विशाल संख्‍या में पधारे हुए सभी प्‍यारे भाईयों और बहनों और विशेष रूप से महाराष्‍ट्र से आये मित्रों को भी नमस्कार,

बोले सो निहाल..सत् श्री अकाल! शहीदों..अमर रहो! शहीदो..अमर रहो! शहीदों..अमर रहो!

आज मेरे लिए बड़ी प्रेरक घड़ी है। एक नई प्रेरणा जिनका नाम कानों पर पड़ते ही देश के हर नागरिक को मिलती है ऐसे सरदार भगत सिंह जी, सुखदेव, राजगुरू, बटूकेश्‍वर दत्‍त और भगत‍ सिंह जी की माता जी, जिस धरती पर एक वीर माता के साथ भारत माँ के प्‍यारे लाड़ले चार वीरों की समाधि को नमन करने का मुझे अवसर प्राप्‍त हुआ है। यह पंजाब की धरती की विशेषता है। इस धरती ने, आजादी के जंग में सबसे ज्‍यादा बलिदान दिया है। देश की रक्षा के लिए सीमा पर मोर्चा संभालते हुए अनेक वीर जवानों ने शहादत दी है।..और देश को आगे बढ़ाने के लिए यहां के किसानों ने अपना पसीना बहाकर के देश के अन्‍न भंडार भर दिये। यह ऐसी धरती है, जहां आजादी के पहले भी यहां के लोग देश के लिए जिए और आजादी के बाद भी देश के लिए जी रहे हैं। मैं इस धरती को, यहां के सभी वीरों को, यहां के सभी वीर माताओं को आदरपूर्वक नमन करता हूं।

अंग्रेजों ने.. उनको भगत सिंह का भय कितना रहता था.. तय तो यह हुआ था कि 24 मार्च को भगत सिंह जी को फांसी दे दी जाएगी। लेकिन घबराई हुई अंग्रेजी सल्‍तनत ने सारे नियमों का उल्‍लंघन करते हुए, सारी परंपराओं को तोड़ते हुए, चोरी छिपे से सरदार भगत सिंह जी को फांसी दी। और इतना ही नहीं, वो शरीर उनके परिवारजनों को देने की बजाय लाहौर जेल से लाकर के यहां पर किसी भी सम्‍मान के बिना मिट्टी के तेल में और अगल-बगल से कूड़ा कचरा इकट्ठा करके उनके शरीर को जला देने का काम उस सल्‍तनत ने किया। यही धरती है, यहां पर उनका शरीर विलीन हो गया। मैं आज भगत सिंह, सुखदेव राजगुरू.. उन वीरों की उस महान परंपरा को प्रणाम करने आया हूं।

भाईयों-बहनों आज हिंदुस्‍तान में किसी एक नाम को सुनते ही हिंदुस्‍तान के हर कोने में जवान, वृद्ध सबको चेतना जग जाती है, प्रेरणा मिल जाती है, वो नाम है सरदार भगत सिंह। उस नाम में वो ताकत है, जो आज भी देश के नौजवानों को देश के लिए जीने-मरने की प्रेरणा देता है। ऐसे महापुरूषों ने बलिदान दिया, तब जाकर के देश आजाद हुआ। उनके सपनों को पूरा करना.. और उन सपनों को पूरा करने के लिए जैसा भारत उन्‍होंने चाहा था वैसा भारत बनाने के लिए हम जितना करे उतना कम है।

हमारा गांव आबाद हो, हमारा किसान खुशहाल हो, हमारे नौजवान को रोजगार हो, दलित, पीडि़त, शोषित, वंचित, गांव, गरीब, शहर के मजदूर, उनके जीवन में बदलाव आए। जब तक हम देश में यह बदलाव नहीं लाते हैं, तब तक देश के लिए बलिदान देने वाले महापुरूषों को सच्‍ची श्रद्धांजलि अधूरी रहेगी।

भाईयों-बहनों हमारा सपना भी है, हमारा कर्तव्‍य भी है कि हम इस भारत मां को सुजलाम, सुफलाम बनाए। यह भारत मां, यहां के नौजवान अपनी आशा-आकांक्षा के अनुरूप जीवन में नई ऊंचाईयों को पार कर सके, हरेक को अवसर मिले विकास का, ऐसे देश को नई ऊंचाईयों पर ले जाने का प्रयास, हम सबका दायित्‍व बनता है। तब जाकर के इन महापुरूषों को सच्‍ची श्रद्धांजलि होगी।

हमने सपना देखा है – 2022! जब भारत की आजादी के 75 साल पूरे होंगे। हमारे देश में 75 साल एक अमृत पर्व होता है। इस अमृत पर्व का विशेष महत्‍व होता है। क्‍या हम 2022 में जब अमृत पर्व मनाएं तब इस देश में कोई भी परिवार ऐसा न हो, जिसके पास रहने के लिए अपना घर न हो।

भाईयों-बहनों आज भगत सिंह जी की समाधि पर मैं आया हूं। उस महापुरूष के बलिदान को याद करता हूं और मन करता है जी-जान से जुट जाएं देश के गरीब से गरीब व्‍यक्ति को भी.. जब आजादी का अमृत पर्व मनाएं तब उसका अपना घर मिल जाए। 2019! महात्‍मा गांधी के 150 साल पूरे होंगे। महात्‍मा गांधी के 150 साल कैसे मनाएं? क्‍या हमारे देश के महापुरूषों को हम स्‍वच्‍छ भारत नजराने के रूप में नहीं दे सकते? क्‍या यह भारत के सवा सौ करोड़ नागरिकों की जिम्‍मेवारी नहीं है कि हमारी भारत माता जिसके लिए इतने लोगों ने बलिदान दिये उसे हम स्‍वच्‍छ तो रखे, साफ-सुथरी रखें इस दायित्‍व को हम निभाएं और स्‍वच्‍छ भारत का सपना महात्‍मा गांधी के 150 साल पूरा होने के अवसर पर हम पूरा करें। हर गांव, हर गली, हर गली, हर परिवार, हर कोई अपने दायित्‍व को निभाएं।

और आज 23 मार्च ! राम मनोहर लोहिया जी का भी जन्‍म जयंती का अवसर है। राम मनोहर लोहिया जी एक ऐसे राजपुरूष थे, जब वो राजनीतिक आंदोलन चलाते थे, तो अपनी विचारधारा के साथ-साथ एक बात का ख्‍याल रखते थे। वे स्‍वच्‍छता का आंदोलन अपनी जवानी में चलाए करते थे। राम मनोहर लोहिया स्‍वच्‍छता का आंदोलन लगातार चलाया करते थे। आज उनकी भी जयंती है, भगत सिंह की शहादत का पर्व है और भारत माता के लिए जीने वाले इन लोगों को जब याद करते हैं तब हमारी भारत माता स्‍वच्‍छ हो, विकास की नई ऊंचाईयों को पार करने वाला हर नागरिक को अवसर हो। इस दिशा में हम आगे बढ़ना चाहते हैं।

मेरे किसान भाईयों-बहनों पंजाब ने देश को भूख से बचाया है। देश को अन्‍न देने का पुण्‍य का काम पंजाब के किसान ने किया है लेकिन आज पंजाब में पानी जमीन में गहरा होता जा रहा है। Danger रेखा से भी नीचे चला गया है। पानी परमात्‍मा का दिया हुआ प्रसाद है। पानी को बचाए बिना, हम न खेती बचा सकते हैं, न जीवन बचा सकते हैं और इसलिए मैं पंजाब के किसान भाईयो-बहनों से आग्रह करूंगा कि हम फसल पैदा करे, आधुनिक विज्ञान का प्रयोग करें। Per drop more crop, micro irrigation, टपक सिंचाई हो, स्प्रिंक्‍लर हो। बहुत सारी चींजें आज विज्ञान ने स्‍वीकार की है। कभी-कभी जब तक हमारा किसान, खेत पानी से लबालब भरा न हो तब तक उसकी आंखों को चैन नहीं पड़ता। उसको लगता है कि पूरा खेत पानी से पूरी तरह भरा होगा, तभी फसल होगी।

मेरे किसान भाईयों-बहनों मैं भी गरीब परिवार का.. मैंने इन सारी चीजों को निकट से देखा है और इसलिए मैं आपको कहता हूं कि विज्ञान बदल चुका है और इसलिए मैं आपको एक छोटी सी बात बताऊं। अगर कोई बालक घर में बीमार रहता है, वजन नहीं बढ़ता है, चेहरे पर मुस्‍कान नजर नहीं आती है, दुबला-पतला रहता है और मां-बाप की इच्‍छा रहती है कि बेटा तंदरूस्‍त हो, वजन बढ़े, दौड़े-कूदे। मां-बाप ऐसे में बादाम, केसर, पिस्‍ता यह डालकर के बाल्‍टी भर दूध रोज, बाल्‍टी भर दूध से उस बच्‍चे को अगर नहला दें तो वजन बढ़ेगा क्‍या? चेहरे पर मुस्‍कान आएगी क्‍या? तबियत ठीक होगी क्‍या? आप भी जानते हैं नहीं होगी। केसर, पिस्‍ता, बादाम वाला दूध हो, बाल्‍टी भर दूध हो, रोज दूध से नहलाते हो, लेकिन उसके शरीर में कुछ नहीं होगा। लेकिन अगर समझदार मां-बाप चम्‍मच से, एक चम्‍मच दूध पिलाएंगे, रोज 10 चम्‍मच, 15 चम्‍मच, 20 चम्‍मच पिलाना शुरू कर देंगे, तो बच्‍चे का वजन बढ़ने लगेगा। शरीर तंदरूस्‍त होगा। जो स्‍वभाव बच्‍चे का होता है, वही स्‍वभाव फसल का होता है और इसलिए फसल को ढेर सारा पानी देने से फसल अच्‍छी होती है, ऐसे पुराने विचारों को छोड़ना पड़ेगा। बूंद-बूंद पानी पिलाना से फसल ज्‍यादा होगी, अच्‍छी होगी, कम जमीन में भी ज्‍यादा पैदावार होगी और तब जाकर के पंजाब में जो पानी नीचे चला जा रहा है, वो पानी ऊपर आएगा। मेरे भाईयों बहनों बरसात का पानी, बूंद-बूंद पानी बचाएंगे, जमीन में उसको वापस डालेंगे, तभी जाकर के पंजाब की पानी की समस्‍या का समाधान कर पाएंगे।

हमारे पास नहरों का इतना बड़ा नेटवर्क है, लेकिन जितनी मात्रा में पानी जाना चाहिए उतना जा नहीं रहा है। शुरू के इलाके में तो पानी पहुंचता है लेकिन नहर का जहां आखिरी इलाका है, वहां पानी नहीं पहुंचता। हमने एक योजना बनाई है-‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’। इस योजना के तहत हमारा सपना है कि हिंदुस्‍तान के हर किसान के खेत तक पानी पहुंचाया जाए, नदियों को जोड़ा जाए, नहरों को ठीक किया जाए, नई नहरों को बनाया जाए। अगर किसान को पानी पहुंच गया तो मैं विश्‍वास दिलाता हूं मिट्टी में से सोना पैदा करने की ताकत मेरे किसान भाईयों-बहनों में हैं और वो हिंदुस्‍तान के आर्थिक स्थिति को बदल सकते हैं। उस काम की और हमें जाना है।

