मेरे प्याारे भाइयों और बहनों,
आज राष्ट्रम को ये आधुनिक Steel की इकाई समर्पित करते हुए, मैं गर्व महसूस कर रहा हूं। कोई इसको (IISCO) कहे, कोई उसको कहे, लेकिन आज का अवसर तो हम सबको गर्व देने वाला है। अभी मैं आदरणीय मुख्यSमंत्री जी को सुन रहा था। उन्होंगने बहुत ही अच्छीो बात बताई, और उन्होंरने कहा कि केंद्र और राज्यन हम मिल करके जितना काम करेंगे, देश उतना तेजी से आगे बढ़ेगा। भारत के संविधान में Federal structure तो दिया है लेकिन दुर्भाग्य से आजादी के बाद कई वर्षों तक केंद्र और राज्ये के संबंधों में हमेशा तनाव रहा है। केंद्र में बैठे हुए लोग मानते थे हम कुछ खास हैं और राज्योंऔ को वो कुछ गिनते ही नहीं थे। मैं भी बहुत लंबे अरसे तक राज्यम का मुख्य मंत्री रहा हूं। और इसलिए मुझे भली-भांति पता है कि केंद्र का राज्योंस के साथ यह व्यमवहार देश का भला नहीं करेगा। और इसलिए हमने आते ही एक बहुत बड़ा परिवर्तन लाया, Cooperative Federalism की बात कही। Cooperative competitive federalism की बात कही। नीति आयोग का निर्माण किया। और अब दिल्लीऔ अकेला देश नहीं चलाएगा, अब देश एक खंभे पर नहीं सभी राज्योंि का एक-एक खंभा मिला करके, 30 खंभों पर देश आगे बढ़ेगा। ये हमने सोचा है।
टीम इंडिया, मैं Day One से कह रहा हूं टीम इंडिया के बिना हिंदुस्ताचन प्रगति नहीं कर सकता। प्रधानमंत्री और मुख्यैमंत्री ये मिल करके एक टीम है। ये टीम हिंदुस्तांन को आगे बढ़ाएगी, दल कोई भी हो लेकिन दल से बड़ा देश होता है। आज टीम इंडिया के कारण प्रगति कैसे होती है, आज एक बीमार इकाई ताकत के साथ खड़ी हो गई, हजारों लोगों के लिए नौकरी के अवसर मिल गये। हिंदुस्ता न को Steel के क्षेत्र में आगे बढ़ाने में ये बर्नपुर की धरती, ये बंगाल की धरती काम आई। अगर यहां के मुख्यसमंत्री ने यहां की सरकार ने, रोड़े अटकाये होते तो ये काम संभव नहीं होता। मिल करके काम करते हैं तो परिणाम मिलता है। ये टीम इंडिया का सफलता का उदाहरण है कि आज हम देश को ये इकाई समर्पित कर रहे हैं।
दो दिन पहले आपने देखा होगा 41 साल से, Fourteen One Year से एक मामला लटका हुआ था। “बंग-बंधु” Mujibur Rahman के जमाने से यह काम लटका हुआ था। लेकिन अभी दो दिन पहले भारत और बांग्लाखदेश के बीच जो सीमा का विवाद रहता था, तनाव चलता रहता था, उसका समाधान हुआ। कैसे हुआ? टीम इंडिया के कारण हुआ। ममता जी ने, बंगाल की सरकार ने, असम ने, त्रिपुरा ने, मेघालय, मिजोरम ने, दिल्लीक सरकार के साथ कंधे से कंधा मिला करके फैसला किया। सभी राजनीतिक दलों ने फैसला लिया। और पहली बार यह देश गर्व कर सकता है कि राज्यीसभा हो या लोकसभा - दोनों सदनों में एक भी मत विरोध में नहीं पड़ा, सब के सब मत एक साथ पड़े और टीम इंडिया का यह दर्शन हम पूरी दुनिया को दिखा पाए। सारे विश्व के लिए भारत की संसद का यह निर्णय, टीम इंडिया का यह निर्णय, केंद्र और राज्यस के साथ मिलकर के चलने का प्रयास का परिणाम यह आज समस्या्एं दुनिया के किसी देश के साथ भी सुलझाई जा सकती है। अगर टीम इंडिया का भाव हो, अगर विदेशों से समस्या एं सुलझाई जा सकती है, तो घर में तो बहुत आसानी से सुलझाई जा सकती है। और इसलिए हमारी पूरी कोशिश है।
