প্রধানমন্ত্রী শ্রী নরেন্দ্র মোদী ভারতের জি২০ গোষ্ঠীর সভাপতি হিসেবে দায়িত্ব গ্রহণ সংক্রান্ত লোগো, মূল ভাবনা এবং ওয়েবসাইটের উদ্বোধন করেছেন। 

প্রধানমন্ত্রী ভার্চুয়াল পদ্ধতিতে এগুলির উদ্বোধন করেন। 

লোগো এবং মূল ভাবনা: 

ভারতের জাতীয় পতাকার প্রাণবন্ত রঙ- গেরুয়া, সাদা, সবুজ এবং নীলের থেকে অনুপ্রাণিত হয়ে জি২০ গোষ্ঠীর লোগোটি তৈরি করা হয়েছে। ভারতে জাতীয় ফুল পদ্মের সঙ্গে বসুন্ধরা মাতাকে সহাবস্থানে রেখে লোগোটি তৈরি করা হয়েছে। এর মধ্য দিয়ে বিভিন্ন চ্যালেঞ্জ সত্ত্বেও দেশের উন্নয়নের ধারা অব্যাহত থাকার ভাবনাটি প্রতিফলিত। ভারতীয় জীবনধারায় বহুমুখী উদ্যোগ এবং প্রকৃতির সঙ্গে সহাবস্থান বোঝাতে পৃথিবীকে লোগোতে স্থান দেওয়া হয়েছে। লোগোটির তলায় দেবনাগরী হরফে ‘ভারত’ শব্দটি লেখা আছে। 

লোগোর নকশা তৈরির জন্য একটি প্রতিযোগিতার আয়োজন করা হয়। সর্বজনীন এই প্রতিযোগিতায় লোগো সম্পর্কে বিভিন্ন ধারনা পাওয়া গেছে। মাই গভ পোর্টালে ২ হাজারের বেশি অংশগ্রহণকারী প্রতিযোগিতায় অংশ নেন। জি২০ গোষ্ঠীর সভাপতি হিসেবে ভারতে দায়িত্ব গ্রহণের সঙ্গে প্রধানমন্ত্রী জন-ভাগিদারী ভাবনাকে যুক্ত করে লোগোটি তৈরি করা হয়েছে। 

জি২০ গোষ্ঠীর সভাপতি হিসেবে দায়িত্ব পালনের সময় মূল ভাবনা থাকবে “বসুধৈব কুটুম্বকম”। মহা উপনিষদ থেকে প্রাপ্ত সংস্কৃত এই শব্দের অর্থ “এক বিশ্ব এক পরিবার, এক ভবিষ্যৎ”। মানুষ, পশুপাখি, গাছপালা এবং অতিক্ষুদ্র জীব- প্রত্যেকেই যে একে অন্যের সঙ্গে যুক্ত এবং সর্বপরি পৃথিবী ও বিশ্ব ব্রহ্মান্ডের সঙ্গে সম্পর্কিত মূল ভাবনায় সেটি প্রকাশিত হয়েছে। 

পরিবেশের জন্য জীবনশৈলী বা “লাইফ” ধারনাটিও মূল ভাবনায় যুক্ত হয়েছে। ব্যক্তি বিশেষের জীবনযাত্রা, জাতীয় স্তরে উন্নয়ন, পৃথিবীকে আরো পরিচ্ছন্ন, পরিবেশ বান্ধব করে তোলার জন্য বিভিন্ন সংস্কার মূলক উদ্যোগ “লাইফ”এর মধ্য দিয়ে বাস্তবায়িত হবে। 

জি২০ গোষ্ঠীর সভাপতি হিসেবে ভারত তার দায়িত্ব পালনের সময় সারা বিশ্বজুড়ে সমতা বজায় রাখার ওপর গুরুত্ব দেওয়া হবে। এক অশান্ত সময়ের মধ্যে আমরা চলেছি। সেই প্রেক্ষিতে একটি সুস্থায়ী, সর্বাঙ্গীন ও সমন্বিত উদ্যোগ গ্রহণ করার বার্তা এই লোগো এবং মূল ভাবনা সকলের মধ্যে ছড়িয়ে দেওয়া হবে। পারিপার্শিক বাস্ততন্ত্রের সঙ্গে সহাবস্থানের ভারতীয় ভাবনাও প্রতিফলিত হবে। 

ভারতের জন্য জি২০ সভাপতির দায়িত্ব গ্রহণ অমৃতকালের সুচনা করবে। এ বছরের ১৫ আগস্ট স্বাধীনতা দিবসে ২৫ বছরের অমৃতকালের সূচনা হয়েছে। মানব-কেন্দ্রিক এক উদ্যোগের মাধ্যমে একটি সমৃদ্ধ, সমন্বিত ও উন্নত সমাজ যাতে স্বাধীনতার শততম বর্ষে গড়ে তোলা যায় সেটিই অমৃতকালের উদ্দেশ্য। 

