“আধ্যাত্মিকতা বিস্তারের পাশাপাশি বিশ্বাসের কেন্দ্রগুলি সামাজিক চেতনা ছড়িয়ে দেওয়ার ক্ষেত্রে একটি বড় ভূমিকা পালন করে”
“রামনবমী অযোধ্যা এবং সমগ্র দেশে মহা ধুমধামের সঙ্গে পালিত হচ্ছে”
জল সংরক্ষণ এবং প্রাকৃতিক চাষের উপর গুরুত্ব আরোপ
“অপুষ্টির যন্ত্রণা সম্পূর্ণরূপে নির্মূল করা দরকার”
“কোভিড সংক্রমণ খুবই বিভ্রান্তিকর এবং এর বিরুদ্ধে আমাদের সজাগ থাকতে হবে”

सम्बर में माता उमिया धाम मंदिर और उमिया धाम कैम्पस के शिलान्यास का सौभाग्य मुझे मिला था। और आज घाटिला के इस भव्य आयोजन में आप ने मुझे निमंत्रित किया, इसका मुझे आनंद है। प्रत्यक्ष आया होता तो मुझे अधिक खुशी होती, परंतु प्रत्यक्ष नहीं आ सका, फिर भी दूर से पुराने महानुभावों के दर्शन हो सकते हैं, वह भी मेरे लिए खुशी का अवसर है।

आज चैत्र नवरात्र का नौंवा दिन है। मेरी आप सभी को मंगलकामना है कि मां सिद्धदात्री आप सभी की सारी मनोकामनाएं पूर्ण करें। हमारा गिरनार जप और तप की भूमि है। गिरनार धाम में बिराजमान मां अंबा । और इसी तरह से शिक्षा और दिक्षा का स्थान भी यह गिरनार धाम है। और भगवान दत्तात्रेय जहां बिराजमान है, उस पुण्यभूमि को मैं प्रणाम करता हूं। यह भी मां का ही आशीर्वाद है कि हम सब साथ मिलकर सदैव गुजरात की चिंता करते रहे हैं, गुजरात के विकास के लिए प्रयत्नशील रहे हैं, गुजरात के विकास के लिए हमेशा कुछ न कुछ योगदान देते रहे हैं और साथ मिलकर कर रहे हैं।

मैंने तो इस सामूहिकता की शक्ति का हमेशा अनुभव किया है। आज जब प्रभु रामचंद्र जी का प्रागट्य महोत्सव भी है, अयोध्या में अति भव्यता से उत्सव मनाया जा रहा है, देशभर में मनाया जा रहा है, वह भी हमारे लिए महत्त्वपूर्ण बात है।

मेरे लिए आप सब के बीच आना कोई नई बात नहीं है, माता उमिया के चरणों में जाना भी नई बात नहीं है। शायद पिछले 35 सालों में ऐसा कभी हुआ नहीं कि जहां कहीं न कहीं, कभी न कभी, मेरा आप के बीच आना न हुआ हो। इसी तरह, आज फिर एक बार, मुझे पता है, अभी किसी ने बताया था, 2008 में यहां लोकार्पण के लिए मुझे आने का अवसर मिला था। यह पावन धाम एक तरह से श्रद्धा का केंद्र तो रहा ही, लेकिन मुझे जानकारी मिली है कि यह अभी एक सामाजिक चेतना का केंद्र भी बन गया है। और टूरिज्म का केंद्र भी बन गया है। 60 से ज्यादा कमरे बने हैं, कई सारे मैरिज हॉल बने हैं, भव्य भोजनालय बना है। एक तरह से मां उमिया के आशीर्वाद से मां उमिया के भक्तों को और समाज को चेतना प्रकट करने के लिए जो कोई आवश्यकताएं हैं, वह सब पूरी करने का प्रयास आप सभी के द्वारा हुआ है। और 14 साल के इस कम समय में जो व्याप बढ़ाया है, उसके लिए यहां के सभी ट्रस्टियों, कार्यवाहकों को और मां उमिया के भक्तों को भी बहुत-बहुत अभिनंदन देता हूं।

अभी हमारे मुख्यमंत्री जी ने काफी भावनात्मक बात की। उन्होंने कहा कि यह धरती हमारी माता है, और मैं अगर उमिया माता का भक्त हूं, तो मुझे इस धरती माता को पीड़ा देने की कोई वजह नहीं है। घर में हम हमारी मां को बिना वजह दवाई खिलायेंगे क्या? बिना वजह खून चढ़ाना वगैरह करेंगे क्या ? हमें पता है कि मां को जितना चाहिए, उतना ही देना होता है। पर हमने धरती मां के लिए ऐसा मान लिया कि उनको ये चाहिए, वो चाहिए... फिर मां भी ऊब जाए कि न ऊब जाए...?

