21st century is the century of knowledge, says Prime Minister Modi
India has the potential to become the manufacturing hub for the world: PM Narendra Modi
In history, whenever knowledge has been the driving force of the world, India has provided leadership: PM Modi
Today India is demographically the youngest country in the world, with young dreams full of energy: PM Narendra Modi
The current generation of youngsters don't want to be job seekers. The youth wants to be job creators: PM Modi
Global agencies say India is the fastest growing economy in the world: PM

मंच पर विराजमान सभी वरिष्‍ठ महानुभाव, नौजवान साथियों, और इस समय online नॉर्थ ईस्‍ट के कई विद्यार्थी भी इस समारोह में शरीक हैं। मैं उन सबका भी स्‍वागत करता हूं।

सब से पहले मैं आपसे क्षमा चाहता हूँ क्योंकि मुझे आने में बहुत विलंब हुआ, क्‍योंकि आज सुबह सिक्किम से मुझे चलना था। लेकिन weather साथ नहीं दे रहा था। बार बार समय बदलना पड़ रहा था। लेकिन आखिकार पहुंच ही गया। कभी-कभी देर होती है, लेकिन पहुंचता हूं। आज यहां दो महत्‍वपूर्ण कार्यक्रम हैं। एक तो IIIT का, नये भवन का शिलान्‍यास और दूसरा ICT Academy की शुरूआत। हम सुनते आए हैं कि 21वीं सदी हिन्‍दुस्‍तान की सदी है, लेकिन 21वीं सदी हिन्‍दुस्‍तान की सदी है इसका कारण क्‍या है। तो पूरा विश्‍व ये मानता है कि 21वीं सदी ये ज्ञान की सदी है। information की सदी है और इसलिए information , knowledge के क्षेत्र में जो अगुवाई करेगा वो दुनिया की अगुवाई करेगा। वो लीडरशिप करेगा और दूसरा महत्‍वपूर्ण कारण है आज भारत विश्‍व का सबसे युवा देश है। 65 प्रतिशत जनसख्‍ंया इस देश में 35 साल से कम उम्र की है, कई तो 35 से भी नीचे है। जिस देश मे सदियों से यह परंपरा रही है कि जब-जब मानव जाति नाजुक दौर से गुजरी है हमेशा हमेशा भारत ने नेतृत्‍व किया है और 21वीं सदी में demographic dividend ये हमारी ताकत है इतनी बड़ी संख्‍या में जिस देश के पास नौजवान हों उसके सपने भी नौजवान होते हैं और जवान सपनों में समर्पण का भाव भी होता है, ऊर्जा भी होती है। भारत इस परिस्थिति का फायदा कैसे उठाए, इस अवसर को भारत किस प्रकार से दुनिया के विश्‍व के पटल पर एक शक्ति के रूप में उभर सकें। ये अवसर भी है, चुनौती भी है और जिंदगी बिना चुनौतियों के कभी सफल नहीं होती है। जो चुनौतियों को पार करता है वो ही अवसर को पाता है और वही अवसर को सिद्धि में परिवर्तित कर सकता है। आज पूरे विश्‍व में जितने भी मानको पर चर्चा होती है चाहे वर्ल्‍ड बैंक का रिपोर्ट देख लीजिए। IMF का रिपोर्ट देख लीजिए। credit rating agency, global level की कुछ कहें, एक बात साफ साफ उभर करके आती है और सर्व दूर से एक ही प्रकार से आती है और वो ये कि आज बड़े देशों की सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली कोई economy है। वो economy का नाम है हिन्‍दुस्‍तान।

आए दिन खबरें आती है कि दुनिया में ये हो रहा है। वो हो रहा है। पूरे विश्‍व में आर्थिक मंदी का माहौल है। विश्‍व आर्थिक संकट में घिरा हुआ है। ऐसे संकट के काल में एक अकेला हिन्‍दुस्‍तान अपने पैरों पर स्थिर खड़ा है और तेज गति से आगे भी बढ़ रहा है और ये भी विश्‍व मानता है कि आने वाले दिनों में भारत इससे भी अधिक गति से आगे बढ़ने वाला है। ये जो अवसर आया है। इस अवसर का फायदा अगर उठाना है। तो हमें हमारी युवा शक्ति पर ध्‍यान केन्द्रित करना होगा और इसलिए सरकार ने जिन बातों पर ध्‍यान दिया है वे बिखरी हुई चीजें नहीं हैं। सरकार में हैं कुछ करना पड़ता है चलो कुछ करते रहें ऐसा भी नहीं हैं। एक के बाद एक कदम एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं, interlinked हैं। एक के बाद एक कदम अंतिम परिणाम को प्राप्‍त करने का अवसर है। पहली बार इस देश में skill development एक अलग department बनाया गया। पहले क्‍या था। हर department अपने-अपने तरीके से skill department का काम करता था। लेकिन जब इतने बड़े department के एक कोने में skill department चलता है तो उसमें focus नहीं रहता था। चीजें चलती थी, कागज पर सब दिखता था। लेकिन धरती पर नजर नहीं आता था। हमने अलग skill department बनाया और पूरे देश में 21वीं सदी के अनुकूल किस प्रकार का मैन पावर तैयार करना चाहिए, किस प्रकार का Human resource development करना चाहिए और न सिर्फ हिन्‍दुस्‍तान वैश्विक संदर्भ में global perspective में आप कल्‍पना कर सकते हैं जब दुनिया पूरी बूढ़ी हो, दुनिया के पास पैसे हों। उद्योग कारखाने लगे हुए हों। लेकिन चलाने के लिए नौजवान न हो तो क्‍या होगा। पूरी विश्‍व को 2030 के बाद बहुत बड़ी मात्रा में human resource की आवश्‍यकता पड़ने वाली है। globally man power पहुंचाने का काम अगर कोई कर सकता है तो हिन्‍दुस्‍तान कर सकता है। दूनिया के हर कोने में भारत का नौजवान जा करके उस देश के जीवन में बहुत बड़ा योगदान कर सकता है। वो दिन दूर नहीं है। जब पूरे global requirement को अगर ध्‍यान में रखें तो आज से हमारा प्रयास है कि हिन्‍दुस्‍तान में वो Human resource development हो वो man power तैयार हो जो आने वाले दिनों में global requirement को पूरी कर पाएं।

दूसरी तरफ भारत सिर्फ सेवादार बना रहे क्‍या ? ये बात हमें मंजूर नहीं है और इसलिए हमारे देश में Make in India का अभियान चलाया है। आज देश पेट्रोलियम पैदावार के बाद सबसे ज्‍यादा इम्‍पोर्ट जो पहली तीन चार चीजें हैं देश में जिसमे हमारी सबसे ज्‍यादा धन हमारे विदेश में जाता है। उसमें एक है electronic goods का import। चाहे लैपटॉप हो, चाहे मोबाइल फोन हो, चाहे electronic medical devices हो। अब जिस देश में ऐसी बढि़या IIT हो जिस गुवाहाटी के IT के, जो गुवाहाटी यहाँ के IIT के कारण पहचाना जाता है। यहां के IIT ने गुवाहाटी को एक नई पहचान दी है। लेकिन उस देश में electronic goods भी हमें इम्‍पोर्ट करना पड़े । ये अच्‍छी बात है क्‍या। Thermometer भी बाहर से लाना है। बीपी कम हुआ ठीक हुआ नहीं ठीक हुआ वो भी foreign का instrument तय करेगा क्‍या।

दोस्‍तों ये चीजे बदलनी है। मैं आज आपके बीच आया हूं चुनौती को ले करके, कम से कम electronic goods ये तो हम बना सकते हैं ऐसा नहीं हम दुनिया को दे सकते हैं। इस देश के पास टेलेंट की कमी नहीं है, इरादों की भी कमी नहीं है। हर नौजवान के पास कुछ न कुछ करने का इरादा है तो क्‍यों न हम हमारे देश की इस requirement को ध्यान में रखते हुए मेक इन इंडिया की बात को आगे बढ़ाएं। और दुनिया ने भारत के लोगों का लोहा माना है। आज सिलिकॉन मेले में जाइए। Address तो यूएसए का है। लेकिन चेहरा हिन्‍दुस्‍तानी है। हर तीसरी चौथी कंपनी का सीईओ हिन्‍दुस्‍तानी है। 50 परसेंट 60 परसेंट काम करने वाले नौजवान हिन्‍दुस्‍तानी है। इस देश के पास टेलेंट भी है।

भारत ने Mars Mission किया। ऑरबिट में हम पहुंचे। दूनिया में हम पहले देश हैं जो Mars Orbit Mission में पहले ही ट्रायल में सफल हो गये। दुनिया के और देशों में सफलता 20-20-25 बार ट्रायल करने पर मिली। भारत को पहली बार मिल गई। और खर्चा कितना आप गुवाहाटी में एक किलोमीटर ऑटो रिक्‍शा में जाए तो दस रुपया लगता होगा। हम मार्स मिशन में सिर्फ सात रुपए किलोमीटर पर गए। हॉलीवुड की फिल्‍म का जो खर्चा होता है उससे कम खर्चें में हम मार्स मिशन पर पहुंचे। ये कैसे संभव हुआ। हमारे नौजवानों के talent के कारण, तजुर्बे के कारण। कुछ कर गुजरने के इरादे के कारण। जिस देश के पास ये सामर्थ्‍य हो तो वो देश का प्रधानमंत्री make in India का सपना क्‍यों न देखे। हमारा दूसरा क्षेत्र है Defence. क्‍या भारत अपनी सुरक्षा के लिए आजादी के 70 साल के बाद भी औरों पर dependent रहे। अश्रु गैस है न अश्रु गैस, रोने के लिए भी tear gas, वो भी बाहर से लाना पड़ता है। ये स्‍थिति अब बदलनी है दोस्‍तों। हम हमारी रक्षा के लिए जो आवश्‍यकताएं हैं वो तो हम बनाएं। इतना ही नहीं दुनिया को हम supply भी करे, ये ताकत हमारी होनी चाहिए।

हम मोबाइल के बिना जी नहीं सकते और आप में से कई लोग है, मेरे से जुड़े हुए हैं, फेसबुक पर, ट्वीटर पर। कुछ लोग मेरी Narendra Modi app पर भी कुछ न कुछ लिखते रहते हैं गुवाहाटी से। लेकिन मोबाइल फोन बाहर से लाना पड़ता है और इसलिए दोस्‍तों हमारे जो IITs है। हमारी IIIT है। हमारी technical institutions है। वहां make in India का मुझे माहौल create करना है। अभी से विद्यार्थी के मन में विचार होना चाहिए कि मैं शस्‍त्रार्थों की दुनिया में भारत को ये अमानत दूंगा ताकि दुनिया हमें कुछ न कर पाए।

हम ICT के क्षेत्र में जा रहे हैं। ICT हम व्‍यापार-धंधे के लिए नए-नए सॉफ्टवेयर बनाने की ताकत create कर रहे हैं, लेकिन दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती है और सारी दुनिया के सामने है। वो चुनौती है, cyber security की। हर कोई परेशान है, कहीं कोई हाई-जैक तो नहीं कर लेगा। मेरी पूरी फाइल चली तो नहीं जाएगी। मैं research कर रहा हूं, कोई उठा तो नहीं ले जाएगा। दुनिया को कोई ठप्‍प तो नहीं कर देगा। हवाई जहाज उड़ता होगा और cyber attack करके उसको वही रोक दिया जा सकता है और फिर वो नीचे ही आएगा। ये संकट है, दुनिया डरी हुई है। technology ने जहां-जहां पर हमको पहुंचाया है तो उसके साथ हमारे सामने चुनौतियां भी आई हैं। क्‍या हमारे विद्यार्थी, हमारे नौजवान विश्‍व को cyber security देने के लिए नेतृत्‍व नहीं कर सकते क्‍या? अगर दुनिया में किसी को भी cyber security की जरूरत होगी, भारत के नौजवान पर उसको भरोसा करना पड़ेगा, तब जाकर के उसका काम होगा। ये नहीं कर सकते क्‍या?

और इसलिए दोस्‍तों skill development से लेकर के make in India. दो दिन पहले आप में से कई लोग शायद मेरे साथ वीडियो कॉंफ्रेंस में जुड़े हुए होंगे। जब मैं दो दिन पहले दिल्‍ली में ‘स्‍टार्ट-अप’ का आरंभ किया। जब मैं पहले ‘स्‍टार्ट-अप’ कह रहा था तो कुछ लोगों को तो पता ही नही पड़ता, क्‍या कह रहा है ये। ‘स्‍टार्ट-अप इंडिया, स्‍टैंड-अप इंडिया’. जब लालकिले से हमने कहा तो ऐसे ही आकर के चला गया विषय। पता ही नहीं चला, कहीं रजिस्‍टर्ड ही नहीं हुआ। लेकिन अभी जब ‘स्‍टार्ट-अप’ का कार्यक्रम हुआ, लाखों नौजवानों ने रजिस्‍ट्रेशन कराया। एक नया mood बना है, देश में। नौजवान सोच रहा है मैं रोजगार के लिए apply नहीं करूंगा, मैं अपने पैरों पर नई चीज खोजकर के दुनिया के बाजार में ले आऊंगा, नए तरीके से ले आऊंगा।

‘स्‍टार्ट-अप’ का एक माहौल बना है। वर्तमान में जो नई पीढ़ी है वो job-seeker नहीं बनना चाहती है, वो job-creator बनना चाहती है और सरकार ‘स्‍टार्ट-अप इंडिया, स्‍टैंड-अप इंडिया’ के भरोसे उसे बल देना चाहती है और इसलिए अभी आपने देखा होगा, हमने कई नई योजनाएं घोषित की है, नए initiative लिए हैं क्‍योंकि भारत दुनिया का ‘स्‍टार्ट-अप’ का capital बन सकता है जिस देश के पास इतनी talent हो, वो दुनिया का capital बन सकता है और मैंने ये देखा, आपने भी शायद टीवी पर इन चीजों को ध्‍यान से देखा होगा, नहीं देखा होगा तो इंटरनेट पर सारी चीजें इन दिनों available है। 22-25-27-30 साल के नौजवान अरबों-खरबों रुपयों का व्‍यापार करने लगे हैं और दो-तीन साल में करने लगे हैं और पांच हजार- दस हजार- 25 हजार लोगों को रोजगार दे रहे हैं just अपना दिमाग और technology का उपयोग करते हुए।

और जमाना App का है, हर चीज का App बनता है और दुनिया जुड़ जाती है। मैं भी अब जुड़ गया लेकिन हमारे नौजवानों की जो बुद्धिमत्‍ता है वो कुछ कर गुजरने की बुद्धिमत्‍ता है और इसलिए skill development से लेकर के ‘स्‍टार्ट-अप’ तक की यात्रा Make in India. पहले Make for India और बाद में Make for Global, ये requirement को पूरा करने के लिए हम आगे बढ़ना चाहते हैं और उसमें technical force एक बहुत बड़ी आवश्‍यकता है। हर हाथ में हुनर होना चाहिए। कभी-कभी हम लोग रोते बैठते हैं। हमारे देश में कुछ ये भी आदत है। समस्‍याएं होती है। हर किसी के नसीब में मक्‍खन पर लकीर करने का सौभाग्‍य नहीं होता है। पत्‍थर पर लकीर करने की ताकत होनी चाहिए और अगर हम अपने आप को युवा कहते हैं तो उसकी पहली शर्त यह होती है कि वो मक्‍खन पर लकीर करने के रास्‍ते न ढूंढे, वो पत्‍थर पर लकीर करने की ताकत के लिए सोचे। अगर यही इरादे लेकर के हम चलते हैं तो हम अपनी तो जिन्‍दगी बनाते हैं लेकिन कइयों की जिन्‍दगी में बदलाव लाने के लिए कारण भी बनते हैं।

तो भारत में हमारी जितनी भी academic institutions है, technical institutions है, हमारी Universities है। चाहे हमारी आईआईटी हो या हमारी आईटीआई हो, छोटी से छोटी technical इकाई से लेकर के, top most technical venture, इन दोनों के अंदर एकसूत्रता होनी चाहिए और हम देश की आवश्‍यकताओं की पूर्ति करने के लिए सामर्थ्‍यवान बने। समस्‍याएं अपने आप उसका रास्‍ता भी खोजकर के आती है। कोई समस्‍या ऐसी नहीं होती जिसकी कोख में समाधान भी पलता न हो। सिर्फ पहचानने वाला चाहिए। हर समस्‍या की कोख में समाधान भी पलता है, उस समाधान को पकड़ने वाला चाहिए, समस्‍या का समाधान निकल आता है।

मैं चाहूंगा मेरे नौजवान चीजों को देखे तो उसके मन में पहले ये न आए कि यार ऐसा क्यों है। जो सो है सो है, यार ये है ऐसा करेंगे तो ये नहीं रहेगा। हम बदलाव ला सकते हैं। हमारी विचार प्रक्रिया को हम बदले।

पिछले दिनों राष्‍ट्रपति भवन में स्‍कूल के कुछ बच्‍चों को बुलाया गया था। हमारे राष्‍ट्रपति जी ऐसे लोगों को काफी encourage करने के अनेक कार्यक्रम करते रहते हैं। तो उन्‍होंने कहा, मोदी जी एक बार आइए, जरा देखिए। आठवीं, नौवीं, दसवीं कक्षा के बच्‍चे थे और मैंने देखा कि ‘स्‍वच्‍छ भारत’ के विषय में technology क्‍या role कर सकती है, कौन-सी innovative equipment create किया जा सकता है जो स्‍वच्‍छ भारत के लिए next requirement जो process है उसको पूरा कर सके। आठवीं-नौवी कक्षा के बच्‍चों ने ऐसी-ऐसी चीजें बनाई थी, मैं हैरान था। इसका मतलब यह हुआ कि हर समस्‍या का समाधान करने के लिए हमारे पास सामर्थ्‍य होता है।

अगर इंडिया के पास million problem है तो हिन्‍दुस्‍तान के पास billion brain भी है और इसलिए दोस्‍तों नया भवन तो मिलेगा। हिन्‍दुस्‍तान के पूर्वी छोर में ये ज्ञान का सूरज ऐसा तेज होकर के निकले कि पूरे हिन्‍दुस्‍तान को ज्ञान से प्रकाशित कर दे, ये मेरी आप सबको शुभकामनाएं हैं। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!