भारत माता की – जय
भारत माता की – जय
भारी संख्या में पधारे हुए, मुझे आशीर्वाद देने के लिए आए हुए मेरे प्यारे भाइयो और बहनों!
मां त्रिपुरा सुन्दरी की धरती पर आप सभी के बीच आने का एक बार फिर सौभाग्य मिला है। यहां पर दशकों बाद जो आपने परिवर्तन किया है, उसका संतोष आपके चेहरे पर मैं देख सकता हूं। अभी पूरे रास्ते पर जब लोग थे तो मैं देख रहा था कि 11 महीने पहले आपको जो मुक्ति मिली है, उस मुक्ति का आनंद आपके चेहरे पर नजर आ रहा था। बीते 11 महीनों में आपने लोकतंत्र और विकास को सही मायने में अनुभव किया है। त्रिपुरा के विकास को, त्रिपुरा के विश्वास को नए रास्ते पर ले जाने के लिए मैं यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री और उप-मुख्यमंत्री, दोनों को और उनकी पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
साथियो, यहां आने से पहले मुझे airport campus में महाराजा बीर बिक्रम किशोर माणिक्य बहादुर जी का उनकी प्रतिमा का अनावरण करने का अवसर मिला; जिन्होंने त्रिपुरा के लिए सपने देखे हैं, जिन्होंने उन सपनों को पूरा करने के लिए प्रयास किया, ऐसे महापुरुष की प्रतिमा का एयरपोर्ट पर लगना, यहां आने वाले हर व्यक्ति को सकारात्मकता से भरने वाला है। वीर विक्रम जी की प्रतिमा त्रिपुरा के हर जन को विकास के vision के लिए प्रेरित करने वाली है।
साथियो, त्रिपुरा के विकास के लिए केंद्र सरकार ने कोई कमी नहीं छोड़ी। बीते साढ़े चार वर्ष से त्रिपुरा के लिए पर्याप्त फंड जारी किया गया, लेकिन पहले की सरकार के रवैये के चलते यहां काम नहीं हो पाया था। लेकिन वर्तमान सरकार अब त्रिपुरा के विकास को गति देने में जुटी है। मुझे बताया गया है कि राज्य के इतिहास में पहली बार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर एमएसपी के आधार पर, एमएसपी के आधार पर पहली बार त्रिपुरा राज्य में किसानों से धान खरीदा है। मैं हैरान हूं, दिल्ली में बड़े-बड़े भाषण झाड़ने वाले नेता- जब यहां उनकी पार्टी की सरकार थी, एमएसपी पर किसानों का धान खरीदने का भी काम जिन्होंने नहीं किया; देश को ऐसे लोगों को पहचानना पड़ेगा। उनको बेनकाब करना पड़ेगा। इसके अलावा सातवें वित्त आयोग की सिफारिशों को लागू कर लाखों कर्मचारियों का ध्यान भी रखा गया है। ये काम- जो मजदूरों के नाम पर राजनीति करते हैं, कामगारों के नाम पर राजनीति करते हैं, दुनियाभर को मजदूरों के हक के भाषण देते हैं, उन्होंने त्रिपुरा में इतने साल शासन किया, लेकिन pay commission की रिपोर्ट की कभी परवाह नहीं की। एक प्रकार से जिस त्रिपुरा को पहले की सरकार ने अलग-थलग करके रखा था, वो अब सही मायने में हमारा त्रिपुरा देश की मुख्यधारा में जुड़ रहा है।
साथियो, त्रिपुरा के सामान्य मानवी के हित को विस्तार देते हुए अभी-अभी मैंने सैंकड़ों करोड़ के प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन किया है। अगरतला-सबरुम रेलवे लाइन का गर्जि-बेलोनिया सेक्शन हो या त्रिपुरा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी का नया कैम्पस, ये यहां के युवाओं को नए अवसरों से जोड़ने वाले हैं।
साथियो, चुनाव के समय जब मैं यहां आया था तो मैंने विकास के HIRA model की बात की थी, एचआईआरए। लोग चुनाव में बोलते हैं, बातें भुल जाते हैं; मैं सामने से याद करा रहा हूं। एचआईआरए, मैंने HIRA की वकालत की थी। इसका मतलब था highway, I-way, railway, airway- एचआईआरए।
अगरतला से सबरूम तक का नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट हो, रेल लाइन हो, हमसफर एक्सप्रेस हो, अगरतला-देवधर एक्सप्रेस हो, अगरतला के एयरपोर्ट में बन रहा दूसरा टर्मिनल हो; ये सारे प्रोजेक्ट त्रिपुरा के उसी HIRA model की झांकी हैं। इन प्रोजेक्ट्स से त्रिपुरा में रोजगार के नए अवसर पैदा होने वाले हैं, यहां उद्योगों की संभावनाएं बनने वाली हैं।
साथियो, जिस त्रिपुरा को land lock राज्य बताकर विकास का हक छीना गया, उस त्रिपुरा को हम साउथ-ईस्ट एशिया का नया Gateway बना रहे हैं। बंगलादेश सरकार के सहयोग से चिटगांव और आशुगंज पोर्ट के रास्ते त्रिपुरा को water connectivity का फायदा मिलने वाला है। फेणी नदी के पुल पर भी तेजी से काम चल रहा है। जब ये पुल पूरा हो जाएगा, गोमती नदी को गहरा करने का काम पूरा हो जाएगा, तब त्रिपुरा सिर्फ नॉर्थ-ईस्ट का नहीं, साउथ-ईस्ट एशिया का commercial hub बनने के रास्ते पर चल पड़ेगा।
अब आप मुझे बताइए, ये गोमती नदी नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद आई क्या? पहले थी कि नहीं थी? पहले थी ना? विप्लब जी मुख्यमंत्री बने, उससे पहले भी थी ना? आपको दिखती थी? पहले वाली सरकार को नहीं दिखती थी। हमने उस गोमती को गहरा करके उसी में जहाज चलाने का फैसला किया है।
भाइयो और बहनों, बीते महीनों के दौरान यहां की सरकार ने टेक्नोलॉजी के माध्यम से आपके जीवन को आसान बनाने का लगातार प्रयास किया है। गरीबों का राशन हो, जमीन का मामला हो या फिर दूसरी सेवाएं- बाकी देश की तरह इंटरनेट से जनता को सुविधाएं देने का काम तेज गति से चल रहा है। इस डिजिटल अभियान से बिचौलियों पर बराबर की लगाम लग गई है। और मुझे बताया गया कि हमारे त्रिपुरा में 62 हजार से ज्यादा ऐसे लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा था, जो लोग थे ही नहीं- सिर्फ कागज पर ही पैदा हुए, कागज पर ही बड़े हुए और कागज पर ही रुपये लेते गए। ये फर्जी लोग आपका पैसा लूटकर किसकी तिजोरी भर रहे थे- ये आप भलीभांति जानते हैं।
साथियो, इस तरह बीते साढ़े चार वर्षों से देशभर में ऐसे फर्जीवाड़ा करने वाले आठ करोड़ फर्जी लाभार्थियों को सिस्टम से हमने बाहर कर दिया है। ये वो लोग थे जो दूसरे गरीब का राशन खा जाते थे, पेंशन खा जाते थे, स्कॉलरशिप हड़़प जाते थे। ये पूरी व्यवस्था किसने बनाई- आप मुझे बताइए कि बिचौलियों और दलालों की ये पूरी व्यवस्था किसने तैयार की? जरा जोर से बताइए- कौन लोग हैं जिम्मेदार? किसने बर्बादी की?
साथियो, दिल्ली में जिनकी 55 सालों तक सरकार थी, और यहां जिनकी दो दशक तक सरकार रही, असल में इन्हीं दोनों साथियों की जुगलबंदी ने ये पाप किया था, ये कमाल किया था। गुंडों और भ्रषटाचारियों, बिचौलियों की महामिलावट के इन साथियों का ये कमाल था जिसने त्रिपुरा और देश के गरीब-मध्यम वर्ग के हक पर डाका डाला।
साथियो, महामिलावट, ये महामिलावट के साथी- दलालों, बिचौलियों के सबसे बड़े संरक्षक रहे हैं। ये फिर से एक बार दिल्ली में सपना देख रहे हैं कि दिल्ली में हो सके, उतना जल्दी एक मजबूर सरकार बना जाए, मजबूर; मजबूत सरकार से उनको ज्यादा परेशानी हो रही है। आप मुझे बताइए देश को मजबूत सरकार चाहिए कि नहीं चाहिए? इतना बड़ा देश मजबूत सरकार बिना चल सकता है? मजबूत सरकार के बिना फैसले हो सकते हैं? मजबूत सरकार के बिना देश आगे बढ़ सकता है? मजबूत सरकार के बिना नौजवानों का भविष्य बन सकता है? उन्हें तो मजबूर सरकार चाहिए, क्योंकि मजबूर सरकार होगी तो उनके घर भरने में सुविधा रहेगी, उनके वंश-वारिस की सेवा करने की सुविधा रहेगी, तिकड़मबाजी करने के लिए मैदान खुला मिल जाएगा। आप मुझे बताइए भाइयो, बहनों- देश को मजबूत सरकार मिलनी चाहिए की नहीं मिलनी चाहिए?
मोदी को गाली देने का आजकल competition चल रहा है। ओलम्पिक चल रहा है ओलम्पिक। ये महामिलावट में यही काम चल रहा है। अवसरवादिता की हद देखिए- आप मुझे बताइए ये महामिलावट वाले दिल्ली में हाथ पकड़-पकड़ करके फोटो निकालते हैं, कलकत्ते में जा करके हाथ पकड़-पकड़ करके फोटो निकालते हैं; ये त्रिपुरा में एक-दूसरे का चेहरा देखने के लिए तैयार हैं क्या? हैं क्या? केरल में हैं क्या? बंगाल में हैं क्या? लेकिन देश को भ्रमित करने के लिए हाथ में हाथ मिला करके महामिलावट का अभियान चला रहे हैं। और करना क्या- जब भी मिलो- मोदी को गाली दो। इनको लगता है कि जनता इनकी तरह ही अपने विवेक पर परदा डाले हुए है, उसको ये महामिलावट का खेल समझ नहीं आता है। असल में ये अभी भी पुराने वाले दौर में जी रहे हैं कि इनके झूठ को कोई पकड़ नहीं पाएगा। जिस तरह विधानसभा के चुनाव में आपने इन्हें सच्चाई दिखाई, उसी तरह अब लोकसभा चुनाव में देश की जनता बताएगी कि लोगों से झूठ बोलने का मतलब क्या होता है।
भाइयो और बहनों, इनसे अगर कोई पूछे कि बताओ भाई किसान के लिए आपकी क्या योजना है, क्या एजेंडा है? जैसे ही आप पूछोगे कि किसान के लिए क्या करोगे- तो उन्होंने जवाब देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए? जवाब देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए? लेकिन वो क्या करते हैं, आप याद रखना- आप उनको किसान का पूछोगे, वो मोदी को इतनी गाली देंगे। अगर आप इनसे पूछोगे कि मजदूर के लिए, श्रमिक के लिए क्या करोगे? उन्होंने जवाब देना चाहिए कि नहीं देना चाहिए? जवाब नहीं देंगे, वो मोदी को उससे जरा बड़ी गाली देंगे। इनसे पूछो कि युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए क्या करोगे, तो जवाब देने के बजाय वो मोदी को उससे भी बड़ी गाली देंगे। जितने सवाल- उतनी गाली बड़ी होती जाती है। हर सवाल का जवाब उनके पास एक ही है- मोदी को गाली दो, मोदी को बड़़ी गाली दो, मोदी को जोर से गाली दो, मोदी को जितनी हो सके उतनी गाली दो; यही इनका काम है।
भाइयो और बहनों, असल में महामिलावट के ये साथी जान चुके हैं कि देश के युवा, देश के गरीब, देश के किसान- वो अपनी आकांक्षाएं मोदी पर भरोसा कर-करके देख रहा है, आशा और विश्वास के साथ देख रहा है। मोदी जो काम करता है, उससे एक विश्वास जगता है, उसी से उम्मीद अधिक होती है और ये सारे मोदी-विरोधियों को भी भलीभांति पता है।
साथियो, बीते साढ़े चार वर्षों में जो काम सरकार ने किए उसको और विस्तार देते हुए इस वर्ष के बजट में ‘सबका साथ-सबका विकास’ के रास्ते को और मजबूत किया गया है। किसान हो, नौजवान हो, मजदूर हो या मध्यम वर्ग- हर किसी के लिए बजट में ऐसी व्यवस्था की गई है जैसी पहले सोची तक भी नहीं गई थी।
भाइयो और बहनों, इस बजट में हमने ऐसे लोगों की चिंता की है जिनके बारे में पहले की सरकारों के समय में सिर्फ नारे लगाए गए, सिर्फ वोट बटोरे गए। अब आप ही बताइए, जो घरों में काम करते हैं, जो सड़कों या घरों के निर्माण से जुड़े हैं, जो रिक्शा चलाते हैं, रेहड़ी या ठेला चलाते हैं- ऐसे असंगठित क्षेत्रों के करोड़ों मजदूर बहन-भाइयों के लिए unorganized labour के लिए पहले की सरकारों ने क्या किया? ये कम्युनिस्ट पार्टी वाले तो मजदूरों के मसीहा अपने-आपको बताते हैं, लेकिन उनको unorganized labour के लिए कुछ भी करने की सूझी नहीं। दिल्ली सरकार के ये पार्टनर थे, यहां इतनी लम्बी सरकार चलाई, लेकिन कभी उनको unorganized labour की याद नहीं आई। क्या किसी ने इस वर्ग के लिए आज तक कोई बड़ी योजना बनाई?
साथियो, पहले की सरकारें ये काम इसलिए नहीं कर पाईं क्योंकि उनकी नीयत साफ नहीं थी। चाय वाले की सरकार ने सही नीयत के साथ एक बड़ी योजना बनाई है। इस योजना का नाम है- ‘प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन योजना’। इसके तहत असंगठित कर्मचारियों की तरह, अन्य कर्मचारियों की तरह, असंगठित कामगार श्रमिकों को भी, मजदूरों को भी 60 वर्ष की आयु के बाद 3000 रुपये की एक नियमित पेंशन मिलेगी। जिन बहन-भाइयों की मासिक कमाई 15 हजार रुपये से कम है, वो औसतन 100 रुपये का छोटा सा मासिक अंशदान देकर इस योजना से जुड़ सकते हैं। इसमें भी जितना अंशदान श्रमिक का रहेगा, उतना ही केन्द्र सरकार उनके पेंशन खाते में डालेगी, हर महीने डालेगी।
साथियो, इसी तरह किसानों, पशुपालक और मछुआरों के लिए भी अनेक प्रबंध किए गए हैं। किसानों के लिए इतिहास की सबसे बड़ी योजना बनाई गई है- पीएम किसान योजना। इसके तहत त्रिपुरा सहित देशभर के करीब 12 करोड़ किसान परिवारों को हर साल 6000 रुपये सीधे बैंक खाते में केन्द्र सरकार जमा करेगी, और ये दो-दो हजार की तीन किश्तों में जमा होंगे। और मेरा प्रयास रहेगा कि जितनी जल्दी संभव हो, उतनी जल्दी पहली किश्त किसानों के खाते में पहुंच जाए। इसका लाभ उन किसानों को मिलेगा जिनके पास पांच एकड़ या उससे कम जमीन है।
इसी तरह पशुपालकों के लिए भी अब किसानों की तरह क्रेडिट कार्ड की सुविधा दी जा रही है, ताकि वो अपनी जरूरतों के लिए बैंकों से सस्ता ऋण ले सकें और साहूकार के चंगुल में फंसने से बच सकें।
मछुआरों के लिए अलग से department बनाने का फैसला लिया गया है। इससे मछुआरों से जुड़ी समस्याओं का जल्द से जल्द निपटारा हो सकेगा।
साथियो, ये सारे कार्यक्रम उन योजनाओं को भी ताकत देंगे जो बीते साढ़े चार वर्ष से चल रही हैं। जैसे आयुष्मान भारत योजना के तहत त्रिपुरा के गरीब परिवारों को पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज मिलना सुनिश्चित हुआ है।
उज्ज्वला योजना के तहत गरीब को मुफ्त में रसोई गैस का कनेक्शन मिल रहा है।
जिसके तहत घर नहीं है उसको प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का घर और स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय दिया जा रहा है। गरीबों को एक रुपये महीने और 90 पैसे के प्रतिदिन के प्रीमियम पर दो-दो लाख रुपये तक के दुर्घटना और जीवन बीमा की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है।
मुझे बताया गया है कि त्रिपुरा में 11 महीने के भीतर ही दो लाख से अधिक गैस के कनेक्शन; इतना छोटा सा त्रिपुरा राज्य, 11 महीने में दो लाख से अधिक गैस के कनेक्शन, 20 हजार से ज्यादा घर बना करके गरीबों को दिए हैं, सवा लाख से ज्यादा शौचालय बनाए गए हैं। ये तमाम योजनाएं आज गरीबों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने में काम आ रही हैं।
साथियो, त्रिपुरा की पहचान जनजातियों से भी है। इस साल के केन्द्रीय बजट में जनजातियों के लिए बजट में बहुत बड़ी वृद्धि की गई है। साथ में घुमंतू, nomadic tribe इस समुदाय की पहचान के लिए पहली बार आयोग बनाने का फैसला भी लिया गया है।
भाइयो और बहनों, हमारी केन्द्र सरकार ने autonomous council को सशक्त करने की लम्बे समय से चल रही मांग को पूरा करने की तरफ भी कदम बढ़ाया है। कानून में बदलाव करके हम न सिर्फ काउंसिल को आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं बल्कि काउंसिल के अधिकारों में भी बढ़ोत्तरी करना चाहते हैं। मुझे उम्मीद है कि कानून में बदलाव के बाद हर इलाके का संतुलित विकास होगा और तेजी से विकास होगा।
साथियो, विकास की पंचधारा यानी बच्चों की पढ़ाई, युवा को कमाई, बुजुर्गों को दवाई, किसान को सिंचाई और जन-जन की सुनवाई, इसी रास्ते को हम निरन्तर मजबूत कर रहे हैं। त्रिपुरा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी त्रिपुरा के युवाओं को पढ़ाई और कमाई से जोड़ने के हमारे अभियान का ही एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस इंस्टीट्यूट से यहां के युवाओं को शिक्षा के बेहतर अवसर मिलेंगे और उनके उज्ज्वल भविष्य की नींव सशक्त होगी। त्रिपुरा की शिक्षा व्यवस्था को मजबूती देने के लिए राज्य की सरकार निरन्तर अनेक कदम उठा रही है। पहले की सरकार ने जो अव्यवस्थाएं फैला रखी थीं, उनको दूर किया जा रहा है।
साथियो, मुझे बताया गया है कि युवाओं को कमाई के समान अवसर देने के लिए राज्य सरकार ने एक गलत परम्परा को यहां की व्यवस्था से हटा दिया है। पहले सरकारी नौकरियों में एक पार्टी को और उनके डर से जुड़े, लोगों को ही लिया जाता था। इस परम्परा को अब पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। अब त्रिपुरा के हर युवा को मैरिट के आधार पर चयन करने के लिए पारदर्शी व्यवस्था तैयार की जा रही है।
मुझे ये देखकर संतोष होता है कि अब यहां हिंसा का, डराने-धमकाने का दौर चला गया है और त्रिपुरा शांति से विकास की नई ऊंचाई को छूने के लिए निकल पड़ा है।
मुझे इस बात की भी खुशी है कि त्रिपुरावासी अब आराम से माता त्रिपुरेशवरी का आशीर्वाद ले सकता है, हवन कर सकता है, पूजा, हवन, दीवाली, होली- सभी त्योहारों को पूरी आजादी के साथ सभी त्रिपुरावासी मना सकते हैं।
भाइयो और बहनों, 11 महीने पहले आपने जो नए त्रिपुरा के लिए अपना वोट दिया था उसको और शक्ति देने के लिए, अब नए भारत के लिए नया जनादेश भी आपको देना है। अगरतला और दिल्ली में विकास से डबल इंजन चलता रहे, इसके लिए आपको जुटे रहना है। आपके विश्वास से ही विकास के नए रास्ते खुलेंगे।
मैं फिर एक बार आपके आशीर्वाद के लिए, इस विशाल संख्या में आने के लिए हृदय से आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करता हूं।
मेरे साथ बोलिए-
भारत माता की – जय
भारत माता की – जय
भारत माता की – जय
बहुत-बहुत धन्यवाद।