QuoteLays foundation stone and dedicates development projects worth over Rs 2450
QuoteLays foundation stone and inaugurates PMAY (rural and urban) projects worth around Rs 1950 crores
QuoteParticipates in Gruh Pravesh of around 19,000 houses and hands over house keys to beneficiaries
Quote“PM-Awas Yojana has transformed the housing sector. This has particularly benefited the poor and middle class”
Quote“Double engine government of Gujarat is working with double speed”
Quote“For us, the development of the country is a conviction and a commitment”
Quote“True meaning of secularism is when there is no discrimination at all”
Quote“We have made the house a strong base for war against poverty, a tool of empowerment and dignity of the poor”
Quote“PMAY houses are a package of many schemes”
Quote“Today, we are giving equal emphasis on Ease of Living and Quality of Life in urban planning”

गुजरात के मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेंद्र भाई पटेल, सी आर पाटिल, गुजरात सरकार के मंत्रीगण, पीएम आवास योजना के सभी लाभार्थी परिवार, अन्य सभी महानुभाव और गुजरात के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

आज गुजरात के मेरे जिन हजारों भाई-बहनों का गृह प्रवेश हुआ है, उनके साथ ही मैं भूपेंद्र भाई और उनकी टीम को भी बहुत बधाई देता हूं। अभी मुझे गांव और शहरों से जुड़े हजारों करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और लोकार्पण करने का अवसर मिला है। इसमें गरीबों के लिए घर हैं, पानी के प्रोजेक्ट्स हैं, शहरी विकास के लिए आवश्यक प्रोजेक्‍ट्स हैं, इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट से जुड़े भी कुछ प्रोजेक्‍ट्स हैं। मैं सभी लाभार्थियों को, विशेष रूप से उन बहनों को, जिन्हें आज अपना पक्का घर मिला है, मैं सबको फिर से एक बार बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

भाजपा के लिए देश का विकास, ये कन्विक्शन है, कमिटमेंट है। हमारे लिए राष्ट्र निर्माण, एक निरंतर चलने वाला महायज्ञ है। अभी गुजरात में फिर से बीजेपी सरकार बने कुछ ही महीने हुए हैं, लेकिन विकास ने जो रफ्तार पकड़ी है, वो देखकर मुझे बहुत ही आनंद आ रहा है, सुखद अनुभूति हो रही है।

हाल में ही गरीब कल्याण के लिए समर्पित गुजरात का 3 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया गया था। वंचितों को वरीयता देते हुए अनेक निर्णय एक प्रकार से गुजरात ने नेतृत्व किया है। बीते कुछ महीनों में गुजरात के लगभग 25 लाख लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड दिए गए हैं। गुजरात की लगभग 2 लाख गर्भवती महिलाओं को प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना से मदद मिली है।

इस दौरान गुजरात में 4 नए मेडिकल कॉलेज खुले हैं। नई सरकार बनने के बाद गुजरात में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए हजारों करोड़ रुपए के काम शुरू हुए हैं। इनसे गुजरात के हज़ारों युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर बनने वाले हैं। ये दिखाता है कि गुजरात की डबल इंजन सरकार, डबल गति से काम कर रही है।

साथियों,

बीते 9 वर्षों में पूरे देश में जो अभूतपूर्व परिवर्तन हुआ है, वो आज हर देशवासी अनुभव कर रहा है। एक समय था, जब जीवन की मूलभूत सुविधाओं के लिए भी देश के लोगों को तरसाया गया। बरसों-बरस के इंतज़ार के बाद लोगों ने इस अभाव को ही अपना भाग्य मान लिया था। सभी ऐसा ही मानते थे कि अब अपने नसीब में है, जीवन पूरा करो, अब बच्चे बड़े होकर करना होगा तो करेंगे, ऐसी निराशा, ज्यादातर लोगों ने मान लिया था कि जो झुग्गी-झोंपड़ी में पैदा होगा, उसकी आने वाली पीढ़ियां भी झुग्गी-झोंपड़ी में ही अपना जीवन बसर करेंगी। इस निराशा से देश अब बाहर निकल रहा है।

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आज हमारी सरकार, हर अभाव को दूर करते हुए, हर गरीब तक खुद पहुंचने का काम कर रही है। हम योजनाओं के शत प्रतिशत सैचुरेशन का प्रयास कर रहे हैं। यानी जिस योजना के जितने लाभार्थी हैं, उन तक सरकार खुद जा रही है। सरकार की इस अप्रोच ने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार समाप्त किया है, भेदभाव समाप्त किया है। लाभार्थी तक पहुंचने के लिए हमारी सरकार ना धर्म देखती है और ना ही जाति देखती है। और जब आप किसी गांव में 50 लोगों को मिलना तय है और 50 लोगों को मिल जाता है, किसी भी पंत का हो, किसी भी जाति का हो, उसकी पहचान न हो-हो, कुछ भी हो, लेकिन एक बार सबको मिलता है।

मैं समझता हूं जहां कोई भेदभाव नहीं है वही तो सच्चा सेक्युलरिज्म भी है। जो लोग सोशल जस्टिस की बातें करते हैं, जब आप सबके सुख के लिए काम करते हैं, सबकी सुविधा के लिए काम करते हैं, सबको उसका हक पहुंचाने के लिए शत-प्रतिशत काम करते हैं तो मैं समझता हूं कि इससे बढ़ करके कोई सामाजिक न्‍याय नहीं होता है, इससे बढ़ करके कोई सोशल जस्टिस नहीं होता है, जिस राह पर हम चल रहे हैं। और हम सब जानते हैं कि जब गरीब को अपने जीवन की मूल आवश्यकताओं की, उसकी चिंता कम होती है, तो उसका आत्मविश्वास बढ़ जाता है।

थोड़ी देर पहले करीब-करीब 40 हजार, 38 thousand वैसे गरीब परिवारों को अपना पक्का घर मिला है। इनमें से भी करीब 32 हज़ार घर बीते सवा सौ दिनों के भीतर बनकर तैयार हुए हैं। इनमें से अनेक लाभार्थियों से अभी मुझे बातचीत करने का मौका मिला। और उनकी बात सुन के आपको भी लगा होगा की उन मकानों के कारण उनका आत्मविश्वास कितना सारा था और जब एक-एक परिवार उतना सारा आत्मविश्वास पैदा होता है तो वह समाज की कितनी बड़ी शक्ति बन जाती है। गरीब के मन में जो आत्मविश्वास बनता है और उसको लगता है कि हाँ, यह मेरे हक का है और यह समाज मेरे साथ है यह बहुत बड़ी ताकत बन जाती है।

साथियों,

पुरानी नीतियों पर चलते हुए, फेल हो चुकी नीतियों पर चलते हुए, ना देश का भाग्य बदल सकता है और ना ही देश सफल हो सकता है। पहले की सरकारें किस अप्रोच के साथ काम कर रही थीं, आज हम किस सोच के साथ काम कर रहे हैं, ये समझना बहुत जरूरी है। गरीबों के लिए आवास देने की योजनाएं हमारे देश में लंबे समय से चल रही थीं। लेकिन 10-12 साल पहले के आंकड़े कहते थे कि हमारे गांवों के लगभग 75 प्रतिशत परिवार ऐसे थे, जिनके घर में पक्का शौचालय नहीं था।

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गरीबों के घर की जो योजनाएं पहले चल रही थी, उनमें भी इस पर ध्यान नहीं दिया जाता था। घर सिर्फ सिर ढकने की छत नहीं होती है, जगह भर नहीं होती है। घर एक आस्था का स्थल होता है, जहां सपने आकार लेते हैं, जहां एक परिवार का वर्तमान और भविष्य तय होता है। इसलिए, 2014 के बाद हमने गरीबों के घर को सिर्फ एक पक्की छत तक सीमित नहीं रखा। बल्कि हमने घर को गरीबी से लड़ाई का एक ठोस आधार बनाया, गरीब के सशक्तिकरण का, उसकी गरिमा का माध्यम बनाया।

आज सरकार के बजाय लाभार्थी खुद तय करता है कि पीएम आवास योजना के तहत उसका घर कैसा बनेगा। ये दिल्‍ली से तय नहीं होता है, गांधीनगर से तय नहीं होता है, खुद तय करता है। सरकार सीधे उसके बैंक अकाउंट में पैसा जमा करती है। घर बन रहा है, ये प्रमाणित करने के लिए हम अलग-अलग स्टेज पर घर की जियो-टैगिंग करते हैं। आप भी जानते हैं कि पहले ऐसा नहीं था। लाभार्थी तक पहुंचने से पहले घर का पैसा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता था। जो घर बनते थे, वो रहने लायक नहीं होते थे।

भाइयों और बहनों,

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बन रहे घर आज सिर्फ एक योजना तक सीमित नहीं हैं, ये कई योजनाओं का एक पैकेज है। इसमें स्वच्छ भारत अभियान के तहत बना शौचालय है। इसमें सौभाग्य योजना के तहत बिजली कनेक्शन मिलता है। इसमें उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त एलपीजी कनेक्शन गैस का मिलता है। इसमें जल जीवन अभियान के तहत नल से जल मिलता है।

पहले ये सारी सुविधाएं पाने के लिए भी गरीब को सालों-साल सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे। और आज गरीब को इन सभी सुविधाओं के साथ ही मुफ्त राशन और मुफ्त इलाज की सुविधा भी मिल रही है। आप कल्पना कर सकते हैं, गरीब को कितना बड़ा सुरक्षा कवच मिला है।

साथियों,

पीएम आवास योजना, गरीबों के साथ-साथ महिला सशक्तिकरण को भी बहुत बड़ी ताकत दे रही है। पिछले 9 वर्षों में करीब-करीब 4 करोड़ पक्के घर गरीब परिवारों को मिल चुके हैं। इन घरों में लगभग 70 प्रतिशत घर महिला लाभार्थियों के नाम पर भी हैं। ये करोड़ों बहनें वो हैं, जिनके नाम पर पहली बार कोई प्रॉपर्टी रजिस्टर्ड हुई है। अपने यहाँ अपने देश में गुजरात में भी पता है, की घर हो तो पुरुष के नाम पर, गाड़ी हो तो पुरुष के नाम पर, खेत हो तो पुरुष के नाम पर, स्कूटर हो तो भी वह पुरुष के नाम पर, और पति के नाम पर हो, पति जो न रहे तो उनके बेटे के नाम पर हो जाता है, माँ के नाम पर महिला के नाम पर कुछ नहीं होता। मोदी ने यह स्थिति बदल दी है, और अब माता-बहनों के नाम पर सरकारी योजना के जो लाभ होते हैं, उसमें माता का नाम जोड़ना पडता है, या तो माता को ही हक दिया जाता है।

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पीएम आवास योजना की मदद से बने हर घर की कीमत अब पांच-पचास हजार में घर नहीं बनते डेढ़ लाख पौने दो लाख तक खर्च होता है। इसका मतलब यह हुआ कि यह जो सारे प्रधानमंत्री आवास योजना में रहने गए हैं न उनके घर लाखों की कीमत के हैं और लाखों की कीमत के घर के मालिक बने इसका मतलब यह हुआ की करोड़ों करोड़ों महिलाए लखपति बन गई हैं, और इसलिए यह मेरी लखपति दीदी हिन्दुस्तान के हर कोने से मुझे आशीर्वाद देती है, ताकि मैं उनके लिए ज्यादा काम कर सकूँ।

साथियों,

देश में बढ़ते हुए शहरीकरण को देखते हुए, बीजेपी सरकार, भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए भी काम कर रही है। हमने राजकोट में आधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोग करके एक हजार से ज्यादा घर बनाए हैं। ये घर कम कीमत में, बहुत कम समय में तैयार किए गए हैं और उतने ही ज्यादा सुरक्षित भी हैं। लाइट हाउस प्रोजेक्ट के तहत हमने देश के 6 शहरों में ये प्रयोग किया है। ऐसी टेक्नॉलॉजी से आने वाले समय में और अधिक सस्ते और आधुनिक घर गरीबों को मिलने वाले हैं।

साथियों,

हमारी सरकार ने घरों से जुड़ी एक और चुनौती को दूर किया है। पहले रियल एस्टेट सेक्टर में मनमानी चलती थी, धोखेबाज़ी की शिकायतें आती थीं। मध्यम वर्ग के परिवारों को सुरक्षा देने के लिए कोई कानून नहीं था। और ये जो बड़े-बड़े बिल्‍डर योजनाएं ले करके आते थे, इतने बढ़िया फोटो होते थे, घर में भी तय होता है यही मकान ले लेंगे। और जब देते थे तब दूसरा ही दे देते थे। लिखा हुआ एक होता था, देते थे दूसरा।

हमने एक रेरा कानून बनाया। इससे मिडिल क्लास परिवारों को कानूनी सुरक्षा मिली है। और पैसे देते समय जो डिजाइन दिखाई थी, अब उसको बनाने वालों को वैसा मकान बना कर देना compulsory है, वरना जेल में व्‍यवस्‍था रहती है। यही नहीं, हम मिडिल क्लास परिवार को भी घर बनाने के लिए पहली बार आजादी के बाद पहली बार मिडिल क्‍लास को बैंक लोन के साथ ब्‍याज की मदद की व्‍यवस्‍था की गई है।

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गुजरात ने इसमें भी बहुत अच्छा काम किया है इस क्षेत्र में। गुजरात में मध्यम वर्ग के ऐसे 5 लाख परिवारों को 11 हज़ार करोड़ रुपए की मदद देकर, सरकार ने उनके जीवन का सपना पूरा किया है।

साथियों,

आज हम सभी मिलकर आज़ादी के अमृतकाल में विकसित भारत के निर्माण के लिए प्रयास कर रहे हैं। इन 25 वर्षों में हमारे शहर विशेष रूप से टीयर-2, टीयर-3 शहर अर्थव्यवस्था को गति देंगे। गुजरात में भी ऐसे अनेक शहर हैं। इन शहरों की व्यवस्थाओं को भी भविष्य की चुनौतियों के हिसाब से तैयार किया जा रहा है। देश के 500 शहरों में बेसिक सुविधाओं को अमृत मिशन के तहत सुधारा जा रहा है। देश के 100 शहरों में जो स्मार्ट सुविधाएं विकसित हो रही हैं, वो भी उन्हें आधुनिक बना रही हैं।

साथियों,

आज हम अर्बन प्लानिंग में Ease of Living और Quality of Life, दोनों पर समान जोर दे रहे हैं। हमारी कोशिश है कि लोगों को एक जगह से दूसरी जगह जाने में बहुत ज्यादा समय खर्च ना करना पड़े। आज देश में इसी सोच के साथ मेट्रो नेटवर्क का विस्तार किया जा रहा है। साल 2014 तक देश में ढाई सौ किलोमीटर से भी कम का मेट्रो नेटवर्क था। यानी 40 साल में 250 किलोमीटर मेट्रो रूट भी नहीं बन पाया था। जबकि बीते 9 साल में 600 किलोमीटर नया मेट्रो रूट बना है, उन पर मेट्रो चलनी शुरू हो गई है।

आज देश में 20 शहरों में मेट्रो चल रही है। आज आप देखिए, अहमदाबाद जैसे शहरों में मेट्रो के आने से पब्लिक ट्रांसपोर्ट कितना सुलभ हुआ है। जब शहरों के आसपास के क्षेत्र आधुनिक और तेज कनेक्टिविटी से जुड़ेंगे तो उससे मुख्य शहर पर दबाव कम हो जाएगा। अहमदाबाद-गांधीनगर जैसे ट्विन सिटी, आज वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी ट्रेनों से भी जोड़े जा रहे हैं। इसी प्रकार गुजरात के अनेक शहरों में इलेक्ट्रिक बसें भी तेजी से बढ़ाई जा रही हैं।

साथियों,

गरीब हो या मिडिल क्लास, हमारे शहरों में क्वालिटी ऑफ लाइफ तभी संभव है जब हमें साफ-सुथरा वातावरण मिले, शुद्ध हवा मिले। इसके लिए देश में मिशन मोड पर काम चल रहा है। हमारे देश में हर दिन हजारों टन म्युनिसिपल वेस्ट पैदा होता है। पहले इसे लेकर भी देश में कोई गंभीरता नहीं थी। बीते वर्षों में हमने वेस्ट मैनेजमेंट पर बहुत बल दिया है। 2014 में जहां देश में केवल 14-15 प्रतिशत वेस्ट प्रोसेसिंग होती थी, वहीं आज 75 प्रतिशत वेस्ट प्रोसेस हो रहा है। अगर ये पहले ही हो गया होता तो हमारे शहरों में आज कूड़े के पहाड़ ना खड़े हुए होते। अब केंद्र सरकार, ऐसे कूड़े के पहाड़ों को समाप्त करने के लिए भी मिशन मोड पर काम कर रही है।

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साथियों,

गुजरात ने देश को वाटर मैनेजमेंट और वाटर सप्लाई ग्रिड का बहुत बेहतरीन मॉडल दिया है। जब कोई 3 हज़ार किलोमीटर लंबी मुख्य पाइपलाइन और सवा लाख किलोमीटर से अधिक की डिस्ट्रीब्यूशन लाइनों के बारे में सुनता है, तो उसे जल्दी विश्वास ही नहीं होता कि इतना बड़ा काम। लेकिन ये भागीरथ काम गुजरात के लोगों ने करके दिखाया है। इससे करीब 15 हज़ार गांवों और ढाई सौ शहरी क्षेत्रों तक पीने का शुद्ध पानी पहुंचा है। ऐसी सुविधाओं से भी गुजरात में गरीब हो या मध्यम वर्ग, सभी का जीवन आसान हो रहा है। गुजरात की जनता ने जिस प्रकार अमृत सरोवरों के निर्माण में भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित की है, वो भी बहुत सराहनीय है।

साथियों,

विकास की इसी गति को हमें निरंतर बनाए रखना है। सबके प्रयास से ही अमृत काल के हमारे हर संकल्प सिद्ध होंगे। अंत में फिर आप सभी को विकास कार्यों की मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं। जिन परिवारों का अपना सपना सिद्ध हुआ है, घर मिला है, अब वो नए संकल्प ले करके परिवार को आगे बढ़ने का सामर्थ्य जुटाएं। विकास की संभावनाएं अपरम्पार हैं, आप भी उसके हकदार हैं और हमारा भी प्रयास है, आइए मिल करके भारत को और तेज गति दें। गुजरात को और समृद्धि की तरफ ले जाएं। इसी भावना के साथ आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद!

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