मेरे प्यारे भाइयों और बहनों
मैं सोच रहा हूं कि आज कई नये इतिहास रचे जा रहे हैं। शायद हिन्दुस्तान के इतिहास में न्यायालय के साथ कोई कार्यक्रम जुड़ा हो और इतनी जनसंख्या आई हो, शायद देश में पहले कभी नहीं हुआ होगा। कुर्सी काला कोट पहनकर के आना बैठना वैसा ही वहां का माहौल होता है और ये जो मैं दृश्य देख रहा हूं, ये अपने आप में एक अजूबा है। मैं झारखंड को बधाई देता हूं। आप सबका अभिनन्दन करता हूं और विशेष अभिनन्दन इस बात के लिये कर रहा हूं कि इतनी बड़ी संख्या में माताएं-बहनें मुझे नजर आ रही हैं। मैं इन सबका हृदय से स्वागत करता हूं और अभिनन्दन करता हूं।
आज 2 अक्तूबर है। महात्मा गांधी, लाल बहादुर शास्त्री इन महापुरुषों की आज जन्मजयंती है। कुछ समय पूर्व मुझे ताशकंद जाने का अवसर मिला था| ताशकंद की धरती, जहां पर मां भारती ने अपना लाल खोया था लाल बहादुर शास्त्री जी ने जहां अंतिम सांस ली थी। मैं वहां ताशकंद में गया था और वहां मुझे लाल बहादुर शास्त्री जी की प्रतिमा का अनावरण करने का सौभाग्य मिला था। पिछले दिनों भारत ने 1965 की लड़ाई, उसके 50 वर्ष पूरे होने पर बड़े गौरव के साथ मनाया, विजय पर्व के रूप में मनाया, शौर्य पर्व के रूप में मनाया और देश के उस पराक्रमी लाल को याद किया, जिनके प्रधानमंत्री पद के काल में भारत की सेना ने अपना पराक्रम दिखाया था और देश को विजय दिलाई थी।
आज पूज्य बापू की जन्मजयंती है। आपको आश्चर्य होता होगा, इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री कैसे पहुंच गए, एक प्रकार से ये कार्यक्रम मैंने सामने से छीन लिया है। जस्टिस जी एन पटेल जी का एक दिन फोन आया कि हमने एक ऐसा काम किया है। उन्होंने फोन क्या किया, क्यों किया, मैंने पूछा ही नहीं। मैंने सीधा ही कहा अच्छा और कहा कि मैं दो अक्तूबर को आ रहा हूं और आज गांधी जयंती है। गांधी स्वयं पर्यावरण के बहुत ही बड़े हितैषी रहे। पूरे जीवन भर सादगी से उन्होंने प्रकृति की रक्षा कैसे की, वो दिखाया है। मैंने कहा मैं आऊंगा आपके यहां। उनको भी ऐसे ही लगा कि बम-गोला फूट गया। अचानक कोई प्रधानमंत्री कह दे कि मैं आऊँगा। आप को भी आश्चर्य होता होगा और खासकर के मीडिया के मित्रों के लिये बड़ा मसाला मिल जाएगा आज, मसाला इसलिये मिलेगा कि देश का प्रधानमंत्री और वो भी District Court में जा रहा है। ये कैसा प्रधानमंत्री है जो 175 Giga Watt Renewal Energy के सपने देखता है और 185 किलो वॉट के लिये खूंटी तक आता है। ये किसी को भी आश्चर्य हो सकता है कि कहां 175 Gig watt Renewal Energy का सपना और कहां 185 किलो Watt बिजली, लेकिन मैंने आना पसंद किया इसके पीछे है आज दो अक्तूबर जो मेरी प्रेरणा है। महात्मा गांधी की जन्मजयंती मेरी प्रेरणा है और पूरे विश्व के लिए भी।
अभी मैं United Nations की Meeting में गया था, पूरे समय दुनिया के सब देश एक ही विषय पर चर्चा कर रहे थे, इस Environment का क्या होगा। Global Warming के कारण कैसी मुसीबत आएगी, बारिश अनिश्चित हो रही है क्या होगा, समुद्र का स्तर बढ़ रहा है क्या होगा, छोटे-छोटे देश डूब जाएंगे क्या होगा। चारों तरफ पूरे विश्व को एक चिंता सता रही है। लेकिन मैं आज सवा सौ करोड़ देशवासियों की तरफ से पूरे विश्व को कहना चाहता हूं ये जो मुसीबत आई है उस पाप के हम भागीदार नहीं हैं। हमारे पूर्वजों ने हमें कभी भी प्रकृति का विनाश करने का रास्ता नहीं दिखाया। लेकिन पाप किसी ने भी किया हो गलती किसी की भी क्यों न रही हो, मानवता की रक्षा के लिए भारत को भी अपना योगदान देना होगा। और हमने देने का निर्णय