CM speaks at the launch of series of health schemes for the state

Published By : Admin | September 4, 2012 | 20:58 IST

अगर ये चुनाव का वर्ष नहीं होता और सामान्य दिन होते तो आज का यह कार्यक्रम, यह घटना समग्र देश में और ख़ासकर गुजरात में अत्यंत सकारात्मक रूप में एक उत्तम पहल के रूप में सराही गई होती, परंतु चुनाव के वर्ष में कोई भी सत्कार्य करो, अच्छे से अच्छा कार्य करो पर जो लोग सरकार में नहीं हैं उनके लिए ये बड़ी राजनीति होती है और इसके कारण प्रत्येक घटना को राजनीति के तराजू में तोला जाता है और परिणाम स्वरूप बहुत अच्छे प्रकार के इनिशियेटिव्स भी ऐसी राजनैतिक खींचातानी में फंस जाते हैं और जन साधारण को इसकी जानकारी नहीं होती है। कल मैंने देखा कि इसी सभागृह के अंदर गुजरात के इतिहास की बेजोड़ घटना घटी, यह हॉल किसानों से ठसा-ठस भरा था और विश्व के आठ देशों, और इस देश के 11 राज्यों के किसान मिल कर कृषि क्रांति की दिशा में मंथन कर रहे थे। एक अदभुत नजारा था, पर इस समय चुनाव का साल है..!

आज की यह घटना भी अनेक रूप से पूरे देश के लिए अनोखी है। आधुनिक टैक्नोलॉजी का उपयोग करके, स्मार्ट कार्ड की व्यवस्था करके इस राज्य का गरीब नागरिक कैशलेस, जेब में एक पैसा ना हो, सिर्फ उसके पास ये कार्ड हो तो गंभीर से गंभीर बीमारी में भी इलाज के लिए सरकार सज्ज हो, तैयार हो, इस प्रकार की व्यवस्था पश्चिमी देशों में होने की बात हम सुनते हैं, देखते हैं पर भारत में कल्पना तक नहीं कर सकते, ऐसा एक अभिनव कार्य, जिसकी आज शुरूआत हो रही हे।

47 जितनी हॉस्पिटलों में ऐसी गंभीर प्रकार की बीमारियों के लिए गरीब आदमी को परेशान नहीं होना पड़ेगा। मित्रों, सरकार गरीबों के लिए है इसका मतलब क्या? अमीर आदमी बीमार होगा तो डॉक्टरों की उसके घर लाईन लग जाएगी, सुखी आदमी को सुख खरीदने के लिए पैसों की कभी कमी नहीं होती। गरीब इंसान के सपने में भी दूर-दूर तक यह बात नहीं होती। एक जमाना था, गरीब इंसान बीमार हो, हॉस्पिटल जाना हो... गाँव में इंसान बीमार हो, हॉस्पिटल जाना हो... गर्भवती बहन हो, प्रसव की पीड़ा हो रही हो, हॉस्पिटल जाना हो... रिक्शावाला एडवांस पैसा मांगे और पैसा नहीं हो तो रिक्शावाला मना कर दे। किसी अड़ौसी-पड़ौसी का ट्रेक्टर मांगो, टैम्पो मांगों तो वह मना कर देता है, बैलगाड़ी करनी हो तो बैलगाड़ी नहीं मिले, पास के गाँव में जाना हो तो जाने की व्यवस्था नहीं मिले, बस का ठिकाना नहीं हो... जेब में पैसा नहीं हो तो दवाखाने तक नहीं पहुंचा जा सकता था, ऐसे दिन हमने देखे हैं। यह ‘108’ की सेवा, फोन किया कि गाड़ी हाजिर हो गई। वे पूछते नहीं हैं कि तुम हिंदु हो कि मुस्लमान हो, वे पूछते नहीं हैं कि तुम शहर में रहते हो या गाँव में रहते हो, वे पूछते नहीं हैं कि तुम अमीर हो कि गरीब हो, वे पूछते नहीं हैं कि तुम ऊंची जात के हो कि पिछड़ी जात के हो, तुम सवर्ण हो या दलित हो... नहीं, तुम इंसान हो और तुम्हारी सेवा करने के लिए हम बंधे हैं, यह गुजरात तुम्हारी सेवा करने के लिए बाध्य है, और जेब में एक कौड़ी ना हो, तो उसे भी पूरी-पूरी सेवा मिलती है।

