना लिया है और उसके कारण बदलाव नजर आने लगा है।

भाइयों-बहनों, भारत अपनी पुरानी समस्‍याओं से मुक्‍त हो ये तो जरूरी है लेकिन क्‍या मुसीबतों से मुक्ति पा करके बैठे रहने से चलेगा क्‍या? भारत को अपनी कठिनाइयों से तो मुक्ति लेनी है लेकिन भारत को आधुनिक भारत भी बनाना है, समृद्ध भारत भी बनाना है, विकास की नई ऊंचाइयों को भी पार करना है।

हमारे यहां रेलवे, रेलवे बहुत पुरानी हमारे यहां व्‍यवस्‍था है लेकिन जिस गति से रेलवे का विकास होना चाहिए, दूर-सुदूर क्षेत्रों में जहां रेल पहुंची नहीं वहां पहुंचाना चाहिए। बाबा आदम के जमाने से जिस गति से रेल चलती थी वो वक्‍त चला गया, अब तेज गति से चलने वाली रेल चाहिए। अच्‍छी सुविधा वाली रेल चाहिए और इसलिए हमने रेलवे में hundred percent foreign direct investment के लिए हमने दरवाजे खोल दिए हैं।

पहली बार, पहली बार London stock exchange में भारत की रेलवे Rupees bond ले करके आई है दोस्‍तों rupees bond। ये पहली बार हुआ है और हम तो जब bond की बात आती है तो सबसे पहले James bond की याद आती है। मनोरंजन की दुनिया मनोरंजन की दुनिया, entertainment के लिए James bond हम भली भांति परिचित हैं, उससे आगे जाएं तो जब bond की बात आती है तो brook bond tea की याद आती है। अगर James bond मनोरंजन देता है तो brook bond ताजगी देता है। Brook bond, tea bond, that’s bond लेकिन अब, अब न मनोरंजन से चलना है न सर्फ ताजगी से चलना है, अब तो विकास की राह पर जाना है और इसलिए James bond, Brook bond, Rupee bond, foreign direct investment में FDI और जब में FDI की बात करता हूं तो उसका एक महत्‍वपूर्ण पहलू तो है foreign direct investment लेकिन मेरे लिए दूसरा भी एक महत्‍वपूर्ण पहलू है Fast Develop India और इन दोनों को balance करते हुए हम आगे बढ़ना चाहते हैं। गत वर्ष की तुलना में आज foreign direct investment में 40 प्रतिशत वृद्धि हुई है। ये अपने-आप में इस बात का सबूत है कि विश्‍व का भारत के प्रति विश्‍वास बढ़ रहा है। और भारत के प्रति जो विश्‍वास बढ़ रहा है वो ही भारत को आगे बढ़ाने की एक सबसे बड़ी हमारी ताकत है और उस ताकत को ले करके हम आगे बढ़ना चाहते हैं।

Defence Sector, आज भी हमारी रक्षा के लिए हमें दुनिया की मदद पर निर्भर रहना पड़ता है, depended रहना पड़ता है, हमें शस्‍त्र बाहर से लाने पड़ते हैं, अरबों-खरबों रुपये हमारे बाहर चले जाते हैं। हमने बीड़ा उठाया है, अगर भारत के वीर भारत की रक्षा करते हैं, तो भारत के वीरों के हाथ में वो शस्‍त्र भी भारत के वीरों के हाथों से बना हुआ होना चाहिए। और इसलिए दुनिया से रक्षा के क्षेत्र में उपयोग आने वाले साधन, चाहे वो पनडुब्बियां हों, चाहे हेलीकॉप्‍टर हों, हवाई जहाज हों, टैंक हों, छोटे हथियार हों, ये भारत में निर्माण कैसे हो, उसके expertize भारत में कैसे आएं, technology हिंदुस्‍तान में कैसे आए? उस पर हम भारी मात्रा में बल दे रहे हैं और मैं आज आप को खुशखबरी सुनाता हूं, शस्‍त्रार्थ की दुनिया में जो भी बड़े-बड़े player हैं वे आज भारत के साथ बातचीत कर रहे हैं, भारत में आने के लिए दरवाजे खोज रहे हैं। और मैं विश्‍व को कहना चाहता हूं कि रक्षा के क्षेत्र में भारत आत्‍मनिर्भर बनना, मतलब विश्‍व की one-six th humanity हम दुनिया की one-sixth आबादी है। उनकी सुरक्षा मतलब विश्‍व की एक-छठवें वाली सुरक्षा की गारंटी बन जाती है। और वो अपने-आप में दुनिया को सुरक्षित रखने की एक ताकत भी देती है, एक नया विश्‍वास पैदा करती है। हम अपना तो भला करना चाहते हैं लेकिन हमारी भलाई में ओरों की भलाई भी होनी चाहिए।

मैने कहा था ग्‍लोबल वार्मिंग की चिंता। भारत ने बीड़ा उठाया है दो चीजों का। एक, हम दुनिया को सूर्यपुत्र राष्‍ट्र, वो देश जिनको सूर्य की शक्ति का अधिक लाभ मिलता है, जहां गर्मी रहती है, उजाला रहता है। पूरे विश्‍व के ऐसे देशों का हम एक संगठन करना चाहते हैं। भारत ने बीड़ा उठाया है कि दुनिया में 102 देश ऐसे हैं कि जिनको सहज रूप से सूर्य शक्ति का लाभ मिलता है वो एक प्रकार से सूर्यपुत्र राष्‍ट्र हैं। दुनिया में पेट्रोल वाले देशों का संगठन है, G-7 है, G-20 है, आसियान है, सब कुछ है, लेकिन सूर्यपुत्रों को कभी इकट्ठा किसी ने नहीं किया, हमने बीड़ा उठाया है दुनिया के सूर्यपुत्रों को इकट्ठा करने का। ये देश मिल करके Solar energy में research करें, renewable energy में research करें, सूर्य शक्ति का जीवन में कैसे सर्वाधिक उपयोग हो, प्रकृति की रक्षा हो। तो एक तो हम वैश्विक, इस व्‍यवस्‍था का नेतृत्‍व भारत करने जा रहा है और मैं देख रहा हूं, मैं पिछले कुछ दिनों से विश्‍व के नेताओं से बात कर रहा हूं, सब दूर से मुझे सकारात्‍मक समर्थन मिल रहा है और उसकी पहली प्राथमिक मीटिंग इसी महीने के अंत में हम पैरिस में करने जा रहे हैं। सभी देश के लोगों को इस एक अलग से मीटिंग करूंगा वहां मैं बुलाऊंगा उनको बात समझाने वाला हूं। भारत नेतृत्‍व कर सकता है, भारत नेतृत्‍व कर सकता है। इन बातों को करने के लिए भगवान सूर्य की हम पर कृपा है तो मैं दुनिया को भी उसमें जोड़ना चाहता हूं।

दूसरा काम, ये बात सही है कि भारत में अभी इन बातों को करने के लिए भगवान सूर्य की हम पर कृपा है। तो मैं दुनिया को भी उसमें जोड़ना चाहता हूं।

दूसरा काम, यह बात सही है कि भारत में भी हर जगह पर 24 घंटे बिजली नहीं पहुंची। 18 हजार गांव को मैंने बताया कि जहां खंभा भी नहीं है। लेकिन जहां बिजली है वहां अभी 24 घंटे नहीं है। हमने बीड़ा उठाया है, 2019, महात्‍मा गांधी के डेढ़ सौ साल हो रहे हैं। दो सपने हैं मेरे, एक सफाई का और दूसरा 24 घंटे बिजली पहुंचाने का और इसलिए हमने एक अभियान चलाया है, Solar Energy का, Wind Energy का, Renewable Energy का। Hundred Seventy five गीगावॉट Renewable Energy का काम शुरू किया है। भारत में जब भी बिजली की बात आती थी मेगावॉट की बात आती थी, मेगावॉट। मेगावॉट से ज्‍यादा हम कभी सोच ही नहीं पाते थे। पहली बार हिन्‍दुस्‍तान गीगावॉट पर सोचने लगा है। जब मैं विश्‍व के नेताओं से मिलता हूं और Hundred Seventy five गीगावॉट बिजली के लक्ष्‍य की बात करता हूं, Renewable Energy की सारे विश्‍व के नेता, उनको अचरज होता है, वह सोचते हैं आप ये कैसे सोच सकते हैं लेकिन मेरे देशवासियों आप के आशीर्वाद से मुझे पूरा भरोसा है कि भारत एक सूर्य शक्ति राष्‍ट्र बन सकता है, सूर्य शक्ति राष्‍ट्र बन सकता है। हम उसे बनाने की दिशा में और उसके बाद जो छोटे-छोटे टापू देश हैं जो जिदंगी और मौत के बिना गुजारा कर रहे हैं उनको लगता है कि Global Warming के कारण अगर समुद्र की सतह बढ़ गई, तो उनका टापू डूब जाएगा कहां जाएंगे। ऐसे सैंकड़ों टापुओं पर रहने वाले लोग, उनकी जिंदगी में खुशी लाने का काम हिन्‍दुस्‍तान की धरती पर हो सकता है और उस काम को हम कर रहे हैं दोस्‍तो।

आज दुनिया में कोई भी Institution होगी। चाहे World Bank हो, IMF हो, दुनिया की कोई भी Rating agency हो। हर कोई एक स्‍वर से कहता है कि भारत विश्‍व के बड़े देशों की, सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली Economy है। बहुत तेज गति से बढ़ने वाली Economy है।

दुनिया में एक Transparency International इस प्रकार का रेटिंग करते हैं कि वो कौन देश हैं जहां भ्रष्‍टाचार कम है और भ्रष्‍टाचार कम हो रहा है। हम जानते हैं हमारे देश में ये बदनामी हमको है हमारे सिर पर लिखी हुई है। दीमक की तरह भ्रष्‍टाचार ने हमें तबाह करके रखा हुआ है। लेकिन क्‍या दीमक की दवाई नहीं है क्‍या और दवाई होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए? जनता के पैसे का पाई-पाई का हिसाब जनता को मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए या किसी के घर भरने के लिए जनता का धन होता है क्‍या? और इसलिए भाइयों और बहनों हमने कदम उठाए हैं उसका परिणाम यह हुआ है Transparency International नाम की Institution, उसने भारत को पहले की स्थिति से दस points आगे कर करके हमारे यहां भ्रष्‍टाचार कम हुआ है, उसको सर्टिफिकेट दे दिया है। पहली बार, पहली बार हम china से अच्‍छी स्थिति में आ गये हैं जो कभी नहीं आते थे। Ease doing business में हम दुनिया के आखिरी छोर पर खड़े थे। हमने कुछ कदम उठाएं, कुछ निर्णय किए, आज हम बहुत तेजी से हमारा नंबर ऊपर की ओर जा रहा है और देखते ही देखते सुफल उसके नज़र आने लगे हैं।

मेरा कहने का तात्‍पर्य है हमें आधुनिक भारत बनाना है। Clean India हो, Skill India हो, Digital India हो, इन सब एक क्षेत्रों में हम कार्यों को नई ऊचांइयों पर ले जाने की दिशा में एक भरपूर प्रयास कर रहे हैं।

लेकिन मेरे देशवासियों हम ये गलती कभी न करें कि जो हम टीवी के पर्दे पर देखते हैं बस वही हिन्‍दुस्‍तान है ऐसा सोचने की गलती कभी न करें। अखबार की Headline में जो है उतना ही हिन्‍दुस्‍तान है ऐसा नहीं है। हिन्‍दुस्‍तान बहुत बड़ा है। टीवी के पर्दे के बाहर भी सवा सौ करोड़ देशवासियों का हिन्‍दुस्‍तान बहुत गहरा हिन्‍दुस्‍तान है, बहुत ऊंचा हिन्‍दुस्‍तान है, बहुत ही उत्‍तम हिन्‍दुस्‍तान है और इसलिए न कभी आपने पढ़ा होगा, न कभी आपने सुना होगा।

भाइयों और बहनों राजस्‍थान में अलवर करके जगह है अलवर में इमरान खान नाम का एक व्‍यक्ति है। ये इमरान खान शिक्षा के लिए समर्पित व्‍यक्ति है। अलवर जैसे छोटे स्‍थान का इमरान खान उसने मोबाइल फोन की 50 Apps बनाई और वो भी विद्यार्थियों को काम आए ऐसी शिक्षा से संबंधित उसने App बनाई और बनाई इतना ही नही अलवर के इमरान खान ने खुद ने मिलाई हुई शिक्षा में स्‍टुडेंट को काम आने वाली ये 50 App उसने विद्यार्थियों के नाम मुफ्त में समर्पित कर दी। मेरा हिन्‍दुस्‍तान, वो अलवर के इमरान खान में मेरा हिन्‍दुस्‍तान है।

भाइयों और बहनों कुछ समय पहले हरियाणा, जहां हमारे यहां बेटा और बेटी के Ratio में बहुत बड़ा अन्‍तर है। मैंने एक अभियान चलाया वहां, ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ शुरूआत मैंने हरियाणा से की और उसका असर ऐसा था एक छोटे से गांव के सरपंच ने selfie with daughter ऐसा एक प्रयोग किया। मेरे ध्‍यान में आया, मैंने उसकी भी तारीफ की और मैं हैरान था कि सारी दुनिया में हर किसी के Mobile का Interest बन गया था। selfie with daughter. एक जनांदोलन खड़ा हो गया। दुनिया के बड़े-बड़े राजनेता हो, शिक्षा जगत के वरिष्‍ठ लोग हों, आर्थिक जगत के वरिष्‍ठ लोग हों, हर किसी ने अपनी बेटी के साथ selfie निकाल करके mobile phone पर circulate किया। मां-बेटियों का गौरव बढ़ाने का एक अभियान चल पड़ा। ये है मेरा हिन्‍दुस्‍तान ऐसे लाखों लोग है जो आदिवासियों के बीच जा करके, वहां की कठिनाई को भी जी करके, कोई शिक्षा में लगा है, कोई लोगों को हेल्‍थ की चिंता कर रहा है, कोई लोगों के संस्‍कार की चिंता कर रहा है। दूर-सुदूर गांवों में ऐसे अनेक तपस्‍वी लोग बैठे हैं जो जीवन में समाज सेवा का व्रत ले करके काम कर रहे है।

भाईयों-बहनों ऐसे कोटि-कोटि जनों की तपस्‍या, ऐसे कोटि-कोटि जनों का सामर्थ्‍य य‍हीं तो हैं जिसके भरोसे मैं कहता हूं हिन्‍दुस्‍तान बहुत आगे बढ़ने वाला है। हिन्‍दुस्‍तान दुनिया में विकास की नई ऊंचाईयों को पार करने वाला है।