জি২০ ওয়েবসাইট

জি২০-র সভাপতি হিসেবে দায়িত্ব গ্রহণ সংক্রান্ত ওয়েবসাইটটিও প্রধানমন্ত্রী উদ্বোধন করেন। এটি হল https://www.g20.in/। আগামী পয়লা ডিসেম্বর জি২০ গোষ্ঠীর সভাপতির দায়িত্ব গ্রহণের পর এই ওয়েবসাইটটির https://www.g20.org/-র সঙ্গে সংযুক্তিকরণ ঘটানো হবে। এই ওয়েবসাইট থেকে জি২০ গোষ্ঠীর বিভিন্ন তথ্য পাওয়া যাবে। এখানে নাগরিকরা তাঁদের পরামর্শও দিতে পারবেন। 

জি২০ অ্যাপ

“জি২০ ইন্ডিয়া” মোবাইল অ্যাপটিও সূচনা করা হয়েছে। অ্যান্ড্রয়েড এবং আইওএস প্ল্যাটফর্ম থেকে অ্যাপটি ডাউনলোড করা যাবে। 

Explore More
৭৮ তম স্বাধীনতা দিবস উপলক্ষ্যে নয়াদিল্লির লালকেল্লার প্রাকার থেকে প্রধানমন্ত্রীর ভাষণ ১৫ই আগস্ট , ২০২৪

জনপ্রিয় ভাষণ

৭৮ তম স্বাধীনতা দিবস উপলক্ষ্যে নয়াদিল্লির লালকেল্লার প্রাকার থেকে প্রধানমন্ত্রীর ভাষণ ১৫ই আগস্ট , ২০২৪
Fiscally prudent, reforms-driven Budget paves way for future growth

Media Coverage

Fiscally prudent, reforms-driven Budget paves way for future growth
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
The relationship between India and Indonesia is rooted in thousands of years of shared culture and history: PM
February 02, 2025
The relationship between India and Indonesia is not just geo-political, but is rooted in thousands of years of shared culture and history: PM
The cultural values, heritage, and legacy are enhancing people-to-people connections between India and Indonesia: PM

वेट्रिवेल् मुरुगनुक्कु.....हरोहरा

His Excellency President प्रबोवो, मुरुगन टेंपल ट्रस्ट के चेयरमैन पा हाशिम, मैनेजिंग ट्रस्टी डॉ. कोबालन, Dignitaries, तमिलनाडु और इंडोनेशिया के पुजारी एवं आचार्यगण, Indian diaspora के सदस्य, इस पावन अवसर का हिस्सा बनने वाले इंडोनेशिया और अन्य देशों के सभी साथी, और इस दिव्य-भव्य मंदिर के निर्माण को साकार करने वाले सभी कारीगर बंधु!

ये मेरा सौभाग्य है कि मैं जकार्ता के मुरुगन टेंपल के महा कुंभ-अभिशेखम जैसे पुनीत कार्यक्रम का हिस्सा बन रहा हूँ। My brother, President प्रबोवो उनकी मौजूदगी ने इसे मेरे लिए और विशेष बना दिया है। मैं physically भले ही जकार्ता से सैकड़ों किलोमीटर दूर हूँ, लेकिन मेरा मन इस आयोजन के उतने ही करीब है, जितना भारत-इंडोनेशिया के आपसी रिश्ते!

अभी कुछ ही दिन पहले President प्रबोवो, भारत से 140 करोड़ भारतवासियों का प्यार लेकर गए हैं। मुझे विश्वास है, उनके जरिए आप सब हर भारतीय की शुभकामनाओं को वहाँ अनुभव कर रहे होंगे।

मैं आप सभी को और भारत-इंडोनेशिया समेत दुनिया भर में भगवान मुरुगन के करोड़ों भक्तों को जकार्ता टेंपल के महा कुंभ-अभिशेखम की बधाई देता हूँ। मेरी कामना है तिरुप्पुगळ् के भजनों के माध्यम से भगवान मुरुगन का यशगान होता रहे। स्कंद षष्ठी कवचम् के मंत्र सभी लोगों की रक्षा करें।

मैं डॉ. कोबालन और उनके सभी सहयोगियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं कि उन्होंने कड़ी मेहनत से मंदिर निर्माण का सपना पूरा किया है।

साथियों,

भारत और इंडोनेशिया के लोगों के लिए, हमारे रिश्ते सिर्फ geo-political नहीं हैं। हम हजारों वर्ष पुरानी संस्कृति से जुड़े हैं। हम हजारों वर्ष पुराने इतिहास से जुड़े हैं। हमारा संबंध विरासत का है, विज्ञान का है, विश्वास का है। हमारा संबंध साझी आस्था का है, आध्यात्म का है। हमारा संबंध भगवान मुरुगन और भगवान श्री राम का भी है। और, हमारा संबंध भगवान बुद्ध का भी है।

इसीलिए साथियों,

भारत से इंडोनेशिया जाने वाला कोई व्यक्ति जब प्रम्बानन मंदिर में हाथ जोड़ता है, तो उसे काशी और केदार जैसी ही आध्यात्मिक अनुभूति होती है। जब भारत के लोग काकाविन और सेरात रामायण के बारे में सुनते हैं तो उनमें वाल्मीकि रामायण, कम्ब रामायण और रामचरित मानस जैसी ही भावना जगती है। अब तो भारत में अयोध्या में इंडोनेशिया की रामलीला का मंचन भी होता रहता है। इसी तरह, बाली में जब हम ‘ओम स्वस्ति-अस्तु’ सुनते हैं, तो हमें भारत के वैदिक विद्वानों का स्वस्ति-वाचन याद आता है।

आपके यहाँ बोरोबुदुर स्तूप में हमें भगवान बुद्ध की उन्हीं शिक्षाओं के दर्शन होते हैं, जिनका अनुभव हम भारत में सारनाथ और बोधगया में करते हैं। हमारे ओडिशा राज्य में आज भी बाली जात्रा को सेलिब्रेट किया जाता है। ये उत्सव उन प्राचीन समुद्री यात्राओं से जुड़ा है, जो कभी भारत-इंडोनेशिया को व्यापारिक और सांस्कृतिक रूप से जोड़ती थीं। आज भी, भारत के लोग जब हवाई यात्रा के लिए ‘गरुड़ इंडोनेशिया’ में बैठते हैं, तो उन्हें उसमें भी हमारी साझा संस्कृति के दर्शन होते हैं।

साथियों,

हमारे रिश्ते ऐसे कितने ही मजबूत तारों से गुथे हैं। अभी जब प्रेसिडेंट प्रबोवो भारत आए थे, हम दोनों ने तब भी इस साझी विरासत से जुड़ी कितनी ही चीजों पर बात की, उन्हें cherish किया! आज जकार्ता में भगवान मुरुगन के इस नए भव्य मंदिर के जरिए हमारी सदियों पुरानी विरासत में एक नया स्वर्णिम अध्याय जुड़ रहा है।

मुझे विश्वास है, ये मंदिर न केवल हमारी आस्था का, बल्कि हमारे सांस्कृतिक मूल्यों का भी नया केंद्र बनेगा।

साथियों,

मुझे बताया गया है कि इस मंदिर में भगवान मुरुगन के अलावा विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियों की भी स्थापना की गई है। ये विविधता, ये बहुलता, हमारी संस्कृति का सबसे बड़ा आधार है। इंडोनेशिया में विविधता की इस परंपरा को ‘भिन्नेका तुंग्गल इका’ कहते हैं। भारत में हम इसे ‘विविधता में एकता’ कहते हैं। ये विविधता को लेकर हमारी सहजता का ही है कि इंडोनेशिया और भारत में भिन्न-भिन्न संप्रदाय के लोग इतने अपनत्व से रहते हैं। इसलिए आज का ये पावन दिन हमें Unity in Diversity की भी प्रेरणा दे रहा है।

साथियों,

हमारे सांस्कृतिक मूल्य, हमारी धरोहर, हमारी विरासत, आज इंडोनेशिया और भारत के बीच people to people connect बढ़ा रहे हैं। हमने साथ मिलकर प्रम्बानन मंदिर के संरक्षण का फैसला किया है। हम बोरोबुदुर बौद्ध मंदिर को लेकर अपनी साझी प्रतिबद्धता प्रकट कर चुके हैं। अयोध्या में इंडोनेशिया की रामलीला का ज़िक्र अभी मैंने आपके सामने किया! हमें ऐसे और कार्यक्रमों को बढ़ावा देना है। मुझे विश्वास है, प्रेसिडेंट प्रबोवो के साथ मिलकर हम इस दिशा में और तेजी से आगे बढ़ेंगे।

हमारा अतीत हमारे स्वर्णिम भविष्य का आधार बनेगा। मैं एक बार फिर प्रेसिडेंट प्रबोवो का आभार व्यक्त करते हुए आप सभी को मंदिर के महा कुंभ-अभिशेखम की बधाई देता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।