आज 200 करोड रूपये की इतनी बड़ी योजना लॉन्च की जा रही है और यह आजकल का आया हुआ विचार नहीं है; वरना आप अखबार पढ़ो तो आपको ऐसा लगे कि जैसे कल सवेरे ही यह विचार हमें आया होगा..! मुद्दा तो यह है कि लोग हमारे विचार चुरा ले जाते हैं, क्योंकि इतनी सारी बैंक्रप्ट्सी है कि उन्हें ऑरिजनल विचार ही नहीं आते। पिछले साल मार्च महीने के बजट में जो चीज़ रखी गई हो और बजट में रखी गई हो यानि 2011 के नवंबर-दिसबंर में इसके लिए चर्चा शुरु हुई हो। एक बार इस योजना ने आकार लिया हो, लंबा विचार-विमर्श हुआ हो, तब जाकर 2012 के मार्च के इस बजट के अंदर प्रस्तुत किया गया हो, पैसा अलाट हुआ हो, उस योजना का आज विधिवत् रूप से अमलीकरण का यह कार्यक्रम है। योजना की घोषणा का यह कार्यक्रम नहीं है, यह अमलीकरण का कार्यक्रम है। और गुजरात के प्रत्येक गरीब को ऐसी कोई भी गंभीर प्रकार की बीमारी उसके परिवार में आ पड़े, तो उसकी जिम्मेदारी आज से गांधीनगर में बैठी यह सरकार ले रही है। यह छोटा स्टेटमेंट नहीं है, मित्रों। इस राज्य के गरीब इंसान की गंभीर बीमारियों की जिम्मेदारी सरकार उठा रही है। ये संकल्प घोषित करना और उस पर अमल करना, इसके अमलीकरण की प्रक्रिया पूरे देश का ध्यान खींचने वाली है।

भाइयों और बहनों, आज से एक और नया प्रयोग हम कर रहे हैं। ‘108’ की सेवा, इमरजेंसी में दौड़ना, पेशेंट को बचाना, इस सेवा का एक भाग तो हमने अनुभव किया है और हम सब गौरव करते हैं। मुझे यहाँ जब ‘108’ के सभी साथी बैठे हैं तब उनकी छाती गज-गज फूल जाए ऐसी बात करनी है। मुझे प्रति सप्ताह जो अनेक फोन आते हैं, उसमें हर सप्ताह में एक-दो फोन ऐसे होते हैं जो किसी अनजान व्यक्ति - किसी बहन का होता है, किसी नौजवान का होता है, किसी वृद्ध मां का होता है... हमें यह लगता है कि यह किसी गरीब इंसान का फोन आया है तो जरूर कोई फरियाद करने, काम के लिए फोन किया होगा। लगभग हर सप्ताह एकाध फोन मुझे ऐसे आता हैं, और फोन में फरियाद नहीं होती है, अपेक्षा नहीं होती है, लेकिन बहुत ही भावुक स्वर में कोई बहन या कोई मां या फिर कोई बेटा मुझे कहता है कि साहब, ये आपकी ‘108’ सेवा के कारण मेरा बेटा बच गया, कोई कहता है कि आपकी इस ‘108’ के कारण मेरा पति बच गया, इसके लिए सरकार का जितना आभार मानें उतना कम है..! ये बात इस समाज के सामान्य नागरिकों के टेलिफोन से मेरे तक पहुंचती है, और जब ऐसा फोन आता है तो पूरा दिन ऐसे दौडऩे का मन करता है कि वाह, जनता की सेवा करने में क्या आनंद आता है..! टेलिफोन तो मुझे मिलता है, छाती मेरी फूलती है, पर इस छाती के फूलने की घटना के पीछे के कारक जो यहाँ बैठे हैं, ये ‘108’ के मित्रों को मुझे अभिनंदन देना है, इस यश के सच्चे अधिकारी आप हों। आप इनका टेलिफोन देर से उठाओ और पांच मिनट देरी से जाओ तो आपको कौन पूछने वाला है, भाई? पर नहीं, ‘108’ में स्पर्धा है, जल्द से जल्द कौन पहुँचे? जल्दी से जल्दी इलाज कैसे मिले? ये जो पूरा वर्क कल्चर हम खड़ा कर पाए हैं, इस वर्क कल्चर का असर हरएक क्षेत्र में होने वाला है। नहीं तो पहले, एम्बूलेंस वैन और डैडबॉडी वैन में असमंजस रहती थी, बुलाई गई हो एम्बूलेंस और आती डेडबॉडी वैन थी, ऐसी दशा थी। उसमें से एक गुणात्मक परिवर्तन..! और गुड गवर्नेंस किसे कहते हैं? गुड गवर्नेंस के ये एक के बाद एक उदाहरण हैं। और अब इसमें एक नया नजारा, यह नया नजारा यानि ‘खिलखिलाट’। पूरा गुजरात वैसे भी खिलखिला रहा है, और गुजरात खिलिखिला रहा है इसलिए कुछ लोग कराह रहे हैं, इस कराह का जवाब है ‘खिलखिलाट’..! गरीब मां हॉस्पिटल तो पहुंचा गई पर 40, 42, 48, 50 घंटे की आयु वाले बच्चे को लेकर कष्ट भुगतते हुए घर जाती है, तो उस बच्चे पर सबसे ज्यादा विपरीत प्रभाव पड़ता है। उस बालक की जिंदगी बच जाए, उसे कोई तकलीफ नहीं हो, इसके लिए एक दूर दृष्टि की समझ के साथ इस ‘खिलखिलाट’ योजना को जन्म दिया गया है। और ऐसा भी नहीं चाहते हैं कि ‘108’ की तरह साइरन बजाती-बजाती फिर घर जाए, नहीं तो पूरे परिवार, मुहल्ले को बेचैनी हो कि ये फिर क्या हुआ, भाई..? अभी कल तो इसको हॉस्पिटल ले गए थे, फिर आज रोता-रोता कौन आ गया? अंदर से उतरे तब तक तो किसी बेचारे को आंखों से आंसू आ जाए, ऐसी भूल ना हो इसके लिए इसका पूरा रंग-रूप बदल दिया है, उसकी सायरन भी बदल दी है, इस प्रकार की सायरन भी हो सकती है ये लोगों को शायद पहली बार पता चलेगा। यह मेरा कार्यक्रम पूरा होने के बाद हम सभी यहाँ से बाहर जाएंगे, फ्लैग-ऑफ के लिए। आप भी देखना, तो आपको भी लगेगा..!

आज एक कॉर्पोरेशन की रचना की भी हम घोषणा करते हैं, मेडिकल सर्विसेज के लिए। यह भी 2012 के मार्च महिने के बजट में विधिवत् रूप से घोषित की गई योजना है। और इसके लिए कुछ लोग ऐसा कहते हैं कि हम करेंगे। अरे, गुजरात सरकार ने तो इसे बजट में पहले ही कर दिया था। भाइयों-बहनों, गुजरात, विकास की नई ऊंचाइयों को पार कर रहा है। अभी हमने गुटखे पर प्रतिबंध घोषित किया है। 11 तारीख से इस पर अमल शुरू हो जाएगा। माताएं-बहनें गुटखा बंद होने पर सबसे ज्यादा प्रसन्न हुई हैं, क्योंकि घर में बच्चे के लिए दूध नहीं आए, पर गुटखा आए ऐसा था। इस गुटखे पर प्रतिबंध के समर्थन के लिए हमने एक टेलिफोन नम्बर दिया है। आप कॉल करके गुटखा प्रतिबंध पर आपका समर्थन दें। आप में से कितने हैं जिन्होंने मिस्ड कॉल किया है, भाई..? बहुत कम हैं। यहाँ बैठे हुए कितने लोग हैं जिनके पास मोबाइल फोन है? हाथ ऊपर करो, मोबाइल फोन वाले कितने? पूरा सभागृह भरा हुआ है। एक काम करो, अपना मोबाइल निकालो और चालू करो। मोबाइल चालू करो, एक नंबर लिखवाता हूँ, उस नंबर पर मिस्ड कॉल करो और गुटखा प्रतिबंध को समर्थन दो, मेरी सभी से प्रार्थना है। आपके पास मोबाइल होगा प्लीज़, 80009-80009 नंबर है। आपने मुझे समर्थन दिया इसके लिए आपको मेरा मैसेज थोड़ी देर में मिल जाएगा। मेरी बिनती है कि इस काम में मेरी मदद करें। आपके मित्रों, परिचितों, ऑफिस में जो कोई हो, जिसके भी पास मोबाइल फोन हो, उन सभी से अनुरोध करें कि हमारी युवा पीढ़ी को कैंसर से बचाने के अभियान में मिस्ड कॉल करके भागीदार बनें। 80009-80009, कितनों ने किया..? पक्का..? तो थोड़ी देर में मैसेज आने शुरू हो जाएंगे, जन भागीदारी के बिना, जन सहयोग के बिना कभी कोई कार्य सफल नहीं होता। गुजरात की सफलता सरकार से जनता जो दो कदम आगे रहती है इस कारण से है, जनता की जो सक्रिय भागीदारी है, इस सक्रीय भागीदारी के कारण है।

आप सभी को, खास कर के स्वास्थ्य विभाग को, जिन्होंने अनेकविध लक्ष्य प्राप्त किये हैं, उनका मैं अभिनंदन करता हूँ।

धन्यवाद...!

जय जय गरवी गुजरात...!!

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भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

नमस्कार,

अभी दो ढाई घंटे पहले ही मैं कुवैत पहुंचा हूं और जबसे यहां कदम रखा है तबसे ही चारों तरफ एक अलग ही अपनापन, एक अलग ही गर्मजोशी महसूस कर रहा हूं। आप सब भारत क अलग अलग राज्यों से आए हैं। लेकिन आप सभी को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे मेरे सामने मिनी हिन्दुस्तान उमड़ आया है। यहां पर नार्थ साउथ ईस्ट वेस्ट हर क्षेत्र के अलग अलग भाषा बोली बोलने वाले लोग मेरे सामने नजर आ रहे हैं। लेकिन सबके दिल में एक ही गूंज है। सबके दिल में एक ही गूंज है - भारत माता की जय, भारत माता की जय I

यहां हल कल्चर की festivity है। अभी आप क्रिसमस और न्यू ईयर की तैयारी कर रहे हैं। फिर पोंगल आने वाला है। मकर सक्रांति हो, लोहड़ी हो, बिहू हो, ऐसे अनेक त्यौहार बहुत दूर नहीं है। मैं आप सभी को क्रिसमस की, न्यू ईयर की और देश के कोने कोने में मनाये जाने वाले सभी त्योहारों की बहुत बहुत शुभकानाएं देता हूं।

साथियों,

आज निजी रूप से मेरे लिए ये पल बहुत खास है। 43 years, चार दशक से भी ज्यादा समय, 43 years के बाद भारत का कोई प्रधानमंत्री कुवैत आया है। आपको हिन्दुस्तान से यहां आना है तो चार घंटे लगते हैं, प्रधानमंत्री को चार दशक लग गए। आपमे से कितने ही साथी तो पीढ़ियों से कुवैत में ही रह रहे हैं। बहुतों का तो जन्म ही यहीं हुआ है। और हर साल सैकड़ों भारतीय आपके समूह में जुड़ते जाते हैं। आपने कुवैत के समाज में भारतीयता का तड़का लगाया है, आपने कुवैत के केनवास पर भारतीय हुनर का रंग भरा है। आपने कुवैत में भारत के टेलेंट, टेक्नॉलोजी और ट्रेडिशन का मसाला मिक्स किया है। और इसलिए मैं आज यहां सिर्फ आपसे मिलने ही नहीं आया हूं, आप सभी की उपलब्धियों को सेलिब्रेट करने के लिए आया हूं।

साथियों,

थोड़ी देर पहले ही मेरे यहां काम करने वाले भारतीय श्रमिकों प्रोफेशनल्श् से मुलाकात हुई है। ये साथी यहां कंस्ट्रक्शन के काम से जुड़े हैं। अन्य अनेक सेक्टर्स में भी अपना पसीना बहा रहे हैं। भारतीय समुदाय के डॉक्टर्स, नर्सज पेरामेडिस के रूप में कुवैत के medical infrastructure की बहुत बड़ी शक्ति है। आपमें से जो टीचर्स हैं वो कुवैत की अगली पीढ़ी को मजबूत बनाने में सहयोग कर रही है। आपमें से जो engineers हैं, architects हैं, वे कुवैत के next generation infrastructure का निर्माण कर रहे हैं।

और साथियों,

जब भी मैं कुवैत की लीडरशिप से बात करता हूं। तो वो आप सभी की बहुत प्रशंसा करते हैं। कुवैत के नागरिक भी आप सभी भारतीयों की मेहनत, आपकी ईमानदारी, आपकी स्किल की वजह से आपका बहुत मान करते हैं। आज भारत रेमिटंस के मामले में दुनिया में सबसे आगे है, तो इसका बहुत बड़ा श्रेय भी आप सभी मेहनतकश साथियों को जाता है। देशवासी भी आपके इस योगदान का सम्मान करते हैं।

साथियों,

भारत और कुवैत का रिश्ता सभ्यताओं का है, सागर का है, स्नेह का है, व्यापार कारोबार का है। भारत और कुवैत अरब सागर के दो किनारों पर बसे हैं। हमें सिर्फ डिप्लोमेसी ही नहीं बल्कि दिलों ने आपस में जोड़ा है। हमारा वर्तमान ही नहीं बल्कि हमारा अतीत भी हमें जोड़ता है। एक समय था जब कुवैत से मोती, खजूर और शानदार नस्ल के घोड़े भारत जाते थे। और भारत से भी बहुत सारा सामान यहां आता रहा है। भारत के चावल, भारत की चाय, भारत के मसाले,कपड़े, लकड़ी यहां आती थी। भारत की टीक वुड से बनी नौकाओं में सवार होकर कुवैत के नाविक लंबी यात्राएं करते थे। कुवैत के मोती भारत के लिए किसी हीरे से कम नहीं रहे हैं। आज भारत की ज्वेलरी की पूरी दुनिया में धूम है, तो उसमें कुवैत के मोतियों का भी योगदान है। गुजरात में तो हम बड़े-बुजुर्गों से सुनते आए हैं, कि पिछली शताब्दियों में कुवैत से कैसे लोगों का, व्यापारी-कारोबारियों का आना-जाना रहता था। खासतौर पर नाइनटीन्थ सेंचुरी में ही, कुवैत से व्यापारी सूरत आने लगे थे। तब सूरत, कुवैत के मोतियों के लिए इंटरनेशनल मार्केट हुआ करता था। सूरत हो, पोरबंदर हो, वेरावल हो, गुजरात के बंदरगाह इन पुराने संबंधों के साक्षी हैं।

कुवैती व्यापारियों ने गुजराती भाषा में अनेक किताबें भी पब्लिश की हैं। गुजरात के बाद कुवैत के व्यापारियों ने मुंबई और दूसरे बाज़ारों में भी उन्होंने अलग पहचान बनाई थी। यहां के प्रसिद्ध व्यापारी अब्दुल लतीफ अल् अब्दुल रज्जाक की किताब, How To Calculate Pearl Weight मुंबई में छपी थी। कुवैत के बहुत सारे व्यापारियों ने, एक्सपोर्ट और इंपोर्ट के लिए मुंबई, कोलकाता, पोरबंदर, वेरावल और गोवा में अपने ऑफिस खोले हैं। कुवैत के बहुत सारे परिवार आज भी मुंबई की मोहम्मद अली स्ट्रीट में रहते हैं। बहुत सारे लोगों को ये जानकर हैरानी होगी। 60-65 साल पहले कुवैत में भारतीय रुपए वैसे ही चलते थे, जैसे भारत में चलते हैं। यानि यहां किसी दुकान से कुछ खरीदने पर, भारतीय रुपए ही स्वीकार किए जाते थे। तब भारतीय करेंसी की जो शब्दाबली थी, जैसे रुपया, पैसा, आना, ये भी कुवैत के लोगों के लिए बहुत ही सामान्य था।

साथियों,

भारत दुनिया के उन पहले देशों में से एक है, जिसने कुवैत की स्वतंत्रता के बाद उसे मान्यता दी थी। और इसलिए जिस देश से, जिस समाज से इतनी सारी यादें जुड़ी हैं, जिससे हमारा वर्तमान जुड़ा है। वहां आना मेरे लिए बहुत यादगार है। मैं कुवैत के लोगों का, यहां की सरकार का बहुत आभारी हूं। मैं His Highness The Amir का उनके Invitation के लिए विशेष रूप से धन्यवाद देता हूं।

साथियों,

अतीत में कल्चर और कॉमर्स ने जो रिश्ता बनाया था, वो आज नई सदी में, नई बुलंदी की तरफ आगे बढ़ रहा है। आज कुवैत भारत का बहुत अहम Energy और Trade Partner है। कुवैत की कंपनियों के लिए भी भारत एक बड़ा Investment Destination है। मुझे याद है, His Highness, The Crown Prince Of Kuwait ने न्यूयॉर्क में हमारी मुलाकात के दौरान एक कहावत का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था- “When You Are In Need, India Is Your Destination”. भारत और कुवैत के नागरिकों ने दुख के समय में, संकटकाल में भी एक दूसरे की हमेशा मदद की है। कोरोना महामारी के दौरान दोनों देशों ने हर स्तर पर एक-दूसरे की मदद की। जब भारत को सबसे ज्यादा जरूरत पड़ी, तो कुवैत ने हिंदुस्तान को Liquid Oxygen की सप्लाई दी। His Highness The Crown Prince ने खुद आगे आकर सबको तेजी से काम करने के लिए प्रेरित किया। मुझे संतोष है कि भारत ने भी कुवैत को वैक्सीन और मेडिकल टीम भेजकर इस संकट से लड़ने का साहस दिया। भारत ने अपने पोर्ट्स खुले रखे, ताकि कुवैत और इसके आसपास के क्षेत्रों में खाने पीने की चीजों का कोई अभाव ना हो। अभी इसी साल जून में यहां कुवैत में कितना हृदय विदारक हादसा हुआ। मंगफ में जो अग्निकांड हुआ, उसमें अनेक भारतीय लोगों ने अपना जीवन खोया। मुझे जब ये खबर मिली, तो बहुत चिंता हुई थी। लेकिन उस समय कुवैत सरकार ने जिस तरह का सहयोग किया, वो एक भाई ही कर सकता है। मैं कुवैत के इस जज्बे को सलाम करूंगा।

साथियों,

हर सुख-दुख में साथ रहने की ये परंपरा, हमारे आपसी रिश्ते, आपसी भरोसे की बुनियाद है। आने वाले दशकों में हम अपनी समृद्धि के भी बड़े पार्टनर बनेंगे। हमारे लक्ष्य भी बहुत अलग नहीं है। कुवैत के लोग, न्यू कुवैत के निर्माण में जुटे हैं। भारत के लोग भी, साल 2047 तक, देश को एक डवलप्ड नेशन बनाने में जुटे हैं। कुवैत Trade और Innovation के जरिए एक Dynamic Economy बनना चाहता है। भारत भी आज Innovation पर बल दे रहा है, अपनी Economy को लगातार मजबूत कर रहा है। ये दोनों लक्ष्य एक दूसरे को सपोर्ट करने वाले हैं। न्यू कुवैत के निर्माण के लिए, जो इनोवेशन, जो स्किल, जो टेक्नॉलॉजी, जो मैनपावर चाहिए, वो भारत के पास है। भारत के स्टार्ट अप्स, फिनटेक से हेल्थकेयर तक, स्मार्ट सिटी से ग्रीन टेक्नॉलजी तक कुवैत की हर जरूरत के लिए Cutting Edge Solutions बना सकते हैं। भारत का स्किल्ड यूथ कुवैत की फ्यूचर जर्नी को भी नई स्ट्रेंथ दे सकता है।

साथियों,

भारत में दुनिया की स्किल कैपिटल बनने का भी सामर्थ्य है। आने वाले कई दशकों तक भारत दुनिया का सबसे युवा देश रहने वाला है। ऐसे में भारत दुनिया की स्किल डिमांड को पूरा करने का सामर्थ्य रखता है। और इसके लिए भारत दुनिया की जरूरतों को देखते हुए, अपने युवाओं का स्किल डवलपमेंट कर रहा है, स्किल अपग्रेडेशन कर रहा है। भारत ने हाल के वर्षों में करीब दो दर्जन देशों के साथ Migration और रोजगार से जुड़े समझौते किए हैं। इनमें गल्फ कंट्रीज के अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, मॉरिशस, यूके और इटली जैसे देश शामिल हैं। दुनिया के देश भी भारत की स्किल्ड मैनपावर के लिए दरवाज़े खोल रहे हैं।