मुझे आज मेरे किसान भाईयों-बहनों को मेरी एक चिंता भी मुझे बतानी है और वो चिंता.. मैं देख रहा हूं कि ज्‍यादा फसल के मोह में आज हम ऐसी-ऐसी गलतियां कर रहे हैं कि जिसके कारण हमारी जमीन बर्बाद हो गई है। जमीन अपनी ताकत खो रही है। अगर धरती माता अपनी ताकत खो देगी तो इस धरती पर पलने वाले बच्‍चों का पालन-पोषण कैसे होगा। हम जिस प्रकार से Chemical Fertilizer का उपयोग करते हैं.. पंजाब का क्‍या हाल करके रखा है किसान भाईयों-बहनों हमने! कितनी मात्रा में, कौन सा खाद डालना चाहिए.. हम कैसी बड़ी गलती कर रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है, विज्ञान में सिद्ध हुआ है कि जितना पोटाश का उपयोग करते हैं उससे चार गुना से ज्‍यादा नाइट्रोजन का उपयोग फसल भी बर्बाद करता है, जमीन भी बर्बाद करता है। चार गुना से कम नाइट्रोजन उपयोग करना चाहिए लेकिन हमारे पंजाब में कितना उपयोग होता है, आपको मालूम है? 57 गुना! आप कल्‍पना कर सकते हैं जैसे परिवार में दवाई देनी है, लेकिन ज्‍यादा dose दे दें तो मौत भी हो जाती है वैसे नाइट्रोजन इतना गुना डालने के कारण हमारी फसल और हमारी जमीन सबको हम बर्बाद कर देते हैं। मैं पंजाब के किसानों से आग्रह करता हूं कि आप देश को दिशा दीजिए, आप देश का नेतृत्‍व कीजिए और तय कीजिए कि जितने अनुपात में Fertilizer चाहिए उससे ज्‍यादा डालने का पाप हम नहीं करेंगे, हम ऐसी गलती नहीं करेंगे। इतना ही नहीं पोटाश से फास्‍फोरस डब्‍बल से ज्‍यादा उपयोग नहीं करना चाहिए, वरना खेती बर्बाद हो जाती है। लेकिन हम क्‍या करते हैं, पंजाब के अंदर पोटास से फास्‍फोरस का उपयोग 13 गुना करते हैं। जबकि दो गुना से ज्‍यादा नहीं करना चाहिए। मुझे बताइये मेरे किसान बहनों-भाईयों कि पंजाब, पंजाब का गांव, पंजाब का किसान, पंजाब की फसल जिस पर पूरा हिंदुस्‍तान जी रहा है अगर वही बर्बाद हो जाएगा तो पूरा देश भूख मर जाएगा और इसलिए मेरे किसान भाईयों-बहनों मैं आपसे आग्रह करने आया हूं कि आप विज्ञान, आधुनिक यंत्र.. और जिसमें सरकार पूरी मदद करती है.. आप इसका सही उपयोग करें। इसका दुरूपयोग तत्‍काल तो हमें अच्‍छा लगता है, लेकिन लम्‍बे समय के लिए हमारा बहुत नुकसान करता है और इसलिए मेरे किसान भाईयों-बहनों इससे बचकर रहना चाहिए यह मैं विशेष रूप से आग्रह करना चाहता हूं।

सरकार ने किसानों के लिए एक महत्‍वपूर्ण योजना बनाई है। इस योजना को हमने लागू किया है और आप तक हम पहुंचाना चाहते हैं और वो है – Soil Health Card. जैसे नागरिक का Health Card होता है, उसका शरीर कैसा, Blood कैसा, तबियत कैसी है, कमियां क्‍या है, वो सब Health Card से पता चलता है। वैसा ही जैसे इंसान के शरीर का स्‍वभाव है, वैसा ही जमीन का भी स्‍वभाव है। जमीन को भी बीमारियां होती है, जमीन में भी कमियां होती हैं लेकिन हमें पता नहीं होता और उसके कारण हम.. जमीन का किसके लिए उपयोग करना चाहिए, नहीं कर पाते। इस बात को समझाने के लिए गांव-गांव किसानों को Soil Health Card देने की सरकार ने योजना बनाई है। आपकी जमीन कैसी है, आपकी जमीन की तबियत कैसी है, आपकी जमीन में कौन सी कमियां है, आपकी जमीन में कौन सी फसल अच्‍छी हो सकती है, आपको अगर दवाई डालनी है तो कौन सी दवाई की जरूरत है, आपको अगर Fertilizer डालना है तो कौन सा Fertilizer डालना है, कितना डालना है यह सारी बातें Soil Health Card से पता चलती हैं और यदि किसान Soil Health Card से योजना करके चलता है तो मैं विश्‍वास दिलाता हूं मेरे किसान बहनों-भाईयों छोटे किसान को भी साल का 40-50 रुपया, जो ज्ञान के अभाव के रूप में फालतू में खर्चा होता है, वो बच जाएगा। मेरे किसान को बहुत बड़ा फायदा होगा। इसलिए यह बहुत बडा काम पूरे देश में हमने चलाया है Soil Health Card का। और मुझे विश्‍वास है कि हमारे पंजाब के किसान भी इस बात की चिंता करेंगे।

मेरे किसान भाईयों बहनों एक तो पिछले साल बारिश कम हुई। हिंदुस्‍तान के कई राज्‍यों में कम बारिश के कारण किसानों को नुकसान हुआ, कहीं पर सूखा पड़ा गया और ऊपर से अभी-अभी ओले गिरे। मैं जानता हूं कि किसानों पर कितनी बड़ी आपत्ति आई होगी। मैंने भारत सरकार के अधिकारियों को, मंत्रियों को आदेश दिए हैं, सर्वे का काम शुरू हुआ है, राज्य सरकार और भारत सरकार मिलकर के आपके इस संकट की घड़ी में आपके साथ हैं। आपको जो नुकसान हुआ है.. हमारा किसान टिक सके.. जितनी भी मदद सरकार कर सकती है उसमें सरकार किसी भी हालत में पीछे नहीं रहेगी। यह मैं आपको विश्‍वास दिलाना चाहता हूं।

मेरे भाईयों-बहनों आज जब मैं सरदार भगत सिंह जी की शाहदत के इस पावन पर्व पर, इस पवित्र धरती पर आया हूं, तब मैं.. सरकार ने बजट में घोषणा की है.. क्‍योंकि पंजाब और किसान का अटूट नाता है और इसलिए अमृतसर में किसानों के लिए उपयोगी हो ऐसी Institute for Horticulture Education इसका आरंभ किया जाएगा और आज मैं जब यहां आया हूं तब इस नये Institute को हम सरदार भगत सिंह Post Graduate Institute for Horticulture Research and Education इस रूप में निर्माण करेंगे ताकि पंजाब किसान की जो नई पीढ़ी है उसके कारण उसको लाभ मिलेगा।

भाईयों बहनों भारत सरकार की यह सोच है कि अगर देश को आगे बढ़ाना है तो राज्‍यों को आगे बढ़ाना पड़ेगा। अगर हमारे राज्‍य मजबूत नहीं होंगे तो देश मजबूत नहीं होगा। अगर राज्‍य आगे नहीं बढ़ेंगें तो देश आगे नहीं बढ़ेगा और इसलिए हमारी सरकार की हर योजना राज्‍यों को मजबूत बनाने के लिए है। अभी इस बार 14th Finance Commission की रिपोर्ट के आधार पर अकेले पंजाब को कितना बड़ा लाभ होने वाला है। पंजाब इन रुपयों का सही इस्‍तेमाल करके कितना आगे बढ़ सकता है इसका मैं भली-भांति अंदाज कर सकता हूं और मुझे विश्‍वास है कि बादल साहब के नेतृत्‍व में प्रगतिशील निर्णयों के द्वारा पंजाब के जीवन को बदलने में यह रकम बहुत काम आने वाली है। पहले पिछली पंचवर्षीय योजना में भारत सरकार की तरफ से पंचवर्षीय योजना के तहत पंजाब को 20 हजार करोड़ रुपये मिले थे। भाईयों-बहनों आने वाले पांच साल के लिए यह रकम बढा़कर के 54 हजार करोड़ रुपये कर दी जाएगी, डबल से भी ज्‍यादा। इतना ही नहीं पंचायत और नगरपालिकाओं के लिए भारत सरकार ने पहले चार हजार करोड़ रुपया दिया था, इस बार हमने वो रकम बढा़कर के छह हजार करोड़ रुपये कर दी। जिसके कारण गांव के व्‍यक्ति को भी इसका फायदा पहुंचाने में काम आ जाएगी। इस बार भी पहले की तुलना में करीब-करीब चार हजार करोड़ रुपया ज्‍यादा, अतिरिक्‍त चार हजार रुपया पंजाब के विकास के लिए भारत सरकार की तिजोरी से आने वाला है।

स्थिति ऐसी हो गई है.. एक जमाना था कि दिल्‍ली के खजाने में देश की सभी तिजौरियों का करीब 60-65 प्रतिशत पैसा रहता था। राज्‍यों के पास 35-40 प्रतिशत रहता था। हमारे आने के बाद चित्र हमने बदल दिया है। अब राज्‍यों के पास करीब-करीब 60-62 प्रतिशत राशि रहेगी और केंद्र के पास सिर्फ 38% राशि रहेगी और राज्‍य मजबूत होंगे। राज्‍य विकास की नई ऊंचाईयों को पार करेंगे। उस दिशा में हम काम कर रहे हैं।

यहां पर रास्‍ते बनाने के लिए भारत सरकार की जो योजनाएं हैं.. रेल को बढ़ाने के लिए.. आज मेरे लिए खुशी की बात है कि अमृतसर से आनंदपुर साहब रेलवे की योजना का साकार रूप हमारे सामने खड़ा हुआ है। यह गर्व की बात है। आनंदपुर साहब यात्रियों के लिए एक मुख्‍य धाम है और किसी को भी हिमाचल में भी किसी जगह जाना है तो आनंदपुर साहब से ही जाते हैं। चिंतपुरणी जाना है, ज्‍वालाजी जाना है तो यहीं से जाते हैं। इस पूरे इलाके को इसका लाभ मिलने वाला है। एक प्रकार से विकास की नई ऊंचाईयों को पार करने की दिशा में हम लगातार प्रयासरत है।

..और मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं, मेरे पंजाब के किसान भाईयों-बहनों, आपने कभी सोचा था.. किसान 60 साल के बाद.. उसको कभी पेंशन मिल सकता है। सरकारी मुलाजिम को तो पेंशन मिल जाता है। किसान को पेंशन मिल सकता है क्‍या? 60 साल के बाद हर महीना उसको चैक मिल सकता है क्‍या? मेरे किसान भाईयों-बहनों इस बार भारत सरकार ने एक योजना बनाई है जिसमें Public Private Partnership के modal पर.. किसान को.. 60 साल के बाद अगर वो इस योजना से जुड़ जाता है, तो उसको हर महीना पांच हजार रुपया पेंशन की राशि मिल सकती है। हमारे देश के किसान का बुढ़ापा भी सुख, शांति और गौरव से बीते उस दिशा में काम करने का एक अहम कदम इस बार हमने बजट में उठाया है।

भाईयों-बहनों इन दिनों किसान को गुमराह करने के लिए भांति-भांति के प्रयास हुए हैं। कल मैंने रेडियो पर मेरी “मन की बात” में, किसानों ने जितने सवाल पूछे थे, सारे सवालों के मैंने जवाब दिये और मैं किसानों को विश्‍वास दिलाता हूं कि अगर इस देश को आगे बढ़ना है तो किसान की रक्षा करनी होगी, गांव का भला करना होगा, लेकिन साथ-साथ किसान के बेटों के लिए भी चिंता करनी होगी। किसान के बेटे को रोजगार चाहिए। आज सेना में जितने जवान हैं वो कौन है? 80% से ज्‍यादा जवान किसान मां-बाप के बेटे हैं। किसान अपने बेटे को सेना में भर्ती करता है, युद्ध के लिए भेजता है। उसे मालूम है कि अगर परिवार में तीन बच्‍चे हैं तो तीनों का जीवन आज खेती से गुजरता नहीं है। हर किसान को पूछो कि भई आपके तीन बेटे हैं क्‍या चाहते हो? हर किसान कहता है – एक बेटा तो खेती करेगा लेकिन दो को तो कहीं भेजना चाहता हूं, कहीं नौकरी कर ले, रोजी-रोटी कमा ले, पढ़-लिख करके अपना करोबार चला ले। हर किसान की यह चिंता है। अगर विकास नहीं होगा तो किसान के बच्‍चों का क्‍या होगा? क्‍या मेरे किसान के बच्‍चे दिल्‍ली और मुंबई की झुग्‍गी-झोपड़ी में जिंदगी गुजारने के लिए मजबूर होने चाहिए?

किसान के बच्‍चों को भी रोजगार चाहिए, किसान के बेटों का भी भला होना चाहिए और इसलिए मेरे भाईयों-बहनों हमारी सरकार किसान का तो भला चाहती है, गांव का भी भला चाहती है, किसान के बच्‍चों का भी भला चाहती है। इस तरह एक लम्‍बी सोच के साथ, देश के विकास की ओर आगे बढ़ने की दिशा में हमने प्रयास किया है। आज वीर सरदार भगत सिंह जी के आशीर्वाद मिले, सुखदेव-राजगुरू के आशीर्वाद मिले, भगत‍ सिंह जी की माता जी के आशीर्वाद मिले, हमारा देश विकास की नई ऊंचाईयों को पार करे और नई ऊंचाईयों को पार करते-करते हम आगे बढ़े।

भाईयों बहनों हमारे देश को भ्रष्‍टाचार ने तबाह कर दिया, बर्बाद कर दिया। कैसा-कैसा भ्रष्‍टाचार हुआ है! मैं आपको बताना चाहता हूं.. कोयला.. जब मैं यहां चुनाव में आया था और कोयले की चोरी की बात कर रहा था तो हमारे पुराने लोग जो सरकार में बैठे थे, वे गुस्‍सा हो जाते थे। सीएजी ने कहा था एक लाख 76 हजार करोड़ रुपया, अकेले कोयले में घोटाला हुआ है। यह आंकड़ा इतना बड़ा था कि लोगों के गले नहीं उतरता था। लोगों को यह तो लगता था कि भ्रष्‍टाचार तो किया होगा इनकी आदत है, लेकिन इतना नहीं हो सकता। ऐसा लोग सोचते थे। कुछ लोग तो ऐसे थे जो कहते थे - जीरो थ्‍योरी, जीरो थ्‍योरी। एक नये पैसे का घोटाला नहीं हुआ यह कहते थे। भाईयों बहनों 204 कोयले की खदान भ्रष्‍टाचार के कारण गुस्‍से में आकर के सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दी। अब हमारे आते ही यह हुआ।

पाप उन्‍होंने किया था.. बिजली कारखाने बंद हो जाने की नौबत आ गई। कारखानों में कोयला नहीं जाएगा तो कारखाने बंद हो जाएंगे ऐसी स्थिति पैदा हो गई। लेकिन हमने ईमानदारी की, पारदर्शिता की, नीतियों की योजना की और हमने तय किया कि हम सार्वजनिक रूप से Auction करेंगे, नीलामी करेंगे। और जो भी लेना चाहता है वो नीलामी में बोले पैसा, जो ज्‍यादा पैसा देगा, उसको मिलेगा। भाईयों बहनों क्‍या हुआ! 204 में से अब तक सिर्फ 20 खदानों की नीलामी हुई है, अभी तो 180 खदानों की नीलामी बाकी है। 204 खदानों में एक लाख 76 हजार करोड़ के घोटाले की बात थी। लेकिन यह घोटाला तो उससे भी बड़ा निकला। 204 में से सिर्फ 20 की नीलामी हुई है और आपको जानकर के आनंद होगा कि दिल्‍ली में आपने ईमानदार सरकार बिठाई है। उसका परिणाम यह हुआ है कि अब तक करीब-करीब दो लाख करोड़ रुपया सरकारी खजाने में आना तय हो चुका है। 180 खदान बाकी हैं। सब खदाने जाएंगी तो कितना बड़ा भंडार मिलेगा, यह रुपया किसके काम आएगा? गांव के काम आएगा, गरीब के काम आएगा, किसान के काम आएगा। देश विकास की नई ऊंचाईयों पर जाएगा।

कोयला छोडि़ए, इन्‍होंने कोई जगह पाप करने के लिए छोड़ी नहीं भाईयों। सरदार भगत‍ सिंह जी आत्‍मा दुखी होती होगी इन लोगों के कारण। LED Bulb! बिजली बचाने के लिए LED Bulb लगाने की बात है। आपको मालूम है 2014 में सरकार ने LED Bulb कितने रुपये में खरीदे। करीब-करीब 300 रुपयों में एक बल्‍ब खरीदा। हमने उसमें गहराई से काम किया, Department को लगाया, व्‍यापक रूप से काम किया। कंपनियों को भी दबाया। कोई रुपया-पैसा देने की बात बंद करो, गरीब का भला करो और आपको जानकर के खुशी होगी कि जो LED का Bulb एक साल पहले कुछ सरकारों ने 300 रुपये में खरीदा था आज उसकी कीमत 80 रुपये में हमने लाकर के रख दी। एक बल्‍ब पर दो सौ-सवा दौ सौ रुपये, चोरी होते थे। करोड़ा बल्‍ब जाएंगे तो कितने रुपये जाते होंगे। भाईयों बहनों आपने हमें ईमानदारी के लिए बिठाया है, ईमानदारी से काम करने के लिए बिठाया है और उसका परिणाम है कि आज 300 रुपये में बिकने वाला बल्‍ब.. जो भ्रष्‍टाचार के कारण रुपये खाए जाते थे, हमने उसकी कीमत 80-85 रुपया लाकर के रख दी है। सरकार 80-85 रुपये में खरीदेगी और LED का Bulb पहुंचेगा और उसके कारण गरीब से गरीब के घर में बिजली की बचत होगी। किसी का 200 रुपये बचेगा, किसी का 400 रुपये बचेगा। गरीब का हमें आशीर्वाद मिलेगा।

भाईयों बहनों ईमानदारी, देशभक्ति, अगर काम करने का जज्‍बा लेकर के.. सिर्फ देश के लिए जीना, सिर्फ देश के लिए मरना इस संकल्‍प को लेकर के चलते हैं तो कितने उत्‍तम परिणाम आते हैं यह आपके सामने मौजूद है। मैं फिर एक बार.. बादल साहब ने जितने विषय रखे हैं उन सभी बातों पर भारत सरकार गंभीरता से सोचेगी, उनके साथ भी मैं विस्‍तार से बातें करूंगा और भारत सरकार पंजाब के लिए जितना ज्‍यादा कर सकती है करने में कभी पीछे नहीं रहेगी।

मेरा तो पंजाब से अनेक रूप से नाता है। एक तो मैं यहां कई वर्षों तक रहा हूं। एक प्रकार से मेरी शिक्षा-दीक्षा, राजनीतिक शिक्षा-दीक्षा का अवसर मुझे बादल साहब की उंगली पकड़कर के सीखने का मुझे अवसर मिला है। यह मेरा सौभाग्‍य रहा है। दूसरी बात, मेरा जन्‍म गुजरात में हुआ है और जो पहले पंच प्‍यारे थे, उन पहले पंच प्‍यारों में एक गुजरात के द्वारका का था और इसलिए मेरा तो आपके साथ खून का नाता है। इसलिए पंजाब के लिए मैं जो कुछ भी कर सकता हूं, मुझे करने में खुशी होगी। यह कर्ज चुकाने का अवसर मुझे मिला है। मैं उसे चुकाकर रहूंगा।

इसी एक बात के साथ फिर एक बार मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिये – शहीदो..अमर रहो! शहीदों..अमर रहो! शहीदो..अमर रहो! धन्यवाद।

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भारत माता की जय,

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नमस्कार,

अभी दो ढाई घंटे पहले ही मैं कुवैत पहुंचा हूं और जबसे यहां कदम रखा है तबसे ही चारों तरफ एक अलग ही अपनापन, एक अलग ही गर्मजोशी महसूस कर रहा हूं। आप सब भारत क अलग अलग राज्यों से आए हैं। लेकिन आप सभी को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे मेरे सामने मिनी हिन्दुस्तान उमड़ आया है। यहां पर नार्थ साउथ ईस्ट वेस्ट हर क्षेत्र के अलग अलग भाषा बोली बोलने वाले लोग मेरे सामने नजर आ रहे हैं। लेकिन सबके दिल में एक ही गूंज है। सबके दिल में एक ही गूंज है - भारत माता की जय, भारत माता की जय I

यहां हल कल्चर की festivity है। अभी आप क्रिसमस और न्यू ईयर की तैयारी कर रहे हैं। फिर पोंगल आने वाला है। मकर सक्रांति हो, लोहड़ी हो, बिहू हो, ऐसे अनेक त्यौहार बहुत दूर नहीं है। मैं आप सभी को क्रिसमस की, न्यू ईयर की और देश के कोने कोने में मनाये जाने वाले सभी त्योहारों की बहुत बहुत शुभकानाएं देता हूं।

साथियों,

आज निजी रूप से मेरे लिए ये पल बहुत खास है। 43 years, चार दशक से भी ज्यादा समय, 43 years के बाद भारत का कोई प्रधानमंत्री कुवैत आया है। आपको हिन्दुस्तान से यहां आना है तो चार घंटे लगते हैं, प्रधानमंत्री को चार दशक लग गए। आपमे से कितने ही साथी तो पीढ़ियों से कुवैत में ही रह रहे हैं। बहुतों का तो जन्म ही यहीं हुआ है। और हर साल सैकड़ों भारतीय आपके समूह में जुड़ते जाते हैं। आपने कुवैत के समाज में भारतीयता का तड़का लगाया है, आपने कुवैत के केनवास पर भारतीय हुनर का रंग भरा है। आपने कुवैत में भारत के टेलेंट, टेक्नॉलोजी और ट्रेडिशन का मसाला मिक्स किया है। और इसलिए मैं आज यहां सिर्फ आपसे मिलने ही नहीं आया हूं, आप सभी की उपलब्धियों को सेलिब्रेट करने के लिए आया हूं।

साथियों,

थोड़ी देर पहले ही मेरे यहां काम करने वाले भारतीय श्रमिकों प्रोफेशनल्श् से मुलाकात हुई है। ये साथी यहां कंस्ट्रक्शन के काम से जुड़े हैं। अन्य अनेक सेक्टर्स में भी अपना पसीना बहा रहे हैं। भारतीय समुदाय के डॉक्टर्स, नर्सज पेरामेडिस के रूप में कुवैत के medical infrastructure की बहुत बड़ी शक्ति है। आपमें से जो टीचर्स हैं वो कुवैत की अगली पीढ़ी को मजबूत बनाने में सहयोग कर रही है। आपमें से जो engineers हैं, architects हैं, वे कुवैत के next generation infrastructure का निर्माण कर रहे हैं।

और साथियों,

जब भी मैं कुवैत की लीडरशिप से बात करता हूं। तो वो आप सभी की बहुत प्रशंसा करते हैं। कुवैत के नागरिक भी आप सभी भारतीयों की मेहनत, आपकी ईमानदारी, आपकी स्किल की वजह से आपका बहुत मान करते हैं। आज भारत रेमिटंस के मामले में दुनिया में सबसे आगे है, तो इसका बहुत बड़ा श्रेय भी आप सभी मेहनतकश साथियों को जाता है। देशवासी भी आपके इस योगदान का सम्मान करते हैं।

साथियों,

भारत और कुवैत का रिश्ता सभ्यताओं का है, सागर का है, स्नेह का है, व्यापार कारोबार का है। भारत और कुवैत अरब सागर के दो किनारों पर बसे हैं। हमें सिर्फ डिप्लोमेसी ही नहीं बल्कि दिलों ने आपस में जोड़ा है। हमारा वर्तमान ही नहीं बल्कि हमारा अतीत भी हमें जोड़ता है। एक समय था जब कुवैत से मोती, खजूर और शानदार नस्ल के घोड़े भारत जाते थे। और भारत से भी बहुत सारा सामान यहां आता रहा है। भारत के चावल, भारत की चाय, भारत के मसाले,कपड़े, लकड़ी यहां आती थी। भारत की टीक वुड से बनी नौकाओं में सवार होकर कुवैत के नाविक लंबी यात्राएं करते थे। कुवैत के मोती भारत के लिए किसी हीरे से कम नहीं रहे हैं। आज भारत की ज्वेलरी की पूरी दुनिया में धूम है, तो उसमें कुवैत के मोतियों का भी योगदान है। गुजरात में तो हम बड़े-बुजुर्गों से सुनते आए हैं, कि पिछली शताब्दियों में कुवैत से कैसे लोगों का, व्यापारी-कारोबारियों का आना-जाना रहता था। खासतौर पर नाइनटीन्थ सेंचुरी में ही, कुवैत से व्यापारी सूरत आने लगे थे। तब सूरत, कुवैत के मोतियों के लिए इंटरनेशनल मार्केट हुआ करता था। सूरत हो, पोरबंदर हो, वेरावल हो, गुजरात के बंदरगाह इन पुराने संबंधों के साक्षी हैं।

कुवैती व्यापारियों ने गुजराती भाषा में अनेक किताबें भी पब्लिश की हैं। गुजरात के बाद कुवैत के व्यापारियों ने मुंबई और दूसरे बाज़ारों में भी उन्होंने अलग पहचान बनाई थी। यहां के प्रसिद्ध व्यापारी अब्दुल लतीफ अल् अब्दुल रज्जाक की किताब, How To Calculate Pearl Weight मुंबई में छपी थी। कुवैत के बहुत सारे व्यापारियों ने, एक्सपोर्ट और इंपोर्ट के लिए मुंबई, कोलकाता, पोरबंदर, वेरावल और गोवा में अपने ऑफिस खोले हैं। कुवैत के बहुत सारे परिवार आज भी मुंबई की मोहम्मद अली स्ट्रीट में रहते हैं। बहुत सारे लोगों को ये जानकर हैरानी होगी। 60-65 साल पहले कुवैत में भारतीय रुपए वैसे ही चलते थे, जैसे भारत में चलते हैं। यानि यहां किसी दुकान से कुछ खरीदने पर, भारतीय रुपए ही स्वीकार किए जाते थे। तब भारतीय करेंसी की जो शब्दाबली थी, जैसे रुपया, पैसा, आना, ये भी कुवैत के लोगों के लिए बहुत ही सामान्य था।

साथियों,

भारत दुनिया के उन पहले देशों में से एक है, जिसने कुवैत की स्वतंत्रता के बाद उसे मान्यता दी थी। और इसलिए जिस देश से, जिस समाज से इतनी सारी यादें जुड़ी हैं, जिससे हमारा वर्तमान जुड़ा है। वहां आना मेरे लिए बहुत यादगार है। मैं कुवैत के लोगों का, यहां की सरकार का बहुत आभारी हूं। मैं His Highness The Amir का उनके Invitation के लिए विशेष रूप से धन्यवाद देता हूं।

साथियों,

अतीत में कल्चर और कॉमर्स ने जो रिश्ता बनाया था, वो आज नई सदी में, नई बुलंदी की तरफ आगे बढ़ रहा है। आज कुवैत भारत का बहुत अहम Energy और Trade Partner है। कुवैत की कंपनियों के लिए भी भारत एक बड़ा Investment Destination है। मुझे याद है, His Highness, The Crown Prince Of Kuwait ने न्यूयॉर्क में हमारी मुलाकात के दौरान एक कहावत का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था- “When You Are In Need, India Is Your Destination”. भारत और कुवैत के नागरिकों ने दुख के समय में, संकटकाल में भी एक दूसरे की हमेशा मदद की है। कोरोना महामारी के दौरान दोनों देशों ने हर स्तर पर एक-दूसरे की मदद की। जब भारत को सबसे ज्यादा जरूरत पड़ी, तो कुवैत ने हिंदुस्तान को Liquid Oxygen की सप्लाई दी। His Highness The Crown Prince ने खुद आगे आकर सबको तेजी से काम करने के लिए प्रेरित किया। मुझे संतोष है कि भारत ने भी कुवैत को वैक्सीन और मेडिकल टीम भेजकर इस संकट से लड़ने का साहस दिया। भारत ने अपने पोर्ट्स खुले रखे, ताकि कुवैत और इसके आसपास के क्षेत्रों में खाने पीने की चीजों का कोई अभाव ना हो। अभी इसी साल जून में यहां कुवैत में कितना हृदय विदारक हादसा हुआ। मंगफ में जो अग्निकांड हुआ, उसमें अनेक भारतीय लोगों ने अपना जीवन खोया। मुझे जब ये खबर मिली, तो बहुत चिंता हुई थी। लेकिन उस समय कुवैत सरकार ने जिस तरह का सहयोग किया, वो एक भाई ही कर सकता है। मैं कुवैत के इस जज्बे को सलाम करूंगा।

साथियों,

हर सुख-दुख में साथ रहने की ये परंपरा, हमारे आपसी रिश्ते, आपसी भरोसे की बुनियाद है। आने वाले दशकों में हम अपनी समृद्धि के भी बड़े पार्टनर बनेंगे। हमारे लक्ष्य भी बहुत अलग नहीं है। कुवैत के लोग, न्यू कुवैत के निर्माण में जुटे हैं। भारत के लोग भी, साल 2047 तक, देश को एक डवलप्ड नेशन बनाने में जुटे हैं। कुवैत Trade और Innovation के जरिए एक Dynamic Economy बनना चाहता है। भारत भी आज Innovation पर बल दे रहा है, अपनी Economy को लगातार मजबूत कर रहा है। ये दोनों लक्ष्य एक दूसरे को सपोर्ट करने वाले हैं। न्यू कुवैत के निर्माण के लिए, जो इनोवेशन, जो स्किल, जो टेक्नॉलॉजी, जो मैनपावर चाहिए, वो भारत के पास है। भारत के स्टार्ट अप्स, फिनटेक से हेल्थकेयर तक, स्मार्ट सिटी से ग्रीन टेक्नॉलजी तक कुवैत की हर जरूरत के लिए Cutting Edge Solutions बना सकते हैं। भारत का स्किल्ड यूथ कुवैत की फ्यूचर जर्नी को भी नई स्ट्रेंथ दे सकता है।

साथियों,

भारत में दुनिया की स्किल कैपिटल बनने का भी सामर्थ्य है। आने वाले कई दशकों तक भारत दुनिया का सबसे युवा देश रहने वाला है। ऐसे में भारत दुनिया की स्किल डिमांड को पूरा करने का सामर्थ्य रखता है। और इसके लिए भारत दुनिया की जरूरतों को देखते हुए, अपने युवाओं का स्किल डवलपमेंट कर रहा है, स्किल अपग्रेडेशन कर रहा है। भारत ने हाल के वर्षों में करीब दो दर्जन देशों के साथ Migration और रोजगार से जुड़े समझौते किए हैं। इनमें गल्फ कंट्रीज के अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, मॉरिशस, यूके और इटली जैसे देश शामिल हैं। दुनिया के देश भी भारत की स्किल्ड मैनपावर के लिए दरवाज़े खोल रहे हैं।

साथियों,

विदेशों में जो भारतीय काम कर रहे हैं, उनके वेलफेयर और सुविधाओं के लिए भी अनेक देशों से समझौते किए जा रहे हैं। आप ई-माइग्रेट पोर्टल से परिचित होंगे। इसके ज़रिए, विदेशी कंपनियों और रजिस्टर्ड एजेंटों को एक ही प्लेटफॉर्म पर लाया गया है। इससे मैनपावर की कहां जरूरत है, किस तरह की मैनपावर चाहिए, किस कंपनी को चाहिए, ये सब आसानी से पता चल जाता है। इस पोर्टल की मदद से बीते 4-5 साल में ही लाखों साथी, यहां खाड़ी देशों में भी आए हैं। ऐसे हर प्रयास के पीछे एक ही लक्ष्य है। भारत के टैलेंट से दुनिया की तरक्की हो और जो बाहर कामकाज के लिए गए हैं, उनको हमेशा सहूलियत रहे। कुवैत में भी आप सभी को भारत के इन प्रयासों से बहुत फायदा होने वाला है।

साथियों,

हम दुनिया में कहीं भी रहें, उस देश का सम्मान करते हैं और भारत को नई ऊंचाई छूता देख उतने ही प्रसन्न भी होते हैं। आप सभी भारत से यहां आए, यहां रहे, लेकिन भारतीयता को आपने अपने दिल में संजो कर रखा है। अब आप मुझे बताइए, कौन भारतीय होगा जिसे मंगलयान की सफलता पर गर्व नहीं होगा? कौन भारतीय होगा जिसे चंद्रयान की चंद्रमा पर लैंडिंग की खुशी नहीं हुई होगी? मैं सही कह रहा हूं कि नहीं कह रहा हूं। आज का भारत एक नए मिजाज के साथ आगे बढ़ रहा है। आज भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी इकॉनॉमी है। आज दुनिया का नंबर वन फिनटेक इकोसिस्टम भारत में है। आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम भारत में है। आज भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता देश है।

मैं आपको एक आंकड़ा देता हूं और सुनकर आपको भी अच्छा लगेगा। बीते 10 साल में भारत ने जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, भारत में जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, उसकी लंबाई, वो धरती और चंद्रमा की दूरी से भी आठ गुना अधिक है। आज भारत, दुनिया के सबसे डिजिटल कनेक्टेड देशों में से एक है। छोटे-छोटे शहरों से लेकर गांवों तक हर भारतीय डिजिटल टूल्स का उपयोग कर रहा है। भारत में स्मार्ट डिजिटल सिस्टम अब लग्जरी नहीं, बल्कि कॉमन मैन की रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल हो गया है। भारत में चाय पीते हैं, रेहड़ी-पटरी पर फल खरीदते हैं, तो डिजिटली पेमेंट करते हैं। राशन मंगाना है, खाना मंगाना है, फल-सब्जियां मंगानी है, घर का फुटकर सामान मंगाना है, बहुत कम समय में ही डिलिवरी हो जाती है और पेमेंट भी फोन से ही हो जाता है। डॉक्यूमेंट्स रखने के लिए लोगों के पास डिजि लॉकर है, एयरपोर्ट पर सीमलैस ट्रेवेल के लिए लोगों के पास डिजियात्रा है, टोल बूथ पर समय बचाने के लिए लोगों के पास फास्टटैग है, भारत लगातार डिजिटली स्मार्ट हो रहा है और ये तो अभी शुरुआत है। भविष्य का भारत ऐसे इनोवेशन्स की तरफ बढ़ने वाला है, जो पूरी दुनिया को दिशा दिखाएगा। भविष्य का भारत, दुनिया के विकास का हब होगा, दुनिया का ग्रोथ इंजन होगा। वो समय दूर नहीं जब भारत दुनिया का Green Energy Hub होगा, Pharma Hub होगा, Electronics Hub होगा, Automobile Hub होगा, Semiconductor Hub होगा, Legal, Insurance Hub होगा, Contracting, Commercial Hub होगा। आप देखेंगे, जब दुनिया के बड़े-बड़े Economy Centres भारत में होंगे। Global Capability Centres हो, Global Technology Centres हो, Global Engineering Centres हो, इनका बहुत बड़ा Hub भारत बनेगा।

साथियों,

हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। भारत एक विश्वबंधु के रूप में दुनिया के भले की सोच के साथ आगे चल रहा है। और दुनिया भी भारत की इस भावना को मान दे रही है। आज 21 दिसंबर, 2024 को दुनिया, अपना पहला World Meditation Day सेलीब्रेट कर रही है। ये भारत की हज़ारों वर्षों की Meditation परंपरा को ही समर्पित है। 2015 से दुनिया 21 जून को इंटरनेशन योगा डे मनाती आ रही है। ये भी भारत की योग परंपरा को समर्पित है। साल 2023 को दुनिया ने इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर के रूप में मनाया, ये भी भारत के प्रयासों और प्रस्ताव से ही संभव हो सका। आज भारत का योग, दुनिया के हर रीजन को जोड़ रहा है। आज भारत की ट्रेडिशनल मेडिसिन, हमारा आयुर्वेद, हमारे आयुष प्रोडक्ट, ग्लोबल वेलनेस को समृद्ध कर रहे हैं। आज हमारे सुपरफूड मिलेट्स, हमारे श्री अन्न, न्यूट्रिशन और हेल्दी लाइफस्टाइल का बड़ा आधार बन रहे हैं। आज नालंदा से लेकर IITs तक का, हमारा नॉलेज सिस्टम, ग्लोबल नॉलेज इकोसिस्टम को स्ट्रेंथ दे रहा है। आज भारत ग्लोबल कनेक्टिविटी की भी एक अहम कड़ी बन रहा है। पिछले साल भारत में हुए जी-20 सम्मेलन के दौरान, भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर की घोषणा हुई थी। ये कॉरिडोर, भविष्य की दुनिया को नई दिशा देने वाला है।

साथियों,

विकसित भारत की यात्रा, आप सभी के सहयोग, भारतीय डायस्पोरा की भागीदारी के बिना अधूरी है। मैं आप सभी को विकसित भारत के संकल्प से जुड़ने के लिए आमंत्रित करता हूं। नए साल का पहला महीना, 2025 का जनवरी, इस बार अनेक राष्ट्रीय उत्सवों का महीना होने वाला है। इसी साल 8 से 10 जनवरी तक, भुवनेश्वर में प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन होगा, दुनियाभर के लोग आएंगे। मैं आप सब को, इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित करता हूं। इस यात्रा में, आप पुरी में महाप्रभु जगन्नाथ जी का आशीर्वाद ले सकते हैं। इसके बाद प्रयागराज में आप महाकुंभ में शामिल होने के लिए प्रयागराज पधारिये। ये 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलने वाला है, करीब डेढ़ महीना। 26 जनवरी को आप गणतंत्र दिवस देखकर ही वापस लौटिए। और हां, आप अपने कुवैती दोस्तों को भी भारत लाइए, उनको भारत घुमाइए, यहां पर कभी, एक समय था यहां पर कभी दिलीप कुमार साहेब ने पहले भारतीय रेस्तरां का उद्घाटन किया था। भारत का असली ज़ायका तो वहां जाकर ही पता चलेगा। इसलिए अपने कुवैती दोस्तों को इसके लिए ज़रूर तैयार करना है।

साथियों,

मैं जानता हूं कि आप सभी आज से शुरु हो रहे, अरेबियन गल्फ कप के लिए भी बहुत उत्सुक हैं। आप कुवैत की टीम को चीयर करने के लिए तत्पर हैं। मैं His Highness, The Amir का आभारी हूं, उन्होंने मुझे उद्घाटन समारोह में Guest Of Honour के रूप में Invite किया है। ये दिखाता है कि रॉयल फैमिली, कुवैत की सरकार, आप सभी का, भारत का कितना सम्मान करती है। भारत-कुवैत रिश्तों को आप सभी ऐसे ही सशक्त करते रहें, इसी कामना के साथ, फिर से आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद।