Text of PM’s address at inauguration ceremony of “Urja Sangam-2015”

Published By : Admin | March 27, 2015 | 18:18 IST

उपस्थित सभी महानुभाव और नौजवान साथियों।

आज ऊर्जा संगम भी है और त्रिवेणी संगम भी है। त्रिवेणी संगम इस अर्थ में है कि तीन महत्‍वपूर्ण initiative जिनको आज हम Golden Jubilee के रूप में मना रहे हैं। ONGC Videsh Limited, Engineer India Limited and Barauni Refinery Limited इन तीनों क्षेत्र में गत 50 वर्षों में जिन जिन महानुभाव ने योगदान दिया है। इस अभियान को आगे बढ़ाया है और भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में ताकत देने के लिए निरंतर प्रयास किया है। मैं उन तीनों संस्‍थाओं से जुड़े सभी महानुभवों को हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं और मुझे विश्‍वास है कि जब हम Golden Jubilee Year मना रहे हैं तब पीछे मुड़कर के वो कौन सी हमारी कार्यशैली थी, वो कौन से हमारे निर्णय थे, वो कौन सा हमारा दर्शन था, जिसके कारण हम आगे बढ़े, वो कौन सी कमियां थी, जिसके कारण अगर कोई कमी रह गई थी तो वो क्‍या थी और अब जाकर के जब हम 50 साल के turning point पर खड़े हैं तब आने वाला 50 साल का हमारा लक्ष्‍य क्‍या होगा। हमारा मार्ग क्‍या होगा, हमारी शक्ति संचय के रास्‍ते क्‍या होंगे और राष्‍ट्र को शक्तिवान बनाने के लिए हमारे पुरूषार्थ किस प्रकार का होगा, उसका भी आप लोग रोड मैप तैयार करोगे, इसका मुझे पूरा विश्‍वास है।

कोई देश तब प्रगति करता है, जब विचार के साथ व्‍यवस्‍थाएं जुड़ती है, अगर विचार के साथ व्‍यवस्‍था नहीं रहती है, तो विचार बांझ रह जाते हैं, उससे आगे कुछ निकलता नहीं है और इसलिए देश को अगर प्रगति करनी है तो हर Idea को Institutionalise करना होता है और देश्‍ लम्‍बे स्‍तर से तब स्‍थाई भाव से तब प्रगति करता है जब उसका Institutional Mechanism अधिक मजबूत हो। Institutional Mechanism में auto-pilot ऐसी व्‍यवस्‍था हो कि वो नित्‍य-नूतन प्रयोग करता रहता हो।

मैं समझता हूं कि हमारे पास आने वाले युग के लिए भी, नई व्‍यवस्‍थाओं के निर्माण की आवश्‍यकता है और वर्तमान में जो व्‍यवस्‍थाएं हमारे पास है जो Institutional Mechanism हैं, उस Institutional Mechanism को भी आने वाली शताब्‍दी के लिए किस प्रकार से अधिक आधुनिक बनाया जाए, नए innovation कैसे किये जाए, young man को कैसे incorporate किया जाए और न सिर्फ भारत की सीमाओं तक लेकिन Global Perspective में हम अपने विकास की दिशा कैसे तय करे और उन लक्ष्‍यों को कैसे पार करे, कैसे प्राप्‍त करे? उन बातों पर जितना हम ध्‍यान देंगे, तो विश्‍व की भारत के पास जो अपेक्षाएं हैं और दुनिया का 1/6 population, यह 1/6 population यह कहकर नहीं रोक सकता कि हमारी यह मुसीबत है, हमारी यह कठिनाई है। दुनिया के 1/6 population का तो यह लक्ष्‍य रहना चाहिए कि विश्‍व का 1/6 बोझ हम अकेले अपने कंधों पर उठाएंगे और विश्‍व को सुख-शांति देने में हमारा भी कोई न कोई सकारात्‍मक contribution होगा। यह Global Perspective के साथ भारत को अपने आप को सजग करना होगा, भारत को अपने आप को तैयार करना होगा और मुझे विश्‍वास है जिस देश के पास 65% जनसंख्‍या 35 साल से कम उम्र की हो young mind जिनके पास हो, अच्‍छे सपने देखने का जिन लोगों में सामर्थ्‍य हो ऐसी ऊर्जावान देश के लिए सपने देखना।

…और सपने पूरा करना कठिन नहीं है और मुझे विश्‍वास है कि आज जब हम इस महत्‍वपूर्ण अवसर पर ऊर्जा संगम के समारोह में मिले हैं, तब कल, आज और आने वाले कल का भी संगम हमारे मन-मस्तिष्‍क में स्थिर हो, ताकि हम नई ऊंचाईयों को पार करने के लिए विश्‍व के काम आने वाले भारत को तैयार करने में सफल हो सकें और इस अर्थ में आज मुझे आपके बीच आने का सौभाग्‍य मिला मैं आपको इसके लिए हृदय से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं और आपके आगे की यात्रा बहुत ही उत्‍तम तरीके से राष्‍ट्र की सेवा में काम आएगी, ऐसा मुझे पूरा विश्‍वास है।

नई सरकार बनने के बाद नये कई initiative लिये गये हैं। हम जानते हैं कि अगर हमें विकास करना है अगर हमें Global Bench Mark को achieve करना है तो हमारे लिये ऊर्जा के क्षेत्र में Self Sufficient होना बहुत अनिवार्य है। हमें किसी क्षेत्र में भी Growth करना है उसकी पहली आवश्‍यकता होती है ऊर्जा। आज Technology Driven society है और जब Technology Driven society है तो ऊर्जा ने अपनी अहम भूमिका स्‍थापित की है। ऊर्जा के स्रोत अलग-अलग हो सकते हैं, जो आज भी हमारे ध्‍यान में नहीं है वो भी शायद आने वाले दिनों में विश्‍व के सामने उजागर हो सकते है, लेकिन पूरे मानव जाति की विकास यात्रा को देखा जाए, तो ऊर्जा का अपना एक स्‍थान है, ऊर्जा एक प्रकार से विकास को ऊर्जा देने की ताकत बन जाती है और उस अर्थ में हमारे लिए ऊर्जा सुरक्षा ये आवश्‍यकता भी है और हमारी जिम्‍मेदारी भी है और उस जिम्‍मेदारी को पूरा करने की दिशा में हमने कुछ कदम उठाए हैं।

पिछले दस महीनों में इस क्षेत्र में हमने जो reform को बल दिया है और reform को बल देने के कारण कई महत्‍वपूर्ण बातें सामने आई है। हमारे यहां सामान्‍य नागरिक की चिंता करना यह हमारा पहला इरादा रहता है। हमारा मकसद है कि देश के common man को अधिक से अधिक सरलता से लाभ कैसे मिले।

सब्सिडी ट्रांसफर्स दुनिया की सबसे बड़ी गैसे सब्सिडी को ट्रांसफर करने की स्‍कीम में सिर्फ सौ दिन के कालखंड में हमने सफलता पाई है और मैं मानता हूं कि एक तो किसी चीज में शुरू करना, किसी चीज को achieve और किसी चीज को time-bound…समय रहते हुए चीजों को तोलते हुए देखें तो मैं विभाग के सभी मित्रों को सचिव श्री, मंत्री श्री को और उनकी टीम को सौ दिन के अल्‍प समय में दुनिया की सबसे बड़ी सब्सिडी ट्रांसफर स्‍कीम 12 करोड़ लोगों को बैंक खाते में सब्सिडी पहुंचना यह छोटा काम नहीं है। दुनिया का सबसे बड़ा काम है और जनधन Account जब खोल रहे थे तब तो कुछ लोग मजाक करने की हिम्‍मत करते थे, लेकिन अब नहीं करते, क्‍योंकि जनधन, जनधन के लिए नहीं था। जनशक्ति में परिवर्तित करने का प्रयास था और उसमें ऊर्जा शक्ति जोड़ने की प्रारंभ में करना था। कोई कल्‍पना कर सकता है कि beneficially को सीधा लाभ देकर के हमने कितना बड़ा leakage रोका है। मैं विशेषकर के Political पंडितों से आग्रह करूंगा कि जरा उसकी गहराई में जाए। मैं अपनी तरफ से claim करना नहीं चाहता हूं। जिस भ्रष्‍टाचार के खिलाफ लड़ने के खिलाफ बाते तो बहुत होती है लेकिन भ्रष्‍टाचार से लड़ने के लिए Institutional Mechanism, Transparent Mechanism, Policy driven व्‍यवस्‍थाएं अगर निश्चित की जाए तो हम leakage को रोक सकते हैं और यह उत्‍तम उदाहरण cash transfer के द्वारा हमने सिद्ध किया है। पहले कितने सिलेंडर जाते थे अब कितने सिलेंडर जाते हैं, इससे पता चलेगा।

पिछली बार हमने Parliament में एक छोटा सा उल्‍लेख किया था कि जिनको यह affordable है उन्‍होंने सब्सिडी क्‍यों लेनी चाहिए। क्‍या देश में ऐसे लोग नहीं निकल सकते कि जो कहें कि भई ठीक है, अब तो ईश्‍वर ने हमें बहुत दिया है, देश में हमें बहुत दिया है और गैस सिलेंडर के लिए सब्सिडी की जरूरत नहीं है। हम अपने पसीने की कमाई से अपना खाना पका सकते हैं और अपना पेट भर सकते हैं। छोटा सा स्‍पर्श किया था विषय पर लेकिन स्‍पर्श को भी देश के करीब 2 लाख 80 हजार लोगों ने सकारात्‍मक response किया और इस “Give it up” movement में भागीदारी हुए। सवाल यह नहीं है कि दो लाख, तीन लाख इसमें लोग जुड़े, सवाल यह है कि देश हमें चलाना है तो देश भागीदारी करने को तैयार होता है। देश का हर नागरिक भागीदारी करने को तैयार होता है। उनको अवसर देना चाहिए। देश के नागरिकों पर भरोसा करना चाहिए। हमारी सबसे बड़ी पहल यह है कि हम हिंदुस्‍तान के नागरिकों पर भरोसा कर करके आगे बढ़ना चाहते हैं और आपको जानकर के आनंद होगा कि समाज के एक वर्ग ने जिसने कहा कि हां भई हम अब सब्सिडी से गैस अब लेना नहीं चाहते, हम अपना पैसा दे सकते हैं। करीब 2 लाख 80 हजार से ज्‍यादा लोगों ने इसका एक प्रकार से देश को लाभ दिया है। उससे कम से कम 100 करोड़ रुपये की बचत होगी। यह 100 करोड़ रुपया किसी गांव में स्‍कूल बनाने के काम आएगा कि नहीं आएगा। किसी गरीब का बच्‍चा बीमार होगा तो उसके काम आएगा कि नहीं आएगा। जिसने भी यह काम किया है उसने एक प्रकार से गरीबों की सेवा करने का काम किया है। और यह जो सिलेंडर बचे हैं उन सिलेंडरों से हम पैसे बचाना नहीं चाहते, हम इसको गरीबों तक पहुंचाना चाहते हैं ताकि आज वो धुएं में चुल्‍हा जलाते हुए जो मां परेशान रहती है उसको कोई राह मिल जाए, उसके बच्‍चे को आरोग्‍य का लाभ मिल जाए।

गरीब के घर तक गैस का सिलेंडर कैसे पहुंचे इसका हमने अभियान चलाया है और मैं आज विधिवत रूप से यह सफलता देखकर पहले तो हमने ऐसा ही कहा था कि चलो जरा कहे लेकिन जो response देश ने दिया है, मैं उन दो लाख 80 हजार लोगों से अधिक इस काम का जिम्‍मा लिया मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं, अभिनंदन करता हूं और देशवासियों को अपील करता हूं कि जिसके लिए भी यह संभव है अपनी जेब से.. अपना खाना पकाने की जिनकी ताकत है वो कृपया करके यह गैस सिलेंडर में सब्सिडी न लें। देने का भी एक आनंद होता है, देने का भी एक संतोष होता है और जब आप गैस सिलेंडर की सब्सिडी नहीं लेंगे तब मन में याद रखिए यह जो पैसे देश में बचने वाले हैं वो किसी न किसी गरीब के काम आने वाले हैं। वो आपके जीवन का संतोष होगा, आनंद होगा और मैं विधिवत रूप से देशवासियों से आग्रह करता हूं।

जब मैं यह विचार कर रहा था, तब मैंने Department को पूछा था कि पहले जांच करो भई! मोदी के नाम का तो सिलेंडर कोई है नहीं न! मेरा सौभाग्‍य रहा कि मुझे कभी इस दुनिया से उलझना ही नहीं पड़ा है तो उसके कारण न कभी पहले लिया था न आज है तो फिर मैं एक moral ताकत से बोल सकता था हां भई हम यह कर सकते हैं और मैं आज विधिवत रूप से देशवासियों से अपील करता हूं कि अगर आपके पास इस देश ने जहां तक पहुंचाया है, देश का योगदान है। गरीब से गरीब का योगदान है आप यहां तक पहुंचने में, आपकी जेब भरने में गरीब के पसीने की महक है। आइए हम इस “Give it Up” movement में जुड़े, हम गैस सब्सिडी को छोड़ें, सामने से offer करे और इसमें भी नये नये लक्ष्‍य प्राप्‍त करके नये record स्‍थापित करे। मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं जो सिलेंडर, आप सब्सिडी छोड़ेंगे वो हम गरीबों को पहुंचाएंगे। यह गरीबों के काम आएगा।

हमने एक और काम किया है....5kg का सिलेंडर। जो विद्यार्थी पढाई के लिए शहर आता है...अब वो एक पूरा सिलेंडर लेकर के क्‍या करेगा, अब बेचारा एक कमरे में रहता है या तो कोई नौकरी के लिए गये हुए लोग है। यह जो घूमन जाति के लोग है, जो एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं, उनको 5kg का सिलेंडर मिलेगा, तो ऐसे गरीब लोगों को वो affordable भी होगा और उसकी जरूरत पूरी करने की व्‍यवस्‍था होगी। हमने उस दिशा में प्रयास किया है।

हमने एक यह भी काम किया डीजल को deregulate किया। अब डीजल को deregulate करने के कारण reform के लिए एक महत्‍वपूर्ण माना जाता है। International दाम कम हुए थे तो थोड़ी सुविधा भी रही, लेकिन Market को तय करने दो, क्‍योंकि Global Market के दबाव में है और मैंने देखा है कि देश ने सहजता से इसको स्‍वीकार कर लिया है। कभी दाम ऊपर जाते हैं कभी दाम नीचे जाते हैं लेकिन लोगों को मालूम है कि भई इसमें सरकार का कोई रोल नहीं है। बाजार की जो स्थिति है वो उसी के साथ जुड़ गए है। तो भारत का नागरिक भी एक खरीदार के रूप में भी Global Economic का हिस्‍सा बनकर के अपनी जिम्‍मेदारियों को निभाने के लिए तैयार हुआ है। यह अपने आप में विकास के एक सकारात्‍मक दृश्‍य के रूप में मैं देख रहा हूं। मैं देख रहा हूं कि उसका भी लाभ होगा। हमने एक और महत्‍वपूर्ण निर्णय किया। जब ऊर्जा के क्षेत्र में चर्चा करते समय सभी क्षेत्रों में प्रयास करना पड़ेगा।

Ethanol के लिए पेट्रोल में उसको Mix करने के लिए हमने उसमें initiative लिया, विधिवत रूप से लिया। हमारे गन्‍ने की खेती करने वाले किसान परेशान है, क्‍योंकि उसकी लागत से चीनी की कीमत कम हो रही है, चीनी के कारखाने बंद हो रहे हैं। अगर उसके लिए एक नई व्‍यवस्‍था जोड़ दी जाए। अगर चीनी बनाने वाले चीनी.. उनके पास excess है, चीनी के दाम टूट रहे हैं दुनिया में कोई Import करने वाला नहीं है, तो ऐसी स्थिति में आप चीनी मत बनाइये Ethanol बनाइये, कुछ मात्रा में Ethanol बनाइये, उसको प्रट्रोल में blend कर दिया जाए। किसी समय यह petroleum lobby के बारे में ऐसा कहा जाता था कि इतनी powerful होती है कि कोई निणर्य नहीं कर सकता। हमने निर्णय किया। यहां कई लोग बैठे होंगे, शायद उनको अच्‍छा नहीं भी लगेगा, लेकिन हमने निर्णय किया है और उसके कारण हम climate की भी चिंता करते हैं, environment की भी चिंता करते हैं, at the same time हम economy की भी चिंता करते हैं। और हमारा गरीब किसान, गन्‍ने का किसान है। यह ethanol के द्वारा, अब उसकी बहुत बड़ी मदद कर रहे हैं। हमारा जो sugar sector है उसको ताकत देने का एक उत्‍तम रास्‍ता हमने किया है और पहले ethanol का MSP भी नहीं था। Minimum Support Price का निर्णय नहीं था। उसका कोई Price.. कोई कीमत तय नहीं था। हमने तय कर दिया 48.50 पैसा to 49.50 पैसा तक इसका रहेगा ताकि एक राज्‍य में एक भाव हो, दूसरे राज्‍य में दूसरा हो, तो स्थिति खराब न हो और उसके कारण कोई भी company direct ले सकती है। कोई टेंडर प्रोसेस में जाना नहीं पड़ेगा, मार्केट रेट फिक्‍स कर दिया है। मैं समझता हूं कि उसके कारण भी एक और लाभ होगा।

और एक काम हमने initiative लेने के लिए राज्‍यों से आग्रह किया है। जिन-जिन राज्‍यों में बंजर भूमि है। जहां पर अन्‍य फसल की संभावनाएं कम है, वहां पर Jatropha की खेती बहुत अच्‍छी हो सकती है। Jatropha की पैदावर अच्‍छी हो सकती है और Jatropha जैसे वो तिलहन है जिसमें से खाद्य तेल नहीं निकलता है, लेकिन कोई पदार्थ मिलता है, उसको बढ़ावा देना और उसको बायो डीजल के रूप में develop करना और जितनी मात्रा में हम बायो डीजल को मार्केट में लाएंगे, हमारा किसान जो खेत में पम्‍प चलाता है या ट्रेक्‍टर चलाता है उसको भी उसके कारण लाभ होगा। गरीब आदमी को किस प्रकार से लाभ हो, उस बल देने करने का हमारा प्रयास है।

देश में अगर हमें विकास करना है तो भारत का..और अगर सिर्फ पश्चिमी छोर का विकास हो, तो देश का विकास कभी संभव नहीं होगा। असंतुलित विकास भी कभी-कभी विकास के लिए खुद समस्‍या बन जाता है। विकास संतुलित होना चाहिए। हर राज्‍य का 19-20 का फर्क तो हम समझ सकते हैं। लेकिन 80-20 के फर्क से देश नहीं चल सकता। और इसलिए पश्चिम में तो हमें economic activity दिखती है, लेकिन पूरब जहां सबसे ज्‍यादा प्राकृतिक संपदा है, पूर्वी भारत पूरा, जहां पर समर्थ लोग हैं, उनकी शक्ति कम नहीं होती है, लेकिन उनको अवसर नहीं मिलता। देश को आगे बढ़ाना है तो हमारा लक्ष्‍य है कि भारत का पूर्वी इलाका चाहे पूर्वी उत्‍तर प्रदेश हो, बिहार हो, उड़ीसा हो, असम हो, पश्चिम बंगाल हो, north east के इलाके हों, जहां पर विकास की विशाल-विपुल संभावना है, उस पर हमने बल देने का आग्रह किया है।

Second green revolution से भूमि अगर बनेगी, तो पूर्वी भारत बनेगा, मुझे साफ दिखाई दे रहा है। जहां विपुल मात्रा में पानी है, उसी प्रकार से औद्योगिकी विकास में भी बड़ा contribute करने की संभावना पूर्वी भारत में पड़ी है और इसके लिए गैस ग्रिड नेटवर्क ऊर्जा जरूरत है। अगर पटना के पास गैस पाइप लाइन से मिलेगा, तो पटना में उद्योग आएंगे। बिहार के उन शहरों में भी उद्योग जाएंगे। असम में भी जाएंगे, पश्चिम बंगाल में भी जाएंगे, कलकत्‍ता में भी नई ऊर्जा आएगी और इसलिए हमने गैस ग्रिड का पाइप लाइन के नेटवर्क का एक बहुत अभियान उठाना हमने तय किया है और इतना ही नहीं शहरों में क्‍योंकि शहरों के pollution की बड़ी चर्चा है। और उसके लिए हमने तय किया है कि हम परिवारों में पाइप लाइन से गैस का connection करें। यह हम देना चाहते है। अब तक हिंदुस्‍तान में 27 लाख परिवारों के पास पाइप लाइन से गैस connection है। हम आने वाले चार साल में यह संख्‍या एक करोड़ पहुंचाना चाहते हैं, एक करोड़ परिवार को। अब पूरे-पूरे पूर्वी भारत में गैस ग्रिड से गैस देने का हमारा लक्ष्‍य है। मैं जानता हूं हजारों करोड़ रुपये का हमारा investment है लेकिन यह investment करना है, क्‍योंकि अगर एक बार ऊर्जा के स्रोत वहां विपुल मात्रा में होंगे, तो हमारा पूर्वी भारत में भी उद्योग लगाने वाले लोग पहुंचेंगे, अगर गैस उनको मिलता है तो उद्योग लगाने के लिए जाएंगे और फिर ऊर्जा की गारंटी होनी चाहिए, उसको लेकर के हम आगे बढ़ना चाहते हैं। हमने इस क्षेत्र में विकास करना है तो skill development में भी बल देना पड़ेगा।

इस कार्यक्रम में विशेष रूप से IIT जैसे हमारे Institution के हमारे students को बुलाया है। हमारे देश में यह बहुत बड़ी challenge है कि इस क्षेत्र में innovation कैसे करें। हम अभी भी पुराने ढर्रे से चल रहे हैं। यह young mind की जरूरत है और young mind का एक लाभ है, वो बड़े साहसिक होते हैं वो प्रयोग करने के लिए ताकत रखते हैं। जो अनुभव के किनारे पहुंचे हैं वो 50 बार सोचते है कि करू या न करूं, करूं या न करूं। अच्‍छा कबड्डी का खिलाड़ी भी Retire होने के बाद जब कबड्डी का खेल देखने खड़ा होता है, तो उसको भी डर रहता है कि अरे यह कहीं गिर न जाए, वो चिंता करता रहता है और इसलिए young mind जिसकी risk capacity बहुत होती है। ऐसे young mind को आज विशेष रूप से बुलाया है।

मैं आग्रह करता हूं कि इस क्षेत्र में बहुत innovation की संभावनाएं है। innovation को हम किस प्रकार से ऊर्जा के क्षेत्र में हमारा mind apply करे। भारत को हम ऊर्जा क्षेत्र में सुरक्षित कैसे करे, स्‍वाबलंबी कैसे करें। उसकी पहली आवश्‍यकता है innovation, technology innovation, technology up-gradation, दूसरा है skill development. हमने skill development का एक अलग department बनाया है, लेकिन skill development को भी हम area specific, need specific and development specific बनाना चाहते हैं, requirement specific बनाना चाहते हैं।

अब हमने एक बार हिसाब लगाया कि सिर्फ हमारे पेट्रोलियम सेक्‍टर में जो काम करते हैं जैसे गैस की पाइप लाइन लगती है, अब गैस की पाइप लाइन लगाने वाला पानी की पाइप लाइन लगाने वाला नहीं चल सकता। उसके लिए एक special skill चाहिए। व्‍यक्ति वही होगा, extra skill की आवश्‍यकता है, value addition की आवश्‍यकता है। हमने ऐसे ही सरसरी नजर से देखा तो करीब-करीब 136 चीजें ऐसी हाथ में आई कि जो field level पर food-soldier जो है उनके skill के लिए करने की आवश्‍यकता है।

हमने एक अभियान चलाया है। आने वाले दिनों में इन सभी sectors में हम skill development को बल दे और सामान्‍य गरीब मजदूर भी है जो यह पेट्रोलियम सेक्‍टर में, ऊर्जा के सेक्‍टर में मान लीजिए solar energy पर हम initiative ले रहे हैं। अगर solar energy में initiative ले तो solar energy में वो wire-man काम करेगा कि solar energy में skill development का नये सिरे से सिलेबस बने, नये सिरे से उनके लिए कहीं एक व्‍यक्ति या दो व्‍यक्ति एक साल के दो साल के जो भी आवश्‍यक हो Skill Development Mission के साथ जोड़कर के हम पेट्रोलियम सेक्‍टर में भी ऊर्जा के सेक्‍टर में भी, ऐसी कितनी भी नई चीजें – और मैं तो चाहूंगा हम कंपनियों के साथ मिलकर के इसको करें। कंपनियां भी पार्टनर बनें और कंपनियों के साथ मिलकर के करेंगे तो Human Resource Development यह भी हमारे लिए उतना ही आवश्‍यक है जिसको लेकर के हम आगे बढ़ना चाहते हैं और मुझे विश्‍वास है कि हम आने वाले दिनों में एक प्रकार से innovation के लिए पूरा-पूरा अवसर, उसी प्रकार से इसको भी पाने का अवसर..।

2022 में भारत की आजादी के 75 साल हो रहे हैं। देश आजादी का अमृत पर्व बनाने वाला है। जिन महापुरूषों ने सपने देखे थे भारत को महान बनाने के और इसके लिए आजादी भी अपने आप को बलि चढ़ा दिया था, जवानी जेल में खपा दी थी, अपने-अपने परिवारों को तबाह कर दिया था, इसलिए कि हम आजादी की सांस ले सके, हम आजाद भारत में पल-बढ़ सके। हम वो भाग्‍यशाली लोग हैं, जो उनकी तपस्‍या और त्‍याग के कारण आज आजादी का आनंद ले रहे हैं। क्‍या हमारा जिम्‍मा नहीं है कि जिन महापुरूषों ने देश के लिए इतना बलिदान दिया हम उनको कैसा भारत समर्पित करेंगे। कैसा भारत देंगे। 2022 जबकि हिंदुस्‍तान की आजादी के 75 साल है। इस ऊर्जा के संगम में जो लोग आएं हैं मैं आपसे आग्रह करता हूं कि 2022 में जब देश आजादी का अमृत पर्व मनाए तब आज हम ऊर्जा के क्षेत्र में करीब 77% import करते हैं। तेल और गैस और पेट्रोलियम सेक्‍टर में। क्‍या आजादी के 2022 के पर्व पर, अमृत पर्व पर हम यह 77 में से कम से कम मैं ज्‍यादा नहीं कर रहा हूं, 10% import कम करेंगे, हम उतना 10% growth करेंगे, स्‍वाबलंबी बनेंगे यह सपना लेकर के आज हम कट कर सकते हैं क्‍या। एक बार हम 2022 में 10% import कमी करने में सफल हो जाते हैं, 10% growth करके हम उस ऊंचाई को पार कर सकते हैं तो मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं कि 2030 में हम यह import को 50% तक ला सकते हैं। लेकिन First Break-through होता है, पहला Break-through और मैं मानता हूं कि आजादी के दीवानों से बड़ी प्रेरणा क्‍या हो सकती है। आजादी के मरने-मिटने वालों को याद करके कह कि मैं इस क्षेत्र में काम कर रहा हूं, मैं मेरे देश को यह देकर के रहूंगा, आने वाले पांच-सात साल मेरे पास हैं। मैं पूरी ताकत लगा दूंगा और मैं देश में यह स्थिति पैदा करूं, ये सपने हम देखे कितने क्षेत्रों में initiative लिये है।

हम मेगावाट से बाहर नहीं निकलते, हम गीगावाट की चर्चा करने लगे हैं। 100 गीगावाट solar energy, 60 giga-watt renewable energy, wind energy की दिशा में जाना यह अपने आप में बहुत बड़े सपने हमने देखे हैं। इन सपनों से आगे बढ़ेंगे तो हमारा import कम होगा। और 10% Growth...वो तो हमारी growth requirement है..लेकिन हमारा जो Growth होगा वो 10% से ज्‍यादा लगेगा, तब जाकर के हम 77% से 10% कम कर सकते हैं। तो हमारे लक्ष्‍य ऊंचे होंगे, तब जाकर के हम इसको पूरा कर सकेंगे और मैं चाहूंगा कि उसके लिए हम प्रयास करें।

एक क्षेत्र की जितनी कंपनियां है, समय की मांग यह है कि हमारी ऊर्जा क्षेत्र की जितनी कंपनियां है Government हो चाहे वो Private कंपनियां हो, हम भारत के दायरे में ही अपने कारोबार को चलाकर के गुजारा करे यह enough नहीं है। हमारी इन कंपनियों को target करना चाहिए, जल्‍द से जल्‍द वो Multinational बने, क्‍योंकि ऊर्जा का एक पूरा Global Market बना हुआ है।

एक मैं देख रहा हूं कि इन दिनों energy diplomacy एक नया क्षेत्र उभर गया। वैश्विक संबंधों में energy diplomacy एक requirement बन गई है। हमारी कंपनियां जितनी Multinational बनेगी, उतना मैं समझता हूं इस क्षेत्र में अपनी पहुंच बना पाएंगे, अपनी जगह बना पाएंगे। उसी प्रकार से ऊर्जा के क्षेत्र में India and Middle East, India and Central Asia, India and South Asia Corridor बनाना और उसको गति देना हमारे लिए बहुत आवश्‍यक है। आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में काम करने वाले हमारे सभी महानुभव इन चीजों पर focus करके कैसे काम करे। कुछ ऐसे अनछुए क्षेत्र हैं, जिसमें हम अपना पैर पसार सकते हैं, कि North America और Africa में Gas Power के रूप में हम स्‍थापित कर सकते हैं क्‍या? मुझे विश्‍वास है कि अगर इन सपनों को लेकर के हम अगर आगे बढ़ते हैं, उसी प्रकार से हमारे जो बंदरगाह है उसके साथ LNG terminal का network उसके साथ हम कैसे जोड़ सकते हैं। कई ऐसे विषय है कि जिसको अगर हम बल देंगे तो मैं समझता हूं कि हम इन चीजों को पार कर सकते हैं और यह बात निश्चित है कि ऊर्जावान भारत ही विश्‍व को नई ऊर्जा दे सकता है। अगर भारत ऊर्जावान बनेगा तो विश्‍व को नई ऊर्जा मिलने की संभावना है, तो 1/6 population के नाते दुनिया हमारे लिए क्‍या करती है इन सपनों से बाहर निकलकर के हम विश्‍व के लिए क्‍या करते हैं, यह सपने देखकर के चलेंगे तो देश का अपने आप भला होगा।

मैं फिर एक बार इन तीनों संस्‍थाओं को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं, विभाग के इन सभी साथियों को उनके achievement के लिए हृदय से अभिनंदन करता हूं, बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

नमस्कार,

अभी दो ढाई घंटे पहले ही मैं कुवैत पहुंचा हूं और जबसे यहां कदम रखा है तबसे ही चारों तरफ एक अलग ही अपनापन, एक अलग ही गर्मजोशी महसूस कर रहा हूं। आप सब भारत क अलग अलग राज्यों से आए हैं। लेकिन आप सभी को देखकर ऐसा लग रहा है जैसे मेरे सामने मिनी हिन्दुस्तान उमड़ आया है। यहां पर नार्थ साउथ ईस्ट वेस्ट हर क्षेत्र के अलग अलग भाषा बोली बोलने वाले लोग मेरे सामने नजर आ रहे हैं। लेकिन सबके दिल में एक ही गूंज है। सबके दिल में एक ही गूंज है - भारत माता की जय, भारत माता की जय I

यहां हल कल्चर की festivity है। अभी आप क्रिसमस और न्यू ईयर की तैयारी कर रहे हैं। फिर पोंगल आने वाला है। मकर सक्रांति हो, लोहड़ी हो, बिहू हो, ऐसे अनेक त्यौहार बहुत दूर नहीं है। मैं आप सभी को क्रिसमस की, न्यू ईयर की और देश के कोने कोने में मनाये जाने वाले सभी त्योहारों की बहुत बहुत शुभकानाएं देता हूं।

साथियों,

आज निजी रूप से मेरे लिए ये पल बहुत खास है। 43 years, चार दशक से भी ज्यादा समय, 43 years के बाद भारत का कोई प्रधानमंत्री कुवैत आया है। आपको हिन्दुस्तान से यहां आना है तो चार घंटे लगते हैं, प्रधानमंत्री को चार दशक लग गए। आपमे से कितने ही साथी तो पीढ़ियों से कुवैत में ही रह रहे हैं। बहुतों का तो जन्म ही यहीं हुआ है। और हर साल सैकड़ों भारतीय आपके समूह में जुड़ते जाते हैं। आपने कुवैत के समाज में भारतीयता का तड़का लगाया है, आपने कुवैत के केनवास पर भारतीय हुनर का रंग भरा है। आपने कुवैत में भारत के टेलेंट, टेक्नॉलोजी और ट्रेडिशन का मसाला मिक्स किया है। और इसलिए मैं आज यहां सिर्फ आपसे मिलने ही नहीं आया हूं, आप सभी की उपलब्धियों को सेलिब्रेट करने के लिए आया हूं।

साथियों,

थोड़ी देर पहले ही मेरे यहां काम करने वाले भारतीय श्रमिकों प्रोफेशनल्श् से मुलाकात हुई है। ये साथी यहां कंस्ट्रक्शन के काम से जुड़े हैं। अन्य अनेक सेक्टर्स में भी अपना पसीना बहा रहे हैं। भारतीय समुदाय के डॉक्टर्स, नर्सज पेरामेडिस के रूप में कुवैत के medical infrastructure की बहुत बड़ी शक्ति है। आपमें से जो टीचर्स हैं वो कुवैत की अगली पीढ़ी को मजबूत बनाने में सहयोग कर रही है। आपमें से जो engineers हैं, architects हैं, वे कुवैत के next generation infrastructure का निर्माण कर रहे हैं।

और साथियों,

जब भी मैं कुवैत की लीडरशिप से बात करता हूं। तो वो आप सभी की बहुत प्रशंसा करते हैं। कुवैत के नागरिक भी आप सभी भारतीयों की मेहनत, आपकी ईमानदारी, आपकी स्किल की वजह से आपका बहुत मान करते हैं। आज भारत रेमिटंस के मामले में दुनिया में सबसे आगे है, तो इसका बहुत बड़ा श्रेय भी आप सभी मेहनतकश साथियों को जाता है। देशवासी भी आपके इस योगदान का सम्मान करते हैं।

साथियों,

भारत और कुवैत का रिश्ता सभ्यताओं का है, सागर का है, स्नेह का है, व्यापार कारोबार का है। भारत और कुवैत अरब सागर के दो किनारों पर बसे हैं। हमें सिर्फ डिप्लोमेसी ही नहीं बल्कि दिलों ने आपस में जोड़ा है। हमारा वर्तमान ही नहीं बल्कि हमारा अतीत भी हमें जोड़ता है। एक समय था जब कुवैत से मोती, खजूर और शानदार नस्ल के घोड़े भारत जाते थे। और भारत से भी बहुत सारा सामान यहां आता रहा है। भारत के चावल, भारत की चाय, भारत के मसाले,कपड़े, लकड़ी यहां आती थी। भारत की टीक वुड से बनी नौकाओं में सवार होकर कुवैत के नाविक लंबी यात्राएं करते थे। कुवैत के मोती भारत के लिए किसी हीरे से कम नहीं रहे हैं। आज भारत की ज्वेलरी की पूरी दुनिया में धूम है, तो उसमें कुवैत के मोतियों का भी योगदान है। गुजरात में तो हम बड़े-बुजुर्गों से सुनते आए हैं, कि पिछली शताब्दियों में कुवैत से कैसे लोगों का, व्यापारी-कारोबारियों का आना-जाना रहता था। खासतौर पर नाइनटीन्थ सेंचुरी में ही, कुवैत से व्यापारी सूरत आने लगे थे। तब सूरत, कुवैत के मोतियों के लिए इंटरनेशनल मार्केट हुआ करता था। सूरत हो, पोरबंदर हो, वेरावल हो, गुजरात के बंदरगाह इन पुराने संबंधों के साक्षी हैं।

कुवैती व्यापारियों ने गुजराती भाषा में अनेक किताबें भी पब्लिश की हैं। गुजरात के बाद कुवैत के व्यापारियों ने मुंबई और दूसरे बाज़ारों में भी उन्होंने अलग पहचान बनाई थी। यहां के प्रसिद्ध व्यापारी अब्दुल लतीफ अल् अब्दुल रज्जाक की किताब, How To Calculate Pearl Weight मुंबई में छपी थी। कुवैत के बहुत सारे व्यापारियों ने, एक्सपोर्ट और इंपोर्ट के लिए मुंबई, कोलकाता, पोरबंदर, वेरावल और गोवा में अपने ऑफिस खोले हैं। कुवैत के बहुत सारे परिवार आज भी मुंबई की मोहम्मद अली स्ट्रीट में रहते हैं। बहुत सारे लोगों को ये जानकर हैरानी होगी। 60-65 साल पहले कुवैत में भारतीय रुपए वैसे ही चलते थे, जैसे भारत में चलते हैं। यानि यहां किसी दुकान से कुछ खरीदने पर, भारतीय रुपए ही स्वीकार किए जाते थे। तब भारतीय करेंसी की जो शब्दाबली थी, जैसे रुपया, पैसा, आना, ये भी कुवैत के लोगों के लिए बहुत ही सामान्य था।

साथियों,

भारत दुनिया के उन पहले देशों में से एक है, जिसने कुवैत की स्वतंत्रता के बाद उसे मान्यता दी थी। और इसलिए जिस देश से, जिस समाज से इतनी सारी यादें जुड़ी हैं, जिससे हमारा वर्तमान जुड़ा है। वहां आना मेरे लिए बहुत यादगार है। मैं कुवैत के लोगों का, यहां की सरकार का बहुत आभारी हूं। मैं His Highness The Amir का उनके Invitation के लिए विशेष रूप से धन्यवाद देता हूं।

साथियों,

अतीत में कल्चर और कॉमर्स ने जो रिश्ता बनाया था, वो आज नई सदी में, नई बुलंदी की तरफ आगे बढ़ रहा है। आज कुवैत भारत का बहुत अहम Energy और Trade Partner है। कुवैत की कंपनियों के लिए भी भारत एक बड़ा Investment Destination है। मुझे याद है, His Highness, The Crown Prince Of Kuwait ने न्यूयॉर्क में हमारी मुलाकात के दौरान एक कहावत का जिक्र किया था। उन्होंने कहा था- “When You Are In Need, India Is Your Destination”. भारत और कुवैत के नागरिकों ने दुख के समय में, संकटकाल में भी एक दूसरे की हमेशा मदद की है। कोरोना महामारी के दौरान दोनों देशों ने हर स्तर पर एक-दूसरे की मदद की। जब भारत को सबसे ज्यादा जरूरत पड़ी, तो कुवैत ने हिंदुस्तान को Liquid Oxygen की सप्लाई दी। His Highness The Crown Prince ने खुद आगे आकर सबको तेजी से काम करने के लिए प्रेरित किया। मुझे संतोष है कि भारत ने भी कुवैत को वैक्सीन और मेडिकल टीम भेजकर इस संकट से लड़ने का साहस दिया। भारत ने अपने पोर्ट्स खुले रखे, ताकि कुवैत और इसके आसपास के क्षेत्रों में खाने पीने की चीजों का कोई अभाव ना हो। अभी इसी साल जून में यहां कुवैत में कितना हृदय विदारक हादसा हुआ। मंगफ में जो अग्निकांड हुआ, उसमें अनेक भारतीय लोगों ने अपना जीवन खोया। मुझे जब ये खबर मिली, तो बहुत चिंता हुई थी। लेकिन उस समय कुवैत सरकार ने जिस तरह का सहयोग किया, वो एक भाई ही कर सकता है। मैं कुवैत के इस जज्बे को सलाम करूंगा।

साथियों,

हर सुख-दुख में साथ रहने की ये परंपरा, हमारे आपसी रिश्ते, आपसी भरोसे की बुनियाद है। आने वाले दशकों में हम अपनी समृद्धि के भी बड़े पार्टनर बनेंगे। हमारे लक्ष्य भी बहुत अलग नहीं है। कुवैत के लोग, न्यू कुवैत के निर्माण में जुटे हैं। भारत के लोग भी, साल 2047 तक, देश को एक डवलप्ड नेशन बनाने में जुटे हैं। कुवैत Trade और Innovation के जरिए एक Dynamic Economy बनना चाहता है। भारत भी आज Innovation पर बल दे रहा है, अपनी Economy को लगातार मजबूत कर रहा है। ये दोनों लक्ष्य एक दूसरे को सपोर्ट करने वाले हैं। न्यू कुवैत के निर्माण के लिए, जो इनोवेशन, जो स्किल, जो टेक्नॉलॉजी, जो मैनपावर चाहिए, वो भारत के पास है। भारत के स्टार्ट अप्स, फिनटेक से हेल्थकेयर तक, स्मार्ट सिटी से ग्रीन टेक्नॉलजी तक कुवैत की हर जरूरत के लिए Cutting Edge Solutions बना सकते हैं। भारत का स्किल्ड यूथ कुवैत की फ्यूचर जर्नी को भी नई स्ट्रेंथ दे सकता है।

साथियों,

भारत में दुनिया की स्किल कैपिटल बनने का भी सामर्थ्य है। आने वाले कई दशकों तक भारत दुनिया का सबसे युवा देश रहने वाला है। ऐसे में भारत दुनिया की स्किल डिमांड को पूरा करने का सामर्थ्य रखता है। और इसके लिए भारत दुनिया की जरूरतों को देखते हुए, अपने युवाओं का स्किल डवलपमेंट कर रहा है, स्किल अपग्रेडेशन कर रहा है। भारत ने हाल के वर्षों में करीब दो दर्जन देशों के साथ Migration और रोजगार से जुड़े समझौते किए हैं। इनमें गल्फ कंट्रीज के अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, मॉरिशस, यूके और इटली जैसे देश शामिल हैं। दुनिया के देश भी भारत की स्किल्ड मैनपावर के लिए दरवाज़े खोल रहे हैं।

साथियों,

विदेशों में जो भारतीय काम कर रहे हैं, उनके वेलफेयर और सुविधाओं के लिए भी अनेक देशों से समझौते किए जा रहे हैं। आप ई-माइग्रेट पोर्टल से परिचित होंगे। इसके ज़रिए, विदेशी कंपनियों और रजिस्टर्ड एजेंटों को एक ही प्लेटफॉर्म पर लाया गया है। इससे मैनपावर की कहां जरूरत है, किस तरह की मैनपावर चाहिए, किस कंपनी को चाहिए, ये सब आसानी से पता चल जाता है। इस पोर्टल की मदद से बीते 4-5 साल में ही लाखों साथी, यहां खाड़ी देशों में भी आए हैं। ऐसे हर प्रयास के पीछे एक ही लक्ष्य है। भारत के टैलेंट से दुनिया की तरक्की हो और जो बाहर कामकाज के लिए गए हैं, उनको हमेशा सहूलियत रहे। कुवैत में भी आप सभी को भारत के इन प्रयासों से बहुत फायदा होने वाला है।

साथियों,

हम दुनिया में कहीं भी रहें, उस देश का सम्मान करते हैं और भारत को नई ऊंचाई छूता देख उतने ही प्रसन्न भी होते हैं। आप सभी भारत से यहां आए, यहां रहे, लेकिन भारतीयता को आपने अपने दिल में संजो कर रखा है। अब आप मुझे बताइए, कौन भारतीय होगा जिसे मंगलयान की सफलता पर गर्व नहीं होगा? कौन भारतीय होगा जिसे चंद्रयान की चंद्रमा पर लैंडिंग की खुशी नहीं हुई होगी? मैं सही कह रहा हूं कि नहीं कह रहा हूं। आज का भारत एक नए मिजाज के साथ आगे बढ़ रहा है। आज भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी इकॉनॉमी है। आज दुनिया का नंबर वन फिनटेक इकोसिस्टम भारत में है। आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम भारत में है। आज भारत, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल निर्माता देश है।

मैं आपको एक आंकड़ा देता हूं और सुनकर आपको भी अच्छा लगेगा। बीते 10 साल में भारत ने जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, भारत में जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, उसकी लंबाई, वो धरती और चंद्रमा की दूरी से भी आठ गुना अधिक है। आज भारत, दुनिया के सबसे डिजिटल कनेक्टेड देशों में से एक है। छोटे-छोटे शहरों से लेकर गांवों तक हर भारतीय डिजिटल टूल्स का उपयोग कर रहा है। भारत में स्मार्ट डिजिटल सिस्टम अब लग्जरी नहीं, बल्कि कॉमन मैन की रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल हो गया है। भारत में चाय पीते हैं, रेहड़ी-पटरी पर फल खरीदते हैं, तो डिजिटली पेमेंट करते हैं। राशन मंगाना है, खाना मंगाना है, फल-सब्जियां मंगानी है, घर का फुटकर सामान मंगाना है, बहुत कम समय में ही डिलिवरी हो जाती है और पेमेंट भी फोन से ही हो जाता है। डॉक्यूमेंट्स रखने के लिए लोगों के पास डिजि लॉकर है, एयरपोर्ट पर सीमलैस ट्रेवेल के लिए लोगों के पास डिजियात्रा है, टोल बूथ पर समय बचाने के लिए लोगों के पास फास्टटैग है, भारत लगातार डिजिटली स्मार्ट हो रहा है और ये तो अभी शुरुआत है। भविष्य का भारत ऐसे इनोवेशन्स की तरफ बढ़ने वाला है, जो पूरी दुनिया को दिशा दिखाएगा। भविष्य का भारत, दुनिया के विकास का हब होगा, दुनिया का ग्रोथ इंजन होगा। वो समय दूर नहीं जब भारत दुनिया का Green Energy Hub होगा, Pharma Hub होगा, Electronics Hub होगा, Automobile Hub होगा, Semiconductor Hub होगा, Legal, Insurance Hub होगा, Contracting, Commercial Hub होगा। आप देखेंगे, जब दुनिया के बड़े-बड़े Economy Centres भारत में होंगे। Global Capability Centres हो, Global Technology Centres हो, Global Engineering Centres हो, इनका बहुत बड़ा Hub भारत बनेगा।

साथियों,

हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। भारत एक विश्वबंधु के रूप में दुनिया के भले की सोच के साथ आगे चल रहा है। और दुनिया भी भारत की इस भावना को मान दे रही है। आज 21 दिसंबर, 2024 को दुनिया, अपना पहला World Meditation Day सेलीब्रेट कर रही है। ये भारत की हज़ारों वर्षों की Meditation परंपरा को ही समर्पित है। 2015 से दुनिया 21 जून को इंटरनेशन योगा डे मनाती आ रही है। ये भी भारत की योग परंपरा को समर्पित है। साल 2023 को दुनिया ने इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर के रूप में मनाया, ये भी भारत के प्रयासों और प्रस्ताव से ही संभव हो सका। आज भारत का योग, दुनिया के हर रीजन को जोड़ रहा है। आज भारत की ट्रेडिशनल मेडिसिन, हमारा आयुर्वेद, हमारे आयुष प्रोडक्ट, ग्लोबल वेलनेस को समृद्ध कर रहे हैं। आज हमारे सुपरफूड मिलेट्स, हमारे श्री अन्न, न्यूट्रिशन और हेल्दी लाइफस्टाइल का बड़ा आधार बन रहे हैं। आज नालंदा से लेकर IITs तक का, हमारा नॉलेज सिस्टम, ग्लोबल नॉलेज इकोसिस्टम को स्ट्रेंथ दे रहा है। आज भारत ग्लोबल कनेक्टिविटी की भी एक अहम कड़ी बन रहा है। पिछले साल भारत में हुए जी-20 सम्मेलन के दौरान, भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर की घोषणा हुई थी। ये कॉरिडोर, भविष्य की दुनिया को नई दिशा देने वाला है।

साथियों,

विकसित भारत की यात्रा, आप सभी के सहयोग, भारतीय डायस्पोरा की भागीदारी के बिना अधूरी है। मैं आप सभी को विकसित भारत के संकल्प से जुड़ने के लिए आमंत्रित करता हूं। नए साल का पहला महीना, 2025 का जनवरी, इस बार अनेक राष्ट्रीय उत्सवों का महीना होने वाला है। इसी साल 8 से 10 जनवरी तक, भुवनेश्वर में प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन होगा, दुनियाभर के लोग आएंगे। मैं आप सब को, इस कार्यक्रम के लिए आमंत्रित करता हूं। इस यात्रा में, आप पुरी में महाप्रभु जगन्नाथ जी का आशीर्वाद ले सकते हैं। इसके बाद प्रयागराज में आप महाकुंभ में शामिल होने के लिए प्रयागराज पधारिये। ये 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलने वाला है, करीब डेढ़ महीना। 26 जनवरी को आप गणतंत्र दिवस देखकर ही वापस लौटिए। और हां, आप अपने कुवैती दोस्तों को भी भारत लाइए, उनको भारत घुमाइए, यहां पर कभी, एक समय था यहां पर कभी दिलीप कुमार साहेब ने पहले भारतीय रेस्तरां का उद्घाटन किया था। भारत का असली ज़ायका तो वहां जाकर ही पता चलेगा। इसलिए अपने कुवैती दोस्तों को इसके लिए ज़रूर तैयार करना है।

साथियों,

मैं जानता हूं कि आप सभी आज से शुरु हो रहे, अरेबियन गल्फ कप के लिए भी बहुत उत्सुक हैं। आप कुवैत की टीम को चीयर करने के लिए तत्पर हैं। मैं His Highness, The Amir का आभारी हूं, उन्होंने मुझे उद्घाटन समारोह में Guest Of Honour के रूप में Invite किया है। ये दिखाता है कि रॉयल फैमिली, कुवैत की सरकार, आप सभी का, भारत का कितना सम्मान करती है। भारत-कुवैत रिश्तों को आप सभी ऐसे ही सशक्त करते रहें, इसी कामना के साथ, फिर से आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद!

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

बहुत-बहुत धन्यवाद।