किया है। एक और महत्वपूर्ण बात है मेरे आज यहां आने की। गुजरात हो, राजस्थान हो, वे लोग सौर ऊर्जा के लिये जाएं, Solar Energy के लिये जाएं। वो तो किसी के भी गले उतर सकता है कि क्या करेंगे बेचारे कोयला नहीं है तो क्या करेंगे, सौर ऊर्जा करेंगे। लेकिन झारखंड जहां कोयले के भंडार भरे पड़े हैं, वो झारखंड जब सौर ऊर्जा के लिये जाता है, तब दुनिया के लिये एक नई मिसाल पैदा करता है, एक नया संदेश देता है। उस अर्थ में न सिर्फ हिन्दुस्तान पूरी दुनिया इस बात को समझे कि मैं उस प्रदेश के खूंटी नाम की छोटी सी जगह से बोल रहा हूं, जिस प्रदेश की अधिक आबादी मेरे आदिवासी भाई-बहनों की है। जिन्होंने जंगलों की सदियों से रक्षा की है। जहां कोयले के भंडार पड़े हैं उस प्रदेश की जनता विश्व के मानव कल्याण के लिये, आज सौर ऊर्जा पर जाने का संकल्प कर रहा है, इस लिये मैं विशेष रूप से आया हूं, झारखंड को बधाई देने आया हूं।
एक और भी कारण है मैं जब गुजरात का मुख्यमंत्री था, तो मुख्यमंत्री के नाते हर वर्ष हमें सुप्रीम कोर्ट की Judiciary के द्वारा एक मीटिंग बुलाई जाती थी। सभी मुख्यमंत्री आते थे, सभी हाई कोर्ट के Judges आते थे और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बैठते थे। प्रधानमंत्री आकर के अपना उद्बोधन देकर के चले जाते थे फिर दिन भर हमारी मीटिंग चलती थी, उसमें सारे सवालों पर चर्चा होती थी कि भई Courts में Case Pendency क्यों है, case पूरे क्यों नहीं होते। यहां हमारे प्रदीप भट्ट बैठे होंगे, वो उस समय रजिस्ट्रार हुआ करते थे, तो वो भी उस मीटिंग में थे। और वहां पर एक हाई कोर्ट जज ने रिपोर्टिंग किया वो चौकाने वाला था। जब उनको पूछा गया कि आपके कोर्ट में इतने case pendency क्यों है, case इतने सारे बाकी क्यों पड़े हैं, निकाल क्यों नहीं हो रहा है। उन्होंने जो जवाब दिया था, मैं जिस राज्य से आता था वहां के हालात जो मैंने देखे जाने हैं मेरे लिए वो बड़ा आश्चर्य था। उन्होंने कहा कि हमारे यहां सप्ताह में एक या दो दिन बिजली आती है, दो या तीन घंटे के लिए बिजली आती है। और हमारा कोर्ट का मकान ऐसा है कि पूरा अंधेरा रहता है। बिजली आती है तभी हम कोर्ट चला पाते हैं, वरना हफ्ते में तीन-चार दिन तों हम बिना बिजली के अंधेरे में कोर्ट चला नहीं पाते और इसलिए cases नहीं चलते और इसलिए लोगों को न्याय देने में देरी होती है। मैं चौंक गया था, आजादी के इतने सालों के बाद मेरे देश के न्यायालय में बिजली के आभाव में सामान्य मानव न्याय के लिए तरस रहा था। आज मुझे आने की एक प्रेरणा यह है कि वो बात मुझे याद आई और आज झारखंड के न्याय मूर्तियों ने उसका समाधान खोज निकाला। और यहां पर सौर ऊर्जा से कोर्ट चलेगी। पर्यावरण की तो रक्षा होगी लेकिन न्याय दिलाने में भी एक नया क्षेत्र खुल जाएगा।
पिछले दिनों आपने अखबार में मैं नहीं जानता हूं झारखंड के अखबारों मं ऐसी अच्छी खबरें आती हैं या नहीं आती हैं, लेकिन पिछले दिन शायद आपने सुना होगा या टीवी पर देखा होगा, कुछ लोगों ने तो दिखाया था कुछ लोगों ने लिखा भी था, दुनिया में कोच्चि पहला एयरपोर्ट बना जो एयरपोर्ट पूर्ण रूप से सौर ऊर्जा से चलता था, सूर्य ऊर्जा से चलता था, अभी-अभी एक दो महीने हुए हैं। पिछले दिनों मैं फरीदाबाद से दिल्ली मेट्रो उद्घाटन के लिए गया था, फरीदाबाद से दिल्ली मेट्रो के उद्घाटन में गया। उसके सारे मेट्रो के सभी स्टेशन ऊर्जा, सौर ऊर्जा से चल रहे हैं। वो अपने आप में एक बड़ा काम हुआ है। अगर आप वैष्णों देवी जाएं और वैष्णों देवी जाएं, तो आपको जो आखिरी रेलवे स्टेशन है, वहां जाएंगे, तो पूरा रेलवे स्टेशन हमनें सौर ऊर्जा से चालू कर दिया है और आज देश का पहला न्यायालय एक district न्यायालय पूर्ण रूप से सौर ऊर्जा से चलने वाला है, यह मैं मानता हूं देश को एक नया नजराना है। और महात्मा गांधी को यह उत्तम से उत्तम श्रद्धांजलि है, क्योंकि गांधी जीवनभर इस बात के आग्रही रहे थे। और उस अर्थ में मैं मानता हूं कि यह एक महत्वपूर्ण initiative है।
हमारे यहां शास्त्रों में इन विषयों पर हजारों साल पहले बहुत सी बातें कही गई हैं। ऋगवेद में पांच हजार साल पहले महत्वपूर्ण संदेश कहा गया है। ऋगवेद में कहा है - ‘सूर्य आत्मा जगतास तथुष:’ कहने का तात्पर्य यह है कि भगवान सूर्य चल और अचल की आत्मा है। चल हो या अचल हो अगर उसकी कोई एक आत्मा है तो वो भगवान सूर्य है। उस सूर्य शक्ति की ओर आज विश्व का ध्यान गया है। भारत ने सपना देखा है 175 गीगा वॉट भारत में पहले जब बिजली की चर्चा होती थी तो मेगावॉट से आगे नहीं होती थी। हिसाब-किताब मेगावाट का ही होता था। पहली बार देश गीगावाट की चर्चा करने लगा है, पहली बार और जब मैं दुनिया के सामने कहता हूं कि 2022 जब हिंदुस्तान की आजादी के 75 साल होंगे, हम 175 गीगावाट renewal energy के अंदर हम सफलता प्राप्त करेंगे। यह आंकड़ा सुनते ही दुनिया आश्चर्य करती है। सारी दुनिया से हमें बधाई मिलती है, अभिनंदन मिलते हैं। इतना बड़ा अभियान उठाया है, जो आने वाले दिनों में पर्यावरण की रक्षा करेगा।
मैं फिर एक बार इस महत्वपूर्ण योजना के लिए झारखंड को बधाई देता हूं। मैं झारखंड के नागरिकों से भी एक बात करना चाहता हूं, करूं? मेरी बात मानोगे? सब लोग बताओ तो मैं मानूं मानोगे। माताएं बहनें बताएं मेरी बात मानोगे? पक्का मानोगे ? आप चाहते हो अपने घर के बिजली का बिल कम आए। जिसके घर में बिजली है, वे चाहते हैं कि उनके घर में बिजली का बिल कम आए। आप चाहते हैं पैसे बचें, आप चाहते हैं कि बचे हुए पैसों से बच्चों को दूध पिलाया जाए? तो एक रास्ता है, विज्ञान ने एक नया LED बल्ब खोजा है। नया बिजली का बल्ब आया है LED बोलते हैं। शुरू में तो थोड़ा महंगा लगता है लेकिन अगर आपका 100 रुपये का बिजली का बिल आता है। अगर उसको लगाओ तो बिजली तो ज्यादा, प्रकाश तो ज्यादा मिलेगा लेकिन बिल आधे से भी कम हो जाएगा। पैसा बचेगा कि नहीं बचेगा? लगाओगे LED बल्ब, उस अभियान में जुड़ोगे, पूरे देश में जिस प्रकार से सौर ऊर्जा की ओर जाने की जरूरत है, उसी प्रकार से बिजली बचाने की भी जरूरत है। मानव रक्षा के लिए बिजली बचाना जरूरी हो गया है। अगर हम सारे प्राकृतिक संसाधन अपने लिए खत्म कर देंगे, तो हमारी आने वाली पीढ़ी का क्या होगा? आज हमारे पास जो है न, वो हमारे पसीने की पूंजी नहीं है। आज हमारे पास जो हरे-भरे झाड़ है, पेड़ हैं, यह हमारी पूंजी नहीं है। आज अगर हमारे पास नदियों में अच्छा पानी बह रहा है हमारी पूंजी नहीं है। हमारे पूर्वज हमारे लिए यह छोड़ करके गए हैं। हमारे दादा-दादी, पिता-परपिता वे छोड़ करके गए हैं, तब हमें मिल रहा है। अगर उनका पुण्य हमारे काम आता है, तो हमारा पुण्य हमारी बाद वाली पीढ़ी के भी काम आना चाहिए। यह जिम्मेवारी हमें संभालनी चाहिए। मुझे विश्वास है कि देश में इस जागृति का माहौल बनेगा।
पूज्य बापू की जन्म जयंती पर, और पूज्य बापू स्वयं भी बैरिस्टर थे। उनका भी तो न्याय से न्यायालय से संबंध था। और जिंदगीभर न्याय दिलाने के लिए लड़ते रहे थे। उसी जन्म जयंती पर आज एक न्यायालय पूर्ण रूप से सौर ऊर्जा के साथ देश को समर्पित हो रहा है। बहुत-बहुत शुभकामनाएं, बहुत-बहुत धन्यवाद।