e-NAM launch a turning point for agriculture sector: PM Modi

Published By : Admin | April 14, 2016 | 19:50 IST
PM Modi launches e-NAM - the e-trading platform for the National Agriculture Market
e-NAM initiative to be benefit farmers, usher in transparency in agriculture sector
e-NAM initiative a turning point in the history of agriculture sector, says Prime Minister Modi
Agriculture sector has to be seen holistically and that's when maximum benefit for the farmer can be ensured: PM

मैं देश के किसानों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं, बधाई देता हूं कि इस प्रयास से किसानों की अर्थव्यवस्था में कितना बड़ा परिवर्तन आने वाला है। आज डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर की 125वीं जयंती है और मैंने करीब 1 महीने पहले सार्वजनिक रूप से कहा था कि ई NAM का प्रारंभ हम डॉ. बाबा साहेब की जयंती पर करेंगे और मुझे खुशी है कि आज समय सीमा में काम प्रारंभ हो रहा है। राधामोहन सिंह जी कह रहे थे इसको हम औऱ जल्दी भी कर सकते हैं लेकिन ये काम राज्यों के सहयोग के साथ जुड़ा हुआ है। अभी भी देश के कुछ राज्य ऐसे हैं कि जहां मंडी का कोई क़ानून ही नहीं है।

अब किसानों के लिए सुनते तो बहुत हैं लेकिन ऐसे भी राज्य हैं आज भी इस देश में जहां किसानों के लिए मंडी के लिए कोई नीति निर्धारण कानून नहीं है। उन राज्यों में किसानों का exploitation कितना हो सकता है, इसका आप अंदाज कर सकते हैं। मैं नाम नहीं देना चाहता हूं राज्यों का क्योंकि आजकल ऐसे विषय 24 घंटे विवादों में फंस जाते हैं तो मैं उससे बचना चाहता हूं लेकिन ऐसे सभी राज्यों से मेरा आग्रह होगा कि वे अपने यहां किसान मंडी कानून बनाएं। उसी प्रकार से जिन राज्यों में कानून है। उसमें भी अब नई Technology आई है, काफी व्यवस्थाएं पलटी हैं तो उसके अनुरूप कानून में सुधार करना आवश्यक है। मैं आशा करता हूं कि वे राज्य भी अपने-अपने यहां जो existing कानून हैं उसमें भारत सरकार ने जो सुझाव दिए हैं उसके अनुसार अगर amendment कर देंगे तो उन राज्यों में भी ई NAM का लाभ किसान को प्राप्त होगा और इसलिए मैं इन सभी राज्यों से आग्रह करता हूं कि इसको प्राथमिकता दें।

वैसे मुझे लगता है कि शायद आग्रह मुझे अब नहीं करना पड़ेगा क्योंकि जैसे ही ये 21 मंडियों की खबर आना शुरू हो जाएगा तो नीचे से ही pressure इतना पैदा होगा कि हर राज्य को लगेगा कि भई मेरा किसान तो रह गया चलो मैं भी इसमें आ जाऊं ताकि मेरे राज्य के किसान को लाभ मिले। हमारे देश में वर्षों से किसी न किसी कारण से कुछ नियम न रहें। एक राज्य में जो कृषि उत्पादन होता था वो दूसरे राज्य में ले नहीं जा सकते थे, ये भी बंधन रहते थे। कभी कानूनी तौर पर रहते थे, कभी गैर कानूनी तौर पर रहते थे क्योंकि लगता था कि भई अगर ये चला गया तो राज्य की economy को क्या होगा, राज्य की आवश्यकताओं का क्या होगा तो ये चलता रहता था और उसके कारण मैं नहीं मानता हूं, मैं इसको कोई बहुत बड़ा गुनाह के रूप में नहीं देखता हूं।

वहां की सरकारों को practical problem रहता था कि भई ये चीज मेरे यहां उत्पादन होती है। मेरे यहां से बाहर चली गई तो मेरे यहां तो लोगों को कुछ मिलेगा ही नहीं तो ये उसकी चिंता बड़ी स्वाभाविक थी लेकिन उसका परिणाम ये होता था कि किसान को protection नहीं मिलता था। किसान के लिए मजबूरी हो जाती थी कि अपने 12-15-20-25 किलोमीटर के area में जो market है, वो जो दाम तय करता था। उसको उसी दाम पर बेचना पड़ता था और उसी से अपनी रोजी-रोटी कमानी पड़ती थी। किसान की समस्या ये भी रहती थी कि उसको कोई choice नहीं रहता था। एक बार घर से बैलगाड़ी में माल लेकर गया मंडी में और मंडी वालों को लगा कि आज दाम गिरा दो। अब वो बेचारा सोचता है कि भई अब मैं वापस इसको कहां ले जाऊंगा, 25 किलोमीटर कहां उठाकर ले जाऊंगा तो वो मजबूरन उनके हाथ-पैर जोड़कर कहता था चलिए जी ले लीजिए, 5 रुपए कम दे दीजिए, ले लीजिए मैं कहाँ ले जाऊँगा । ये हाल किसान का हमारे यहां market में रहा।

ये योजना ऐसी है कि जिस योजना से किसान का तो भरपूर फायदा है लेकिन ये ऐसी योजना नहीं है जो सिर्फ किसान का फायदा करती है। ऐसी व्यवस्था है, जिस व्यवस्था की तरफ जो थोक व्यापारी है, उनकी भी सुविधा बढ़ने वाली है। इतना ही नहीं ये ऐसी योजना है, जिससे उपभोक्ता को भी उतना ही फायदा होने वाला है। यानि ऐसी market व्यवस्था बहुत rare होती है कि जिसमें उपभोक्ता को भी फायदा हो, consumer को भी फायदा हो, बिचौलिए जो बाजार व्यापार लेकर के बैठे हैं, माल लेते हैं और बेचते हैं, उनको भी फायदा हो और किसान को भी फायदा हो। होता क्या है आज दुर्भाग्य से हमारे देश में कृषि उत्पादन का real time data अभी भी नहीं होता है। कभी हमें लगे कि फलां राज्य में गेंहू की जरूरत है तो सरकार सोचती है अच्छा भई क्या करेंगे, इनको गेंहू की जरूरत है लेकिन उसे पता नहीं होता कि दूसरे राज्य में गेहूं surplus पड़े हैं।

कभी गेंहू surplus हैं और वहां पहुंचाने हैं लेकिन उस समय ट्रेन की व्यवस्था नहीं मिलती माल ले जाने के लिए और वहां consumer परेशान रहता है, यहां किसान परेशान होता है, माल बेचना है। ये क्यों... वो जो structure ऐसा बना हुआ था कि जिस structure में वो बंध गया था, उसके बाहर नहीं जा पाता था। आज ई NAM के कारण। अभी तो प्रारंभ में 25 कृषि उत्पादन चीजें इस ई NAM पर बिकेंगी, सौदा होगा और 21 मंडी में होगी लेकिन बहुत ही निकट भविष्य में शायद 250 तक तो पहुंच जाएगी क्योंकि कुछ राज्यों ने कानून में जो सुधार करना चाहिए, वो कर दिया है। Technology के लिए ये कोई बड़ा मुश्किल काम नहीं है। वहां एक लैब बनेगी, उस लैब के कारण quality of agro product ये तय होगा। अब व्यापारी हाथ में पकड़कर के तय करेगा, नहीं यार तेरा माल तो ठीक नहीं है और किसान कहेगा नहीं-नहीं साहब बहुत ठीक है पहले जैसा ही है और आखिरकार उस बेचारे को लगता था कि चलो बेच दो। आज laboratory कहेगी कि तुम्हारा जो product है A grade का है, B grade का है, C grade का है औऱ वो नेशनली certified मान्यता होगी उसको।

अगर मान लीजिए बंगाल से चावल खरीदना है और केरल को चावल की जरूरत है तो बंगाल का किसान online जाएगा और देखेगा कि केरल की कौन सी मंडी है जहां पर चावल इस quality का चाहिए, इतना दाम मिलने की संभावना है तो वो online ही कहेगा कि भई मेरे पास इतना माल है और मेरे पास ये certificate और मेरे ये माल ऐसा है, बताइए आपको चाहिए और अगर केरल के व्यापारी को लगेगा कि भई 6 लोगों में ये ठीक है तो उससे सौदा करेगा और अपना माल मंगवा देगा। कुछ व्यापारी क्या करेंगे बंगाल से माल खरीदेंगे, खरीदने वाला केरल से होगा लेकिन उसको बंगाल में market मिल जाए तो वहीं पर उसको बेच देगा। मेरा कहना का तात्पर्य ये है कि इतनी transparency होगी इस व्यवस्था के कारण कि जिसके कारण हमारा किसान ये तय कर पाएगा और माल, अपना product बैलगाड़ी में चढ़ाने से पहले या ट्रैक्टर में चढ़ाने से पहले तय कर पाएगा कि मेरे product का क्या होगा।

पहले तो क्या होता था सारी मेहनत करके 25 किलोमीटर दूर मंडी में गए उसके बाद तय होता था भविष्य क्या है। आज अपने घर में, अपने मोबइल फोन पर वो तय कर सकता है कि मैं कहां जाऊं, थोड़ा मैं मानता हूं हमारे देश का सामान्य से सामान्य व्यक्ति शायद वो साक्षर न हो लेकिन बुद्धिमान होता है। जैसे ही उसको पता चलेगा, वो monitor करेगा कि मंडी का trend क्या है, तीन दिन देखेगा बराबर और फिर trend के अनुसार तय करेगा कि हां अब लगता है कि market पक गया है तो तुरंत अंदर enter कर जाएगा और अपने माल बेचेगा। आज किसान निर्णायक होगा, किसान निर्णायक होगा। जो मंडी में बैठे हुए व्यापारी हैं, उन व्यापारियों के लिए भी ये सुविधाजनक होगा क्योंकि उसको लगता है कि भई जो जहां से पहले मैं खरीदता था तो वहां तो इस बार ये चावल पैदा ही नहीं हुई है तो सालभर क्या करूंगा, मैं तो चावल की व्यापारी हूं लेकिन अब उसको बैठे रहना नहीं पड़ेगा, वो हिंदुस्तान के किसी भी कोने से अपनी आवश्यकता के अनुसार चावल का ऑर्डर देकर के दूसरे व्यापारी से वो ले सकता है, दूसरे किसान से भी वो ले सकता है, अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकता है।

Consumer भी देख सकता है कि किस मंडी में किस रूप से बाजार चल रहा है और इसलिए अपने यहां कोई locally ही exploit करने जाता है तो कहता है, झूठ बोल रहे हो मैंने देखा है ई NAM पर तुमने तो माल लिया है थोडा बहुत तो ले सकतो हो लेकिन इतना क्यों ले रहे हो। यानि उत्पादन का balance use इसके लिए भी ई NAM portal एक बहुत बड़ी सुविधा बनने वाला है और मैं मानता हूं किसान का जैसे स्वाभाव है। एक बार उसको विश्वास पड़ गया तो वो उस भरोसे पर आगे बढ़ने चालू कर जाएगा। बहुत तेज गति से ई NAM पर लोग आएंगे, transparency आएगी। इस market में आने के कारण भारत सरकार बड़ी आसानी से, राज्य सरकारें भी monitor कर सकती हैं कि कहां पर क्या उत्पादन है, कितना ज्यादा मात्रा में है। इससे ये भी पता चलेगा transportation system कैसी होनी चाहिए, godown का उपयोग कैसे होना चाहिए, इस godown में माल shift करना है या उस godown में, यानि हर चीज एक portal के माध्यम से हम वैज्ञानिक तरीके से कर सकते हैं और इसलिए मैं मानता हूं कि कृषि जगत का एक बहुत बड़ा आर्थिक दृष्टि से आज की घटना एक turning point है।

एक मोड़ पर ले जा रही है हमें, जो पहले से कभी हम इंतजार कर रहे थे या हमारे सामने संभावना नजर नहीं आ रही थी। एक सप्ताह के भीतर-भीतर ये भी पता चलेगा कि जब इतनी बड़ी मात्रा में बाजार खुल जाता है तो competition बहुत बड़ा जाती है। खरीदने वाला ज्यादा दाम देकर के अच्छी quality खऱीदने की कोशिश करेगा। बेचने वाला कम पैसे में किस जगह से माल मिलता है, वो खोजेगा तो दूर-सुदूर भी जिसको market नहीं मिलता था, उसके लिए market सामने से invitation भेजेगा कि भई देखो तुम वहां बैठे हो सिलीगुड़ी में लेकिन तुम्हारी चीज कोई लेता नहीं, मैं यहां बैठा हूं अहमदाबाद में, मैं लेने के लिए तैयार हूं। ये इतनी बड़ी संभावना, हम कल्पना कर सकते हैं कि हमारे किसान को पहली बार ये तय करने का अवसर मिला है कि मेरे माल कैसे बिकेगा, कहां बिकेगा, कब बिकेगा, किस दाम से बिकेगा, ये फैसला अब हिंदुस्तान में किसान खुद करेगा।

अब वो किसी से आश्रित नहीं रहेगा, वो मोहताज नहीं रहेगा और जब ये पता औरों को चलेगा इतनी बड़ी competition शुरू हो गई है तो स्वाभाविक है कि बाकी राज्य जो अभी पीछे हैं, मुझे विश्वास है कि नीचे से ऐसा pressure पैदा होगा कि अब वो जल्दी कानून में भी सुधार करेंगे और ई NAM portal पर सारी मंडियां आएंगी और ये मेरा पूरा विश्वास है। मेरा आग्रह है और मैं मानता हूं कि कृषि को टुकड़ों में नहीं देखना चाहिए और इसलिए हमने हमारे मंत्रालय का नाम भी, इसके साथ किसान कल्याण जोड़ा है। हम उसको जब तक holistic approach नहीं होगा, हम किसानों की स्थिति में सुधार नहीं ला सकते हैं और holistic approach लेना है तो मान लीजिए जैसे आज solar revolution हो रहा है। किसान को तो लगता होगा कि ये तो कोई industry का काम चल रहा है, कोई उद्योगकारों का काम चल रहा है। कोई तो उसको समझाए ये solar revolution भी तेरे लिए है भाई।

अगर उसको पानी के लिए solar pump मिल गया, वो अपने ही खेत में solar panel लगा दिया तो उसको जो आज डीजल का खर्चा करना पड़ता है, नहीं करना पड़ेगा। आज solar revolution हो रहा है। जो बड़ा किसान हैं वो उच्च technology का उपयोग करता हैं। cutter लाते हैं, बाकी चीजें लाते हैं, वो बिजली से चलती हैं। जिस दिन उसको पता चलेगा, अब ये सारे जो साधन हैं, वो भी solar से चलने वाले आ गए हैं, उसका खर्चा कम हो जाएगा और साधन उसका सूर्य प्रकाश से चलने लग जाएगा। यानि जो technology का development हो रहा है। उसके साथ हमारे किसान की उपयोगी चीजों को कैसे जोड़ा जाए। अगर हमें ज्यादा उत्पादन करना है तो flood irrigation का जमाना चला गया है और अब ये विज्ञान ने सिद्ध कर दिया है कि flood irrigation से कोई अच्छी खेती होती नहीं लेकिन किसान का स्वभाव है कि जब-जब खेत, जब तक खेत पानी से लबालब भरा न हो, सारे पौधे डूबे हुए नजर न आए तो उसको लगता है, पौधा भूखा मर रहा है, वो खुद बेचारा परेशान हो जाता है क्योंकि उसकी भावना जुड़ी हुई है, वो अपने आप को रात को सो नहीं सकता है कि यार जितना पानी चाहिए था, उतना नहीं है, वो परेशान हो जाता है लेकिन अगर उसको विज्ञान का पता हो per drop, more crop.

हमारे उत्पादनों को पानी में डुबोए रखने की जरूरत नहीं है। हम सालों से मानकर के आए कि गन्ने की खेती करनी हो तो भरपूर पानी चाहिए। अब धीरे-धीरे अनुभव आ गया कि sprinkler से गन्ने की खेती बहुत अच्छी हो सकती है और sprinkler से गन्ने की खेती करें तो सामान्य गन्ने में जो sugar contain होता है, उससे sprinkler या drip से किए हुए गन्ने में sugar contain ज्यादा होता है, उसमें से ज्यादा चीनी निकलती है तो किसान को दाम भी ज्यादा मिलता है और आपने देखा होगा flood irrigation से गन्ने का जो डंडा होता है उसकी size और sprinkler से हुआ उसकी size देखते ही पता चलता है कि कितना बड़ा फर्क आया है। अब किसान को समझना होगा और मैं मानता हूं कि ये बात उन तक पहुंचाई जा सकती है और इसलिए मेरा मिशन है per drop, more crop एक-एक बूंद पानी से हम समृद्धि पैदा कर सकते हैं, हम भविष्य पैदा कर सकते हैं।

कभी-कभी मैं किसानों के साथ बैठना का स्वभाव रखता था तो काफी बातें करता था, जब गुजरात में था। मैं उनको कहता था और मैं आज उसको दुबारा कहना चाहूंगा, मैं उनको कहता था, मान लीजिए आपका बच्चा बीमार है और 3 साल की आय़ु हो गई, 5 साल की आयु हो गई, 7 साल की आय़ु हो गई लेकिन न वजन बढ़ रहा है, न चेहरे पर मुस्कान आ रही है, ऐसे ही दुबला-पतला, ऐसे ही पड़ा रहता है। अब आप सोचिए कि आपके बच्चे का ये हाल है और आप सोचें कि एक बाल्टी भर दूध लेंगे, उसमें केसर, बादाम, पिस्ता सब डालेंगे और रोज बच्चे को इस दूध से नहलाएंगे, उसकी तबीयत पर कोई फर्क पड़ेगा क्या, पड़ेगा क्या, मेरे किसान भाई पड़ेगा क्या लेकिन एक चम्मच में थोड़ा-थोड़ा दूध लेकर के 100 ग्राम, 100 ग्राम उसको शाम तक पिला दो, फर्क पड़ेगा कि नहीं पड़ेगा। जो बच्चा का है, वो ही पौधे का है। जो स्वभाव बच्चे का है, वो ही स्वभाव पौधे का है।

पौधे को भी अगर पानी से नहला दोगे तो पौधा मजबूत होगा, ऐसा नहीं है। एक-एक चम्मच से एक-एक बूंद पानी पिलाओगे तो आप देखते ही देखते देखोगे कि पौधा कितना ताकतवर बन जाता है और इसलिए हमने... बातें छोटी होती हैं लेकिन उनकी ताकत बड़ी होती है। हमने देखा है कि हमारे किसान का सबसे बड़ा नुकसान किससे हो रहा है। वो जो देखता है उसमें विश्वास करता है, जो सुनता है उस पर किसान कभी विश्वास नहीं करता। एक प्रकार से अच्छी चीज भी है। वो जब तक खुद अपनी आंखों से नहीं देखता है, भरोसा नहीं करता है लेकिन उसके कारण उसका misguide ऐसा हो जाता है कि अगर वाले खेत में किसी किसान ने लाल डिब्बे वाली दवा डाली तो वो भी सोचता है कि लाल डिब्बे वाली होती है तो वो भी जाकर के लाल डिब्बे वाली ले आता है। अगर उसने देखा बगल वाला दो बोरी fertilizer डालता है तो वो भी दो बोरी डाल देता है और उसको तो ज्यादा वो रंग से ही जानता है लाल डिब्बे वाली दवा, काले डिब्बे वाली दवा, लंबे डिब्बे वाली दवा या छोटे डिब्बे वाली उसी से वो उसका कारोबार चलता है जी, उसना अपना ये विज्ञान develop किया है।

ये गलती क्यों होती है। उसे पता नहीं है कि वो जिस जमीन पर काम कर रहा है, उसकी प्रकृति कैसी है। ये धरा हमारी मां है, ये भूमि हमारी मां है, कहीं बीमार तो नहीं हो गई है, हमने ज्यादा तो इसका शोषण नहीं किया है, उसका भी कोई ख्याल रखा है कि नहीं रखा है, ज्यादा अनुभव आता है कि हम धरा के साथ क्या करते हैं, फसल के संदर्भ में धरा के साथ जो करना होता है, करते हैं। धरा की तबीयत, चिंतन करनी चाहिए, इस भूमि की चिंता करनी चाहिए, इस पर हमारा ध्यान नहीं होता है और अगर बीमार धरा हो, कितना ही अच्छा बीज बोएं, इच्छित परिणाम नहीं मिलता है और इसलिए हमारे कृषि जगत को बदलना है तो हमारी धरा की तबीयत और उसके लिए अब सरल उपाय है Soil health card, laboratory में धऱा की test करवानी चाहिए और उसमें जो guidelines दें, उस प्रकार का पालन करना चाहिए। वरना कुछ लोग होते हैं कि डॉक्टर के पास जाएं, तबीयत दिखाएं। डॉक्टर कहे डायबीटीज है लेकिन घर में आकर के बताते ही नहीं हैं कि डायबीटीज है क्योंकि मिठाई खाने का शौक होता है तो फिर वो laboratory काम नहीं आती है।

अगर laboratory ने कहा कि डायबीटीज है तो फिर मिठाई छोड़नी पड़ती है। उसी प्रकार से धरा को check करने के बाद पता चला कि ये बीमारियां हैं, उस फसल के लिए आपकी धरा ठीक नहीं है, वो fertilizer आपकी धरा के लिए ठीक नहीं है, वो दवाई आपकी धरा को बर्बाद कर देगी तो मेरा किसानों से प्रार्थना होगी कि उसमें जो सुझाव देते हैं, उन सुझाव को religiously follow करना चाहिए। देखिए विज्ञान की बड़ी ताकत होती है, विज्ञान की बड़ी ताकत होती है। इन चीजों को अगर हमने ढंग से कर लिया तो आप देखना... कभी-कभार मैंने देखा है, हमारे पंजाब, हरियाणा में, इधर पश्चिम उत्तर प्रदेश में वो पुरानी पद्धति फसल निकालने के बाद बाद में जो रह जाता है उसको मुझे हिंदी शब्द तो मालूम नहीं है, उसको जला देते हैं। अब हमें मालूम नहीं है ये मूल्यवान fertilizer है, उसके छोटे-छोटे टुकड़े करके उसी जमीन में दबा दीजिए, वो आपकी जमीन के लिए, वो खुराक बन जाएगा लेकिन जल्दबाजी होती है, दुबारा फसल के लिए काम करना है, कौन करेगा इसलिए डालते नहीं हैं।

मैं समझता हूं जिस चीज के लिए जो नियम हैं, प्रकृति ने बनाए हैं, उसका अगर हम थोड़ा सा पालन करें तो पर्यावरण का जो नुकसान हो रहा है और दिल्ली वाले चिल्लाते हैं कि धुँआ बहुत हो गया है, वो बंद भी हो जाएगा और मेरे किसान को ये फायदा  होगा। मुझे स्मरण है जो केले की खेती करते हैं। केला पकने के बाद, वो केले का जो पेड़ रह जाता है, उसको निकालने के लिए वो पैसे देते हैं लोगों को कि भाई उसको जरा आप साफ करके दे दो और पहले ये एक-एक एकड़ पर 15-20 हजार रुपए खेत खाली करने पर ये उनका खर्च होता था। बाद में उनके ध्यान में आय़ा कि ये तो most valuable है और आपको हैरानी होगी केला पकने के बाद वो जो खड़ा रह गया, बाकी बचा हुआ पुर्जा है, उसको आप कहीं गाड़ दें और वहां पर कोई पौधा लगा दें 90 दिन तक पानी की जरूरत नहीं पड़ती, उसी से पानी मिल जाता है, इतनी ताकत होती है उसमें। जब ये पता चला तो उन्होंने फिर से उसे फिर जमीन में गाड़ दिया और उनकी जमीन इतनी गीली होने लगी कि बीच में वो एक extra फसल करने लगे जो 60-70 दिन में पैदा होने वाली होगी, उस फसल का उपयोग करने लगे, उनकी income में पहले से डेढ़ गुना-ढ़ाई गुना तक फर्क होने लगा क्यों, उनको समझ आय़ा कि भई इसका उपयोग है।

हम अगर उन छोटे-छोटे प्रयाग हैं। हमारे किसान इसको समझ भी सकता है, उसको कैसे पहुंचाए, हम उसके उत्पादन की ओर बढ़ें। हमारे देश का एक बहुत बड़ा दुर्भाग्य है किसी न किसी कारण से टोडर मल ने जमीनों को नापने का बहुत बड़ा काम किया था। उसके बाद उसके प्रति बड़ी उदासीनता रखी गई। सरकारों में नियम था कि 30 साल में एक बार जमीन नापने का काम regular होना चाहिए लेकिन शायद पिछले 100-150 साल में ये परंपरा dilute हो गई और उसके कारण exact पता नहीं है जमीन की स्थिति का। किसान conscious है कोई जमीन ले न जाए इसलिए वो क्या है बाड़ करता है। नाप का ठिकाना नहीं, कागज पर exact नाप नहीं है तो बाड़ लगाता है, वो बाड़ लगाने में एक मीटर जमीन इसकी खराब होती है, एक मीटर जमीन दूसरी वाली खराब होती है। हर खेत के border पर दो मीटर जमीन खराब होना यानि पूरे देश में देखें हम तो लाखों square meter जमीन इसी में बर्बाद होती होगी।

अगर हम उसका रास्ता निकालें। आज देश को टिम्बर import करना पड़ता है। अगर हम हमारे border पर बाड़ करने के बजाए टिम्बर के पेड़ लगा दें। बेटी पैदा हो, उस दिन अगर पेड़ लगाया तो शादी करने का पूरा खर्चा एक पेड़ दे देगा। वो पेड़, बेटी बड़ी होगी उसके साथ-साथ बड़ा होगा और जब वो टिम्बर बेचोगे। आज हिंदुस्तान फर्नीचर के लिए टिम्बर दुनिया से import करता है, मेरा किसान अपने border पर, बाड़ पर ये काम कर सकता है आराम से कमा सकता है। उसके कारण जो waste of land है, वो हमारा बचा जाएगा। solar हम खेती के साथ solar बिजली पैदा कर-करके बेच सकते हैं। मैंने ऐसे किसान देखें हैं जो अपनी cooperative society बना रहे हैं और पड़ोस के किसान मिलकर के कोने पर बिजली पैदा कर रहे हैं और राज्य सराकारों को बेच रहे हैं, ये सब संभव है। मैं हैरान हूं दुनिया भर में honey का बहुत बड़ा market है, बहुत बड़ा market है और honey एक ऐसी चीज है शहद, जो सालों तक घर में रहे, जितना पुराना हो तो ज्यादा पैसा मिलता है और किसान अगर अपने खेत में साथ-साथ शहद का भी काम करें तो जो मधुमक्खी है वो भी फसल को ताकत देती है, वो एक जगह से दूसरी जगह पर बैठती हैं तो फसल को नई ताकत देती हैं। simple चीजें हैं, जब मैं कहता हूं double income संभव है, मेरे दिमाग में बहुत साफ है क्या-क्या प्रयोग करने से income double हो सकती है।

चाहे Fisheries का काम हो, milk production का काम हो, पशु का रखरखाव हो, इन सारी चीजों में से income बढ़ सकती है और हम आधुनिक वैज्ञानिक तरीक से खेती करना शुरू करें तो हम देश की economy को भी बहुत बड़ा बल दे सकते हैं। मेरे देश के किसानों ने एक बार तय किया कि अब देश का पेट भरने के लिए बाहर से अन्न नहीं आएगा, हिंदुस्तान के किसानों ने कर दिया है। आज Pulses हमें बाहर से लाना पड़ता है दलहन, क्यों न हमारे किसानों को संदेश जाए कि जहां पर पानी बहुत कम है, वहां और प्रयोग मत करिए, आप दलहन पर चले जाइए ताकि आपकी भी गारंटी होगी और भारत सरकार उसमें आपकी मदद करेगी और भारत को अब दलहन बाहर से नहीं लाना चाहिए दाल क्यों बाहर से लानी पड़े, मूंग क्यों बाहर से लानी पड़े, चना क्यों बाहर से लाना पड़े, उड़द क्यों बाहर से लाना पड़े। हम ये अपने संकल्प कर लें तो मैं नहीं मानता हूं इस देश को... और अभी गया था सऊदी अरबिया, उसके पहले मैं गया था यूएई, वहां के लोगों ने जो बात कही, मैं समझता हूं कि मेरे देश के किसान इसको भलीभांति समझें, वो कह रहे हैं कि हमारे पास तो बारिश ही नहीं है, हमारे पास खेती योग्य जमीन नहीं है, हमारी जनसंख्या बढ़ रही है, पूरे गल्फ की countries में, हम भविष्य में हमारा पेट भरने के लिए अनाज पर भारत पर ही depend करेंगे, हमें वहीं से import करना पड़ेगा।

आज भी हमारा सबसे ज्याजा अच्छा चावल उन्हीं देशों में जाता है। इसका मतलब ये हुआ अगर हम quality product की तरफ जाएंगे तो गल्फ का एक बहुत बड़ा market, agriculture product के लिए हमारा इंतजार करके बैठा है। वे ware house के लिए cold storage के लिए तैयार है, वो गारंटी के साथ माल खऱीदने के लिए तैयार है यानि भारत की कृषि भी एक global requirement के संदर्भ में उसे हम एक नया मोड़ दे सकते हैं, हम उसमें बदलाव ला सकते हैं और उस बदलाव लाने की दिशा में हमें प्रयास करना चाहिए। अभी इस बजट में एक बड़ा महत्वपूर्ण निर्णय किया, उस निर्णय की चर्चा बहुत कम आई है क्योंकि कुछ चीजें ऐसी हैं, जिसे लोगों को समझते-समझते दो साल चले जाते हैं इसलिए वो बात शायद पब्लिक में आई ही नहीं।

भारत सरकार ने एक बहुत महत्वपूर्ण निर्णय़ किया कि Agro processing में हम 100 percent foreign direct investment को हम स्वागत करते हैं। अब कुछ लोगों का दिमाग शायद ऐसा है कि FDI का नाम आते ही उनको लगता है ये कुछ उद्योग वाला हो गया।

ये food processing की सारी process किसान को बहुत बड़ी ताकत देती है। अगर वो कोई ऐसी पैदावार करता है और उसका  technology solution से valuable addition होता है तो income बहुत बढ़ जाती है और उसके लिए पूंजी निवेश के लिए दुनिया से पैसे आते हैं तो किसान की ताकत बढ़ने वाली है। आप कच्चे आम बेचो तो कम पैसा आता है, पके हुए बेचो तो थोड़ा ज्यादा आता है। कच्चे आम बेचो लेकिन आचार बनाकर बेचो और पैसा आता है। आचार भी बढ़िया सी बोतल में pack करके बेचो तो और ज्यादा पैसा आता है और बोतल की advertisement कोई नट या नटी करती हो तो औऱ ज्यादा पैसा मिल जाता है। value addition कैसे होता है, food processing का value addition कैसे होता है और इसलिए अभी हमने कोका कोला कंपनी के साथ महाराष्ट्र government का एक agreement करवाया। मैंने इन सारी कंपनियों कहा है कि आप जो पेप्सी, कोका कोला ये सब पानी बेचते हो colorful होता है, tasty होता है लोगों को आदत हो गई है अरबों-खरबों का बाजार है। मैंने कहा मेरे देश के किसानों के लिए आप एक नियम बनाइए कि कम से कम 5 percent, कम से कम 5 percent natural fruit juice आप इस aerated water में mix करोगे।

आप देखिए एक तो जो पीता है उसको फायदा होगा, कम से कम 5 percent तो माल अच्छा जाएगा शरीर में लेकिन उसके कारण किसान जो फल पैदा करता है, उसको तुरंत market मिल जाएगा,  वरना संतरा कोई पैदा करेगा, एकाध दिन में तो संतरा खराब हो जाएगा लेकिन संतरे का जूस अगर उसमें मिलना शुरू हुआ तो संतरे को market मिलना शुरू हो जाएगा, Apple को market मिल जाएगा, केले को market मिल जाएगा और इसलिए वो चीजें जो हमारे किसान को ताकत दें, ऐसे कई initiative लिए हैं और उस initiative के परिणाम मैं कहता हूं कि आने वाले दिनों में किसानों का भविष्य उज्जवल बनाया जा सकता है, सोची-समझी व्यवस्था के तहत बनाया जाता है और अब ये मंडी के माध्यम से, ई NAM के माध्यम से जो प्रयास किया है इस ई NAM के माध्यम से, मैं विश्वास से कहता हूं कि मेरा किसान अब तय करेगा कि उसका माल कहां बिकेगा, कब बिकेगा, कितने दाम से बिकेगा इसका फैसला अब मेरा किसान करेगा और consumer को कभी कोई बोझ नहीं होगा, ये मेरा भरोसा है। consumer को कभी कोई मुसीबत नहीं होगी, ये मेरा पूरा भरोसा है। मैं देश के किसानों को आज 14 अप्रैल बाबा साहेब अंबेडकर की जन्म जयंती पर जिनका empowerment of poor people वाला हमेशा रहा था, मेरा किसान empower हो इसलिए एक महत्वपूर्ण project आज प्रारंभ हो रहा है, मैं कृषि मंत्रालय को मंत्री के विभाग के सभी साथियों को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं, मेरे देश के किसानों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। असम का आज नया वर्ष है, असम का नववर्ष है, उस बिहू के मौके पर भी मैं शुभकामनाएं देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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I am seeing the day when there will be no shortage of water in Rajasthan, there will be enough water for development in Rajasthan: PM
Conserving water resources, utilizing every drop of water is not the responsibility of government alone, It is the responsibility of entire society: PM
There is immense potential for solar energy in Rajasthan, it can become the leading state of the country in this sector: PM

भारत माता की जय।

भारत माता की जय।

गोविन्द की नगरी में गोविन्ददेव जी नै म्हारो घणो- घणो प्रणाम। सबनै म्हारो राम-राम सा!

राजस्थान के गवर्नर श्री हरिभाऊ बागड़े जी, राजस्थान के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री भजनलाल शर्मा जी, मध्य प्रदेश से विशेष रूप से आज पधारे हुए हमारे लाडले मुख्यमंत्री मोहन यादव जी, केंद्र में मंत्री परिषद के मेरे साथी श्रीमान सी. आर. पाटिल जी, भागीरथ चौधरी जी, राजस्थान की डिप्टी सीएम दीया कुमारी जी, प्रेम चंद भैरवा जी, अन्य मंत्रिगण, सांसदगण, राजस्थान के विधायक, अन्य महानुभाव और राजस्थान के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों। और जो वर्चुअली हमारे साथ जुड़े हुए हैं, राजस्थान की हजारों पंचायतों में एकत्र आए हुए सभी मेरे भाई-बहन।

मैं राजस्थान की जनता को, राजस्थान की भाजपा सरकार को, एक साल पूरा करने के लिए बहुत-बहुत बधाई देता हूं। और इस एक साल की यात्रा के बाद आप जब लाखों की तादाद में आशीर्वाद देने के लिए आए हैं, और मैं उस तरफ देख रहा था जब खुली जीप में आ रहा था, शायद जितने लोग पंडाल में हैं तीन गुना लोग बाहर नजर आ रहे थे। आप इतनी बड़ी तादाद में आशीर्वाद देने आए हैं, मेरा भी सौभाग्य है कि मैं आज आपके आशीर्वाद को प्राप्त कर सका। बीते एक वर्ष में राजस्थान के विकास को नई गति, नई दिशा देने में भजनलाल जी और उनकी पूरी टीम ने बहुत परिश्रम किया है। ये पहला वर्ष, एक प्रकार से आने वाले अनेक वर्षों की मज़बूत नींव बना है। और इसलिए, आज का उत्सव सरकार के एक साल पूरा होने तक सीमित नहीं है, ये राजस्थान के फैलते प्रकाश का भी उत्सव है, राजस्थान के विकास का भी उत्सव है।

अभी कुछ दिन पहले ही मैं इंवेस्टर समिट के लिए राजस्थान आया था। देश और दुनियाभर के बड़े-बड़े निवेशक, यहां जुटे थे। अब आज यहां 45-50 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक के प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण और शिलान्यास हुआ है। ये प्रोजेक्ट, राजस्थान में पानी की चुनौती का स्थाई समाधान करेंगे। ये प्रोजेक्ट, राजस्थान को देश के सबसे कनेक्टेड राज्यों में से एक बनाएंगे। इससे राजस्थान में निवेश को बल मिलेगा, रोजगार के अनगिनत अवसर बनेंगे। राजस्थान के टूरिज्म को, यहां के किसानों को, मेरे नौजवानों साथियों को इससे बहुत फायदा होगा।

साथियों,

आज भाजपा की डबल इंजन की सरकारें सुशासन का प्रतीक बन रही हैं। भाजपा जो भी संकल्प लेती है, वो पूरा करने का ईमानदारी से प्रयास करती है। आज देश के लोग कह रहे हैं कि भाजपा, सुशासन की गारंटी है। और तभी तो एक के बाद, एक के बाद एक राज्यों में आज भाजपा को इतना भारी जन-समर्थन मिल रहा है। देश ने लोकसभा में भाजपा को लगातार तीसरी बार देश की सेवा करने का अवसर दिया है। बीते 60 सालों में हिन्दुस्तान में ऐसा नहीं हुआ। 60 साल के बाद भारत की जनता ने तीसरी बार केंद्र में सरकार बनाई है, लगातार तीसरी बार। हमे देशवासियों की सेवा करने का अवसर दिया है, आशीर्वाद दिए हैं। अभी कुछ दिन पहले ही, महाराष्ट्र में भाजपा ने लगातार दूसरी बार सरकार बनाई। और चुनाव नतीजों के हिसाब से देखें तो वहां भी ये लगातार तीसरी बार बहुमत मिला है। वहां भी पहले से कहीं अधिक सीटें भाजपा को मिली हैं। इससे पहले हरियाणा में लगातार तीसरी बार भाजपा की सरकार बनी है। हरियाणा में भी पहले से भी ज्यादा बहुमत लोगों ने हमें दिया है। अभी-अभी राजस्थान के उपचुनाव में भी हमने देखा है कि कैसे भाजपा को लोगों ने ज़बरदस्त समर्थन दिया है। ये दिखाता है कि भाजपा के काम और भाजपा के कार्यकर्ताओं की मेहनत पर आज जनता-जनार्दन का कितना विश्वास है।

साथियों,

राजस्थान तो वो राज्य है जिसकी सेवा का भाजपा को लंबे समय से सौभाग्य मिलता रहा है। पहले भैरों सिंह शेखावत जी ने, राजस्थान में विकास की एक सशक्त नींव रखी। उनसे वसुंधरा राजे जी ने कमान ली और सुशासन की विरासत को आगे बढ़ाया, और अब भजन लाल जी की सरकार, सुशासन की इस धरोहर को और समृद्ध करने में जुटी है। बीते एक वर्ष के कार्यकाल में इसी की छाप दिखती है, इसी की छवि दिखती है।

साथियों,

बीते एक वर्ष के दौरान क्या-क्या काम हुए हैं, उसके बारे में विस्तार से यहां कहा गया है। विशेष रूप से गरीब परिवारों, माताओं-बहनों-बेटियों, श्रमिकों, विश्वकर्मा साथियों, घूमंतु परिवारों के लिए अनेक फैसले लिए गए हैं। यहां के नौजवानों के साथ पिछली कांग्रेस सरकार ने बहुत अन्याय किया था। पेपरलीक और भर्तियों में घोटाला, ये राजस्थान की पहचान बन चुकी थी। भाजपा सरकार ने आते ही इसकी जांच शुरु की और कई गिरफ्तारियां भी हुई हैं। इतना ही नहीं, भाजपा सरकार ने यहां एक साल में हज़ारों भर्तियां भी निकालीं हैं। यहां पूरी पारदर्शिता से परीक्षाएं भी हुई हैं, नियुक्तियां भी हो रही हैं। पिछली सरकार के दौरान राजस्थान के लोगों को, बाकि राज्यों की तुलना में महंगा पेट्रोल-डीज़ल खरीदना पड़ता था। यहां भाजपा सरकार बनते ही, राजस्थान के मेरे भाइयों-बहनों को राहत मिली। केंद्र सरकार पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों के बैंक खाते में सीधे पैसे भेजती है। अब डबल इंजन की राजस्थान भाजपा सरकार उसमें इजाफा करके, अतिरिक्त पैसे जोड़कर किसानों को मदद पहुंचा रही है। इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े कामों को भी यहां डबल इंजन की सरकार तेजी से जमीन पर उतार रही है। भाजपा ने जो वायदे किए थे, उन्हें वो तेजी से पूरा कर रही है। आज का ये कार्यक्रम भी इसी की एक अहम कड़ी है।

साथियों,

राजस्थान के लोगों के आशीर्वाद से, बीते 10 साल से केंद्र में बीजेपी की सरकार है। इन 10 सालों में हमने देश के लोगों को सुविधाएं देने, उनके जीवन से मुश्किलें कम करने पर बहुत जोर दिया है। आजादी के बाद के 5-6 दशकों में कांग्रेस ने जो काम किया, उससे ज्यादा काम हमने 10 साल में करके दिखाया है। आप राजस्थान का ही उदाहरण लीजिए...पानी का महत्व राजस्थान से बेहतर भला कौन समझ सकता है। यहां कई क्षेत्रों में इतना भंयकर सूखा पड़ता है। वहीं दूसरी तरफ कुछ क्षेत्रों में हमारी नदियों का पानी बिना उपयोग के ऐसे ही समंदर में बहता चला जा रहा है। और इसलिए ही जब अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार थी, तो अटल जी ने नदियों को जोड़ने का विजन रखा था। उन्होंने इसके लिए एक विशेष कमेटी भी बनाई। मकसद यही था कि जिन नदियों में ज़रूरत से ज्यादा पानी है, समुद्र में बह रहा है, उसको सूखाग्रस्त क्षेत्रों तक पहुंचाया जा सके। इससे बाढ़ की समस्या और दूसरी तरफ सूखे की समस्या, दोनों का समाधान संभव था। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसके समर्थन में कई बार अपनी बातें बताई हैं। लेकिन कांग्रेस कभी आपके जीवन से पानी की मुश्किलें कम नहीं करना चाहती। हमारी नदियों का पानी बहकर सीमापार चला जाता था, लेकिन हमारे किसानों को इसका लाभ नहीं मिलता था। कांग्रेस, समाधान के बजाय, राज्यों के बीच जल-विवाद को ही बढ़ावा देती रही। राजस्थान ने तो इस कुनीति के कारण बहुत कुछ भुगता है, यहां की माताओं-बहनों ने भुगता है, यहां के किसानों ने भुगता है।

मुझे याद है, मैं जब गुजरात में मुख्यमंत्री के रूप में सेवा करता था, तब वहां सरदार सरोवर डेम पूरा हुआ, मां नर्मदा का पानी गुजरात के अलग-अलग हिस्सों तक पहुंचाने का बड़ा अभियान चलाया, कच्छ में सीमा तक पानी ले गए। लेकिन तब उसे रोकने के लिए भी कांग्रेस द्वारा और कुछ NGO के द्वारा तरह-तरह के हथकंडे अपनाए गए। लेकिन हम पानी का महत्व समझते थे। और मेरे लिए तो मैं कहता हूं पानी पारस है, जैसे पारस लोहे को स्पर्श करे और लोहा सोना हो जाता है, वैसा पानी जहां भी स्पर्श करे वो एक नई ऊर्जा और शक्ति को जन्म दे देता है।

साथियों,

पानी पहुंचाने के लिए, इस लक्ष्य पर मैं लगातारे काम करता रहा, विरोधों को झेलता रहा, आलोचनाएं सहता रहा, लेकिन पानी के महत्मय को समझता था। नर्मदा के पानी का लाभ सिर्फ गुजरात को ही मिले इतना नहीं नर्मदा जी का पानी राजस्थान को भी इसका फायदा हो। और कभी कोई तनाव नहीं, कोई रुकावट नहीं, कोई मेमोरेंडम नहीं, आंदोलन नहीं जैसे ही डेम का काम पूरा हुआ, और गुजरात को हो जाए उसके बाद राजस्थान को देंगे वो भी नहीं, एक साथ गुजरात में भी पानी पहुंचाना, उसी समय राजस्थान को भी पानी पहुंचाना, ये काम हमने शुरू किया। और मुझे याद है जिस समय नर्मदा जी का पानी राजस्थान में पहुंचा राजस्थान के जीवन में एक उमंग और उत्साह था। और उसके कुछ दिन बाद अचानक मैं, मुख्यमंत्री के कार्यालय में मैसेज आया कि भैरों सिंह जी शेखावत और जसवंत सिंह जी वो गुजरात आए हैं और मुख्यमंत्री जी को मिलना चाहते हैं। अब मुझे पता नहीं था वो आए हैं, किस काम के लिए आए हैं। लेकिन वो मेरे दफ्तर आए, मैंने पूछा कैसे आना हुआ, क्यों...नहीं बोले कोई काम नहीं था, आपको मिलने आए हैं। मेरे वरिष्ठ नेता थे दोनों, भैरों सिंह जी की तो उंगली पकड़कर के हम कई लोग बड़े हुए हैं। और वो आकर के मेरे सामने बैठ नहीं हैं, वो मेरा सम्मान करना चाहते थे, मैं भी थोड़ा भौचक्का था। लेकिन उन्होंने मेरा मान-सम्मान तो किया, पर वो दोनों इतने भावुक थे, उनकी आंखें नम हो गई थी। और उन्होंने कहा मोदी जी आपको पता है पानी देने का मतलब क्या होता है, आप इतनी सहज-सरलता से गुजरात नर्मदा का पानी राजस्थान को दें दें, ये बाले, ये मेरे मन को छू गया। और इसीलिए करोड़ राजस्थान वासियों की भावना को प्रकट करने के लिए आज मैं आपके दफ्तर तक चला आया हूं।

साथियों,

पानी में कितना सामर्थ्य होता है इसका एक अनुभव था। और मुझे खुशी है कि माता नर्मदा आज जालौर, बाड़मेर, चूरु, झुंझुनू, जोधपुर, नागौर, हनुमानगढ़, ऐसे कितने ही जिलों को नर्मदा का पानी मिल रहा है।

साथियों,

हमारे यहां कहा जाता था कि नर्मदा जी में स्नान करें, नर्मदा जी की परिक्रमा करें तो अनेक पीढ़ी का पाप धुलकर के पुण्य प्राप्त होता है। लेकिन विज्ञान का कमाल देखिए, कभी हम माता नर्मदा की परिक्रमा करने जाते थे, आज स्वयं माता नर्मदा परिक्रमा करने के लिए निकली है और हनुमानगढ़ तक चली जाती है।

साथियों,

पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना...ERCP को कांग्रेस ने कितना लटकाया, ये भी कांग्रेस की नीयत का प्रत्यक्ष प्रमाण है। ये किसानों के नाम पर बातें बड़ी-बड़ी करते हैं। लेकिन किसानों के लिए ना खुद कुछ करते हैं और ना ही दूसरों को करने देते हैं। भाजपा की नीति, विवाद की नहीं संवाद की है। हम विरोध में नहीं, सहयोग में विश्वास करते हैं। हम व्यवधान में नहीं, समाधान पर यकीन करते हैं। इसलिए हमारी सरकार ने, पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को स्वीकृत भी किया है और विस्तार भी किया है। जैसे ही एमपी और राजस्थान में भाजपा सरकार बनी तो, पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना, एमपीकेसी लिंक परियोजना पर समझौता हो गया।

ये जो तस्वीर आप देख रहे थे ना, केंद्र के जल मंत्री और दो राज्यों के मुख्यमंत्री, ये तस्वीर सामान्य नहीं है। आने वाले दशकों तक हिंदुस्तान के हर कोने में ये तस्वीर राजनेताओं को सवाल पूछेगी, हर राज्य को पूछा जाएगा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान मिलकर पानी की समस्या को, नदी के पानी के समझौते को आगे बढ़ा सकते हैं, तुम ऐसी कौन-सी राजनीति कर रहे हो कि पानी समु्द्र में बह रहा है तब तुम एक कागज पर हस्ताक्षर नहीं कर पा रहे हो। ये तस्वीर, ये तस्वीर पूरा देश आने वाले दश्कों तक देखने वाला है। ये जो जलाभिषेक हो रहा था ना, ये दृश्य भी मैं सामान्य दृश्य नहीं देखता हूं। देश का भला करने के लिए सोचने वाले विचार से काम करने वाले लोग उनको जब सेवा करने का मौका मिलता है तो कोई मध्य प्रदेश का पानी लेकर आता है, कोई राजस्थान का पानी लेकर आता है, उन पानी का इकट्ठा किया जाता है और मेरे राजस्थान को सुजलाम-सुफलाम बनाने के लिए पुरूषार्थ की परंपरा शुरू कर दी जाती है। ये असाधाारण दिखता है, एक साल का उत्सव तो है ही लेकिन आने वाली सदियों का उज्जवल भविष्य आज इस मंच से लिखा जा रहा है। इस परियोजना में चंबल और इसकी सहायक नदियां पार्वती, कालीसिंध, कुनो, बनास, बाणगंगा, रूपरेल, गंभीरी और मेज जैसी नदियों का पानी आपस में जोड़ा जाएगा।

साथियों,

नदियों को जोड़ने की ताकत क्या होती है वो मैं गुजरात में करके आया हूं। नर्मदा का पानी गुजरात की अलग-अलग नदियों से जोड़ा गया। आप कभी अहमदाबाद जाते हैं तो साबरमती नदी देखते हैं। आज से 20 साल पहले किसी बच्चें को अगर कहा जाए तुम साबरमती के ऊपर निबंध लिखो। तो वो लिखता की साबरमती में सर्कस के तंबू लगते हैं। बहुत अच्छे सर्कस के शो होते हैं। साबरमती में क्रिकेट खेलने का मजा आता है। साबरमती में बहुत अच्छी मिट्टी धूल होती रहती है। क्योंकि साबरमती में पानी देखा नहीं था। आज नर्मदा के पानी से साबरमती जिंदा हो गई और अहमदाबाद में रिवर front आप देख रहे हैं। ये नदियों को जोड़ने से ये ताकत है और मैं राजस्थान का वैसा ही सुंदर दृश्य मेरी आंखों में कल्पना कर सकता हूं।

साथियों,

मैं वो दिन देख रहा हूं जब राजस्थान में पानी की कमी नहीं होगी, राजस्थान में विकास के लिए पर्याप्त पानी होगा। पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना, इससे राजस्थान के 21 जिलों में सिंचाई का पानी भी मिलेगा और पेयजल भी पहुंचेगा। इससे राजस्थान और मध्य प्रदेश, दोनों के विकास में तेजी आएगी।

साथियों,

आज ही ईसरदा लिंक परियोजना का भी शिलान्यास हुआ है। ताजेवाला से शेखावाटी के लिए पानी लाने पर भी आज समझौता हुआ है। इस पानी से, इस समझौते से भी हरियाणा और राजस्थान दोनों राज्यों को फायदा होगा। मुझे विश्वास है कि राजस्थान में भी जल्द से जल्द शत-प्रतिशत घरों तक नल से जल पहुंचेगा।

साथियों,

हमारे सीआर पाटिल जी के नेतृत्व में एक बहुत बड़ा अभियान चल रहा है। अभी ज्यादा उसकी मीडिया में और बाहर चर्चा कम है। लेकिन मैं उसकी ताकत भलिभांति समझता हूं। जनभागीदारी से अभियान चलाया गया है। Rain water harvesting के लिए recharging wells बनाये जा रहे हैं। शायद आपाको भी पता नहीं होगा, लेकिन मुझे बताया गया कि जनभागीदारी से राजस्थान में आज daily rain harvesting structure तैयार हो रहे हैं। भारत के जिन राज्यों में पानी की किल्लत है, उन राज्यों में पिछले कुछ महीनों में अब तक करीब-करीब तीन लाख rain harvesting structures बन चुके हैं। मैं पक्का मानता हूं कि वर्षा के पानी को बचाने का ये प्रयास आने वाले दिनों में हमारी इस धरती मां की प्यास को बुझाएगा। और यहां बैठा हुआ हिन्दुस्तान में बैठा हुआ कोई भी बेटा, कोई भी बेटी कभी भी अपनी धरती मां को प्यासा रखना नहीं चाहेगा। जो प्यास की तड़प हमें होती है, वो प्यास हमें जितना परेशान करती है, वो प्यास उतना ही हमारी धरती मां को परेशान करती है। और इसलिए इस धरती की संतान के नाते हम सबका दायित्व बनता है कि हम अपनी धरती मां की प्यास बुझाएं। वर्षा के एक एक बूंद पानी को धरती मां की प्यास बुझाने के लिए काम लाए। और एक बार धरती मां का आशीर्वाद मिल गया ना फिर दुनिया की कोई ताकत हमें पीछे नहीं रख सकती।

मुझे याद है गुजरात में एक जैन महात्मा हुआ करते थे। करीब 100 साल पहले उन्होंने लिखा था, बुद्धि सागर जी महाराज थे, जैन मुनि थे। उनहोंने करीब 100 साल पहले लिखा था और उस समय शायद कोई पढ़ता तो उनकी बातों में विश्वास नहीं करता। उन्होंने लिखा था 100 साल पहले – एक दिन ऐसा आएगा जब किराने की दुकान में पीने का पानी बिकेगा। 100 साल पहले लिखा था आज हम किराने की दुकान से बिस्लेरी की बॉटल खरीदकर पानी पीने के लिए मजबूर हो गए हैं, 100 साल पहले कहा गया था।

साथियों,

ये दर्द भरी दास्तां है। हमारे पूवर्जों ने हमें विरासत में बहुत कुछ दिया है। अब हमारा दायित्व है कि हमारी आने वाली पीढ़ी को पानी के अभाव में मरने के लिए मजबूर न करें। हम उन्हें सुजलाम सुफलाम ये हमारी धरती माता, हमारी आने वाली पीढ़ियों को सुपुर्द करें। और उसी पवित्र कार्य को करने की दिशा में, मैं आज मध्यप्रदेश सरकार को बधाई देता हूं। मैं मध्य प्रदेश की जनता को बधाई देता हूं। मैं राजस्थान की सरकार और राजस्थान की जनता को बधाई देता हूं। अब हमारा काम है कि बिना रुकावट इस काम को हम आगे बढ़ाएं। जहां जरूरत पड़े, जिस इलाके से ये योजना बनती है। लोग सामने से आकर के समर्थन करें। तब समय से पहले योजनाएं पूरी हो सकती हैं और इस पूरे राजस्थान का भाग्य बदल सकता है।

साथियों,

21वीं सदी के भारत के लिए नारी का सशक्त होना बहुत जरूरी है। भई वो कैमरा, कैमरा को शौक इतना है कि उनका उत्साह बढ़ गया है। जरा वो कैमरा वाले को जरा दूसरी तरफ ले जाइये, वो थक जाएंगे।

साथियों,

आपका ये प्यार मेरे सर आंखों पर मैं आपका आभारी हूं इस उमंग और उत्साह के लिए साथियों नारीशक्ति का सामर्थ्य क्या है, ये हमने विमन सेल्फ हेल्प ग्रुप स्वयं सहायता समूह के आंदोलन में देखा है। बीते दशक में देश की 10 करोड़ बहनें सेल्फ हेल्प ग्रुप्स से जुड़ी हैं। इनमें राजस्थान की भी लाखों बहनें शामिल हैं। इन समूहों से जुड़ी बहनें, उनको मजबूत बनाने के लिए भाजपा सरकार ने दिन रात मेहनत की है। हमारी सरकार ने इन समूहों को पहले बैंकों से जोड़ा, फिर बैंकों से मिलने वाली मदद को 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख किया। हमने उन्हें मदद के तौर पर करीब 8 लाख करोड़ रुपए दिए हैं। हमने उन्हें ट्रेनिंग की व्यवस्था कराई है। महिला सेल्फ हेल्प ग्रुप में बने सामानों के लिए नए बाजार उपलब्ध कराए।

आज इसी का नतीजा है कि ये सेल्फ हेल्प ग्रुप, ग्रामीण अर्थव्यवस्था की बहुत बड़ी ताकत बने हैं। और मेरे लिए खुशी है, मैं यहा आ रहा था सारे ब्लॉक के ब्लॉक माताओं बहनों से भरे हुए हैं। और इतना उमंग इतना उत्साह। अब हमारी सरकार, सेल्फ हेल्प ग्रुप की तीन करोड़ बहनों को लखपति दीदी बनाने पर काम कर रही है। मुझे खुशी है कि करीब सवा करोड़ बहनें लखपति दीदी बन भी चुकी हैं। यानि इन्हें साल में एक लाख रुपए से ज्यादा की कमाई होने लगी है।

साथियों,

नारी शक्ति को मजबूत करने के लिए हम अनेक नई योजनाएं बना रहे हैं। अब जैसे नमो ड्रोन दीदी योजना है। इसके तहत हजारों बहनों को ड्रोन पायलट की ट्रेनिंग दी जा रही है। हज़ारों समूहों को ड्रोन मिल भी चुके हैं। बहनें ड्रोन के माध्यम से खेती कर रही हैं, उससे कमाई भी कर रही हैं। राजस्थान सरकार भी इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए अनेक प्रयास कर रही है।

साथियों,

हाल में ही हमने बहनों-बेटियों के लिए एक और बड़ी योजना शुरु की है। ये योजना है बीमा सखी स्कीम। इसके तहत, गांवों में बहनों-बेटियों को बीमा के काम से जोड़ा जाएगा, उन्हें ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके तहत प्रारंभिक वर्षों में जब तक उनका काम जमें नहीं उनको कुद राशि मानदंड के रूप में दी जाएगी। इसके तहत बहनों को पैसा भी मिलेगा और साथ साथ देश की सेवा करने का अवसर भी मिलेगा। हमने देखा है कि हमारी जो बैंक सखियां हैं, उन्होंने कितना बड़ा कमाल किया है। देश के कोने-कोने तक, गांव-गांव में हमारी बैंक सखियों ने बैंक सेवाएं पहुंचा दी है, खाते खुलवाए हैं, लोन की सुविधाओं से लोगों को जोड़ा है। अब बीमा सखियां, भी भारत के हर परिवार को बीमा की सुविधा से जोड़ने में मदद करेंगी। जरा ये जो कैमरामेन है उनको मेरी रिक्वेस्ट है कि आप अपना कैमरा दूसरी तरफ मोड़िये प्लीज, यहां लाखों लोग हैं उनकी तरफ ले जाइये ना।

साथियों,

भाजपा सरकार का निरंतर प्रयास है कि गांव की आर्थिक स्थिति बेहतर हो। ये विकसित भारत बनाने के लिए बहुत ज़रूरी है। इसलिए गांव में कमाई के, रोजगार के हर साधन पर हम बल दे रहे हैं। राजस्थान में बिजली के क्षेत्र में अनेक समझौते यहां भाजपा सरकार ने किए हैं। इनका सबसे अधिक फायदा हमारे किसानों को होने वाला है। राजस्थान सरकार की योजना है कि यहां के किसानों को दिन में भी बिजली उपलब्ध हो सके। किसान को रात में सिंचाई की मजबूरी से मुक्ति मिले, ये इस दिशा में बहुत बड़ा कदम है।

साथियों,

राजस्थान में सौर ऊर्जा की पर्याप्त संभावनाएं हैं। राजस्थान इस मामले में देश का सबसे आगे रहने वाला राज्य बन सकता है। हमारी सरकार ने सौर ऊर्जा को आपका बिजली बिल ज़ीरो करने का माध्यम भी बनाया है। केंद्र सरकार, पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना चला रही है। इसके तहत घर की छत पर सौलर पैनल लगाने के लिए करीब करीब 75-80 हज़ार रुपए की मदद केंद्र सरकार दे रही है। इससे जो बिजली पैदा होगी, वो आप उपयोग करें और आपकी जरूरत से ज्यादा है, तो आप बिजली बेच सकते हैं और सरकार वो बिजली खरीदेगी भी। मुझे खुशी है कि अब तक देश के 1 करोड़ 40 लाख से ज्यादा परिवार इस योजना के लिए रजिस्टर करा चुके हैं। बहुत ही कम समय में करीब 7 लाख लोगों के घरों में सोलर पैनल सिस्टम लग चुका है। इसमें राजस्थान के भी 20 हज़ार से अधिक घर शामिल हैं। इन घरों में सोलर बिजली पैदा होनी शुरू हो चुकी है और लोगों के पैसे भी बचने शुरू हो गए हैं।

साथियों,

घर की छत पर ही नहीं, खेत में भी सौर ऊर्जा प्लांट लगाने के लिए सरकार मदद दे रही है। पीएम कुसुम योजना के तहत, राजस्थान सरकार आने वाले समय में सैकड़ों नए सोलर प्लांट्स लगाने जा रही है। जब हर परिवार ऊर्जादाता होगा, हर किसान ऊर्जादाता होगा, तो बिजली से कमाई भी होगी, हर परिवार की आय भी बढ़ेगी।

साथियों,

राजस्थान को रोड, रेल और हवाई यात्रा में सबसे कनेक्टेड राज्य बनाना, ये हमारा संकल्प है। हमारा राजस्थान,दिल्ली, वडोदरा और मुंबई जैसे बड़े औद्योगिक केंद्रों के बीच में स्थित है। ये राजस्थान के लोगों के लिए, यहां के नौजवानों के लिए बहुत बड़ा अवसर है। इन तीन शहरों को राजस्थान से जोड़ने वाला जो नया एक्सप्रेसवे बन रहा है, ये देश के सर्वश्रेष्ठ एक्सप्रेसवे में से एक है। मेज नदी पर बड़ा पुल बनने से, सवाईमाधोपुर, बूंदी, टोंक और कोटा जिलों को लाभ होगा। इन जिलों के किसानों के लिए दिल्ली, मुंबई और वड़ोदरा की बड़ी मंडियों, बड़े बाज़ारों तक पहुंचना आसान हो जाएगा। इससे जयपुर और रणथंभौर टाइगर रिजर्व तक पर्यटकों के लिए पहुँचना भी आसान हो जाएगा। हम सभी जानते हैं कि आज के समय में, समय की बहुत कीमत है। लोगों का समय बचे, उनकी सहूलियत बढ़े, यही हम सभी का प्रयास है।

साथियों,

जामनगर - अमृतसर इकोनामिक कॉरिडोर जब दिल्ली-अमृतसर- कटरा एक्सप्रेसवे से जुड़ेगा तो राजस्थान को मां वैष्णो देवी धाम से कनेक्ट करेगा। इससे उत्तरी भारत के उद्योगों को कांडला और मुंद्रा बंदरगाहों से सीधा संपर्क बनेगा। इसका फायदा राजस्थान में ट्रांसपोर्ट से जुड़े सेक्टर को होगा, यहां बड़े-बड़े वेयर हाउस बनेंगे। इनमें ज्यादा काम राजस्थान के नौजवानों को मिलेगा।

साथियों,

जोधपुर रिंग रोड से जयपुर, पाली, बाड़मेर, जैसलमेर, नागौर और अन्तर्राष्ट्रीय सीमा से कनेक्टिविटी बेहतर होने वाली है। इससे शहर को अनावश्यक जाम से मुक्ति मिलेगी। जोधपुर आने वाले पर्यटकों, व्यापारियों-कारोबारियों को इससे बहुत सुविधा होगी।

साथियों,

आज यहां इस कार्यक्रम में हजारों भाजपा कार्यकर्ता भी मेरे सामने मौजूद हैं। उनके परिश्रम से ही हम आज का ये दिन देख रहे हैं। मैं भाजपा कार्यकर्ताओं से कुछ आग्रह भी करना चाहता हूं। भाजपा दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक दल तो है ही, भाजपा एक विराट सामाजिक आंदोलन भी है। भाजपा के लिए दल से बड़ा देश है। हर भाजपा कार्यकर्ता, देश के लिए जागरुक और समर्पित भाव से काम कर रहा है। भाजपा कार्यकर्ता सिर्फ राजनीति से नहीं जुड़ता,वो सामाजिक समस्याओं के समाधान से भी जुड़ता है। आज हम एक ऐसे कार्यक्रम में आए हैं, जो जल संरक्षण से बहुत गहराई से जुड़ा है। जल संसाधानों का संरक्षण और जल की हर बूंद का सार्थक इस्तेमाल सरकार समेत पूरे समाज की, हर नागरिक की जिम्मेदारी है। और इसीलिए मैं अपने भाजपा के हर कार्यकर्ता, हर साथी से कहूंगा कि वे भी अपनी रोज की दिनचर्या में जल संरक्षण के काम के लिए अपन कुद समय समर्पित कर दें और बड़ी श्रद्धाभाव से काम करें। माइक्रो इरीगेशन, ड्रिप इरीगेशन से जुड़ें अमृत सरोवर की देखरेख में मदद करें, जल प्रबंधन के साधन बनाएं और जनता को जागरूक भी करें। आप प्राकृतिक खेती नैचुरल फार्मिंग के प्रति भी किसानों को जागरूक करें।

हम सब जानते हैं कि जितने ज्यादा पेड़ होंगे, धरती को पानी का भंडारण करने में उतनी मदद मिलेगी। इसीलिए एक पेड मां के नाम अभियान बहुत मदद कर सकता है। इससे हमारी मां का भी सम्मान बढ़ेगा और धरती मां का भी मान बढ़ेगा। पर्यावरण के लिए ऐसी बहुत से काम हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, मैंने पहले ही पीएम सूर्य घर अभियान की बात कही। बीजेपी के कार्यकर्ता लोगों को सौर ऊर्जा के प्रयोग के लिए जागरुक कर सकते हैं, उन्हें इस योजना और उसके लाभ के विषय में बता सकते हैं। हमारे देश के लोगों का एक स्वभाव है। जब देश देखता है कि किसी अभियान की नीयत सही है, इसकी नीति सही है, तो लोग उसको अपने कंधे पर उठा लेते हैं, इससे जुड़ जाते हैं और खुद को भी एक मिशन के काम से जोड़कर के खपा देते हैं। हमने स्वच्छ भारत में ये देखा है। हमने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान में ये देखा है। मुझे विश्वास है कि हमें पर्यावरण संरक्षण में भी, जल संरक्षण में भी ऐसी ही सफलता मिलेगी।

साथियों,

आज राजस्थान में विकास के जो आधुनिक काम हो रहे हैं, जो इंफ्रास्ट्रक्चर बन रहा है, ये वर्तमान और भावी पीढ़ी सबके काम आएगा। ये विकसित राजस्थान बनाने के काम आएगा और जब राजस्थान विकसित होगा, तो भारत भी तेजी से विकसित होगा। आने वाले वर्षों में डबल इंजन की सरकार और तेज गति से काम करेगी। मैं भरोसा देता हूं, कि केंद्र सरकार की तरफ से भी राजस्थान के विकास के लिए कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी जाएगी। एक बार फिर इतनी बड़ी तादाद में आप लोग आशीर्वाद देने आएं, विशेष रूप से माताएं बहनें आईं, मैं आपका सर झुकाकर के धन्यवाद करता हूं, और आज का ये अवसर आपके कारण है और आज का ये अवसर आपके लिए है। मेरी आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं। पूरी शक्ति से दोनों हाथ ऊपर कर मेरे साथ बोलिये –

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

भारत माता की जय !

बहुत-बहुत धन्यवाद !