साथियों,

विदेशों में जो भारतीय काम कर रहे हैं, उनके वेलफेयर और सुविधाओं के लिए भी अनेक देशों से समझौते किए जा रहे हैं। आप ई-माइग्रेट पोर्टल से परिचित होंगे। इसके ज़रिए, विदेशी कंपनियों और रजिस्टर्ड एजेंटों को एक ही प्लेटफॉर्म पर लाया गया है। इससे मैनपावर की कहां जरूरत है, किस तरह की मैनपावर चाहिए, किस कंपनी को चाहिए, ये सब आसानी से पता चल जाता है। इस पोर्टल की मदद से बीते 4-5 साल में ही लाखों साथी, यहां खाड़ी देशों में भी आए हैं। ऐसे हर प्रयास के पीछे एक ही लक्ष्य है। भारत के टैलेंट से दुनिया की तरक्की हो और जो बाहर कामकाज के लिए गए हैं, उनको हमेशा सहूलियत रहे। कुवैत में भी आप सभी को भारत के इन प्रयासों से बहुत फायदा होने वाला है।

साथियों,

हम दुनिया में कहीं भी रहें, उस देश का सम्मान करते हैं और भारत को नई ऊंचाई छूता देख उतने ही प्रसन्न भी होते हैं। आप सभी भारत से यहां आए, यहां रहे, लेकिन भारतीयता को आपने अपने दिल में संजो कर रखा है। अब आप मुझे बताइए, कौन भारतीय होगा जिसे मंगलयान की सफलता पर गर्व नहीं होगा? कौन भारतीय होगा जिसे चंद्रयान की चंद्रमा पर लैंडिंग की खुशी नहीं हुई होगी? मैं सही कह रहा हूं कि नहीं कह रहा हूं। आज का भारत एक नए मिजाज के साथ आगे बढ़ रहा है। आज भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी इकॉनॉमी है। आज दुनिया का नंबर वन फिनटेक इकोसिस्टम भारत में है। आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम भारत में है। आज भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता देश है।

मैं आपको एक आंकड़ा देता हूं और सुनकर आपको भी अच्छा लगेगा। बीते 10 साल में भारत ने जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, भारत में जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, उसकी लंबाई, वो धरती और चंद्रमा की दूरी से भी आठ गुना अधिक है। आज भारत, दुनिया के सबसे डिजिटल कनेक्टेड देशों में से एक है। छोटे-छोटे शहरों से लेकर गांवों तक हर भारतीय डिजिटल टूल्स का उपयोग कर रहा है। भारत में स्मार्ट डिजिटल सिस्टम अब लग्जरी नहीं, बल्कि कॉमन मैन की रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल हो गया है। भारत में चाय पीते हैं, रेहड़ी-पटरी पर फल खरीदते हैं, तो डिजिटली पेमेंट करते हैं। राशन मंगाना है, खाना मंगाना है, फल-सब्जियां मंगानी है, घर का फुटकर सामान मंगाना है, बहुत कम समय में ही डिलिवरी हो जाती है और पेमेंट भी फोन से ही हो जाता है। डॉक्यूमेंट्स रखने के लिए लोगों के पास डिजि लॉकर है, एयरपोर्ट पर सीमलैस ट्रेवेल के लिए लोगों के पास डिजियात्रा है, टोल बूथ पर समय बचाने के लिए लोगों के पास फास्टटैग है, भारत लगातार डिजिटली स्मार्ट हो रहा है और ये तो अभी शुरुआत है। भविष्य का भारत ऐसे इनोवेशन्स की तरफ बढ़ने वाला है, जो पूरी दुनिया को दिशा दिखाएगा। भविष्य का भारत, दुनिया के विकास का हब होगा, दुनिया का ग्रोथ इंजन होगा। वो समय दूर नहीं जब भारत दुनिया का Green Energy Hub होगा, Pharma Hub होगा, Electronics Hub होगा, Automobile Hub होगा, Semiconductor Hub होगा, Legal, Insurance Hub होगा, Contracting, Commercial Hub होगा। आप देखेंगे, जब दुनिया के बड़े-बड़े Economy Centres भारत में होंगे। Global Capability Centres हो, Global Technology Centres हो, Global Engineering Centres हो, इनका बहुत बड़ा Hub भारत बनेगा।

साथियों,

हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। भारत एक विश्वबंधु के रूप में दुनिया के भले की सोच के साथ आगे चल रहा है। और दुनिया भी भारत की इस भावना को मान दे रही है। आज 21 दिसंबर, 2024 को दुनिया, अपना पहला World Meditation Day सेलीब्रेट कर रही है। ये भारत की हज़ारों वर्षों की Meditation परंपरा को ही समर्पित है। 2015 से दुनिया 21 जून को इंटरनेशन योगा डे मनाती आ रही है। ये भी भारत की योग परंपरा को समर्पित है। साल 2023 को दुनिया ने इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर के रूप में मनाया, ये भी भारत के प्रयासों और प्रस्ताव से ही संभव हो सका। आज भारत का योग, दुनिया के हर रीजन को जोड़ रहा है। आज भारत की ट्रेडिशनल मेडिसिन, हमारा आयुर्वेद, हमारे आयुष प्रोडक्ट, ग्लोबल वेलनेस को समृद्ध कर रहे हैं। आज हमारे सुपरफूड मिलेट्स, हमारे श्री अन्न, न्यूट्रिशन और हेल्दी लाइफस्टाइल का बड़ा आधार बन रहे हैं। आज नालंदा से लेकर IITs तक का, हमारा नॉलेज सिस्टम, ग्लोबल नॉलेज इकोसिस्टम को स्ट्रेंथ दे रहा है। आज भारत ग्लोबल कनेक्टिविटी की भी एक अहम कड़ी बन रहा है। पिछले साल भारत में हुए जी-20 सम्मेलन के दौरान, भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर की घोषणा हुई थी। ये कॉरिडोर, भविष्य की दुनिया को नई दिशा देने वाला है।

साथियों,

विकसित भारत की यात्रा, आप सभी के सहयोग, भारतीय डायस्पोरा की भागीदारी के बिना अधूरी है। मैं आप सभी को विकसित भारत के संकल्प से जुड़ने के लिए आमंत्रित करता हूं। नए साल का पहला महीना, 2025 का जनवरी, इस बार अनेक राष्ट्रीय उत्सवों का महीना होने वाला है। इसी साल 8 से 10 जनवरी तक, भुवनेश्वर में प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन होगा, दुनियाभर के लोग आएंगे। मैं आप सब को, इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित करता हूं। इस यात्रा में, आप पुरी में महाप्रभु जगन्नाथ जी का आशीर्वाद ले सकते हैं। इसके बाद प्रयागराज में आप महाकुंभ में शामिल होने के लिए प्रयागराज पधारिये। ये 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलने वाला है, करीब डेढ़ महीना। 26 जनवरी को आप गणतंत्र दिवस देखकर ही वापस लौटिए। और हां, आप अपने कुवैती दोस्तों को भी भारत लाइए, उनको भारत घुमाइए, यहां पर कभी, एक समय था यहां पर कभी दिलीप कुमार साहेब ने पहले भारतीय रेस्तरां का उद्घाटन किया था। भारत का असली ज़ायका तो वहां जाकर ही पता चलेगा। इसलिए अपने कुवैती दोस्तों को इसके लिए ज़रूर तैयार करना है।

साथियों,

मैं जानता हूं कि आप सभी आज से शुरु हो रहे, अरेबियन गल्फ कप के लिए भी बहुत उत्सुक हैं। आप कुवैत की टीम को चीयर करने के लिए तत्पर हैं। मैं His Highness, The Amir का आभारी हूं, उन्होंने मुझे उद्घाटन समारोह में Guest Of Honour के रूप में Invite किया है। ये दिखाता है कि रॉयल फैमिली, कुवैत की सरकार, आप सभी का, भारत का कितना सम्मान करती है। भारत-कुवैत रिश्तों को आप सभी ऐसे ही सशक्त करते रहें, इसी कामना के साथ, फिर से आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद।