मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि बहुत ही कम अवधि में मुझे दोबारा नेपाल की भूमि के दर्शन करने का सौभाग्य मिला है। इन दिनों विश्व के कई देशों में मेरा जाना हुआ है। कई वैश्विक स्तर की मीटिंगों में जाना हुआ है, लेकिन नेपाल के साथ मेरी जो स्मृतियाँ जुड़ी हुई हैं, नेपाल ने मुझे जो प्यार दिया है, अपनापन दिया है, वो मैं कभी भूल नहीं सकता हूं। इसके लिए मैं नेपाल का बहुत बहुत आभारी हूं।

आज ये Trauma Center का लोकार्पण हो रहा है। एक प्रकार से ये जीवन रक्षा का अभियान है। First Golden Hour, आकस्मिक परिस्थियों में इंसान की जिदंगी बचाने का बहुत महत्वपूर्ण समय होता है। उस First Golden Hour में अगर उपयुक्त सुविधा मिल जाए, proper treatment का सहारा मिल जाए, तो इंसान की जिंदगी बचाई जा सकती है। नेपाल और भारत की मैत्री का ये उत्तम नजराना है, जो एक प्रकार से जीवन की सौगात दे रहा है। जो नजराना जीवन की सौगात देता है, वो हमें जड़ों से जोड़ता है, हमें जीवन से जोड़ता है, हमें अरमान से जोड़ता है और हमें अरमान पूरे करने के लिए प्रयास करने की एक शक्ति भी देता है। इसलिए ये Trauma Center भारत और नेपाल के बीच एक जीवंत संबंध का उदाहरण बन रहा है।

आगे भी इस Trauma Center का upgradation करना होगा, technology support की आवश्यकता होगी, human resource development की आवश्यकता होगी। भारत भविष्य में भी इस काम में नेपाल के साथ रहेगा, पूरी सहायता करता रहेगा और हम चाहेंगे कि नेपाल अपने पैरों पर खड़े हो करके..इस Trauma Center को चलाने का उसमें सार्मथ्य आए। वहां तक जो भी मदद चाहिए, भारत खुले दिल से यहां के लोगों की ज़िंदगी बचाने के लिए सदा सर्वदा आपके साथ खड़ा है। और वो हमारे लिए सौभाग्य होगा। एक प्रकार से अपनों की सेवा करने का यह अवसर है और अपने यहाँ तो, सेवा परमोधर्म- ये शास्त्रों ने कहा है। और जिस शास्त्र ने हमें ‘सेवा परमोधर्म’ कहा है, उस शास्त्र से हम दोनों जुड़े हुए हैं। इसलिए एक सेवा का यह प्रकल्प है और मुझे गर्व है कि आज मुझे इस समारोह में लोकार्पण के काम में आने का अवसर मिला। भारत और नेपाल का एक अटूट नाता, एक जीवंत नाता, उसका एक जीवंत स्मारक हमारे सामने आज खड़ा हुआ है।

जब मैं पिछली बार आया था, तब भी मैंने सार्वजनिक रूप से कहा था कि मैं उस समय तो जनकपुर, मुक्तिनाथ और लुम्बिनी नहीं जा पाया था, मैंने कहा था कि मैं अगली बार आउंगा तो जाउंगा। इस बार भी मेरा इरादा था कि मैं by-road जाउं। By-road जाने का मेरा इरादा इसलिए था कि मैं खुद अनुभव करना चाहता था कि नेपाल से वहां आने वाले लोगों को वहां क्या दिक्कतें होती हैं, क्या तकलीफ होती हैं। भारत से उस तरफ जाने वाले लोगों को क्या दिक्कतें होती हैं, क्या तकलीफ होती हैं। उसे मैं खुद experience करना चाहता था और फिर मैं उसको ठीक करना चाहता था। लेकिन, समयाभाव के कारण मैं इस बार उसको नहीं कर पाया हूं। मैं विषेश रूप से जनकपुर, लुम्बिनी और मुक्तिनाथ - वहां के नागरिकों को जो कष्ट हुआ है, जो निराशा हुई है, मैं भलीभांति उनकी पीड़ा को समझ सकता हूं। लेकिन, मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि निकट भविष्य में जब भी मुझे अवसर मिलेगा मैं आपके बीच आउंगा। आपके प्यार को मैं भली-भांति दूर बैठे-बैठे भी अनुभव कर रहा हूं। और इसलिए वहां के सभी नागरिकों को मैं विश्वास दिलाता हूं। नेपाल के हर नागरिक का भारत पर पूरा अधिकार, भारतीयों पर पूरा अधिकार है, सरकार पर अधिकार है और भारत के प्रधानसेवक पर प्रधान अधिकार है।

मैं जब पिछली बार आया था, और आज मैं आया हूं, सौ दिन भी नहीं हुए हैं। लेकिन जब विश्वास का इजिंन किसी काम को लग जाता है, तो काम कितनी तेजी से होता है, कितना अच्छा हो सकता है, इसका मैं आज अनुभव कर रहा हूं। आज नेपाल और भारत के बीच भरोसे का, विश्वास का एक बहुत बड़ा horse power वाला इजिंन लग गया है, जो विश्वास का इजिंन है, भरोसे का इजिंन है। उसी के कारण 100 दिन के अंदर जिस प्रकार से नेपाल और भारत ने एक के बाद एक निर्णय किए, काम शुरू किया, 25-25, 30-30 साल से रूके हुए काम - ये आज आगे बढ़े हैं। हमारे यहां कहावत है - एक हाथ से ताली नहीं बजती है। ये संभव इसलिए हुआ है कि नेपाल सरकार, नेपाल के सभी राजनीतिक दल, नेपाल के प्रशासनिक व्यवस्था में जुड़े हुए अधिकारी - उन सब ने मिल करके आगे बढ़ने की शुरूआत की। आगे बढ़ाया। छोटी-मोटी रूकावटें आईं तो उन रूकावटों को भी बहुत बुद्धिमत्ता पूर्ण तरीके से, उसका निराकरण करते हुए, चीज़ों को ठोस रूप देने का काम किया है। इसलिए मैं आदरणीय प्रधानमंत्री जी का, उनकी सरकार का, सभी राजनीतिक दलों का, प्रशासनिक अधिकारियों का भारत की तरफ से हृदय से अभिनदंन करता हूं, कि उन्होंने ये काम न किया होता तो आज 100 दिन के भीतर भीतर 25-25, 30-30 साल से लटके हुए काम, अटके हुए काम आज पूरे न होते।

मैं आज एक संतोश का भाव अनुभव कर रहा हूं कि मेरी पहली मुलाकात और दूसरी मुलाकात के बीच में तेज़ गति से एक के बाद एक फैसले हुए हैं। ये फैसले नेपाल के जीवन को तो ताकत देने वाले हैं, भारत को बहुत बड़ा संतोश देने वाले हैं। हमारे लिए नेपाल की खुशी, नेपाल का आनंद हमारी मुस्कुराहट का कारण बनता है। अगर नेपाल खुश नहीं तो हिंदूस्तान मुस्कुरा नहीं सकता है। इसलिए हमारे लिए नेपाल की खुशी, ये हमारे लिए संतोश की औषध है। वो संतोश की औषध हमें प्राप्त हुई है, उसके लिए नेपाल से संबंधित सभी जनों का मैं हृदय से आभार व्यक्त करता हूं।

खासतौर पर Hydro Power. कितने समय से यह लटका हुआ था, कितने विवाद चल रहे थे, आशंकाओं के बादल हर बार छाए रहते थे। लेकिन, यहां के सभी राजनीतिक दलों ने जिस प्रकार की दूर दृष्टि का परिचय करवाया है, और उसका परिणाम यह हुआ है कि Power Trade Agreement, 900 Megawatt Upper Karnali Project, Pancheshwar Development Authority, 900 मेगावाट क्षमता वाले Arun III Project - यानि एक के बाद एक। शायद 10 साल में एक चीज़ हो जाए तो भी बड़ा आनंद हो जाता है। यहां तो 100 दिन में इतने सारे काम आगे बढ़ गए। तो आप कल्पना कर सकते हैं कि दो देश मिल करके क्या नहीं कर सकते हैं।

उसी प्रकार से हमने कहा था Transmission Line के संबंध में। हम चाहते थे कि नेपाल को बिजली मिले, ज्यादा बिजली मिले। Transmission Line मज़बूत बनाने के लिए बहुत ही कम समय में काम पूरा हो जाएगा। 125 मेगावाट बिजली और यहां आना शुरू हो जाएगा। इतना ही नहीं, एक नई लाइन तैयार हो रही है, जिसकी क्षमता 1000 मेगावाट की है। अब नेपाल जगमगा उठेगा, ये मेरा पूरा विश्वास है। हमने पिछली बाद कहा था कि एक बिलियन डॉलर - यानि कि 10 हज़ार करोड़ नेपाली रूपयों की कीमत जिसकी होती है - कम ब्याज़ पर और लंबे समय के लिए हम देंगे। आज हम मिल रहे हैं, उसका Final Agreement हो जाएगा। ये भी काम एक प्रकार से आज पूरा हो गया, मान लीजिए।

हम एक Motor Vehicle Agreement पर करार कर रहे हैं और मैं मानता हूं कि नेपाल और भारत को जोड़ने के लिए ये बहुत ही उत्तम व्यवस्था हो रही है। उसी के तहत आज ही काठमांडू से दिल्ली Regular Bus Service शुरू करने का भी हमें सौभाग्य मिल रहा है। काठमांडू से दिल्ली जब Regular Bus Service शुरू होती है तो यहां के सामान्य मानव के जीवन में वो कितनी बड़ी आर्थिक रूप से सहायता करने वाली सुविधाजनक होती है, उसका आप अंदाज़ लगा सकते हैं।

लेकिन नेपाल और भारत के बीच चलने वाली ये टूरिज्म की दृश्टि से चलने वाली बस में यात्री भी उसका फायदा उठाते हैं, international यात्री भी प्राकृतिक सौदंर्य का अनुभव करने के लिए बस से सफर करना पसंद करते हैं। हम चाहते हैं कि नेपाल का टूरिज़्म भी बढ़े। लेकिन टूरिज़्म बढ़ता है, उसके लिए कुछ सुविधाएं चाहिएं। उसमें एक महत्वपूर्ण सुविधा होती है- connectivity. मैंने मेरे अफसरों को कहा है कि क्या हम - ये जो दिल्ली काठमांडू के बीच बस सर्विस चलेगी - वो बस सेवा Wi-Fi के साथ हो सकती है क्या? अगर Wi-Fi के साथ वो बस सेवा होगी तो टूरिस्ट जरूर पसंद करेगा क्योंकि वो बस में जाता रहेगा, वो दूनिया से अपना connect होता रहेगा, अपना आनंद लेता रहेगा। हमारे अफसरों ने कहा कि “साब मालूम नहीं है, हम ज़रा देखेंगे कि कितना संभव है।“ मैंने कहा तो है, अब देखते हैं technological अगर support मिल गया तो ये काम भी हम करवा देंगे। हम चाहते हैं, व्यवस्थाएं हों, व्यवस्थाएं आधुनिक हों और सुविधाजनक हों।

मैंने एक चिंता जताई थी कि भारत में हमारे नेपाल के लोग बहुत बड़ी मात्रा में हैं। नेपाल और भारत की रिश्तेदारी भी बहुत है, व्यापारिक संबंध भी है और इसलिए, यहां के फोन कॉल बहुत महंगे होते हैं। मैंने कहा था कि अमरीका बात करना सस्ता जाता है लेकिन Nepal-India बात करना महंगा जाता है। मैंने कहा था कि ये सस्ता होना चाहिए। मैं भारत गया, मैंने पूछा, “भई! ये क्या कर रहे हो? क्या हम नहीं मदद कर सकते?” लेकिन जब जाना तो बहुत आश्चर्य हुआ मुझे। भारत में तो इसका रेट सिर्फ 40 पैसा है, लेकिन यहां पर वो रेट शायद 3.50 रूपया है, नेपाल में, नेपाल authority जो है। मैं हैरान हो गया कि “भई अब क्या करूं? मैंने तो कह दिया है।“

मैंने कहा कि “ठीक है, हम कम लेते है। न के बराबर लेते हैं तो भी कुछ कम करें।“ मैंने 35% कम करने का फैसला कर लिया। लेकिन, अब मैं चाहता हूं, नेपाल की जो टेलीफोन सेवा हैं, वो भी उसमें कुछ कम करें ताकि नेपाल के लोगों को, और नेपाल से जुड़े हुए भारत के संबंधों में ये टेलीफोन का खर्चा थोड़ा कम होना चाहिए। मेरी तरफ से जो कर सकता हूं, उतना ज़रूर कर दिया है। मैं चाहूंगा कि यहां उस दिशा में कुछ हो।

Border Infrastructure - खासतौर से road मार्ग से जब हम आते हैं - तो वहां पर कुछ प्रश्न थे, पिछली बार, मैंने उसे तेज़ गति से आगे बढ़ाने के लिए काम किया है। कुछ पुराने contract की भी समस्याएं थीं, उसको भी रद्द करने के लिए कह दिया है। मैं मानता हूं छः महीने के भीतर-भीतर आपको सही रूप में वहां पर प्रगति दिखाई देगी।

एक और बात है, नेपाल और भारत के संबंधों में। एक तो, बहुत बड़ी मात्रा में नेपाल के लोग जो भारत में काम करते हैं, वो यहां आते हैं, भारत के टूरिस्ट यहां आते हैं। एक कठिनाई थी- 500 और 1000 रूपए के नोट। वो प्रतिबंधित थे। हमने नेपाल सरकार को प्रार्थना की थी। और हमने मिल करके एक निर्णय किया है कि अब भारत से 500 रूपए और 1000 रूपए के नोट 25 हज़ार की मर्यादा में, ये हम ला सकते हैं। इसके कारण, भारत में काम करने वाले जो लोग अपने घर वापस आते हैं, उनको साथ में पैसे लाने हों तो उनका सुविधा बनेगी। और जो टूरिस्ट आते हैं, टूरिस्ट के हाथ में भी पैसे रह पाएंगे। तो इस व्यवस्था को भी हमने निर्णय कर लिया है।

एक काम जिसका मेरा स्वयं का बहुत अच्छा अनुभव है। मैं जब गुजरात में काम करता था तो गुजरात के मुख्यमंत्री के नाते एक महत्वपूर्ण initiative हमने लिया था। हिंदुस्तान में हमने सबसे पहले इस काम को किया था, और वो था soil testing। आमतौर पर हम developing countries में मनुष्य का भी health card नहीं होता है। लेकिन हमने कोशिश की थी कि soil health card बने। किसान के पास जो जमीन है, उस जमीन में क्या गुण हैं, क्या अवगुण हैं, क्या अच्छाईयां हैं, क्या बिमारियां हैं, वो ज़मीन किस crop के लिए उपयुक्त है, किस crop के लिए अनउपयुक्त है, किस ज़मीन पर कौन सी दवाई सूट करेगी, कौन सी दवाई सूट नहीं करेगी - ये सारी चीज़ें soil testing से संभव होती हैं। ये करने से औसत एक एकड़ भूमि में किसान फसल तो ज्यादा कर ही सकता है, लेकिन साथ-साथ, जो फालतू खर्चे होते हैं- गलत दवाईयां डाल देता है, गलत fertilizer डाल देता है, गलत crop डाल देता है, वो सब उसका बच जाता है और करीब-करीब एक एकड़ भूमि में 15-20 हज़ार तो सहज रूप से उसकी मदद हो जाती है। ये soil testing का काम नेपाल में भी हो, ये बात मैंने पिछली बार प्रधानमंत्री जी से मैं जब मिला तो कही थी कि आपको लाभ होगा। तो उन्होंने कहा कि देखेंगे और मुझे लगा कि मैं सुझाव देके चला हूं, वो शोभा नहीं देता है, मुझे कुछ करना चाहिए। तो आज हम एक Mobile soil test laboratory नेपाल को भेंट दे रहे हैं। उसकी पूरी technology दे रहे हैं। उससे पता चलेगा कि निश्चित एरिया में इस प्रकार की जांच हो गई। आप देखिए, उसको अगर बाद में आप चलाएंगे तो बहुत लाभ होगा, तो एक बहुत बड़ा काम।

हमने पिछली बार कहा था कि people-to-people contact. देश जुड़ते हैं, तब जब जन जुड़ता है। और जन भी तब जुड़ता है जब मन जुड़ता है। लेकिन मन जुड़ने की, जन जुड़ने की प्रक्रिया कुछ व्यवस्था के तहत होती है। और इसलिए हम चाहते थे कि जन-जन संपर्क बढ़ना चाहिए। इसीलिए हमने Youth Exchange की बात की थी। मुझे खुशी है कि Youth Exchange Programme में पहली बैच already हिंदुस्तान पहुंची हुई है। इन दिनों कलकत्ता युनिवर्सिटी में वे नौजवान, सारे नेपाल के - वहां का नजारा देख रहे हैं, अभ्यास कर रहे हैं, वहां के लोगों से मिल रहे हैं, बातचीत कर रहे हैं।

तो एक एक चीज़ हम तेजी से कर रहे हैं।

दूसरा, मैंने कहा था - हम नेपाल को e-library देंगे। मुझे खुशी है कि नेपाल सरकार की तरफ से और नेपाल के कुछ प्रमुख लोगों की तरफ से, e-library उनको कैसी चाहिए, उसके बहुत अच्छे सुझाव आए। मैं मानता हूं कि हमारे लिए भी सीखने जैसे अच्छे सुझाव आए। मैं मानता हूं कि ये जो आपका सक्रिय योगदान था, तो e-library का काम बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। जैसी आपकी अपेक्षा है, उन आपके सुझावों को संकलित करते हुए, उस e-library को हम प्रारंभ करेंगे। मैं मानता हूं कि वक्त बदल चुका है। 21वीं सदी ज्ञान की सदी है। जो ज्ञान के उपासक हैं, उनका ये युग आने वाला है। नेपाल और भारत की इस भूखंड की सांस्कृतिक ज्ञान की उपासना की संस्कृति रही है। नेपाल भी ज्ञान की उपासना वाली संस्कृति की विरासत को लेकर चल रहा है और इसलिए e-library उस ज्ञान वर्धन का एक बहुत बड़ा माध्यम बनेगी। ये युग ऐसा है कि जितनी highways की जरूरत है उतनी ही i-ways की जरूरत है। Highways भी चाहिए information-ways भी चाहिए। e-library एक प्रकार से i-ways का काम करेगी और जो हम नेपाल में प्रवेश करने वाले रास्ते ठीक करेंगे, वो highways का काम करेंगे। भारत आपकी highways की भी चिंता करेगा, i-ways की भी चिंता करेगा और उस काम को हम आगे बढ़ाएंगे।

हमारा सुरक्षा सहयोग भी.. बहुत ही एक विश्वास का वातावरण चाहिए। सुरक्षा का काम तब होता है, जब दो देश के बीच में अटूट विश्वास हो, भरोसा हो। और आज भारत और नेपाल के बीच में विश्वास का ताना बाना इतना मजबूत हुआ है कि जिसके कारण रक्षा के क्षेत्र में भी भारत और नेपाल मिल करके काम कर रहे हैं।

आज मेरे लिए खुशी की बात है कि हम एक ‘ध्रुव हेलीकॉप्टर’ जो सेना के काम आएगा, वो आज भारत की तरफ से नेपाल को हम समर्पित कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि नेपाल को एक अच्छा रक्षा कवच मिलेगा, वो एक नई ताकत बनेगा। यहां पर पुलिस एकेडेमी का काम भी, उसका foundation stone, उसकी चिंता भी हम करेंगे।

यानि अनगिनत चीज़ें, सौ दिन के भीतर-भीतर, अनगिनत चीज़ों का एक के बाद एक हो जाना, ये अपने आप में ही दो सरकारों के बीच विश्वास की ताकत कितनी बड़ी गति देती है, कितना बड़ा परिणाम देती है।

मेरा ये सौभाग्य रहा कि पिछली बार जब मैं आया, तब आपकी संविधान सभा को संबोधित करने का मुझे अवसर मिला था। Constituent Assembly को संबोधित करने का अवसर मिला था। एक प्रकार से नेपाल के सभी stake holdres कहिए, नेपाल की सभी क्रीम कहिए - उस सभी विशाल समूह के सामने मैं आया था। तब मैंने कहा था कि नेपाल जितना जल्द अपना सविंधान बनाएगा, उतना ही नेपाल के भविष्य के लिए वो एक नई ताकत मिलेगी। नेपाल के संविधान के निर्मिति में जितना विलंब होगा, वो विलंब नेपाल के लिए अच्छा नहीं होगा। संविधान आप बनाएं, आपके तरीके से बनाइए, आपके निर्णय होंगे, भारत का उसमें कोई दखल नहीं हो सकता, होना भी नहीं चाहिए। लेकिन, आपकी खुशी, हमें मुस्कुराहट देती है और इसलिए भी संविधान का जल्दी बनना बहुत ज़रूरी है। मेरा यह भी आग्रह था कि संविधान के अंदर एक ऐसा गुलदस्ता बने कि नेपाल के हर कोने में रहने वाले व्यक्ति को लगे कि मेरा भी फूल उस गुलदस्ते में है। मेरे फूल की महक भी उस गुलदस्ते में है। कभी मधेसी को यह नहीं लगना चाहिए कि हमारा पूछने वाला कौन? कहीं पहाड़ी को यह नहीं लगना चाहिए कि हमारा पूछने वाला कौन? माओवादी को यह नहीं लगना चाहिए कि हमारा पूछने वाला कौन? ये संविधान ऐसा होना चाहिए कि जिसमें हर किसी की आवाज़ हो, हर किसी के सपने हों, हर किसी के अरमान हों, हर किसी को काम करने का अवसर हो। इस काम में नेपाल की संविधान सभा बहुत अच्छे ढंग से आगे बढ़ रही है, लेकिन समय बहुत जा रहा है।

इसलिए मैं आज सार्वजनिक रूप से आज नेपाल के सभी राजनीतिक नेताओं से आग्रह करूंगा कि सविंधान का निर्माण सहमति से ही करने से फायदा होगा। संख्या के बल पर संविधान का निर्माण कभी भी नेपाल का भला नहीं करेगा। सहमति से संविधान बने और आगे चलकर भी - आज भी, भारत का संविधान, इतने वर्ष हो गए, हर वर्ष हम कुछ न कुछ amendment करते ही जाते हैं। और वो amendment दो तिहाई से करते हैं। एक बार सविंधान सहमति से बने, बाद में संसद बने और संसद में दो चार चीज़े जोड़नी, कम करनी लगती हैं, तो आप दो तिहाई बहुमत से ज़रूर कर सकते हैं। लेकिन, पहला प्रारूप अगर सबको अपना नहीं लगता है तो नेपाल को बहुत बड़ी कठिनाई आएगी।

आपके एक मित्र देश के नाते, आपको दुख हो, आपको कठिनाई हो और हमें समझ हो, तो वो स्थिति हम देखना नहीं चाहते हैं। फिर एक बार, आज सार्वजनिक रूप से, जिस प्रकार से ज़िंदगी बचाने के लिए ये Trauma Center काम आ रहा है, उसी प्रकार से नेपाल के सपनों को संवारने के लिए संविधान एक अवसर बन करके आ रहा है। मैं चाहूंगा कि संविधान की पवित्रता, उसी पवित्र भाव से..और मैंने कहा था कि ऋषि-मन होगा तो संविधान बनेगा, संविधान सभा में बैठे हर व्यक्ति का ऋषि-मन होना चाहिए और ऋषि-मन को लेकर संविधान का निर्माण होगा, ये मैंने आग्रह से कहा था।

मैं आज फिर नेपाल की धरती पर आया हूं। मैं विश्वनाथ की धरती पर काम करता हूं, पशुपतिनाथ की धरती पर आया हूं। तो मेरा भी आपको प्रार्थना करने का हक बन जाता है। मैं प्रार्थना करने आया हूं। मैं उसी धरती से आया हूं। बोध गया से मैं आज एक पौधा ले करके आया हूं, जो हमारे एम्बेसेडर लुम्बिनी में जा करके उसको रोपित करने वाले हैं। एक ऐसा संदेश ले करके आया हूं जो हमें सांस्कृतिक प्राणशक्ति देता रहता है और उस भरोसे भी मैं कह सकता हूं कि मैं प्रार्थना करता हूं कि आप संविधान बनाने के काम में विलंब मत कीजिए। सहमति से बनाने का ही प्रयास कीजिए और सारे रास्ते नए संकटों को जन्म देंगे। मैं अयोध्या और जनकपुरी का नाता जानता हूं, इसलिए भी हम लोगों को आपसे प्रार्थना करने का हक बनता है कि आप सहमति से संविधान का निर्माण कीजिए, जल्द कीजिए। लोगों की आशाओं पर आप खरे उतरें।

आप देखिए कि आप लोगों का नेतृत्व नेपाल को कहां से कहां पहुंचाएगा और युग इस भूभाग के भविष्य का है। एशिया के भविष्य का समय है। नेपाल को ये मौका चूकना नहीं चाहिए। विश्व के अंदर एक ताकत बन करके नेपाल ने खड़े होना चाहिए। लोकतांत्रिक व्यवस्था नेपाल को एक नई ताकत देगी, नई पहचान देगी, विश्व नेपाल को स्वीकार करने लग जाएगा। ये स्थिति आपके हाथों में है, मौका आपके पास है। 30-40 दिन का समय बचा है। मैं विश्वास करता हूं कि इस काम को आप आगे बढ़ाएंगे।

फिर एक बार, ये Trauma Center यहां के किसी भी पीड़ित को बचाने के काम आएगा, भारतवासियों को बहुत संतोश होगा। हमारे लिए एक प्रकार से ‘सेवा परमोधर्म’, जीव-दया का ये काम हुआ है, एक मन के संतोश के साथ, मुझे इस अवसर पर आने का अवसर मिला, मैं आपका बहुत बहुत आभारी हूं। प्रधानमंत्री जी का बहुत बहुत आभारी हूं। उनके परिवार में संकट होने के बाद भी, जिस उमंग और उत्साह के साथ इस पूरे सार्क समिट की आप चिंता कर रहे हैं। पूरा नेपाल अभिनंदन का अधिकारी है। मैं ऐयरपोर्ट से उतरा हूं, मैं देख रहा हूं, क्या उत्साह है, क्या उमंग है। आपने सार्क देशों के सभी नेताओं का दिल जीत लिया है। इन व्यवस्थाओं के लिए नेपाल ने जो ताकत दिखाई है, अपनापन दिखाया है, बहुत बहुत अभिनंदन के अधिकारी हैं। प्रधानमंत्री जी को और पूरे नेपाल को मैं हृदय से नमन करता हूं, बहुत बहुत अभिनंदन करता हूं।

धन्यवाद।

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December 17, 2024
PM inaugurates and lays the Foundation stone for 24 projects related to Energy, Road, Railways and Water worth over Rs 46,300 crores in Rajasthan
The Governments at the Center and State are becoming a symbol of Good Governance today: PM
In these 10 years we have given lot of emphasis in providing facilities to the people of the country, on reducing difficulties from their life: PM
We believe in cooperation, not opposition, in providing solutions: PM
I am seeing the day when there will be no shortage of water in Rajasthan, there will be enough water for development in Rajasthan: PM
Conserving water resources, utilizing every drop of water is not the responsibility of government alone, It is the responsibility of entire society: PM
There is immense potential for solar energy in Rajasthan, it can become the leading state of the country in this sector: PM

ভারত মাতার - জয়!
ভারত মাতার - জয়!

গোবিন্দের এই শহরে আমি গোবিন্দদেবজী-কে শত শত প্রণাম জানাই। উপস্থিত সকলকে অনেক শুভেচ্ছা!

রাজস্থানের রাজ্যপাল শ্রী হরিভাউ বাগড়েজী, রাজ্যের জনপ্রিয় মুখ্যমন্ত্রী শ্রী ভজনলাল শর্মাজী, মধ্যপ্রদেশের আমাদের প্রিয় মুখ্যমন্ত্রী মোহন যাদবজী, কেন্দ্রীয় মন্ত্রীপরিষদের সদস্য শ্রী সিআর পাটিলজী এবং ভগীরথ চৌধুরীজী, রাজস্থানের দুই উপমুখ্যমন্ত্রী দিয়া কুমারীজী এবং প্রেম চাঁদ ভৈরোয়াজী, অন্যান্য মন্ত্রীরা, সাংসদরা, রাজস্থানের বিধায়করা, বিশিষ্টজনেরা এবং রাজস্থানে আমার প্রিয় ভাই ও বোনেরা। যাঁরা রাজ্যের বিভিন্ন পঞ্চায়েত থেকে এখানে এসেছেন, এবং রাজস্থানের জনসাধারণকে আমি  আন্তরিক শুভেচ্ছা জানাই। বিজেপি সরকার রাজস্থানে সফলভাবে একবছর কাজ করেছে। এক বছরের এই যাত্রা শেষে বিপুল সংখ্যায় আপনারা এসেছেন আশীর্বাদ জানাতে। আমি দেখতে পারছি এই প্যান্ডেলের মধ্যে যত লোক জড়ো হয়েছেন তার থেকে হয়তো তিনগুণ বেশি লোক বাইরে উপস্থিত। গত এক বছর ধরে রাজস্থানের উন্নয়নের জন্য ভজনলালজী এবং তাঁর দলের সদস্যরা কঠোর পরিশ্রম করেছেন। আগামী বছরগুলির জন্য গত এক বছর ধরে শক্তিশালী ভিত গঠন করা হয়েছে। তাই আজকের এই অনুষ্ঠান একটি সরকারের বর্ষপূর্তির অনুষ্ঠানের মধ্যে সীমাবদ্ধ নেই — বরং বলা ভালো, এটি রাজস্থানের উন্নয়নের উৎসব।  

 

দিনকয়েক আগে, আমি রাজস্থানে বিনিয়োগকারীদের এক সম্মেলনে অংশ নিতে এসেছিলাম। দেশ বিদেশের বিশিষ্ট বিনিয়োগকারীরা সেই সম্মেলনে এসেছিলেন। আর আজ, এখানে ৪৫ থেকে ৫০ হাজার কোটি টাকার বিভিন্ন উন্নয়নমূলক প্রকল্পের উদ্বোধন ও শিলান্যাস করা হলো। এই প্রকল্পগুলি রাজস্থানের জল সমস্যার চিরস্থায়ী সমাধান করবে। এই রাজ্যে দেশের মধ্যে উন্নত যোগাযোগ ব্যবস্থা গড়ে উঠবে। ফলে, রাজস্থানে বিনিয়োগ বাড়বে, অগুণিত কর্মসংস্থানের সুযোগ তৈরি হবে। রাজস্থানের পর্যটন শিল্প, রাজ্যের কৃষক এবং আমার যুব বন্ধুরা এই প্রকল্পগুলি থেকে যথেষ্ট উপকৃত হবেন।

বন্ধুগণ, 

আজ বিজেপি-র ডাবল ইঞ্জিন সরকারগুলি সুপ্রশাসনের প্রতীক হয়ে উঠেছে। বিজেপি যে প্রতিশ্রুতিগুলি দেয় তা পালনের জন্য সৎভাবে উদ্যোগী হয়। আজ দেশের প্রতিটি প্রান্তের মানুষ বলছেন, বিজেপি যে সুপ্রশাসনের গ্যারান্টি দেয় তার বাস্তবায়ন করে। আর তাই বিভিন্ন রাজ্যে বিজেপি বিপুল জনাদেশ পেয়ে আসছে। দেশবাসী পর পর তিনবার লোকসভা নির্বাচনে বিজেপি-কে জাতির জন্য কাজ করার সুযোগ দিয়েছে। গত ৬০ বছরের ভারতের ইতিহাসে যা হয়নি। দিন কয়েক আগে, বিজেপি পর পর দুবার মহারাষ্ট্রে সরকার গঠন করলো। আপনারা যদি সেরাজ্যের নির্বাচনের ফলাফলের দিকে তাকান তাহলে দেখতে পাবেন মহারাষ্ট্রে এই নিয়ে তিনবার আমরা সংখ্যাগরিষ্ঠতা পেয়েছি। এবার বিজেপি আরও বেশি আসনে জয়লাভ করেছে। হরিয়ানাতেও তৃতীয়বার বিজেপি সরকার গঠন করলো। সেখানেও আগের থেকে বেশি আসন পেয়েছি। সম্প্রতি রাজস্থানে যে উপনির্বাচন হয়েছে সেখানেও মানুষ বিপুলভাবে বিজেপি-কে সমর্থন জানিয়েছে। এর মধ্য দিয়ে বিজেপি-র কাজের প্রতি এবং দলের কর্মীদের কঠোর পরিশ্রমের প্রতি মানুষের আস্থা প্রতিফলিত হয়েছে। 

 

বন্ধুগণ,

দীর্ঘদিন রাজস্থানের জন্য সেবা করার সৌভাগ্য বিজেপি-র হয়েছে। এই রাজ্যে ভৈরোঁ সিং শেখাওয়াতজি উন্নয়নের যে শক্তিশালী ভিত গড়ে তুলেছিলেন, বসুন্ধরা রাজেজি তাকে আরও শক্তিশালী করেছেন। বর্তমানে ভজনলালজি-র সরকার সুপ্রশাসনের সেই ধারাকে বজায় রেখেছেন। 

বন্ধুরা,

গত এক বছর ধরে কাজের বিস্তারিত তথ্য এখানে তুলে ধরা হয়েছে। দরিদ্র পরিবার, মা, বোন,   বিশ্বকর্মা এবং যাযাবর পরিবারগুলির কথা বিবেচনা করে বিভিন্ন সিদ্ধান্ত নেওয়া হয়েছে। পূর্ববর্তী কংগ্রেস সরকার রাজ্যের যুবক যুবতীদের প্রতি অবিচার করেছে। প্রশ্নপত্র ফাঁস এবং নিয়োগ পরীক্ষায় দুর্নীতির কেন্দ্র হয়ে উঠেছিল রাজস্থান। বিজেপি ক্ষমতায় আসার পরই এই বিষয়গুলি নিয়ে তদন্ত শুরু হয়। অনেকে এর জন্য গ্রেফতার হয়েছে। এখন স্বচ্ছতার সঙ্গে পরীক্ষা নেওয়া হচ্ছে, নিয়োগ পরীক্ষায়ও স্বচ্ছতা এসেছে। পূর্ববর্তী সরকারগুলির সময়ে রাজস্থানের মানুষ অন্য রাজ্যের তুলনায় চড়াদামে পেট্রোল ডিজেল কিনেছেন। কিন্তু বিজেপি ক্ষমতায় আসার পর রাজস্থানের ভাই বোনেরা স্বস্তি পেয়েছেন। পিএম কিষাণ সম্মাননিধি যোজনায় কেন্দ্রীয় সরকার কৃষকদের ব্যাঙ্ক অ্যাকাউন্টে সরাসরি টাকা পাঠাচ্ছে। বর্তমানে ডাবল ইঞ্জিন সরকার তাঁদের  অতিরিক্ত অর্থের যোগান দিচ্ছে। এই সরকার বিভিন্ন পরিকাঠামোমূলক প্রকল্পও বাস্তবায়িত করছে। বিভিন্ন প্রতিশ্রুতিকে পূরণের জন্য বিজেপি দ্রুত গতিতে কাজ করছে।

বন্ধুগণ,

রাজস্থানের জনগণের আশীর্বাদে গত ১০ বছর ধরে বিজেপি কেন্দ্রের ক্ষমতায় রয়েছে। মাত্র ১০ বছর আমরা মানুষের জীবনযাত্রার মানোন্নয়নে কাজ করেছি। স্বাধীনতার পর পাঁচ-ছয় দশকে কংগ্রেস যা করেনি, আমরা মাত্র ১০ বছরে তার থেকে বেশি কাজ করেছি। উদাহরণ হিসেবে বলা যায়, এই রাজ্যের মানুষের চাইতে আর কে বেশি জলের গুরুত্ব বুঝতে পারেন। রাজ্যের বহু অঞ্চল খরাপ্রবণ। অথচ অন্য অনেক জায়গায় আমাদের নদীর জল ব্যবহার করা হয় না, সেই জল সমুদ্রে চলে যায়। আর তাই অটল বিহারী বাজপেয়ী নদী সংযোগের পরিকল্পনা করেছিলেন। এই কাজের জন্য তিনি একটি বিশেষ কমিটি গঠন করেন। সুপ্রিম কোর্টও বহুবার এই উদ্যোগকে সমর্থন জানায়। কিন্তু কংগ্রেস কখনই চায়নি, আপনারা জলের সমস্যা থেকে বেরিয়ে আসুন। আমাদের জল সীমান্ত  পেরিয়ে আন্য দেশে চলে যাবে, কিন্তু আমাদের কৃষকরা তার সুফল পাবেন না। কংগ্রেস সমস্যার সমাধান না করে দুই রাজ্যের মধ্যে জল নিয়ে বিবাদ সৃষ্টি করতো।  কংগ্রেসের এই ভুল নীতির কারণে রাজস্থান যথেষ্ট সমস্যার সম্মুখীন হয়েছে। রাজ্যের মা ও বোনেরা এবং কৃষকরা কষ্ট সহ্য করেছেন।  

 

আমার মনে আছে, আমি যখন গুজরাটের মুখ্যমন্ত্রী হিসেবে দায়িত্বপালন করছিলাম, তখন সর্দার সরোবর জলাধারের কাজ শেষ হয়েছিল। এই প্রকল্পের মাধ্যমে গুজরাটের অনেক অঞ্চলে জল সরবরাহ করা হয়। আমরা সীমান্তবর্তী কচ্ছ অঞ্চলেও জল পৌঁছে দিয়েছিলাম। কিন্তু সেই সময়ে কংগ্রেস এবং কিছু এনজিও সেই উদ্যোগে বাধা সৃষ্টি করেছিল। কিন্তু আমরা জলের গুরুত্ব সম্পর্কে ওয়াকিবহাল। আমি তো সমসময়েই বলি, জল হলো পরশের মতো। পরশ পাথর দিয়ে ছুঁলে লোহা যেমন সোনা হয়, একইভাবে জল কোনো অঞ্চলকে স্পর্শ করলে সেখানে নতুন শক্তির সঞ্চার হয়, উন্নয়ন ত্বরান্বিত হয়।  

বন্ধুগণ,

সমালোচনা ও বিরোধিতা সত্ত্বেও আমি জল সরবরাহ নিশ্চিত করার জন্য কাজ করে গেছি, কারণ আমি জলের গুরুত্ব বুঝতে পারি। নর্মদা জলের সুবিধা খালি গুজরাটের মধ্যেই সীমাবদ্ধ নেই, সেই জল রাজস্থানেও পৌঁছে দেওয়া হয়েছে। এখানে কোনো উত্তেজনা নেই, কোনো বাধা সৃষ্টি করা হয়নি, এমনকি কোনো আন্দোলনও হয়নি। জলাধারের কাজ যখন শেষ হয়েছে, আমরা কিন্তু বলিনি গুজরাট আগে জল পাবে, রাজস্থান পরে পাবে। আমার এখনও মনে আছে নর্মদার জল যখন রাজস্থানে পৌঁছেছিল, তখন রাজ্যের মানুষ আনন্দে উদ্বেলিত হয়ে ওঠেন। দিন কয়েক পর মুখ্যমন্ত্রীর দপ্তরে ভৈরোঁ সিং শেখওয়াত এবং যশবন্ত সিংজি আমাকে একটি বার্তা পাঠান। তাঁরা আমার সঙ্গে সাক্ষাৎ করতে চান। আমি তাঁদের আসার কারণ জানতে চাইলে, তাঁরা বলেন নির্দিষ্ট কোনো কারণের জন্য এখানে আসেননি। তাঁরা আমার সঙ্গে দেখা করতে এসেছেন। আমরা অনেকেই ভৈরোঁ সিংজীর আশীর্বাদ ধন্য। কিন্তু সেদিন তাঁরা আমার কাছে এসেছিলেন আবেগতারিত হয়ে। অশ্রুপূর্ণ চোখে তাঁরা বলেন, “মোদীজী আপনি জানেন জলের অর্থ কী? নর্মদার জল রাজস্থানে পৌঁছানো আপনি নিশ্চিত করেছেন অত্যন্ত সহজভাবে। পুরো বিষয়টি আমাদের হৃদয় স্পর্শ করেছে। আমরা তাই রাজস্থানের কোটি কোটি মানুষের ভাবনা নিয়ে আপনার সামনে উপস্থিত হয়েছি।”

বন্ধুগণ,

আমি জলের গুরুত্ব বুঝতে পারি। আজ জালোর, বারমেঢ়, চুরু, ঝুনঝুনু, যোধপুর, নাগৌড়, হনুমানগড় সহ বহু জেলায় মা নর্মদার জল পৌঁছেছে তার জন্য আমি আনন্দিত।

বন্ধুগণ,

একদা বলা হতো, নর্মদায় স্নান করলে এবং পরিক্রমায় অংশ নিলে আমাদের পূর্ব পুরুষরা বিভিন্ন অপরাধ থেকে মুক্ত হবেন, এবং তাঁরা আশীর্বাদ করবেন। কিন্তু আজ বিজ্ঞানের কারণেই  পরিক্রমা করতে আমাদের মা নর্মদার কাছে যেতে হচ্ছে না। মা নর্মদা নিজেই হনুমানগড় পর্যন্ত চলে এসেছেন।

 

বন্ধুগণ,

পূর্ব রাজস্থান খাল প্রকল্প – ইআরসিপি কংগ্রেসের কারণে বাস্তবায়িত হতে দেরি হয়েছে। তারা কৃষকদের নিয়ে অনেক কথা বলে,  কিন্তু কৃষকদের জন্য কিছু করেনা। বিজেপি-র নীতি হলো বিবাদ নয়, আলোচনার মাধ্যমে সমস্যার সমাধান করা। আমরা সহযোগিতায় বিশ্বাসী, বিরোধিতায় নই। আর তাই আমাদের সরকার পূর্ব রাজস্থান খাল প্রকল্পকে শুধু অনুমোদনই দেয়নি, তার সম্প্রসারণ ঘটিয়েছে। মধ্যপ্রদেশ এবং রাজস্থানে বিজেপি সরকার আসার পর পার্বতী-কালীসিন্ধ-চম্বল প্রকল্প এবং এমপিকেসি লিঙ্ক প্রকল্প সংক্রান্ত চুক্তি স্বাক্ষরিত হয়েছে। আপনারা দেখুন, এখানে কেন্দ্রীয় জল মন্ত্রী এবং দুই রাজ্যের মুখ্যমন্ত্রী উপস্থিত। আগামী দিনে দেশের বিভিন্ন প্রান্তে রাজনীতিবিদদের কাছে জানতে চাওয়া হবে মধ্যপ্রদেশ এবং রাজস্থান যদি জল সমস্যার সমাধান করতে পারে, তাহলে যে জল সমুদ্রে চলে যাচ্ছে সেই জলকে নিয়ে আপনারা কেন চুক্তি করতে পারছেন না? মধ্যপ্রদেশ থেকে জল নিয়ে এসে সেই জলে রাজস্থানকে সুজলা সুফলা করে তোলা একটি অভূতপূর্ব উদ্যোগ। কিন্তু আমরা যে উজ্জ্বল ভবিষ্যতের স্বপ্ন দেখি, সেখানে এই প্রকল্পগুলি বাস্তবায়িত হবে। চম্বল, পার্বতী, কালীসিন্ধ, কুনো, বনস, বনগঙ্গা, রূপারেল, গম্ভীরী এবং মেজ নদীর মধ্যে সংযোগ গড়ে তোলা হবে।

বন্ধুগণ,

আমি গুজরাটে নদী সংযোগের ক্ষমতা প্রত্যক্ষ করেছি। নর্মদার জল গুজরাটের অনেক নদীর সঙ্গে যুক্ত করা হয়েছে। আপনারা যদি আমেদাবাদে যান, তাহলে সরবমতী নদী দেখতে পাবেন। বছর ২০ আগেও কোনো শিশুকে যদি সবরমতী নদীর উপর রচনা লিখতে বলা হতো, তাহলে তারা লিখতো সবরমতীর তীরে সার্কাসের তাবু খাটানো হয়েছে। নদীবক্ষে তারা ক্রিকেট খেলছে। তার কারণ সেই সময়ে সবরমতীতে কোনো জল ছিল না। আর আজ নর্মদার জল সবরমতীর প্রাণ সঞ্চার করেছে। আপনারা আমেদাবাদে সৌন্দর্যায়িত নদীতট দেখতে পাবেন। নদী সংযোগের ক্ষমতা এটিই। রাজস্থানেও ঠিক একই দৃশ্যের অবতারণা হবে তা আমি স্পষ্ট দেখতে পারছি।

বন্ধুগণ,

সে দিন আর বেশি দেরি নেই, যখন রাজস্থান জল সঙ্কটে ভুগবে না। রাজ্যের উন্নয়নের জন্য প্রচুর জল পাওয়া যাবে। পার্বতী-কালীসিন্ধ-চম্বল প্রকল্প রাজস্থানের ২১টি জেলায় পানীয় জল এবং সেচের জল সরবরাহ করবে। ফলে, রাজস্থান এবং মধ্যপ্রদেশ দুই রাজ্যেরই উন্নয়ন হবে।

বন্ধুগণ,

আজ ইসরদা লিঙ্ক প্রকল্পের উদ্বোধন হয়েছে। তেজাওয়ালা থেকে জল নিয়ে শেখাওয়াতী নদীতে পাঠানোর এক চুক্তি স্বাক্ষরিত হয়েছে। এর ফলে, হরিয়ানা এবং রাজস্থান দুটি রাজ্যই উপকৃত হবে। আমি নিশ্চিত রাজস্থানের প্রতিটি বাড়িতে নলবাহিত জল শীঘ্রই পৌঁছে যাবে।

 

বন্ধুগণ,

সিআর পাটিলের নেতৃত্বে এক বিশাল অভিযানের সূত্রপাত ঘটেছে। সংবাদমাধ্যম এবিষয়ে খুব বেশি প্রচার করছে না। এই প্রকল্পে জনসাধারণ যুক্ত হয়েছেন। বৃষ্টির জল বিভিন্ন কুয়োর মাধ্যমে ভূগর্ভে পাঠানো হচ্ছে। ভারতের যে রাজ্যে জলসঙ্কট ছিল সেখানে গত কয়েক মাসে বৃ্ষ্টির জলকে ভূগর্ভে পাঠানোর প্রায় ৩ লক্ষ প্রকল্পের সূচনা হয়েছে। আমি বিশ্বাস করি, ভবিষ্যতে এর ফলে বসুন্ধরা মাতার তৃষ্ণা দূর হবে। বসুন্ধরা মাতার আশীর্বাদ আমরা যদি পাই তাহলে পৃথিবীর কোনো শক্তিই আমাদের আটকাতে পারবে না। আমার মনে পড়ছে, গুজরাটে ১০০ বছর আগে বুদ্ধিসাগরজী মহারাজ লিখেছিলেন এমন দিন আসবে যখন খাওয়ার জল মুদির দোকানে পাওয়া যাবে। সেই জৈন সন্নাসীর কথা কিন্তু আজ সত্যিই হয়েছে। 

বন্ধুগণ,

এটি খুব দুঃখ জনক যে আমাদের পূর্ব পুরুষদের ঐতিহ্য আমরা মেনে চলছি না। আমাদের ভবিষ্যৎ প্রজন্ম যাতে জলকষ্টে মৃত্যুবরণ না করে তার দায়িত্ব আমাদের নিতে হবে। তাদের জন্য ‘সুজলং সুফলং’ জমির ব্যবস্থা করতে হবে। আমি মধ্যপ্রদেশ সরকার এবং সেই রাজ্যের জনসাধারণকে এই পবিত্র কাজে ব্রতী হওয়ার জন্য অভিনন্দন জানাই। একইসঙ্গে রাজস্থান সরকার এবং এই রাজ্যের জনগণকেও অভিনন্দন জানাই। এখন আমাদের কাজ হবে কোনো বাধাবিঘ্ন ছাড়াই এই প্রকল্পটিকে বাস্তবায়ন করা।

বন্ধুগণ,

একবিংশ শতাব্দীর ভারতে মহিলাদের ক্ষমতায়ণ অত্যন্ত গুরুত্বপূর্ণ। আমি আপনাদের ভালোবাসা এবং সমর্থন পাওয়ার জন্য কৃতজ্ঞ। বন্ধুরা, মহিলা পরিচালিত স্বনির্ভর গোষ্ঠীগুলির মাধ্যমে আমরা নারী শক্তির ক্ষমতা সম্পর্কে ধারণা করতে পারি। গত এক দশকে দেশের ১০ কোটি বোনেরা স্বনির্ভর গোষ্ঠীর সঙ্গে যুক্ত হয়েছেন। বিজেপি সরকার এই গোষ্ঠীগুলিকে শক্তিশালী করার জন্য নিরলস কাজ করে চলেছে। আমাদের সরকার এঁদের জন্য ব্যাঙ্ক থেকে ১০ লাখ – ২০ লক্ষ টাকার সহায়তার ব্যবস্থা করেছে। স্বনির্ভর গোষ্ঠীগুলির উৎপাদিত পণ্য সামগ্রী যাতে নতুন নতুন বাজার পায় তার জন্য আমরা প্রশিক্ষণের ব্যবস্থা করেছি। ফলস্বরূপ গ্রামীণ অর্থনীতিতে এই গোষ্ঠীগুলি ইতিবাচক প্রভাব বিস্তার করছে। আমি অত্যন্ত আনন্দিত এখানে মা এবং বোনেদের এত বিপুল সমাগম দেখে। আমাদের সরকার স্বনির্ভর গোষ্ঠীগুলি থেকে ৩ কোটি বোনকে লাখপতি দিদিতে পরিণত করতে উদ্যোগী হয়েছে। 

বন্ধুগণ,

আমরা নারী শক্তিকে শক্তিশালী করতে অনেক নতুন প্রকল্পের সূচনা করেছি। যেমন ধরুন, নমো দিদি ড্রোন প্রকল্পে হাজার হাজার বোনকে ড্রোন পাইলটের প্রশিক্ষণ দেওয়া হচ্ছে। ইতোমধ্যেই হাজার হাজার গোষ্ঠী ড্রোন পেয়েছে। এই মহিলারা ড্রোনের সাহায্যে কৃষি কাজে সহায়তা করবেন এবং অর্থ উপার্জন করবেন। রাজস্থান সরকার এই প্রকল্পকে আরও প্রসারিত করতে উদ্যোগী হয়েছে। 

 

বন্ধুগণ,

আমরা আমাদের বোনেদের জন্য আরেকটি প্রকল্পের সূচনা করেছি – বীমা সখী প্রকল্প। এই প্রকল্পে গ্রামাঞ্চলের মা বোনেরা বীমা ক্ষেত্রে যুক্ত হবেন। এর জন্য তাঁদের প্রশিক্ষণ দেওয়া হবে। আমরা ব্যাঙ্ক সখী প্রকল্পেও যথেষ্ট সাফল্য অর্জন করেছি। একইভাবে দেশের প্রতিটি পরিবারকে বীমা সখীর মাধ্যমে বীমা ক্ষেত্রের সঙ্গে যুক্ত করা হবে।

বন্ধুগণ, 

বিজেপি সরকার গ্রামাঞ্চলে অর্থনীতিকে শক্তিশালী করতে উদ্যোগী হয়েছে। উন্নত ভারত গড়ে তোলার জন্য যা এক উল্লেখযোগ্য পদক্ষেপ। রাজস্থানে আমাদের সরকার বিদ্যুৎ ক্ষেত্রের জন্য বিভিন্ন প্রকল্পের সূচনা করেছে, যার সুফল আমাদের কৃষকদের কাছে পৌঁছবে। দিনেরবেলাতেও যাতে কৃষকরা বিদ্যুৎ পান তার জন্য কিছু পরিকল্পনা করা হয়েছে। ফলে কৃষকদের আর রাতে সেচের কাজ করার ক্ষেত্রে বাধ্যবাধকতা থাকবে না। তাঁরা যে কোনো সময়ে এই কাজ করতে পারবেন। 

বন্ধুগণ,

রাজস্থানে সৌর শক্তির যথেষ্ট সম্ভাবনা আছে। এই রাজ্য দেশকে এক্ষেত্রে নেতৃত্ব দিতে পারে। আমাদের সরকার উদ্যোগী হয়েছে আপনাদের বিদ্যুতের বিলকে শূন্যে নামিয়ে আনতে। কেন্দ্রীয় সরকার পিএম সূর্যঘর মুফৎ বিজলী যোজনার সূচনা করেছে। এই প্রকল্পে কেন্দ্রীয় সরকার বাড়ির ছাদে সৌর প্যানেল বসালে ৭৫ থেকে ৮০ হাজার টাকা অর্থ সহায়তা করছে। আপনারা যদি আপনাদের চাহিদার থেকে বেশি বিদ্যুৎ উৎপাদন করেন, তাহলে বাড়তি বিদ্যুৎ আপনারা বিক্রি করতে পারবেন। সরকার সেই বিদ্যুৎ কিনে নেবে। ইতোমধ্যেই ১ কোটি ৪০ লক্ষ পরিবার এই প্রকল্পে নাম নথিভুক্ত করেছে। রাজস্থানে ২০ হাজার সহ দেশে ৭ লক্ষ বাড়িতে সোলার প্যানেল বসানো হয়েছে। ফলে, সৌর বিদ্যুৎ উৎপাদন হচ্ছে এবং মানুষের টাকা বাচছে।

বন্ধুগণ, 

শুধু বাড়ির ছাদেই নয়, মাঠেও সৌর বিদ্যুৎ উৎপাদন করা যেতে পারে। পিএম কুসুম প্রকল্পে রাজস্থান সরকার আগামী দিনে হাজার হাজার বিদ্যুৎ প্রকল্পের কাজ শুরু করতে চলেছে। যখন প্রতিটি পরিবার এবং প্রত্যেক কৃষক জ্বালানি উৎপাদন করবেন, তখন বিদ্যুতের থেকে তাঁরা অর্থ উপার্জন করতে পারবেন, ফলে সংশ্লিষ্ট পরিবারের আয়ও বাড়বে।

বন্ধুগণ,

রাজস্থানকে সড়ক, রেল এবং বিমান পথে আরও ভালোভাবে যুক্ত করতে আমরা উদ্যোগী হয়েছি। এই রাজ্য দিল্লি, ভাদোদরা এবং মুম্বাইয়ের মতো গুরুত্বপূর্ণ শিল্পাঞ্চলের মধ্যবর্তী স্থানে অবস্থিত। ফলে, রাজ্যের যুব সম্প্রদায় সহ সকলের কাছে প্রচুর সুযোগ রয়েছে। রাজস্থানের সঙ্গে এই তিন শহরে যোগাযোগ গড়ে তুলতে এক্সপ্রেসওয়ে তৈরি করা হয়েছে। মেজা নদীর উপর একটি বৃহৎ সেতু নির্মাণ করা হবে, যার সুফল সোয়াই মাধোপুর, বুন্দি, টং এবং কোটা জেলার জনগণ পাবেন। সংশ্লিষ্ট অঞ্চলের কৃষকরা তাঁদের উৎপাদিত ফসল দিল্লি, মুম্বাই এবং ভদোদরার মতো শহরের বাজারে সহজেই নিয়ে যেতে পারবেন। এছাড়াও জয়পুর এবং রণথম্ভোর ব্যাঘ্র প্রকল্পে পর্যটকরা সহজেই আসতে পারবেন। আমরা জানি বর্তমান যুগে সময়ের মূল্য কতটা। আমাদের তাই উদ্দেশ্য হলো মানুষের সময় বাঁচানো এবং সহজেই এক জায়গা থেকে অন্য জায়গায় যাতায়াত নিশ্চিত করা।

 

বন্ধুগণ,

জামনগর-অমৃতসর অর্থনৈতিক করিডোর যখন দিল্লি-অমৃতসর-কাটরা এক্সপ্রেসওয়ের সঙ্গে যুক্ত হবে তখন রাজস্থান থেকে সহজেই মাতা বৈষ্ণদেবী মন্দিরে পৌঁছনো যাবে। এর ফলে উত্তরভারতের শিল্প সংস্থাগুলি দ্রুত কান্দলা এবং মুন্দ্রাবন্দরে তাদের পণ্যসামগ্রী নিয়ে যেতে পারবে। ফলস্বরূপ, রাজস্থানে বড় বড় গুদামঘর তৈরি করা হবে, রাজ্যের যুবক যুবতীরা কাজের সুযোগ পাবেন।

বন্ধুগণ,

যোধপুর রিং রোডের সঙ্গে জয়পুর, পালি, বারমেঢ়, জয়সলমির এবং নাগৌরের মধ্যে যোগাযোগ ব্যবস্থা গড়ে তোলা হচ্ছে। ফলস্বরূপ, আন্তর্জাতিক সীমান্ত অঞ্চলে যাওয়ার জন্য যে যানজট তৈরি হতো তা দূর হবে। এর সুফল এই অঞ্চলের পর্যটক এবং ব্যবসায়ীরা পাবেন।

বন্ধুগণ,

আজ হাজার হাজার বিজেপি কর্মী এখানে এসেছেন। কারণ তাঁদের কঠোর পরিশ্রমের সুফল আমরা প্রত্যক্ষ করছি। বিজেপি কর্মীদের কাছে আমার অনুরোধ এই দল বিশ্বের বৃহত্তম রাজনৈতিক দল। বিজেপি-র জন্য দলের থেকেও দেশ বড়। প্রত্যেক বিজেপি কর্মীকে দেশের জন্য কাজ করতে হবে। একজন বিজেপি কর্মী শুধুমাত্র রাজনৈতিক কাজকর্মের সঙ্গেই যুক্ত থাকবেন না তিনি বিভিন্ন সামাজিক সমস্যার সমাধান করবেন। আজ আমরা এখানে যে অনুষ্ঠানে উপস্থিত হয়েছি তার সঙ্গে জল সংরক্ষণ যুক্ত। জল সম্পদের সংরক্ষণ করা এবং জলের প্রতিটি ফোঁটাকে যথাযথভাবে কাজে লাগানোর দায়িত্ব শুধু সরকারের নয়, সমাজের প্রতিটি নাগরিকের। তাই আমি সকল বিজেপি কর্মীর কাছে অনুরোধ করবো আপনারা আপনাদের দৈনন্দিন কাজের মধ্যে জল সংরক্ষণের বিষয়টিকেও যুক্ত করুন। অনুসেচ, বিন্দু সেচ প্রকল্পের সঙ্গে যুক্ত হন। অমৃত সরোবর রক্ষার কাজে নিয়োজিত থাকুন। পাশাপাশি কৃষকদের প্রাকৃতিক পদ্ধতিতে কৃষি কাজে উৎসাহিত করুন। 

 

আমরা জানি যত বেশি গাছ লাগাবো, ততো মাটিতে জল সঞ্চয় হবে। আর তাই ‘এক পেড় মা কে নাম’ কর্মসূচির সূচনা হয়েছে। এর মাধ্যমে শুধু আমাদের মা-কে শ্রদ্ধা জানানো হবে না, আমরা বসুন্ধরা মাতাকেও সম্মানিত করবো। পরিবেশের জন্য এধরণের অনেক কর্মসূচি রয়েছে। আমি ইতমধ্যেই পিএম সূর্যঘর যোজনার কথা বলেছি। এই প্রকল্প সম্পর্কে বিজেপি কর্মীদের সচেতন করতে হবে। যখন দেশ উপলব্ধি করবে কোনো কর্মসূচি সঠিক দিশায় এগোচ্ছে, তখন জনগণ স্বাভাবিকভাবেই সেই কর্মসূচির সঙ্গে যুক্ত হবে। আমরা স্বচ্ছ ভারত অভিযান এবং বেটি বাঁচাও বেটি পড়াও অভিযান থেকে এই অভিজ্ঞতা লাভ করেছি। পরিবেশকে রক্ষা করা এবং জল সংরক্ষণের কাজেও আমরা সাফল্যমন্ডিত হবো বলে আমি আশাবাদী। 

 

বন্ধুগণ,

আজ রাজস্থানে আধুনিক উন্নয়নমূলক কাজ বাস্তবায়িত হচ্ছে। এখানে যে পরিকাঠামো তৈরি হবে তার থেকে উপকৃত হবেন বর্তমান প্রজন্মের নাগরিকরা এবং ভবিষ্যৎ প্রজন্মের মানুষও। বিকশিত রাজস্থান এর মাধ্যমেই গড়ে উঠবে। যার ফলে ভারতের দ্রুত উন্নতি হবে। আগামী দিনে ডাবল ইঞ্জিন সরকার আরও দ্রুত গতিতে চলবে। রাজস্থানের উন্নয়নে কেন্দ্রীয় সরকার সবরকমভাবে সহায়তা করবে, সেই আশ্বাস আমি আপনাদের দিচ্ছি। আরও একবার এখানে যাঁরা উপস্থিত হয়েছেন,  আমাদের আশীর্বাদ করার জন্য বিশেষত মা ও বোনেরা – আপনাদের সকলকে আমি আন্তরিক ধন্যবাদ জানাই। মাথা নীচু করে কৃতজ্ঞতা প্রকাশ করছি। আজকের এই অনুষ্ঠানে আপনাদের জন্য। আসুন সর্ব শক্তি দিয়ে দু-হাত তুলে আমরা বলি –

ভারত মাতার - জয়!
ভারত মাতার - জয়!
ভারত মাতার - জয়!

অনেক অনেক ধন্যবাদ।