আগে স্বল্প মূল্যে রেশন প্রকল্পের সুযোগ ও বাজেট বরাদ্দ বাড়ানো হলেও সেই অনুপাতে অভুক্ত এবং অপুষ্টির পরিমাণ কমেনি : প্রধানমন্ত্রী
প্রধানমন্ত্রী গরীব কল্যাণ অন্ন যোজনা শুরু হওয়ার পর সুবিধাভোগীরা আগের থেকে প্রায় দ্বিগুণ রেশন পাচ্ছেন : প্রধানমন্ত্রী
মহামারীর সময়ে ৮০ কোটির বেশি মানুষ বিনামূল্যে রেশন পাচ্ছেন, এরজন্য ব্যয় হচ্ছে ২ লক্ষ কোটি টাকার বেশি : প্রধানমন্ত্রী
শতাব্দীর মধ্যে বৃহত্তম মহামারী সত্ত্বেও কোনো নাগরিক অভুক্ত নেই : প্রধানমন্ত্রী
আজ দরিদ্র মানুষদের ক্ষমতায়ণকে অগ্রাধিকার দেওয়া হচ্ছে : প্রধানমন্ত্রী
আমাদের খেলোয়াড়দের আত্মবিশ্বাস আজ নতুন ভারতের নিদর্শন হয়ে দাঁড়িয়েছে: প্রধানমন্ত্রী
দেশ ৫০ কোটি টিকার ডোজ দেওয়ার মাইল ফলকের দিকে দ্রুত এগিয়ে চলেছে : প্রধানমন্ত্রী
আসুন আমরা সবাই আজাদি কা অমৃত মহোৎসবে দেশ গড়ার জন্য নতুনভাবে অনুপ্রাণিত হওয়ার শপথ নিই : প্রধানমন্ত্রী

नमस्‍कार! गुजरात के मुख्यमंत्री श्री विजय रुपाणी जी, उप-मुख्यमंत्री श्री नितिन भाई पटेल जी, संसद में मेरे साथी और गुजरात भाजपा के अध्यक्ष श्रीमान सी. आर. पाटिल जी, पी एम गरीब कल्याण अन्न योजना के सभी लाभार्थी, भाइयों और बहनों!

बीते वर्षों में गुजरात ने विकास और विश्वास का जो अनवरत सिलसिला शुरु किया, वो राज्य को नई ऊंचाई पर ले जा रहा है। गुजरात सरकार ने हमारी बहनों, हमारे किसानों, हमारे गरीब परिवारों के हित में हर योजना को सेवाभाव के साथ ज़मीन पर उतारा है। आज गुजरात के लाखों परिवारों को पी एम गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत एक साथ मुफ्त राशन वितरित किया जा रहा है। ये मुफ्त राशन वैश्विक महामारी के इस समय में गरीब की चिंता कम करता है, उनका विश्वास बढ़ाता है। ये योजना आज से प्रारंभ नहीं हो रही है, योजना तो पिछले एक साल से करीब-करीब चल रही है ताकि इस देश का कोई गरीब भूखा ना सो जाए।

मेरे प्‍यारे भाईयों और बहनों,

गरीब के मन में भी इसके कारण विश्‍वास पैदा हुआ है। ये विश्वास, इसलिए आया है क्योंकि उनको लगता है कि चुनौती चाहे कितनी भी बड़ी हो, देश उनके साथ है। थोड़ी देर पहले मुझे कुछ लाभार्थियों के साथ बातचीत करने का अवसर मिला, उस चर्चा में मैंने अनुभव भी किया कि एक नया आत्‍मविश्‍वास उनके अन्‍दर भरा हुआ है।

साथियों,

आज़ादी के बाद से ही करीब-करीब हर सरकार ने गरीबों को सस्ता भोजन देने की बात कही थी। सस्ते राशन की योजनाओं का दायरा और बजट साल दर साल बढ़ता गया, लेकिन उसका जो प्रभाव होना चाहिए था, वो सीमित ही रहा। देश के खाद्य भंडार बढ़ते गए, लेकिन भुखमरी और कुपोषण में उस अनुपात में कमी नहीं आ पाई। इसका एक बड़ा कारण था कि प्रभावी डिलिवरी सिस्टम का ना होना और कुछ बिमारियाँ भी आ गईं व्‍यवस्‍थाओं में, कुछ cut की कंपनियाँ भी आ गईं, स्‍वार्थी तत्‍व भी घुस गये। इस स्थिति को बदलने के लिए साल 2014 के बाद नए सिरे से काम शुरु किया गया। नई technology को इस परिवर्तन का माध्यम बनाया गया। करोड़ों फर्ज़ी लाभार्थियों को सिस्टम से हटाया। राशन कार्ड को आधार से लिंक किया और सरकारी राशन की दुकानों में digital technology को प्रोत्साहित किया गया। आज परिणाम हमारे सामने है।