और उसके चलते हम देख रहे हैं कि कितनी सारी मुसीबतें आ रही है। इस धरती मां को बचाना एक बड़ा अभियान है। हम भूतकाल में पानी की संकट में जीवन व्यतीत कर रहे थे। सूखा हमारी हमेशा की चिंता का विषय था। पर जब से हमने चेकडैम का अभियान शुरू किया, जलसंचय का अभियान शुरू किया, Per Drop More Crop, Drip Irrigation का अभियान चलाया, सौनी योजना लागू की, पानी के लिए खूब प्रयास किए।

गुजरात में मैं जब मुख्यमंत्री था और किसी और राज्य के मुख्यमंत्री से बात करता था कि हमारे यहां पानी के लिए इतना ज्यादा खर्च करना पड़ता है और इतनी सारी मेहनत करनी पड़ती है। हमारी ज्यादातर सरकार का समय पानी पहुंचाने में व्यतीत होता है। तो और राज्यों को आश्चर्य होता था, क्योंकि उनको इस मुसीबत का अनुमान नहीं था। उस मुसीबत से हम धीरे-धीरे बाहर निकले, कारण, हमने जनआंदोलन शुरू किया। आप सभी के साथ-सहकार से जन आंदोलन किया। और जनआंदोलन, जनकल्याण के लिए किया। और आज पानी के लिए जागरूकता आई है। पर फिर भी मेरा मानना है कि जल संचय के लिए हमें जरा भी उदासीन नहीं रहना चाहिए। क्योंकि यह हर बारिश से पहले करने का काम है। तालाब गहरे बनाने हैं, नालें साफ करने हैं, यह सब जितने काम करेंगे, तो ही पानी का संचय होगा और पानी धरती में उतरेगा। इसी तरह से अब कैमिकल से कैसे मुक्ति मिलें वह सोचना पड़ेगा। नहीं तो एक दिन धरती माता कहेगी कि अब बहुत हो गया.. तुम जाओ.. मुझे तुम्हारी सेवा नहीं करनी है। और कितना भी पसीना बहायेंगे, कितने ही महंगे बीज बोएंगे, कोई उपज नहीं होगी। इस धरती मां को बचाना ही पड़ेगा। और इसके लिए अच्छा है गुजरात में हमें ऐसे गवर्नर मिले हैं, जो पूरी तरह प्राकृतिक कृषि के लिए समर्पित है। मुझे तो जानकारी मिली है कि उन्होंने गुजरात के हर तालुका में जाकर प्राकृतिक कृषि के लिए अनेक किसान सम्मेलन किए। मुझे आनंद है - रुपाला जी बता रहे थे कि लाखों की संख्या में किसान प्राकृतिक कृषि की ओर बढ़े हैं और उनको प्राकृतिक कृषि अपनाने में गर्व हो रहा है। यह बात भी सही है कि खर्च भी बचता है। अब जब मुख्यमंत्री जी ने आह्वाहन किया है, कोमल और दृढ़ मुख्यमंत्री मिले हैं, तब हम सब की जिम्मेदारी है कि उनकी भावना को हम साकार करें। गुजरात के गांव-गांव में किसान प्राकृतिक कृषि के लिए आगे आये। मैंने और केशुभाई ने जिस तरह से पानी के लिए काफी परिश्रम किया, ऐसे ही भूपेन्द्र भाई अभी धरती माता के लिए परिश्रम कर रहे हैं।

इस धरती माता को बचाने की उनकी जो मेहनत है, उनमें गुजरात के सभी लोग जुड़ जाएं। और मैंने देखा है कि आप जो काम हाथ में लेते हो, उसमें कभी पीछे हटा नहीं करते। मुझे याद है कि उंझा में बेटी बचाओ की मुझे काफी चिंता थी। मां उमिया का तीर्थ हो और बेटियों की संख्या कम होती जा रही थी। फिर मैंने एक बार माता उमिया के चरणों में जाकर समाज के लोगों को इकट्ठा किया और कहा कि आप सब मुझे वचन दो कि बेटियों को बचाना है। और मुझे गर्व है कि गुजरात में मां उमिया के भक्तों ने, मां खोडल धाम के भक्तों ने और पूरे गुजरात ने इस बात को उठा लिया । और गुजरात में बेटियों को बचाने के लिए, मां के गर्भ में बेटियों की हत्या न हो, इसके लिए काफी जागरूकता आई। आज आप देख रहे हैं कि गुजरात की बेटियां क्या कमाल कर रही हैं, हमारी महेसाणा की बेटी, दिव्यांग, ओलम्पिक में जाकर झंडा लहरा के आई। इस बार ओलम्पिक में जो खिलाड़ी गये थे, उनमें 6 गुजरात की बेटियां थीं। किस को गर्व नहीं होगा-- इसलिए मुझे लगता है कि माता उमिया की सच्ची भक्ति है कि यह शक्ति हममें आती है, और इस शक्ति के सहारे हम आगे बढ़ें। प्राकृतिक कृषि पर हम जितना जोर देंगे, जितना भूपेन्द्रभाई की मदद करेंगे, हमारी यह धरती माता हरी-भरी हो उठेगी। गुजरात खिल उठेगा। आज आगे तो बढ़ा ही है, पर और खिल उठेगा।

और मेरे मन में एक दूसरा विचार भी आता है, हमारे गुजरात में बच्चें कुपोषित हो, वह अच्छा नहीं है। घर में मां कहती है कि यह खा ले, पर वो नहीं खाता। गरीबी नहीं है, पर खाने की आदतें ऐसी हैं कि शरीर पोषित ही नहीं होता। बेटी को एनिमिया हो, और बीस-बाईस-चौबीस साल में शादी करती है तो उसके पेट में कैसी संतान बड़ी होगी। अगर मां सशक्त नहीं है तो संतान का क्या होगा। इसलिए बेटियों के स्वास्थ्य की चिंता ज्यादा करनी चाहिए, और सामान्य तौर पर सभी बच्चों के स्वास्थ्य की चिंता करनी चाहिए।

मैं मानता हूं कि माता उमिया के सभी भक्तों ने गांव-गांव जाकर पांच-दस बच्चे मिल जाएंगे - किसी भी समाज के हो -- वह अब कुपोषित नहीं रहेंगे - ऐसा निर्धारण हमें करना चाहिए। क्योंकि बच्चा सशक्त होगा, तो परिवार सशक्त होगा और समाज सशक्त होगा और देश भी सशक्त होगा। आप पाटोत्सव कर रहे हैं, आज ब्लड़ डोनेशन वगैरह कार्यक्रम भी किये। अब ऐसा कीजिये गांव-गांव में मां उमिया ट्रस्ट के माध्यम से तंदुरस्त बाल स्पर्धा करें। दो, तीन, चार साल के सारे बच्चों की तपास हो और जो तंदुरस्त है, उसे इनाम दिया जाए। सारा माहौल बदल जाएगा। छोटा काम है, पर हम अच्छे से कर सकेंगे।

अभी मुझे बताया गया यहां कई सारे मैरिज हॉल बनाये गए हैं। बारह महीनों शादियाँ नहीं होती। उस जगह का क्या उपयोग होता है। हम वहां कोचिंग क्लास चला सकते हैं, गरीब बच्चे यहां आये, समाज के लोग अध्यापन करें। एक घंटे के लिए, दो घंटे के लिए, जगह का काफी उपयोग होगा। इसी तरह योग का केंद्र हो सकता है। हर सुबह मां उमिया के दर्शन भी हो जाये, घंटे-दो घंटे योग के कार्यक्रम हों, और जगह का अच्छा उपयोग हो सकता है। जगह का ज्यादा से ज्यादा उपयोग हो, तभी यह सही मायने में सामाजिक चेतना का केंद्र बनेगा। इसके लिए हमें प्रयास करना चाहिए।

यह आज़ादी के अमृत महोत्सव का समय है - एक तरह से हमारे लिए यह काफी महत्त्वपूर्ण कालखंड है। 2047 में जब देश आज़ादी के सौ साल का उत्सव मना रहा होगा, तब हम कहां होंगे, हमारा गांव कहां होगा, हमारा समाज कहां होगा, हमारा देश कहां पहुंचा होगा, यह स्वप्न और संकल्प हरेक नागरिक में पैदा होना चाहिए। और आज़ादी के अमृत महोत्सव से ऐसी चेतना हम ला सकते हैं, जिससे समाज में अच्छे कार्य हो, जिसे करने का संतोष हमारी नई पीढ़ी को मिले। और इसलिए मेरे मन में एक छोटा सा विचार आया है, कि आज़ादी के अमृत महोत्सव पर हरेक जिले में आज़ादी के 75 साल हुए हैं, इसलिए - 75 अमृत सरोवर बनाए जा सकते हैं। पुराने सरोवर है, उन्हें बड़े, गहरे और अच्छे बनाएं। एक जिले में 75. आप सोचिए, आज से 25 साल बाद जब आज़ादी की शताब्दी मनाई जा रही होगी तब वह पीढ़ी देखेगी, कि 75 साल हुए तब हमारे गांव के लोगों ने यह तालाब बनाया था। और कोई भी गांव में तालाब हो, तो ताकत होती है। पाटीदार पाणीदार तभी बनता है, जब पानी होता है। इसीलिए हम भी इस 75 तालाबों का अभियान, मां उमिया के सांनिध्य में हम उठा सकते हैं। और बड़ा काम नहीं है, हमने तो लाखों की संख्या में चेकडैम बनाए हैं, ऐसे लोग हैं हम। आप सोचिए, कितनी बड़ी सेवा होगी। 15 अगस्त 2023 से पहले काम पूरा करेंगे। समाज को प्रेरणा मिले, ऐसा कार्य होगा। मैं तो कहता हूं कि हर 15 अगस्त को तालाब के पास झंडा लहराने का कार्यक्रम भी गांव के वरिष्ठ को बुलाकर करवाना चाहिए - हम जैसे नेताओं को नहीं बुलाना। गांव के वरिष्ठ को बुलाना और ध्वजवंदन का कार्यक्रम करना।

आज भगवान रामचंद्र जी का जन्मदिवस है। हम भगवान रामचंद्र जी को याद करते हैं तो हमें शबरी याद आती है, हमें केवट याद आता है, हमें निषाद राजा याद आते हैं, समाज के ऐसे छोटे-छोटे लोगों का नाम पता चलता है कि भगवान राम मतलब ये सब। इसका मतलब ये हुआ कि समाज के पिछड़े समुदाय को जो संभालता है, वह भविष्य में लोगों के मन में आदर का स्थान प्राप्त करता है। मां उमिया के भक्त समाज के पिछड़े लोगों को अपना मानें - दुःखी, गरीब - जो भी हो, किसी भी समाज के। भगवान राम भगवान और पूर्ण पुरुषोत्तम कहलाए, उसके मूल में वे समाज के छोटे-छोटे लोगों के लिए जिस तरह से और उनके बीच में कैसे जिए उसकी महिमा कम नहीं है। मां उमिया के भक्त भी, खुद तो आगे बढ़े ही, परंतु कोई पीछे न छूट जाये, इसकी भी चिंता करें। तभी हमारा आगे बढ़ना सही रहेगा, नहीं तो जो पीछे रह जायेगा, वह आगे बढ़ने वाले को पीछे खींचेगा। तब हमें ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी, इसलिए आगे बढ़ने के साथ-साथ पीछे वालों को भी आगे लाते रहेंगे तो हम भी आगे बढ़ जाएंगे।

मेरा आप सभी को अनुरोध है कि यह आज़ादी का अमृत महोत्सव, आज भगवान राम का प्रागट्य महोत्सव और मां उमिया का पाटोत्सव और इतनी विशाल संख्या में लोग इकट्ठा हुए हैं, तब हम जिस वेग से आगे बढ़ना चाहते हैं, आप देखिए, कोरोना - कितना बड़ा संकट आया, और अभी संकट टला है, ऐसा हम मानते नहीं, क्योंकि अभी भी वह कहीं कहीं दिखाई दे जाता है। काफी बहुरूपी है, यह बीमारी। इसके सामने टक्कर लेने के लिए करीब 185 करोड़ डोज़। विश्व के लोग जब सुनते हैं तो उनको आश्चर्य होता है। यह कैसे संभव हुआ - आप सभी समाज के सहकार के कारण। इसीलिए हम जितने बड़े पैमाने पर जागरुकता लाएंगे। अब स्वच्छता का अभियान, सहज, हमारा स्वभाव क्यों न बनें, प्लास्टिक नहीं यूज करेंगे - हमारा स्वभाव क्यों न बनें, सिंगल यूज प्लास्टिक हम उपयोग में नहीं लेंगे। गौ पूजा करते हैं, मां उमिया के भक्त हैं, पशु के प्रति आदर है, पर वही अगर प्लास्टिक खाती है, तो मां उमिया के भक्त के तौर पर यह सही नहीं। यह सब बातें लेकर अगर हम आगे बढ़ते हैं, तो.. और मुझे आनंद हुआ कि आप ने सामाजिक कार्यों को जोड़ा है। पाटोत्सव के साथ पूजापाठ, श्रद्धा, आस्था धार्मिक जो भी होता है, वह होता है, पर इससे आगे बढ़कर आपने समग्र युवा पीढ़ी को साथ में लेकर जो ब्लड़ डोनेशन वगैरह जो भी कार्य किये हैं। मेरी ढ़ेर सारी शुभकामनाएं हैं। आप के बीच भले दूर से ही, पर आने का मौका मिला, मेरे लिए काफी आनंद का विषय है।

आप सबका बहुत-बहुत अभिनन्दन। मां उमिया के चरणों में प्रणाम!

धन्यवाद!

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Viksit Bharat Budget 2025-26 is a force multiplier: PM Modi
February 01, 2025
Viksit Bharat Budget 2025-26 will fulfill the aspirations of 140 crore Indians: PM
Viksit Bharat Budget 2025-26 is a force multiplier: PM
Viksit Bharat Budget 2025-26 empowers every citizen: PM
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Viksit Bharat Budget 2025-26 greatly benefits the middle class of our country: PM
Viksit Bharat Budget 2025-26 has a 360-degree focus on manufacturing to empower entrepreneurs, MSMEs and small businesses: PM

आज भारत की विकास यात्रा का एक महत्त्वपूर्ण पड़ाव है! ये 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं का बजट है, ये हर भारतीय के सपनों को पूरा करने वाला बजट है। हमने कई सेक्टर्स युवाओ के लिए खोल दिए हैं। सामान्य नागरिक, विकसित भारत के मिशन को ड्राइव करने वाला है। यह बजट एक फ़ोर्स मल्टीप्लायर है। यह बजट सेविंग्स को बढ़ाएगा, इन्वेस्टमेंट को बढ़ाएगा, कंजम्पशन को बढ़ाएगा और ग्रोथ को भी तेज़ी से बढ़ाएगा। मैं वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण जी और उनकी पूरी टीम को इस जनता जर्नादन का बजट, पीपल्स का बजट, इसके लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूँ।

साथियों,

आमतौर पर बजट का फोकस इस बात पर रहता है कि सरकार का खजाना कैसे भरेगा, लेकिन ये बजट उससे बिल्कुल उल्टा है। लेकिन ये बजट देश के नागरिकों की जेब कैसे भरेगी, देश के नागरिकों की बचत कैसे बढेगी और देश के नागरिक विकास के भागीदार कैसे बनेंगे, ये बजट इसकी एक बहुत मजबूत नींव रखता है।

साथियों,

इस बजट में रीफॉर्म की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाये गए हैं। न्यूक्लियर एनर्जी में प्राइवेट सेक्टर को बढ़ावा देने का निर्णय बहुत ही ऐतिहासिक है। ये आने वाले समय में सिविल न्यूक्लियर एनर्जी का बड़ा योगदान देश के विकास में सुनिश्चित करेगा। बजट में रोजगार के सभी क्षेत्रों को हर प्रकार से प्राथमिकता दी गई है। लेकिन मैं दो चीजों पर ध्यान आकर्षित कराना चाहूंगा, उन रीफॉर्म्स की मैं चर्चा करना चाहूँगा, जो आने वाले समय में बहुत बड़ा परिवर्तन लाने वाले हैं। एक- इंफ्रास्ट्रक्चर स्टेटस देने के कारण भारत में बड़े शिप्स के निर्माण को बढ़ावा मिलेगा, आत्मनिर्भर भारत अभियान को गति मिलेगी और हम सब जानते हैं कि शिप बिल्डिंग सर्वाधिक रोजगार देने वाल क्षेत्र है। उसी प्रकार से देश में टूरिज्म के लिए बहुत संभावना है। महत्वपूर्ण 50 टूरिस्ट डेस्टिनेशन्स, वहां पर जो होटल्स बनाएंगे, उस होटल को पहली बार इंफ्रास्ट्रक्चर के दायरे में लाकर टूरिज्म पर बहुत बल दिया है। इससे होस्पिटैलिटी सेक्टर को जो रोजगार का बहुत बड़ा क्षेत्र है और टूरिज्म जो रोजगार का सबसे बड़ा क्षेत्र है, एक प्रकार से चारों तरफ रोजगार के अवसर पैदा करने करने वाला ये क्षेत्र को ऊर्जा देने वाला काम करेगा। आज देश, विकास भी, विरासत भी इस मंत्र को लेकर चल रहा है। इस बजट में भी इसके लिए भी बहुत महत्वपूर्ण और ठोस कदम उठाए गए हैं। एक करोड़ पांडुलिपियों के संरक्षण के लिए, manuscript के लिए ज्ञान भारतम मिशन लॉन्च किया गया है। साथ ही, भारतीय ज्ञान परंपरा से प्रेरित एक नेशनल डिजिटल रिपॉजटरी बनाई जाएगी। यानी टेक्नोलॉजी का भरपूर उपयोग किया जाएगा और हमारा जो परंपरागत ज्ञान है, उसमें से अमृत निचोड़ने का भी काम होगा।

