Text of PM’s address at inauguration ceremony of “Urja Sangam-2015”

Published By : Admin | March 27, 2015 | 18:18 IST

उपस्थित सभी महानुभाव और नौजवान साथियों।

आज ऊर्जा संगम भी है और त्रिवेणी संगम भी है। त्रिवेणी संगम इस अर्थ में है कि तीन महत्‍वपूर्ण initiative जिनको आज हम Golden Jubilee के रूप में मना रहे हैं। ONGC Videsh Limited, Engineer India Limited and Barauni Refinery Limited इन तीनों क्षेत्र में गत 50 वर्षों में जिन जिन महानुभाव ने योगदान दिया है। इस अभियान को आगे बढ़ाया है और भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में ताकत देने के लिए निरंतर प्रयास किया है। मैं उन तीनों संस्‍थाओं से जुड़े सभी महानुभवों को हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं और मुझे विश्‍वास है कि जब हम Golden Jubilee Year मना रहे हैं तब पीछे मुड़कर के वो कौन सी हमारी कार्यशैली थी, वो कौन से हमारे निर्णय थे, वो कौन सा हमारा दर्शन था, जिसके कारण हम आगे बढ़े, वो कौन सी कमियां थी, जिसके कारण अगर कोई कमी रह गई थी तो वो क्‍या थी और अब जाकर के जब हम 50 साल के turning point पर खड़े हैं तब आने वाला 50 साल का हमारा लक्ष्‍य क्‍या होगा। हमारा मार्ग क्‍या होगा, हमारी शक्ति संचय के रास्‍ते क्‍या होंगे और राष्‍ट्र को शक्तिवान बनाने के लिए हमारे पुरूषार्थ किस प्रकार का होगा, उसका भी आप लोग रोड मैप तैयार करोगे, इसका मुझे पूरा विश्‍वास है।

कोई देश तब प्रगति करता है, जब विचार के साथ व्‍यवस्‍थाएं जुड़ती है, अगर विचार के साथ व्‍यवस्‍था नहीं रहती है, तो विचार बांझ रह जाते हैं, उससे आगे कुछ निकलता नहीं है और इसलिए देश को अगर प्रगति करनी है तो हर Idea को Institutionalise करना होता है और देश्‍ लम्‍बे स्‍तर से तब स्‍थाई भाव से तब प्रगति करता है जब उसका Institutional Mechanism अधिक मजबूत हो। Institutional Mechanism में auto-pilot ऐसी व्‍यवस्‍था हो कि वो नित्‍य-नूतन प्रयोग करता रहता हो।

मैं समझता हूं कि हमारे पास आने वाले युग के लिए भी, नई व्‍यवस्‍थाओं के निर्माण की आवश्‍यकता है और वर्तमान में जो व्‍यवस्‍थाएं हमारे पास है जो Institutional Mechanism हैं, उस Institutional Mechanism को भी आने वाली शताब्‍दी के लिए किस प्रकार से अधिक आधुनिक बनाया जाए, नए innovation कैसे किये जाए, young man को कैसे incorporate किया जाए और न सिर्फ भारत की सीमाओं तक लेकिन Global Perspective में हम अपने विकास की दिशा कैसे तय करे और उन लक्ष्‍यों को कैसे पार करे, कैसे प्राप्‍त करे? उन बातों पर जितना हम ध्‍यान देंगे, तो विश्‍व की भारत के पास जो अपेक्षाएं हैं और दुनिया का 1/6 population, यह 1/6 population यह कहकर नहीं रोक सकता कि हमारी यह मुसीबत है, हमारी यह कठिनाई है। दुनिया के 1/6 population का तो यह लक्ष्‍य रहना चाहिए कि विश्‍व का 1/6 बोझ हम अकेले अपने कंधों पर उठाएंगे और विश्‍व को सुख-शांति देने में हमारा भी कोई न कोई सकारात्‍मक contribution होगा। यह Global Perspective के साथ भारत को अपने आप को सजग करना होगा, भारत को अपने आप को तैयार करना होगा और मुझे विश्‍वास है जिस देश के पास 65% जनसंख्‍या 35 साल से कम उम्र की हो young mind जिनके पास हो, अच्‍छे सपने देखने का जिन लोगों में सामर्थ्‍य हो ऐसी ऊर्जावान देश के लिए सपने देखना।

…और सपने पूरा करना कठिन नहीं है और मुझे विश्‍वास है कि आज जब हम इस महत्‍वपूर्ण अवसर पर ऊर्जा संगम के समारोह में मिले हैं, तब कल, आज और आने वाले कल का भी संगम हमारे मन-मस्तिष्‍क में स्थिर हो, ताकि हम नई ऊंचाईयों को पार करने के लिए विश्‍व के काम आने वाले भारत को तैयार करने में सफल हो सकें और इस अर्थ में आज मुझे आपके बीच आने का सौभाग्‍य मिला मैं आपको इसके लिए हृदय से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं और आपके आगे की यात्रा बहुत ही उत्‍तम तरीके से राष्‍ट्र की सेवा में काम आएगी, ऐसा मुझे पूरा विश्‍वास है।

नई सरकार बनने के बाद नये कई initiative लिये गये हैं। हम जानते हैं कि अगर हमें विकास करना है अगर हमें Global Bench Mark को achieve करना है तो हमारे लिये ऊर्जा के क्षेत्र में Self Sufficient होना बहुत अनिवार्य है। हमें किसी क्षेत्र में भी Growth करना है उसकी पहली आवश्‍यकता होती है ऊर्जा। आज Technology Driven society है और जब Technology Driven society है तो ऊर्जा ने अपनी अहम भूमिका स्‍थापित की है। ऊर्जा के स्रोत अलग-अलग हो सकते हैं, जो आज भी हमारे ध्‍यान में नहीं है वो भी शायद आने वाले दिनों में विश्‍व के सामने उजागर हो सकते है, लेकिन पूरे मानव जाति की विकास यात्रा को देखा जाए, तो ऊर्जा का अपना एक स्‍थान है, ऊर्जा एक प्रकार से विकास को ऊर्जा देने की ताकत बन जाती है और उस अर्थ में हमारे लिए ऊर्जा सुरक्षा ये आवश्‍यकता भी है और हमारी जिम्‍मेदारी भी है और उस जिम्‍मेदारी को पूरा करने की दिशा में हमने कुछ कदम उठाए हैं।

पिछले दस महीनों में इस क्षेत्र में हमने जो reform को बल दिया है और reform को बल देने के कारण कई महत्‍वपूर्ण बातें सामने आई है। हमारे यहां सामान्‍य नागरिक की चिंता करना यह हमारा पहला इरादा रहता है। हमारा मकसद है कि देश के common man को अधिक से अधिक सरलता से लाभ कैसे मिले।

सब्सिडी ट्रांसफर्स दुनिया की सबसे बड़ी गैसे सब्सिडी को ट्रांसफर करने की स्‍कीम में सिर्फ सौ दिन के कालखंड में हमने सफलता पाई है और मैं मानता हूं कि एक तो किसी चीज में शुरू करना, किसी चीज को achieve और किसी चीज को time-bound…समय रहते हुए चीजों को तोलते हुए देखें तो मैं विभाग के सभी मित्रों को सचिव श्री, मंत्री श्री को और उनकी टीम को सौ दिन के अल्‍प समय में दुनिया की सबसे बड़ी सब्सिडी ट्रांसफर स्‍कीम 12 करोड़ लोगों को बैंक खाते में सब्सिडी पहुंचना यह छोटा काम नहीं है। दुनिया का सबसे बड़ा काम है और जनधन Account जब खोल रहे थे तब तो कुछ लोग मजाक करने की हिम्‍मत करते थे, लेकिन अब नहीं करते, क्‍योंकि जनधन, जनधन के लिए नहीं था। जनशक्ति में परिवर्तित करने का प्रयास था और उसमें ऊर्जा शक्ति जोड़ने की प्रारंभ में करना था। कोई कल्‍पना कर सकता है कि beneficially को सीधा लाभ देकर के हमने कितना बड़ा leakage रोका है। मैं विशेषकर के Political पंडितों से आग्रह करूंगा कि जरा उसकी गहराई में जाए। मैं अपनी तरफ से claim करना नहीं चाहता हूं। जिस भ्रष्‍टाचार के खिलाफ लड़ने के खिलाफ बाते तो बहुत होती है लेकिन भ्रष्‍टाचार से लड़ने के लिए Institutional Mechanism, Transparent Mechanism, Policy driven व्‍यवस्‍थाएं अगर निश्चित की जाए तो हम leakage को रोक सकते हैं और यह उत्‍तम उदाहरण cash transfer के द्वारा हमने सिद्ध किया है। पहले कितने सिलेंडर जाते थे अब कितने सिलेंडर जाते हैं, इससे पता चलेगा।

पिछली बार हमने Parliament में एक छोटा सा उल्‍लेख किया था कि जिनको यह affordable है उन्‍होंने सब्सिडी क्‍यों लेनी चाहिए। क्‍या देश में ऐसे लोग नहीं निकल सकते कि जो कहें कि भई ठीक है, अब तो ईश्‍वर ने हमें बहुत दिया है, देश में हमें बहुत दिया है और गैस सिलेंडर के लिए सब्सिडी की जरूरत नहीं है। हम अपने पसीने की कमाई से अपना खाना पका सकते हैं और अपना पेट भर सकते हैं। छोटा सा स्‍पर्श किया था विषय पर लेकिन स्‍पर्श को भी देश के करीब 2 लाख 80 हजार लोगों ने सकारात्‍मक response किया और इस “Give it up” movement में भागीदारी हुए। सवाल यह नहीं है कि दो लाख, तीन लाख इसमें लोग जुड़े, सवाल यह है कि देश हमें चलाना है तो देश भागीदारी करने को तैयार होता है। देश का हर नागरिक भागीदारी करने को तैयार होता है। उनको अवसर देना चाहिए। देश के नागरिकों पर भरोसा करना चाहिए। हमारी सबसे बड़ी पहल यह है कि हम हिंदुस्‍तान के नागरिकों पर भरोसा कर करके आगे बढ़ना चाहते हैं और आपको जानकर के आनंद होगा कि समाज के एक वर्ग ने जिसने कहा कि हां भई हम अब सब्सिडी से गैस अब लेना नहीं चाहते, हम अपना पैसा दे सकते हैं। करीब 2 लाख 80 हजार से ज्‍यादा लोगों ने इसका एक प्रकार से देश को लाभ दिया है। उससे कम से कम 100 करोड़ रुपये की बचत होगी। यह 100 करोड़ रुपया किसी गांव में स्‍कूल बनाने के काम आएगा कि नहीं आएगा। किसी गरीब का बच्‍चा बीमार होगा तो उसके काम आएगा कि नहीं आएगा। जिसने भी यह काम किया है उसने एक प्रकार से गरीबों की सेवा करने का काम किया है। और यह जो सिलेंडर बचे हैं उन सिलेंडरों से हम पैसे बचाना नहीं चाहते, हम इसको गरीबों तक पहुंचाना चाहते हैं ताकि आज वो धुएं में चुल्‍हा जलाते हुए जो मां परेशान रहती है उसको कोई राह मिल जाए, उसके बच्‍चे को आरोग्‍य का लाभ मिल जाए।

गरीब के घर तक गैस का सिलेंडर कैसे पहुंचे इसका हमने अभियान चलाया है और मैं आज विधिवत रूप से यह सफलता देखकर पहले तो हमने ऐसा ही कहा था कि चलो जरा कहे लेकिन जो response देश ने दिया है, मैं उन दो लाख 80 हजार लोगों से अधिक इस काम का जिम्‍मा लिया मैं उनका आभार व्यक्त करता हूं, अभिनंदन करता हूं और देशवासियों को अपील करता हूं कि जिसके लिए भी यह संभव है अपनी जेब से.. अपना खाना पकाने की जिनकी ताकत है वो कृपया करके यह गैस सिलेंडर में सब्सिडी न लें। देने का भी एक आनंद होता है, देने का भी एक संतोष होता है और जब आप गैस सिलेंडर की सब्सिडी नहीं लेंगे तब मन में याद रखिए यह जो पैसे देश में बचने वाले हैं वो किसी न किसी गरीब के काम आने वाले हैं। वो आपके जीवन का संतोष होगा, आनंद होगा और मैं विधिवत रूप से देशवासियों से आग्रह करता हूं।

जब मैं यह विचार कर रहा था, तब मैंने Department को पूछा था कि पहले जांच करो भई! मोदी के नाम का तो सिलेंडर कोई है नहीं न! मेरा सौभाग्‍य रहा कि मुझे कभी इस दुनिया से उलझना ही नहीं पड़ा है तो उसके कारण न कभी पहले लिया था न आज है तो फिर मैं एक moral ताकत से बोल सकता था हां भई हम यह कर सकते हैं और मैं आज विधिवत रूप से देशवासियों से अपील करता हूं कि अगर आपके पास इस देश ने जहां तक पहुंचाया है, देश का योगदान है। गरीब से गरीब का योगदान है आप यहां तक पहुंचने में, आपकी जेब भरने में गरीब के पसीने की महक है। आइए हम इस “Give it Up” movement में जुड़े, हम गैस सब्सिडी को छोड़ें, सामने से offer करे और इसमें भी नये नये लक्ष्‍य प्राप्‍त करके नये record स्‍थापित करे। मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं जो सिलेंडर, आप सब्सिडी छोड़ेंगे वो हम गरीबों को पहुंचाएंगे। यह गरीबों के काम आएगा।

हमने एक और काम किया है....5kg का सिलेंडर। जो विद्यार्थी पढाई के लिए शहर आता है...अब वो एक पूरा सिलेंडर लेकर के क्‍या करेगा, अब बेचारा एक कमरे में रहता है या तो कोई नौकरी के लिए गये हुए लोग है। यह जो घूमन जाति के लोग है, जो एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं, उनको 5kg का सिलेंडर मिलेगा, तो ऐसे गरीब लोगों को वो affordable भी होगा और उसकी जरूरत पूरी करने की व्‍यवस्‍था होगी। हमने उस दिशा में प्रयास किया है।

हमने एक यह भी काम किया डीजल को deregulate किया। अब डीजल को deregulate करने के कारण reform के लिए एक महत्‍वपूर्ण माना जाता है। International दाम कम हुए थे तो थोड़ी सुविधा भी रही, लेकिन Market को तय करने दो, क्‍योंकि Global Market के दबाव में है और मैंने देखा है कि देश ने सहजता से इसको स्‍वीकार कर लिया है। कभी दाम ऊपर जाते हैं कभी दाम नीचे जाते हैं लेकिन लोगों को मालूम है कि भई इसमें सरकार का कोई रोल नहीं है। बाजार की जो स्थिति है वो उसी के साथ जुड़ गए है। तो भारत का नागरिक भी एक खरीदार के रूप में भी Global Economic का हिस्‍सा बनकर के अपनी जिम्‍मेदारियों को निभाने के लिए तैयार हुआ है। यह अपने आप में विकास के एक सकारात्‍मक दृश्‍य के रूप में मैं देख रहा हूं। मैं देख रहा हूं कि उसका भी लाभ होगा। हमने एक और महत्‍वपूर्ण निर्णय किया। जब ऊर्जा के क्षेत्र में चर्चा करते समय सभी क्षेत्रों में प्रयास करना पड़ेगा।

Ethanol के लिए पेट्रोल में उसको Mix करने के लिए हमने उसमें initiative लिया, विधिवत रूप से लिया। हमारे गन्‍ने की खेती करने वाले किसान परेशान है, क्‍योंकि उसकी लागत से चीनी की कीमत कम हो रही है, चीनी के कारखाने बंद हो रहे हैं। अगर उसके लिए एक नई व्‍यवस्‍था जोड़ दी जाए। अगर चीनी बनाने वाले चीनी.. उनके पास excess है, चीनी के दाम टूट रहे हैं दुनिया में कोई Import करने वाला नहीं है, तो ऐसी स्थिति में आप चीनी मत बनाइये Ethanol बनाइये, कुछ मात्रा में Ethanol बनाइये, उसको प्रट्रोल में blend कर दिया जाए। किसी समय यह petroleum lobby के बारे में ऐसा कहा जाता था कि इतनी powerful होती है कि कोई निणर्य नहीं कर सकता। हमने निर्णय किया। यहां कई लोग बैठे होंगे, शायद उनको अच्‍छा नहीं भी लगेगा, लेकिन हमने निर्णय किया है और उसके कारण हम climate की भी चिंता करते हैं, environment की भी चिंता करते हैं, at the same time हम economy की भी चिंता करते हैं। और हमारा गरीब किसान, गन्‍ने का किसान है। यह ethanol के द्वारा, अब उसकी बहुत बड़ी मदद कर रहे हैं। हमारा जो sugar sector है उसको ताकत देने का एक उत्‍तम रास्‍ता हमने किया है और पहले ethanol का MSP भी नहीं था। Minimum Support Price का निर्णय नहीं था। उसका कोई Price.. कोई कीमत तय नहीं था। हमने तय कर दिया 48.50 पैसा to 49.50 पैसा तक इसका रहेगा ताकि एक राज्‍य में एक भाव हो, दूसरे राज्‍य में दूसरा हो, तो स्थिति खराब न हो और उसके कारण कोई भी company direct ले सकती है। कोई टेंडर प्रोसेस में जाना नहीं पड़ेगा, मार्केट रेट फिक्‍स कर दिया है। मैं समझता हूं कि उसके कारण भी एक और लाभ होगा।

और एक काम हमने initiative लेने के लिए राज्‍यों से आग्रह किया है। जिन-जिन राज्‍यों में बंजर भूमि है। जहां पर अन्‍य फसल की संभावनाएं कम है, वहां पर Jatropha की खेती बहुत अच्‍छी हो सकती है। Jatropha की पैदावर अच्‍छी हो सकती है और Jatropha जैसे वो तिलहन है जिसमें से खाद्य तेल नहीं निकलता है, लेकिन कोई पदार्थ मिलता है, उसको बढ़ावा देना और उसको बायो डीजल के रूप में develop करना और जितनी मात्रा में हम बायो डीजल को मार्केट में लाएंगे, हमारा किसान जो खेत में पम्‍प चलाता है या ट्रेक्‍टर चलाता है उसको भी उसके कारण लाभ होगा। गरीब आदमी को किस प्रकार से लाभ हो, उस बल देने करने का हमारा प्रयास है।

देश में अगर हमें विकास करना है तो भारत का..और अगर सिर्फ पश्चिमी छोर का विकास हो, तो देश का विकास कभी संभव नहीं होगा। असंतुलित विकास भी कभी-कभी विकास के लिए खुद समस्‍या बन जाता है। विकास संतुलित होना चाहिए। हर राज्‍य का 19-20 का फर्क तो हम समझ सकते हैं। लेकिन 80-20 के फर्क से देश नहीं चल सकता। और इसलिए पश्चिम में तो हमें economic activity दिखती है, लेकिन पूरब जहां सबसे ज्‍यादा प्राकृतिक संपदा है, पूर्वी भारत पूरा, जहां पर समर्थ लोग हैं, उनकी शक्ति कम नहीं होती है, लेकिन उनको अवसर नहीं मिलता। देश को आगे बढ़ाना है तो हमारा लक्ष्‍य है कि भारत का पूर्वी इलाका चाहे पूर्वी उत्‍तर प्रदेश हो, बिहार हो, उड़ीसा हो, असम हो, पश्चिम बंगाल हो, north east के इलाके हों, जहां पर विकास की विशाल-विपुल संभावना है, उस पर हमने बल देने का आग्रह किया है।

Second green revolution से भूमि अगर बनेगी, तो पूर्वी भारत बनेगा, मुझे साफ दिखाई दे रहा है। जहां विपुल मात्रा में पानी है, उसी प्रकार से औद्योगिकी विकास में भी बड़ा contribute करने की संभावना पूर्वी भारत में पड़ी है और इसके लिए गैस ग्रिड नेटवर्क ऊर्जा जरूरत है। अगर पटना के पास गैस पाइप लाइन से मिलेगा, तो पटना में उद्योग आएंगे। बिहार के उन शहरों में भी उद्योग जाएंगे। असम में भी जाएंगे, पश्चिम बंगाल में भी जाएंगे, कलकत्‍ता में भी नई ऊर्जा आएगी और इसलिए हमने गैस ग्रिड का पाइप लाइन के नेटवर्क का एक बहुत अभियान उठाना हमने तय किया है और इतना ही नहीं शहरों में क्‍योंकि शहरों के pollution की बड़ी चर्चा है। और उसके लिए हमने तय किया है कि हम परिवारों में पाइप लाइन से गैस का connection करें। यह हम देना चाहते है। अब तक हिंदुस्‍तान में 27 लाख परिवारों के पास पाइप लाइन से गैस connection है। हम आने वाले चार साल में यह संख्‍या एक करोड़ पहुंचाना चाहते हैं, एक करोड़ परिवार को। अब पूरे-पूरे पूर्वी भारत में गैस ग्रिड से गैस देने का हमारा लक्ष्‍य है। मैं जानता हूं हजारों करोड़ रुपये का हमारा investment है लेकिन यह investment करना है, क्‍योंकि अगर एक बार ऊर्जा के स्रोत वहां विपुल मात्रा में होंगे, तो हमारा पूर्वी भारत में भी उद्योग लगाने वाले लोग पहुंचेंगे, अगर गैस उनको मिलता है तो उद्योग लगाने के लिए जाएंगे और फिर ऊर्जा की गारंटी होनी चाहिए, उसको लेकर के हम आगे बढ़ना चाहते हैं। हमने इस क्षेत्र में विकास करना है तो skill development में भी बल देना पड़ेगा।

इस कार्यक्रम में विशेष रूप से IIT जैसे हमारे Institution के हमारे students को बुलाया है। हमारे देश में यह बहुत बड़ी challenge है कि इस क्षेत्र में innovation कैसे करें। हम अभी भी पुराने ढर्रे से चल रहे हैं। यह young mind की जरूरत है और young mind का एक लाभ है, वो बड़े साहसिक होते हैं वो प्रयोग करने के लिए ताकत रखते हैं। जो अनुभव के किनारे पहुंचे हैं वो 50 बार सोचते है कि करू या न करूं, करूं या न करूं। अच्‍छा कबड्डी का खिलाड़ी भी Retire होने के बाद जब कबड्डी का खेल देखने खड़ा होता है, तो उसको भी डर रहता है कि अरे यह कहीं गिर न जाए, वो चिंता करता रहता है और इसलिए young mind जिसकी risk capacity बहुत होती है। ऐसे young mind को आज विशेष रूप से बुलाया है।

मैं आग्रह करता हूं कि इस क्षेत्र में बहुत innovation की संभावनाएं है। innovation को हम किस प्रकार से ऊर्जा के क्षेत्र में हमारा mind apply करे। भारत को हम ऊर्जा क्षेत्र में सुरक्षित कैसे करे, स्‍वाबलंबी कैसे करें। उसकी पहली आवश्‍यकता है innovation, technology innovation, technology up-gradation, दूसरा है skill development. हमने skill development का एक अलग department बनाया है, लेकिन skill development को भी हम area specific, need specific and development specific बनाना चाहते हैं, requirement specific बनाना चाहते हैं।

अब हमने एक बार हिसाब लगाया कि सिर्फ हमारे पेट्रोलियम सेक्‍टर में जो काम करते हैं जैसे गैस की पाइप लाइन लगती है, अब गैस की पाइप लाइन लगाने वाला पानी की पाइप लाइन लगाने वाला नहीं चल सकता। उसके लिए एक special skill चाहिए। व्‍यक्ति वही होगा, extra skill की आवश्‍यकता है, value addition की आवश्‍यकता है। हमने ऐसे ही सरसरी नजर से देखा तो करीब-करीब 136 चीजें ऐसी हाथ में आई कि जो field level पर food-soldier जो है उनके skill के लिए करने की आवश्‍यकता है।

हमने एक अभियान चलाया है। आने वाले दिनों में इन सभी sectors में हम skill development को बल दे और सामान्‍य गरीब मजदूर भी है जो यह पेट्रोलियम सेक्‍टर में, ऊर्जा के सेक्‍टर में मान लीजिए solar energy पर हम initiative ले रहे हैं। अगर solar energy में initiative ले तो solar energy में वो wire-man काम करेगा कि solar energy में skill development का नये सिरे से सिलेबस बने, नये सिरे से उनके लिए कहीं एक व्‍यक्ति या दो व्‍यक्ति एक साल के दो साल के जो भी आवश्‍यक हो Skill Development Mission के साथ जोड़कर के हम पेट्रोलियम सेक्‍टर में भी ऊर्जा के सेक्‍टर में भी, ऐसी कितनी भी नई चीजें – और मैं तो चाहूंगा हम कंपनियों के साथ मिलकर के इसको करें। कंपनियां भी पार्टनर बनें और कंपनियों के साथ मिलकर के करेंगे तो Human Resource Development यह भी हमारे लिए उतना ही आवश्‍यक है जिसको लेकर के हम आगे बढ़ना चाहते हैं और मुझे विश्‍वास है कि हम आने वाले दिनों में एक प्रकार से innovation के लिए पूरा-पूरा अवसर, उसी प्रकार से इसको भी पाने का अवसर..।

2022 में भारत की आजादी के 75 साल हो रहे हैं। देश आजादी का अमृत पर्व बनाने वाला है। जिन महापुरूषों ने सपने देखे थे भारत को महान बनाने के और इसके लिए आजादी भी अपने आप को बलि चढ़ा दिया था, जवानी जेल में खपा दी थी, अपने-अपने परिवारों को तबाह कर दिया था, इसलिए कि हम आजादी की सांस ले सके, हम आजाद भारत में पल-बढ़ सके। हम वो भाग्‍यशाली लोग हैं, जो उनकी तपस्‍या और त्‍याग के कारण आज आजादी का आनंद ले रहे हैं। क्‍या हमारा जिम्‍मा नहीं है कि जिन महापुरूषों ने देश के लिए इतना बलिदान दिया हम उनको कैसा भारत समर्पित करेंगे। कैसा भारत देंगे। 2022 जबकि हिंदुस्‍तान की आजादी के 75 साल है। इस ऊर्जा के संगम में जो लोग आएं हैं मैं आपसे आग्रह करता हूं कि 2022 में जब देश आजादी का अमृत पर्व मनाए तब आज हम ऊर्जा के क्षेत्र में करीब 77% import करते हैं। तेल और गैस और पेट्रोलियम सेक्‍टर में। क्‍या आजादी के 2022 के पर्व पर, अमृत पर्व पर हम यह 77 में से कम से कम मैं ज्‍यादा नहीं कर रहा हूं, 10% import कम करेंगे, हम उतना 10% growth करेंगे, स्‍वाबलंबी बनेंगे यह सपना लेकर के आज हम कट कर सकते हैं क्‍या। एक बार हम 2022 में 10% import कमी करने में सफल हो जाते हैं, 10% growth करके हम उस ऊंचाई को पार कर सकते हैं तो मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं कि 2030 में हम यह import को 50% तक ला सकते हैं। लेकिन First Break-through होता है, पहला Break-through और मैं मानता हूं कि आजादी के दीवानों से बड़ी प्रेरणा क्‍या हो सकती है। आजादी के मरने-मिटने वालों को याद करके कह कि मैं इस क्षेत्र में काम कर रहा हूं, मैं मेरे देश को यह देकर के रहूंगा, आने वाले पांच-सात साल मेरे पास हैं। मैं पूरी ताकत लगा दूंगा और मैं देश में यह स्थिति पैदा करूं, ये सपने हम देखे कितने क्षेत्रों में initiative लिये है।

हम मेगावाट से बाहर नहीं निकलते, हम गीगावाट की चर्चा करने लगे हैं। 100 गीगावाट solar energy, 60 giga-watt renewable energy, wind energy की दिशा में जाना यह अपने आप में बहुत बड़े सपने हमने देखे हैं। इन सपनों से आगे बढ़ेंगे तो हमारा import कम होगा। और 10% Growth...वो तो हमारी growth requirement है..लेकिन हमारा जो Growth होगा वो 10% से ज्‍यादा लगेगा, तब जाकर के हम 77% से 10% कम कर सकते हैं। तो हमारे लक्ष्‍य ऊंचे होंगे, तब जाकर के हम इसको पूरा कर सकेंगे और मैं चाहूंगा कि उसके लिए हम प्रयास करें।

एक क्षेत्र की जितनी कंपनियां है, समय की मांग यह है कि हमारी ऊर्जा क्षेत्र की जितनी कंपनियां है Government हो चाहे वो Private कंपनियां हो, हम भारत के दायरे में ही अपने कारोबार को चलाकर के गुजारा करे यह enough नहीं है। हमारी इन कंपनियों को target करना चाहिए, जल्‍द से जल्‍द वो Multinational बने, क्‍योंकि ऊर्जा का एक पूरा Global Market बना हुआ है।

एक मैं देख रहा हूं कि इन दिनों energy diplomacy एक नया क्षेत्र उभर गया। वैश्विक संबंधों में energy diplomacy एक requirement बन गई है। हमारी कंपनियां जितनी Multinational बनेगी, उतना मैं समझता हूं इस क्षेत्र में अपनी पहुंच बना पाएंगे, अपनी जगह बना पाएंगे। उसी प्रकार से ऊर्जा के क्षेत्र में India and Middle East, India and Central Asia, India and South Asia Corridor बनाना और उसको गति देना हमारे लिए बहुत आवश्‍यक है। आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में काम करने वाले हमारे सभी महानुभव इन चीजों पर focus करके कैसे काम करे। कुछ ऐसे अनछुए क्षेत्र हैं, जिसमें हम अपना पैर पसार सकते हैं, कि North America और Africa में Gas Power के रूप में हम स्‍थापित कर सकते हैं क्‍या? मुझे विश्‍वास है कि अगर इन सपनों को लेकर के हम अगर आगे बढ़ते हैं, उसी प्रकार से हमारे जो बंदरगाह है उसके साथ LNG terminal का network उसके साथ हम कैसे जोड़ सकते हैं। कई ऐसे विषय है कि जिसको अगर हम बल देंगे तो मैं समझता हूं कि हम इन चीजों को पार कर सकते हैं और यह बात निश्चित है कि ऊर्जावान भारत ही विश्‍व को नई ऊर्जा दे सकता है। अगर भारत ऊर्जावान बनेगा तो विश्‍व को नई ऊर्जा मिलने की संभावना है, तो 1/6 population के नाते दुनिया हमारे लिए क्‍या करती है इन सपनों से बाहर निकलकर के हम विश्‍व के लिए क्‍या करते हैं, यह सपने देखकर के चलेंगे तो देश का अपने आप भला होगा।

मैं फिर एक बार इन तीनों संस्‍थाओं को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं, विभाग के इन सभी साथियों को उनके achievement के लिए हृदय से अभिनंदन करता हूं, बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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December 17, 2024
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We believe in cooperation, not opposition, in providing solutions: PM
I am seeing the day when there will be no shortage of water in Rajasthan, there will be enough water for development in Rajasthan: PM
Conserving water resources, utilizing every drop of water is not the responsibility of government alone, It is the responsibility of entire society: PM
There is immense potential for solar energy in Rajasthan, it can become the leading state of the country in this sector: PM

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

गोविन्द की नगरी में गोविन्ददेव जी नै म्हारो घणो- घणो प्रणाम। सबनै म्हारो राम-राम सा!

राजस्थान के गवर्नर श्री हरिभाऊ बागड़े जी, राजस्थान के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा जी, मध्य प्रदेश से विशेष रूप से आज पधारे हुए हमारे लाडले मुख्यमंत्री मोहन यादव जी, केंद्र में मंत्री परिषद के मेरे साथी श्रीमान सी. आर. पाटिल जी, भागीरथ चौधरी जी, राजस्थान की डिप्टी सीएम दीया कुमारी जी, प्रेम चंद भैरवा जी, अन्य मंत्रिगण, सांसदगण, राजस्थान के विधायक, अन्य महानुभाव और राजस्थान के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों। और जो वर्चुअली हमारे साथ जुड़े हुए हैं, राजस्थान की हजारों पंचायतों में एकत्र आए हुए सभी मेरे भाई-बहन।

मैं राजस्थान की जनता को, राजस्थान की भाजपा सरकार को, एक साल पूरा करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। और इस एक साल की यात्रा के बाद आप जब लाखों की तादाद में आशीर्वाद देने के लिए आए हैं, और मैं उस तरफ देख रहा था जब खुली जीप में आ रहा था, शायद जितने लोग पंडाल में हैं तीन गुना लोग बाहर नजर आ रहे थे। आप इतनी बड़ी तादाद में आशीर्वाद देने आए हैं, मेरा भी सौभाग्य है कि मैं आज आपके आशीर्वाद को प्राप्त कर सका। बीते एक वर्ष में राजस्थान के विकास को नई गति, नई दिशा देने में भजनलाल जी और उनकी पूरी टीम ने बहुत परिश्रम किया है। ये पहला वर्ष, एक प्रकार से आने वाले अनेक वर्षों की मज़बूत नींव बना है। और इसलिए, आज का उत्सव सरकार के एक साल पूरा होने तक सीमित नहीं है, ये राजस्थान के फैलते प्रकाश का भी उत्सव है, राजस्थान के विकास का भी उत्सव है।

अभी कुछ दिन पहले ही मैं इंवेस्टर समिट के लिए राजस्थान आया था। देश और दुनियाभर के बड़े-बड़े निवेशक, यहां जुटे थे। अब आज यहां 45-50 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक के प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है। ये प्रोजेक्ट, राजस्थान में पानी की चुनौती का स्थाई समाधान करेंगे। ये प्रोजेक्ट, राजस्थान को देश के सबसे कनेक्टेड राज्यों में से एक बनाएंगे। इससे राजस्थान में निवेश को बल मिलेगा, रोजगार के अनगिनत अवसर बनेंगे। राजस्थान के टूरिज्म को, यहां के किसानों को, मेरे नौजवानों साथियों को इससे बहुत फायदा होगा।

साथियों,

आज भाजपा की डबल इंजन की सरकारें सुशासन का प्रतीक बन रही हैं। भाजपा जो भी संकल्प लेती है, वो पूरा करने का ईमानदारी से प्रयास करती है। आज देश के लोग कह रहे हैं कि भाजपा, सुशासन की गारंटी है। और तभी तो एक के बाद, एक के बाद एक राज्यों में आज भाजपा को इतना भारी जन-समर्थन मिल रहा है। देश ने लोकसभा में भाजपा को लगातार तीसरी बार देश की सेवा करने का अवसर दिया है। बीते 60 सालों में हिन्दुस्तान में ऐसा नहीं हुआ। 60 साल के बाद भारत की जनता ने तीसरी बार केंद्र में सरकार बनाई है, लगातार तीसरी बार। हमे देशवासियों की सेवा करने का अवसर दिया है, आशीर्वाद दिए हैं। अभी कुछ दिन पहले ही, महाराष्ट्र में भाजपा ने लगातार दूसरी बार सरकार बनाई। और चुनाव नतीजों के हिसाब से देखें तो वहां भी ये लगातार तीसरी बार बहुमत मिला है। वहां भी पहले से कहीं अधिक सीटें भाजपा को मिली हैं। इससे पहले हरियाणा में लगातार तीसरी बार भाजपा की सरकार बनी है। हरियाणा में भी पहले से भी ज्यादा बहुमत लोगों ने हमें दिया है। अभी-अभी राजस्थान के उपचुनाव में भी हमने देखा है कि कैसे भाजपा को लोगों ने ज़बरदस्त समर्थन दिया है। ये दिखाता है कि भाजपा के काम और भाजपा के कार्यकर्ताओं की मेहनत पर आज जनता-जनार्दन का कितना विश्वास है।

साथियों,

राजस्थान तो वो राज्य है जिसकी सेवा का भाजपा को लंबे समय से सौभाग्य मिलता रहा है। पहले भैरों सिंह शेखावत जी ने, राजस्थान में विकास की एक सशक्त नींव रखी। उनसे वसुंधरा राजे जी ने कमान ली और सुशासन की विरासत को आगे बढ़ाया, और अब भजन लाल जी की सरकार, सुशासन की इस धरोहर को और समृद्ध करने में जुटी है। बीते एक वर्ष के कार्यकाल में इसी की छाप दिखती है, इसी की छवि दिखती है।

साथियों,

बीते एक वर्ष के दौरान क्या-क्या काम हुए हैं, उसके बारे में विस्तार से यहां कहा गया है। विशेष रूप से गरीब परिवारों, माताओं-बहनों-बेटियों, श्रमिकों, विश्वकर्मा साथियों, घूमंतु परिवारों के लिए अनेक फैसले लिए गए हैं। यहां के नौजवानों के साथ पिछली कांग्रेस सरकार ने बहुत अन्याय किया था। पेपरलीक और भर्तियों में घोटाला, ये राजस्थान की पहचान बन चुकी थी। भाजपा सरकार ने आते ही इसकी जांच शुरु की और कई गिरफ्तारियां भी हुई हैं। इतना ही नहीं, भाजपा सरकार ने यहां एक साल में हज़ारों भर्तियां भी निकालीं हैं। यहां पूरी पारदर्शिता से परीक्षाएं भी हुई हैं, नियुक्तियां भी हो रही हैं। पिछली सरकार के दौरान राजस्थान के लोगों को, बाकि राज्यों की तुलना में महंगा पेट्रोल-डीज़ल खरीदना पड़ता था। यहां भाजपा सरकार बनते ही, राजस्थान के मेरे भाइयों-बहनों को राहत मिली। केंद्र सरकार पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों के बैंक खाते में सीधे पैसे भेजती है। अब डबल इंजन की राजस्थान भाजपा सरकार उसमें इजाफा करके, अतिरिक्त पैसे जोड़कर किसानों को मदद पहुंचा रही है। इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े कामों को भी यहां डबल इंजन की सरकार तेजी से जमीन पर उतार रही है। भाजपा ने जो वायदे किए थे, उन्हें वो तेजी से पूरा कर रही है। आज का ये कार्यक्रम भी इसी की एक अहम कड़ी है।

साथियों,

राजस्थान के लोगों के आशीर्वाद से, बीते 10 साल से केंद्र में बीजेपी की सरकार है। इन 10 सालों में हमने देश के लोगों को सुविधाएं देने, उनके जीवन से मुश्किलें कम करने पर बहुत जोर दिया है। आजादी के बाद के 5-6 दशकों में कांग्रेस ने जो काम किया, उससे ज्यादा काम हमने 10 साल में करके दिखाया है। आप राजस्थान का ही उदाहरण लीजिए...पानी का महत्व राजस्थान से बेहतर भला कौन समझ सकता है। यहां कई क्षेत्रों में इतना भंयकर सूखा पड़ता है। वहीं दूसरी तरफ कुछ क्षेत्रों में हमारी नदियों का पानी बिना उपयोग के ऐसे ही समंदर में बहता चला जा रहा है। और इसलिए ही जब अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार थी, तो अटल जी ने नदियों को जोड़ने का विजन रखा था। उन्होंने इसके लिए एक विशेष कमेटी भी बनाई। मकसद यही था कि जिन नदियों में ज़रूरत से ज्यादा पानी है, समुद्र में बह रहा है, उसको सूखाग्रस्त क्षेत्रों तक पहुंचाया जा सके। इससे बाढ़ की समस्या और दूसरी तरफ सूखे की समस्या, दोनों का समाधान संभव था। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसके समर्थन में कई बार अपनी बातें बताई हैं। लेकिन कांग्रेस कभी आपके जीवन से पानी की मुश्किलें कम नहीं करना चाहती। हमारी नदियों का पानी बहकर सीमापार चला जाता था, लेकिन हमारे किसानों को इसका लाभ नहीं मिलता था। कांग्रेस, समाधान के बजाय, राज्यों के बीच जल-विवाद को ही बढ़ावा देती रही। राजस्थान ने तो इस कुनीति के कारण बहुत कुछ भुगता है, यहां की माताओं-बहनों ने भुगता है, यहां के किसानों ने भुगता है।

मुझे याद है, मैं जब गुजरात में मुख्यमंत्री के रूप में सेवा करता था, तब वहां सरदार सरोवर डेम पूरा हुआ, मां नर्मदा का पानी गुजरात के अलग-अलग हिस्सों तक पहुंचाने का बड़ा अभियान चलाया, कच्छ में सीमा तक पानी ले गए। लेकिन तब उसे रोकने के लिए भी कांग्रेस द्वारा और कुछ NGO के द्वारा तरह-तरह के हथकंडे अपनाए गए। लेकिन हम पानी का महत्व समझते थे। और मेरे लिए तो मैं कहता हूं पानी पारस है, जैसे पारस लोहे को स्पर्श करे और लोहा सोना हो जाता है, वैसा पानी जहां भी स्पर्श करे वो एक नई ऊर्जा और शक्ति को जन्म दे देता है।

साथियों,

पानी पहुंचाने के लिए, इस लक्ष्य पर मैं लगातारे काम करता रहा, विरोधों को झेलता रहा, आलोचनाएं सहता रहा, लेकिन पानी के महत्मय को समझता था। नर्मदा के पानी का लाभ सिर्फ गुजरात को ही मिले इतना नहीं नर्मदा जी का पानी राजस्थान को भी इसका फायदा हो। और कभी कोई तनाव नहीं, कोई रुकावट नहीं, कोई मेमोरेंडम नहीं, आंदोलन नहीं जैसे ही डेम का काम पूरा हुआ, और गुजरात को हो जाए उसके बाद राजस्थान को देंगे वो भी नहीं, एक साथ गुजरात में भी पानी पहुंचाना, उसी समय राजस्थान को भी पानी पहुंचाना, ये काम हमने शुरू किया। और मुझे याद है जिस समय नर्मदा जी का पानी राजस्थान में पहुंचा राजस्थान के जीवन में एक उमंग और उत्साह था। और उसके कुछ दिन बाद अचानक मैं, मुख्यमंत्री के कार्यालय में मैसेज आया कि भैरों सिंह जी शेखावत और जसवंत सिंह जी वो गुजरात आए हैं और मुख्यमंत्री जी को मिलना चाहते हैं। अब मुझे पता नहीं था वो आए हैं, किस काम के लिए आए हैं। लेकिन वो मेरे दफ्तर आए, मैंने पूछा कैसे आना हुआ, क्यों...नहीं बोले कोई काम नहीं था, आपको मिलने आए हैं। मेरे वरिष्ठ नेता थे दोनों, भैरों सिंह जी की तो उंगली पकड़कर के हम कई लोग बड़े हुए हैं। और वो आकर के मेरे सामने बैठ नहीं हैं, वो मेरा सम्मान करना चाहते थे, मैं भी थोड़ा भौचक्का था। लेकिन उन्होंने मेरा मान-सम्मान तो किया, पर वो दोनों इतने भावुक थे, उनकी आंखें नम हो गई थी। और उन्होंने कहा मोदी जी आपको पता है पानी देने का मतलब क्या होता है, आप इतनी सहज-सरलता से गुजरात नर्मदा का पानी राजस्थान को दें दें, ये बाले, ये मेरे मन को छू गया। और इसीलिए करोड़ राजस्थान वासियों की भावना को प्रकट करने के लिए आज मैं आपके दफ्तर तक चला आया हूं।

साथियों,

पानी में कितना सामर्थ्य होता है इसका एक अनुभव था। और मुझे खुशी है कि माता नर्मदा आज जालौर, बाड़मेर, चूरु, झुंझुनू, जोधपुर, नागौर, हनुमानगढ़, ऐसे कितने ही जिलों को नर्मदा का पानी मिल रहा है।

साथियों,

हमारे यहां कहा जाता था कि नर्मदा जी में स्नान करें, नर्मदा जी की परिक्रमा करें तो अनेक पीढ़ी का पाप धुलकर के पुण्य प्राप्त होता है। लेकिन विज्ञान का कमाल देखिए, कभी हम माता नर्मदा की परिक्रमा करने जाते थे, आज स्वयं माता नर्मदा परिक्रमा करने के लिए निकली है और हनुमानगढ़ तक चली जाती है।

साथियों,

पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना...ERCP को कांग्रेस ने कितना लटकाया, ये भी कांग्रेस की नीयत का प्रत्यक्ष प्रमाण है। ये किसानों के नाम पर बातें बड़ी-बड़ी करते हैं। लेकिन किसानों के लिए ना खुद कुछ करते हैं और ना ही दूसरों को करने देते हैं। भाजपा की नीति, विवाद की नहीं संवाद की है। हम विरोध में नहीं, सहयोग में विश्वास करते हैं। हम व्यवधान में नहीं, समाधान पर यकीन करते हैं। इसलिए हमारी सरकार ने, पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को स्वीकृत भी किया है और विस्तार भी किया है। जैसे ही एमपी और राजस्थान में भाजपा सरकार बनी तो, पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना, एमपीकेसी लिंक परियोजना पर समझौता हो गया।

ये जो तस्वीर आप देख रहे थे ना, केंद्र के जल मंत्री और दो राज्यों के मुख्यमंत्री, ये तस्वीर सामान्य नहीं है। आने वाले दशकों तक हिंदुस्तान के हर कोने में ये तस्वीर राजनेताओं को सवाल पूछेगी, हर राज्य को पूछा जाएगा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान मिलकर पानी की समस्या को, नदी के पानी के समझौते को आगे बढ़ा सकते हैं, तुम ऐसी कौन-सी राजनीति कर रहे हो कि पानी समु्द्र में बह रहा है तब तुम एक कागज पर हस्ताक्षर नहीं कर पा रहे हो। ये तस्वीर, ये तस्वीर पूरा देश आने वाले दश्कों तक देखने वाला है। ये जो जलाभिषेक हो रहा था ना, ये दृश्य भी मैं सामान्य दृश्य नहीं देखता हूं। देश का भला करने के लिए सोचने वाले विचार से काम करने वाले लोग उनको जब सेवा करने का मौका मिलता है तो कोई मध्य प्रदेश का पानी लेकर आता है, कोई राजस्थान का पानी लेकर आता है, उन पानी का इकट्ठा किया जाता है और मेरे राजस्थान को सुजलाम-सुफलाम बनाने के लिए पुरूषार्थ की परंपरा शुरू कर दी जाती है। ये असाधाारण दिखता है, एक साल का उत्सव तो है ही लेकिन आने वाली सदियों का उज्जवल भविष्य आज इस मंच से लिखा जा रहा है। इस परियोजना में चंबल और इसकी सहायक नदियां पार्वती, कालीसिंध, कुनो, बनास, बाणगंगा, रूपरेल, गंभीरी और मेज जैसी नदियों का पानी आपस में जोड़ा जाएगा।

साथियों,

नदियों को जोड़ने की ताकत क्या होती है वो मैं गुजरात में करके आया हूं। नर्मदा का पानी गुजरात की अलग-अलग नदियों से जोड़ा गया। आप कभी अहमदाबाद जाते हैं तो साबरमती नदी देखते हैं। आज से 20 साल पहले किसी बच्चें को अगर कहा जाए तुम साबरमती के ऊपर निबंध लिखो। तो वो लिखता की साबरमती में सर्कस के तंबू लगते हैं। बहुत अच्छे सर्कस के शो होते हैं। साबरमती में क्रिकेट खेलने का मजा आता है। साबरमती में बहुत अच्छी मिट्टी धूल होती रहती है। क्योंकि साबरमती में पानी देखा नहीं था। आज नर्मदा के पानी से साबरमती जिंदा हो गई और अहमदाबाद में रिवर front आप देख रहे हैं। ये नदियों को जोड़ने से ये ताकत है और मैं राजस्थान का वैसा ही सुंदर दृश्य मेरी आंखों में कल्पना कर सकता हूं।

साथियों,

मैं वो दिन देख रहा हूं जब राजस्थान में पानी की कमी नहीं होगी, राजस्थान में विकास के लिए पर्याप्त पानी होगा। पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना, इससे राजस्थान के 21 जिलों में सिंचाई का पानी भी मिलेगा और पेयजल भी पहुंचेगा। इससे राजस्थान और मध्य प्रदेश, दोनों के विकास में तेजी आएगी।

साथियों,

आज ही ईसरदा लिंक परियोजना का भी शिलान्यास हुआ है। ताजेवाला से शेखावाटी के लिए पानी लाने पर भी आज समझौता हुआ है। इस पानी से, इस समझौते से भी हरियाणा और राजस्थान दोनों राज्यों को फायदा होगा। मुझे विश्वास है कि राजस्थान में भी जल्द से जल्द शत-प्रतिशत घरों तक नल से जल पहुंचेगा।

साथियों,

हमारे सीआर पाटिल जी के नेतृत्व में एक बहुत बड़ा अभियान चल रहा है। अभी ज्यादा उसकी मीडिया में और बाहर चर्चा कम है। लेकिन मैं उसकी ताकत भलिभांति समझता हूं। जनभागीदारी से अभियान चलाया गया है। Rain water harvesting के लिए recharging wells बनाये जा रहे हैं। शायद आपाको भी पता नहीं होगा, लेकिन मुझे बताया गया कि जनभागीदारी से राजस्थान में आज daily rain harvesting structure तैयार हो रहे हैं। भारत के जिन राज्यों में पानी की किल्लत है, उन राज्यों में पिछले कुछ महीनों में अब तक करीब-करीब तीन लाख rain harvesting structures बन चुके हैं। मैं पक्का मानता हूं कि वर्षा के पानी को बचाने का ये प्रयास आने वाले दिनों में हमारी इस धरती मां की प्यास को बुझाएगा। और यहां बैठा हुआ हिन्दुस्तान में बैठा हुआ कोई भी बेटा, कोई भी बेटी कभी भी अपनी धरती मां को प्यासा रखना नहीं चाहेगा। जो प्यास की तड़प हमें होती है, वो प्यास हमें जितना परेशान करती है, वो प्यास उतना ही हमारी धरती मां को परेशान करती है। और इसलिए इस धरती की संतान के नाते हम सबका दायित्व बनता है कि हम अपनी धरती मां की प्यास बुझाएं। वर्षा के एक एक बूंद पानी को धरती मां की प्यास बुझाने के लिए काम लाए। और एक बार धरती मां का आशीर्वाद मिल गया ना फिर दुनिया की कोई ताकत हमें पीछे नहीं रख सकती।

मुझे याद है गुजरात में एक जैन महात्मा हुआ करते थे। करीब 100 साल पहले उन्होंने लिखा था, बुद्धि सागर जी महाराज थे, जैन मुनि थे। उनहोंने करीब 100 साल पहले लिखा था और उस समय शायद कोई पढ़ता तो उनकी बातों में विश्वास नहीं करता। उन्होंने लिखा था 100 साल पहले – एक दिन ऐसा आएगा जब किराने की दुकान में पीने का पानी बिकेगा। 100 साल पहले लिखा था आज हम किराने की दुकान से बिस्लेरी की बॉटल खरीदकर पानी पीने के लिए मजबूर हो गए हैं, 100 साल पहले कहा गया था।

साथियों,

ये दर्द भरी दास्तां है। हमारे पूवर्जों ने हमें विरासत में बहुत कुछ दिया है। अब हमारा दायित्व है कि हमारी आने वाली पीढ़ी को पानी के अभाव में मरने के लिए मजबूर न करें। हम उन्हें सुजलाम सुफलाम ये हमारी धरती माता, हमारी आने वाली पीढ़ियों को सुपुर्द करें। और उसी पवित्र कार्य को करने की दिशा में, मैं आज मध्यप्रदेश सरकार को बधाई देता हूं। मैं मध्य प्रदेश की जनता को बधाई देता हूं। मैं राजस्थान की सरकार और राजस्थान की जनता को बधाई देता हूं। अब हमारा काम है कि बिना रुकावट इस काम को हम आगे बढ़ाएं। जहां जरूरत पड़े, जिस इलाके से ये योजना बनती है। लोग सामने से आकर के समर्थन करें। तब समय से पहले योजनाएं पूरी हो सकती हैं और इस पूरे राजस्थान का भाग्य बदल सकता है।

साथियों,

21वीं सदी के भारत के लिए नारी का सशक्त होना बहुत जरूरी है। भई वो कैमरा, कैमरा को शौक इतना है कि उनका उत्साह बढ़ गया है। जरा वो कैमरा वाले को जरा दूसरी तरफ ले जाइये, वो थक जाएंगे।

साथियों,

आपका ये प्यार मेरे सर आंखों पर मैं आपका आभारी हूं इस उमंग और उत्साह के लिए साथियों नारीशक्ति का सामर्थ्य क्या है, ये हमने विमन सेल्फ हेल्प ग्रुप स्वयं सहायता समूह के आंदोलन में देखा है। बीते दशक में देश की 10 करोड़ बहनें सेल्फ हेल्प ग्रुप्स से जुड़ी हैं। इनमें राजस्थान की भी लाखों बहनें शामिल हैं। इन समूहों से जुड़ी बहनें, उनको मजबूत बनाने के लिए भाजपा सरकार ने दिन रात मेहनत की है। हमारी सरकार ने इन समूहों को पहले बैंकों से जोड़ा, फिर बैंकों से मिलने वाली मदद को 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख किया। हमने उन्हें मदद के तौर पर करीब 8 लाख करोड़ रुपए दिए हैं। हमने उन्हें ट्रेनिंग की व्यवस्था कराई है। महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप में बने सामानों के लिए नए बाजार उपलब्ध कराए।

आज इसी का नतीजा है कि ये सेल्फ हेल्प ग्रुप, ग्रामीण अर्थव्यवस्था की बहुत बड़ी ताकत बने हैं। और मेरे लिए खुशी है, मैं यहा आ रहा था सारे ब्लॉक के ब्लॉक माताओं बहनों से भरे हुए हैं। और इतना उमंग इतना उत्साह। अब हमारी सरकार, सेल्फ हेल्प ग्रुप की तीन करोड़ बहनों को लखपति दीदी बनाने पर काम कर रही है। मुझे खुशी है कि करीब सवा करोड़ बहनें लखपति दीदी बन भी चुकी हैं। यानि इन्हें साल में एक लाख रुपए से ज्यादा की कमाई होने लगी है।

साथियों,

नारी शक्ति को मजबूत करने के लिए हम अनेक नई योजनाएं बना रहे हैं। अब जैसे नमो ड्रोन दीदी योजना है। इसके तहत हजारों बहनों को ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग दी जा रही है। हज़ारों समूहों को ड्रोन मिल भी चुके हैं। बहनें ड्रोन के माध्यम से खेती कर रही हैं, उससे कमाई भी कर रही हैं। राजस्थान सरकार भी इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए अनेक प्रयास कर रही है।

साथियों,

हाल में ही हमने बहनों-बेटियों के लिए एक और बड़ी योजना शुरु की है। ये योजना है बीमा सखी स्कीम। इसके तहत, गांवों में बहनों-बेटियों को बीमा के काम से जोड़ा जाएगा, उन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके तहत प्रारंभिक वर्षों में जब तक उनका काम जमें नहीं उनको कुद राशि मानदंड के रूप में दी जाएगी। इसके तहत बहनों को पैसा भी मिलेगा और साथ साथ देश की सेवा करने का अवसर भी मिलेगा। हमने देखा है कि हमारी जो बैंक सखियां हैं, उन्होंने कितना बड़ा कमाल किया है। देश के कोने-कोने तक, गांव-गांव में हमारी बैंक सखियों ने बैंक सेवाएं पहुंचा दी है, खाते खुलवाए हैं, लोन की सुविधाओं से लोगों को जोड़ा है। अब बीमा सखियां, भी भारत के हर परिवार को बीमा की सुविधा से जोड़ने में मदद करेंगी। जरा ये जो कैमरामेन है उनको मेरी रिक्वेस्ट है कि आप अपना कैमरा दूसरी तरफ मोड़िये प्लीज, यहां लाखों लोग हैं उनकी तरफ ले जाइये ना।

साथियों,

भाजपा सरकार का निरंतर प्रयास है कि गांव की आर्थिक स्थिति बेहतर हो। ये विकसित भारत बनाने के लिए बहुत ज़रूरी है। इसलिए गांव में कमाई के, रोजगार के हर साधन पर हम बल दे रहे हैं। राजस्थान में बिजली के क्षेत्र में अनेक समझौते यहां भाजपा सरकार ने किए हैं। इनका सबसे अधिक फायदा हमारे किसानों को होने वाला है। राजस्थान सरकार की योजना है कि यहां के किसानों को दिन में भी बिजली उपलब्ध हो सके। किसान को रात में सिंचाई की मजबूरी से मुक्ति मिले, ये इस दिशा में बहुत बड़ा कदम है।

साथियों,

राजस्थान में सौर ऊर्जा की पर्याप्त संभावनाएं हैं। राजस्थान इस मामले में देश का सबसे आगे रहने वाला राज्य बन सकता है। हमारी सरकार ने सौर ऊर्जा को आपका बिजली बिल ज़ीरो करने का माध्यम भी बनाया है। केंद्र सरकार, पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना चला रही है। इसके तहत घर की छत पर सौलर पैनल लगाने के लिए करीब करीब 75-80 हज़ार रुपए की मदद केंद्र सरकार दे रही है। इससे जो बिजली पैदा होगी, वो आप उपयोग करें और आपकी जरूरत से ज्यादा है, तो आप बिजली बेच सकते हैं और सरकार वो बिजली खरीदेगी भी। मुझे खुशी है कि अब तक देश के 1 करोड़ 40 लाख से ज्यादा परिवार इस योजना के लिए रजिस्टर करा चुके हैं। बहुत ही कम समय में करीब 7 लाख लोगों के घरों में सोलर पैनल सिस्टम लग चुका है। इसमें राजस्थान के भी 20 हज़ार से अधिक घर शामिल हैं। इन घरों में सोलर बिजली पैदा होनी शुरू हो चुकी है और लोगों के पैसे भी बचने शुरू हो गए हैं।

साथियों,

घर की छत पर ही नहीं, खेत में भी सौर ऊर्जा प्लांट लगाने के लिए सरकार मदद दे रही है। पीएम कुसुम योजना के तहत, राजस्थान सरकार आने वाले समय में सैकड़ों नए सोलर प्लांट्स लगाने जा रही है। जब हर परिवार ऊर्जादाता होगा, हर किसान ऊर्जादाता होगा, तो बिजली से कमाई भी होगी, हर परिवार की आय भी बढ़ेगी।

साथियों,

राजस्थान को रोड, रेल और हवाई यात्रा में सबसे कनेक्टेड राज्य बनाना, ये हमारा संकल्प है। हमारा राजस्थान,दिल्ली, वडोदरा और मुंबई जैसे बड़े औद्योगिक केंद्रों के बीच में स्थित है। ये राजस्थान के लोगों के लिए, यहां के नौजवानों के लिए बहुत बड़ा अवसर है। इन तीन शहरों को राजस्थान से जोड़ने वाला जो नया एक्सप्रेसवे बन रहा है, ये देश के सर्वश्रेष्ठ एक्सप्रेसवे में से एक है। मेज नदी पर बड़ा पुल बनने से, सवाईमाधोपुर, बूंदी, टोंक और कोटा जिलों को लाभ होगा। इन जिलों के किसानों के लिए दिल्ली, मुंबई और वड़ोदरा की बड़ी मंडियों, बड़े बाज़ारों तक पहुंचना आसान हो जाएगा। इससे जयपुर और रणथंभौर टाइगर रिजर्व तक पर्यटकों के लिए पहुँचना भी आसान हो जाएगा। हम सभी जानते हैं कि आज के समय में, समय की बहुत कीमत है। लोगों का समय बचे, उनकी सहूलियत बढ़े, यही हम सभी का प्रयास है।

साथियों,

जामनगर - अमृतसर इकोनामिक कॉरिडोर जब दिल्ली-अमृतसर- कटरा एक्सप्रेसवे से जुड़ेगा तो राजस्थान को मां वैष्णो देवी धाम से कनेक्ट करेगा। इससे उत्तरी भारत के उद्योगों को कांडला और मुंद्रा बंदरगाहों से सीधा संपर्क बनेगा। इसका फायदा राजस्थान में ट्रांसपोर्ट से जुड़े सेक्टर को होगा, यहां बड़े-बड़े वेयर हाउस बनेंगे। इनमें ज्यादा काम राजस्थान के नौजवानों को मिलेगा।

साथियों,

जोधपुर रिंग रोड से जयपुर, पाली, बाड़मेर, जैसलमेर, नागौर और अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से कनेक्टिविटी बेहतर होने वाली है। इससे शहर को अनावश्यक जाम से मुक्ति मिलेगी। जोधपुर आने वाले पर्यटकों, व्यापारियों-कारोबारियों को इससे बहुत सुविधा होगी।

साथियों,

आज यहां इस कार्यक्रम में हजारों भाजपा कार्यकर्ता भी मेरे सामने मौजूद हैं। उनके परिश्रम से ही हम आज का ये दिन देख रहे हैं। मैं भाजपा कार्यकर्ताओं से कुछ आग्रह भी करना चाहता हूं। भाजपा दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक दल तो है ही, भाजपा एक विराट सामाजिक आंदोलन भी है। भाजपा के लिए दल से बड़ा देश है। हर भाजपा कार्यकर्ता, देश के लिए जागरुक और समर्पित भाव से काम कर रहा है। भाजपा कार्यकर्ता सिर्फ राजनीति से नहीं जुड़ता,वो सामाजिक समस्याओं के समाधान से भी जुड़ता है। आज हम एक ऐसे कार्यक्रम में आए हैं, जो जल संरक्षण से बहुत गहराई से जुड़ा है। जल संसाधानों का संरक्षण और जल की हर बूंद का सार्थक इस्तेमाल सरकार समेत पूरे समाज की, हर नागरिक की जिम्मेदारी है। और इसीलिए मैं अपने भाजपा के हर कार्यकर्ता, हर साथी से कहूंगा कि वे भी अपनी रोज की दिनचर्या में जल संरक्षण के काम के लिए अपन कुद समय समर्पित कर दें और बड़ी श्रद्धाभाव से काम करें। माइक्रो इरीगेशन, ड्रिप इरीगेशन से जुड़ें अमृत सरोवर की देखरेख में मदद करें, जल प्रबंधन के साधन बनाएं और जनता को जागरूक भी करें। आप प्राकृतिक खेती नैचुरल फार्मिंग के प्रति भी किसानों को जागरूक करें।

हम सब जानते हैं कि जितने ज्यादा पेड़ होंगे, धरती को पानी का भंडारण करने में उतनी मदद मिलेगी। इसीलिए एक पेड मां के नाम अभियान बहुत मदद कर सकता है। इससे हमारी मां का भी सम्मान बढ़ेगा और धरती मां का भी मान बढ़ेगा। पर्यावरण के लिए ऐसी बहुत से काम हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, मैंने पहले ही पीएम सूर्य घर अभियान की बात कही। बीजेपी के कार्यकर्ता लोगों को सौर ऊर्जा के प्रयोग के लिए जागरुक कर सकते हैं, उन्हें इस योजना और उसके लाभ के विषय में बता सकते हैं। हमारे देश के लोगों का एक स्वभाव है। जब देश देखता है कि किसी अभियान की नीयत सही है, इसकी नीति सही है, तो लोग उसको अपने कंधे पर उठा लेते हैं, इससे जुड़ जाते हैं और खुद को भी एक मिशन के काम से जोड़कर के खपा देते हैं। हमने स्वच्छ भारत में ये देखा है। हमने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान में ये देखा है। मुझे विश्वास है कि हमें पर्यावरण संरक्षण में भी, जल संरक्षण में भी ऐसी ही सफलता मिलेगी।

साथियों,

आज राजस्थान में विकास के जो आधुनिक काम हो रहे हैं, जो इंफ्रास्ट्रक्चर बन रहा है, ये वर्तमान और भावी पीढ़ी सबके काम आएगा। ये विकसित राजस्थान बनाने के काम आएगा और जब राजस्थान विकसित होगा, तो भारत भी तेजी से विकसित होगा। आने वाले वर्षों में डबल इंजन की सरकार और तेज गति से काम करेगी। मैं भरोसा देता हूं, कि केंद्र सरकार की तरफ से भी राजस्थान के विकास के लिए कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी जाएगी। एक बार फिर इतनी बड़ी तादाद में आप लोग आशीर्वाद देने आएं, विशेष रूप से माताएं बहनें आईं, मैं आपका सर झुकाकर के धन्यवाद करता हूं, और आज का ये अवसर आपके कारण है और आज का ये अवसर आपके लिए है। मेरी आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं। पूरी शक्ति से दोनों हाथ ऊपर कर मेरे साथ बोलिये –

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

बहुत-बहुत धन्यवाद !