Lays foundation stone and dedicates to nation projects worth around Rs. 17,000 crores Inaugurates integrated eGramSwaraj and GeM portal for public procurement at Panchayat level Hands over around 35 lakh SVAMITVA Property Cards Participates in ‘Griha Pravesh’ of more than 4 lakh beneficiaries under PMAY–G Lays foundation stone and dedicates to nation various railway projects worth around Rs 2300 crores Lays foundation stone of projects worth about Rs 7,000 crore under the Jal Jeevan Mission “Panchayati Raj institutions fulfill the development aspirations of our citizens while promoting the spirit of democracy” “In Amrit Kaal, we have dreamed of a developed India and are working day and night to accomplish it” “Since 2014, the country has taken up the cause of empowerment of its panchayats and the results are visible today” “In this era of digital revolution, Panchayats are also being made smart” “Every panchayat, every institution, every representative, every citizen of the country will have to unite for a developed India” “Our panchayats should conduct public awareness campaign regarding natural farming” भारत माता की – जय, भारत माता की – जय, मध्य प्रदेश के गवर्नर श्री मंगू भाई पटेल, मुख्यमंत्री भाई शिवराज जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगीगण, पंचायती राज मंत्रालय का नेतृत्व कर रहे भाई गिरिराज जी, विधायकगण, सांसदगण, अन्य सभी महानुभाव, और बड़ी संख्या में यहां पधारे मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, रीवा की इस ऐतिहासिक धरती से मैं मां विंध्यवासिनी को प्रणाम करता हूं। ये धरती शूरवीरों की है, देश के लिए मर-मिटने वालों की है। मैं अनगिनत बार रीवा आया हूं, आपके बीच आया हूं। और हमेशा मुझे आपका भरपूर प्यार और स्नेह मिलता रहा है। आज भी इतनी बड़ी संख्या में आप सभी लोग हमें आशीर्वाद देने आए हैं। मैं आप सभी का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। आप सभी को, देश की ढाई लाख से अधिक पंचायतों को, राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आज आपके साथ ही 30 लाख से ज्यादा पंचायत प्रतिनिधि भी हमारे साथ वर्चुअली जुड़े हुए हैं। ये निश्चित रूप से भारत के लोकतंत्र की बहुत ही सशक्त तस्वीर है। हम सभी जनता के प्रतिनिधि हैं। हम सभी इस देश के लिए, इस लोकतंत्र के लिए समर्पित हैं। काम के दायरे भले ही अलग-अलग हों, लेकिन लक्ष्य एक ही है- जनसेवा से राष्ट्रसेवा। मुझे खुशी है कि गांव-गरीब का जीवन आसान बनाने के लिए जो भी योजनाएं केंद्र सरकार ने बनाई हैं, उन्हें हमारी पंचायतें पूरी निष्ठा से ज़मीन पर उतार रही हैं। भाइयों और बहनों, आज यहां ई-ग्राम स्वराज और GeM पोर्टल को मिलाकर जो नई व्यवस्था लॉन्च की गई है, उससे आपका काम और आसान होने वाला है। पीएम स्वामित्व योजना के तहत भी देश के 35 लाख ग्रामीण परिवारों को प्रॉपर्टी कार्ड दिए गए हैं। आज मध्य प्रदेश के विकास से जुड़ी 17 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण भी हुआ है। इसमें रेलवे के प्रोजेक्ट्स हैं, गरीबों को पक्के घर के प्रोजेक्ट्स हैं, पानी से जुड़ी परियोजनाएं हैं। गांव-गरीब का जीवन आसान बनाने वाले, रोज़गार का निर्माण करने वाले इन प्रोजेक्ट्स के लिए भी मैं आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। साथियों, आजादी के इस अमृतकाल में, हम सभी देशवासियों ने विकसित भारत का सपना देखा है और उसे पूरा करने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे हैं। भारत को विकसित बनाने के लिए, भारत के गांवों की सामाजिक व्यवस्था को विकसित करना जरूरी है। भारत को विकसित बनाने के लिए, भारत के गांवों की आर्थिक व्यवस्था को विकसित करना जरूरी है। भारत को विकसित बनाने के लिए, भारत के गांवों की पंचायती व्यवस्था को भी विकसित करना जरूरी है। इसी सोच के साथ हमारी सरकार, देश की पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत करने के लिए लगातार काम कर रही है। पहले की सरकारों ने कैसे पंचायतों से भेदभाव किया और उनसे उल्टा कैसे हम उन्हें सशक्त कर रहे हैं, पंचायतों में सुविधाएं बढ़ा रहे हैं, ये आज गांव वाले भी देख रहे हैं, देश भर के लोग भी देख रहे हैं। 2014 के पहले पंचायतों के लिए वित्त आयोग का अनुदान 70 हजार करोड़ रुपए से भी कम था। आंकड़ा याद रखोगे आप? आंकड़ा याद रखोगे? कुछ आप बताओगे तो मुझे पता चलेगा याद रखोगे? 2014 से पहले 70 हजार करोड़ से कम क्या इतनी कम राशि से इतना बड़ा देश इतनी सारी पंचायतें कैसे अपना काम कर पातीं? 2014 में हमारी सरकार आने के बाद पंचायतों को मिलने वाला ये अनुदान 70 हजार से बढ़ाकर 2 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया है। आप बताएंगे मैंने कितना बताया पहले कितना था? अब कितना हुआ? अब आप अंदाजा लगा सकते हैं काम कैसे करते हैं। मैं आपको दो और उदाहरण देता हूं। 2014 से पहले के 10 वर्षों में, मैं उन दस साल की बात करता हूं। केंद्र सरकार की मदद से 6 हजार के आसपास ही पंचायत भवन बनवाए गए थे। पूरे देश में करीब-करीब 6 हजार पंचायत घर बने थे। हमारी सरकार ने 8 साल के अंदर-अंदर 30 हजार से ज्यादा नए पंचायत भवनों का निर्माण करवा चुकी है। अब ये आंकड़ा भी बताएगा कि हम गांवों के लिए कितने समर्पित हैं। पहले की सरकार ने ग्राम पंचायतों तक ऑप्टिकल फाइबर पहुंचाने की योजना भी शुरू की थी। लेकिन उस योजना के तहत देश की 70 से भी कम 100 भी नहीं, 70 से भी कम ग्राम पंचायतों को ऑप्टिकल फाइबर से जोड़ा गया था। वो भी शहर के बाहर जो नजदीक में पंचायत पड़ती थी वहां पर गए थे। ये हमारी सरकार है, जो देश की दो लाख से ज्यादा पंचायतों तक ऑप्टिकल फाइबर को ले गई है। फर्क साफ है दोस्तों। आजादी के बाद की सरकारों ने कैसे भारत की पंचायती राज व्यवस्था को ध्वस्त किया, मैं इसके विस्तार में नहीं जाना चाहता। जो व्यवस्था आजादी के भी सैकड़ों वर्ष, हजारों वर्षों पहले से थी, उसी पंचायती राज व्यवस्था पर आजादी के बाद भरोसा ही नहीं किया गया। पूज्य बापू कहते थे, भारत की आत्मा गांवों में बसती है। लेकिन कांग्रेस ने गांधी के विचारों को भी अनसुना कर दिया। नब्बे के दशक में पंचायती राज के नाम पर खानापूर्ति जरूर की गई, लेकिन फिर भी पंचायतों की तरफ वो ध्यान नहीं दिया गया, जिसकी जरूरत थी। साथियों, 2014 के बाद से, देश ने अपनी पंचायतों के सशक्तिकरण का बीड़ा उठाया है। और आज इसके परिणाम नजर आ रहे हैं। आज भारत की पंचायतें, गांवों के विकास की प्राणवायु बनकर उभर रही हैं। ग्राम पंचायतें, गांव की आवश्यकता के अनुसार गांव का विकास करें इसके लिए ग्राम पंचायत विकास योजना बनाकर काम किया जा रहा है। साथियों, हम पंचायतों की मदद से गांवों और शहरों के बीच की खाई को भी लगातार कम कर रहे हैं। डिजिटल क्रांति के इस दौर में अब पंचायतों को भी स्मार्ट बनाया जा रहा है। आज पंचायत स्तर पर योजनाएं बनाने से लेकर उन्हें लागू करने तक में टेक्नोल़ॉजी का भरपूर इस्तेमाल हो रहा है। जैसे आप लोग अमृत सरोवर पर इतना काम कर रहे हैं। इन अमृत सरोवरों के लिए जगह चुनने में, काम पूरा करने में हर स्तर पर टेक्नोलाजी का खूब इस्तेमाल हुआ है। आज यहां, ई-ग्राम स्‍वराज – GeM इंटीग्रेटेड पोर्टल का शुभारंभ भी किया गया है। इससे पंचायतों के माध्‍यम से होने वाली खरीद की प्रक्रिया, सरल और पारदर्शी बनेगी। इससे अब पंचायतों को कम कीमत में सामान मिलेगा और स्‍थानीय छोटे उद्योगों को भी अपना सामान बेचने का एक सशक्त माध्यम मिल जाएगा। दिव्‍यांगों के लिए ट्राइसिकल हो या बच्‍चों की पढ़ाई से जुड़ी चीजें, पंचायतों को ये सब सामान, इस पोर्टल पर आसानी से मिलेगा। भाइयों और बहनों, आधुनिक टेक्नॉलॉजी का एक और लाभ, हम पीएम स्वामित्व योजना में भी देख रहे हैं। हमारे यहां गांव के घरों के प्रॉपर्टी के कागजों को लेकर बहुत उलझनें रही हैं। इसके चलते भांति-भांति के वाद विवाद होते हैं, अवैध कब्ज़ों की आशंका होती है। पीएम स्वामित्व योजना से अब ये सारी स्थितियां बदल रही हैं। आज गांव-गांव में ड्रोन टेक्नॉलॉजी से सर्वे हो रहा है, मैप बन रहे हैं। इसके आधार पर बिना किसी भेदभाव के कानूनी दस्तावेज़ लोगों के हाथ में सौंपे जा रहे हैं। अभी तक देशभर में 75 हजार गांवों में प्रॉपर्टी कार्ड देने का कार्य पूरा हो चुका है। और मुझे खुशी है कि मध्य प्रदेश की सरकार इसमें बहुत बेहतरीन काम कर रही है। साथियों, मैं कई बार सोचता हूं कि छिंदवाड़ा के जिन लोगों पर, आपने लंबे समय तक भरोसा किया, वो आपके विकास को लेकर, इस क्षेत्र के विकास को लेकर इतना उदासीन क्यों रहे? इसका जवाब, कुछ राजनीतिक दलों की सोच में है। आजादी के बाद जिस दल ने सबसे ज्यादा समय तक सरकार चलाई, उसने ही हमारे गांवों का भरोसा तोड़ दिया। गांव में रहने वाले लोग, गांव के स्कूल, गांव की सड़कें, गांव की बिजली, गांव में भंडारण के स्थान, गांव की अर्थव्यवस्था, कांग्रेस शासन के दौरान सबको सरकारी प्राथमिकताओं में सबसे निचले पायदान पर रखा गया। भाइयों और बहनों, देश की आधी से ज्यादा आबादी जिन गांवों में रहती है, उन गांवों के साथ इस तरह सौतेला व्यवहार करके देश आगे नहीं बढ़ सकता। इसलिए 2014 के बाद, जब आपने हमें सेवा का अवसर दिया, तो हम गांव की अर्थव्यवस्था को, गांव में सुविधाओं को, गांव के लोगों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता में ले आए हैं। उज्ज्वला योजना के तहत जो 10 करोड़ गैस कनेक्शन मिले, वो गांव के लोगों को ही तो मिले हैं। हमारी सरकार में गरीबों