भाईयों-बहनों मैं आज जब लंदन में आया हूं इतनी सारी मात्रा में हमारे प्रवासी भारतीय भाई-बहन बैठें हैं। मैं कुछ बातें आपको बताना चाहता हूं, OCI, OCI के कारण कुछ समस्‍याएं है ऐसा मेरी बातें मेरे ध्‍यान में आई हैं। उस प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा और OCI की समस्‍या से अब आपका मुक्ति मिल जाएगी। उसी प्रकार से OCI और PIO इसको merger कर दिया हमने, लेकिन कुछ लोगों को उसमें दिक्‍कत आ रही है। मैंने उसके लिए आदेश कर दिए है, उसको भी सरल कर दिया गया है। फिर भी आपकी कोई कठिनाईयां होगी, तो उसको address करने की व्‍यवस्‍था बन चुकी है।

Visa का Problem रहता था अब उसको Electronic Travel Authorization कर दिया गया है। उसके कारण आपको उस दिक्‍कत से भी मुक्ति दिलाई गई है। भारत सरकार ने मदद नाम का एक Online platform तैयार किया है। MADAD (मदद) उस Online platform पर जा करके आप अपनी आवश्‍यक चीजें प्राप्‍त कर सकते है। वीजा की Problem हो और कोई OCI का problem हो, PIO का Problem हो उसके लिए रास्‍ते, उसमें एक platform पर वो समस्‍या का समाधान का मार्ग आपको मिल जाए इसकी व्‍यवस्‍था की गई है।

एक E-Migration portal बनाया गया है। जिसके कारण एक स्‍थान पर से दूसरे स्‍थान पर जाने वाले व्‍यक्ति को प्राथामिक जानकारियों की जरूरत पड़ती है। ये E-Migration portal के द्वारा वो जान‍कारियां भी आपको उपलब्‍ध हो जाएंगी।

एक Indian community welfare fund, विश्‍व में रहने वाले भारतीयों को कभी-कभी संकट आ जाता है। उनको संकट से मदद करने के लिए एक Indian community welfare fund इसकी भी व्‍यवस्‍था कर दी गई है और जब मैं गुजरात में था तो लंदन से जो भी लोग मिलने आते थे मेरा गला पकड़ते थे हमारे मित्र सीबी पटेल आते थे। वो lead करते थे और मैं कहता था कि अब मैं तो गुजरात का मुख्‍यमंत्री हूं मैं क्‍या कर सकता हूं। अब मैं प्रधानमंत्री बन गया, तो ये मुझे कह रहे हैं कि मोदी जी बताओ अब तो मुख्‍यमंत्री नहीं हो, क्‍या करोगे। तो आज मैं लंदन की धरती पर आया हूं। 2003 में आया था। तब मैं एक काम यहां करके गया था। लंदन-अहमदाबाद के बीच में Direct flight तब अटल जी की सरकार थी। यहां के लोगों ने मुझे जो कहा मैंने उनको पहुंचाया और अटल जी ने उस काम कर दिया था। लेकिन बाद में क्‍या हुआ आप जानते हैं, कैसे हुआ मैं बताना नहीं चाहता, क्‍यों हुआ मुझे भी मालूम नहीं, किसने किया अब नाम देने की जरूरत क्‍या है। लेकिन मेरे प्‍यारे भाईयों-बहनों 15 दिसंबर से तो मेरे प्‍यारे देशवासियों 15 दिसंबर से लंदन-अहमदाबाद Direct flight शुरू हो जाएगी।

भाईयों-बहनों शायद दुनिया के किसी नेता को भी ऐसा सौभाग्‍य नहीं मिलता होगा। ये आपका आर्शीवाद, ये आपका प्‍यार ऐसी ठंड में भी इतनी बड़ी तादाद में आज आपने एक नया इतिहास बना दिया है।

यहां पर आपसे मेरे एक Request है जिसके पास सुई वाली घड़ी हो जरा घड़ी बाहर निकालिएं, आपकी सुई वाली घड़ी हो जरा बाहर निकालिएं। कितने बजे हैं पौने सात। मैं जरा आपको एक रहस्‍य बताना चाहता हूं। भारत और इंग्‍लैंड का नाता कितना गहरा है, भारत और इंग्‍लैंड के बीच में अपनापन कितना है, हमें भारत और इंग्‍लैंड के समय को देखने के लिए दो घड़ी रखने की जरूरत नहीं है। आप इसको उलटा कर दिजिए, आपको हिन्‍दुस्‍तान का time नजर आ जाएगा। आपकी घड़ी अगर आप सीधी करोगे तो UK का time है, उलटी करोगे इंडिया का time है। अब आपको कभी हिन्‍दुस्‍तान फोन करना हो तो हिसाब नहीं लगाना पड़ेगा कि साढ़े पांच घंटे वापिस जाएं, फिर समय तय करें। घड़ी को उलटा कर दो कि हां ठीक है भई इतना ही time हुआ होगा।

ये दुनिया के दो कोई भी देश के साथ ऐसा समीकरण नहीं है। इतना ही नहीं, इंग्‍लैंड और भारत का ये प्‍यार हमारे अड़ोस-पड़ोस में भी किसी को नहीं है। ये सौभाग्‍य, ये सौभाग्‍य सिर्फ हिन्‍दुस्तान और इंग्‍लैंड के बीच का है। भाईयों-बहनों जब तक सूरज-चांद रहेगा, जब तक समय की गति चलेगी, भारत और इंग्‍लैंड का नाता और मजबूत होता जाएगा। हम कंधे से कंधा मिला करके विकास की नई ऊचाईयों को पार करते चले जाएगें।

भाईयों-बहनों आपने मुझे बहुत प्‍यार दिया। मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। 12 साल के बाद आया हूं, लेकिन 12 साल में जो प्‍यार आपने समेट के रखा था, वो सारा प्‍यार की वर्षा आज आपने मेरे पर कर दी। ये प्‍यार, ये उमंग, ये विश्‍वास का प्रतीक है। ये आपकी उमंग और उत्‍साह, आपके भीतर जो सपने है उन सपनों का एहसास कराता है। और मैं मेरे प्‍यारे देश‍वासियों आपको विश्‍वास दिलाना चाहता हूं, आपके माध्‍यम से विश्‍वभर में फैले हुए मेरे भारतीय भाईयों-बहनों को विश्‍वास दिलाना चाहता हूं कि आपके passport का रंग कोई भी क्‍यों न हों, मेरा और आपका नाता उस खून के रंग के साथ जुड़ा हुआ है और जुड़ा रहेगा। आपके passport के रंग से आपके passport के रंग से तय नहीं होगा कि आप कौन है। हमारे लिए तो आप सब हमारे है। जितना अधिकार हिन्‍दुस्‍तान पर नरेंद्र मोदी का है उतना ही अधिकार आप सबका भी है। उस हमारी भारत मां के लिए, हम भी कोई संकल्‍प करें, हम भी भारत मां के जीवन के साथ जुड़ने का प्रयास करें, अपनी शक्ति, समय कभी न कभी मां भारती के लिए लगाने के लिए कभी न कभी सोचे। देश आपका इंतजार कर रहा है दोस्‍तों, देश आपकी प्रतीक्षा कर रहा है।

भारत, भारत आपको विश्‍वास दिलाता है कि आपके पास जो सामर्थ्‍य है उसमें खाद डालने का काम करने की ताकत भारत के गरीब से गरीब व्‍यक्ति में भी है। जो आपके सपनों को वटवृक्ष बना सकता है। आपके सपनों को पूरा करने के लिए उर्वरा धरती दे सकता है और उसके लिए मैं विश्‍वभर में फैले मेरे भारतीय भाईयो-बहनों को आग्रह से कहता हूं कि आइएं। देश आगे बढ़ रहा है, हम भी साथ-साथ चल पड़े, हम भी आगे बढ़े।

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय। बहुत-बहुत धन्‍यवाद!

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મારા પ્રિય દેશવાસીઓ, નમસ્કાર. 2025 બસ હવે તો આવી જ ગયું છે, દરવાજે ટકોરા મારી જ રહ્યું છે. 2025માં 26 જાન્યુઆરીએ આપણા બંધારણને લાગુ થવાનાં 75 વર્ષ થવા જઈ રહ્યાં છે. આપણા બધા માટે ખૂબ જ ગૌરવની વાત છે. આપણા બંધારણના ઘડવૈયાઓએ આપણને જે બંધારણ સોંપ્યું છે તે સમયની દરેક કસોટી પર ખરું ઉતર્યું છે. બંધારણ આપણા માટે માર્ગદર્શક પ્રકાશ છે, આપણું માર્ગદર્શક છે. ભારતના બંધારણના કારણે જ હું આજે અહીં છું, તમારી સાથે વાત કરી રહ્યો છું. આ વર્ષે 26 નવેમ્બરે બંધારણ દિવસથી એક વર્ષ ચાલનારી અનેક પ્રવૃત્તિઓ શરૂ થઈ છે. દેશના નાગરિકોને બંધારણના વારસા સાથે જોડવા માટે constitution75.com નામથી એક વિશેષ વેબસાઇટ પણ બનાવવામાં આવી છે. તેમાં તમે બંધારણની પ્રસ્તાવના વાંચીને તમારો વીડિયો અપલૉડ કરી શકો છો. અલગ-અલગ ભાષાઓમાં બંધારણ વાંચી શકો છો, બંધારણ વિશે પ્રશ્ન પણ પૂછી શકો છો. ‘મન કી બાત’ના શ્રોતાઓને, શાળામાં ભણનારાં બાળકોને, કૉલેજમાં જનારા યુવાનોને, મારો અનુરોધ છે કે આ વેબસાઇટ પર જરૂર જઈને જુઓ, તેનો હિસ્સો બનો.

સાથીઓ, આગામી મહિને 13 તારીખે પ્રયાગરાજમાં મહાકુંભ પણ થવા જઈ રહ્યો છે. આ સમયે ત્યાં સંગમ તટ પર જબરદસ્ત તૈયારીઓ ચાલી રહી છે. મને યાદ છે, હમણાં કેટલાક દિવસો પહેલાં જ્યારે હું પ્રયાગરાજ ગયો હતો તો હેલિકૉપ્ટરથી પૂરું કુંભ ક્ષેત્ર જોઈને મન પ્રસન્ન થઈ ગયું હતું. કેટલું વિશાળ ! કેટલું સુંદર ! કેટલી ભવ્યતા !

સાથીઓ, મહાકુંભની વિશેષતા કેવળ તેની વિશાળતામાં જ નથી. કુંભની વિશેષતા તેની વિવિધતામાં પણ છે. આ આયોજનમાં કરોડો લોકો એકત્રિત થાય છે. લાખો સંતો, હજારો પરંપરાઓ, સેંકડો સંપ્રદાય, અનેક અખાડાઓ, દરેક આ આયોજનનો હિસ્સો બને છે. ક્યાંય કોઈ ભેદભાવ દેખાતો નથી, કોઈ મોટું નથી હોતું, કોઈ નાનું નથી હોતું. અનેકતામાં એકતાનું આવું દૃશ્ય વિશ્વમાં બીજે ક્યાંય જોવા નહીં મળે. આથી જ આપણો કુંભ એકતાનો મહા કુંભ પણ હોય છે. આ વખતનો મહા કુંભ પણ એકતાના મહા કુંભના મંત્રને સશક્ત કરશે. હું તમને બધાને કહીશ, જ્યારે આપણે કુંભમાં સહભાગી થઈએ તો એકતાના આ સંકલ્પને પોતાની સાથે લઈને પાછા જઈએ. આપણે સમાજમાં વિભાજન અને વિદ્વેષના ભાવને નષ્ટ કરવાનો સંકલ્પ પણ લઈએ. જો ઓછા શબ્દોમાં મારે કહેવું હોય તો હું કહીશ...

મહાકુંભ કા સંદેશ,

એક હો પૂરા દેશ...

અને જો બીજી રીતે કહેવું હોય તો કહીશ...

ગંગા કી અવિરલ ધારા,

ન બાંટે સમાજ હમારા...

સાથીઓ, આ વખતે પ્રયાગરાજમાં દેશ અને દુનિયાના શ્રદ્ધાળુ ડિજિટલ મહાકુંભના સાક્ષી પણ બનશે. ડિજિટલ નેવિગેશનની મદદથી તમને અલગ-અલગ ઘાટ, મંદિર, સાધુઓના અખાડા સુધી પહોંચવાનો રસ્તો મળશે. આ નેવિગેશન પ્રણાલિ તમને પાર્કિંગ સુધી પહોંચવામાં પણ મદદ કરશે. પહેલી વાર કુંભના આયોજમાં AI ચેટબોટનો પ્રયોગ થશે. AI ચેટબોટના માધ્યમથી 11 ભારતીય ભાષાઓમાં કુંભ સાથે જોડાયેલી દરેક પ્રકારની જાણકારી પણ મેળવી શકાશે. આ ચેટબોટથી કોઈ પણ લખાણ લખીને કે બોલીને કોઈ પણ પ્રકારની મદદ માગી શકે છે. સમગ્ર મેળા ક્ષેત્રને એઆઈથી સંચાલિત કેમેરાથી આવરી લેવામાં આવી રહ્યું છે. કુંભમાં જો કોઈ પોતાના પરિચિતથી વિખૂટો પડી જશે તો આ કેમેરાથી તેમને શોધવામાં પણ મદદ મળશે. શ્રદ્ધાળુઓને ડિજિટલ ખોયા-પાયા કેન્દ્રની સુવિધા પણ મળશે. શ્રદ્ધાળુઓને મોબાઇલ પર સરકાર માન્ય ટૂર  પેકેજ, ઉતારાની જગ્યા અને ઘરમાં ઉતારા વિશે પણ જાણકારી આપવામાં આવશે. તમે પણ મહાકુંભમાં જાવ તો આ સુવિધાઓનો લાભ ઉઠાવો અને હા, #EktaKaMahakumbhની સાથે પોતાની સેલ્ફી અવશ્ય અપલૉડ કરજો.

સાથીઓ, 'મન કી બાત' અર્થાત MKBમાં હવે વાત KTBની, જે વડીલો-વૃદ્ધો છે, તેમનામાંથી, ઘણા બધા લોકોને KTB વિશે જાણકારી નહીં હોય. પરંતુ જરા બાળકોને પૂછો. KTB તેમની વચ્ચે ખૂબ જ લોકપ્રિય છે. KTB અર્થાત કૃષ, તૃષ ઔર બાલ્ટીબૉય. તમને કદાચ ખબર હશે કે બાળકોની મનગમતી એનિમેશન શ્રેણી અને તેનું નામ છે KTB- ભારત હૈ હમ અને તેની બીજી સીઝન પણ આવી ગઈ છે. આ ત્રણ એનિમેશન પાત્રો આપણને ભારતીય સ્વતંત્રતા સંગ્રામના તે નાયક-નાયિકાઓ વિશે જણાવે છે જેની બહુ ચર્ચા થતી નથી. તાજેતરમાં તેની સીઝન-2 ખૂબ જ વિશેષ અંદાજમાં ગોવામાં ભારતના આંતરરાષ્ટ્રીય ફિલ્મોત્સવમાં રજૂ કરાઈ હતી. સૌથી શાનદાર વાત એ છે કે આ શ્રેણી ભારતની અનેક ભાષાઓમાં જ નહીં, પરંતુ વિદેશી ભાષાઓમાં પણ પ્રસારિત થાય છે. તેને દૂરદર્શનની સાથેસાથે અન્ય ઑટીટી મંચ પર પણ જોઈ શકાય છે.

સાથીઓ, આપણી એનિમેશન ફિલ્મોની, રેગ્યુલર ફિલ્મોની, ટીવી ધારાવાહિકોની લોકપ્રિયતા બતાવે છે કે ભારતના સર્જનાત્મક ઉદ્યોગમાં કેટલી ક્ષમતા છે. આ ઉદ્યોગ દેશની પ્રગતિમાં તો મોટું યોગદાન આપી જ રહ્યો છે, પરંતુ આપણા અર્થતંત્રને પણ નવી ઊંચાઈ પર લઈ જઈ રહ્યો છે. આપણો ફિલ્મ અને મનોરંજન ઉદ્યોગ ખૂબ જ વિશાળ છે. દેશની અનેક ભાષાઓમાં ફિલ્મો બને છે, ક્રિએટિવ કન્ટેન્ટ બને છે. હું આપણા ફિલ્મ અને મનોરંજન ઉદ્યોગને એટલા માટે પણ અભિનંદન આપું છું કારણકે તેણે 'એક ભારત - શ્રેષ્ઠ ભારત'ના ભાવને સશક્ત કર્યું છે.

સાથીઓ, વર્ષ 2024માં આપણે ફિલ્મ જગતની અનેક મહાન હસ્તીઓની 100મી જયંતી મનાવી રહ્યા છીએ. આ વિભૂતિઓએ ભારતીય સિનેમાને વિશ્વ સ્તર પર ઓળખ અપાવી છે. રાજ કપૂરજીએ ફિલ્મોના માધ્યમથી દુનિયાને ભારતના સૉફ્ટ પાવરથી પરિચિત કરાવ્યું. રફી સાહેબના અવાજમાં જે જાદૂ હતો તે દરેકના હૈયાને સ્પર્શી જતો હતો. તેમનો અવાજ અદ્ભુત હતો. ભક્તિ ગીત હોય કે રૉમેન્ટિક ગીત, દર્દભર્યાં ગીતો હોય, દરેક ભાવનાને તેમણે પોતાના અવાજથી જીવંત કરી દીધી. એક કલાકારના રૂપમાં તેમની મહાનતાનો અંદાજ એ વાત પરથી લગાવી શકાય છે કે આજની યુવા પેઢી પણ તેમનાં ગીતોને એટલી જ તલ્લીનતાથી સાંભળે છે- આ જ તો છે શાશ્વત કળાની ઓળખ. અક્કિનેની નાગેશ્વર રાવ ગારુએ તેલુગુ સિનેમાને નવી ઊંચાઈ સુધી પહોંચાડ્યું છે. તેમની ફિલ્મોએ ભારતીય પરંપરાઓ અને મૂલ્યોને સરસ રીતે પ્રસ્તુત કર્યાં. તપન સિંહાજીની ફિલ્મોએ સમાજને એક નવી દૃષ્ટિ આપી. તેમની ફિલ્મોમાં સામાજિક ચેતના અને રાષ્ટ્રીય એકતાનો સંદેશ રહેતો હતો. આપણા પૂરા ફિલ્મોદ્યોગ માટે આ હસ્તીઓનું જીવન પ્રેરણા જેવું છે.

સાથીઓ, હું તમને બીજી એક ખુશખબર આપવા માગું છું. ભારતની સર્જનાત્મક પ્રતિભાને દુનિયા સામે રાખવાનો એક ખૂબ જ મોટો અવસર આવી રહ્યો છે. આગામી વર્ષે આપણા દેશમાં પહેલી વાર વર્લ્ડ ઑડિયો વિઝ્યુઅલ એન્ટરટેઇનમેન્ટ સમિટ અર્થાત WAVES શિખર પરિષદનું આયોજન થવાનું છે. તમે બધાએ દાવોસ વિશે તો સાંભળ્યું હશે જ્યાં દુનિયાના આર્થિક ક્ષેત્રના મહારથીઓ ભેગા થાય છે. આ જ રીતે વેવ્સ સમિટમાં દુનિયા ભરના મીડિયા અને મનોરંજન જગતના દિગ્ગજો, સર્જનાત્મક વિશ્વના લોકો ભારત આવશે. આ શિખર પરિષદ ભારતને વૈશ્વિક સામગ્રી સર્જનનું કેન્દ્ર બનાવવાની દિશામાં એક મહત્ત્વપૂર્ણ ડગ છે. મને એ જણાવતાં ગર્વ થાય છે કે આ શિખર પરિષદની તૈયારીમાં આપણા દેશના યુવા સર્જકો પણ પૂરા જુસ્સા સાથે જોડાઈ રહ્યા છે. જ્યારે આપણે પાંચ ટ્રિલિયન ડૉલર અર્થતંત્રની તરફ આગળ વધી રહ્યા છીએ, ત્યારે આપણું સર્જનાત્મક અર્થતંત્ર એક નવી ઊર્જા લાવી રહી છે. હું ભારતના પૂરા મનોરંજન અને સર્જનાત્મક ઉદ્યોગને અનુરોધ કરીશ - ચાહે તમે યુવાન સર્જક હોય કે સ્થાપિત કલાકાર, બૉલિવૂડ સાથે જોડાયેલા હો કે પ્રાદેશિક સિનેમા સાથે, ટીવી ઉદ્યોગના વ્યાવસાયિક હોય કે એનિમેશનના નિષ્ણાત, ગેમિંગ સાથે જોડાયેલા હો કે મનોરંજન ટૅક્નૉલૉજીના શોધક, તમે બધા વેવ્સ સમિટનો હિસ્સો બનો.

મારા પ્રિય દેશવાસીઓ, તમે બધા જાણો છો કે ભારતીય સંસ્કૃતિનો પ્રકાશ આજે કેવી રીતે દુનિયાના ખૂણેખૂણે ફેલાઈ રહ્યો છે. આજે હું તમને ત્રણ મહા દ્વીપોના એવા પ્રયાસો વિશે જણાવીશ જે આપણી સાંસ્કૃતિક વિરાસતના વૈશ્વિક વિસ્તારના સાક્ષી છે. આ બધા એકબીજાથી માઇલો દૂર છે. પરંતુ ભારતને જાણવા અને આપણી સંસ્કૃતિ પાસેથી શીખવાની તેમની ધગશ એક સરખી છે.

સાથીઓ, ચિત્રકામનો સંસાર જેટલો રંગોથી ભરાયેલો હોય છે, તેટલો જ સુંદર હોય છે. તમારમાંથી જે લોકો ટીવીના માધ્યમથી 'મન કી બાત' સાથે જોડાયેલા છો, તેઓ અત્યારે કેટલાંક ચિત્રો ટીવી પર જોઈ શકે છે. આ ચિત્રોમાં આપણાં દેવી-દેવતા, નૃત્યની કળાઓ અને મહાન વિભૂતિઓને જોઈને તમને ઘણું સારું લાગશે. તેમાં તમને ભારતમાં મળી આવતાં જીવ-જંતુઓથી માંડીને બીજું પણ ઘણું બધું જોવા મળશે. તેમાં તાજમહલનું એક શાનદાર ચિત્ર પણ છે, જેને 13 વર્ષની એક બાળકીએ બનાવ્યું છે. તમને એ જાણીને નવાઈ લાગશે કે આ દિવ્યાંગ બાળકીએ પોતાના મોઢાની મદદથી આ ચિત્ર બનાવ્યું છે. સૌથી રસપ્રદ વાત એ છે કે આ ચિત્રકામને બનાવનારા ભારતના નહીં પણ ઇજિપ્તના વિદ્યાર્થીઓ છે. કેટલાંક અઠવાડિયાં પહેલાં ઇજિપ્તના લગભગ 23 હજાર વિદ્યાર્થીઓએ એક ચિત્રકામ સ્પર્ધામાં ભાગ લીધો હતો. ત્યાં તેમને ભારતની સંસ્કૃતિ અને બંને દેશોના ઐતિહાસિક સંબંધોને બતાવનારાં ચિત્રો બનાવવાનાં હતાં. હું આ સ્પર્ધામાં ભાગ લેનારા બધા યુવાનોની પ્રશંસા કરું છું. તેમની સર્જનાત્મકતાની જેટલી પણ પ્રશંસા કરવામાં આવે તે ઓછી છે.

સાથીઓ, દક્ષિણ અમેરિકાનો એક દેશ છે - પરાગ્વે. ત્યાં રહેનારા ભારતીયોની સંખ્યા એક હજારથી વધુ નહીં હોય. પરાગ્વેમાં એક અદ્ભુત પ્રયાસ થઈ રહ્યો છે. ત્યાં ભારતીય દૂતાવાસમાં એરિકા હ્યુબર આયુર્વેદની સલાહ નિઃશુલ્ક આપે છે. આયુર્વેદની સલાહ લેવા માટે આજે તેમની પાસે સ્થાનિક લોકો પણ મોટી સંખ્યામાં પહોંચી રહ્યા છે. એરિકા હ્યુબરે ભલે એન્જિનિયરિંગનો અભ્યાસ કર્યો હોય, પરંતુ તેમનું મન તો આયુર્વેદમાં જ વસે છે. તેમણે આયુર્વેદ સાથે જોડાયેલા કૉર્સ કર્યા હતા અને સમયની સાથે તેઓ તેમાં પારંગત થતાં ગયાં.

સાથીઓ, એ આપણા માટે બહુ ગર્વની વાત છે કે દુનિયાની સૌથી પ્રાચીન ભાષા તમિળ છે અને દરેક હિન્દુસ્તાનીને તેનો ગર્વ છે. દુનિયાભરના દેશોમાં તેને શીખનારાઓની સંખ્યા સતત વધી રહી છે. ગત મહિનાના અંતમાં ફિજીમાં ભારત સરકારના સહયોગથી તમિલ ટીચિંગ પ્રોગ્રામ શરૂ થયો. વિતેલાં 80 વર્ષોમાં આ પહેલો અવસર છે જ્યારે ફિજીમાં તમિલના પ્રશિક્ષિત શિક્ષકો આ ભાષા શીખવાડી રહ્યા છે. મને એ જાણીને સારું લાગ્યું કે આજે ફિજીમાં વિદ્યાર્થીઓ તમિળ ભાષા અને સંસ્કૃતિને શીખવામાં ઘણો રસ લઈ રહ્યા છે.

સાથીઓ, આ વાતો, આ ઘટનાઓ, માત્ર સફળતાની વાર્તાઓ નથી. તે આપણા સાંસ્કૃતિક વારસાની પણ ગાથાઓ છે. આ ઉદાહરણ આપણને ગર્વથી ભરી દે છે. કળાથી આયુર્વેદ સુધી અને ભાષાથી લઈને સંગીત સુધી, ભારતમાં એટલું બધું છે જે દુનિયામાં છવાઈ રહ્યું છે.

સાથીઓ, ઠંડીની આ ઋતુમાં દેશભરમાં રમતો અને ફિટનેસ સંદર્ભે અનેક પ્રવૃત્તિઓ થઈ રહી છે. મને આનંદ છે કે લોકો ફિટનેસને પોતાની દિનચર્યાનો હિસ્સો બનાવી રહ્યા છે. કાશ્મીરમાં Skiingથી લઈને ગુજરાતમાં પતંગબાજી સુધી, બધી જગ્યાએ, રમત અંગે ઉત્સાહ જોવા મળી રહ્યો છે. #SundayOnCycle અને #CyclingTuesday જેવાં અભિયાનોથી સાઇકલ ચલાવવાને પ્રોત્સાહન મળી રહ્યું છે.

સાથીઓ, હવે હું તમને એક એવી અનોખી વાત કરવા ઇચ્છું છું જે આપણા દેશમાં થઈ રહેલાં પરિવર્તન અને યુવા સાથીઓના જુસ્સા તેમજ ધગશનું પ્રતીક છે. શું તમે જાણો છો કે આપણા બસ્તરમાં એક અનોખી ઑલિમ્પિક શરૂ થઈ છે? જી હા, પહેલી વાર બસ્તર ઑલિમ્પિકથી બસ્તરમાં એક નવી ક્રાંતિ જન્મ લઈ રહી છે. મારા માટે એ ખૂબ જ ખુશીની વાત છે કે બસ્તર ઑલિમ્પિકનું સપનું સાકાર થયું છે. તમને પણ એ જાણીને સારું લાગશે કે તે એવા ક્ષેત્રમાં થઈ રહી છે જે ક્યારેક માઓવાદી હિંસાનું સાક્ષી રહ્યું છે. બસ્તર ઑલિમ્પિકનો શુભંકર છે- 'વન પાડો' અને 'પહાડી મેના'. તેમાં બસ્તરની સમૃદ્ધ સંસ્કૃતિની ઝલક જોવા મળે છે. આ બસ્તર ખેલ મહાકુંભનો મૂળ મંત્ર છે-

‘करसाय ता बस्तर बरसाए ता बस्तर’

અર્થાત ‘ખેલેગા બસ્તર – જીતેગા બસ્તર’ |

પહેલી જ વારમાં બસ્તર ઑલિમ્પિકમાં સાત જિલ્લાના એક લાખ 65 હજાર ખેલાડીઓએ ભાગ લીધો છે. આ માત્ર એક આંકડો જ નથી- આ આપણા યુવાનોના સંકલ્પની ગૌરવ ગાથા છે. એથ્લેટિક્સ, તીરંદાજી, બૅડમિન્ટન, ફૂટબૉલ, હૉકી, વેઇટલિફ્ટિંગ, કરાટે, કબડ્ડી, ખો-ખો અને વૉલિબૉલ- દરેક રમતમાં આપણા યુવાનોએ પોતાની પ્રતિભાનો ધ્વજ લહેરાવ્યો છે. કારી કશ્યપજીની વાત મને ખૂબ જ પ્રેરિત કરે છે. એક નાના ગામથી આવતી કારીજીએ તીરંદાજીમાં રજત ચંદ્રક જીત્યો છે. તેઓ કહે છે- "બસ્તર ઑલિમ્પિકે આપણને માત્ર રમતનું મેદાન જ નહીં, જીવનમાં આગળ વધવાનો અવસર આપ્યો છે." સુકમાની પાયલ કવાસીજીની વાત પણ ઓછી પ્રેરણાદાયક નથી. ભાલા ફેંકમાં સુવર્ણ ચંદ્રક જીતનારી પાયલજી કહે છે, "અનુશાસન અને આકરી મહેનતથી કોઈ પણ લક્ષ્ય અસંભવ નથી." સુકમાના દોરનાપાલના પુનેમ સન્નાજીની વાત તો નવા ભારતની પ્રેરક કથા છે. એક સમયે નક્સલી પ્રભાવમાં આવેલા પુનેમજી આજે વ્હીલચૅર પર દોડીને ચંદ્રક જીતી રહ્યા છે. તેમનું સાહસ અને હિંમત દરેક માટે પ્રેરણા છે. કોડાગાંવના તીરંદાજ રંજૂ સોરીજીને 'બસ્તર યૂથ આઈકૉન' ચૂંટવામાં આવ્યા છે. તેમનું માનવું છે - બસ્તર ઑલિમ્પિક દૂરદૂરના યુવાનોને રાષ્ટ્રીય મંચ સુધી પહોંચવાનો અવસર આપી રહી છે.  

સાથીઓ, બસ્તર ઑલિમ્પિક માત્ર એક રમત આયોજન નથી. તે એક એવો મંચ છે જ્યાં વિકાસ અને રમતનો સંગમ થઈ રહ્યો છે. જ્યાં આપણા યુવાનો પોતાની પ્રતિભાને નિખારી રહ્યા છે અને એક નવા ભારતનું નિર્માણ કરી રહ્યા છે. હું તમને બધાને અનુરોધ કરું છું:

  • પોતાના ક્ષેત્રમાં આવાં રમત આયોજનોને પ્રોત્સાહિત કરો
  • # KhelegaBharat – JeetegaBharat સાથે પોતાના ક્ષેત્રની ખેલ પ્રતિભાઓની વાર્તાઓ લોકોને જણાવો.
  • સ્થાનિક ખેલ પ્રતિભાઓને આગળ વધવાનો અવસર આપો.

યાદ રાખો ખેલથી ન માત્ર શારીરિક વિકાસ થાય છે, પરંતુ તે ખેલદિલીથી સમાજને જોડવાનું પણ સશક્ત માધ્યમ છે. તો ખૂબ રમો- ખૂબ ખિલો.

મારા પ્રિય દેશવાસીઓ, ભારતની બે મોટી ઉપલબ્ધિઓ આજે વિશ્વનું ધ્યાન આકર્ષિત કરી રહી છે. તે સાંભળીને તમે પણ ગર્વ અનુભવશો. આ બંને સફળતાઓ સ્વાસ્થ્યના ક્ષેત્રમાં મળી છે. પહેલી ઉપલબ્ધિ મળી છે - મેલેરિયાની લડાઈમાં. મેલેરિયાની બીમારી ચાર હજાર વર્ષોથી માનવતા માટે એક મોટો પડકાર રહી છે. સ્વતંત્રતાના સમયે પણ આ આપણા સૌથી મોટા સ્વાસ્થ્ય પડકારોમાંનો એક હતી. એક મહિનાથી લઈને પાંચ વર્ષનાં બાળકોના પ્રાણ લેનારી બધી સંક્રામક બીમારીઓમાં મેલેરિયાનું ત્રીજું સ્થાન છે. આજે હું સંતોષથી કહી શકું છું કે દેશવાસીઓએ મળીને આ પડકારનો દૃઢતાથી સામનો કર્યો છે. વિશ્વ સ્વાસ્થ્ય સંગઠન- WHOનો રિપૉર્ટ કહે છે- "ભારતમાં વર્ષ 2015થી 2023ની વચ્ચે મેલેરિયાના મામલા અને તેનાથી થનારાં મૃત્યુમાં 80 ટકાનો ઘટાડો થયો છે." આ કોઈ નાની ઉપલબ્ધિ નથી. સૌથી સુખદ વાત એ છે કે આ સફળતા જન-જનની ભાગીદારીથી મળી છે. ભારતના ખૂણેખૂણાથી, દરેક જિલ્લાથી, દરેક જણ આ અભિયાનનો હિસ્સો બન્યું છે. આસામમાં જોરહાટના ચાના બગીચામાં મેલેરિયા ચાર વર્ષ પહેલાં સુધી લોકોની ચિંતાનું એક મોટું કારણ બનેલી હતી. પરંતુ જ્યારે તેના ઉન્મૂલન માટે ચાના બગીચામાં રહેનારાઓ એકસંપ થયા તો તેમાં ઘણી સીમા સુધી સફળતા મળવા લાગી. પોતાના આ પ્રયાસમાં તેમણે ટૅક્નૉલૉજી સાથે-સાથે સૉશિયલ મીડિયાનો પણ ભરપૂર ઉપયોગ કર્યો છે. આ જ રીતે હરિયાણાના કુરુક્ષેત્ર જિલ્લાએ મેલેરિયા પર નિયંત્રણ માટે બહુ સારું મૉડલ પ્રસ્તુત કર્યું. ત્યાં મેલેરિયા પર નિરીક્ષણ માટે જનભાગીદારી ઘણી સફળ રહી છે. નુક્કડ નાટક અને રેડિયો દ્વારા એવા સંદેશાઓ પર ભાર મૂકવામાં આવ્યો જેનાથી મચ્છરોના સંવર્ધનને ઓછું કરવામાં ઘણી સહાય મળી છે. દેશભરમાં આવા પ્રયાસોથી જ આપણે મેલેરિયા સામેની લડાઈને પહેલાં કરતાં વધુ ઝડપથી આગળ વધારી શક્યા છીએ.

સાથીઓ, આપણી જાગૃતિ અને સંકલ્પ શક્તિથી આપણે શું પ્રાપ્ત કરી શકીએ છીએ તેનું બીજું ઉદાહરણ છે કેન્સર સામેની લડાઈ. દુનિયાની પ્રસિદ્ધ મેડિકલ જર્નલ લાન્સેટનો અભ્યાસ ખરેખર ઘણો જ આશા વધારનારો છે. આ જર્નલ મુજબ, હવે ભારતમાં સમય પર કેન્સરનો ઉપચાર શરૂ થવાની સંભાવના ઘણી વધી ગઈ છે. સમય પર ઉપચારનો અર્થ છે - કેન્સરના દર્દીની સારવાર 30 દિવસોની અંદર જ શરૂ થઈ જવી અને તેમાં મોટી ભૂમિકા નિભાવી છે - 'આયુષ્માન ભારત યોજના'એ. આ યોજનાના કારણે કેન્સરના 90 ટકા દર્દીઓ સમય પર પોતાનો ઉપચાર શરૂ કરાવી શક્યા છે. આવું એટલા માટે થયું છે કારણકે અગાઉ પૈસાના અભાવના લીધે ગરીબ દર્દીઓ કેન્સરની તપાસમાં, તેના ઉપચારથી કતરાતા હતા. હવે 'આયુષ્માન ભારત યોજના' તેમના માટે મોટું બળ બની છે. હવે તેઓ આગળ વધીને પોતાનો ઉપચાર કરાવવા માટે આવી રહ્યા છે. 'આયુષ્માન ભારત યોજના'એ કેન્સરના ઉપચારમાં આવતી પૈસાની પરેશાનીને ઘણી હદ સુધી ઓછી કરી છે. એ પણ સારી વાત છે કે આજે સમય પર, કેન્સરના ઉપચાર અંગે, લોકો પહેલાં કરતાં વધુ જાગૃત થયા છે. આ ઉપલબ્ધિ જેટલી આપણા આરોગ્ય તંત્રની છે, ડૉક્ટરો, નર્સો અને ટૅક્નિકલ સ્ટાફની છે, તેટલી જ, તમારી- બધા મારા નાગરિક ભાઈઓ-બહેનોની પણ છે. બધાના પ્રયાસથી કેન્સરને હરાવવાનો સંકલ્પ વધુ મજબૂત થયો છે. આ સફળતાનો યશ એ બધાને મળે છે જેમણે જાગૃતિ ફેલાવવામાં પોતાનું મહત્ત્વપૂર્ણ યોગદાન આપ્યું છે.

કેન્સર સામે લડાઈનો એક જ મંત્ર છે- જાગરુકતા, કાર્યવાહી અને આશ્વાસન. જાગરુકતા એટલે કેન્સર અને તેનાં લક્ષણો પ્રત્યે જાગૃતિ, એક્શન (કાર્યવાહી) અર્થાત સમય પર તપાસ અને ઉપચાર, આશ્વાસન એટલે દર્દીઓ માટે દરેક મદદ ઉપલબ્ધ હોવાનો વિશ્વાસ. આવો, આપણે બધા મળીને કેન્સર વિરુદ્ધની આ લડાઈને ઝડપથી આગળ લઈ જઈએ અને વધુમાં વધુ દર્દીઓની મદદ કરીએ.

મારા પ્રિય દેશવાસીઓ, આજે હું તમને ઓડિશાના કાલાહાંડીના એક એવા પ્રયાસની વાત જણાવવા માગું છું, જે ઓછા પાણી અને ઓછાં સંસાધનો છતાં સફળતાની નવી ગાથા લખી રહ્યો છે. તે છે કાલાહાંડીની 'શાકભાજી ક્રાંતિ'. જ્યાં, ક્યારેક ખેડૂતો સ્થળાંતર કરવા માટે વિવશ હતા, ત્યાં આજે કાલાહાંડીનો ગોલામુંડા બ્લૉક એક શાકભાજી કેન્દ્ર બની ગયો છે. આ પરિવર્તન કેવી રીતે આવ્યું? તેની શરૂઆત માત્ર દસ ખેડૂતોના એક નાના સમૂહથી થઈ. આ સમૂહે મળીને એક એફપીઓ- 'કિસાન ઉત્પાદક સંઘ'ની સ્થાપના કરી, ખેતીમાં આધુનિક ટૅક્નૉલૉજીનો ઉપયોગ શરૂ કર્યો અને આજે તેમનો આ એફપીઓ કરોડોનો વેપાર કરી રહ્યો છે. આજે ૨૦૦થી વધુ ખેડૂતો આ એફપીઓ સાથે જોડાયેલા છે, જેમાં ૪૫ મહિલા ખેડૂતો પણ છે. આ લોકો મળીને 200 એકરમાં ટમેટાંની ખેતી કરી રહ્યાં છે, 150 એકરમાં કારેલાંનું ઉત્પાદન કરી રહ્યાં છે. હવે આ એફપીઓનું વર્ષનું ટર્નઑવર વધીને દોઢ કરોડથી વધુ થઈ ગયું છે. આજે કાલાહાંડાની શાકભાજી ઓડિશાના વિભિન્ન જિલ્લાઓમાં જ નહીં, બીજા રાજ્યોમાં પણ પહોંચી રહી છે અને ત્યાંનો ખેડૂત, હવે બટેટાં અને ડુંગળીની ખેતીની નવી ટૅક્નિક શીખી રહ્યો છે.

સાથીઓ, કાલાહાંડીની આ સફળતા આપણને શીખવાડે છે કે સંકલ્પ શક્તિ અને સામૂહિક પ્રયાસથી શું ન કરી શકાય. હું તમને સહુને આગ્રહ કરું છું કે-

  • પોતાના ક્ષેત્રમાં એફપીઓને પ્રોત્સાહિત કરો
  • કિસાન ઉત્પાદક સંગઠનો સાથે જોડાવ અને તેમને મજબૂત કરો.

યાદ રાખો- નાની શરૂઆતથી પણ મોટાં પરિવર્તન સંભવ છે. આપણને બસ દૃઢ સંકલ્પ અને ટીમ ભાવનાની આવશ્યકતા છે.

સાથીઓ, આજની 'મન કી બાત'માં આપણે સાંભળ્યું, કેવી રીતે ભારત, વિવિધતામાં એકતા સાથે આગળ વધી રહ્યું છે. તે પછી રમતનું મેદાન હોય કે વિજ્ઞાનનું ક્ષેત્ર, સ્વાસ્થ્ય હોય કે શિક્ષણ, દરેક ક્ષેત્રમાં ભારત નવી ઊંચાઈઓને સ્પર્શી રહ્યું છે. આપણે એક પરિવારની જેમ મળીને દરેક પડકારનો સામનો કર્યો અને નવી સફળતાઓ પ્રાપ્ત કરી. 2014થી શરૂ થયેલી 'મન કી બાત'ના 116 એપિસૉડમાં મેં જોયું છે કે 'મન કી બાત' દેશની સામૂહિક શક્તિનો એક જીવંત દસ્તાવેજ બની ગયો છે. તમે બધાએ આ કાર્યક્રમને અપનાવ્યો, પોતાનો બનાવ્યો. દરેક મહિને તમે તમારા વિચારો અને પ્રયાસો જણાવ્યા. ક્યારેક કોઈ યુવા શોધકના વિચારને પ્રભાવિત કર્યો તો ક્યારેક કોઈ દીકરીની સિદ્ધિએ ગૌરવાન્વિત કર્યા. આ તમારા બધાની ભાગીદારી છે જે દેશના ખૂણેખૂણેથી સકારાત્મક ઊર્જાને એક સાથે લાવે છે. 'મન કી બાત' આ સકારાત્મક ઊર્જાની અનેક ગણી વૃદ્ધિનો મંચ બની ગયો છે અને હવે, 2025 ટકોરા મારી રહ્યું છે. આવનારા વર્ષમાં 'મન કી બાત'ના માધ્યમથી આપણે હજુ વધુ પ્રેરણાદાયક વિચારોને વહેંચીશું. મને વિશ્વાસ છે કે દેશવાસીઓની સકારાત્મક વિચારસરણી અને શોધની ભાવનાથી ભારત નવી ઊંચાઈઓને સ્પર્શશે. તમે તમારી આસપાસના અનોખા પ્રયાસોને #Mannkibaat સાથે શૅર કરતા રહો. હું જાણું છું કે આગામી વર્ષની દરેક 'મન કી બાત'માં આપણી પાસે એકબીજા સાથે વહેંચવા માટે ઘણું બધું હશે. તમને બધાને 2025ની ઘણી બધી શુભકામનાઓ. સ્વસ્થ રહો, ખુશ રહો, ફિટ ઇન્ડિયા મૂવમેન્ટમાં તમે પણ જોડાઈ જાવ, પોતાને પણ ફિટ રાખો. જીવનમાં પ્રગતિ કરતા રહો. ખૂબ ખૂબ ધન્યવાદ.