गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के अनुसार स्वामी विवेकानंद का वैश्विक बंधुत्व संदेश आज की विकराल आतंकवाद समस्या का हल है। श्री मोदी ने अपने ब्लॉग में लिखा है कि स्वामी विवेकानंद ने 11 सितम्बर 1993 में शिकागो में विश्व धर्म संसद में वैश्विक बंधुत्व का संदेश दिया था और हम इसे दिग्विजय दिवस के रूप में मनाते हैं। उन्होंने सभी से दिग्विविजय दिवस पर उनके संदेश के अनुसरण की अपील की है।
श्री मोदी के अनुसार यदि दुनिया ने वैश्विक बंधुत्व का संदेश माना होता तो सौ साल बाद अमरीका में वल्र्ड ट्रेड सेन्टर पर आतंककारी हमले जैसी विभीषिका का सामना नहीं करना पड़ता। यह विडम्बना है कि आतंकवाद की समस्या के हल का रास्ता दिखा सकने वाले ऎसे दर्शन को ही "भगवा आतंकवाद" करार दिया जा रहा है। और ऎसा करने वाले कोई और नहीं भारत के गृहमंत्री हैं। श्री मोदी ने याद दिलाया है कि स्वामी विवेकानंद ने न केवल वैश्विक बंधुत्व का आ±वान किया था बल्कि यह भी याद दिलाया कि समेकित पहल के बिना यह सम्भव नहीं होगा। आज मानवता समेकित पहल के अभाव में त्रिस्तरीय चुनौतियों का सामना कर रही है। ये चुनौतियां विविध आस्थाओं व सभ्यताओं का सह-अस्तित्व, प्रकृति से सामान्जस्य के साथ विज्ञान व अर्थव्यवस्था का टिकाऊ विकास तथा संघर्षरत व प्रतिद्वन्दी राष्ट्रीयताओं में सहनशीलता से सम्बन्धित हैं।
श्री मोदी के अनुसार इन सभी चुनौतियों का एकमात्र हल समृद्ध सभ्यता में निहित मूल्यों पर आधारित शक्तिशाली भारत देश है। हमारे संतों का सर्वे भवन्तु सुखिन: --------- का उपदेश एकमात्र रास्ता है। यह शायद आज पहले से भी ज्यादा प्रासंगिक है। जहां तक आज की दुनिया में इसके सम्भव होने का सवाल है तो हम इसे गुजरात में साकार करने की हर सम्भव कोशिश कर रहे हैं और वह इन प्रयासों के परिणामों से खुश हैं। समेकित विकास का गुजरात प्रारूप मूलत: विशुद्ध भारतीय प्रारूप है। हर तरह की परिस्थिति में इस प्रारूप को अपना गुजरात पूर्वोल्लेखित त्रिस्तरीय चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना कर रहा है। यदि दुष्प्रेरित झूठों में छिपे तथ्यों को देखा जाए तो स्पष्ट हो जाता है कि गुजरात की तुष्टीकरण नहीं बल्कि उपलब्धि आधारित नीति के सकारात्मक परिणाम आए हैं।