के जो देशभर में पौने चार करोड़ से भी अधिक घर बने हैं, उसमें से तीन करोड़ से अधिक घर गांव में ही तो बने हैं। और इसमें भी बड़ी बात ये है कि इन ज्यादातर घरों में मालिकाना हक, हमारी बहनों-बेटियों, माताओं का भी है। हमारे यहां एक ऐसी ट्रेडिशन चली, घर हो तो पुरुष के नाम पर, दुकान हो पुरुष के नाम पर, गाड़ी हो पुरुष के नाम पर, खेत हो पुरुष के नाम पर, महिलाओं के नाम पर कुछ होता ही नहीं था। हमने ये रिवाज बदला है और मालिकाना हक हमारी माताएं, बहनें, बेटियां बने। साथियों, भाजपा की सरकार ने देश की करोड़ों महिलाओं को घर की मालकिन बनाया है। और आप जानते हैं आज के समय में पीएम आवास का हर घर लाख रुपए से भी ज्यादा कीमत का होता है। यानि भाजपा ने देश में करोड़ों दीदी को लखपति दीदी बनाया है। मैं इन सभी लखपति दीदीयों को प्रणाम करता हूं आप आशीर्वाद दीजिए कि देश में और कोटि-कोटि दीदी भी लखपति बनें इसके लए हम काम करते रहें। आज ही यहां चार लाख लोगों का उनके अपने पक्के घर में गृह प्रवेश हुआ है। इसमें भी बहुत बड़ी संख्या में लखपति दीदी बन गई हैं। मैं सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। साथियों, पीएम सौभाग्य योजना के तहत जिन ढाई करोड़ घरों में बिजली पहुंची, उनमें से ज्यादातर गांव के ही घर हैं। गांव के रहने वाले मेरे भाई-बहन हैं। गांव के लोगों के लिए हमारी सरकार ने हर घर जल योजना भी शुरू की है। सिर्फ तीन-चार साल में इस योजना की वजह से देश के 9 करोड़ से अधिक ग्रामीण परिवारों को घर में नल से जल मिलने लगा है। यहां एमपी में भी गांव में रहने वाले सिर्फ 13 लाख परिवारों तक नल से जल पहुंचता था। पहले की बात करता हूं। आज एमपी के गांवों में करीब-करीब 60 लाख घरों तक नल से जल पहुंचने लगा है। और आपका ये जिला तो शत प्रतिशत हो गया है। साथियों, हमारे गांव के लोगों का पहले देश के बैंकों पर अधिकार ही नहीं माना जाता था, भूला दिया गया था। गांव के ज्यादातर लोगों के पास ना बैंक खाते होते थे और ना ही उन्हें बैंकों से सुविधा मिलती थीं। बैंक खाता ना होने की वजह से, सरकार जो पैसा गरीबों के लिए भेजती थी, वो भी बीच में ही लूट जाता था। हमारी सरकार ने इसे भी पूरी तरह बदल दिया है। हमने जनधन योजना चलाकर गांव के 40 करोड़ से ज्यादा लोगों के बैंक खाते खुलवाए। हमने India Post Payments Bank के माध्यम से पोस्ट ऑफिस का उपयोग करके गांवों तक बैंकों की पहुंच बढ़ाई। हमने लाखों बैंक मित्र बनाए, बैंक सखियों को प्रशिक्षित किया। आज इसका प्रभाव देश के हर गांव में नजर आ रहा है। देश के गाँवों को जब बैंकों की ताकत मिली है, तो खेती-किसानी से लेकर व्यापार कारोबार तक, सब में गांव के लोगों की मदद हो रही है। साथियों, पहले की सरकारों ने भारत के गांवों के साथ एक और बड़ा अन्याय किया था। पहले की सरकारें गांव के लिए पैसे खर्च करने से बचती थीं। गांव अपने आप में कोई वोटबैंक तो था ही नहीं, इसलिए उन्हें नजर-अंदाज किया जाता था। गांव के लोगों को बांटकर कई राजनीतिक दल अपनी दुकान चला रहे थे। भारतीय जनता पार्टी ने गांवों के साथ हो रहे इस अन्नाय को भी समाप्त कर दिया है। हमारी सरकार ने गांवों के विकास के लिए भी तिजोरी खोल दी। आप देखिए, हर घर जल योजना पर साढ़े तीन लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किया जा रहा हैं। पीएम आवास योजना पर भी लाखों करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। दशकों से अधूरी पड़ी सिंचाई परियोजनाओं को पूरा करने के लिए एक लाख करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। पीएम ग्रामीण सड़क योजना पर भी हजारों करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत भी सरकार ने करीब-करीब ढाई लाख करोड़ रुपए सीधे किसानों के बैंक खातों में भेजे हैं। यहां एमपी के लगभग 90 लाख किसानों को भी साढ़े 18 हजार करोड़ रुपए इस योजना के तहत मिले हैं। इस निधि से रीवा के किसानों को भी करीब-करीब 500 करोड़ रुपए मिले हैं। हमारी सरकार ने जो MSP बढ़ाई है, उससे भी गांवों में हजारों करोड़ रुपए अतिरिक्त पहुंचे हैं। कोरोना के इस काल में पिछले तीन साल से हमारी सरकार गांव में रहने वाले गरीबों को मुफ्त राशन दे रही है। गरीब कल्याण की इस योजना पर भी 3 लाख करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए जा रहे हैं। साथियों, जब गांव में विकास के इतने काम होते हैं, जब इतना सारा पैसा खर्च होता है, तो गांव में रोजगार के अवसर भी बनते हैं। गांवों में रोजगार-स्वरोजगार को गति देने के लिए, गांव के लोगों को गांव में ही काम देने के लिए केंद्र सरकार मुद्रा योजना भी चला रही है। मुद्रा योजना के तहत लोगों को बीते वर्षों में 24 लाख करोड़ रुपए की मदद दी गई है। इससे गांवों में भी करोड़ों लोगों ने अपना रोजगार शुरु किया है। मुद्रा योजना की बहुत बड़ी लाभार्थी भी हमारी बहनें हैं, बेटियां हैं, माताएं हैं। हमारी सरकार की योजनाएं किस तरह गांव में महिला शक्तिकरण कर रही हैं, गांव में महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त कर रही हैं, उसकी चर्चा आज हर तरफ है। बीते 9 साल में 9 करोड़ महिलाएं सेल्फ हेल्प ग्रुप में शामिल हुई हैं। यहां मध्य प्रदेश में भी 50 लाख से ज्यादा महिलाएं स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी हैं। हमारी सरकार में हर स्वयं सहायता समूह को बिना बैंक गारंटी 20 लाख रुपए तक का ऋण दिया जा रहा है। कितने ही लघु उद्योगों की कमान अब महिलाएं ही संभाल रही हैं। यहां तो राज्य सरकार ने हर जिले में दीदी कैफे भी बनाया है। पिछले पंचायत चुनावों में सेल्फ हेल्प ग्रुप से जुड़ी करीब 17 हजार बहनें पंचायत प्रतिनिधी के तौर पर चुनी गयी हैं। ये अपने आप में बड़े गर्व की बात है। मैं मध्य प्रदेश की नारीशक्ति को इसके लिए फिर एक बार बहुत-बहुत बधाई देता हूं। साथियों, आज यहां आजादी के अमृत महोत्सव में समावेशी विकास का अभियान भी शुरू हुआ है। ये विकसित भारत के निर्माण के लिए सबका प्रयास के भाव को सशक्त करने वाला है। विकसित भारत के लिए देश की हर पंचायत, हर संस्था का प्रतिनिधि, हर नागरिक हम सबको को जुटना होगा। ये तभी संभव है जब हर मूल सुविधा तेज़ी से शत-प्रतिशत लाभार्थी तक पहुंचे, बिना किसी भेदभाव के पहुंचे। इसमें आप सभी पंचायत प्रतिनिधियों की भूमिका बहुत बड़ी है। भाइयों और बहनों, पंचायतों द्वारा खेती से जुड़ी नई व्यवस्थाओं को लेकर भी जागरूकता अभियान चलाने की ज़रूरत है। प्राकृतिक खेती को लेकर आज देश में बहुत व्यापक स्तर पर काम चल रहा है। यहां भी केमिकल खेती के नुकसान के बारे में चर्चा हुई है। हमने देखा कि कैसे हमारी बेटियों ने धरती मां की तकलीफ के बारे में हम सभी को बताया। नाट्य प्रयोग करके धरती मां की वेदना हम तक पहुंचाई है। केमिकल वाली खेती से धरती मां का जो नुकसान हो रहा है, बहुत ही आसान तरीके से हमारी इन बेटियों ने सबको समझाया है। धरती की ये पुकार हम सभी को समझनी होगी। हमें हमारी मां को मारने का हक नहीं है। ये धरती हमारी मां है। उस मां को मारने का हमें अधिकार नहीं है। मेरा आग्रह है कि हमारी पंचायतें, प्राकृतिक खेती को लेकर जनजागरण अभियान चलाएं। छोटे किसान हों, पशुपालक हों, मछुआरे भाई-बहन हों, इनकी मदद के लिए जो अभियान केंद्र सरकार चला रही है, उसमें भी पंचायतों की बड़ी भागीदारी है। जब आप विकास से जुड़ी हर गतिविधि से जुड़ेंगे, तो राष्ट्र के सामूहिक प्रयासों को बल मिलेगा। यही अमृतकाल में विकसित भारत के निर्माण की ऊर्जा बनेगी। साथियों, आज पंचायती राज दिवस पर, मध्य प्रदेश के विकास को नई गति देने वाली कई और परियोजनाओं का शिलान्यास औऱ लोकार्पण हुआ है। छिन्दवाड़ा-नैनपुर-मंडला फोर्ट रेल लाइन के बिजलीकरण से इस क्षेत्र के लोगों की दिल्ली-चेन्नई और हावड़ा-मुंबई तक कनेक्टिविटी और आसान हो जाएगी। इसका बड़ा लाभ हमारे आदिवासी भाई-बहनों को भी होगा। आज छिन्दवाड़ा-नैनपुर के लिए नई ट्रेनें भी शुरू हुई हैं। इन नई ट्रेनों के चलने से कई कस्बे और गांव, अपने जिला मुख्यालय छिंदवाड़ा, सिवनी से सीधे जुड़ जाएंगे। इन ट्रेनों की मदद से नागपुर और जबलपुर जाना भी आसान हो जाएगा। आज जो रीवा-इतवारी-छिंदवाड़ा नई ट्रेन चली है, उससे भी अब सिवनी और छिन्दवाड़ा, सीधे नागपुर से जुड़ जायेंगे। ये पूरा क्षेत्र तो अपने वन्य जीवों के लिए बहुत प्रसिद्ध है। यहां की बढ़ती हुई कनेक्टिविटी, यहां पर्यटन भी बढ़ाएगी और रोजगार के नए अवसर भी बनाएगी। इसका बड़ा लाभ यहां के किसानों को होगा, विद्यार्थियों को होगा, रेलवे के डेली पैसेंजर्स को होगा, छोटे कारोबारियों और दुकानदारों को होगा। यानि डबल इंजन की सरकार ने आज आपकी खुशियां भी डबल कर दी हैं। साथियों, आज मैं आपका एक और बात के लिए आभार व्यक्त करना चाहता हूं। अभी शिवराज जी ने बड़े विस्तार से वर्णन किया कि इस रविवार, मन की बात के सौ एपिसोड पूरे हो रहे हैं। आप सभी के आशीर्वाद, आप सभी के स्नेह और आपके योगदान की वजह से ही मन की बात, आज इस मुकाम तक पहुंचा है। मध्य प्रदेश के अनेकों लोगों की उपलब्धियों का जिक्र मैंने मन की बात में किया है। यहां के लोगों की लाखों चिट्ठियां और संदेश भी मुझे मिलते रहे हैं। इस बार रविवार को, मन की बात में, फिर आपसे मिलने के लिए मैं भी बहुत इंतजार कर रहा हूं। क्योंकि सेंचुरी है ना। और हमारे यहां तो सेंचुरी का जरा महत्व ज्यादा ही होता है। आप हर बार की तरह रविवार को अवश्य मेरे साथ जुड़िएगा। इसी आग्रह के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं। एक बार फिर आप सभी को पंचायती राज दिवस की अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद! भारत माता की –जय, भारत माता की –जय, भारत माता की –जय।

Published By : Admin | April 24, 2023 | 11:46 IST
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পঞ্চায়েত স্তরে জনপ্রক্রিয়াকরণের জন্য সুসংহত ই-গ্রাম স্বরাজ এবং জেম পোর্টালের উদ্বোধন করেন প্রধানমন্ত্রী
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পিএমএওয়াই-জি এর আওতায় ৪ লক্ষেরও বেশি সুবিধাভোগী ‘গৃহ প্রবেশ’ – এ যোগ দেন
২ হাজার ৩০০ কোটি টাকারও বেশি বিভিন্ন রেল প্রকল্পের ভিত্তিপ্রস্তর স্থাপন এবং জাতির উদ্দেশে উৎসর্গ করেন
জল জীবন মিশন – এর আওতায় প্রায় ৭ হাজার কোটি টাকার বিভিন্ন প্রকল্পের ভিত্তিপ্রস্তর স্থাপন
“গণতন্ত্রের ভাবধারার প্রসারের পাশাপাশি, পঞ্চায়েতি রাজ প্রতিষ্ঠানগুলি আমাদের নাগরিকদের উন্নয়নের চাহিদাগুলি পূরণ করে”
“স্বাধীনতার অমৃতকালে প্রত্যেক নাগরিক পূর্ণ নিষ্ঠার সঙ্গে উন্নত ভারতের স্বপ্ন পূরণের লক্ষ্যে কাজ করছেন”
“আজ পঞ্চায়েত পুনরায় ভারতের উন্নয়নে পূর্ণ শক্তি হয়ে উঠে দাঁড়িয়েছে। গ্রাম পঞ্চায়েত বিকাশ যোজনা পঞ্চায়েতগুলিকে সুচারুভাবে কাজ করতে সাহায্য করছে”
“ডিজিটাল বিপ্লবের এই সময়কালে পঞ্চায়েতগুলিকে উন্নত করে তোলা হচ্ছে”
“প্রত্যেক পঞ্চায়েত, প্রত্যেক প্রতিষ্ঠান, প্রত্যেক প্রতিনিধি এবং দেশের প্রত্যেক নাগরিককে উন্নত ভারতের স্বার্থে ঐক্যবদ্ধ হতে হবে”
“নতুন কৃষি পদ্ধতি নিয়ে সচেতনতা গড়ে তোলার কাজ পঞ্চায়েতের”

ভারত মাতা কি – জয়,

ভারত মাত কি – জয়,

মহারাষ্ট্রের রাজ্যপাল শ্রী মঙ্গুভাই প্যাটেল, রাজ্যের মুখ্যমন্ত্রী শ্রী শিবরাজ সিং চৌহান, আমার কেন্দ্রীয় মন্ত্রিসভার সহযোগীগণ, পঞ্চায়েতি রাজ মন্ত্রকের নেতৃত্ব প্রদানকারী ভাই গিরিরাজজী, উপস্থিত সমস্ত সাংসদ, বিধায়ক, অন্যান্য সম্মানিত ব্যক্তিবর্গ, বিপুল সংখ্যায় আগত আমার ভাই ও বোনেরা।

রেওয়ার এই ঐতিহাসিক ভূমি থেকে আমি মা বিন্দুবাসিনীকে প্রণাম জানাই। এই ভূমি সুরবীরদের ভূমি। দেশের জন্য আত্মবলিদানকারীদের ভূমি। আমি অনেকবার রেওয়া-তে আপনাদের মধ্যে এসেছি। আর সর্বদাই আপনাদের অপার ভালোবাসা ও স্নেহ পেয়েছি। আজও আপনারা এত বিপুল সংখ্যায় আমাদের আশীর্বাদ জানাতে এসেছেন, সেজন্য আপনাদের সকলকে আমি অন্তর থেকে কৃতজ্ঞতা জানাই। দেসের আড়াই লক্ষেরও বেশি পঞ্চায়েতকে জাতীয় পঞ্চায়েতি রাজ দিবস উপলক্ষে অনেক অনেক শুভ কামনা জানাই। আজ আপনাদের পাশাপাশি, প্রযুক্তির মাধ্যমে ৩০ লক্ষেরও বেশি পঞ্চায়েত প্রতিনিধি এই অনুষ্ঠানে অংশগ্রহণ করছেন। এটা নিশ্চিতভাবেই ভারতের গণতন্ত্রের অত্যন্ত শক্তিশালী চিত্র। আমরা সবাই জনগণের প্রতিনিধি। আমরা সবাই এই দেশ ও এই গণতন্ত্রের জন্য সমর্পিত। আমাদের কাজের পরিধি ভিন্ন হতে পারে, কিন্তু লক্ষ্য একটাই - জনসেবার মাধ্যমে দেশ সেবা। আমি অত্যন্ত আনন্দিত যে, আমাদের কেন্দ্রীয় সরকার দেশের গ্রাম ও গরীবের জীবন সহজ করে তুলতে যত প্রকল্প চালু করেছে, আমাদের পঞ্চায়েতগুলি সেগুলিকে সম্পূর্ণ নিষ্ঠার সঙ্গে বাস্তবায়িত করছে।

ভাই ও বোনেরা,

আজ এখানে ই-গ্রাম স্বরাজ এবং জেম পোর্টালকে একসঙ্গে মিলিয়ে যে নতুন ব্যবস্থা চালু করা হয়েছে, সেটি আপনাদের কাজকে আরও সহজ করে দেবে। পিএম স্বামিত্ব যোজনার মাধ্যমেও দেশের ৩৫ লক্ষ গ্রামীণ পরিবারকে প্রপার্টি কার্ড প্রদান করা হয়েছে। আজ মধ্যপ্রদেশের উন্নয়ন সংশ্লিষ্ট ১৭ হাজাআর কোটি টাকারও বেশি প্রকল্পের শিলান্যাস এবং উদ্বোধনও হয়েছে। এগুলির মধ্যে যেমন রয়েছে – বেশ কিছু রেল প্রকল্প, তেমনই রয়েছে গরীব গৃহহীনদের জন্য পাকা বাড়ির প্রকল্প এবং জল প্রকল্প। গ্রাম ও গরীবের জীবনকে সহজ করে তোলার পাশাপাশি এই প্রকল্পগুলি অনেক কর্মসংস্থানও সৃষ্টি করবে। সেজন্য আমি আপনাদের সকলকে শুভেচ্ছা জানাই।

বন্ধুগণ,

স্বাধীনতার এই অমৃতকালে আমরা সবাই যে উন্নত ভারতের স্বপ্ন দেখেছি, তা বাস্তবায়নের জন্য সমস্ত দেশবাসী দিনরাত পরিশ্রম করছেন। উন্নত ভারত গড়তে ভারতের গ্রামগুলির সামাজিক ব্যবস্থাকে উন্নত করা প্রয়োজন। গ্রামের আর্থিক ব্যবস্থাকে উন্নত করার পাশাপাশি, পঞ্চায়েত ব্যবস্থাকেও উন্নত করা প্রয়োজন। এই ভাবনা নিয়েই আমাদের সরকার দেশের পঞ্চায়েতি রাজ ব্যবস্থাকে শক্তিশালী করার কাজ করে চলেছে। এই পঞ্চায়েতগুলি পূর্ববর্তী সরকারের বৈষম্যের শিকার হয়েছিল। আমরা সেই জায়গায় এই পঞ্চায়েতগুলিকে আরও কতটা শক্তিশালী করে তুলছি, গ্রামবাসীদের জন্য বিভিন্ন পরিষেবা কত বেশি প্রদান করছি – তা আজ গ্রামের মানুষ নিজের চোখে দেখছেন। ২০১৪ সালের আগে দেশের পঞ্চায়েতগুলির জন্য অর্থ কমিশনের অনুদান ছিল ৭০ হাজার কোটি টাকারও কম। এই পরিসংখ্যানটা মাথায় রাখবেন। ২০১৪’য় ক্ষমতায় আসার পর আমরা এই অনুদান বাড়িয়ে ইতিমধ্যেই ২ লক্ষ কোটি টাকারও বেশি করে দিয়েছি। আমি আপনাদের আরও দুটি উদাহরণ দিচ্ছি। ২০১৪ সালের আগে ১০ বছরে কেন্দ্রীয় সরকারের সাহায্যে ৬ হাজারের কাছাকাছি পঞ্চায়েত ভবন নির্মিত হয়েছিল। মনে রাখবেন, সারা দেশে প্রায় ৬ হাজার পঞ্চায়েত ভবন তৈরি হয়েছিল। আর আমাদের সরকার গত ৮ বছরে ৩০ হাজারেরও বেশি নতুন পঞ্চায়েত ভবন নির্মাণ করিয়েছে। এই পরিসংখ্যানই বলে দেবে যে, আমরা গ্রামের প্রতি কতটা সমর্পিত। গ্রাম পঞ্চায়েতগুলিকে অপ্টিকাল ফাইবারের মাধ্যমে যুক্ত করার কাজ আগের সরকারই শুরু করেছিল। কিন্তু, তারা মাত্র ৭০টির কাছাকাছি গ্রামকে যুক্ত করতে পেরেছিল। শহরের কাছাকাছি কিছু পঞ্চায়েতকে যুক্ত করা হয়েছিল। কিন্তু, আমাদের সরকার ইতিমধ্যেই দেশের ২ লক্ষেরও বেশি পঞ্চায়েতে অপ্টিকাল ফাইবার পৌঁছে দিয়েছে। পার্থক্য আপনাদের সামনে স্পষ্ট। স্বাধীনতার পর থেকে একের পর এক সরকার কিভাবে ভারতের পঞ্চায়েতি রাজ ব্যবস্থাকে ধ্বংস করেছে, সেই বিষয়ে আমি বিস্তারিত বলতে চাই না। যে ব্যবস্থা স্বাধীনতার কয়েক হাজার বছর আগে থেকে গড়ে উঠেছিল, সেই পঞ্চায়েতি রাজ ব্যবস্থার উপর স্বাধীনতার পর ক্ষমতায় আসা সরকারগুলির ভরসাই ছিল না। পূজনীয় বাপুজী বলতেন, ভারতের আত্মা গ্রামে বসবাস করে। কিন্তু, কংগ্রেস গান্ধীজীর সমস্ত ভাবনাকে উপেক্ষা করে। নব্বই –এর দশকে পঞ্চায়েতি রাজ নামে কিছু শূন্যস্থান পূরণ অবশ্যই হয়েছিল। কিন্তু, তবুও প্রয়োজন অনুসারে পঞ্চায়েতগুলির উন্নতির দিকে কেউ নজর দেননি।

বন্ধুগণ,

২০১৪’র পর থেকে দেশ তার পঞ্চায়েতগুলির ক্ষমতায়নের দায়িত্ব কাঁধে নিয়েছে। এর পরিণাম আজ পরিলক্ষিত হচ্ছে। আজ ভারতের পঞ্চায়েতগুলি গ্রামোন্নয়নের প্রাণভোমরা হয়ে উঠেছে। গ্রাম পঞ্চায়েতগুলি এখন গ্রামের প্রয়োজন অনুসারে উন্নয়নের স্বার্থে গ্রাম পঞ্চায়েত বিকাশ যোজনা রচনা করে কাজ করছে।

বন্ধুগণ,

আমরা পঞ্চায়েতের সাহায্যে গ্রাম ও শহরের মধ্যে বিরাট পার্থক্যকে ক্রমে হ্রাস করছি। ডিজিটাল বিপ্লবের এই সময়ে এখন পঞ্চায়েতগুলিকেও ‘স্মার্ট’ করে তোলা হচ্ছে। আজ পঞ্চায়েত স্তরে প্রকল্প রচনা থেকে শুরু করে বাস্তবায়ন পর্যন্ত সমস্ত স্তরে অত্যাধুনিক প্রযুক্তির সাহায্য নেওয়া হচ্ছে। যেমন – আপনারা অমৃত সরোবর নিয়ে এত কাজ করছেন। এই অমৃত সরোবরগুলির জন্য স্থান নির্বাচন থেকে শুরু করে খনন ও সৌন্দর্যায়ন – সমস্ত স্তরে প্রযুক্তির সাহায্য নিতে পারছেন। আজ এখানে ই-গ্রাম স্বরাজ – জেম ইন্টিগ্রেটেড পোর্টাল – এর শুভ সূচনা হয়েছে। এর মাধ্যমে পঞ্চায়েতগুলির জন্য কেনাকাটা আরও সরল ও স্বচ্ছ প্রক্রিয়ায় হবে। এর ফলে, এখন পঞ্চায়েতগুলি অনেক কম দামে জিনিস কিনতে পারবে। আর স্থানীয় ক্ষুদ্র শিল্পোদ্যোগগুলিও তাদের উৎপাদিত পণ্য বিক্রির একটি শক্তিশালী মাধ্যম পাবে। দিব্যাঙ্গদের জন্য ট্রাই সাইকেল থেকে শুরু করে শিশুদের পাঠ সামগ্রী পঞ্চায়েতের জন্য প্রয়োজনীয় সমস্ত সরঞ্জাম এই পোর্টালের মাধ্যমেই সহজে কেনা যাবে।

ভাই ও বোনেরা,

আধুনিক প্রযুক্তির আরেকটি সুবিধা, আমরা প্রধানমন্ত্রী স্বামিত্ব যোজনায়ও দেখতে পাচ্ছি। গ্রামের বাড়ির সম্পত্তির কাগজপত্র নিয়ে আমাদের অনেক বিভ্রান্তি ছিল। এ কারণে নানা ধরনের বিরোধ, অবৈধ দখলের সম্ভাবনা তৈরি হয়েছে। এখন এই সমস্ত অবাঞ্ছিত পরিস্থিতি প্রধানমন্ত্রী স্বামী যোজনার মাধ্যমে বদলাচ্ছে। আজ প্রতিটি গ্রামে ড্রোন প্রযুক্তি দিয়ে জরিপ করা হচ্ছে, জমির মানচিত্র তৈরি করা হচ্ছে। এর ভিত্তিতে কোনো রকম বৈষম্য ছাড়াই মানুষের হাতে আইনি কাগজপত্র তুলে দেওয়া হচ্ছে। এ পর্যন্ত সারাদেশে ৭৫ হাজার গ্রামে প্রপার্টি কার্ড দেওয়ার কাজ শেষ হয়েছে। আর আমি খুশি যে এক্ষেত্রেও মধ্যপ্রদেশ সরকার এতে খুব ভালো কাজ করছে।

বন্ধুগণ,

অনেক সময় ভাবি, যাদেরকে ছিন্দোয়ারার মানুষ দীর্ঘদিন ধরে বিশ্বাস করেছিলেন, তাঁরা আপনাদের উন্নয়নের প্রতি, এই এলাকার উন্নয়নের প্রতি এত উদাসীন কেন ছিলেন? এই প্রশ্নের উত্তর নিহিত রয়েছে কিছু রাজনৈতিক দলের চিন্তাভাবনার মধ্যে। স্বাধীনতার পর যে দলটি দীর্ঘকাল সরকার পরিচালনা করেছে, তারা আমাদের গ্রামের আস্থা ভঙ্গ করেছে। কংগ্রেসের শাসনকালে গ্রামের মানুষ, গ্রামের স্কুল, গ্রামের রাস্তা, গ্রামের বিদ্যুৎ, গ্রামের ফসল সংরক্ষণের জায়গা, গ্রামের অর্থনীতি, সবকিছুকেই সরকারি অগ্রাধিকারের সর্বনিম্ন স্তরে রাখা হয়েছিল।

ভাই ও বোনেরা,

দেশের জনসংখ্যার অর্ধেকেরও বেশি গ্রামে বাস করে, সেই গ্রামগুলির উন্নয়নে বৈমাত্রেয়সূল্ভ মনোভাব রাখলে দেশ এগিয়ে যেতে পারে না। তাই ২০১৪ সালের পর আপনারা যখন আমাদেরকে সেবা করার সুযোগ দিলেন, তখন আমরা গ্রামের অর্থনীতি, গ্রামের সুযোগ-সুবিধা, গ্রামের মানুষের স্বার্থকে সর্বোচ্চ অগ্রাধিকার দিয়েছি। উজ্জ্বলা প্রকল্পের অধীনে যে ১০ কোটি গ্যাস সংযোগ দেওয়া হয়েছিল তা শুধু গ্রামগুলিতেই দেওয়া হয়েছিল। আমাদের সরকারের উদ্যোগে সারাদেশে গরিবদের জন্য চার কোটির বেশি বাড়ি তৈরি হয়েছে, যার মধ্যে তিন কোটির বেশি বাড়ি তৈরি হয়েছে গ্রামে। আর এর মধ্যে বড় কথা হলো আমাদের বোন, মেয়ে ও মায়েদেরও এসব বাড়িতে মালিকানার অধিকার রয়েছে। আমাদের দেশে এমন একটা প্রথা ছিল যে বাড়ি ছিল পুরুষের নামে, দোকান ছিল পুরুষের নামে, গাড়ি ছিল পুরুষের নামে, খেত-খামার ছিল পুরুষের নামে, মহিলাদের নামে কিছুই থাকতো না। আমরা এই প্রথা পরিবর্তন করেছি এবং আমাদের মা, বোন এবং মেয়েদের মালিক করেছি।

বন্ধুগণ,

বিজেপি সরকার দেশের কোটি কোটি মহিলাকে বাড়ির মালিক বানিয়েছে। আর জানেন কি বর্তমান সময়ে প্রধানমন্ত্রী আবাস যোজনার প্রতিটি বাড়ির মূল্য এক লক্ষ টাকার বেশি। তার মানে বিজেপি দেশে কোটি কোটি লাখপতি দিদি তৈরি করেছে। আমি এই সমস্ত লাখপতি দিদিদের প্রণাম জানাই, দয়া করে আমাদের আশীর্বাদ করুন যাতে আরও লক্ষ লক্ষ বোন দেশে লাখপতি হয়, যাতে আমরা এইভাবে কাজ করে যেতে থাকি। আজ এখানে আরও চার লক্ষ গৃহহীন মানুষ তাঁদের পাকা বাড়ির মালিকাণা পেয়ে গৃহপ্রবেশ করেছেন। এখানকার আরও বিপুল সংখ্যক মহিলা লাখপতি দিদি হয়েছেন। আমি সবাইকে অভিনন্দন জানাই।

বন্ধুগণ,

প্রধানমন্ত্রী সৌভাগ্য যোজনার আওতায় যে আড়াই কোটি পরিবার বিদ্যুৎ পেয়েছে, তাঁদের বেশিরভাগই গ্রামের বাসিন্দা। গ্রামের বাসিন্দারা আমার ভাই-বোন। আমাদের সরকার গ্রামবাসীদের জন্য ‘হর ঘর জল যোজনা’ও শুরু করেছে। এই প্রকল্প বাস্তবায়নের মাধ্যমে মাত্র তিন-চার বছরে দেশের ৯ কোটিরও বেশি গ্রামীণ পরিবার ঘরে বসে নলবাহিত পরিশ্রুত  কলের জল পেতে শুরু করেছে। আমাদের মধ্যপ্রদেশে আগে মাত্র ১৩ লক্ষ গ্রামীণ পরিবার   নলবাহিত   কলের জল পেত। আর আজ এরাজ্যের প্রায় ৬০ লক্ষ গ্রামীণ বাড়িতে নলবাহিত পানীয় জল পৌঁছাতে শুরু করেছে। আর আপনাদের এই জেলাইয় তো একশো শতাংশ বাড়িতে নলবাহিত পানীয় জল পৌঁছাতে শুরু করেছে।

বন্ধুগণ,

আগে দেশের ব্যাংকগুলির ওপর আমাদের গ্রামের মানুষদের কোনো অধিকার রয়েছে বলে মনে করা হতো না। বেশির ভাগ গ্রামের মানুষের কোনও ব্যাংক অ্যাকাউন্ট না থাকায় তারা ব্যাংক থেকে কোনো সুযোগ-সুবিধা পায়নি। ব্যাঙ্ক অ্যাকাউন্ট না থাকায় গরীবদের জন্য সরকার যে টাকা পাঠাত তাও মাঝপথে লুট হয়ে যেত। আমাদের সরকার এই চিত্রটিকেও পুরোপুরি বদলে দিয়েছে। আমরা জন ধন যোজনা শুরু করে চল্লিশ কোটিরও বেশি গ্রামীণ মানুষের ব্যাঙ্ক অ্যাকাউন্ট খুলেছি। আমরা দেশের ডাকঘরগুলিতে ইন্ডিয়া পোস্ট পেমেন্ট ব্যাঙ্ক খুলে গ্রামে গ্রামে ব্যাঙ্কের পৌছানো বাড়িয়েছি। আমরা লক্ষ লক্ষ ব্যাঙ্ক মিত্র তৈরি করেছি, ব্যাঙ্ক সখীদের প্রশিক্ষিত করেছি। আজ দেশের প্রতিটি গ্রামে এই উদ্যোগের সুফল দেখা যাচ্ছে। দেশের গ্রামগুলি যখন ব্যাংকের ক্ষমতায় শক্তিশালী হয়ে উঠেছে, তখন কৃষিকাজ থেকে শুরু করে ব্যবসা -  সব কাজে গ্রামের মানুষদের সাহায্য করা হচ্ছে।,

বন্ধুগণ,

পূর্ববর্তী সরকারগুলি ভারতের গ্রামগুলির উপর আরেকটি বড় অবিচার করেছিল। আগের সরকারগুলো গ্রামের জন্য টাকা খরচ করা এড়িয়ে চলত। গ্রাম আলাদাভাবে কোনও ভোটব্যাঙ্ক ছিল না, তাই তারা উপেক্ষিত থাকতো। অনেক রাজনৈতিক দল গ্রামের মানুষকে বিভক্ত করে নিজেদের দোকান চালাচ্ছিল। ভারতীয় জনতা পার্টি দেশের গ্রামের সঙ্গে হওয়া এই অবিচারের অবসান ঘটিয়েছে। আমাদের সরকার গ্রামোন্নয়নের দরজাও খুলে দিয়েছে। শুধু ‘হর ঘর জল যোজনা’য় সাড়ে তিন লক্ষ কোটি টাকারও বেশি খরচ হচ্ছে। প্রধানমন্ত্রী আবাস যোজনায়ও লক্ষ কোটি টাকা খরচ করা হচ্ছে। কয়েক দশক ধরে অসম্পূর্ণ পড়ে থাকা সেচ প্রকল্পগুলো শেষ করতে খরচ হচ্ছে এক লক্ষ কোটি টাকারও বেশি। প্রধানমন্ত্রী গ্রামীণ সড়ক যোজনায়ও হাজার হাজার কোটি টাকা খরচ হচ্ছে। এমনকি প্রধানমন্ত্রী কিষাণ সম্মান নিধির অধীনে, সরকার ইতিমধ্যেই প্রায় আড়াই লক্ষ কোটি টাকা সরাসরি কৃষকদের ব্যাঙ্ক অ্যাকাউন্টে পাঠিয়েছে। মধ্যপ্রদেশের প্রায় ৯০ লক্ষ কৃষকও এই প্রকল্পের অধীনে মোট ১৮.৫ হাজার কোটি টাকা পেয়েছেন। রেওয়ার কৃষকরাও এই তহবিল থেকে প্রায় ৫০০ কোটি টাকা পেয়েছেন। আমাদের সরকারের এমএসপি বৃদ্ধির পাশাপাশি হাজার হাজার কোটি টাকা গ্রামে পৌঁছেছে। করোনার এই সময়ে, গত তিন বছর ধরে আমাদের সরকার গ্রামে বসবাসকারী দরিদ্রদের বিনামূল্যে রেশন দিচ্ছে। দরিদ্রদের কল্যাণে এই প্রকল্পে ৩ লক্ষ কোটি টাকারও বেশি ব্যয় করা হচ্ছে।

বন্ধুগণ ,

গ্রামে যখন এত উন্নয়নের কাজ হয়, যখন এত টাকা খরচ হয়, তখন গ্রামে কর্মসংস্থানেরও সুযোগ তৈরি হয়। গ্রামে কর্মসংস্থান ও স্বনির্ভরতার গতি বাড়াতে, গ্রামের মানুষকে গ্রামেই কাজ দেওয়ার জন্য কেন্দ্রীয় সরকার মুদ্রা যোজনাও শুরু করেছে। মুদ্রা যোজনার অধীনে, বিগত বছরগুলিতে ক্ষুদ্র ব্যবসায়ী ও কারিগরদের ২৪ লক্ষ কোটি টাকার ঋণ দেওয়া হয়েছে। এর ফলে গ্রামেও কোটি কোটি মানুষের কর্মসংস্থান শুরু হয়েছে। আমাদের বোন, কন্যা, এমনকি মায়েরাও মুদ্রা যোজনার সবচেয়ে বেশি সুবিধাভোগী হয়েছেন। আমাদের সরকারের প্রকল্পগুলি কীভাবে গ্রামে মহিলাদের ক্ষমতায়ন করছে, মহিলাদের অর্থনৈতিকভাবে ক্ষমতায়িত করছে, তা আজ সর্বত্র আলোচনা করা হচ্ছে। গত ৯ বছরে, প্রায় ৯ কোটি মহিলা স্বনির্ভর গোষ্ঠীতে যোগ দিয়েছেন। এখানে মধ্যপ্রদেশেও ৫০ লাখেরও বেশি মহিলা স্বনির্ভর গোষ্ঠীর সঙ্গে যুক্ত। আমাদের সরকার, প্রতিটি স্বনির্ভর গোষ্ঠীকে কোনওরকম ব্যাঙ্ক গ্যারান্টি ছাড়াই ২০ লক্ষ টাকা পর্যন্ত ঋণ দেওয়া হচ্ছে। দেশের মহিলারা এখন অনেক ক্ষুদ্র শিল্পে নেতৃত্ব দিচ্ছেন। এরাজ্যের  প্রতিটি জেলায় রাজ্য সরকার দিদি ক্যাফে তৈরি করেছে। গত পঞ্চায়েত নির্বাচনে, স্বনির্ভর গোষ্ঠীর সঙ্গে যুক্ত প্রায় ১৭,০০০ বোন পঞ্চায়েত প্রতিনিধি হিসাবে নির্বাচিত হয়েছেন। এটি অত্যন্ত গর্বের বিষয়। সেজন্য আমি আরেকবার মধ্যপ্রদেশের নারীশক্তিকে অভিনন্দন জানাই।

বন্ধুগণ,  

আজ স্বাধীনতার অমৃত মহোৎসব উপলক্ষ্যে এখানেও অন্তর্ভুক্তিমূলক উন্নয়ন অভিযান শুরু হল। এই অভিযান আমাদের সকলের উন্নত ভারত গড়ার প্রচেষ্টাকে, এই চেতনাকে শক্তিশালী করতে চলেছে। প্রতিটি পঞ্চায়েত, প্রতিটি প্রতিষ্ঠানের প্রতিনিধি, দেশের প্রত্যেক নাগরিককে এই উন্নত ভারতের জন্য ঐক্যবদ্ধ হতে হবে। এটি তখনই সম্ভব যখন প্রতিটি মৌলিক পরিষেবা ১০০ শতাংশ সুবিধাভোগীদের কাছে দ্রুত পৌঁছোবে কোনওরকম বৈষম্য ছাড়াই। এতে আপনাদের মতো সমস্ত পঞ্চায়েত প্রতিনিধিদের ভূমিকা অত্যন্ত গুরুত্বপূর্ণ।

ভাই ও বোনেরা,

কৃষি সম্পর্কিত নতুন ব্যবস্থা সম্পর্কে পঞ্চায়েতগুলিতে একটি সচেতনতা অভিযান চালানোরও প্রয়োজন রয়েছে। বর্তমানে দেশে প্রাকৃতিক চাষ নিয়ে ব্যাপক পরিসরে কাজ চলছে। এখানেও রাসায়নিক চাষের অপকারিতা নিয়ে আলোচনা হয়েছে। আমরা দেখেছি কিভাবে আমাদের মেয়েরা আমাদের সবাইকে পৃথিবী মাতার কষ্টের কথা বলেছেন। নাটকের মাধ্যমে পৃথিবী মাতার বেদনা আমাদের কাছে পৌঁছে দেওয়া হয়েছে। রাসায়নিক চাষের ফলে মাতৃভূমির যে ক্ষতি হচ্ছে তা আমাদের এই কন্যারা খুব সহজে সবাইকে বুঝিয়ে দিয়েছেন। পৃথিবীর এই আহ্বান আমাদের সকলকে বুঝতে হবে। আমাদের মাকে হত্যা করার অধিকার আমাদের নেই। এই পৃথিবী আমাদের মা। সেই মাকে হত্যা করার কোনো অধিকার আমাদের নেই। আমি অনুরোধ করছি যে আমাদের পঞ্চায়েতগুলি যেন প্রাকৃতিক চাষ সম্পর্কে জনসচেতনতামূলক প্রচার চালায়। ছোট কৃষক, গবাদি পশুপালক, জেলে ভাইবোনদের সাহায্যের জন্য কেন্দ্রীয় সরকার যে অভিযান শুরু করেছে এতে পঞ্চায়েতগুলির বড় অংশীদারিত্ব রয়েছে। উন্নয়ন-সংক্রান্ত প্রতিটি কর্মকাণ্ডে সম্পৃক্ত হলে তবেই জাতির সম্মিলিত প্রচেষ্টা জোরদার হবে। এটাই অমৃতকালে উন্নত ভারত গড়ার শক্তি হয়ে উঠবে।

বন্ধুগণ,  

আজ, পঞ্চায়েতি রাজ দিবসে, মধ্যপ্রদেশের উন্নয়নে নতুন গতি প্রদানকারী আরও অনেক প্রকল্পের ভিত্তিপ্রস্তর ও উদ্বোধন হয়েছে। ছিন্দওয়াড়া-নৈনপুর-মন্ডলা ফোর্ট রেললাইনের বিদ্যুতায়ন এই অঞ্চলের মানুষদের দিল্লি-চেন্নাই এবং হাওড়া-মুম্বাইয়ের সঙ্গে যোগাযোগকে আরও সহজ করবে। এটা আমাদের আদিবাসী ভাই-বোনদেরও অনেক উপকারে আসবে। আজ ছিন্দওয়াড়া-নৈনপুরের জন্য নতুন ট্রেনও চালু হয়েছে। এই নতুন ট্রেনগুলি চালানোর সঙ্গে সঙ্গে অনেক শহর ও গ্রাম সরাসরি তাদের জেলা সদর দপ্তর ছিন্দওয়াড়া, সিওনির সঙ্গে যুক্ত হবে। এই ট্রেনগুলির সাহায্যে, নাগপুর এবং জবলপুর যাওয়াও সহজ হবে। আজ শুরু হওয়া নতুন রেওয়া-ইটওয়ারি-ছিন্দওয়ারা ট্রেনটিও সিওনি এবং ছিন্দওয়াড়াকে সরাসরি নাগপুরের সঙ্গে সংযুক্ত করবে। এই পুরো এলাকাটি তার বন্যপ্রাণী সম্পদের জন্য খুবই বিখ্যাত। এখানকার ক্রমবর্ধমান যোগাযোগ ব্যবস্থা এলাকার পর্যটন শিল্পকেও সমৃদ্ধ করবে এবং নতুন নতুন কর্মসংস্থানের সুযোগ সৃষ্টি করবে। এতে কৃষক, শিক্ষার্থী, রেলের নিত্য যাত্রী, ক্ষুদ্র ব্যবসায়ী ও দোকানদাররা ব্যাপকভাবে উপকৃত হবেন। অর্থাৎ ডাবল ইঞ্জিন সরকার আজ আপনাদের আনন্দকে দ্বিগুণ করে দিয়েছে।

বন্ধুগণ,

আজ আমি আরও একটি জিনিসের জন্য আপনাকে ধন্যবাদ জানাতে চাই। একটু আগেই  শিবরাজজি বিশদভাবে বর্ণনা করেছেন যে এই রবিবার, ‘মন কি বাত’ অনুষ্ঠানের ১০০ তম পর্ব পূর্ণ হচ্ছে। আপনাদের আশীর্বাদ, আপনাদের স্নেহ এবং আপনাদের অবদানের মাধ্যমেই ‘মন কি বাত’ আজ এই পর্যায়ে পৌঁছেছে। আমি আমার ‘মন কি বাত’-এ মধ্যপ্রদেশের অনেক মানুষের অর্জনের কথা বলেছি। আমি এখানকার মানুষের কাছ থেকে লক্ষ লক্ষ চিঠি ও বার্তা পেয়েছি। এইবার রবিবার, ‘মন কি বাত’ -এও আমি আপনাদের সঙ্গে আবার সাক্ষাতের জন্য অধীর আগ্রহে অপেক্ষা করছি। কারণ এটি একটি শতাব্দী, তাই না? আর এখানে সেঞ্চুরির গুরুত্ব একটু বেশি। আপনারা অবশ্যই প্রতিবারের মত আগামি রবিবার আমার সঙ্গে যোগ দেবেন। এই অনুরোধের মাধ্যমে আমার বক্তব্য শেষ করছি। আবারও, আমি আপনাদের সকলকে পঞ্চায়েতি রাজ দিবসের শুভেচ্ছা জানাই। আপনাদের অনেক অনেক ধন্যবাদ!

ভারত মাতা দীর্ঘজীবী হোক,

ভারত মাতা দীর্ঘজীবী হোক,

ভারত মাতা দীর্ঘজীবী হোক।

 

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।