साथियों,

बजट में किसानों के लिए जो घोषणा हुई है वो कृषिक्षेत्र और समूची ग्रामीण अर्थव्यवस्था में नई क्रांति का आधार बनेगी। पीएम धन-धान्य कृषि योजना के तहत 100 जिलों में सिंचाई और इनफ्रास्ट्रक्चर का development होगा, किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट 5 लाख तक होने से उन्हें ज्यादा मदद मिलेगी।

साथियों,

अब इस बजट में 12 लाख रुपए तक की आय को टैक्स से मुक्त कर दिया गया है। सभी आय वर्ग के लोगों के लिए टैक्स में भी कमी की गई है। इसका बहुत बड़ा फायदा हमारे मिडिल क्लास को, नौकरी पेशे करने वाले जिनकी आय बंधी हुई है, ऐसे लोगों को मिडिल क्लास को इससे बहुत बड़ा लाभ होने वाला है। उसी प्रकार से जो नए-नए प्रोफेशन में आए हैं, जिनको नए नए जॉब मिले हैं, इनकम टैक्स की ये मुक्ति उनके लिए एक बहुत बड़ा अवसर बन जाएगी।

साथियों,

इस बजट में मैन्युफैक्चरिंग पर 360 डिग्री फोकस है, ताकि Entrepreneurs को, MSMEs को, छोटे उद्यमियों को मजबूती मिले और नई Jobs पैदा हों। नेशनल मैन्युफैक्चरिंग मिशन से लेकर क्लीनटेक, लेदर, फुटवियर, टॉय इंडस्ट्री जैसे अनेक सेक्टर्स को विशेष समर्थन दिया गया है। लक्ष्य साफ है कि भारतीय प्रोडक्ट्स, ग्लोबल मार्केट में अपनी चमक बिखेर सकें।

साथियों,

राज्यों में इन्वेस्टमेंट का एक वाइब्रेंट कंपटीटिव माहौल बने, इस पर बजट में विशेष जोर दिया गया है। MSMEs और स्टार्टअप्स के लिए क्रेडिट गारंटी को दोगुना करने की घोषणा भी हुई है। देश के SC, ST और महिला उद्यमी, जो नए उद्यमी बनना चाहते हैं, उनको 2 करोड़ रुपए तक के लोन की योजना भी लाई गई है और वो भी बिना गारंटी। इस बजट में, new age इकॉनॉमी को ध्यान में रखते हुए gig workers के लिए बहुत बड़ी घोषणा की गई है। पहली बार gig workers, का ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। इसके बाद इन साथियों को स्वास्थ्य सेवा और दूसरी सोशल सिक्योरिटी स्कीम्स का लाभ मिलेगा। ये डिग्निटी ऑफ लेबर इसके प्रति, श्रमेव जयते के प्रति सरकार के कमिटमेंट को दर्शाता है। रेगुलेटरी रिफॉर्म्स से लेकर फाइनांशियल रिफॉर्म्स जन विश्वास 2.0 जैसे कदमों से मिनिमम गवर्नमेंट और ट्रस्ट बेस्ड गवर्नेंस के हमारे कमिटमेंट को और बल मिलेगा।

साथियों,

ये बजट न केवल देश की वर्तमान आवश्यकताओं को ध्यान में रखता है, बल्कि हमें भविष्य की तैयारी करने में भी मदद करता है। स्टार्टअप के लिए डीप टेक फंड, जियोस्पेशियल मिशन और न्यूक्लियर एनर्जी मिशन ऐसे ही महत्वपूर्ण कदम हैं। मैं सभी देशवासियों को एक बार फिर इस ऐतिहासिक पीपल्स बजट की बधाई देता हूँ और फिर एक बार वित्त मंत्री जी को भी बहुत-बहुत बधाई देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद!