Published By : Admin | February 29, 2024 | 13:15 IST
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Inaugurates six community development projects at the Agalega Island
“Mauritius is a valued friend of India. Projects being inaugurated today will further bolster the partnership between our countries”
“Mauritius is an important partner of our Neighborhood First policy”
“India has always been the first responder to its friend Mauritius”
“India and Mauritius are natural partners in the field of maritime security”
“Mauritius will be the first country to join our Jan Aushadhi initiative. With this, the people of Mauritius will get the benefit of better quality Made-in-India generic medicines”
মহামান্য প্রধানমন্ত্রী প্রবীন্দ জনগন্নাথজি, মরিশাস মন্ত্রিসভার উপস্থিত সদস্যগণ, ভারতের বিদেশমন্ত্রী ডঃ জয়শঙ্কর আজ এই সমারোহের সঙ্গে যুক্ত আগলেগার জনগণ ও সমস্ত বন্ধুগণ,
নমস্কার !
বিগত ৬ মাসে, প্রধানমন্ত্রী জগন্নাথ এবং আমার এটি পঞ্চম সাক্ষাৎ। এটি ভারত এবং মরিশাসের মধ্যে স্পন্দিত, শক্তিশালী এবং অনন্য অংশীদারিত্বের প্রমাণ। মরিশাস আমাদের ‘প্রতিবেশী সবার আগে’ নীতির গুরুত্বপূর্ণ অংশীদার। আমাদের ‘ভিশন সাগর’ প্রকল্পের অন্তর্গত মরিশাস আমাদের বিশিষ্ট সহযোগী। গ্লোবাল সাউথের সদস্য হওয়ার ফলে আমাদের দু-দেশের অগ্রাধিকার একই রকম। বিগত ১০ বছরে আমাদের সম্পর্কে অভূতপূর্ব গতি এসেছে। আমাদের পারস্পরিক সহযোগিতা নতুন নতুন উচ্চতা স্পর্শ করেছে যা আমাদের সাংস্কৃতিক এবং ঐতিহাসিক সম্পর্ককে নতুন স্বরূপ প্রদান করেছে। আমাদের জনগণ আগে থেকেই ভাষা এবং সংস্কৃতির সোনালী সুতোয় পরস্পরের সঙ্গে যুক্ত। কিছুদিন আগেই আমরা ইউপিআই এবং রূপে কার্ড-এর মতো মাধ্যমে মরিশাসকে আধুনিক ডিজিটাল কানেক্টিভিটি প্রদান করেছি।
ডেভেলপমেন্ট পার্টনারশিপ বা ‘উন্নয়ন অংশীদারিত্ব’ আমাদের কূটনৈতিক সম্পর্কের গুরুত্বপূর্ণ স্তম্ভ। আমাদের উন্নয়ন অংশীদারিত্ব মরিশাসের বিভিন্ন অগ্রাধিকারের ওপর ভিত্তিক করে গড়ে উঠেছে। তা সে মরিশাসের ই.ই.জেড নিরাপত্তা সংক্রান্ত প্রয়োজনগুলিই হোক কিংবা স্বাস্থ্য সুরক্ষা, ভারত সর্বদাই মরিশাসের প্রয়োজনগুলিকে সম্মান জানিয়েছে। তা সে কোভিড মহামারীর সংকট হোক কিংবা ‘অয়েল স্পিল’ : ভারত সর্বদাই তার মিত্রদেশ মরিশাসের জন্য ‘ফাস্ট রেসপনডার’-এর ভূমিকা পালন করেছে। মরিশাসের সাধারণ মানুষের জীবনে যাতে সার্থক পরিবর্তন আসে এটাই আমাদের সমস্ত প্রচেষ্টার মূল উদ্দেশ্য। বিগত ১০ বছরে প্রায় ১০০০ মিলিয়ন ডলারের ক্রেডিট লাইন আর ৪০০ মিলিয়ন ডলারের সাহায্য মরিশাসের জনগণের জন্য পাঠানো হয়েছে। মরিশাসে মেট্রো লাইন উন্নয়ন থেকে শুরু করে বিভিন্ন সামাজিক উন্নয়ন প্রকল্পে, বিভিন্ন গৃহ নির্মাণ প্রকল্পে ইএনটি হাসপাতাল, সিভিল সার্ভিস কলেজ এবং স্পোর্টস কমপ্লেক্স-এর মতো পরিকাঠামো নির্মাণ প্রকল্পে অংশীদারিত্বের সৌভাগ্য আমাদের হয়েছে।
বন্ধুগণ,
আজকের এই দিনটি আমাদের উন্নয়ন অংশীদারিত্বের ক্ষেত্রে অত্যন্ত গুরুত্বপূর্ণ। আমি আন্তরিকভাবে আনন্দিত যে ২০১৫ সালে আগলেগার জনগণের উন্নয়নের জন্য আমি যে প্রতিশ্রুতি দিয়েছিলাম আজ আমরা সেগুলি বাস্তবায়িত হতে দেখছি। ভারতে আজকাল এই প্রক্রিয়াকে ‘মোদি কি গ্যারান্টি’ বা মোদির গ্যারান্টি বলা হচ্ছে। আমার দৃঢ় বিশ্বাস আমরা আজ একসঙ্গে যে পরিষেবাগুলির উদ্বোধন করলাম সেগুলির মাধ্যমে আপনাদের ‘ইজ অফ লিভিং’ বৃদ্ধি পাবে। মরিশাসের উত্তর এবং দক্ষিণ এলাকাগুলির মধ্যে যোগাযোগ বাড়বে। মূল ভূখণ্ডের সঙ্গে প্রশাসনিক সহযোগিতা সহজ হবে। সামাজিক এবং অর্থনৈতিক উন্নয়নও ত্বরান্বিত হবে। স্বাস্থ্য উপাচারের জন্য ও ইমার্জেন্সি এভাকুয়েশন এবং শিক্ষার জন্য স্কুলের ছাত্রছাত্রীদের যাতায়াত সহজ হবে।
বন্ধুগণ,
ভারত মহাসাগর ক্ষেত্রে অনেক পরম্পরাগত এবং অপরম্পরাগত সমস্যার উদ্রেগ হচ্ছে। এই সমস্ত সমস্যা আমাদের অর্থনীতিকে প্রভাবিত করছে। এই সমস্যাগুলি সমাধানের জন্য ভারত এবং মরিশাস মেরিটাইম সিকিউরিটি বা সামুদ্রিক নিরাপত্তা ক্ষেত্রে স্বাভাবিক অংশীদার। ভারত মহাসাগর ক্ষেত্রে নিরাপত্তা, সমৃদ্ধি এবং স্থিরতা নিশ্চিত করতে আমরা সক্রিয়রূপে কাজ করছি। ‘এক্সক্লুসিভ ইকোনমিক জোন’-এর তদারকি, যৌথ পেট্রোলিং, হাইড্রোগ্রাফি আর মানবিক সহায়তা ও বিপর্যয়ে ত্রাণ ও সুরক্ষা সকল ক্ষেত্রে আমরা মিলেমিশে সহযোগিতা করছি। আজ আগলেগা-তে এয়ারস্টিপ এবং জেটি উদ্বোধনের মাধ্যমে আমাদের পারস্পরিক সহযোগিতা আরও বৃদ্ধি পাবে। এর ফলে মরিশাসের ব্লু ইকোনমি বা সমুদ্র নির্ভর অর্থনীতি আরও শক্তিশালী হবে।
বন্ধুগণ,
আমি মহামান্য প্রধানমন্ত্রী জগন্নাথজির প্রশংসা করছি যে তিনি মরিশাসে ভারতের মতো ‘জন ঔষধি কেন্দ্র’ খোলার সিদ্ধান্ত নিয়েছেন। এভাবে মরিশাস-ই প্রথম দেশ যারা আমাদের এই জন ঔষধি উদ্যোগের সঙ্গে যুক্ত হচ্ছে। এর ফলে মরিশাসের জনগণ ভারতে নির্মিত উন্নতমানের জেনেরিক ঔষধের দ্বারা উপকৃত হবেন। মহামান্য প্রধানমন্ত্রী প্রবীন্দ জগন্নাথজি, আপনার দূরদর্শী চিন্তাভাবনা এবং ডায়নামিক নেতৃত্বের জন্য আমি আপনাকে অভিনন্দন জানাই। আমার দৃঢ় বিশ্বাস যে আগামীদিনেও আমরা সবাই মিলে ভারত ও মরিশাসের সম্পর্ককে আরও নতুন উচ্চতায় পৌঁছে দিতে থাকবো। আমি আর একবার আপনাদের সবাইকে অনেক অনেক ধন্যবাদ জানাই।
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM
जय जगन्नाथ!
जय जगन्नाथ!
केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।
ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।
मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।
ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।
साथियों,
ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।
साथियों,
ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।
साथियों,
उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।
साथियों,
ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।
साथियों,
इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।
साथियों,
ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।
साथियों,
एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।
साथियों,
ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।
साथियों,
ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।
साथियों,
हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
साथियों,
ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।
साथियों,
ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।
साथियों,
हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।
साथियों,
ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।
साथियों,
हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।
साथियों,
ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।
साथियों,
हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।
साथियों,
कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।
साथियों,
आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।