PM inaugurates four Particularly Vulnerable Tribal Groups skilling centres under PM Kaushal Vikas Yojana
‘India’s daughters and mothers are my ‘raksha kawach’ (protective shield)’
“In today's new India, the flag of women’s power is flying from Panchayat Bhawan to Rashtrapati Bhavan”
“I have confidence that you will face all the adversity but will not allow any harm to come to Cheetahs”
“Women power has become the differentiating factor between the India of the last century and the new India of this century”
“Over a period of time, ‘Self Help Groups’ turn into ‘Nation Help Groups’”
“Government is working continuously to create new possibilities for women entrepreneurs in the village economy”
“There will be always some item made from coarse grains in the menu of visiting foreign dignitaries”
“Number of women in the police force across the country has doubled from 1 lakh to more than 2 lakhs”

भारत माता की - जय,

भारत माता की - जय,

भारत माता की - जय,

मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्रीमान मंगुभाई पटेल, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्रीमान शिवराज सिंह जी चौहान, केंद्रीय मंत्रिपरिषद के मेरे साथीगण, मध्य प्रदेश सरकार के मंत्रीगण, सांसद और विधायक साथी, विशाल संख्या में पधारे हुए अन्य सभी महानुभाव और आज इस कार्यक्रम के केंद्र बिंदु में है, जिनके लिए ये कार्यक्रम है, ऐसी बहुत बड़ी संख्या में उपस्थित स्वयं सहायता समूह से जुड़ी माताओं-बहनों को प्रणाम!

आप सभी का स्वयं सहायता समूह सम्मेलन में बहुत-बहुत स्वागत है। अभी हमारे मुख्यमंत्री जी ने, हमारे नरेन्द्र सिंह जी तोमर ने मेरे जन्मदिवस को याद किया। मुझे ज्यादा याद नहीं रहता है, लेकिन अगर सुविधा रही, अगर कोई कार्यक्रम जिम्मे नहीं है तो आमतौर पर मेरा प्रयास रहता है कि मेरी मां के पास जाऊं, उनको चरण छुकर के आर्शीवाद लूं। लेकिन आज मैं मां के पास तो नहीं जा सका। लेकिन मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचल के, अन्य समाज के गांव-गांव में मेहनत करने वाली ये लाखों माताएं आज मुझे यहां आर्शीवाद दे रही हैा। ये दृश्य आज मेरी मां जब देखेगी, उसको जरूर संतोष होगा कि भले बेटा आज उसके पास तो नहीं गया, लेकिन लाखों माताओं ने मुझे आर्शीवाद दिया है। मेरी मां को आज ज्यादा प्रसन्न्ता होगी। आप इतनी बड़ी तादाद में माताएं-बहनें, बेटियां ये आपका आशीर्वाद हम सबके लिए बहुत बड़ी ताकत है। एक बहुत बड़ी ऊर्जा है, motivation है। और मेरे लिए तो देश की माताएं बहनें, देश की बेटियां वो मेरा सबसे बड़ा रक्षाकवच है। शक्ति का स्त्रोत है, मेरी प्रेरणा है।

इतनी बड़ी विशाल संख्या में आए भाई-बहन आज एक और महत्वपूर्ण दिवस है। आज विश्वकर्मा पूजा भी हो रही है। विश्वकर्मा जयंती पर स्वयं सहायता समूहों का इतना बड़ा सम्मेलन, अपने आप में एक बहुत बड़ी विशेषता के रूप में मैं देखता हूं। मैं आप सभी को, सभी देशवासियों को विश्वकर्मा पूजा की भी अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। मुझे आज इस बात की भी खुशी है कि भारत की धरती पर अब 75 साल बाद चीता फिर से लौट आया है। अब से कुछ देर पहले मुझे कुनो नेशनल पार्क में चीतों को छोड़ने का सौभाग्य मिला। मैं आप सबसे आग्रह करता हूं। करूं आग्रह? आप जवाब दें तो करूं? आग्रह करूं? आग्रह करूं सबको? ये मंच वालों को भी आग्रह करूं? सबका कहना है कि मैं आग्रह करूं। आज इस मैदान से हम पूरे विश्व को एक संदेश देना चाहते हैं। आज जब आठ चीते 75 साल करीब-करीब उसके बाद हमारी देश की धरती पर लौट आए हैं। दूर अफ्रीका से आए हैं। लंबी सफर करके आए हैं। हमारे बहुत बड़े मेहमान आए हैं। इन मेहमानों के सम्मान में मैं एक काम कहता हूं करोगे? इन मेहमानों के सम्मान में हम सब अपनी जगह पर खड़े होकर दोनों हाथ ऊपर करके ताली बजाकर के हमारे मेहमानों को स्वागत करें। जोर से ताली बजाएं और जिन्होंने हमें ये चीते दिए हैं। उन देशवासियों का भी हम धन्यवाद करते हैं। जिन्होंने लंबे अर्से के बाद हमारी ये कामना पूरी की है। जोरों से ताली बजाइये साथियों। इन चीतों के सम्मान में ताली बाजाइये। मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं।

मैं देश के लोगों को, मध्य प्रदेश के लोगों को इस ऐतिहासिक अवसर पर बहुत-बहुत बधाई देता हूं। लेकिन इससे भी ज्यादा मैं आप सबको, इस इलाके के नागरिकों को एक विशेष बधाई देता हूं। हिन्दुस्तान तो बहुत बड़ा है। जंगल भी बहुत है। वन्य पशु भी बहुत जगह पर हैं। लेकिन ये चीते आपके यहां आने का भारत सरकार ने निर्णय क्यों किया? क्या कभी आपने सोचा है? यही तो सबसे बड़ी बात है। ये चीता आपको सुपुर्द इसलिए किया है कि आप पर हमारा भरोसा है। आप मुसीबत झेलेंगे, लेकिन चीते पर मुसीबत नहीं आने देंगे, ये मेरा विश्वास है। इसी के कारण आज मैं आप सबको ये आठ चीतों की जिम्मेदारी सुपुर्द करने के लिए आया हूं, और मुझे पूरा विश्वास है इस देश के लोगों ने कभी मेरे भरोसे को तोड़ा नहीं है। मध्य प्रदेश के लोगों ने कभी भी मेरे भरोसे पर आंच नहीं आने दी है और ये श्योपुर इलाके के लोगों को भी मुझे पूरा भरोसा है कि मेरे भरोसे पर आंच नहीं आने देंगे। आज मध्य प्रदेश में स्वयं सहायता समूहों द्वारा राज्य में 10 लाख पौधों का रोपण भी किया जा रहा है। पर्यावरण की रक्षा के लिए आप सभी का ये संगठित प्रयास, भारत का पर्यावरण के प्रति प्रेम, पौधे में भी परमात्मा देखने वाला मेरा देश आज आपके इन प्रयासों से भारत को एक नई ऊर्जा मिलने वाली है।

साथियों,

पिछली शताब्दी के भारत और इस शताब्दी के नए भारत में एक बहुत बड़ा अंतर हमारी नारी शक्ति के प्रतिनिधित्व के रूप में आया है। आज के नए भारत में पंचायत भवन से लेकर राष्ट्रपति भवन तक नारीशक्ति का परचम लहरा रहा है। मुझे बताया गया है कि यहां श्‍योपुर जिले में एक मेरी आदिवासी बहन, जिला पंचायत की अध्‍यक्ष के रूप में काम कर रही हैं। हाल ही में संपन्‍न हुए पंचायत चुनावों में पूरे मध्य प्रदेश में लगभग 17 हज़ार बहनें जनप्रतिनिधि के रूप में चुनी गई हैं। ये बड़े बदलाव का संकेत है, बड़े परिवर्तन का आह्वान है।

साथियों,

आजादी की लड़ाई में सशस्त्र संघर्ष से लेकर सत्याग्रह तक, देश की बेटियां किसी से पीछे नहीं रहीं हैं। आज जब भारत अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। तब हमने, हम सबने देखा है कैसे जब हर घर में तिरंगा फहरा तो उसमें आप सभी बहनों ने, महिला स्वयं सहायता समूहों ने कितना बड़ा काम किया है। आपके बनाए तिरंगों ने राष्ट्रीय गौरव के इस क्षण को चार चांद लगा दिये। कोरोना काल में, संकट की उस घड़ी में मानव मात्र की सेवा करने के इरादे से आपने बहुत बड़ी मात्रा में मास्क बनाएं, पीपीई किट्स बनाने से लेकर लाखों-लाख तिरंगे यानि एक के बाद एक हर काम में देश की नारीशक्ति ने हर मौके पर, हर चुनौती को अपनी उद्यमिता के कारण देश में नया विश्वास पैदा किया और नारीशक्ति का परिचय दे दिया है। और इसलिए आज मैं बहुत जिम्मेदारी के साथ एक स्टेटमेंट करना चाहता हूं। बडी जिम्मेदारी के साथ करना चाहता हूं। पिछले 20-22 साल के शासन व्यवस्था के अनुभव के आधार पर कहना चाहता हूं। आपके समूह का जब जन्म होता है। 10-12 बहनें इकट्ठी होकर के कोई काम शुरू करती हैं। जब आपका इस एक्टिविटी के लिए जन्म होता है। तब तो आप स्वयं सहायता समूह होते हैं। जब आपके कार्य की शुरूआत होती है। एक-एक डग रखके काम शुरू करते हैं। कुछ पैसे इधर से कुछ पैसे इधर से इकट्ठे करके कोशिश करते हैं तब तक तो आप स्वंय सहायता समूह हैं। लेकिन मैं देखता हूं आपके पुरुषार्थ के कारण, आपके संकल्प के कारण देखते ही देखते ये स्वयं सहायता समूह राष्ट्र सहायता समूह बन जाते हैं। और इसलिए कल आप स्वयं सहायता समूह होंगे, लेकिन आज आप राष्ट्र सहायता समूह बन चुके हैं। राष्ट्र की सहायता कर रहे हैं। महिला स्वयं सहायता समूहों की यही ताकत आज़ादी के अमृतकाल में विकसित भारत, आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में बहुत अहम भूमिका बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए आज प्रतिबद्ध है, कटिबद्ध है।

साथियों,

मेरा ये अनुभव रहा है कि जिस भी सेक्टर में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा है, उस क्षेत्र में, उस कार्य में सफलता अपने आप तय हो जाती है। स्वच्छ भारत अभियान की सफलता इसका बेहतरीन उदाहरण है, जिसको महिलाओं ने नेतृत्व दिया है। आज गांवों में खेती हो, पशुपालन का काम हो, डिजिटल सेवाएं हों, शिक्षा हो, बैंकिंग सेवाएं हों, बीमा से जुड़ी सेवाएं हों, मार्केटिंग हो, भंडारण हो, पोषण हो, अधिक से अधिक क्षेत्रों में बहनों-बेटियों को प्रबंधन से जोड़ा जा रहा है। मुझे संतोष है कि इसमें दीन दयाल अंत्योदय योजना महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। हमारी आज जो बहनें हैं, उसका भी काम देखिए, कैसे-कैसे विविध मोर्चों को संभालती है। कुछ महिलाएं पशु सखी के रूप में, कोई कृषि सखी के रूप में, कोई बैंक सखी के रूप में, कोई पोषण सखी के रूप में, ऐसी अनेक सेवाओं की ट्रेनिंग लेकर वे शानदार काम कर रही हैं। आपके सफल नेतृत्व, सफल भागीदारी का एक उत्तम उदाहरण जल जीवन मिशन भी है। अभी मुझे एक बहन से कुछ बातचीत करने का मौका भी मिला। हर घल पाइप से जल पहुंचाने के इस अभियान में सिर्फ 3 वर्षों में 7 करोड़ नए पानी के कनेक्शन दिए जा चुके हैं। इनमें से मध्य प्रदेश में भी 40 लाख परिवारों को नल से जल पहुंचाया जा चुका है और जहां-जहां नल से जल पहुंच रहा है, वहां माताएं-बहनें डबल इंजन की सरकार को बहुत आशीर्वाद देती हैं। मैं इस सफल अभियान का सबसे अधिक श्रेय मेरे देश की माताओं-बहनों को आपको देता हूं। मुझे बताया गया है कि मध्य प्रदेश में 3 हज़ार से अधिक नल जल परियोजनाओं का प्रबंधन आज स्वयं सहायता समूहों के हाथ में है। वे राष्ट्र सहायता समूह बन चुके हैं। पानी समितियों में बहनों की भागीदारी हो, पाइपलाइन का रख-रखाव हो या पानी से जुड़ी टेस्टिंग हो, बहनें-बेटियां बहुत ही प्रशंसनीय काम कर रही हैं। ये जो किट्स आज यहां दी गई हैं, ये पानी के प्रबंधन में बहनों-बेटियों की भूमिका को बढ़ाने का ही प्रयास है।

साथियों,

पिछले 8 वर्षों में स्वयं सहायता समूहों को सशक्त बनाने में हमने हर प्रकार से मदद की है। आज पूरे देश में 8 करोड़ से अधिक बहनें इस अभियान से जुड़ चुकी हैं। मतलब एक प्रकार से आठ करोड़ परिवार इस काम में जुड़े हुए हैं। हमारा लक्ष्य है कि हर ग्रामीण परिवार से कम से कम एक महिला, एक बहन हो, बेटी हो, मां हो इस अभियान से जुड़े। यहां मध्य प्रदेश की भी 40 लाख से अधिक बहनें स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं। राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत 2014 से पहले के 5 वर्षों में जितनी मदद दी गई, बीते 7 साल में उसमें लगभग 13 गुणा बढ़ोतरी हुई है। हर सेल्फ हेल्प ग्रुप को पहले जहां 10 लाख रुपए तक का बिना गारंटी का ऋण मिलता था, अब ये सीमा भी दोगुनी यानि 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख की गई है। फूड प्रोसेसिंग से जुड़े सेल्फ हेल्प ग्रुप को नई यूनिट लगाने के लिए 10 लाख रुपए से लेकर 3 करोड़ रुपए तक की मदद दी जा रही है। देखिए माताओं-बहनों पर, उनकी ईमानदारी पर, उनके प्रयासों पर, उनकी क्षमता पर कितना भरोसा है सरकार का कि इन समूहों को 3 करोड़ रुपया देने के लिए तैयार हो जाते हैं।

साथियों,

गांव की अर्थव्यवस्था में, महिला उद्यमियों को आगे बढ़ाने के लिए, उनके लिए नई संभावनाएं बनाने के लिए हमारी सरकार निरंतर काम कर रही है। वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट के माध्यम से हम हर जिले के लोकल उत्पादों को बड़े बाज़ारों तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। इसका बहुत बड़ा लाभ विमेन सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को भी हो रहा है। थोड़ी देर पहले यहां वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट अभियान से जुड़ी बहनों के साथ मुझे बातचीत करने का मौका मिला। कुछ उत्पाद को देखने का मौका मिला और कुछ उत्पाद उन्होंने मुझे उपहार में भी दिए हैं। ग्रामीण बहनों द्वारा बनाए गए ये उत्पाद मेरे लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए अनमोल हैं। मुझे खुशी है कि यहां मध्य प्रदेश में हमारे शिवराज जी की सरकार ऐसे उत्पादों को बाजार तक पहुंचाने के लिए विशेष प्रयास कर रही है। सरकार ने अनेक ग्रामीण बाज़ार स्वयं सहायता समूह से जुड़ी बहनों के लिए ही बनाए हैं। मुझे बताया गया है कि इन बाज़ारों में स्वयं सहायता समूहों ने 500 करोड़ रुपए से अधिक के उत्पादों की बिक्री की है। 500 करोड़, यानि इतना सारा पैसा आपकी मेहनत से गांव की बहनों के पास पहुंचा है।

साथियों,

आदिवासी अंचलों में जो वन उपज हैं, उनको बेहतरीन उत्पादों में बदलने के लिए हमारी आदिवासी बहनें प्रशंसनीय काम कर रही हैं। मध्य प्रदेश सहित देश की लाखों आदिवासी बहनें प्रधानमंत्री वनधन योजना का लाभ उठा रही हैं। मध्य प्रदेश में आदिवासी बहनों द्वारा बनाए बेहतरीन उत्पादों की बहुत अधिक प्रशंसा भी होती रही है। पीएम कौशल विकास योजना के तहत आदिवासी क्षेत्रों में नए स्किलिंग सेंटर्स से इस प्रकार के प्रयासों को और बल मिलेगा।

माताओं-बहनों,

आजकल ऑनलाइन खरीदारी का प्रचलन बढ़ रहा है। इसलिए सरकार का जो GeM यानि गवर्नमेंट ई-मार्केट प्लेस पोर्टल है, उस पर भी आपके उत्पादों के लिए, ‘सरस’ नाम से विशेष एक स्थान रखा गया है। इसके माध्यम से आप अपने उत्पाद सीधे सरकार को, सरकारी विभागों को बेच सकते हैं। जैसे यहां श्योपुर में लकड़ी पर नक्काशी का इतना अच्छा काम होता है। इसकी देश में बहुत बड़ी डिमांड है। मेरा आग्रह है कि आप अधिक से अधिक इसमें खुद को, अपने उत्पादों को ये GeM में रजिस्टर करवाइये।

साथियों,

सितंबर का ये महीना देश में पोषण माह के रूप में मनाया जा रहा है। भारत की कोशिशों से संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अगला वर्ष अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मोटे अन्नाज के वर्ष के रूप में मनाने की घोषणा की है। मध्य प्रदेश तो पोषण से भरे इस मोटे अनाज के मामले में देश के अग्रणी राज्यों में है। विशेष रूप से हमारे आदिवासी अंचलों में इसकी एक समृद्ध परिपाटी है। हमारी सरकार द्वारा कोदो, कुटकी, ज्वार, बाजरा और रागी जैसे मोटे अनाज को निरंतर प्रोत्साहित किया जा रहा है, और मैंने तो तय किया है अगर भारत सरकार में किसी विदेशी मेहमान के लिए खाना देना है तो उसमें कुछ न कुछ तो मोटे अनाज का होना ही चाहिए। ताकि मेरा जो छोटा किसान काम करता है। वो विदेशी मेहमान की थाली में भी वो परोसा जाना चाहिए। स्वयं सहायता समूहों के लिए इसमें बहुत अधिक अवसर हैं।

साथियों,

एक समय था, जब घर-परिवार के भीतर ही माताओं-बहनों की अनेक समस्याएं थीं, घर के फैसलों में भूमिका बहुत सीमित होती थी। अनेक घर ऐसे होते थे अगर बाप और बेटा बात कर रहे हैं व्यापार की, काम की और अगर मां घर से किचन में से बाहर आ गई तो तुरंत बेटा बोल देता है या तो बाप बोल देता है-जा जा तू रसोड़े में काम कर, हमको जरा बात करने दे। आज ऐसा नहीं है। आज माताओं-बहनों के विचार सुझाव परिवार में भी उसका महत्व बढ़ने लगा है। लेकिन इसके पीछे योजनाबद्ध तरीके से हमारी सरकार ने प्रयास किए हैं। पहले ऐसे सोचे-समझे प्रयास नहीं होते थे। 2014 के बाद से ही देश, महिलाओं की गरिमा बढ़ाने, महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों के समाधान में जुटा हुआ है। शौचालय के अभाव में जो दिक्कतें आती थीं, रसोई में लकड़ी के धुएं से जो तकलीफ होती थी, पानी लेने के लिए दो-दो, चार-चार किलोमीटर जाना पड़ता था। आप ये सारी बातें अच्छी तरह जानती हैं। देश में 11 करोड़ से ज्यादा शौचालय बनाकर, 9 करोड़ से ज्यादा उज्जवला के गैस कनेक्शन देकर और करोड़ों परिवारों में नल से जल देकर के आपका जीवन आसान बनाया है।

माताओं-बहनों,

गर्भावस्था के दौरान कितनी समस्याएं थीं, ये आप बेहतर जानती हैं। ठीक से खाना-पीना भी नहीं हो पाता था, चेकअप की सुविधाओं का भी अभाव था। इसलिए हमने मातृवंदना योजना शुरु की। इसके तहत 11 हजार करोड़ रुपए से अधिक सीधे गर्भवती महिलाओं के बैंक खातों में ट्रांसफर किए गए। मध्य प्रदेश की भी बहनों को इसके तहत करीब 1300 करोड़ रुपए ऐसी गर्भवती महिलाओं के खाते में पहुंचे हैं। आयुष्मान भारत योजना के तहत मिल रहे 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज ने भी गरीब परिवार की बहनों की बहुत बड़ी मदद की है।

माताओं-बहनों,

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान के अच्छे परिणाम आज देश अनुभव कर रहा है। बेटियां ठीक से पढ़ाई कर सकें, उनको स्कूल बीच में छोड़नी ना पड़े, इसके लिए स्कूलों में बेटियों के लिए अलग से शौचालय बनाए, सेनिटेरी पैड्स की व्यवस्था की गई। सुकन्या समृद्धि योजना के तहत लगभग ढाई करोड़ बच्चियों के अकाउंट खोले गए हैं।

साथियों,

आज जनधन बैंक खाते देश में महिला सशक्तिकरण के बहुत बड़े माध्यम बने हैं। कोरोना काल में सरकार अगर आप बहनों के बैंक खाते में सीधे पैसा ट्रांसफर कर पाई है, तो उसके पीछे जनधन अकाउंट की ताकत है। हमारे यहां संपत्ति के मामले में ज्यादातर नियंत्रण पुरुषों के पास ही रहता है। अगर खेत है तो पुरुष के नाम पर, दुकान है तो पुरुष के नाम पर, घर है तो पुरुष के नाम पर, गाड़ी है तो पुरुष के नाम पर, स्कूटर है तो पुरुष के नाम पर, महिला के नाम पर कुछ नहीं और पति नहीं रहे तो बेटे के नाम पर चला जाए। हमने इस परिपाटी को खत्म करके मेरी माताओं-बहनों को ताकत दी है। आज प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिलने वाला घर हम सीधा सीधा महिलाओं के नाम पर देते हैं। महिला उसकी मालिक बन जाती है। हमारी सरकार ने देश की 2 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को अपने घर की मालकिन बनाया है। ये बहुत बड़ा काम है माताओं-बहनों। मुद्रा योजना के तहत भी अभी तक देशभर में 19 लाख करोड़ रुपए का बिना गारंटी का ऋण छोटे-छोटे व्यापार-कारोबार के लिए दिया जा चुका है। ये जो पैसा है उसमें से लगभग 70 प्रतिशत मेरी माताएं-बहनें जो उद्यम करती हैं उन्होंने प्राप्त किया है। मुझे खुशी है कि सरकार के ऐसे प्रयासों के कारण आज घर के आर्थिक फैसलों में महिलाओं की भूमिका बढ़ रही है।

साथियों,

महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण उन्हें समाज में भी उतना ही सशक्त बनाता है। हमारी सरकार ने बेटियों के लिए सारे, जितने दरवाजे बंद थे ना, सारे दरवाजे को खोल दिए हैं। अब बेटियां सैनिक स्कूलों में भी दाखिल हो रही हैं, पुलिस कमांडो में जाकर के देश की सेवा कर रही हैं। इतना ही नहीं सीमा पर भारत मां की बेटी, भारत मां की रक्षा करने का काम फौज में जाकर कर रही है। पिछले 8 वर्षों में देशभर की पुलिस फोर्स में महिलाओं की संख्या 1 लाख से बढ़कर दोगुनी यानि 2 लाख से भी अधिक हो चुकी है। केंद्रीय बलों में भी अलग-अलग जो सुरक्षा बल हैं, आज हमारी 35 हज़ार से अधिक बेटियां देश के दुश्मनों से, आतंकवादियों से टक्कर ले रही हैं दोस्तों। आतंकवादियों को धूल चटा रही हैं। ये संख्या 8 साल पहले की तुलना में लगभग दोगुनी हो गई है। यानि परिवर्तन आ रहा है, हर क्षेत्र में आ रहा है। मुझे आपकी ताकत पर पूरा भरोसा है। सबका प्रयास से एक बेहतर समाज और सशक्त राष्ट्र बनाने में हम ज़रूर सफल होंगे। आप सब ने इतनी बड़ी संख्या में आकर के हमें आशीर्वाद दिए हैं। आपके लिए अधिक काम करने की आपने मुझे प्रेरणा दी है। आपने मुझे शक्ति दी है। मैं आपका हृदय से बहुत-बहुत आभार करता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं।

मेरे साथ दोनों हाथ ऊपर करके जोर से बोलिये,

भारत माता की - जय,

भारत माता की - जय,

भारत माता की - जय,

भारत माता की - जय,

बहुत-बहुत धन्यवाद!

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PM Modi visits the Indian Arrival Monument
November 21, 2024

Prime Minister visited the Indian Arrival monument at Monument Gardens in Georgetown today. He was accompanied by PM of Guyana Brig (Retd) Mark Phillips. An ensemble of Tassa Drums welcomed Prime Minister as he paid floral tribute at the Arrival Monument. Paying homage at the monument, Prime Minister recalled the struggle and sacrifices of Indian diaspora and their pivotal contribution to preserving and promoting Indian culture and tradition in Guyana. He planted a Bel Patra sapling at the monument.

The monument is a replica of the first ship which arrived in Guyana in 1838 bringing indentured migrants from India. It was gifted by India to the people of Guyana in 1991.