भाइयों और बहनों,

सौ साल की सबसे बड़ी विपत्ति सिर्फ भारत पर नहीं, पूरी दुनिया पर आई है, पूरी मानव जाति पर आई है। आजीविका पर संकट आया, कोरोना लॉकडाउन के कारण काम-धंधे बंद करने पड़े। लेकिन देश ने अपने नागरिकों को भूखा नहीं सोने दिया। दुर्भाग्य से दुनिया के कई देशों के लोगों पर आज संक्रमण के साथ-साथ भुखमरी का भी भीषण संकट आ गया है। लेकिन भारत ने संक्रमण की आहट के पहले दिन से ही, इस संकट को पहचाना और इस पर काम किया। इसलिए, आज दुनियाभर में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना की प्रशंसा हो रही है। बड़े-बड़े expert इस बात की तारीफ कर रहे हैं कि भारत अपने 80 करोड़ से अधिक लोगों को इस महामारी के दौरान मुफ्त अनाज उपलब्ध करा रहा है। इस पर 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक ये देश खर्च कर रहा है। मकसद एक ही है- कोई भारत का मेरा भाई-बहन, मेरा कोई भारतवासी भूखा ना रहे। आज 2 रुपए किलो गेहूं, 3 रुपए किलो चावल के कोटे के अतिरिक्त हर लाभार्थी को 5 किलो गेहूं और चावल मुफ्त दिया जा रहा है। यानि इस योजना से पहले की तुलना में राशन कार्ड धारकों को लगभग डबल मात्रा में राशन उपलब्ध कराया जा रहा है। ये योजना दीवाली तक चलने वाली है, दिवाली तक किसी गरीब को पेट भरने के लिये अपनी जेब से पैसा नहीं निकालना पड़ेगा। गुजरात में भी लगभग साढ़े 3 करोड़ लाभार्थियों को मुफ्त राशन का लाभ आज मिल रहा है। मैं गुजरात सरकार की इस बात के लिए भी प्रशंसा करूंगा कि उसने देश के दूसरे हिस्सों से अपने यहां काम करने आए श्रमिकों को भी प्राथमिकता दी। कोरोना लॉकडाउन के कारण प्रभावित हुए लाखों श्रमिकों को इस योजना का लाभ मिला है। इसमें बहुत सारे ऐसे साथी थे, जिनके पास या तो राशन कार्ड था ही नहीं, या फिर उनका राशन कार्ड दूसरे राज्यों का था। गुजरात उन राज्यों में है जिसने सबसे पहले वन नेशन, वन राशन कार्ड की योजना को लागू किया। वन नेशन, वन राशन कार्ड का लाभ गुजरात के लाखों श्रमिक साथियों को हो रहा है।

भाइयों और बहनों,

एक दौर था जब देश में विकास की बात केवल बड़े शहरों तक ही सीमित होती थी। वहाँ भी, विकास का मतलब बस इतना ही होता था कि ख़ास-ख़ास इलाकों में बड़े बड़े flyovers बन जाएं, सड़कें बन जाएं, मेट्रो बन जाएं! यानी, गाँवों-कस्बों से दूर, और हमारे घर के बाहर जो काम होता था, जिसका सामान्‍य मानवी से लेना-देना नहीं था उसे विकास माना गया। बीते वर्षों में देश ने इस सोच को बदला है। आज देश दोनों दिशाओं में काम करना चाहता है, दो पटरी पर चलना चाहता है। देश को नए infrastructure की भी जरूरत है। Infrastructure पर भी लाखों-करोड़ों खर्च हो रहा है, उससे लोगों को रोजगार भी मिल रहा है, लेकिन साथ ही, सामान्य मानवी के जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लिए, Ease of Living के लिए नए मानदंड भी स्थापित कर रहे हैं। गरीब के सशक्तिकरण, को आज सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। जब 2 करोड़ गरीब परिवारों को घर दिये जाते हैं तो इसका मतलब होता है कि वो अब सर्दी, गर्मी, बारिश के डर से मुक्त होकर जी पायेगा, इतना ही नहीं, जब खुद का घर होता है ना तो आत्‍मसम्‍मान से उसका जीवन भर जाता है। नए संकल्‍पों से जुड़ जाता है और उन संकल्‍पों को साकार करने के लिये गरीब परिवार समेत जी जान से जुट जाता है, दिन रात मेहनत करता है। जब 10 करोड़ परिवारों को शौच के लिए घर से बाहर जाने की मजबूरी से मुक्ति मिलती है तो इसका मतलब होता है कि उसका जीवन स्तर बेहतर हुआ है। वो पहले सोचता था कि सुखी परिवारों के घर में ही toilet होता है, शौचालय उन्‍हीं के घर में होता है। गरीब को तो बेचारे को अंधेरे का इंतजार करना पड़ता है, खुले में जाना पड़ता है। लेकिन जब गरीब को शौचालय मिलता है तो वो अमीर की बराबरी में अपने आप को देखता है, एक नया विश्‍वास पैदा होता है। इसी तरह, जब देश का गरीब जन-धन खातों के जरिए बैंकिंग व्यवस्था से जुड़ता है, मोबाइल बैंकिंग गरीब के भी हाथ में होती है तो उसे ताकत मिलती है, उसे नए अवसर मिलते हैं। हमारे यहाँ कहा जाता है-

सामर्थ्य मूलम्
सुखमेव लोके!

अर्थात्, हमारे सामर्थ्य का आधार हमारे जीवन का सुख ही होता है। जैसे हम सुख के पीछे भागकर सुख हासिल नहीं कर सकते बल्कि उसके लिए हमें निर्धारित काम करने होते हैं, कुछ हासिल करना होता है। वैसे ही सशक्तिकरण भी स्वास्थ्य, शिक्षा, सुविधा और गरिमा बढ़ने से होता है। जब करोड़ों गरीबों को आयुष्मान योजना से मुफ्त इलाज मिलता है, तो स्वास्थ्य से उनका सशक्तिकरण होता है। जब कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण की सुविधा सुनिश्चित की जाती है तो इन वर्गों का शिक्षा से सशक्तिकरण होता है। जब सड़कें शहरों से गाँवों को भी जोड़ती हैं, जब गरीब परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन, मुफ्त बिजली कनेक्शन मिलता है तो ये सुविधाएं उनका सशक्तिकरण करती हैं। जब एक व्यक्ति को स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य सुविधाएं मिलती हैं तो वो अपनी उन्नति के बारे में, देश की प्रगति में सोचता है। इन सपनों को पूरा करने के लिए आज देश में मुद्रा योजना है, स्वनिधि योजना है। भारत में ऐसी अनेकों योजनाएं गरीब को सम्मानपूर्ण जीवन का मार्ग दे रही हैं, सम्मान से सशक्तिकरण का माध्यम बन रही हैं।

भाइयों और बहनों,

जब सामान्य मानवी के सपनों को अवसर मिलते हैं, व्यवस्थाएं जब घर तक खुद पहुँचने लगती हैं तो जीवन कैसे बदलता है, ये गुजरात बखूबी समझता है। कभी गुजरात के एक बड़े हिस्से में लोगों को, माताओं-बहनों को पानी जैसी जरूरत के लिए कई-कई किलोमीटर पैदल जाना पड़ता था। हमारी सभी माताएं-बहनें साक्षी हैं। ये राजकोट में तो पानी के लिये ट्रेन भेजनी पड़ती थी। राजकोट में तो पानी लेना है तो घर के बाहर गड्ढा खोदकर के नीचे पाइप में से पानी एक-एक कटोरी लेकर के बाल्‍टी भरनी पड़ती थी। लेकिन आज, सरदार सरोवर बांध से, साउनी योजना से, नहरों के नेटवर्क से उस कच्छ में भी मां नर्मदा का पानी पहुंच रहा है, जहां कोई सोचता भी नहीं था और हमारे यहां तो कहा जाता था कि मां नर्मदा के स्‍मरण मात्र से पूण्‍य मिलता है, आज तो स्‍वयं मां नर्मदा गुजरात के गांव-गांव जाती है, स्‍वयं मां नर्मदा घर-घर जाती है, स्‍वयं मां नर्मदा आपके द्वार आकर के आपको आशीर्वाद देती है। इन्हीं प्रयासों का परिणाम है कि आज गुजरात शत-प्रतिशत नल से जल उपलब्ध कराने के लक्ष्य से अब ज्यादा दूर नहीं है। यही गति, आम जन के जीवन में यही बदलाव, अब धीरे धीरे पूरा देश महसूस कर रहा है। आज़ादी के दशकों बाद भी देश में सिर्फ 3 करोड़ ग्रामीण परिवार पानी के नल की सुविधा से जुड़े हुए थे, जिनको नल से जल मिलता था। लेकिन आज जल जीवन अभियान के तहत देशभर में सिर्फ दो साल में, दो साल के भीतर साढ़े 4 करोड़ से अधिक परिवारों को पाइप के पानी से जोड़ा जा चुका है और इसलिये मेरी माताएं-बहनें मुझे भरपूर आशीर्वाद देती रहती हैं।

भाइयों और बहनों,

डबल इंजन की सरकार के लाभ भी गुजरात लगातार देख रहा है। आज सरदार सरोवर बांध से विकास की नई धारा ही नहीं बह रही, बल्कि Statue of Unity के रूप में विश्व के सबसे बड़े आकर्षण में से एक आज गुजरात में है। कच्छ में स्थापित हो रहा Renewable Energy Park, गुजरात को पूरे विश्व के Renewable Energy Map में स्थापित करने वाला है। गुजरात में रेल और हवाई कनेक्टिविटी के आधुनिक और भव्य Infrastructure Project बन रहे हैं। गुजरात के अहमदाबाद और सूरत जैसे शहरों में मेट्रो कनेक्टिविटी का विस्तार तेज़ी से हो रहा है। Healthcare और Medical Education में भी गुजरात में प्रशंसनीय काम हो रहा है। गुजरात में तैयार हुए बेहतर Medical Infrastructure ने 100 साल की सबसे बड़ी Medical Emergency को हैंडल करने में बड़ी भूमिका निभाई है।

साथियों,

गुजरात सहित पूरे देश में ऐसे अनेक काम हैं, जिनके कारण आज हर देशवासी का, हर क्षेत्र का आत्मविश्वास बढ़ रहा है। और ये आत्मविश्वास ही है जो हर चुनौती से पार पाने का, हर सपने को पाने का एक बहुत बड़ा सूत्र है। अभी ताज़ा उदाहरण है ओलंपिक्स में हमारे खिलाड़ियों का प्रदर्शन। इस बार ओलंपिक्स में भारत के अब तक के सबसे अधिक खिलाड़ियों ने क्वालीफाई किया है। याद रहे ये 100 साल की सबसे बड़ी आपदा से जूझते हुए हमने किया है। कई तो ऐसे खेल हैं जिनमें हमने पहली बार qualify किया है। सिर्फ qualify ही नहीं किया बल्कि कड़ी टक्कर भी दे रहे हैं। हमारे खिलाड़ी हर खेल में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर रहे हैं। इस ओलिंपिक में नए भारत का बुलंद आत्मविश्वास हर game में दिख रहा है। ओलंपिक्स में उतरे हमारे खिलाड़ी, अपने से बेहतर रैंकिंग के खिलाड़ियों को, उनकी टीमों को चुनौती दे रहे हैं। भारतीय खिलाड़ियों का जोश, जुनून और जज़्बा आज सर्वोच्च स्तर पर है। ये आत्मविश्वास तब आता है जब सही टैलेंट की पहचान होती है, उसको प्रोत्साहन मिलता है। ये आत्मविश्वास तब आता है जब व्यवस्थाएं बदलती हैं, transparent होती हैं। ये नया आत्मविश्वास न्यू इंडिया की पहचान बन रहा है। ये आत्मविश्वास आज देश के कोने-कोने में, हर छोटे-छोटे बड़े गांव-कस्बे, गरीब, मध्यम वर्ग के युवा भारत के हर कोने में ये विश्‍वास में आ रहा है।

साथियों,

इसी आत्मविश्वास को हमें कोरोना से लड़ाई में और अपने टीकाकरण अभियान में भी जारी रखना है। वैश्विक महामारी के इस माहौल में हमें अपनी सतर्कता लगातार बनाए रखनी है। देश आज 50 करोड़ टीकाकरण की तरफ तेज़ी से बढ़ रहा है तो, गुजरात भी साढ़े 3 करोड़ वैक्सीन डोसेज के पड़ाव के पास पहुंच रहा है। हमें टीका भी लगाना है, मास्क भी पहनना है और जितना संभव हो उतना भीड़ का हिस्सा बनने से बचना है। हम दुनिया में देख रहे हैं। जहां मास्क हटाए भी गए थे, वहां फिर से मास्क लगाने का आग्रह किया जाने लगा है। सावधानी और सुरक्षा के साथ हमें आगे बढ़ना है।

साथियों,

आज जब हम प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्नयोजना पर इतना बड़ा कार्यक्रम कर रहे हैं तो मैं एक और संकल्प देशवासियों को दिलाना चाहता हूँ। ये संकल्प है राष्ट्र निर्माण की नई प्रेरणा जगाने का। आज़ादी के 75 वर्ष पर, आजादी के अमृत महोत्सव में, हमें ये पवित्र संकल्प लेना है। इन संकल्पों में, इस अभियान में गरीब-अमीर, महिला-पुरुष, दलित-वंचित सब बराबरी के हिस्सेदार हैं। गुजरात आने वाले वर्षों में अपने सभी संकल्प सिद्ध करे, विश्व में अपनी गौरवमयी पहचान को और मजबूत करे, इसी कामना के साथ मैं आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। एक बार फिर अन्न योजना के सभी लाभार्थियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं !!! आप सबका बहुत-बहुत धन्‍यवाद !!!

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।