अब देखिए अभी 14th Finance Commission हमने शब्दइश: स्वीलकार किया और उसका परिणाम क्या आया? एक जमाना था जब दिल्लीn सरकार की तिजौरी में देश की 60-65% संपत्ति रहती थी। और 35-40% में सभी राज्योंस के खजाने में पैसे रहते थे। हमने आने के बाद जो फैसले किए उसका परिणाम यह आया है कि आज हिंदुस्ता न का Total जो खजाना है उस खजाने का 62% राज्योंक के खजानों में है और सिर्फ 38% दिल्ली के खजाने में है। यह बदलाव हम लाएं हैं, क्योंाकि विकास करना है तो राज्योंर की मदद के बिना हो नहीं सकता है। विकास करना है तो राज्योंप और दिल्लीो मिलकर के करेंगे तभी संभव होता है और इसका यह उदाहरण है। ऐसे बहुत उदाहरण बन सकते हैं, जिसको लेकर के हमारा चलने का प्रयास है।
और मैं मानता हूं... हिंदुस्तारन का जो नक्शाय देखें तो मैं पहले ही दिन से मानता हूं कि भारत के विकास में सामाजिक स्त.र पर असंतुलन है, आर्थिक स्त र पर असंतुलन है, शैक्षणिक स्तिर पर अंसतुलन है लेकिन साथ-साथ भौगोलिक स्तथर पर भी असंतुलन है। हिंदुस्तासन का पश्चिमी किनारा देखिए - केरल हो, कर्नाटक हो, गोवा हो, महाराष्ट्र हो, राजस्थाेन हो, दिल्ली हो, हरियाणा हो, पंजाब हो - आपको पश्चिमी छोर पर आर्थिक गतिविधि तेज नज़र आती है। लेकिन हिंदुस्ताकन का पूर्वी क्षेत्र उपेक्षित रहा है। हिंदुस्ता न के पूर्वी क्षेत्र चाहे पूर्वी उत्तलर प्रदेश हो, चाहे बिहार, चाहे बंगाल हो, चाहे ओडि़शा हो, चाहे असम हो, चाहे नॉर्थ ईस्टव हो - बहुत ही शक्तिशाली राज्ये है। यहां के लोग सामर्थ्यतवान हैं। प्राकृतिक संपदाओं के भंडार भरे पड़े हैं। लेकिन फिर भी विकास के दौर में पीछे रहे गए है। अगर भारत मां को हमें भव्यस रूप से देखना है तो भारत मां का एक अंग अगर बीमार होगा तो भारत माता कभी मजबूत नहीं हो सकती है। और इसलिए हमारा सपना है हिंदुस्ताान के पूर्वी हिस्सेब को सबसे अधिक ताकतवर बनाना, हिंदुस्तापन के पश्चिमी छोर की बराबरी में लाकर के खड़ा कर देना और अगर बंगाल मजबूत नहीं बनता, कोलकाता मजबूत नहीं बनता तो हिंदुस्ता न का पूर्वी हिस्साअ भी मजबूत नहीं हो सकता है और इसलिए मां भारती को मजबूत बनाने के लिए भारत के इस भू-भाग को भी ताकत देने की आवश्यलकता है।
Second Green Revolution हम सपना तो देख रहे हैं लेकिन Second Green Revolution कहां होगा। मैं साफ देख रहा हूं Second Green Revolution के लिए सबसे अधिक उर्वरा भूमि कहीं है सबसे अधिक ताकत कहीं है तो वो पूर्वी हिंदुस्ताuन में है। चाहे पूर्वी उत्त र-प्रदेश हो, चाहे बिहार हो, ओडि़शा हो, बंगाल हो, असम हो, नॉर्थ इर्स्ट हो विपुल मात्रा में पानी है, जमीन भी बहुत मात्रा में है। अगर किसानों का कल्याओण करना है, देश का भला करना है, तो हिंदुस्ताबन की Second Green Revolution इसी धरती पर केंद्रित करके किया जा सकता है और आने वाले 5-10 साल में सारा गांव का आर्थिक जीवन बदला जा सकता है। और हम इस vision के साथ देश को नई ऊंचाईयों पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं।
आप जानते हैं, 2014 के यह दिवस चुनाव के दिवस थे। चारों तरफ राजनीतिक दल एक दूसरे पर हमला कर रहे थे। हम भी बंगाल में आए थे, हम भी हमला कर रहे थे। और लोग हम पर हमला कर रहे थे लेकिन विचार क्या आते थे? 2014 के फरवरी, मार्च, अप्रैल के अखबार देख लीजिए एक ही बात आती थी। कोयले का घोटाला एक लाख 76 हजार का घोटाला, spectrum का घोटाला, पनडुब्बी7 का घोटाला, पानी में घोटाला, जमीन में घोटाला, आसमान में घोटाला, घोटालों ही घोटालों की खबरें हम पूरी देर सुनते आते थे। भाईयों-बहनों आज एक साल हो गया दिल्लीc में नई सरकार को। अखबार में खबर आती है तो क्या आती है? कोयले के घोटाले की खबर नहीं आती है। खबर आती है तो कोयले की नीलामी की खबर आती है और एक लाख 74 हजार करोड़ के घोटाले को निगल करके आज तीन लाख करोड़ रुपया सरकारी खजाने में जमा होने का खबर नजर आता है।
भाईयों बहनों, अगर विश्वा स के साथ काम किया जाए। यह कोयले की खदानें कहां हैं? हिंदुस्ताान के पूर्वी इलाके में है। जिसके पास इतनी प्राकृतिक संपदा हो, यह राज्य गरीब नहीं रहना चाहिए। और इसलिए हमने नीतिगत परिवर्तन किए। हमने कहा कोयले की खदानों का Auction होगा। पहले क्यान होता था? किसी नेता के घर से चिट्ठी आती थी कि यह कोयले की खदान उसको दे दो, और किसी को पूछे बिना दे देते थे। सरकारी खजाने में एक नया पैसा नहीं आता था। यह सारा हमने बंद कर दिया, पुराना खत्मे कर दिया, Auction किया और यह भी तय किया कि Auction में जो पैसा आएगा, कोयले के Auction में जो पैसा आएगा वो पैसा दिल्लीक की तिजोरी में नहीं, उस राज्य के खजाने में जाएगा ताकि वो सरकार राज्यी का भला कर पाए। इसका लाभ पश्चिम बंगाल को भी मिल रहा है, झारखंड को मिल रहा है, छत्तीरसगढ़ को मिल रहा है। जहां-जहां पर कोयले की खदानें हैं उन राज्योंग को मिल रहा है। पहली बार गरीबों के लिए काम करने वाली सरकार ने एक बड़ा महत्वेपूर्ण निर्णय किया। हमारे देश में खनिज संपदा हो, कोयला हो, ज्यातदातर जहां आदिवासी लोग रहते हैं, उस इलाके में हैं, जंगलों में हैं। कोयला तो जाता था, खजिन संपदा जाती थी, लेकिन उन जिले गरीबों का, आदिवसियों का भला नहीं होता था। हमने तय किया है उन जिलों में एक foundation बनाया जाएगा। इस रॉयल्टी का कुछ हिस्साक उस foundation में डाला जाएगा और वो पैसे उस जिले की नागरिकों की भलाई के लिए होगा। चाहे उनको शिक्षा देनी होगी, अरोग्य देना होगा, घर देना होगा, पानी पहुंचाना होगा। यह पैसे उनके लिए खर्च आएंगे।
अभी मुझे छत्तीासगढ़ के मुख्यमंत्री मिले थे, उन्होंंने बड़ी मजेदार बात बताई। उन्होंनने कहा साहब यह खदानों की रॉयल्टीस से आने वाले पैसों से यह जो foundation बनेगा इसमें अरबों, खरबों रुपये आने वाले हैं और उसके कारण हमारे यह जो tribal district है, उसको अब हमें सरकारी तिजोरी से शायद पैसा ही नहीं देना पड़ेगा। और शायद और राज्यों की तुलना में वो तेजी गति से बढ़ने वाले राज्य बन जाएंगे। अगर नीतिगत परिवर्तन करते हैं, दीर्घ दृष्टि से नीतियों का निर्माण करते हैं तो राष्ट्र के विकास को कैसे बदला जा सकता है, इसका हमने उदाहरण देखा है।
भाईयों और बहनों, यह कैसा देश है कि हम iron ore विदेशों में export करते रहे है, विकास करते रहे, कच्चास माल देते रहे और steel विदेशों से मंगवाते रहे? भाईयों बहनों ऐसे तो देश नहीं चल सकता कि हम गेहूं बाहर भेजे और चपाती बाहर से अंदर लाए। ऐसा नहीं हो सकता। अगर iron ore हमारा है तो स्टी ल भी हम बनाएंगे, नौजवानों को रोजगार देंगे और यह देश यह सपना देखकर के चलता है कि 2020 में आज हम दुनिया में जिस जगह हैं उससे दो कदम आगे चल सकते हैं या नहीं चल सकते। उस दिशा में हम काम करना चाहते हैं। आज China से स्टीयल हमकों लाना पड़ रहा है। हम स्टीाल iron ore होने के बावजूद भी उत्पाददन नहीं करते। हमारी जो खनिज संपदा है आखिरकार जो लोग अर्थशास्त्रा के पंडित हैं वो भलिभांति जानते हैं पैसा आएगा कहां से? वो भली-भांति जानते हैं पैसा आएगा कहां से आएगा? देश को विकास करना है तो धन कहां से आएगा, धन कहां से पैदा होगा, तीन प्रमुख जगहें हैं, तीन प्रमुख जगह हैं जहां से पैसा ज्यादा से ज्यासदा आने की संभावना है:
• एक हमारी उर्वरा भूमि से, हम जितना ज्या्दा मूल्येवान उत्पाददन करें,
• दूसरा हमारी खनिज संपदा उसमें Value Addition करके मूल्यू वृद्धि करके, उसमें से हम नये product बनायें, हमारे खजाने में पैसा आता है और
• तीसरा सवा सौ करोड़ देशवासियों की ताकत, उनका हुनर, हमारे नौजवानों की Skill , हमारे नौजवानों की बुद्धि, हमारी ज्ञान शक्ति, हमारी कौशल्य शक्ति, वो रूपयों को पैदा कर सकती है
और इसलिए हमने इन तीन ही धाराओं को ले करके, एक तरफ देश के नौजवानों को हुनर सिखाना, दूसरी तरफ खनिज संपदा में मूल्यन वृद्धि करना, और तीसरी तरफ, soil health Card जैसे प्रयोगों द्वारा, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के द्वारा, किसानों को पानी पहुंचा करके जमीन की परख करके उतम से उत्पा दन कैसे हो, उसके रास्तेा दिखा करके कम जमीन में ज्या दा उत्पाेदन परिवार की आर्थिक स्थिति को सुधारे, ऐसा उत्पामदन उस दिशा में हम काम कर रहे हैं।
और मुझे विश्वा्स है एक साल के भीतर-भीतर हमने पाया है। आज सारी दुनिया कहने लगी है, आज हिंदुस्ताहन दुनिया में, मेरे प्या रे भाइयों और बहनों गर्व कीजिए, पूरा विश्वो कह रहा था एक साल पहले कि हिंदुस्ता न डूब जाएगा, हिंदुस्तापन कुछ नहीं कर सकता है, हिंदुस्ता न लुढ़क गया है, दुनिया की आर्थिक रचना में, अब हिंदुस्तानन अपनी जगह नहीं बना सकता, ये सारी दुनिया ने मान लिया था। एक साल के भीतर-भीतर पूरा विश्वह एक स्वर से कह रहा है। IMF हो, World Bank हो, Moody’s हो हर कोई दुनिया की जितनी rating agency है सारी rating agency ये कह रही हैं - भारत आज दुनिया का सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाला देश बन गया है। दुनिया का सबसे तेज गति से आर्थिक विकास करने वाला देश बन गया है।
भाईयों और बहनों, मजबूत नींव रखी गई है एक साल के भीतर-भीतर और मजबूत नींव को देख करके दुनिया कहने लगी है कि विश्वत की अर्थ रचना में भारत तेज गति से अपनी जगह बना रहा है। भाईयों और बहनों, खास करके नौजवानों को रोजगार देना है, गरीबी के खिलाफ लड़ाई लड़नी है, नौजवानों की ताकत से लड़नी है, सरकार और जनता साथ मिल करके चलें तो हम कैसा परिवर्तन ला सकते हैं, इसका ये उत्तंम उदाहरण है। .
मैं चाहता हूं, बंगाल भी विकास की नई ऊंचाईयों पर पहुंचे, और जो बंगाल का भव्यी इतिहास था, पूरे हिंदुस्ताकन की आर्थिक डोर बंगाल के हाथ में हुआ करता था। देश को आर्थिक देने का काम कभी बंगाल किया करता था। वो ताकत फिर से मिलेगी। बंगाल बहुत आगे बढ़ेगा, पूर्वी हिंदुस्ताथन को आगे बढ़ाएगा। इतना ही नहीं पूर्व के देशों के साथ हमारे संबंधों को मजबूत बनाने में बंगाल की आर्थिक ताकत बहुत काम आने वाली है। इसलिए राष्ट्रीय कारणों से, अंतर्राष्ट्रीय कारणों से, पूरी दुनिया की तरफ आगे बढ़ने के लिए जब हमारी Act East Policy है तब बंगाल की एक अहम भूनिका है। और मुझे विश्वास है कि टीम इंडिया की यह ताकत, केन्द्र और राज्य की मिलकर के आगे बढ़ने की यह ताकत हमारे सारे सपनों का पूरा करने में काम आएगी।
इसी एक विश्वास के साथ मैं फिर एक बार आप सभी का हृदय से धन्यवाद करता हूँ। और मैं सभी मेरे मजदूर भाईयों और बहनों को विश्सास दिलाता हूँ कि आपका पसीना बेकार नही जाएगा। आपका पसीना बेकार नही जाएगा। आपका पसीना ही है जो पूरे विश्वा में हिंदुस्ता न की आबो-हवा को बदलेगा। यह मेरा विश्वा स है।
मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं, बहुत-बहुत धन्यैवाद।
भारत माता की जय!
भारत माता की जय!
केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरी सहयोगी अन्नपूर्णा देवी जी, सावित्री ठाकुर जी, सुकांता मजूमदार जी, अन्य महानुभाव, देश के कोने-कोने से यहां आए सभी अतिथि, और सभी प्यारे बच्चों,
आज हम तीसरे ‘वीर बाल दिवस’ के आयोजन का हिस्सा बन रहे हैं। तीन साल पहले हमारी सरकार ने वीर साहिबजादों के बलिदान की अमर स्मृति में वीर बाल दिवस मनाने की शुरुआत की थी। अब ये दिन करोड़ों देशवासियों के लिए, पूरे देश के लिए राष्ट्रीय प्रेरणा का पर्व बन गया है। इस दिन ने भारत के कितने ही बच्चों और युवाओं को अदम्य साहस से भरने का काम किया है! आज देश के 17 बच्चों को वीरता, इनोवेशन, साइंस और टेक्नोलॉजी, स्पोर्ट्स और आर्ट्स जैसे क्षेत्रों में सम्मानित किया गया है। इन सबने ये दिखाया है कि भारत के बच्चे, भारत के युवा क्या कुछ करने की क्षमता रखते हैं। मैं इस अवसर पर हमारे गुरुओं के चरणों में, वीर साहबजादों के चरणों में श्रद्धापूर्वक नमन करता हूँ। मैं अवार्ड जीतने वाले सभी बच्चों को बधाई भी देता हूँ, उनके परिवारजनों को भी बधाई देता हूं और उन्हें देश की तरफ से शुभकामनाएं भी देता हूं।
साथियों,
आज आप सभी से बात करते हुए मैं उन परिस्थितियों को भी याद करूंगा, जब वीर साहिबजादों ने अपना बलिदान दिया था। ये आज की युवा पीढ़ी के लिए भी जानना उतना ही जरूरी है। और इसलिए उन घटनाओं को बार-बार याद किया जाना ये भी जरूरी है। सवा तीन सौ साल पहले के वो हालात 26 दिसंबर का वो दिन जब छोटी सी उम्र में हमारे साहिबजादों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी। साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह की आयु कम थी, आयु कम थी लेकिन उनका हौसला आसमान से भी ऊंचा था। साहिबजादों ने मुगल सल्तनत के हर लालच को ठुकराया, हर अत्याचार को सहा, जब वजीर खान ने उन्हें दीवार में चुनवाने का आदेश दिया, तो साहिबजादों ने उसे पूरी वीरता से स्वीकार किया। साहिबजादों ने उन्हें गुरु अर्जन देव, गुरु तेग बहादुर और गुरु गोविंद सिंह की वीरता याद दिलाई। ये वीरता हमारी आस्था का आत्मबल था। साहिबजादों ने प्राण देना स्वीकार किया, लेकिन आस्था के पथ से वो कभी विचलित नहीं हुए। वीर बाल दिवस का ये दिन, हमें ये सिखाता है कि चाहे कितनी भी विकट स्थितियां आएं। कितना भी विपरीत समय क्यों ना हो, देश और देशहित से बड़ा कुछ नहीं होता। इसलिए देश के लिए किया गया हर काम वीरता है, देश के लिए जीने वाला हर बच्चा, हर युवा, वीर बालक है।
साथियों,
वीर बाल दिवस का ये वर्ष और भी खास है। ये वर्ष भारतीय गणतंत्र की स्थापना का, हमारे संविधान का 75वां वर्ष है। इस 75वें वर्ष में देश का हर नागरिक, वीर साहबजादों से राष्ट्र की एकता, अखंडता के लिए काम करने की प्रेरणा ले रहा है। आज भारत जिस सशक्त लोकतंत्र पर गर्व करता है, उसकी नींव में साहबजादों की वीरता है, उनका बलिदान है। हमारा लोकतंत्र हमें अंत्योदय की प्रेरणा देता है। संविधान हमें सिखाता है कि देश में कोई भी छोटा बड़ा नहीं है। और ये नीति, ये प्रेरणा हमारे गुरुओं के सरबत दा भला के उस मंत्र को भी सिखाती हैं, जिसमें सभी के समान कल्याण की बात कही गई है। गुरु परंपरा ने हमें सभी को एक समान भाव से देखना सिखाया है और संविधान भी हमें इसी विचार की प्रेरणा देता है। वीर साहिबजादों का जीवन हमें देश की अखंडता और विचारों से कोई समझौता न करने की सीख देता है। और संविधान भी हमें भारत की प्रभुता और अखंडता को सर्वोपरि रखने का सिद्धांत देता है। एक तरह से हमारे लोकतंत्र की विराटता में गुरुओं की सीख है, साहिबजादों का त्याग है और देश की एकता का मूल मंत्र है।
साथियों,
इतिहास ने और इतिहास से वर्तमान तक, भारत की प्रगति में हमेशा युवा ऊर्जा की बड़ी भूमिका रही है। आजादी की लड़ाई से लेकर के 21वीं सदी के जनांदोलनों तक, भारत के युवा ने हर क्रांति में अपना योगदान दिया है। आप जैसे युवाओं की शक्ति के कारण ही आज पूरा विश्व भारत को आशा और अपेक्षाओं के साथ देख रहा है। आज भारत में startups से science तक, sports से entrepreneurship तक, युवा शक्ति नई क्रांति कर रही है। और इसलिए हमारी पॉलिसी में भी, युवाओं को शक्ति देना सरकार का सबसे बड़ा फोकस है। स्टार्टअप का इकोसिस्टम हो, स्पेस इकॉनमी का भविष्य हो, स्पोर्ट्स और फिटनेस सेक्टर हो, फिनटेक और मैन्युफैक्चरिंग की इंडस्ट्री हो, स्किल डेवलपमेंट और इंटर्नशिप की योजना हो, सारी नीतियां यूथ सेंट्रिक हैं, युवा केंद्रिय हैं, नौजवानों के हित से जुड़ी हुई हैं। आज देश के विकास से जुड़े हर सेक्टर में नौजवानों को नए मौके मिल रहे हैं। उनकी प्रतिभा को, उनके आत्मबल को सरकार का साथ मिल रहा है।
मेरे युवा दोस्तों,
आज तेजी से बदलते विश्व में आवश्यकताएँ भी नई हैं, अपेक्षाएँ भी नई हैं, और भविष्य की दिशाएँ भी नई हैं। ये युग अब मशीनों से आगे बढ़कर मशीन लर्निंग की दिशा में बढ़ चुका है। सामान्य सॉफ्टवेयर की जगह AI का उपयोग बढ़ रहा है। हम हर फ़ील्ड नए changes और challenges को महसूस कर सकते हैं। इसलिए, हमें हमारे युवाओं को futuristic बनाना होगा। आप देख रहे हैं, देश ने इसकी तैयारी कितनी पहले से शुरू कर दी है। हम नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, national education policy लाये। हमने शिक्षा को आधुनिक कलेवर में ढाला, उसे खुला आसमान बनाया। हमारे युवा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रहें, इसके लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। छोटे बच्चों को इनोवेटिव बनाने के लिए देश में 10 हजार से ज्यादा अटल टिंकरिंग लैब शुरू की गई हैं। हमारे युवाओं को पढ़ाई के साथ-साथ अलग-अलग क्षेत्रों में व्यावहारिक अवसर मिले, युवाओं में समाज के प्रति अपने दायित्वों को निभाने की भावना बढ़े, इसके लिए ‘मेरा युवा भारत’ अभियान शुरू किया गया है।
भाइयों बहनों,
आज देश की एक और बड़ी प्राथमिकता है- फिट रहना! देश का युवा स्वस्थ होगा, तभी देश सक्षम बनेगा। इसीलिए, हम फिट इंडिया और खेलो इंडिया जैसे मूवमेंट चला रहे हैं। इन सभी से देश की युवा पीढ़ी में फिटनेस के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। एक स्वस्थ युवा पीढ़ी ही, स्वस्थ भारत का निर्माण करेगी। इसी सोच के साथ आज सुपोषित ग्राम पंचायत अभियान की शुरुआत की जा रही है। ये अभियान पूरी तरह से जनभागीदारी से आगे बढ़ेगा। कुपोषण मुक्त भारत के लिए ग्राम पंचायतों के बीच एक healthy competition, एक तंदुरुस्त स्पर्धा हो, सुपोषित ग्राम पंचायत, विकसित भारत का आधार बने, ये हमारा लक्ष्य है।
साथियों,
वीर बाल दिवस, हमें प्रेरणाओं से भरता है और नए संकल्पों के लिए प्रेरित करता है। मैंने लाल किले से कहा है- अब बेस्ट ही हमारा स्टैंडर्ड होना चाहिए, मैं अपनी युवा शक्ति से कहूंगा, कि वो जिस सेक्टर में हों उसे बेस्ट बनाने के लिए काम करें। अगर हम इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम करें तो ऐसे करें कि हमारी सड़कें, हमारा रेल नेटवर्क, हमारा एयरपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर दुनिया में बेस्ट हो। अगर हम मैन्युफैक्चरिंग पर काम करें तो ऐसे करें कि हमारे सेमीकंडक्टर, हमारे इलेक्ट्रॉनिक्स, हमारे ऑटो व्हीकल दुनिया में बेस्ट हों। अगर हम टूरिज्म में काम करें, तो ऐसे करें कि हमारे टूरिज्म डेस्टिनेशन, हमारी ट्रैवल अमेनिटी, हमारी Hospitality दुनिया में बेस्ट हो। अगर हम स्पेस सेक्टर में काम करें, तो ऐसे करें कि हमारी सैटलाइट्स, हमारी नैविगेशन टेक्नॉलजी, हमारी Astronomy Research दुनिया में बेस्ट हो। इतने बड़े लक्ष्य तय करने के लिए जो मनोबल चाहिए होता है, उसकी प्रेरणा भी हमें वीर साहिबजादों से ही मिलती है। अब बड़े लक्ष्य ही हमारे संकल्प हैं। देश को आपकी क्षमता पर पूरा भरोसा है। मैं जानता हूँ, भारत का जो युवा दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों की कमान संभाल सकता है, भारत का जो युवा अपने इनोवेशन्स से आधुनिक विश्व को दिशा दे सकता है, जो युवा दुनिया के हर बड़े देश में, हर क्षेत्र में अपना लोहा मनवा सकता है, वो युवा, जब उसे आज नए अवसर मिल रहे हैं, तो वो अपने देश के लिए क्या कुछ नहीं कर सकता! इसलिए, विकसित भारत का लक्ष्य सुनिश्चित है। आत्मनिर्भर भारत की सफलता सुनिश्चित है।
साथियों,
समय, हर देश के युवा को, अपने देश का भाग्य बदलने का मौका देता है। एक ऐसा कालखंड जब देश के युवा अपने साहस से, अपने सामर्थ्य से देश का कायाकल्प कर सकते हैं। देश ने आजादी की लड़ाई के समय ये देखा है। भारत के युवाओं ने तब विदेशी सत्ता का घमंड तोड़ दिया था। जो लक्ष्य तब के युवाओं ने तय किया, वो उसे प्राप्त करके ही रहे। अब आज के युवाओं के सामने भी विकसित भारत का लक्ष्य है। इस दशक में हमें अगले 25 वर्षों के तेज विकास की नींव रखनी है। इसलिए भारत के युवाओं को ज्यादा से ज्यादा इस समय का लाभ उठाना है, हर सेक्टर में खुद भी आगे बढ़ना है, देश को भी आगे बढ़ाना है। मैंने इसी साल लालकिले की प्राचीर से कहा है, मैं देश में एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिसके परिवार का कोई भी सक्रिय राजनीति में ना रहा हो। अगले 25 साल के लिए ये शुरुआत बहुत महत्वपूर्ण है। मैं हमारे युवाओं से कहूंगा, कि वो इस अभियान का हिस्सा बनें ताकि देश की राजनीति में एक नवीन पीढ़ी का उदय हो। इसी सोच के साथ अगले साल की शुरुआत में, माने 2025 में, स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर, 'विकसित भारत यंग लीडर्स डॉयलॉग’ का आयोजन भी हो रहा है। पूरे देश, गाँव-गाँव से, शहर और कस्बों से लाखों युवा इसका हिस्सा बन रहे हैं। इसमें विकसित भारत के विज़न पर चर्चा होगी, उसके रोडमैप पर बात होगी।
साथियों,
अमृतकाल के 25 वर्षों के संकल्पों को पूरा करने के लिए ये दशक, अगले 5 वर्ष बहुत अहम होने वाले हैं। इसमें हमें देश की सम्पूर्ण युवा शक्ति का प्रयोग करना है। मुझे विश्वास है, आप सब दोस्तों का साथ, आपका सहयोग और आपकी ऊर्जा भारत को असीम ऊंचाइयों पर लेकर जाएगी। इसी संकल्प के साथ, मैं एक बार फिर हमारे गुरुओं को, वीर साहबजादों को, माता गुजरी को श्रद्धापूर्वक सिर झुकाकर के प्रणाम करता हूँ।
आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद !